< व्यवस्था विवरण 28 >

1 अब भविष्य यह होगा, कि यदि तुम सावधानीपूर्वक याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहोगे, जो आदेश मैं आज तुम्हें सौंप रहा हूं, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें पृथ्वी के सारे राष्ट्रों से अति महान बनाए रखेंगे.
আমি তোমাকে আজ যে সব আজ্ঞা আদেশ করছি, যত্নসহকারে সেই সব পালন করার জন্য যদি তুমি নিজের ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে মনোযোগ সহকারে কান দাও, তবে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু পৃথিবীতে অবস্থিত সমস্ত জাতির উপরে তোমাকে ওঠাবেন;
2 तुम इन सभी सुख समृद्धि से अभिभूत हो जाओगे, ये तुम तक पहुंच जाएंगी, सिर्फ यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी बने रहोगे:
আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কান দিলে এই সব আশীর্বাদ তোমার ওপরে আসবে ও তোমাকে আশ্রয় করবে।
3 याहवेह तुम्हारे नगरों और खेतों को आशीष प्रदान करेंगे.
তুমি শহরে আশীর্বাদযুক্ত হবে ও ক্ষেতে আশীর্বাদযুক্ত হবে।
4 याहवेह तुम्हारे बच्चों को आशीर्वाद देंगे. वे तुम्हारी भूमि की फसल आशीषित होगी, और तुम्हारे जानवरों के बच्‍चे आशीषित होंगे.
তোমার শরীরের ফল, তোমার ভূমির ফল, তোমার পশুর ফল, তোমার গরুদের বাচ্চা ও তোমার মেষীদের শাবক আশীর্বাদযুক্ত হবে।
5 आशीषित रहेगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारा आटा गूंथने का कटोरा.
তোমার (ফলের) ঝুড়ি ও তোমার আটার কাঠের থালার আশীর্বাদযুক্ত হবে।
6 आशीषित रहोगे तुम, जब तुम कुछ करोगे और धन्य रहोगे तुम, जब तुम लौटकर आओगे.
ভিতরে আসার দিনের তুমি আশীর্বাদযুক্ত হবে এবং বাইরে যাবার দিনের তুমি আশীর্বাদযুক্ত হবে।
7 याहवेह तुम्हारे उठे हुए शत्रुओं को हराने की योजना करेंगे; वे एक मार्ग से तुम पर हमला करने तो आएंगे. मगर तुम्हारे सामने भागते हुए सात दिशाओं में बिखर जाएंगे.
তোমার যে শত্রুরা তোমার বিরুদ্ধে ওঠে, তাদেরকে সদাপ্রভু তোমার সামনে আঘাত করাবেন; তারা একটি রাস্তা দিয়ে তোমার বিরুদ্ধে আসবে, কিন্তু সপ্তম রাস্তা দিয়ে তোমার সামনে থেকে পালাবে।
8 याहवेह तुम्हारे अन्‍नभण्डारों को, तुम्हारे हर एक उपक्रम को और उस देश को, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, समृद्धि का आदेश देंगे.
সদাপ্রভু আদেশ দিয়ে তোমার গোলাঘরের বিষয়ে ও তুমি যে কোনো কাজে হাত দাও, তার বিষয়ে তোমাকে আশীর্বাদ করবেন এবং তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে যে দেশ দিচ্ছেন, সেখানে তোমাকে আশীর্বাদ করবেন।
9 याहवेह तुम्हें अपने ही लिए पवित्र प्रजा-स्वरूप प्रतिष्ठित करेंगे; जैसी प्रतिज्ञा वह तुमसे खुद कर चुके हैं, यदि तुम याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हुए उनकी नीतियों का पालन करते रहोगे.
সদাপ্রভু নিজের শপথ অনুসারে তোমাকে নিজের পবিত্র লোক বলে স্থাপন করবেন; যদি তুমি তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর আজ্ঞা পালন কর ও তাঁর পথে চল।
10 परिणामस्वरूप सारी पृथ्वी के लोग इस बात के गवाह होंगे कि तुम वह प्रजा हो, जिसका सम्मान याहवेह के नाम से है. इससे उन पर तुम्हारा आतंक स्थापित हो जाएगा.
১০আর পৃথিবীর সব জাতি দেখতে পাবে যে, তোমার উপরে সদাপ্রভুর নাম কীর্তিত হয়েছে এবং তারা তোমার থেকে ভয় পাবে।
11 याहवेह, तुम्हारी संतान में, तुम्हारे पशुओं की सन्तति में और तुम्हारी भूमि के उत्पाद में, तुम्हारी समृद्धि को उस देश में, जो याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की थी, पूरा करेंगे.
১১আর সদাপ্রভু তোমাকে যে দেশ দিতে তোমার পূর্বপুরুষদের কাছে শপথ করেছেন, সেই দেশে তিনি ভালোর জন্যেই তোমার শরীরের ফলে, তোমার পশুর ফলে ও তোমার ভূমির ফলে তোমাকে উন্নত করবেন।
12 याहवेह अपने बड़े भंडार को तुम्हारे लिए उपलब्ध कर देंगे; आकाश अपनी तय ऋतु में भूमि पर वृष्टि करेगा, तुम्हारे सारे काम सफल होंगे और तुम अनेक राष्ट्रों को ऋण दोगे, मगर खुद तुम्हें किसी से ऋण लेने की ज़रूरत न होगी.
১২সঠিক দিনের তোমার ভূমির জন্য বৃষ্টি দিতে ও তোমার হাতের সব কাজে আশীর্বাদ করতে সদাপ্রভু নিজের আকাশের ধনভান্ডার খুলে দেবেন এবং তুমি অনেক জাতিকে ঋণ দেবে, কিন্তু নিজে ঋণ নেবে না।
13 याहवेह तुम्हें सबसे ऊंचा ही बनाए रखेंगे, पूंछ नहीं; तुम ऊंचाई पर ही रहोगे, अधीन कभी नहीं, यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे, जो आज मैं तुम्हें सौंप रहा हूं; कि तुम सावधानीपूर्वक उनका पालन करते रहो,
১৩আর সদাপ্রভু তোমাকে প্রধান করবেন, লেজের মতো করবেন না; তুমি নত না হয়ে শুধু উন্নত হবে; যদি তুমি তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর এই যে সব আজ্ঞা যত্নসহকারে পালন করতে আমি তোমাকে আজ আদেশ করছি, এই সব কিছুতে কান দিতে হবে;
14 कि तुम इनसे, इनमें से किसी के मर्म से ज़रा भी विचलित न होओ, और पराए देवताओं की उपासना-सेवा में लीन हो जाओ.
১৪এবং আজ আমি তোমাদেরকে যে সব কথা আজ্ঞা করছি, অন্য দেবতাদের সেবা করার জন্যে তাদের অনুগামী হবার জন্য তোমাকে সেই সব কথার ডান দিকে কি বাম দিকে ফিরতে হবে না।
15 मगर यदि स्थिति यह हो जाए, कि आज तुम मेरे द्वारा दिए जा रहे, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों और नियमों का पालन न करो, तो ये सारे शाप तुम्हें आ घेरेंगे, और तुम पर प्रभावी हो जाएंगे:
১৫কিন্তু যদি তুমি নিজের ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কান না দাও, আমি আজ তোমাকে তাঁর যে সব আজ্ঞা ও বিধি আদেশ করছি, যত্ন সহকারে সেই সব পালন না কর, তবে এই সমস্ত অভিশাপ তোমার প্রতি আসবে ও তোমার থেকে এগিয়ে যাবে।
16 तुम अपने नगर में शापित होंगे, तुम अपने देश में शापित होंगे.
১৬তুমি শহরে শাপগ্রস্ত হবে ও ক্ষেতে শাপগ্রস্ত হবে।
17 शापित होंगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारे गूंथने का पात्र.
১৭তোমার (ফলের) ঝুড়ি ও তোমার আটার কাঠের থালা শাপগ্রস্ত হবে।
18 शापित होंगी तुम्हारी अपनी संतान, तुम्हारी भूमि की उपज, तुम्हारे पशुओं और भेड़ों की वृद्धि.
১৮তোমার শরীরের ফল, তোমার ভূমির ফল এবং তোমার গরুর বাচ্চা ও তোমার মেষীদের শাবক শাপগ্রস্ত হবে।
19 शापित होगा तुम्हारा कूच और तुम्हारा लौटकर आना.
১৯ভিতরে আসার দিনের তুমি শাপগ্রস্ত হবে ও বাইরে যাবার দিনের তুমি শাপগ্রস্ত হবে।
20 तुम्हारे सारे कामों में तुम्हारे कामों के दुराचार और तुम्हारे द्वारा याहवेह का त्याग किए जाने के कारण याहवेह तुम पर शाप, डर और कुंठा डाल देंगे, कि तुम नाश हो जाओ और तेजी से तुम्हारा विनाश हो जाए.
২০যে পর্যন্ত তোমার ধ্বংস ও হঠাৎ বিনাশ না হয়, সেই পর্যন্ত যে কোনো কাজে তুমি হাত দাও, সেই কাজে সদাপ্রভু তোমার উপরে অভিশাপ, উদ্বেগ ও তিরস্কার পাঠাবেন; এর কারণ তোমার খারাপ কাজ সব, যার মাধ্যমে তুমি আমাকে পরিত্যাগ করেছ।
21 याहवेह तुम पर महामारी सम्बद्ध कर देंगे, जब तक वह तुम्हें उस देश से नाश न कर दें, जिसमें अधिकार करने के लिये तुम उसमें प्रवेश कर रहे हो.
২১তুমি যে দেশ অধিকার করতে যাচ্ছ, সেই দেশ থেকে যতক্ষণ উচ্ছেদ না হয়, ততক্ষণ সদাপ্রভু তোমাকে মহামারী দেবেন।
22 याहवेह तुम पर क्षय रोग, बुखार, सूजन, बड़ी जलन और तलवार का प्रहार प्रभावी करेंगे, जब तक तुम मिट न जाओ.
২২সদাপ্রভু ছোঁয়াচে রোগ, জ্বর, জ্বালা, প্রচণ্ড উত্তাপ ও খড়্গ এবং শস্যের শোষ ও ম্লানির মাধ্যমে তোমাকে আঘাত করবেন; তোমার বিনাশ না হওয়া পর্যন্ত সে সব তোমার অনুসরণ করবে।
23 तुम्हारे सिर के ऊपर विशाल आकाश कांसे और पांवों के नीचे की धरती लोहा हो जाएगी.
২৩আর তোমার মাথার উপরে অবস্থিত আকাশ ব্রোঞ্জ ও নীচে অবস্থিত ভূমি লোহার মতো হবে।
24 याहवेह, तुम पर बालू और धूल की बारिश करेंगे; ये आकाश से तुम पर ये तब तक बरसते रहेंगे जब तक तुम नाश न हो जाओ.
২৪সদাপ্রভু তোমার দেশে জলের পরিবর্তে ধূলো ও বালি বর্ষণ করবেন; যে পর্যন্ত তোমার বিনাশ না হয়, ততক্ষণ তা আকাশ থেকে নেমে তোমার উপরে পড়বে।
25 याहवेह, ऐसा करेंगे, कि तुम अपने शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे. उन पर हमला करने तो तुम एक मार्ग से जाओगे, मगर तुम सात दिशाओं में पलायन करोगे. सारी पृथ्वी के राज्यों के लिए तुम आतंक का पर्याय हो जाओगे.
২৫সদাপ্রভু তোমার শত্রুদের সামনে তোমাকে আঘাত করাবেন; তুমি এক রাস্তা দিয়ে তাদের বিরুদ্ধে যাবে, কিন্তু সপ্তম রাস্তা দিয়ে তাদের সামনে থেকে পালাবে এবং পৃথিবীর সমস্ত রাজ্যের মধ্যে বিরক্তিজনক হবে।
26 तुम्हारे शव आकाश के सारे पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं का आहार हो जाएंगे और उन्हें खदेड़ने के लिए वहां कोई भी न रहेगा.
২৬আর তোমার মৃতদেহ আকাশের পাখিদের ও মাটিতে চরা পশুদের খাদ্য হবে; কেউ তাদেরকে আতঙ্কিত করবে না।
27 मिस्र देश के समान याहवेह तुम पर फोड़ों, बतौरियों का वार करेंगे और उसके अलावा चकत्ते और खुजली का भी, जिनसे तुम्हें छुड़ौती प्राप्‍त हो ही न सकेगी.
২৭সদাপ্রভু তোমাকে মিশরীয় ফোঁড়া এবং মহামারীর ঘাত, জঘন্য ও খোঁস পাঁচড়া, এই সব রোগের মাধ্যমে এমন আঘাত করবেন যে, তুমি আরোগ্য পেতে পারবে না।
28 याहवेह तुम पर पागलपन, अंधेपन और हृदय की घबराहट का वार कर देंगे.
২৮সদাপ্রভু উন্মাদ, অন্ধতা ও মানসিক বিভ্রান্তের মাধ্যমে তোমাকে আঘাত করবেন।
29 परिणामस्परूप तुम दिन-दोपहरी टटोलते रहोगे, जिस प्रकार अंधा टटोलता रहता है. तुम्हारे कामों से तुम्हें कोई लाभ न मिलेगा, बल्कि तुम लगातार उत्पीड़ित भी किए जाओगे और लूटते जाओगे, मगर वहां तुम्हारी रक्षा के लिए कोई भी न रह जाएगा.
২৯অন্ধ যেমন অন্ধকারে হাঁতড়ে বেড়ায়, সেরকম তুমি দুপুরবেলায় হাঁতড়ে বেড়াবে ও নিজের পথে উন্নতিলাভ হবে না এবং সবদিন শুধু অত্যাচারিত ও লুন্ঠিত হবে, কেউ তোমাকে রক্ষা করবে না।
30 जिस कन्या से तुम्हारी सगाई होगी, कोई अन्य पुरुष शीलभंग करेगा; तुम अपने घर का निर्माण तो करोगे, मगर उसमें निवास न कर सकोगे. तुम अंगूर के बगीचे तो लगाओगे मगर अंगूरों का उपभोग न कर सकोगे.
৩০তোমার প্রতি মেয়ের বাগ্‌দান হবে, কিন্তু অন্য পুরুষ তারসঙ্গে শোবে; তুমি বাড়ি তৈরী করবে, কিন্তু তাতে বাস করতে পাবে না; আঙ্গুর ক্ষেত রোপণ করবে, কিন্তু তার ফল ভোগ করবে না।
31 तुम्हारे बछड़े का वध तुम्हारे सामने तो होगा मगर तुम उसका उपभोग न कर सकोगे. तुम्हारा गधा तुमसे छीन लिया जाएगा. और तुम उसे पुनः प्राप्‍त न कर सकोगे. तुम्हारी भेड़ें तुम्हारे शत्रुओं की संपत्ति हो जाएंगी और कोई भी तुम्हारी रक्षा के लिए वहां न रहेगा.
৩১তোমার গরু তোমার সামনে মারা যাবে, আর তুমি তার মাংস খেতে পারবে না; তোমার গাধা তোমার সামনে থেকে জোর করে নিয়ে যাবে, তা তোমাকে ফিরিয়ে দেওয়া যাবে না; তোমার মেষপাল তোমার শত্রুদেরকে দেওয়া হবে, তোমার জন্যে সাহায্যকারী কেউ থাকবে না।
32 तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां तुम्हारे देखते-देखते बंधुआई में चले जाएंगे और तुम हमेशा उनकी लालसा करते रह जाओगे, मगर इसके लिए तुम कुछ भी न कर सकोगे.
৩২তোমার ছেলেমেয়েদেরকে অন্য এক জাতিকে দেওয়া হবে ও সমস্ত দিন তাদের অপেক্ষায় চাইতে চাইতে তোমার চোখ ব্যর্থ হবে এবং তোমার হাতে কোনো শক্তি থাকবে না।
33 तुम्हारी भूमि का उत्पाद विदेशियों का आहार हो जाएगा और तुम आजीवन उत्पीड़ित और दमित किए जाते रहोगे.
৩৩তোমার অজানা এক জাতি তোমার ভূমির ফল ও তোমার পরিশ্রমের সমস্ত ফল ভোগ করবে এবং তুমি সবদিন শুধু অত্যাচারিত ও চূর্ণ হবে
34 तुम्हारे सामने जो कुछ आएगा उसे देख तुम विक्षिप्‍त हो जाओगे.
৩৪আর তোমার চোখ যা দেখবে, তার জন্য তুমি উন্মাদ হবে।
35 याहवेह तुम्हारे पैरों और घुटनों में ऐसे पीड़ादायक फोड़े उत्पन्‍न कर देंगे, जिनसे तुम स्वस्थ नहीं हो सकोगे, वस्तुतः तुम सिर से पांव तक घावों से भर जाओगे.
৩৫সদাপ্রভু তোমার হাঁটু, পা ও পায়ের তলা থেকে মাথার তালু পর্যন্ত কঠিন স্ফোটকের মাধ্যমে আঘাত করবেন যা আরোগ্য হবে না।
36 याहवेह तुम्हें और उस राजा को, जो तुम्हारे द्वारा प्रतिष्ठित किया गया होगा, एक ऐसे राष्ट्र में भेज देंगे, जिसे न तो तुम जानते हो और न ही जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने जाना था. उस राष्ट्र में तुम काठ और पत्थर की मूर्तियों की सेवा-उपासना करोगे.
৩৬সদাপ্রভু তোমাকে এবং যে রাজাকে তুমি নিজের ওপরে নিযুক্ত করবে, তাকে তোমার অজানা এবং তোমার পূর্বপুরুষদের অজানা এক জাতির কাছে নিয়ে যাবেন; সেই জায়গায় তুমি অন্য দেবতাদের, কাঠ ও পাথরের সেবা করবে।
37 तब तुम उन लोगों के बीच, जिनके बीच में याहवेह तुम्हें हकाल देंगे, भय, लोकोक्ति और उपहास का विषय होकर रह जाओगे.
৩৭আর সদাপ্রভু তোমাকে যে সব জাতির মধ্যে নিয়ে যাবেন, তাদের কাছে তুমি বিস্ময়ের, প্রবাদের ও উপহাসের পাত্র হবে।
38 तुम विपुल बीज बोओगे, मगर फसल काटने के अवसर पर तुम बहुत अल्प एकत्र कर सकोगे, क्योंकि टिड्डियां इसे चट कर जाएंगी.
৩৮তুমি বহু বীজ ক্ষেতে বয়ে নিয়ে যাবে, কিন্তু অল্প সংগ্রহ করবে; কারণ পঙ্গপাল তা বিনষ্ট করবে।
39 तुम द्राक्षा उद्यानों का रोपण और कृषि ज़रूर करोगे, मगर तुम न तो द्राक्षा एकत्र कर सकोगे और न ही द्राक्षारस का सेवन कर सकोगे, इन्हें कीट चट कर जाएंगे.
৩৯তুমি আঙ্গুর ক্ষেত রোপণ করে তার চাষ করবে, কিন্তু আঙ্গুর রস পান করতে কি আঙ্গুর ফল জড়ো করতে পারবে না; কারণ পোকায় তা খেয়ে ফেলবে।
40 तुम्हारे देश की सारी सीमा में ज़ैतून वृक्ष तो होंगे, मगर तुम ज़ैतून तेल का प्रयोग अभ्यंजन के लिए नहीं कर सकोगे, क्योंकि ज़ैतून फलों का अवपात हो जाएगा.
৪০তোমার সকল অঞ্চলে জিতগাছ হবে, কিন্তু তুমি তেল ঘষতে পারবে না; কারণ তোমার জিতগাছের ফল ঝরে পড়বে।
41 तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां पैदा ज़रूर होंगे, मगर वे तुम्हारे होकर न रह सकेंगे, क्योंकि उन्हें बन्दीत्व में ले जाया जाएगा.
৪১তুমি ছেলে মেয়েদের জন্ম দেবে, কিন্তু তারা তোমার হবে না; কারণ তারা বন্দি হয়ে যাবে।
42 कीट तुम्हारे सारे वृक्षों और भूमि की उपज में समा जाएंगे.
৪২পঙ্গপাল তোমার সব গাছ ও ভূমির ফল অধিকার করবে।
43 तुम्हारे बीच प्रवास कर रहा विदेशी तुमसे अधिक उन्‍नत होता जाएगा, मगर खुद तुम्हारा ह्रास ही ह्रास होता चला जाएगा.
৪৩তোমার মধ্যবর্ত্তী বিদেশী তোমার থেকে আরো উন্নত হবে ও তুমি আরো অবনত হবে।
44 वह विदेशी ही तुम्हें ऋण देने की स्थिति में होगा, मगर तुम उसे ऋण देने की स्थिति में न रहोगे. वह तो शीर्ष पर पहुंच जाएगा, मगर तुम निम्नतम स्तर पर रह जाओगे.
৪৪সে তোমাকে ঋণ দেবে, কিন্তু তুমি তাকে ঋণ দেবে না; সে মাথার মতো হবে ও তুমি লেজের মতো হবে।
45 इस प्रकार ये सारे शाप तुम पर प्रभावी हो जाएंगे, तुम्हारा पीछा करते रहेंगे, तुम्हें पकड़ लेंगे, कि तुम पूरी तरह नाश हो जाओ, क्योंकि तुमने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया, उनके अध्यादेशों को पूरा नहीं किया, जो खुद उन्हीं ने तुम्हें प्रदान किए हैं.
৪৫এই সমস্ত অভিশাপ তোমার ওপরে আসবে, তোমার অনুসরণ করে তোমার ধ্বংস পর্যন্ত তোমার থেকে এগিয়ে যাবে; কারণ তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে যে সব আজ্ঞা ও বিধি দিয়েছেন, তুমি সে সব পালনের জন্যে তাঁর রবে কান দিলে না।
46 ये शाप तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए चिन्ह और अलौकिक घटनाएं होकर रह जाएंगे.
৪৬এ সব তোমার ও চিরকাল তোমার বংশের উপরে চিহ্ন ও অদ্ভুত লক্ষণের মতো থাকবে।
47 इसलिये कि तुमने इन सारी समृद्धि के लिए याहवेह, अपने परमेश्वर की वंदना न तो सहर्ष भाव में की और न सच्चे हृदय के साथ,
৪৭কারণ সমৃদ্ধির জন্য তুমি আনন্দে এবং উল্লাসে নিজের ঈশ্বর সদাপ্রভুর দাসত্ব করতে না;
48 इसलिये तुम याहवेह द्वारा उत्प्रेरित अपने शत्रुओं के सेवक होकर रह जाओगे; जब तुम भूख, प्यास, नंगाई और सब प्रकार के अभाव की स्थिति में रहोगे. याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी गर्दन पर लोहे का जूआ तब तक रखे रहेंगे, जब तक वह तुम्हें नाश न कर दें.
৪৮এই জন্য সদাপ্রভু তোমার বিরুদ্ধে যে শত্রুদেরকে পাঠাবেন, তুমি খিদেতে, তৃষ্ণায়, উলঙ্গতায় ও সব বিষয়ের অভাব ভোগ করতে করতে তাদের দাসত্ব করবে এবং যে পর্যন্ত তিসদাপ্রভু নি তোমার ধ্বংস না করেন, সে পর্যন্ত সদাপ্রভু তিনি তোমার ঘাড়ে লোহার যোঁয়ালি দিয়ে রাখবেন।
49 याहवेह दूरस्त देश को तुम पर हमला के लिए प्रेरित करेंगे; हां, पृथ्वी के छोर से, जिस प्रकार गरुड़ झपटता है, वह ऐसा राष्ट्र होगा, जिसकी भाषा तुम समझ नहीं पाओगे,
৪৯সদাপ্রভুর তোমার বিরুদ্ধে বহু দূর থেকে, পৃথিবীর শেষ থেকে এক জাতিকে আনবেন; যেমন ঈগল পাখি উড়ে আসে, সে সেইভাবে আসবে; সেই জাতির ভাষা তুমি বুঝতে পারবে না।
50 वह रौद्र स्वरूप राष्ट्र होगा. उसके हृदय में न तो वृद्धों के प्रति सम्मान होगा, न बालकों के प्रति करुणा.
৫০সেই জাতি ভয়ঙ্কর মুখ, সে বয়স্ককে শ্রদ্ধা করবে না ও বালকের প্রতি দয়া করবে না।
51 इसके अलावा वह राष्ट्र तब तक तुम्हारे पशुओं के बच्चों और भूमि की उपज का उपभोग करता रहेगा, जब तक तुम नाश न हो जाओ. अर्थात् वह राष्ट्र तुम्हारे उपभोग के लिए न तो अन्‍न छोड़ेगा, न नया द्राक्षारस न नया तेल, न तुम्हारे पशुओं की सन्तति और न ही भेड़ों के मेमने, जिससे तुम नाश हो ही जाओगे.
৫১আর যে পর্যন্ত তোমার ধ্বংস না হবে, ততক্ষণ সে তোমার পশুর ফল ও তোমার ভূমির ফল খাবে; যতক্ষণ সে তোমার ধ্বংস সম্পন্ন না করবে, ততক্ষণ তোমার জন্য শস্য, আঙ্গুর রস কিংবা তেল, তোমার গরুর বাচ্চা কিংবা তোমার মেষীর শাবক বাকি রাখবে না।
52 वह राष्ट्र तुम्हारे सारे नगरों में की घेराबंदी कर लेगा और उसके हमला के परिणामस्वरूप वे उस पूरे देश में, जो तुम्हें याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किया गया था, जिन शहरपनाहों पर तुम्हें पूरा भरोसा रहा था, भंग कर देंगे.
৫২আর তোমার সব দেশে যে সব উঁচু ও সুরক্ষিত দেওয়ালে তুমি বিশ্বাস করতে, সে সব যতক্ষণ ভূমিসাৎ না হবে, ততক্ষণ সে তোমার সব শহরের দরজায় তোমাকে অবরোধ করবে; তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দেওয়া তোমার সমস্ত দেশে সব শহরের দরজায় সে তোমাকে অবরোধ করবে।
53 शत्रुओं द्वारा की गई घेराबंदी और उसके द्वारा दी गई प्रताड़ना के कारण तुम अपनी निज संतान को खाने लगोगे, तुम्हारे अपने पुत्र-पुत्रियों के मांस को, जो तुम्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए हैं.
৫৩আর যখন তোমার শত্রুদের মাধ্যমে তুমি অবরুদ্ধ ও কষ্ট পাবে, তখন তুমি নিজের শরীরের ফল, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দেওয়া নিজের ছেলে মেয়েদের মাংস খাবে।
54 उस समय वह व्यक्ति, जो तुम्हारे बीच में बहुत शालीन और संवेदनशील माना जाता है, वही अपने सहनागरिकों, अपनी प्रिय पत्नी और अपनी शेष संतान के प्रति निर्मम हो जाएगा,
৫৪যখন সব শহরের দরজায় শত্রুদের মাধ্যমে তুমি অবরুদ্ধ ও কষ্ট পাবে, তখন তোমার মধ্যে যে পুরুষ কোমল ও খুব বিলাসী, নিজের ভাইয়ের, তার প্রিয় স্ত্রী ও বাকি ছেলে মেয়েদের প্রতি সে ঈর্ষাপূর্ণ যে,
55 वह अपनी संतान के मांस में से किसी को कुछ न देगा, क्योंकि अभाव इतना ज्यादा हो जाएगा. ऐसी भयावह हो जाएगी वह स्थिति, जब तुम्हारे वे शत्रु तुम्हारे सारे नगरों में तुम पर अत्याचार करते रहें.
৫৫সে তাদের কাউকেও নিজের ছেলে মেয়েদের মাংসের কিছুই দেবে না; তার কিছুমাত্র বাকি না থাকার জন্য সে তাদেরকে খাবে।
56 तुम्हारे बीच वह स्त्री, जो बहुत शालीन और सुकुमारी मानी जाती है, जो इतनी परिष्कृत और सुकुमारी है, कि वह अपने पांव तक भूमि पर नहीं पड़ने देती, वही अपने प्रिय पति और पुत्र-पुत्री के प्रतिकूल हो जाएगी.
৫৬যখন সব শহরের দরজায় শত্রুদের মাধ্যমে তুমি অবরুদ্ধ ও কষ্ট পাবে তখন যে স্ত্রী কোমলতা ও বিলাসিতার জন্য নিজের পা মাটিতে রাখতে সাহস করত না, তোমার মাঝে এমন কোমল ও বিলাসী মহিলার চোখ নিজের স্বামীর, নিজের ছেলে ও মেয়ের ওপরে,
57 वह उन्हें न तो अपने गर्भ की ममता दिखाएगी और न नवजात शिशु की, क्योंकि शत्रुओं द्वारा घेरे गए तुम्हारे नगर की स्थिति ऐसी शोचनीय हो चुकी होगी, कि वह खुद इन्हें छिप-छिप कर खाती रहना चाहेगी.
৫৭এমন কি, নিজের দুই পায়ের মধ্য থেকে বের হওয়া সদ্যোজাত ও নিজের প্রসবিত শিশুদের ওপরে অত্যাচার করবে; কারণ সব কিছুর অভাবের জন্য সে এদেরকে গোপনে খাবে।
58 यदि तुम इस व्यवस्था में लिखित विधि के सब वचनों का पालन के प्रति सावधान न रहोगे, इस सम्मान्य और उदात्त नाम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा न रखो,
৫৮তুমি যদি এই বইতে লেখা নিয়মের সমস্ত কথা যত্ন সহকারে পালন না কর; এভাবে যদি “তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু” এই গৌরবান্বিত ও ভয়াবহ নামকে ভয় না কর;
59 तब याहवेह तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर अभूतपूर्व महामारियां ले आएंगे. ये महामारियां बहुत पीड़ादायी और स्थायी प्रकृति की और चिरकालिक और दयनीय व्याधियां होंगी.
৫৯তবে সদাপ্রভু তোমাকে ও তোমার বংশকে ভয়ঙ্কর মহামারী দেবেন; ফলে অনেক দিন স্থায়ী মহাঘাত ও অনেক দিন স্থায়ী কঠিন রোগ দেবেন।
60 याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर मिस्र देश पर प्रभावी की गई सारी व्याधियां तुम पर प्रभावी कर देंगे, जो तुम्हारे लिए भयावह बनी हुई थीं, वे तुम पर संलग्न हो जाएंगी.
৬০আর তুমি যা থেকে ভয় পেতে, সেই মিশরীয় সব রোগ আবার তোমার উপরে আনবেন; সে সব তোমার সঙ্গী হবে।
61 यहां तक कि वे सारी व्याधियां और वे सारी महामारियां, जिनका उल्लेख इस विधान अभिलेख में नहीं किया गया है, याहवेह तुम पर प्रभावी कर देंगे, कि तुम्हारा विनाश हो जाए.
৬১আর যা এই নিয়মের বইয়ে লেখা নেই, এমন প্রত্যেক রোগ ও আঘাত সদাপ্রভু তোমার ধ্বংস না হওয়া পর্যন্ত তোমার উপরে আনবেন।
62 तब तुम्हारी गिनती कम रह जाएगी, जबकि एक समय तुम ऐसे अनगिनत थे, जैसे आकाश के तारे. कारण यह है, कि तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी हो गए थे.
৬২তাতে আকাশের তারার মতো বহুসংখ্যক ছিলে যে তোমরা, তোমরা কিছু সংখ্যক বাকি থাকবে; কারণ তুমি নিজের ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে কান দিতে না।
63 जिस प्रकार एक समय याहवेह की तुष्टि तुम्हारे जनसंख्या के बढ़ने और समृद्धि में थी, उसी प्रकार याहवेह की तुष्टि होगी तुम्हें नाश कर देने और मिटा देने में. तुम जिस देश पर अधिकार करने के उद्देश्य से उसमें प्रवेश कर रहे हो, तुम वहां से निकाल दिए जाओगे.
৬৩আর তোমাদের ভালো ও বহুগুণ করতে যেমন সদাপ্রভু তোমাদের বিষয়ে আনন্দ করতেন, সেরকম তোমাদের ধ্বংস ও বিনষ্ট করতে সদাপ্রভু তোমাদের বিষয়ে আনন্দ করবেন এবং তুমি যে দেশ অধিকার করতে যাচ্ছ, সেখান থেকে তোমরা অপহৃত হবে।
64 इसके अलावा, याहवेह ही तुम्हें हर जगह बिखरा देंगे; पृथ्वी के एक छोर से अन्य छोर तक. वहां तुम पराए देवताओं—पत्थर और लकड़ी के देवताओं के सेवक बन जाओगे, तुम्हारे पूर्वजों से सर्वथा अज्ञात देवताओं के.
৬৪আর সদাপ্রভু তোমাকে পৃথিবীর এক প্রান্ত থেকে অপর প্রান্ত পর্যন্ত সব জাতির মধ্যে ছড়িয়ে দেবেন; সেই জায়গায় তুমি নিজের ও নিজের পূর্বপুরুষদের অজানা অন্য দেবতাদের, কাঠ ও পাথরের সেবা করবে।
65 इन जनताओं के बीच निवास करते हुए तुम्हें ज़रा भी शांति प्राप्‍त न होगी. मगर हां, वहां याहवेह तुम्हें एक चिंतित हृदय प्रदान करेंगे. तुम्हारी दृष्टि क्षीण होती जाएगी और तुममें साहस न रह जाएगा.
৬৫আর তুমি সেই জাতিদের মধ্যে কিছু সুখ পাবে না ও তোমার পায়ের জন্য বিশ্রামের জায়গা থাকবে না, কিন্তু সদাপ্রভু সেই জায়গায় তোমাকে হৃদয়ের কম্পতা, চোখের ক্ষীণতা ও প্রাণের শোক দেবেন।
66 तुम हमेशा संशय की स्थिति में रहोगे, तुम दिन में और रात में आतंक से भरे रहोगे, तुम्हारे जीवन का कोई निश्चय न रह जाएगा.
৬৬আর তোমার জীবন তোমার দৃষ্টিতে সংশয়ে ঝুলে থাকবে এবং তুমি দিন রাত ভয় করবে ও নিজের জীবনের বিষয়ে তোমার বিশ্বাস থাকবে না।
67 प्रातः तुम विचार करोगे, “उत्तम होगा यह प्रातः नहीं, संध्या होती!” वैसे ही तुम संध्याकाल में यह कामना करते रहोगे: “उत्तम होता कि यह प्रभात होता!” यह उस आतंक के कारण होगा, जिसने तुम्हें भर रखा है, उस दृश्य के कारण, जो तुम्हारे सामने छाया रहता है.
৬৭তুমি হৃদয়ে যে ভয় করবে ও চোখে যে ভয়ঙ্কর দৃশ্য দেখবে, তার জন্য সকালে বলবে, হায় হায়, কখন সন্ধ্যা হবে? এবং সন্ধ্যাবেলায় বলবে, হায় হায়, কখন সকাল হবে?
68 याहवेह, जो तुम्हें जलयानों में मिस्र देश में लौटा ले जाएंगे; उस मार्ग से जिसके विषय में मैंने कहा था, अब तुम इसे फिर कभी न देखोगे. तब तुम वहां खुद को अपने शत्रुओं के सामने पुरुष और स्त्री, दास-दासियों स्वरूप बिकने के लिए प्रस्तुत कर दोगे, मगर तुम्हें वहां कोई खरीददार प्राप्‍त न होगा.
৬৮আর যে পথের বিষয়ে আমি তোমাকে বলেছি, তুমি তা আর দেখবে না, সদাপ্রভু সেই মিশর দেশের পথে জাহাজে করে তোমাকে আবার নিয়ে যাবেন এবং সেই জায়গায় তোমরা দাসদাসীরূপে নিজের শত্রুদের কাছে বিক্রীত হতে চাইবে; কিন্তু কেউ তোমাদেরকে কিনবে না।

< व्यवस्था विवरण 28 >