< व्यवस्था विवरण 4 >

1 हे इस्राएल, उन विधियों और नियमों को ध्यान से सुन लो, जिनका पालन करने की शिक्षा मैं तुम्हें दे रहा हूं, कि तुम जीवित रहते हुए उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार कर लो, जो तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह तुम्हें दे रहे हैं.
“और अब ऐ इस्राईलियो, जो आईन और अहकाम मैं तुमको सिखाता हूँ तुम उन पर 'अमल करने के लिए उनको सुन लो, ताकि तुम ज़िन्दा रहो और उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा का ख़ुदा तुमको देता है, दाख़िल हो कर उस पर क़ब्ज़ा कर लो।
2 तुम मेरी बातों में, जिसका आदेश मैं तुम्हें आज दे रहा हूं, न तो कुछ जोड़ोगे और न ही घटाओगे, कि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सको, जो मैंने भेज रखा है.
जिस बात का मैं तुमको हुक्म देता हूँ, उसमें न तो कुछ बढ़ाना और न कुछ घटाना; ताकि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्मों को जो मैं तुमको बताता हूँ मान सको।
3 यह तो तुमने खुद ही देख लिया है कि याहवेह ने बाल-पिओर के साथ क्या किया है. जितनों ने बाल-पिओर के पीछे चलने का निश्चय किया, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें तुम्हारे बीच से नाश कर दिया,
जो कुछ ख़ुदावन्द ने बा'ल फ़ग़ूर की वजह से किया, वह तुमने अपनी आँखों से देखा है; क्यूँकि उन सब आदमियों को जिन्होंने बा'ल फ़ग़ूर की पैरवी की, ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे बीच से नाबूद कर दिया।
4 मगर तुम, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति सच्चे बने रहे, तुममें से सबके सब आज भी जीवित हो.
पर तुम जो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से लिपटे रहे हो, सब के सब आज तक ज़िन्दा हो।
5 याद रहे, मैं तुम्हें नियमों और विधियों की शिक्षा दे चुका हूं, ठीक जैसा, मेरे लिए याहवेह, मेरे परमेश्वर का आदेश था, कि तुम्हारा चालचलन उस देश में, जहां तुम उस पर अधिकार के उद्देश्य से प्रवेश करने पर हो, इन्हीं के अनुसार हो.
देखो, जैसा ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा ने मुझे हुक्म दिया, उसके मुताबिक़ मैंने तुमको आईन और अहकाम सिखा दिए हैं; ताकि उस मुल्क में उन पर 'अमल करो जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए जा रहे हो।
6 तब इनका पालन करो; क्योंकि इनका पालन करना और इन पर चलना ही उन लोगों की दृष्टि में तुम्हारी समझ और बुद्धिमानी होगी, जो इन विधियों का वर्णन सुनेंगे और तब उनके शब्द होंगे, “निश्चय यह सम्पन्‍न राष्ट्र एक बुद्धिमान और ज्ञानवान राष्ट्र है.”
इसलिए तुम इनको मानना और 'अमल में लाना, क्यूँकि और क़ौमों के सामने यही तुम्हारी 'अक़्ल और दानिश ठहरेंगे। वह इन तमाम क़वानीन को सुन कर कहेंगी, कि यक़ीनन ये बुज़ुर्ग क़ौम निहायत 'अक़्लमन्द और समझदार है।
7 क्योंकि किस सम्पन्‍न राष्ट्र का ऐसा ईश्वर है, जो उसके ऐसे पास रहता है, जैसे याहवेह, हमारे परमेश्वर उस मौके पर होते हैं, जब हम उन्हें पुकारते हैं?
क्यूँकि ऐसी बड़ी क़ौम कौन है जिसका मा'बूद इस क़द्र उसके नज़दीक हो जैसा ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा, कि जब कभी हम उससे दुआ करें हमारे नज़दीक है?
8 अथवा ऐसा कौन सम्पन्‍न राष्ट्र है, जिसकी विधियां और नियम ऐसे रीत हैं जैसे इस सारी व्यवस्था के हैं, जो आज मैं तुम्हारे सामने रखने जा रहा हूं?
और कौन ऐसी बुज़ुर्ग क़ौम है जिसके आईन और अहकाम ऐसे रास्त हैं जैसी ये सारी शरी'अत है, जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ।
9 सिर्फ सावधानी बनाए रखो और बड़ी ही चौकसी से अपने भले की सुरक्षा बनाए रखो, कि तुम्हारी आंखों से खुद तुम्हारे द्वारा देखा गया घटनाक्रम गायब न हो जाए, कि आजीवन वे तुम्हारे हृदय से न निकलें, बल्कि तुम अपने पुत्र और पोतों को इन्हें सिखाते रहो.
“इसलिए तुम ज़रूर ही अपनी एहतियात रखना और बड़ी हिफ़ाज़त करना, ऐसा न हो कि तुम वह बातें जो तुमने अपनी आँख से देखी हैं भूल जाओ और वह ज़िन्दगी भर के लिए तुम्हारे दिल से जाती रहें; बल्कि तुम उनको अपने बेटों और पोतों को सिखाना।
10 वह दिन भूल न जाओ जिस दिन तुम होरेब पर्वत पर याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने उपस्थित हुए थे, जब याहवेह ने मुझे संबोधित किया, “मेरे सामने लोगों को इकट्ठा करो, कि मैं उन्हें अपनी आवाज सुना सकूं, कि फलस्वरूप उनमें आजीवन मेरे प्रति श्रद्धा और भय बना रह जाए; और वे अपनी संतान को इसकी शिक्षा दे सकें.”
ख़ासकर उस दिन की बातें, जब तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने होरिब में खड़ा हुआ; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा था, कि क़ौम को मेरे सामने जमा' कर और मैं उनको अपनी बातें सुनाऊँगा ताकि वह ये सीखें कि ज़िन्दगी भर, जब तक ज़मीन पर ज़िन्दा रहें मेरा ख़ौफ़ मानें और अपने बाल — बच्चों को भी यही सिखाएँ।
11 तुम सब पास आकर पर्वत के नीचे इकट्ठा हो गए. पर्वत पर आग की लपटें आकाश चूम रही थीं. हर जगह अंधकार, मेघ और घना धुआं फैल चुका था.
चुनाँचे तुम नज़दीक जाकर उस पहाड़ के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से दहक रहा था और उसकी लौ आसमान तक पहुँचती थी और चारों तरफ़ तारीकी और घटा और ज़ुलमत थी।
12 तब याहवेह ने आग में से तुमसे बातें की. तुम्हें शब्द और आवाज तो सुनाई दे रहे थे, मगर किसी भी प्रकार का स्वरूप दिखाई नहीं दे रहा था-वहां सिर्फ आवाज ही सुनाई दे रही थी.
और ख़ुदावन्द ने उस आग में से होकर तुमसे कलाम किया; तुमने बातें तो सुनीं लेकिन कोई सूरत न देखी, सिर्फ़ आवाज़ ही आवाज़ सुनी।
13 वहां याहवेह ने अपनी उस वाचा की घोषणा, जिसके पालन करने का आदेश उन्होंने तुम्हें दिया था, अर्थात् वे दस आदेश. ये आदेश याहवेह ने दो पट्टियों पर उकेर दिए थे.
और उसने तुमको अपने 'अहद के दसों अहकाम बताकर उनके मानने का हुक्म दिया, और उनको पत्थर की दो तख़्तियों पर लिख भी दिया।
14 उस समय याहवेह का यही आदेश था, कि मैं तुम्हें इन विधियों और नियमों की शिक्षा दूं, कि तुम उस देश में पहुंचकर इनका पालन कर सको, जिस देश में जाकर तुम उस पर अधिकार करने पर हो.
उस वक़्त ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया, कि तुमको यह आईन और अहकाम सिखाऊँ ताकि तुम उस मुल्क में जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए जा रहे हो, उन पर 'अमल करो।
15 इसलिये बहुत सावधान रहो, क्योंकि जिस दिन होरेब पर्वत पर याहवेह आग के बीच से तुमसे अभिमुख हुए थे. तुम्हें उनका कोई भी स्वरूप दिखाई नहीं दिया था,
“इसलिए तुम अपनी ख़ूब ही एहतियात रखना; क्यूँकि तुमने उस दिन जब ख़ुदावन्द ने आग में से होकर होरिब में तुमसे कलाम किया, किसी तरह की कोई सूरत नहीं देखी।
16 कि तुम्हारा चरित्र दूषित न हो जाए और तुम अपने लिए किसी भी स्वरूप में मूर्ति न ढाल लो, नर अथवा नारी के रूप में,
ऐसा न हो कि तुम बिगड़कर किसी शक्ल या सूरत की खोदी हुई मूरत अपने लिए बना लो, जिसकी शबीह किसी मर्द या 'औरत,
17 अथवा पृथ्वी तल पर के किसी पशु की मूर्ति, अथवा आकाश में उड़ते पक्षी की,
या ज़मीन के किसी हैवान या हवा में उड़ने वाले परिन्दे,
18 या किसी रेंगते जंतु की, किसी मछली की मूर्ति न ढाल लो जो पृथ्वी सतह से नीचे जल में पाई जाती है.
या ज़मीन के रेंगनेवाले जानदार या मछली से, जो ज़मीन के नीचे पानी में रहती है मिलती हो;
19 सावधान रहो, कि तुम अपनी दृष्टि आकाश की ओर उठाकर सूर्य, चंद्रमा और तारों; हां, नक्षत्रों की ओर उठाकर उनकी ओर आकर्षित हो जाओ और उनकी आराधना और स्तुति करना शुरू कर दो. इन्हें तो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने सारी पृथ्वी की जनताओं के हित में प्रदान किए हैं.
या जब तू आसमान की तरफ नज़र करे और तमाम अजराम — ए — फ़लक या'नी सूरज और चाँद और तारों को देखे, तो गुमराह होकर उन्हीं को सिज्दा और उनकी इबादत करने लगे जिनको ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने इस ज़मीन की सब क़ौमों के लिए रख्खा है।
20 मगर सच यह है कि मिस्र देश में से याहवेह मानो आग की भट्टी से तुम्हें निकालकर लाए हैं, कि तुम जैसा आज देख ही रहे हो, तुम याहवेह ही की संपत्ति होकर रहो.
लेकिन ख़ुदावन्द ने तुमको चुना, और तुमको जैसे लोहे की भट्टी या'नी मिस्र से निकाल ले आया है ताकि तुम उसकी मीरास के लोग ठहरो, जैसा आज ज़ाहिर है।
21 तुम्हारे कारण मैं याहवेह के क्रोध का शिकार हो गया! उन्होंने यह शपथ ली, कि मैं यरदन नदी के पार नहीं जा सकूंगा, कि मैं उस उत्तम देश में प्रवेश नहीं करूंगा, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के रूप में दे रहे हैं.
और तुम्हारी ही वजह से ख़ुदावन्द ने मुझसे नाराज़ होकर क़सम खाई, कि मैं यरदन पार न जाऊँ और न उस अच्छे मुल्क में पहुँचने पाऊँ, जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा मीरास के तौर पर तुझको देता है;
22 मेरी मृत्यु इसी देश में होनी तय है. मैं यरदन नदी के पार नहीं जाऊंगा पर तुम लोग जाओगे और इस श्रेष्ठ भूमि पर अधिकार करोगे.
बल्कि मुझे इसी मुल्क में मरना है, मैं यरदन पार नहीं जा सकता; लेकिन तुम पार जाकर उस अच्छे मुल्क पर क़ब्ज़ा करोगे।
23 इसलिये सावधान रहो; कि तुम उस वाचा को भुला न डालो, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे साथ बांधी है. इसलिये अपने लिए उनमें से किसी भी प्रकार की मूर्ति न बनाना, जिसके लिए याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की ओर से मनाही की गई है.
इसलिए तुम एहतियात रखो, ऐसा न हो कि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के उस 'अहद को जो उसने तुमसे बाँधा है भूल जाओ, और अपने लिए किसी चीज़ की शबीह की खोदी हुई मूरत बना लो जिसे ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको मना' किया है
24 क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर भस्म करनेवाली आग हैं, एक जलन रखनेवाला परमेश्वर.
क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा भसम करने वाली आग है; वह ग़य्यूर ख़ुदा है।
25 जब तुम्हारे संतान उत्पन्‍न होगी और फिर उनकी भी संतान पैदा होगी और उस देश में तुम पीढ़ी से पीढ़ी तक निवास कर चुके होगे और तब अपना चालचलन बिगाड़कर किसी भी वस्तु की मूर्ति बना लो, जो कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में गलत है और इसके द्वारा तुम उनको क्रोध से भर दो,
और जब तुझसे बेटे और पोते पैदा हों और तुमको उस मुल्क में रहते हुए एक ज़माना हो जाए, और तुम बिगड़कर किसी चीज़ की शबीह की खोदी हुई मूरत बना लो, और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने शरारत करके उसे ग़ुस्सा दिलाओ;
26 तो मैं तुम्हारे विरुद्ध गवाह होने के लिए आज आकाश और पृथ्वी को बुला रहा हूं, कि तुम निःसंदेह उस देश में, जहां तुम यरदन के पार उतरकर उस पर अधिकार करने पर हो, शीघ्र ही पूरी तरह नाश हो जाओगे.
तो मैं आज के दिन तुम्हारे बरख़िलाफ़ आसमान और ज़मीन को गवाह बनाता हूँ कि तुम उस मुल्क से, जिस पर क़ब्ज़ा करने को यरदन पार जाने पर हो, जल्द बिल्कुल फ़ना हो जाओगे; तुम वहाँ बहुत दिन रहने न पाओगे बल्कि बिल्कुल नाबूद कर दिए जाओगे।
27 याहवेह तुम्हें राष्ट्रों के बीच तितर-बितर कर देंगे. याहवेह तुम्हें जिन जनताओं में ठहराएंगे, तुम वहां थोड़ी गिनती में होकर रह जाओगे.
और ख़ुदावन्द तुमको क़ौमों में तितर बितर करेगा; और जिन क़ौमों के बीच ख़ुदावन्द तुमको पहुँचाएगा उनमें तुम थोड़े से रह जाओगे।
28 तुम उन राष्ट्रों में ऐसे देवताओं की उपासना करेंगे, जो लकड़ी और पत्थर की सिर्फ मानव की कलाकृति हैं, जो देख न सकते है, न सुन सकते है, और न ही सूंघने और भोजन करने की क्षमता.
और वहाँ तुम आदमियों के हाथ के बने हुए लकड़ी और पत्थर के मा'बूदों की इबादत करोगे, जो न देखते न सुनते न खाते न सूँघते हैं।
29 मगर तुम उसी परिस्थिति में याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के खोजने वाले हो जाओगे; वहां तुम उन्हें पा भी लोगे, यदि तुम सच्चाई से पूरे हृदय से उनकी खोज करोगे.
लेकिन वहाँ भी अगर तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के तालिब हो तो वह तुझको मिल जाएगा, बशर्ते कि तुम अपने पूरे दिल से और अपनी सारी जान से उसे ढूँढो।
30 जब तुम संकट की स्थिति में जा पड़ो और ये सारी मुसीबतें तुम्हें आ घेरें, तब अंततः तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की ओर लौट आओगे और तुम्हें उनकी आवाज भी सुनाई पड़ेगी.
जब तू मुसीबत में पड़ेगा और यह सब बातें तुझ पर गुज़रेंगी तो आख़िरी दिनों में तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरेगा और उसकी मानेगा;
31 क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर दयालु-कृपालु परमेश्वर हैं; न वह तुम्हें छोड़ देंगे, न तुम्हें नाश कर देंगे और न ही वह तुम्हारे पूर्वजों से शपथपूर्वक की गई वाचा को भुला देंगे.
क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा, रहीम ख़ुदा है, वह तुझको न तो छोड़ेगा और न हलाक करेगा और न उस 'अहद को भूलेगा जिसकी क़सम उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई।
32 अच्छा चलो, अब कुछ पहले के युगों के बारे में जान लो, जब परमेश्वर ने पृथ्वी पर मनुष्य को बनाया था. इसके विषय में आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक पूछताछ कर डालो. क्या ऐसे अद्भुत काम कहीं और हुए हैं? या ऐसा कुछ भी कभी सुना गया है?
“और जब से ख़ुदा ने इंसान को ज़मीन पर पैदा किया, तब से शुरू' करके तुम उन गुज़रे दिनों का हाल जो तुमसे पहले हो चुके पूछ, और आसमान के एक सिरे से दूसरे सिरे तक दरियाफ़्त कर, कि इतनी बड़ी वारदात की तरह कभी कोई बात हुई या सुनने में भी आई?
33 क्या किसी भी दूसरे राष्ट्र ने आग के बीच में से परमेश्वर को बातचीत करते हुए सुना और फिर भी जीवित रह गए?
क्या कभी कोई क़ौम ख़ुदा की आवाज़ जैसे तू ने सुनी, आग में से आती हुई सुन कर ज़िन्दा बची है?
34 या क्या याहवेह तुम्हारे परमेश्वर जैसा कोई परमेश्वर भी हुआ है, जिसने विपत्तियों, अद्भुत चिन्हों, चमत्कारों द्वारा, युद्ध द्वारा, अपने भुजबल और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा एक राष्ट्र के बीच में से अपने लिए एक राष्ट्र को तुम्हारे ही देखते-देखते निकालकर लिया हो?
या कभी ख़ुदा ने एक क़ौम को किसी दूसरी क़ौम के बीच से निकालने का इरादा करके, इम्तिहानों और निशान और मो'जिज़ों और जंग और ताक़तवर हाथ और बलन्द बाज़ू और हौलनाक माजरों के वसीले से, उनको अपनी ख़ातिर बरगुज़ीदा करने के लिए वह काम किए जो ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारी आँखों के सामने मिस्र में तुम्हारे लिए किए?
35 यह सब तुम्हारे सामने इसलिये दिखाया गया, कि वह, जो याहवेह हैं, वही परमेश्वर हैं; कोई भी नहीं है उनके अलावा.
यह सब कुछ तुझको दिखाया गया, ताकि तू जाने कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके अलावा और कोई है ही नहीं।
36 वह स्वर्ग से तुमसे बातें करते रहे कि तुम्हें शिक्षा देकर अनुशासित कर सकें. यहां पृथ्वी पर उन्होंने यह सही समझा कि तुम उनकी उस बड़ी आग पर नज़र कर सको. तब तुमने आग के बीच से उनकी बातें सुन लीं.
उसने अपनी आवाज़ आसमान में से तुमको सुनाई ताकि तुझको तरबियत करे, और ज़मीन पर उसने तुझको अपनी बड़ी आग दिखाई; और तुमने उसकी बातें आग के बीच में से आती हुई सुनी।
37 यह सिर्फ इसलिये कि तुम्हारे पूर्वजों से याहवेह को प्रेम था, इसलिये उन्होंने उनके वंशजों को उनके बाद अपना लिया. उन्होंने तो व्यक्तिगत रूप से अपनी बड़ी सामर्थ्य के द्वारा तुम्हें मिस्र देश से निकाला है,
और चूँकि उसे तेरे बाप — दादा से मुहब्बत थी, इसीलिए उसने उनके बाद उनकी नसल को चुन लिया, और तेरे साथ होकर अपनी बड़ी कुदरत से तुझको मिस्र से निकाल लाया;
38 उन्होंने तुम्हारे सामने से ऐसी जनताओं को खदेड़ दिया, जो तुमसे गिनती में भी बहुत थे और शक्ति में तुमसे बहुत बलशाली भी, कि वह तुम्हें मीरास के लिए उनके देश प्रदान कर दें; जैसा आज तुम्हारे सामने साफ़ ही है.
ताकि तुम्हारे सामने से उन क़ौमों को जो तुझ से बड़ी और ताक़तवर हैं दफ़ा' करे, और तुझको उनके मुल्क में पहुँचाए, और उसे तुझको मीरास के तौर पर दे, जैसा आज के दिन ज़ाहिर है।
39 इसलिये आज यह समझ लो: जो याहवेह हैं, वही ऊपर आकाश और स्वर्ग में और यहां नीचे धरती पर परमेश्वर हैं, दूसरा कोई भी नहीं.
इसलिए आज के दिन तू जान ले और इस बात को अपने दिल में जमा ले, कि ऊपर आसमान में और नीचे ज़मीन पर ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और कोई दूसरा नहीं।
40 इसलिये तुम उनके नियमों और उनके आदेशों का पालन करोगे, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं, कि तुम्हारा हित होता रहे और तुम्हारे बाद तुम्हारे वंशजों का भी, और तुम उस देश में, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें स्थायी रूप से प्रदान कर रहे हैं, लंबी आयु तक रह सको.
इसलिए तू उसके आईन और अहकाम को जो मैं तुझको आज बताता हूँ मानना, ताकि तेरा और तेरे बाद तेरी औलाद का भला हो, और हमेशा उस मुल्क में जो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है तेरी उम्र दराज़ हो।”
41 फिर मोशेह ने यरदन के पार पूर्व दिशा में तीन नगरों को इस उद्देश्य से अलग किया,
फिर मूसा ने यरदन के पार पूरब की तरफ़ तीन शहर अलग किए,
42 कि किसी व्यक्ति से बिना किसी मन मुटाव के असावधानी में किसी की बिना योजना के हत्या हो गई हो, ऐसा व्यक्ति भागकर इनमें से किसी नगर में आकर बस जाए, कि वह जीवित रह सके.
ताकि ऐसा ख़ूनी जो अनजाने बग़ैर क़दीमी 'अदावत के अपने पड़ोसी को मार डाले, वह वहाँ भाग जाए और इन शहरों में से किसी में जाकर जीता बच रहे।
43 निर्जन प्रदेश में बेज़र, जो रियूबेन के घराने को दिए गए पठार पर हैं, गाद-वंशजों को दिए गए गिलआद में रामोथ और मनश्शेह-वंशजों का दिया गया बाशान का गोलान.
या'नी रूबीनियों के लिए तो शहर — ए — बसर हो जो तराई में वीरान के बीच वाक़े' है, और जद्दियों के लिए शहर — ए — रामात जो जिल'आद में है, और मनस्सियों के लिए बसन का शहर — ए — जौलान।
44 इस्राएलियों के सामने, जो विधि मोशेह ने तय की थी, वह यह है.
यह वह शरी'अत है जो मूसा ने बनी — इस्राईल के आगे पेश की।
45 जब इस्राएल मिस्र देश से निकलकर यरदन नदी की पूर्व दिशा की घाटी में बेथ-पिओर नगर के सामने आ चुके थे,
यही वह शहादतें और आईन और अहकाम हैं जिनको मूसा ने बनी — इस्राईल को उनके मिस्र से निकलने के बा'द,
46 तब मोशेह ने उन्हें ये अध्यादेश अधिनियम और आज्ञाएं दीं. यह वह क्षेत्र था, जहां हेशबोन नगर में अमोरियों के राजा सीहोन का शासन था. मिस्र से आते हुए मोशेह और इस्राएलियों ने उसे हरा दिया था.
यरदन के पार उस वादी में जो बैत फ़ग़ूर के सामने है, कह सुनाया; या'नी अमोरियों के बादशाह सीहोन के मुल्क में जो हस्बोन में रहता था, जिसे मूसा और बनी इस्राईल ने मुल्क — ए — मिस्र से निकलने के बाद मारा।
47 उन्होंने उसके देश का और बाशान के राजा ओग के देश पर अधिकार कर लिया. ये दो अमोरी राजा थे, जो यरदन नदी के पूर्व में रहते थे.
और फिर उसके मुल्क को, और बसन के बादशाह 'ओज के मुल्क को अपने क़ब्ज़े में कर लिया। अमोरियों के इन दोनों बादशाहों का यह मुल्क यरदन पार पूरब की तरफ़,
48 इस देश की सीमा आरनोन की घाटी की सीमा से शुरू होकर सियोन पर्वत (अर्थात् हरमोन पर्वत) तक फैली थी,
'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनोन के किनारे वाक़े' है, कोह — ए — सियून तक जिसे हरमून भी कहते हैं, फैला हुआ है।
49 इसमें यरदन नदी के पूर्व का क्षेत्र भी शामिल था, जो पिसगाह पर्वत के ढलानों से लगे अराबाह सागर तक फैला था.
इसी में यरदन पार पूरब की तरफ़ मैदान के दरिया तक जो पिसगा की ढाल के नीचे बहता है, वहाँ का सारा मैदान शामिल है।

< व्यवस्था विवरण 4 >