< सभोपदेशक 1 >

1 दावीद के पुत्र, येरूशलेम में राजा, दार्शनिक के वचन:
[I am Solomon], the son of [King] David. [I rule] in Jerusalem [and people call me] ‘The (Preacher/Religious Teacher)’.
2 “बेकार ही बेकार!” दार्शनिक का कहना है. “बेकार ही बेकार! बेकार है सब कुछ.”
I say that everything is mysterious; everything is hard for me to understand; it is difficult to understand why everything happens.
3 सूरज के नीचे मनुष्य द्वारा किए गए कामों से उसे क्या मिलता है?
(What do people gain from all the work that they do here on the earth?/It seems that people gain no lasting benefit from all the work that they do here on the earth.) [RHQ]
4 एक पीढ़ी खत्म होती है और दूसरी आती है, मगर पृथ्वी हमेशा बनी रहती है.
[Each year] old people die and babies are born, but the earth never changes.
5 सूरज उगता है, सूरज डूबता है, और बिना देर किए अपने निकलने की जगह पर पहुंच दोबारा उगता है.
[Each morning] the sun rises, and [each evening] it sets, and [then] it hurries around to where it started from.
6 दक्षिण की ओर बहती हुई हवा उत्तर दिशा में मुड़कर निरंतर घूमते हुए अपने घेरे में लौट आती है.
The wind blows south, and then it [turns around to start blowing towards] the north. It goes around and around in circles.
7 हालांकि सारी नदियां सागर में मिल जाती हैं, मगर इससे सागर भर नहीं जाता. नदियां दोबारा उसी जगह पर बहने लगती हैं, जहां वे बह रही थीं.
All the streams flow into the sea, but the sea is never full. The water returns [to the sky], and [when it rains], the water returns to the rivers, and it flows again to the sea.
8 इतना थकाने वाला है सभी कुछ, कि मनुष्य के लिए इसका वर्णन संभव नहीं. आंखें देखने से तृप्‍त नहीं होतीं, और न कान सुनने से संतुष्ट.
Everything is boring, [with the result that] we do not even want to talk about it. We [SYN] see things, but we always want to see more. We [SYN] hear things, but we always want to hear more.
9 जो हो चुका है, वही है जो दोबारा होगा, और जो किया जा चुका है, वही है जो दोबारा किया जाएगा; इसलिये धरती पर नया कुछ भी नहीं.
[Everything continues to be the same as it has always been]; things that happen have happened previously, and they will happen again. What has been done before will be done again. There is nothing [really] new in this world [MTY].
10 क्या कुछ ऐसा है जिसके बारे में कोई यह कह सके, “इसे देखो! यह है नया?” यह तो हमसे पहले के युगों से होता आ रहा है.
Sometimes people say, “Look at this! This is something new [RHQ]!” But it has existed previously; it existed before we were born.
11 कुछ याद नहीं कि पहले क्या हुआ, और न यह कि जो होनेवाला है. और न ही उनके लिए कोई याद बची रह जाएगी जो उनके भी बाद आनेवाले हैं.
[People] do not remember the things [that happened] long ago, and in the future, people will not remember what we are doing now.
12 मैं, दार्शनिक, येरूशलेम में इस्राएल का राजा रहा हूं.
I, the Religious Teacher, have been the king of Israel [for many years, ruling] in Jerusalem.
13 धरती पर जो सारे काम किए जाते हैं, मैंने बुद्धि द्वारा उन सभी कामों के जांचने और अध्ययन करने में अपना मन लगाया. यह बड़े दुःख का काम है, जिसे परमेश्वर ने मनुष्य के लिए इसलिये ठहराया है कि वह इसमें उलझा रहे!
By being wise, I concentrated on understanding everything that was being done on the earth [MTY]. [But I found out that] God causes [all of] us to experience things that cause us to be unhappy/miserable.
14 मैंने इन सभी कामों को जो इस धरती पर किए जाते हैं, देखा है, और मैंने यही पाया कि यह बेकार और हवा से झगड़ना है.
It seems that nothing that happens on the earth really enables us to do anything useful. It is [like] [MET] chasing the wind.
15 जो टेढ़ा है, उसे सीधा नहीं किया जा सकता; और जो है ही नहीं, उसकी गिनती कैसे हो सकती है.
[Many] things that are crooked cannot be caused to become straight; we cannot count things that do not exist.
16 “मैं सोच रहा था, येरूशलेम में मुझसे पहले जितने भी राजा हुए हैं, मैंने उन सबसे ज्यादा बुद्धि पाई है तथा उन्‍नति की है; मैंने बुद्धि और ज्ञान के धन का अनुभव किया है.”
I said to myself, “[Hey], I am wiser than any of the kings that ruled in Jerusalem before I [became the king]. I am wiser and I know more than any of them!”
17 मैंने अपना हृदय बुद्धि को और बावलेपन और मूर्खता को जानने में लगाया, किंतु मुझे अहसास हुआ कि यह भी हवा से झगड़ना ही है.
[So] I determined to learn [more] about being wise and to learn about knowing about many things, and [also] to learn about [doing things that are] very foolish [DOU]. [But] I found out that trying to understand those things was also [useless, like] chasing the wind.
18 क्योंकि ज्यादा बुद्धि में बहुत दुःख होता है; ज्ञान बढ़ाने से दर्द भी बढ़ता है.
The wiser I became, the more disappointed I became. The more things I knew about, the sadder I became.

< सभोपदेशक 1 >