< सभोपदेशक 11 >
1 पानी के ऊपर अपनी रोटी डाल दो; क्योंकि बहुत दिनों के बाद यह तुम्हें दोबारा मिल जाएगी.
Mitte panem tuum super transeuntes aquas: quia post tempora multa invenies illum.
2 अपना अंश सात भागों बल्कि आठ भागों में बांट दो, क्योंकि तुम्हें यह पता ही नहीं कि पृथ्वी पर क्या हो जाए!
Da partes septem, necnon et octo: quia ignoras quid futurum sit mali super terram.
3 अगर बादल पानी से भरे होते हैं, तो वे धरती पर जल बरसाते हैं. और पेड़ चाहे दक्षिण की ओर गिरे या उत्तर की ओर, यह उसी जगह पर पड़ा रहता है जहां यह गिरता है.
Si repletae fuerint nubes, imbrem super terram effundent. Si ceciderit lignum ad Austrum, aut ad Aquilonem, in quocumque loco ceciderit, ibi erit.
4 जो व्यक्ति हवा को देखता है वह बीज नहीं बो पाएगा; और जो बादलों को देखता है वह उपज नहीं काटेगा.
Qui observat ventum, non seminat: et qui considerat nubes, numquam metet.
5 जिस तरह तुम्हें हवा के मार्ग और गर्भवती स्त्री के गर्भ में हड्डियों के बनने के बारे में मालूम नहीं, उसी तरह सारी चीज़ों के बनानेवाले परमेश्वर के काम के बारे में तुम्हें मालूम कैसे होगा?
Quomodo ignoras quae sit via spiritus, et qua ratione compingantur ossa in ventre praegnantis; sic nescis opera Dei, qui fabricator est omnium.
6 बीज सुबह-सुबह ही बो देना और शाम में भी आराम न करना क्योंकि तुम्हें यह मालूम नहीं है, कि सुबह या शाम का बीज बोना फलदायी होगा या दोनों ही एक बराबर अच्छे होंगे.
Mane semina semen tuum, et vespere ne cesset manus tua: quia nescis quid magis oriatur, hoc aut illud: et si utrumque simul, melius erit.
7 उजाला मनभावन होता है, और आंखों के लिए सूरज सुखदायी.
Dulce lumen, et delectabile est oculis videre solem.
8 अगर किसी व्यक्ति की उम्र बड़ी है, तो उसे अपने जीवनकाल में आनंदित रहने दो. किंतु वह अपने अंधकार भरे दिन भुला न दे क्योंकि वे बहुत होंगे. ज़रूरी है कि हर एक चीज़ बेकार ही होगी.
Si annis multis vixerit homo, et in his omnibus laetatus fuerit, meminisse debet tenebrosi temporis, et dierum multorum: qui cum venerint, vanitatis arguentur praeterita.
9 हे जवान! अपनी जवानी में आनंदित रहो, इसमें तुम्हारा हृदय तुम्हें आनंदित करे. अपने हृदय और अपनी आंखों की इच्छा पूरी करो. किंतु तुम्हें यह याद रहे कि परमेश्वर इन सभी कामों के बारे में तुम पर न्याय और दंड लाएंगे.
Laetare ergo iuvenis in adolescentia tua, et in bono sit cor tuum in diebus iuventutis tuae, et ambula in viis cordis tui, et in intuitu oculorum tuorum: et scito quod pro omnibus his adducet te Deus in iudicium.
10 अपने हृदय से क्रोध और अपने शरीर से बुराई करना छोड़ दो क्योंकि बचपन, और जवानी भी बेकार ही हैं.
Aufer iram a corde tuo, et amove malitiam a carne tua. Adolescentia enim et voluptas vana sunt.