< निर्गमन 12 >

1 याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन से कहा,
וַיֹּאמֶר יְהוָה אֶל־מֹשֶׁה וְאֶֽל־אַהֲרֹן בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם לֵאמֹֽר׃
2 “तुम्हारे लिए यह महीना साल का पहला महीना होगा.
הַחֹדֶשׁ הַזֶּה לָכֶם רֹאשׁ חֳדָשִׁים רִאשׁוֹן הוּא לָכֶם לְחָדְשֵׁי הַשָּׁנָֽה׃
3 सब इस्राएलियों को बता दो कि इस महीने की दस तारीख को अपने-अपने परिवार के लिए एक-एक मेमना चुनकर अलग कर ले.
דַּבְּרוּ אֶֽל־כָּל־עֲדַת יִשְׂרָאֵל לֵאמֹר בֶּעָשֹׂר לַחֹדֶשׁ הַזֶּה וְיִקְחוּ לָהֶם אִישׁ שֶׂה לְבֵית־אָבֹת שֶׂה לַבָּֽיִת׃
4 यदि एक परिवार एक पूरे जानवर को खाने के लिए बहुत छोटा है, तो उसे पड़ोस में दूसरे परिवार के साथ विभाग करना. प्रत्येक परिवार के आकार के अनुसार जानवर को विभाजित करें जितना वे खा सकते हैं.
וְאִם־יִמְעַט הַבַּיִת מִהְיֹת מִשֶּׂה וְלָקַח הוּא וּשְׁכֵנוֹ הַקָּרֹב אֶל־בֵּיתוֹ בְּמִכְסַת נְפָשֹׁת אִישׁ לְפִי אָכְלוֹ תָּכֹסּוּ עַל־הַשֶּֽׂה׃
5 मेमना एक साल का नर हो, मेमने में कोई दोष न हो और यह भेड़ में से या बकरियों में से लिया जा सकता है.
שֶׂה תָמִים זָכָר בֶּן־שָׁנָה יִהְיֶה לָכֶם מִן־הַכְּבָשִׂים וּמִן־הָעִזִּים תִּקָּֽחוּ׃
6 लेकिन इसी महीने के चौदहवें दिन तक मेमने का खास ध्यान रखना. फिर पूरे इस्राएली लोग मिलकर सूरज ढलने पर इसे बलि चढ़ाना.
וְהָיָה לָכֶם לְמִשְׁמֶרֶת עַד אַרְבָּעָה עָשָׂר יוֹם לַחֹדֶשׁ הַזֶּה וְשָׁחֲטוּ אֹתוֹ כֹּל קְהַל עֲדַֽת־יִשְׂרָאֵל בֵּין הָעַרְבָּֽיִם׃
7 वे जिस घर में मेमने को खाएंगे, उस घर के दरवाजे के दोनों तरफ और दरवाजे के माथे पर मेमने का खून लगाएं.
וְלָֽקְחוּ מִן־הַדָּם וְנָתְנוּ עַל־שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת וְעַל־הַמַּשְׁקוֹף עַל הַבָּתִּים אֲשֶׁר־יֹאכְלוּ אֹתוֹ בָּהֶֽם׃
8 ज़रूरी है कि इस मेमने का मांस उसी रात को आग में भूनकर, बिना खमीर की रोटी और कड़वी सब्जी के साथ खाएं.
וְאָכְלוּ אֶת־הַבָּשָׂר בַּלַּיְלָה הַזֶּה צְלִי־אֵשׁ וּמַצּוֹת עַל־מְרֹרִים יֹאכְלֻֽהוּ׃
9 यह मांस न तो कच्चा खाएं और न उबाल कर, इसको आग में भूनकर इसके सिर, पांव तथा अंतड़ियां खानी है.
אַל־תֹּאכְלוּ מִמֶּנּוּ נָא וּבָשֵׁל מְבֻשָּׁל בַּמָּיִם כִּי אִם־צְלִי־אֵשׁ רֹאשׁוֹ עַל־כְּרָעָיו וְעַל־קִרְבּֽוֹ׃
10 इसमें से दूसरे दिन के लिए कुछ भी नहीं बचाना और अगर बच जाता है तो उसे पूरा आग में जलाकर राख कर देना.
וְלֹא־תוֹתִירוּ מִמֶּנּוּ עַד־בֹּקֶר וְהַנֹּתָר מִמֶּנּוּ עַד־בֹּקֶר בָּאֵשׁ תִּשְׂרֹֽפוּ׃
11 इसको खाते समय कमर पर कमरबंध बांधे, पांवों में जूते पहनकर हाथ में अपनी लाठी लेकर जल्दी से खाना; यही याहवेह का फ़सह पर्व होगा.
וְכָכָה תֹּאכְלוּ אֹתוֹ מָתְנֵיכֶם חֲגֻרִים נֽ͏ַעֲלֵיכֶם בְּרַגְלֵיכֶם וּמַקֶּלְכֶם בְּיֶדְכֶם וַאֲכַלְתֶּם אֹתוֹ בְּחִפָּזוֹן פֶּסַח הוּא לַיהוָֽה׃
12 “क्योंकि उस रात मैं मिस्र देश में से होकर निकलूंगा और मिस्र देश की सभी पहली संतान—चाहे मनुष्य का हो या पशु का, सबको मार दूंगा; मैं ही याहवेह हूं और मैं मिस्र देश के सब देवताओं का भी न्याय करूंगा.
וְעָבַרְתִּי בְאֶֽרֶץ־מִצְרַיִם בַּלַּיְלָה הַזֶּה וְהִכֵּיתִי כָל־בְּכוֹר בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם מֵאָדָם וְעַד־בְּהֵמָה וּבְכָל־אֱלֹהֵי מִצְרַיִם אֶֽעֱשֶׂה שְׁפָטִים אֲנִי יְהוָֽה׃
13 जिस घर के दरवाजे पर मेमने के रक्त का निशान होगा उस घर को मैं छोड़ दूंगा किंतु मिस्र का नाश होगा.
וְהָיָה הַדָּם לָכֶם לְאֹת עַל הַבָּתִּים אֲשֶׁר אַתֶּם שָׁם וְרָאִיתִי אֶת־הַדָּם וּפָסַחְתִּי עֲלֵכֶם וְלֹֽא־יִֽהְיֶה בָכֶם נֶגֶף לְמַשְׁחִית בְּהַכֹּתִי בְּאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃
14 “याद रहे कि यह दिन तुम्हारे लिए एक यादगार दिन हो. यह दिन याहवेह के उत्सव के रूप में मनाया करना और—यह तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ियों के लिए हमेशा मनाए जाते रहने के लिए एक नियम बनाया जाए.
וְהָיָה הַיּוֹם הַזֶּה לָכֶם לְזִכָּרוֹן וְחַגֹּתֶם אֹתוֹ חַג לַֽיהוָה לְדֹרֹתֵיכֶם חֻקַּת עוֹלָם תְּחָגֻּֽהוּ׃
15 पहले दिन सब अपने-अपने घर से खमीर निकालकर फेंक देना और सात दिन तक बिना खमीर की रोटी खाना. अगर कोई इन सात दिनों में खमीर वाली रोटी खाएगा तो उसे इस्राएलियों के बीच से काट दिया जाएगा.
שִׁבְעַת יָמִים מַצּוֹת תֹּאכֵלוּ אַךְ בַּיּוֹם הָרִאשׁוֹן תַּשְׁבִּיתוּ שְּׂאֹר מִבָּתֵּיכֶם כִּי ׀ כָּל־אֹכֵל חָמֵץ וְנִכְרְתָה הַנֶּפֶשׁ הַהִוא מִיִּשְׂרָאֵל מִיּוֹם הָרִאשֹׁן עַד־יוֹם הַשְּׁבִעִֽי׃
16 पहले और सातवें दिन पवित्र सभा होगी. इन दोनों दिनों में कोई भी काम न करना; केवल वे ही व्यक्ति काम करें जिन्हें खाना बनाना हो.
וּבַיּוֹם הָרִאשׁוֹן מִקְרָא־קֹדֶשׁ וּבַיּוֹם הַשְּׁבִיעִי מִקְרָא־קֹדֶשׁ יִהְיֶה לָכֶם כָּל־מְלָאכָה לֹא־יֵעָשֶׂה בָהֶם אַךְ אֲשֶׁר יֵאָכֵל לְכָל־נֶפֶשׁ הוּא לְבַדּוֹ יֵעָשֶׂה לָכֶֽם׃
17 “तुम्हारा अखमीरी रोटी का पर्व मनाना ज़रूरी है; क्योंकि यही वह दिन है, जिस दिन मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला. यह एक यादगार दिन बनकर इन सब बातों को याद करते हुए यह उत्सव पीढ़ी से पीढ़ी तक मनाया जाए.
וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַמַּצּוֹת כִּי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה הוֹצֵאתִי אֶת־צִבְאוֹתֵיכֶם מֵאֶרֶץ מִצְרָיִם וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַיּוֹם הַזֶּה לְדֹרֹתֵיכֶם חֻקַּת עוֹלָֽם׃
18 पहले महीने की चौदहवी तारीख को शाम को बिना खमीर रोटी खाना होगा और यही खाना इक्कीसवीं तारीख की शाम तक खाना.
בָּרִאשֹׁן בְּאַרְבָּעָה עָשָׂר יוֹם לַחֹדֶשׁ בָּעֶרֶב תֹּאכְלוּ מַצֹּת עַד יוֹם הָאֶחָד וְעֶשְׂרִים לַחֹדֶשׁ בָּעָֽרֶב׃
19 इन सात दिनों में तुम्हारे घर में खमीर न रखना. और यदि कोई व्यक्ति खमीर वाला भोजन करता हुआ पाया गया, तो उसे इस्राएली प्रजा में से मिटा दिया जाएगा—चाहे वह विदेशी हो या स्वदेशी.
שִׁבְעַת יָמִים שְׂאֹר לֹא יִמָּצֵא בְּבָתֵּיכֶם כִּי ׀ כָּל־אֹכֵל מַחְמֶצֶת וְנִכְרְתָה הַנֶּפֶשׁ הַהִוא מֵעֲדַת יִשְׂרָאֵל בַּגֵּר וּבְאֶזְרַח הָאָֽרֶץ׃
20 किसी भी प्रकार का खमीर वाला भोजन करना मना है. अपने घरों में बिना खमीर की रोटी ही खाना.”
כָּל־מַחְמֶצֶת לֹא תֹאכֵלוּ בְּכֹל מוֹשְׁבֹתֵיכֶם תֹּאכְלוּ מַצּֽוֹת׃
21 तब मोशेह ने इस्राएलियों के सब प्रधानों को बुलाया और उनसे कहा, “जाकर अपने-अपने परिवारों के अनुसार एक-एक मेमना अलग कर लो, और फ़सह के मेमने की बलि करना.
וַיִּקְרָא מֹשֶׁה לְכָל־זִקְנֵי יִשְׂרָאֵל וַיֹּאמֶר אֲלֵהֶם מִֽשְׁכוּ וּקְחוּ לָכֶם צֹאן לְמִשְׁפְּחֹתֵיכֶם וְשַׁחֲטוּ הַפָּֽסַח׃
22 जूफ़ा नामक झाड़ी का गुच्छा लेकर उसे मेमने के रक्त में डुबोना, और दरवाजे के दोनों तरफ तथा ऊपर लगाना. तुममें से कोई भी सुबह तक इस दरवाजे से बाहर नहीं निकले,
וּלְקַחְתֶּם אֲגֻדַּת אֵזוֹב וּטְבַלְתֶּם בַּדָּם אֲשֶׁר־בַּסַּף וְהִגַּעְתֶּם אֶל־הַמַּשְׁקוֹף וְאֶל־שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת מִן־הַדָּם אֲשֶׁר בַּסָּף וְאַתֶּם לֹא תֵצְאוּ אִישׁ מִפֶּֽתַח־בֵּיתוֹ עַד־בֹּֽקֶר׃
23 क्योंकि याहवेह उस समय मिस्रियों को मारते हुए निकल रहे होंगे. जिस घर के दरवाजे के दोनों तरफ और माथे पर मेमने का खून दिखेगा, उसे छोड़ते हुए आगे निकल जाएंगे और अंदर आकर किसी को नहीं मारेंगे.
וְעָבַר יְהוָה לִנְגֹּף אֶת־מִצְרַיִם וְרָאָה אֶת־הַדָּם עַל־הַמַּשְׁקוֹף וְעַל שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת וּפָסַח יְהוָה עַל־הַפֶּתַח וְלֹא יִתֵּן הַמַּשְׁחִית לָבֹא אֶל־בָּתֵּיכֶם לִנְגֹּֽף׃
24 “हमेशा तुम तथा तुम्हारी संतान इसे एक यादगार दिन के रूप में मनाया करना.
וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַדָּבָר הַזֶּה לְחָק־לְךָ וּלְבָנֶיךָ עַד־עוֹלָֽם׃
25 जब तुम उस देश में जाओगे, जिसे याहवेह तुम्हें देंगे, वहां भी तुम इन बातों को मानना.
וְהָיָה כִּֽי־תָבֹאוּ אֶל־הָאָרֶץ אֲשֶׁר יִתֵּן יְהוָה לָכֶם כַּאֲשֶׁר דִּבֵּר וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הָעֲבֹדָה הַזֹּֽאת׃
26 जब तुम्हारे बालक तुमसे यह पूछें, ‘क्या मतलब है इस पर्व का जो मनाया जाता है?’
וְהָיָה כִּֽי־יֹאמְרוּ אֲלֵיכֶם בְּנֵיכֶם מָה הָעֲבֹדָה הַזֹּאת לָכֶֽם׃
27 तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह याहवेह के लिए फ़सह का बलिदान है, जिन्होंने मिस्रियों को मारते हुए हम इस्राएलियों को सुरक्षित रखा, अतः इसी कारण यह पर्व मनाया जाता है.’” फिर लोगों ने झुककर प्रणाम किया और परमेश्वर की आराधना की!
וַאֲמַרְתֶּם זֶֽבַח־פֶּסַח הוּא לַֽיהוָה אֲשֶׁר פָּסַח עַל־בָּתֵּי בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל בְּמִצְרַיִם בְּנָגְפּוֹ אֶת־מִצְרַיִם וְאֶת־בָּתֵּינוּ הִצִּיל וַיִּקֹּד הָעָם וַיִּֽשְׁתַּחֲוּֽוּ׃
28 इस्राएलियों ने वैसा ही किया; जैसा याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन से कहा था.
וַיֵּלְכוּ וַֽיַּעֲשׂוּ בְּנֵי יִשְׂרָאֵל כַּאֲשֶׁר צִוָּה יְהוָה אֶת־מֹשֶׁה וְאַהֲרֹן כֵּן עָשֽׂוּ׃
29 लगभग आधी रात को याहवेह ने मिस्र देश में सभी पहिलौंठों को मार दिया, फ़रोह से लेकर तथा जो बंदीगृह में थे और पशुओं के भी पहलौठे को मार दिया.
וַיְהִי ׀ בַּחֲצִי הַלַּיְלָה וַֽיהוָה הִכָּה כָל־בְּכוֹר בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם מִבְּכֹר פַּרְעֹה הַיֹּשֵׁב עַל־כִּסְאוֹ עַד בְּכוֹר הַשְּׁבִי אֲשֶׁר בְּבֵית הַבּוֹר וְכֹל בְּכוֹר בְּהֵמָֽה׃
30 रात में फ़रोह, उसके सेवक तथा सब मिस्रवासी जाग उठे क्योंकि पूरे मिस्र देश में रोने का शब्द सुनाई दे रहा था, कोई भी ऐसा परिवार न था, जहां किसी की मृत्यु न हुई हो.
וַיָּקָם פַּרְעֹה לַיְלָה הוּא וְכָל־עֲבָדָיו וְכָל־מִצְרַיִם וַתְּהִי צְעָקָה גְדֹלָה בְּמִצְרָיִם כִּֽי־אֵין בַּיִת אֲשֶׁר אֵֽין־שָׁם מֵֽת׃
31 अतः फ़रोह ने रात में ही मोशेह तथा अहरोन को बुलवाया और उनसे कहा, “यहां से निकल जाओ और जैसा तुम चाहते हो, तुम इस्राएलियों समेत जाकर याहवेह की वंदना करो.
וַיִּקְרָא לְמֹשֶׁה וּֽלְאַהֲרֹן לַיְלָה וַיֹּאמֶר קוּמוּ צְּאוּ מִתּוֹךְ עַמִּי גַּם־אַתֶּם גַּם־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל וּלְכוּ עִבְדוּ אֶת־יְהוָה כְּדַבֶּרְכֶֽם׃
32 अपने पशु एवं भेड़-बकरी भी अपने साथ ले जाओ, और मुझे आशीर्वाद देते जाना.”
גַּם־צֹאנְכֶם גַּם־בְּקַרְכֶם קְחוּ כַּאֲשֶׁר דִּבַּרְתֶּם וָלֵכוּ וּבֵֽרַכְתֶּם גַּם־אֹתִֽי׃
33 मिस्रवासी इस्राएलियों को जल्दी अपने बीच से भेज देना चाहते थे, क्योंकि उनको डर था कि कहीं उनकी भी मृत्यु न हो जाये.
וַתֶּחֱזַק מִצְרַיִם עַל־הָעָם לְמַהֵר לְשַׁלְּחָם מִן־הָאָרֶץ כִּי אָמְרוּ כֻּלָּנוּ מֵתִֽים׃
34 इससे पहले कि इस्राएलियों का गूंधा हुआ आटा खमीर हो जाये, उन्होंने उसे कटोरे में रखकर और कपड़ों में बांधकर अपने कंधों पर उठा लिया.
וַיִּשָּׂא הָעָם אֶת־בְּצֵקוֹ טֶרֶם יֶחְמָץ מִשְׁאֲרֹתָם צְרֻרֹת בְּשִׂמְלֹתָם עַל־שִׁכְמָֽם׃
35 इस्राएल वंश ने बिलकुल वही किया, जैसा उनसे मोशेह ने कहा था. उन्होंने मिस्र के लोगों से सोने-चांदी के गहने और वस्त्र मांग लिए थे.
וּבְנֵי־יִשְׂרָאֵל עָשׂוּ כִּדְבַר מֹשֶׁה וַֽיִּשְׁאֲלוּ מִמִּצְרַיִם כְּלֵי־כֶסֶף וּכְלֵי זָהָב וּשְׂמָלֹֽת׃
36 याहवेह ने इस्राएलियों को मिस्र के लोगों के मन में उनके प्रति ऐसी मनोवृत्ति दी कि मिस्रवासी इस्राएलियों की इच्छा पूरी करते गए. इस प्रकार इस्राएलियों ने पूरे मिस्रवासियों को लूट लिया.
וַֽיהוָה נָתַן אֶת־חֵן הָעָם בְּעֵינֵי מִצְרַיִם וַיַּשְׁאִלוּם וַֽיְנַצְּלוּ אֶת־מִצְרָֽיִם׃
37 इस्राएली रामेसेस नामक स्थान से पैदल चलकर सुक्कोथ तक पहुंचे. इनमें स्त्रियों और बच्चों के अलावा छः लाख पुरुष थे.
וַיִּסְעוּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל מֵרַעְמְסֵס סֻכֹּתָה כְּשֵׁשׁ־מֵאוֹת אֶלֶף רַגְלִי הַגְּבָרִים לְבַד מִטָּֽף׃
38 इन इस्राएलियों के साथ बहुत से मिश्रित वर्ग के लोग भी निकले और भेड़-बकरी, गाय-बैल और बहुत से पशु थे.
וְגַם־עֵרֶב רַב עָלָה אִתָּם וְצֹאן וּבָקָר מִקְנֶה כָּבֵד מְאֹֽד׃
39 उन्होंने गूंधे हुए आटे से, जो वे मिस्र देश से अपने साथ लाए थे, अपने लिए अखमीरी रोटियां बनाईं. क्योंकि वे मिस्र देश से बहुत जल्दी में निकाले गए थे, उनको वहां रुकने की और हिम्मत नहीं थी. वे तुरंत वहां से निकले और उन्हें अपने लिए खाना बनाने का भी समय नहीं मिला.
וַיֹּאפוּ אֶת־הַבָּצֵק אֲשֶׁר הוֹצִיאוּ מִמִּצְרַיִם עֻגֹת מַצּוֹת כִּי לֹא חָמֵץ כִּֽי־גֹרְשׁוּ מִמִּצְרַיִם וְלֹא יָֽכְלוּ לְהִתְמַהְמֵהַּ וְגַם־צֵדָה לֹא־עָשׂוּ לָהֶֽם׃
40 मिस्र देश में इस्राएली चार सौ तीस वर्ष तक रहे.
וּמוֹשַׁב בְּנֵי יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר יָשְׁבוּ בְּמִצְרָיִם שְׁלֹשִׁים שָׁנָה וְאַרְבַּע מֵאוֹת שָׁנָֽה׃
41 जिस दिन चार सौ तीस वर्ष पूरे हुए, उसी दिन याहवेह की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई.
וַיְהִי מִקֵּץ שְׁלֹשִׁים שָׁנָה וְאַרְבַּע מֵאוֹת שָׁנָה וַיְהִי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה יָֽצְאוּ כָּל־צִבְאוֹת יְהוָה מֵאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃
42 जिस रात वे सब मिस्र से निकले वह रात उनके लिए विशेष रात कहलाई, यह याहवेह की महिमा की रात थी. जिसे, इस्राएल के सभी लोगों को तथा उनकी पूरी पीढ़ियों को, उस दिन को महत्व देना ज़रूरी था.
לֵיל שִׁמֻּרִים הוּא לַֽיהוָה לְהוֹצִיאָם מֵאֶרֶץ מִצְרָיִם הֽוּא־הַלַּיְלָה הַזֶּה לַֽיהוָה שִׁמֻּרִים לְכָל־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל לְדֹרֹתָֽם׃
43 याहवेह ने मोशेह एवं अहरोन को फ़सह का नियम समझाया: “इस्राएलियों के अलावा कोई भी परदेशी इस भोजन को न खाए.
וַיֹּאמֶר יְהוָה אֶל־מֹשֶׁה וְאַהֲרֹן זֹאת חֻקַּת הַפָּסַח כָּל־בֶּן־נֵכָר לֹא־יֹאכַל בּֽוֹ׃
44 लेकिन जिस व्यक्ति को दाम देकर दास के रूप में खरीदा हो और उसका ख़तना कर लिया हो, वह व्यक्ति इस भोजन को खा सकता है.
וְכָל־עֶבֶד אִישׁ מִקְנַת־כָּסֶף וּמַלְתָּה אֹתוֹ אָז יֹאכַל בּֽוֹ׃
45 कोई भी परदेशी और मज़दूर इसमें शामिल न किया जाए.
תּוֹשָׁב וְשָׂכִיר לֹא־יֹאכַל־בּֽוֹ׃
46 “खाना एक ही घर में रहकर खाया जाए, और मांस का कोई भी टुकड़ा घर के बाहर न ले जाया जाए और मेमने की हड्डी भी न तोड़ी जाए.
בְּבַיִת אֶחָד יֵאָכֵל לֹא־תוֹצִיא מִן־הַבַּיִת מִן־הַבָּשָׂר חוּצָה וְעֶצֶם לֹא תִשְׁבְּרוּ־בֽוֹ׃
47 सभी इस्राएली इस उत्सव में शामिल हों.
כָּל־עֲדַת יִשְׂרָאֵל יַעֲשׂוּ אֹתֽוֹ׃
48 “यदि कोई परदेशी मेहमान इस फ़सह में शामिल होना चाहता है तो, पहले सारे पुरुषों का ख़तना करके याहवेह के उस पर्व में उसे साथ लिया जा सकता है; तब वह उस देश के ही लोग समान हो जाएगा; लेकिन कोई भी बिना ख़तना किए इसमें शामिल न हो.
וְכִֽי־יָגוּר אִתְּךָ גֵּר וְעָשָׂה פֶסַח לַיהוָה הִמּוֹל לוֹ כָל־זָכָר וְאָז יִקְרַב לַעֲשֹׂתוֹ וְהָיָה כְּאֶזְרַח הָאָרֶץ וְכָל־עָרֵל לֹֽא־יֹאכַל בּֽוֹ׃
49 नियम स्वदेशी और विदेशी सबके लिए एक जैसा ही हो.”
תּוֹרָה אַחַת יִהְיֶה לָֽאֶזְרָח וְלַגֵּר הַגָּר בְּתוֹכְכֶֽם׃
50 सभी इस्राएलियों ने जैसा मोशेह तथा अहरोन को याहवेह ने आदेश दिया वैसा ही किया.
וַיּֽ͏ַעֲשׂוּ כָּל־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל כַּאֲשֶׁר צִוָּה יְהוָה אֶת־מֹשֶׁה וְאֶֽת־אַהֲרֹן כֵּן עָשֽׂוּ׃
51 यह वही दिन था, जब याहवेह ने इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाला था.
וַיְהִי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה הוֹצִיא יְהוָה אֶת־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל מֵאֶרֶץ מִצְרַיִם עַל־צִבְאֹתָֽם׃

< निर्गमन 12 >