< प्रेरितों के काम 5 >
1 हननयाह नामक एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी सफ़ीरा के साथ मिलकर अपनी संपत्ति का एक भाग बेचा
Mais un homme nommé Ananie, avec Saphire, sa femme, vendit une propriété,
2 तथा अपनी पत्नी की पूरी जानकारी में प्राप्त राशि का एक भाग अपने लिए रखकर शेष ले जाकर प्रेरितों के चरणों में रख दिया.
et ayant, de concert avec elle, retenu quelque chose du prix, il en apporta le reste et le mit aux pieds des Apôtres.
3 पेतरॉस ने उससे प्रश्न किया, “हननयाह, यह क्या हुआ, जो शैतान ने तुम्हारे हृदय में पवित्र आत्मा से झूठ बोलने का विचार डाला है और तुमने अपनी बेची हुई भूमि से प्राप्त राशि का एक भाग अपने लिए रख लिया?
Pierre lui dit: « Ananie, pourquoi Satan a-t-il rempli ton cœur au point que tu mentes au Saint-Esprit et que tu retiennes quelque chose du prix de ce champ?
4 क्या बेचे जाने के पूर्व वह भूमि तुम्हारी ही नहीं थी? और उसके बिक जाने पर क्या प्राप्त धनराशि पर तुम्हारा ही अधिकार न था? तुम्हारे मन में इस बुरे काम का विचार कैसे आया? तुमने मनुष्यों से नहीं परंतु परमेश्वर से झूठ बोला है.”
Ne pouvais-tu pas sans le vendre, en rester possesseur? et après l’avoir vendu, n’étais-tu pas maître de l’argent? Comment as-tu pu concevoir un pareil dessein? Ce n’est pas à des hommes que tu as menti, mais à Dieu. »
5 यह शब्द सुनते ही हननयाह भूमि पर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई. जितनों ने भी इस घटना के विषय में सुना उन सब पर आतंक छा गया.
En entendant ces paroles, Ananie tomba et expira, et tous ceux qui l’apprirent furent saisis d’une grande crainte.
6 युवाओं ने आकर उसे कफ़न में लपेटा और बाहर ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया.
Les jeunes gens s’étant levés enveloppèrent [le corps] et l’emportèrent pour l’inhumer.
7 इस घटनाक्रम से पूरी तरह अनजान उसकी पत्नी भी लगभग तीन घंटे के अंतर में वहां आई.
Environ trois heures après, la femme d’Ananie entra, sans savoir ce qui était arrivé.
8 पेतरॉस ने उससे प्रश्न किया, “यह बताओ, क्या तुम दोनों ने उस भूमि इतने में ही बेची थी?” उसने उत्तर दिया, “जी हां, इतने में ही.”
Pierre lui demanda: « Dites-moi, est-ce tel prix que vous avez vendu votre champ? » — « Oui, répondit-elle, c’est ce prix-là. »
9 इस पर पेतरॉस ने उससे कहा, “क्या कारण है कि तुम दोनों ने प्रभु के आत्मा को परखने का दुस्साहस किया? जिन्होंने तुम्हारे पति की अंत्येष्टि की है, वे बाहर द्वार पर हैं, जो तुम्हें भी ले जाएंगे.”
Alors Pierre lui dit: « Comment vous êtes-vous accordés pour tenter l’Esprit du Seigneur? Voici que le pied des jeunes gens qui ont enterré votre mari heurte le seuil; ils vont aussi vous porter en terre. »
10 उसी क्षण वह उनके चरणों पर गिर पड़ी. उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे. जब युवक भीतर आए तो उसे मृत पाया. इसलिये उन्होंने उसे भी ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया.
Au même instant, elle tomba aux pieds de l’Apôtre, et expira. Les jeunes gens étant entrés la trouvèrent morte; ils l’emportèrent et l’inhumèrent auprès de son mari.
11 सारी कलीसिया में तथा जितनों ने भी इस घटना के विषय में सुना, सभी में भय समा गया.
Une grande crainte se répandit dans toute l’Eglise et parmi tous ceux qui apprirent cet événement.
12 प्रेरितों द्वारा लोगों के मध्य अनेक अद्भुत चिह्न दिखाए जा रहे थे और मसीह के सभी विश्वासी एक मन होकर शलोमोन के ओसारे में इकट्ठा हुआ करते थे.
Beaucoup de miracles et de prodiges se faisaient parmi le peuple par les mains des Apôtres. Et ils se tenaient tous ensemble sous le portique de Salomon;
13 यद्यपि लोगों की दृष्टि में प्रेरित अत्यंत सम्मान्य थे, उनके समूह में मिलने का साहस कोई नहीं करता था.
aucune autre personne n’osait se joindre à eux, mais le peuple les louait hautement.
14 फिर भी, अधिकाधिक संख्या में स्त्री-पुरुष प्रभु में विश्वास करते चले जा रहे थे.
Chaque jour voyait s’accroître la multitude d’hommes et de femmes qui croyaient au Seigneur,
15 विश्वास के परिणामस्वरूप लोग रोगियों को उनके बिछौनों सहित लाकर सड़कों पर लिटाने लगे कि कम से कम उस मार्ग से जाते हुए पेतरॉस की छाया ही उनमें से किसी पर पड़ जाए.
en sorte qu’on apportait les malades dans les rues, et qu’on les plaçait sur des lits ou des nattes, afin que, lorsque Pierre passerait, son ombre au moins couvrît quelqu’un d’entre eux.
16 बड़ी संख्या में लोग येरूशलेम के आस-पास के नगरों से अपने रोगी तथा दुष्टात्माओं के सताये परिजनों को लेकर आने लगे और वे सभी चंगे होते जाते थे.
On venait ainsi en foule des villes voisines à Jérusalem, amenant des malades et des hommes tourmentés par des esprits impurs, et tous étaient guéris.
17 परिणामस्वरूप महापुरोहित तथा उसके साथ सदूकी संप्रदाय के बाकी सदस्य जलन से भर गए.
Alors le grand prêtre et tous ses adhérents, savoir le parti des Sadducéens, se levèrent, remplis de jalousie;
18 उन्होंने प्रेरितों को बंदी बनाकर कारागार में बंद कर दिया.
et ayant fait arrêter les Apôtres, ils les jetèrent dans une prison publique.
19 किंतु रात के समय प्रभु के एक दूत ने कारागार के द्वार खोलकर उन्हें बाहर निकालकर उनसे कहा,
Mais un ange du Seigneur, ayant ouvert pendant la nuit les portes de la prison, les fit sortir en disant:
20 “जाओ, मंदिर के आंगन में जाकर लोगों को इस नए जीवन का पूरा संदेश दो.”
« Allez, tenez-vous dans le temple, et annoncez au peuple toutes ces paroles de vie. »
21 इस पर वे प्रातःकाल मंदिर में जाकर शिक्षा देने लगे. महापुरोहित तथा उनके मंडल के वहां इकट्ठा होने पर उन्होंने समिति का अधिवेशन आमंत्रित किया. इसमें इस्राएल की महासभा को भी शामिल किया गया और आज्ञा दी गई कि कारावास में बंदी प्रेरित उनके सामने प्रस्तुत किए जाएं
Ce qu’ayant entendu, ils entrèrent dès le matin dans le temple, et se mirent à enseigner. Cependant le grand prêtre et ses adhérents s’étant réunis, assemblèrent le conseil et tous les Anciens des enfants d’Israël, et ils envoyèrent à la prison chercher les Apôtres.
22 किंतु उन अधिकारियों ने प्रेरितों को वहां नहीं पाया. उन्होंने लौटकर उन्हें यह समाचार दिया,
Les satellites allèrent, et ne les ayant pas trouvés dans la prison, ils revinrent et firent leur rapport,
23 “वहां जाकर हमने देखा कि कारागार के द्वार पर ताला वैसा ही लगा हुआ है और वहां प्रहरी भी खड़े हुए थे, किंतु द्वार खोलने पर हमें कक्ष में कोई भी नहीं मिला.”
en disant: « Nous avons trouvé la prison soigneusement fermée, et les gardes debout devant les portes; mais après avoir ouvert, nous n’avons trouvé personne à l’intérieur. »
24 इस समाचार ने मंदिर के प्रधान रक्षक तथा प्रधान पुरोहितों को घबरा दिया. वे विचार करने लगे कि इस परिस्थिति का परिणाम क्या होगा.
Quand le grand prêtre, le commandant du temple et les princes des prêtres eurent entendu ces paroles, ils furent dans une grande perplexité au sujet des prisonniers, ne sachant ce que ce pouvait être.
25 जब वे इसी उधेड़-बुन में थे, किसी ने आकर उन्हें बताया कि जिन्हें कारागार में बंद किया गया था, वे तो मंदिर में लोगों को शिक्षा दे रहे हैं.
En ce moment quelqu’un vint leur dire: « Ceux que vous aviez mis en prison, les voilà dans le temple et ils enseignent le peuple. »
26 यह सुन मंदिर का प्रधान रक्षक अपने अधिकारियों के साथ वहां जाकर प्रेरितों को महासभा के सामने ले आया. जनता द्वारा पथराव किए जाने के भय से अधिकारियों ने उनके साथ कोई बल प्रयोग नहीं किया.
Le commandant se rendit aussitôt avec ses agents, et les amena sans leur faire violence, car ils craignaient d’être lapidés par le peuple.
27 उनके वहां उपस्थित किए जाने पर महापुरोहित ने उनसे पूछताछ शुरू की,
Les ayant amenés, il les firent comparaître devant le Sanhédrin, et le grand prêtre les interrogea,
28 “हमने तुम्हें कड़ी आज्ञा दी थी कि इस नाम में अब कोई शिक्षा मत देना, पर देखो, तुमने तो येरूशलेम को अपनी शिक्षा से भर दिया है, और तुम इस व्यक्ति की हत्या का दोष हम पर मढ़ने के लिए निश्चय कर चुके हो.”
en disant: « Nous vous avons expressément défendu d’enseigner ce nom-là, et voilà que vous avez rempli Jérusalem de votre doctrine, et vous voulez faire retomber sur nous le sang de cet homme! »
29 पेतरॉस तथा प्रेरितों ने इसका उत्तर दिया, “हम तो मनुष्यों की बजाय परमेश्वर के ही आज्ञाकारी रहेंगे.
Pierre et les Apôtres répondirent: « On doit obéir à Dieu plutôt qu’aux hommes.
30 हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित कर दिया, जिनकी आप लोगों ने काठ पर लटकाकर हत्या कर दी,
Le Dieu de nos pères a ressuscité Jésus, que vous avez fait mourir en le pendant au bois.
31 जिन्हें परमेश्वर ने अपनी दायीं ओर सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के पद पर बैठाया कि वह इस्राएल को पश्चाताप और पाप क्षमा प्रदान करें.
Dieu l’a élevé par sa droite comme Prince et Sauveur, pour donner à Israël le repentir et le pardon des péchés.
32 हम इन घटनाओं के गवाह हैं—तथा पवित्र आत्मा भी, जिन्हें परमेश्वर ने अपनी आज्ञा माननेवालों को दिया है.”
Et nous sommes ses témoins pour ces choses, avec le Saint-Esprit que Dieu a donné à ceux qui lui obéissent. »
33 यह सुन वे तिलमिला उठे और उनकी हत्या की कामना करने लगे.
Exaspérés de ce qu’ils venaient d’entendre, les membres du conseil étaient d’avis de les faire mourir.
34 किंतु गमालिएल नामक फ़रीसी ने, जो व्यवस्था के शिक्षक और जनसाधारण में सम्मानित थे, महासभा में खड़े होकर आज्ञा दी कि प्रेरितों को सभाकक्ष से कुछ देर के लिए बाहर भेज दिया जाए.
Mais un Pharisien, nommé Gamaliel, docteur de la loi, vénéré de tout le peuple, se leva dans le sanhédrin, et, ayant ordonné de faire sortir un instant les Apôtres,
35 तब गमालिएल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “इस्राएली बंधुओं, भली-भांति विचार कर लीजिए कि आप इनके साथ क्या करना चाहते हैं.
il dit: « Enfants d’Israël, prenez garde à ce que vous allez faire à l’égard de ces hommes.
36 कुछ ही समय पूर्व थद्देयॉस ने कुछ होने का दावा किया था और चार सौ व्यक्ति उसके साथ हो लिए. उसकी हत्या कर दी गई और उसके अनुयायी तितर-बितर होकर नाश हो गए.
Car il n’y a pas longtemps parut Théodas, qui se donnait pour un personnage; environ quatre cents hommes s’attachèrent à lui: il fut tué, et tous ceux qui l’avaient suivi furent dispersés et réduits à néant.
37 इसके बाद गलीलवासी यहूदाह ने जनगणना के अवसर पर सिर उठाया और लोगों को भरमा दिया. वह भी मारा गया और उसके अनुयायी भी तितर-बितर हो गए.
Après lui s’éleva Judas le Galiléen, à l’époque du recensement, et il attira du monde à son parti: il périt aussi, et tous ses partisans ont été dispersés.
38 इसलिये इनके विषय में मेरी सलाह यह है कि आप इन्हें छोड़ दें और इनसे दूर ही रहें क्योंकि यदि इनके कार्य की उपज और योजना मनुष्य की ओर से है तो यह अपने आप ही विफल हो जाएगी;
Voici maintenant le conseil que je vous donne: Ne vous occupez plus de ces gens-là, et laissez-les aller. Si cette idée ou cette œuvre vient des hommes, elle se détruira d’elle-même;
39 मगर यदि यह सब परमेश्वर की ओर से है तो आप उन्हें नाश नहीं कर पाएंगे—ऐसा न हो कि इस सिलसिले में आप स्वयं को परमेश्वर का ही विरोध करता हुआ पाएं.”
mais si elle vient de Dieu, vous ne sauriez la détruire. Ne courez pas le risque d’avoir lutté contre Dieu même. »
40 महासभा ने गमालिएल का विचार स्वीकार कर लिया. उन्होंने प्रेरितों को कक्ष में बुलवाकर कोड़े लगवाए, और उन्हें यह आज्ञा दी कि वे अब से येशु के नाम में कुछ न कहें और फिर उन्हें मुक्त कर दिया.
Ils se rendirent à son avis, et ayant rappelé les Apôtres, ils les firent battre de verges; puis ils leur défendirent de parler au nom de Jésus, et les relâchèrent.
41 प्रेरित महासभा से आनंद मनाते हुए चले गए कि उन्हें मसीह येशु के कारण अपमान-योग्य तो समझा गया.
Les Apôtres sortirent du sanhédrin, joyeux d’avoir été jugés dignes de souffrir des opprobres pour le nom de Jésus.
42 वे प्रतिदिन नियमित रूप से मंदिर प्रांगण में तथा घर-घर जाकर यह प्रचार करते तथा यह शिक्षा देते रहे कि येशु ही वह मसीह हैं.
Et chaque jour, dans le temple et dans les maisons, ils ne cessaient d’annoncer Jésus comme le Christ.