< दानिय्येल 4 >

1 राजा नबूकदनेज्ज़र की ओर से, सारी पृथ्वी पर रहनेवाले जाति-जाति और हर भाषा के लोगों को यह वचन: आप सब की बहुत उन्‍नति हो!
2 सर्वोच्च परमेश्वर द्वारा मेरे लिये किए गए उन अद्भुत चिन्हों और आश्चर्य कर्मों के बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे खुशी हो रही है.
3 क्या ही बड़े हैं उसके दिखाए चिन्ह,
4 मैं, नबूकदनेज्ज़र अपने महल में संतुष्ट और सम्पन्‍न था.
ἔτους ὀκτωκαιδεκάτου τῆς βασιλείας Ναβουχοδονοσορ εἶπεν εἰρηνεύων ἤμην ἐν τῷ οἴκῳ μου καὶ εὐθηνῶν ἐπὶ τοῦ θρόνου μου
5 मैंने एक स्वप्न देखा, जिससे मैं भयभीत हो गया. जब मैं अपने पलंग पर लेटा हुआ था, तो जो चित्र और दर्शन मेरे मन में आये, उनसे मैं भयभीत हो गया.
ἐνύπνιον εἶδον καὶ εὐλαβήθην καὶ φόβος μοι ἐπέπεσεν
6 इसलिये मैंने आज्ञा दी कि बाबेल के सारे बुद्धिमान लोग मेरे सामने लाए जाएं कि वे मेरे स्वप्न का अर्थ बताएं.
7 जब जादूगर, टोन्हे, तांत्रिक, ज्योतिषी और दैवीय शक्तिवाले मेरे पास आये, तो मैंने उन्हें अपना स्वप्न बताया, पर वे मुझको उसका अर्थ नहीं बता सके.
8 आखिर में, दानिएल मेरे सामने आया और मैंने उसे अपना स्वप्न बताया. (उसका नाम मेरे देवता के नाम से बैलशत्सर रखा गया है, और पवित्र देवताओं की आत्मा उसमें है.)
9 मैंने कहा, “हे बैलशत्सर, जादूगरों का मुखिया, मैं जानता हूं कि पवित्र देवताओं की आत्मा तुममें है और कोई भी रहस्य तुम्हारे लिये कठिन नहीं है. यह मेरा स्वप्न है; मुझे इसका अर्थ बताओ.
10 ये वे दर्शन हैं जिन्हें मैंने पलंग पर लेटे हुए देखा: मैंने देखा कि पृथ्वी के बीच एक पेड़ लगा है. वह बहुत ऊंचा था.
ἐκάθευδον καὶ ἰδοὺ δένδρον ὑψηλὸν φυόμενον ἐπὶ τῆς γῆς ἡ ὅρασις αὐτοῦ μεγάλη καὶ οὐκ ἦν ἄλλο ὅμοιον αὐτῷ
11 वह पेड़ बड़ा होकर मजबूत हो गया और इसका सिरा आकाश को छूने लगा; इसे सारी पृथ्वी के छोर से भी देखा जा सकता था.
καὶ ἡ ὅρασις αὐτοῦ μεγάλη ἡ κορυφὴ αὐτοῦ ἤγγιζεν ἕως τοῦ οὐρανοῦ καὶ τὸ κύτος αὐτοῦ ἕως τῶν νεφελῶν πληροῦν τὰ ὑποκάτω τοῦ οὐρανοῦ ὁ ἥλιος καὶ ἡ σελήνη ἐν αὐτῷ ᾤκουν καὶ ἐφώτιζον πᾶσαν τὴν γῆν
12 इसकी पत्तियां सुंदर थी और इसमें बहुत सारे फल लगे थे, और इसमें सबके लिये भोजन था. इसके नीचे जंगली जानवर रहते थे, और आकाश के पक्षी इसकी शाखाओं पर बसेरा करते थे; इसमें से हर एक जीव-जन्तु भोजन पाते थे.
οἱ κλάδοι αὐτοῦ τῷ μήκει ὡς σταδίων τριάκοντα καὶ ὑποκάτω αὐτοῦ ἐσκίαζον πάντα τὰ θηρία τῆς γῆς καὶ ἐν αὐτῷ τὰ πετεινὰ τοῦ οὐρανοῦ ἐνόσσευον ὁ καρπὸς αὐτοῦ πολὺς καὶ ἀγαθὸς καὶ ἐχορήγει πᾶσι τοῖς ζῴοις
13 “पलंग पर लेटे हुए मैंने दर्शन में देखा कि स्वर्ग से एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक नीचे आ रहा था.
ἐθεώρουν ἐν τῷ ὕπνῳ μου καὶ ἰδοὺ ἄγγελος ἀπεστάλη ἐν ἰσχύι ἐκ τοῦ οὐρανοῦ
14 उसने ऊंची आवाज में कहा: ‘काट डालो इस पेड़ को और इसकी शाखाओं को अलग कर दो; इसकी पत्तियों को गिरा दो और इसके फल को बिखरा दो. जानवर इसके नीचे से भाग जाएं और चिड़िया इसकी शाखाओं से उड़ जाएं.
καὶ ἐφώνησε καὶ εἶπεν αὐτῷ ἐκκόψατε αὐτὸ καὶ καταφθείρατε αὐτό προστέτακται γὰρ ἀπὸ τοῦ ὑψίστου ἐκριζῶσαι καὶ ἀχρειῶσαι αὐτό
15 पर पेड़ के ठूंठ और इसकी जड़ों को लोहे और कांसा से बंधे रहकर ज़मीन के घास पर, भूमि में रहने दो. “‘उसे आकाश की ओस से भीगने दो, और उसे पृथ्वी के पौधों के बीच जानवरों के साथ रहने दो.
καὶ οὕτως εἶπε ῥίζαν μίαν ἄφετε αὐτοῦ ἐν τῇ γῇ ὅπως μετὰ τῶν θηρίων τῆς γῆς ἐν τοῖς ὄρεσι χόρτον ὡς βοῦς νέμηται
16 उसका मन बदल दिया जाए और एक मनुष्य के समान उसका मन न रहे और उसे सात कालखण्ड बीतने तक एक जानवर का मन दिया जाए.
καὶ ἀπὸ τῆς δρόσου τοῦ οὐρανοῦ τὸ σῶμα αὐτοῦ ἀλλοιωθῇ καὶ ἑπτὰ ἔτη βοσκηθῇ σὺν αὐτοῖς
17 “‘इस निर्णय का ऐलान संदेशवाहकों के द्वारा किया जाता है, पवित्र जन इस निर्णय की घोषणा करते हैं, ताकि जीवित लोग इस बात को जानें कि वह जो सर्वोच्च हैं, वे ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं, उसे उन राज्यों को दे देते हैं और छोटे से छोटे व्यक्ति को उनके ऊपर नियुक्त कर देते हैं.’
ἕως ἂν γνῷ τὸν κύριον τοῦ οὐρανοῦ ἐξουσίαν ἔχειν πάντων τῶν ἐν τῷ οὐρανῷ καὶ τῶν ἐπὶ τῆς γῆς καὶ ὅσα ἂν θέλῃ ποιεῖ ἐν αὐτοῖς ἐνώπιόν μου ἐξεκόπη ἐν ἡμέρᾳ μιᾷ καὶ ἡ καταφθορὰ αὐτοῦ ἐν ὥρᾳ μιᾷ τῆς ἡμέρας καὶ οἱ κλάδοι αὐτοῦ ἐδόθησαν εἰς πάντα ἄνεμον καὶ εἱλκύσθη καὶ ἐρρίφη καὶ τὸν χόρτον τῆς γῆς μετὰ τῶν θηρίων τῆς γῆς ἤσθιε καὶ εἰς φυλακὴν παρεδόθη καὶ ἐν πέδαις καὶ ἐν χειροπέδαις χαλκαῖς ἐδέθη ὑπ’ αὐτῶν σφόδρα ἐθαύμασα ἐπὶ πᾶσι τούτοις καὶ ὁ ὕπνος μου ἀπέστη ἀπὸ τῶν ὀφθαλμῶν μου
18 “यही है वह स्वप्न जिसे मैं, राजा नबूकदनेज्ज़र ने देखा. अब, हे बैलशत्सर, मुझे बताओ कि इसका क्या अर्थ है, क्योंकि मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति मुझे इसका अर्थ नहीं बता सकता. पर तुम बता सकते हो, क्योंकि तुममें पवित्र देवताओं की आत्मा है.”
καὶ ἀναστὰς τὸ πρωὶ ἐκ τῆς κοίτης μου ἐκάλεσα τὸν Δανιηλ τὸν ἄρχοντα τῶν σοφιστῶν καὶ τὸν ἡγούμενον τῶν κρινόντων τὰ ἐνύπνια καὶ διηγησάμην αὐτῷ τὸ ἐνύπνιον καὶ ὑπέδειξέ μοι πᾶσαν τὴν σύγκρισιν αὐτοῦ
19 तब दानिएल (जिसे बैलशत्सर भी कहा जाता था) थोड़ी देर के लिये व्याकुल हो गया, और उसके विचार उसे भयभीत करने लगे. इसलिये राजा ने कहा, “हे बैलशत्सर, मेरे स्वप्न या इसके अर्थ से भयभीत न हो.” बैलशत्सर ने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, काश, यह स्वप्न सिर्फ आपके शत्रुओं और इसका अर्थ आपके विरोधियों पर लागू होता!
μεγάλως δὲ ἐθαύμασεν ὁ Δανιηλ καὶ ὑπόνοια κατέσπευδεν αὐτόν καὶ φοβηθεὶς τρόμου λαβόντος αὐτὸν καὶ ἀλλοιωθείσης τῆς ὁράσεως αὐτοῦ κινήσας τὴν κεφαλὴν ὥραν μίαν ἀποθαυμάσας ἀπεκρίθη μοι φωνῇ πραείᾳ βασιλεῦ τὸ ἐνύπνιον τοῦτο τοῖς μισοῦσί σε καὶ ἡ σύγκρισις αὐτοῦ τοῖς ἐχθροῖς σου ἐπέλθοι
20 वह पेड़ जिसे आपने देखा, जो बड़ा होकर मजबूत हो गया, जिसका सिरा आकाश को छूने लगा था, और जिसे सारी पृथ्वी से देखा जा सकता था,
τὸ δένδρον τὸ ἐν τῇ γῇ πεφυτευμένον οὗ ἡ ὅρασις μεγάλη σὺ εἶ βασιλεῦ
21 जिसकी पत्तियां सुंदर और जिसमें बहुत सारे फल थे, जिससे सबको भोजन मिलता था, जो जंगली जानवरों को आश्रय देता था, और चिड़ियां जिसकी शाखाओं पर घोंसला बनाती थीं—
καὶ πάντα τὰ πετεινὰ τοῦ οὐρανοῦ τὰ νοσσεύοντα ἐν αὐτῷ ἡ ἰσχὺς τῆς γῆς καὶ τῶν ἐθνῶν καὶ τῶν γλωσσῶν πασῶν ἕως τῶν περάτων τῆς γῆς καὶ πᾶσαι αἱ χῶραι σοὶ δουλεύουσι
22 हे महाराज, वह पेड़ आप हैं! आप बड़े और मजबूत हो गये हैं; आपकी महानता इतनी हो गई है कि यह आकाश को छूने लगी है, और आपका राज्य पृथ्वी में दूर-दूर तक फैल गया है.
τὸ δὲ ἀνυψωθῆναι τὸ δένδρον ἐκεῖνο καὶ ἐγγίσαι τῷ οὐρανῷ καὶ τὸ κύτος αὐτοῦ ἅψασθαι τῶν νεφελῶν σύ βασιλεῦ ὑψώθης ὑπὲρ πάντας τοὺς ἀνθρώπους τοὺς ὄντας ἐπὶ προσώπου πάσης τῆς γῆς ὑψώθη σου ἡ καρδία ὑπερηφανίᾳ καὶ ἰσχύι τὰ πρὸς τὸν ἅγιον καὶ τοὺς ἀγγέλους αὐτοῦ τὰ ἔργα σου ὤφθη καθότι ἐξερήμωσας τὸν οἶκον τοῦ θεοῦ τοῦ ζῶντος ἐπὶ ταῖς ἁμαρτίαις τοῦ λαοῦ τοῦ ἡγιασμένου
23 “हे महाराज, आपने एक पवित्र जन, एक संदेशवाहक को स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा जो यह कह रहा था, ‘इस पेड़ को काट डालो और इसे नष्ट कर दो, पर इसके ठूंठ को, लोहा और कांसा से बंधे हुए ज़मीन के घांस में रहने दो तथा इसके जड़ों को भूमि में छोड़ दो. उसे आकाश की ओस से भीगने दो; उसे जंगली जानवरों के साथ रहने दो, जब तक कि उसके लिये सात कालखण्ड पूरे न हो जाएं.’
καὶ ἡ ὅρασις ἣν εἶδες ὅτι ἄγγελος ἐν ἰσχύι ἀπεστάλη παρὰ τοῦ κυρίου καὶ ὅτι εἶπεν ἐξᾶραι τὸ δένδρον καὶ ἐκκόψαι ἡ κρίσις τοῦ θεοῦ τοῦ μεγάλου ἥξει ἐπὶ σέ
24 “हे महाराज, यह उसका अर्थ है, और यह वह फैसला है, जिसे सर्वोच्च परमेश्वर ने मेरे प्रभु राजा के विरुद्ध दिया है:
καὶ ὁ ὕψιστος καὶ οἱ ἄγγελοι αὐτοῦ ἐπὶ σὲ κατατρέχουσιν
25 आपको लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और आप जंगली जानवरों के साथ रहेंगे; आप बैल की तरह घांस खाएंगे और आकाश की ओस से भीगेंगे. सात कालखण्ड के बीतने तक आप इसी स्थिति में रहेंगे, और तब आप यह मान लेंगे कि पृथ्वी पर सारे राज्यों के ऊपर सर्वोच्च परमेश्वर ही परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे ये राज्य दे देते हैं.
εἰς φυλακὴν ἀπάξουσί σε καὶ εἰς τόπον ἔρημον ἀποστελοῦσί σε
26 पेड़ के ठूंठ को इसके जड़ों सहित छोड़ने की जो आज्ञा दी गई है, उसका अर्थ यह है कि आपको आपका राज्य लौटा दिया जाएगा, जब आप यह बात मान लेंगे कि स्वर्ग ही शासन करता है.
καὶ ἡ ῥίζα τοῦ δένδρου ἡ ἀφεθεῖσα ἐπεὶ οὐκ ἐξερριζώθη ὁ τόπος τοῦ θρόνου σού σοι συντηρηθήσεται εἰς καιρὸν καὶ ὥραν ἰδοὺ ἐπὶ σὲ ἑτοιμάζονται καὶ μαστιγώσουσί σε καὶ ἐπάξουσι τὰ κεκριμένα ἐπὶ σέ
27 इसलिये, हे महाराज, खुशी से मेरी सलाह को मान लीजिये: आप अपने पापों को छोड़कर भले काम करिये, और दुष्टता को छोड़कर सताये हुए लोगों पर दया कीजिये. तब यह हो सकता है कि आपकी समृद्धि होने लगे.”
κύριος ζῇ ἐν οὐρανῷ καὶ ἡ ἐξουσία αὐτοῦ ἐπὶ πάσῃ τῇ γῇ αὐτοῦ δεήθητι περὶ τῶν ἁμαρτιῶν σου καὶ πάσας τὰς ἀδικίας σου ἐν ἐλεημοσύναις λύτρωσαι ἵνα ἐπιείκεια δοθῇ σοι καὶ πολυήμερος γένῃ ἐπὶ τοῦ θρόνου τῆς βασιλείας σου καὶ μὴ καταφθείρῃ σε τούτους τοὺς λόγους ἀγάπησον ἀκριβὴς γάρ μου ὁ λόγος καὶ πλήρης ὁ χρόνος σου
28 ये सब बातें राजा नबूकदनेज्ज़र के साथ हुई.
καὶ ἐπὶ συντελείᾳ τῶν λόγων Ναβουχοδονοσορ ὡς ἤκουσε τὴν κρίσιν τοῦ ὁράματος τοὺς λόγους ἐν τῇ καρδίᾳ συνετήρησε
29 बारह महीनों के बाद, जब राजा बाबेल के राजमहल के छत पर टहल रहा था,
καὶ μετὰ μῆνας δώδεκα ὁ βασιλεὺς ἐπὶ τῶν τειχῶν τῆς πόλεως μετὰ πάσης τῆς δόξης αὐτοῦ περιεπάτει καὶ ἐπὶ τῶν πύργων αὐτῆς διεπορεύετο
30 तब उसने कहा, “क्या यह वह बड़ा बाबेल नहीं है, जिसे मैंने अपने बड़े शक्ति से शाही निवास के रूप में अपने वैभव की महिमा के लिये बनाया है?”
καὶ ἀποκριθεὶς εἶπεν αὕτη ἐστὶ Βαβυλὼν ἡ μεγάλη ἣν ἐγὼ ᾠκοδόμησα καὶ οἶκος βασιλείας μου ἐν ἰσχύι κράτους μου κληθήσεται εἰς τιμὴν τῆς δόξης μου
31 अभी राजा के ये वचन उसके मुंह से निकले भी नहीं थे कि स्वर्ग से एक आवाज आई, “हे राजा नबूकदनेज्ज़र, तुम्हारे लिए यह फैसला किया जाता है: तुम्हारा शाही अधिकार तुमसे छीन लिया गया है.
καὶ ἐπὶ συντελείας τοῦ λόγου αὐτοῦ φωνὴν ἐκ τοῦ οὐρανοῦ ἤκουσε σοὶ λέγεται Ναβουχοδονοσορ βασιλεῦ ἡ βασιλεία Βαβυλῶνος ἀφῄρηταί σου καὶ ἑτέρῳ δίδοται ἐξουθενημένῳ ἀνθρώπῳ ἐν τῷ οἴκῳ σου ἰδοὺ ἐγὼ καθίστημι αὐτὸν ἐπὶ τῆς βασιλείας σου καὶ τὴν ἐξουσίαν σου καὶ τὴν δόξαν σου καὶ τὴν τρυφήν σου παραλήψεται ὅπως ἐπιγνῷς ὅτι ἐξουσίαν ἔχει ὁ θεὸς τοῦ οὐρανοῦ ἐν τῇ βασιλείᾳ τῶν ἀνθρώπων καὶ ᾧ ἐὰν βούληται δώσει αὐτήν ἕως δὲ ἡλίου ἀνατολῆς βασιλεὺς ἕτερος εὐφρανθήσεται ἐν τῷ οἴκῳ σου καὶ κρατήσει τῆς δόξης σου καὶ τῆς ἰσχύος σου καὶ τῆς ἐξουσίας σου
32 तुम्हें लोगों के बीच से भगा दिया जाएगा और तुम जंगली जानवरों के साथ रहोगे; तुम बैल की तरह घांस खाओगे. इसी स्थिति में तुम्हारे लिये सात कालखण्ड बीतेगा और तब तुम यह मान लोगे कि सर्वोच्च परमेश्वर ही पृथ्वी पर सब राज्यों के ऊपर परम प्रधान हैं और वे जिसे चाहते हैं उसे इन राज्यों को दे देते हैं.”
καὶ οἱ ἄγγελοι διώξονταί σε ἐπὶ ἔτη ἑπτά καὶ οὐ μὴ ὀφθῇς οὐδ’ οὐ μὴ λαλήσῃς μετὰ παντὸς ἀνθρώπου χόρτον ὡς βοῦν σε ψωμίσουσι καὶ ἀπὸ τῆς χλόης τῆς γῆς ἔσται ἡ νομή σου ἰδοὺ ἀντὶ τῆς δόξης σου δήσουσί σε καὶ τὸν οἶκον τῆς τρυφῆς σου καὶ τὴν βασιλείαν σου ἕτερος ἕξει
33 नबूकदनेज्ज़र के बारे में जो बात कही गई, वह उसी घड़ी पूरी हो गई. उसे लोगों के बीच से भगा दिया गया और वह बैल की तरह घांस खाने लगा. उसका शरीर आकाश की ओस से भीगता था, यहां तक कि उसके बाल बढ़कर गरुड़ के पंखों के समान और उसके नाखून चिड़ियों के पंजों के समान हो गये.
ἕως δὲ πρωὶ πάντα τελεσθήσεται ἐπὶ σέ Ναβουχοδονοσορ βασιλεῦ Βαβυλῶνος καὶ οὐχ ὑστερήσει ἀπὸ πάντων τούτων οὐθέν ἐγὼ Ναβουχοδονοσορ βασιλεὺς Βαβυλῶνος ἑπτὰ ἔτη ἐπεδήθην χόρτον ὡς βοῦν ἐψώμισάν με καὶ ἀπὸ τῆς χλόης τῆς γῆς ἤσθιον καὶ μετὰ ἔτη ἑπτὰ ἔδωκα τὴν ψυχήν μου εἰς δέησιν καὶ ἠξίωσα περὶ τῶν ἁμαρτιῶν μου κατὰ πρόσωπον κυρίου τοῦ θεοῦ τοῦ οὐρανοῦ καὶ περὶ τῶν ἀγνοιῶν μου τοῦ θεοῦ τῶν θεῶν τοῦ μεγάλου ἐδεήθην καὶ αἱ τρίχες μου ἐγένοντο ὡς πτέρυγες ἀετοῦ οἱ ὄνυχές μου ὡσεὶ λέοντος ἠλλοιώθη ἡ σάρξ μου καὶ ἡ καρδία μου γυμνὸς περιεπάτουν μετὰ τῶν θηρίων τῆς γῆς ἐνύπνιον εἶδον καὶ ὑπόνοιαί με εἰλήφασι καὶ διὰ χρόνου ὕπνος με ἔλαβε πολὺς καὶ νυσταγμὸς ἐπέπεσέ μοι
34 निर्धारित समय के अंत में, मैं, नबूकदनेज्ज़र ने स्वर्ग की ओर अपनी दृष्टि उठाई, और मेरी मानसिक अवस्था फिर पहले जैसे हो गई. तब मैंने सर्वोच्च परमेश्वर की महिमा की; मैंने उसका आदर और प्रशंसा किया, जो सदाकाल तक जीवित रहता है.
καὶ ἐπὶ συντελείᾳ τῶν ἑπτὰ ἐτῶν ὁ χρόνος μου τῆς ἀπολυτρώσεως ἦλθε καὶ αἱ ἁμαρτίαι μου καὶ αἱ ἄγνοιαί μου ἐπληρώθησαν ἐναντίον τοῦ θεοῦ τοῦ οὐρανοῦ καὶ ἐδεήθην περὶ τῶν ἀγνοιῶν μου τοῦ θεοῦ τῶν θεῶν τοῦ μεγάλου καὶ ἰδοὺ ἄγγελος εἷς ἐκάλεσέ με ἐκ τοῦ οὐρανοῦ λέγων Ναβουχοδονοσορ δούλευσον τῷ θεῷ τοῦ οὐρανοῦ τῷ ἁγίῳ καὶ δὸς δόξαν τῷ ὑψίστῳ τὸ βασίλειον τοῦ ἔθνους σού σοι ἀποδίδοται
35 पृथ्वी के सारे लोगों का
36 जिस समय मेरी मानसिक अवस्था पहले जैसी हो गई, उसी समय मेरा सम्मान और वैभव भी मेरे राज्य के गौरव हेतु मेरे पास लौट आया. मेरे सलाहकारों और कुलीन लोगों ने मुझे ढूंढ़ निकाला, और मुझे फिर से मेरे सिंहासन पर बैठाया गया और मैं पहले से भी ज्यादा महान हो गया.
ἐν ἐκείνῳ τῷ καιρῷ ἀποκατεστάθη ἡ βασιλεία μου ἐμοί καὶ ἡ δόξα μου ἀπεδόθη μοι
37 अब मैं, नबूकदनेज्ज़र स्वर्ग के राजा की स्तुति, महिमा और प्रशंसा करता हूं, क्योंकि वे जो भी करते हैं, सही करते हैं और उनके सब युक्तियां न्याय संगत होती हैं. और जो घमंड से चलते हैं, उन्हें वह नम्र बनाने में समर्थ है.
τῷ ὑψίστῳ ἀνθομολογοῦμαι καὶ αἰνῶ τῷ κτίσαντι τὸν οὐρανὸν καὶ τὴν γῆν καὶ τὰς θαλάσσας καὶ τοὺς ποταμοὺς καὶ πάντα τὰ ἐν αὐτοῖς ἐξομολογοῦμαι καὶ αἰνῶ ὅτι αὐτός ἐστι θεὸς τῶν θεῶν καὶ κύριος τῶν κυρίων καὶ βασιλεὺς τῶν βασιλέων

< दानिय्येल 4 >