< निर्गमन 12 >
1 याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन से कहा,
dixit quoque Dominus ad Mosen et Aaron in terra Aegypti
2 “तुम्हारे लिए यह महीना साल का पहला महीना होगा.
mensis iste vobis principium mensuum primus erit in mensibus anni
3 सब इस्राएलियों को बता दो कि इस महीने की दस तारीख को अपने-अपने परिवार के लिए एक-एक मेमना चुनकर अलग कर ले.
loquimini ad universum coetum filiorum Israhel et dicite eis decima die mensis huius tollat unusquisque agnum per familias et domos suas
4 यदि एक परिवार एक पूरे जानवर को खाने के लिए बहुत छोटा है, तो उसे पड़ोस में दूसरे परिवार के साथ विभाग करना. प्रत्येक परिवार के आकार के अनुसार जानवर को विभाजित करें जितना वे खा सकते हैं.
sin autem minor est numerus ut sufficere possit ad vescendum agnum adsumet vicinum suum qui iunctus est domui eius iuxta numerum animarum quae sufficere possunt ad esum agni
5 मेमना एक साल का नर हो, मेमने में कोई दोष न हो और यह भेड़ में से या बकरियों में से लिया जा सकता है.
erit autem agnus absque macula masculus anniculus iuxta quem ritum tolletis et hedum
6 लेकिन इसी महीने के चौदहवें दिन तक मेमने का खास ध्यान रखना. फिर पूरे इस्राएली लोग मिलकर सूरज ढलने पर इसे बलि चढ़ाना.
et servabitis eum usque ad quartamdecimam diem mensis huius immolabitque eum universa multitudo filiorum Israhel ad vesperam
7 वे जिस घर में मेमने को खाएंगे, उस घर के दरवाजे के दोनों तरफ और दरवाजे के माथे पर मेमने का खून लगाएं.
et sument de sanguine ac ponent super utrumque postem et in superliminaribus domorum in quibus comedent illum
8 ज़रूरी है कि इस मेमने का मांस उसी रात को आग में भूनकर, बिना खमीर की रोटी और कड़वी सब्जी के साथ खाएं.
et edent carnes nocte illa assas igni et azymos panes cum lactucis agrestibus
9 यह मांस न तो कच्चा खाएं और न उबाल कर, इसको आग में भूनकर इसके सिर, पांव तथा अंतड़ियां खानी है.
non comedetis ex eo crudum quid nec coctum aqua sed assum tantum igni caput cum pedibus eius et intestinis vorabitis
10 इसमें से दूसरे दिन के लिए कुछ भी नहीं बचाना और अगर बच जाता है तो उसे पूरा आग में जलाकर राख कर देना.
nec remanebit ex eo quicquam usque mane si quid residui fuerit igne conburetis
11 इसको खाते समय कमर पर कमरबंध बांधे, पांवों में जूते पहनकर हाथ में अपनी लाठी लेकर जल्दी से खाना; यही याहवेह का फ़सह पर्व होगा.
sic autem comedetis illum renes vestros accingetis calciamenta habebitis in pedibus tenentes baculos in manibus et comedetis festinantes est enim phase id est transitus Domini
12 “क्योंकि उस रात मैं मिस्र देश में से होकर निकलूंगा और मिस्र देश की सभी पहली संतान—चाहे मनुष्य का हो या पशु का, सबको मार दूंगा; मैं ही याहवेह हूं और मैं मिस्र देश के सब देवताओं का भी न्याय करूंगा.
et transibo per terram Aegypti nocte illa percutiamque omne primogenitum in terra Aegypti ab homine usque ad pecus et in cunctis diis Aegypti faciam iudicia ego Dominus
13 जिस घर के दरवाजे पर मेमने के रक्त का निशान होगा उस घर को मैं छोड़ दूंगा किंतु मिस्र का नाश होगा.
erit autem sanguis vobis in signum in aedibus in quibus eritis et videbo sanguinem ac transibo vos nec erit in vobis plaga disperdens quando percussero terram Aegypti
14 “याद रहे कि यह दिन तुम्हारे लिए एक यादगार दिन हो. यह दिन याहवेह के उत्सव के रूप में मनाया करना और—यह तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ियों के लिए हमेशा मनाए जाते रहने के लिए एक नियम बनाया जाए.
habebitis autem hanc diem in monumentum et celebrabitis eam sollemnem Domino in generationibus vestris cultu sempiterno
15 पहले दिन सब अपने-अपने घर से खमीर निकालकर फेंक देना और सात दिन तक बिना खमीर की रोटी खाना. अगर कोई इन सात दिनों में खमीर वाली रोटी खाएगा तो उसे इस्राएलियों के बीच से काट दिया जाएगा.
septem diebus azyma comedetis in die primo non erit fermentum in domibus vestris quicumque comederit fermentatum peribit anima illa de Israhel a primo die usque ad diem septimum
16 पहले और सातवें दिन पवित्र सभा होगी. इन दोनों दिनों में कोई भी काम न करना; केवल वे ही व्यक्ति काम करें जिन्हें खाना बनाना हो.
dies prima erit sancta atque sollemnis et dies septima eadem festivitate venerabilis nihil operis facietis in eis exceptis his quae ad vescendum pertinent
17 “तुम्हारा अखमीरी रोटी का पर्व मनाना ज़रूरी है; क्योंकि यही वह दिन है, जिस दिन मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला. यह एक यादगार दिन बनकर इन सब बातों को याद करते हुए यह उत्सव पीढ़ी से पीढ़ी तक मनाया जाए.
et observabitis azyma in eadem enim ipsa die educam exercitum vestrum de terra Aegypti et custodietis diem istum in generationes vestras ritu perpetuo
18 पहले महीने की चौदहवी तारीख को शाम को बिना खमीर रोटी खाना होगा और यही खाना इक्कीसवीं तारीख की शाम तक खाना.
primo mense quartadecima die mensis ad vesperam comedetis azyma usque ad diem vicesimam primam eiusdem mensis ad vesperam
19 इन सात दिनों में तुम्हारे घर में खमीर न रखना. और यदि कोई व्यक्ति खमीर वाला भोजन करता हुआ पाया गया, तो उसे इस्राएली प्रजा में से मिटा दिया जाएगा—चाहे वह विदेशी हो या स्वदेशी.
septem diebus fermentum non invenietur in domibus vestris qui comederit fermentatum peribit anima eius de coetu Israhel tam de advenis quam de indigenis terrae
20 किसी भी प्रकार का खमीर वाला भोजन करना मना है. अपने घरों में बिना खमीर की रोटी ही खाना.”
omne fermentatum non comedetis in cunctis habitaculis vestris edetis azyma
21 तब मोशेह ने इस्राएलियों के सब प्रधानों को बुलाया और उनसे कहा, “जाकर अपने-अपने परिवारों के अनुसार एक-एक मेमना अलग कर लो, और फ़सह के मेमने की बलि करना.
vocavit autem Moses omnes seniores filiorum Israhel et dixit ad eos ite tollentes animal per familias vestras immolate phase
22 जूफ़ा नामक झाड़ी का गुच्छा लेकर उसे मेमने के रक्त में डुबोना, और दरवाजे के दोनों तरफ तथा ऊपर लगाना. तुममें से कोई भी सुबह तक इस दरवाजे से बाहर नहीं निकले,
fasciculumque hysopi tinguite sanguine qui est in limine et aspergite ex eo superliminare et utrumque postem nullus vestrum egrediatur ostium domus suae usque mane
23 क्योंकि याहवेह उस समय मिस्रियों को मारते हुए निकल रहे होंगे. जिस घर के दरवाजे के दोनों तरफ और माथे पर मेमने का खून दिखेगा, उसे छोड़ते हुए आगे निकल जाएंगे और अंदर आकर किसी को नहीं मारेंगे.
transibit enim Dominus percutiens Aegyptios cumque viderit sanguinem in superliminari et in utroque poste transcendet ostium et non sinet percussorem ingredi domos vestras et laedere
24 “हमेशा तुम तथा तुम्हारी संतान इसे एक यादगार दिन के रूप में मनाया करना.
custodi verbum istud legitimum tibi et filiis tuis usque in aeternum
25 जब तुम उस देश में जाओगे, जिसे याहवेह तुम्हें देंगे, वहां भी तुम इन बातों को मानना.
cumque introieritis terram quam Dominus daturus est vobis ut pollicitus est observabitis caerimonias istas
26 जब तुम्हारे बालक तुमसे यह पूछें, ‘क्या मतलब है इस पर्व का जो मनाया जाता है?’
et cum dixerint vobis filii vestri quae est ista religio
27 तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह याहवेह के लिए फ़सह का बलिदान है, जिन्होंने मिस्रियों को मारते हुए हम इस्राएलियों को सुरक्षित रखा, अतः इसी कारण यह पर्व मनाया जाता है.’” फिर लोगों ने झुककर प्रणाम किया और परमेश्वर की आराधना की!
dicetis eis victima transitus Domini est quando transivit super domos filiorum Israhel in Aegypto percutiens Aegyptios et domos nostras liberans incurvatusque populus adoravit
28 इस्राएलियों ने वैसा ही किया; जैसा याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन से कहा था.
et egressi filii Israhel fecerunt sicut praeceperat Dominus Mosi et Aaron
29 लगभग आधी रात को याहवेह ने मिस्र देश में सभी पहिलौंठों को मार दिया, फ़रोह से लेकर तथा जो बंदीगृह में थे और पशुओं के भी पहलौठे को मार दिया.
factum est autem in noctis medio percussit Dominus omne primogenitum in terra Aegypti a primogenito Pharaonis qui sedebat in solio eius usque ad primogenitum captivae quae erat in carcere et omne primogenitum iumentorum
30 रात में फ़रोह, उसके सेवक तथा सब मिस्रवासी जाग उठे क्योंकि पूरे मिस्र देश में रोने का शब्द सुनाई दे रहा था, कोई भी ऐसा परिवार न था, जहां किसी की मृत्यु न हुई हो.
surrexitque Pharao nocte et omnes servi eius cunctaque Aegyptus et ortus est clamor magnus in Aegypto neque enim erat domus in qua non iaceret mortuus
31 अतः फ़रोह ने रात में ही मोशेह तथा अहरोन को बुलवाया और उनसे कहा, “यहां से निकल जाओ और जैसा तुम चाहते हो, तुम इस्राएलियों समेत जाकर याहवेह की वंदना करो.
vocatisque Mosen et Aaron nocte ait surgite egredimini a populo meo et vos et filii Israhel ite immolate Domino sicut dicitis
32 अपने पशु एवं भेड़-बकरी भी अपने साथ ले जाओ, और मुझे आशीर्वाद देते जाना.”
oves vestras et armenta adsumite ut petieratis et abeuntes benedicite mihi
33 मिस्रवासी इस्राएलियों को जल्दी अपने बीच से भेज देना चाहते थे, क्योंकि उनको डर था कि कहीं उनकी भी मृत्यु न हो जाये.
urguebantque Aegyptii populum de terra exire velociter dicentes omnes moriemur
34 इससे पहले कि इस्राएलियों का गूंधा हुआ आटा खमीर हो जाये, उन्होंने उसे कटोरे में रखकर और कपड़ों में बांधकर अपने कंधों पर उठा लिया.
tulit igitur populus conspersam farinam antequam fermentaretur et ligans in palliis posuit super umeros suos
35 इस्राएल वंश ने बिलकुल वही किया, जैसा उनसे मोशेह ने कहा था. उन्होंने मिस्र के लोगों से सोने-चांदी के गहने और वस्त्र मांग लिए थे.
feceruntque filii Israhel sicut praeceperat Moses et petierunt ab Aegyptiis vasa argentea et aurea vestemque plurimam
36 याहवेह ने इस्राएलियों को मिस्र के लोगों के मन में उनके प्रति ऐसी मनोवृत्ति दी कि मिस्रवासी इस्राएलियों की इच्छा पूरी करते गए. इस प्रकार इस्राएलियों ने पूरे मिस्रवासियों को लूट लिया.
dedit autem Dominus gratiam populo coram Aegyptiis ut commodarent eis et spoliaverunt Aegyptios
37 इस्राएली रामेसेस नामक स्थान से पैदल चलकर सुक्कोथ तक पहुंचे. इनमें स्त्रियों और बच्चों के अलावा छः लाख पुरुष थे.
profectique sunt filii Israhel de Ramesse in Soccoth sescenta ferme milia peditum virorum absque parvulis
38 इन इस्राएलियों के साथ बहुत से मिश्रित वर्ग के लोग भी निकले और भेड़-बकरी, गाय-बैल और बहुत से पशु थे.
sed et vulgus promiscuum innumerabile ascendit cum eis oves et armenta et animantia diversi generis multa nimis
39 उन्होंने गूंधे हुए आटे से, जो वे मिस्र देश से अपने साथ लाए थे, अपने लिए अखमीरी रोटियां बनाईं. क्योंकि वे मिस्र देश से बहुत जल्दी में निकाले गए थे, उनको वहां रुकने की और हिम्मत नहीं थी. वे तुरंत वहां से निकले और उन्हें अपने लिए खाना बनाने का भी समय नहीं मिला.
coxeruntque farinam quam dudum conspersam de Aegypto tulerant et fecerunt subcinericios panes azymos neque enim poterant fermentari cogentibus exire Aegyptiis et nullam facere sinentibus moram nec pulmenti quicquam occurrerant praeparare
40 मिस्र देश में इस्राएली चार सौ तीस वर्ष तक रहे.
habitatio autem filiorum Israhel qua manserant in Aegypto fuit quadringentorum triginta annorum
41 जिस दिन चार सौ तीस वर्ष पूरे हुए, उसी दिन याहवेह की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई.
quibus expletis eadem die egressus est omnis exercitus Domini de terra Aegypti
42 जिस रात वे सब मिस्र से निकले वह रात उनके लिए विशेष रात कहलाई, यह याहवेह की महिमा की रात थी. जिसे, इस्राएल के सभी लोगों को तथा उनकी पूरी पीढ़ियों को, उस दिन को महत्व देना ज़रूरी था.
nox est ista observabilis Domini quando eduxit eos de terra Aegypti hanc observare debent omnes filii Israhel in generationibus suis
43 याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन को फ़सह का नियम समझाया: “इस्राएलियों के अलावा कोई भी परदेशी इस भोजन को न खाए.
dixitque Dominus ad Mosen et Aaron haec est religio phase omnis alienigena non comedet ex eo
44 लेकिन जिस व्यक्ति को दाम देकर दास के रूप में खरीदा हो और उसका ख़तना कर लिया हो, वह व्यक्ति इस भोजन को खा सकता है.
omnis autem servus empticius circumcidetur et sic comedet
45 कोई भी परदेशी और मज़दूर इसमें शामिल न किया जाए.
advena et mercennarius non edent ex eo
46 “खाना एक ही घर में रहकर खाया जाए, और मांस का कोई भी टुकड़ा घर के बाहर न ले जाया जाए और मेमने की हड्डी भी न तोड़ी जाए.
in una domo comedetur nec efferetis de carnibus eius foras nec os illius confringetis
47 सभी इस्राएली इस उत्सव में शामिल हों.
omnis coetus filiorum Israhel faciet illud
48 “यदि कोई परदेशी मेहमान इस फ़सह में शामिल होना चाहता है तो, पहले सारे पुरुषों का ख़तना करके याहवेह के उस पर्व में उसे साथ लिया जा सकता है; तब वह उस देश के ही लोग समान हो जाएगा; लेकिन कोई भी बिना ख़तना किए इसमें शामिल न हो.
quod si quis peregrinorum in vestram voluerit transire coloniam et facere phase Domini circumcidetur prius omne masculinum eius et tunc rite celebrabit eritque sicut indigena terrae si quis autem circumcisus non fuerit non vescetur ex eo
49 नियम स्वदेशी और विदेशी सबके लिए एक जैसा ही हो.”
eadem lex erit indigenae et colono qui peregrinatur apud vos
50 सभी इस्राएलियों ने जैसा मोशेह तथा अहरोन को याहवेह ने आदेश दिया वैसा ही किया.
fecerunt omnes filii Israhel sicut praeceperat Dominus Mosi et Aaron
51 यह वही दिन था, जब याहवेह ने इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाला था.
et in eadem die eduxit Dominus filios Israhel de terra Aegypti per turmas suas