< यहेजकेल 15 >
1 याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
Vino a mí la palabra de Yahvé, diciendo:
2 “हे मनुष्य के पुत्र, एक अंगूर की लता की लकड़ी बंजर भूमि के किसी पेड़ की शाखा से किस प्रकार भिन्न है?
“Hijo de hombre, ¿qué es el árbol de la vid más que cualquier otro árbol, el sarmiento que está entre los árboles del bosque?
3 क्या कभी इसकी लकड़ी को लेकर कोई उपयोगी चीज़ बनाई गई है? क्या लोग वस्तुओं को टांगने के लिये इससे खूंटी बनाते हैं?
¿Se tomará de él madera para hacer algo? ¿Acaso se tomará de él un alfiler para colgar de él alguna vasija?
4 और जब इसे आग में ईंधन के रूप में डाला जाता है और इसके दोनों छोर आग से जल जाते हैं और बीच का भाग झुलस जाता है, तब क्या वह किसी काम का रह जाती है?
He aquí que se echa al fuego como combustible; el fuego ha devorado sus dos extremos, y el centro se ha quemado. ¿Es útil para alguna obra?
5 जब यह अपने पूरे आकार में थी, तब यह किसी काम की न थी, तो फिर तब इसकी क्या उपयोगिता हो सकती है जब यह आग में जल गई और झुलस गई?
He aquí que cuando estaba entero, no servía para ninguna obra. ¿Cuánto menos, cuando el fuego lo haya devorado y se haya quemado, será todavía útil para alguna obra?”
6 “इसलिये परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जैसा कि मैंने अंगूर की लता की लकड़ी को बंजर भूमि के पेड़ों के बीच आग के लिये ईंधन के रूप में दिया है, वैसा ही मैं येरूशलेम में रहनेवालों के साथ व्यवहार करूंगा.
Por eso dice el Señor Yahvé: “Como la madera de la vid entre los árboles del bosque, que he dado al fuego como combustible, así daré a los habitantes de Jerusalén.
7 मैं अपना मुंह उनके विरुद्ध करूंगा. यद्यपि वे आग से बचकर निकल आये हैं, फिर भी आग ही उन्हें जलाकर नष्ट कर देगी. और जब मैं अपना मुंह उनके विरुद्ध करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
Pondré mi rostro contra ellos. Saldrán del fuego, pero el fuego los seguirá devorando. Entonces sabrás que yo soy Yahvé, cuando ponga mi rostro contra ellos.
8 मैं देश को उजाड़ दूंगा, क्योंकि उन्होंने विश्वासघात किया है, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.”
Haré que la tierra quede desolada, porque han actuado con infidelidad”, dice el Señor Yahvé.