< प्रेरितों के काम 4 >

1 जब वे भीड़ को संबोधित कर ही रहे थे, कि अचानक पुरोहित गण, मंदिर रखवालों का प्रधान तथा सदूकी उनके पास आ पहुंचे.
And as they spake unto the people, the priests, and the captain of the temple, and the Sadducees, came upon them,
2 वे अत्यंत क्रोधित थे क्योंकि प्रेरित भीड़ को शिक्षा देते हुए मसीह येशु में मरे हुओं के जी उठने की घोषणा कर रहे थे.
Being grieved that they taught the people, and preached through Yahushua the resurrection from the dead.
3 उन्होंने उन्हें बंदी बनाकर अगले दिन तक के लिए कारागार में डाल दिया क्योंकि दिन ढल चुका था.
And they laid hands on them, and put them in hold unto the next day: for it was now eventide.
4 उनके संदेश को सुनकर अनेकों ने विश्वास किया, जिनकी संख्या लगभग पांच हज़ार तक पहुंच गई.
Howbeit many of them which heard the word believed; and the number of the men was about five thousand.
5 अगले दिन यहूदियों के राजा, पुरनिये और शास्त्री येरूशलेम में इकट्ठा थे.
And it came to pass on the morrow, that their rulers, and elders, and scribes,
6 वहां महापुरोहित हन्‍ना, कायाफ़स, योहन, अलेक्सान्दरॉस तथा महायाजकीय वंश के सभी सदस्य इकट्ठा थे.
And Annas the high priest, and Caiaphas, and John, and Alexander, and as many as were of the kindred of the high priest, were gathered together at Jerusalem.
7 उन्होंने प्रेरितों को सबके बीच खड़ा कर प्रश्न करना प्रारंभ कर दिया: “तुमने किस अधिकार से या किस नाम में यह किया है?”
And when they had set them in the midst, they asked, By what power, or by what name, have ye done this?
8 तब पवित्र आत्मा से भरकर पेतरॉस ने उत्तर दिया: “सम्माननीय राजागण और समाज के पुरनियों!
Then Kepha, filled with the Holy Spirit, said unto them, Ye rulers of the people, and elders of Israel,
9 यदि आज हमारा परीक्षण इसलिये किया जा रहा है कि एक अपंग का कल्याण हुआ है और इसलिये कि यह व्यक्ति किस प्रक्रिया द्वारा स्वस्थ हुआ है,
If we this day be examined of the good deed done to the impotent man, by what means he is made whole;
10 तो आप सभी को तथा, सभी इस्राएल राष्ट्र को यह मालूम हो कि यह सब नाज़रेथवासी, मसीह येशु के द्वारा किया गया है, जिन्हें आपने क्रूस का मृत्यु दंड दिया, किंतु जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया. आज उन्हीं के नाम के द्वारा स्वस्थ किया गया-यह व्यक्ति आपके सामने खड़ा है.
Be it known unto you all, and to all the people of Israel, that by the name of Yahushua the Messiah of Nazareth, whom ye crucified, whom YHWH raised from the dead, even by him doth this man stand here before you whole.
11 मसीह येशु ही वह चट्टान हैं “‘जिन्हें आप भवन निर्माताओं ने ठुकरा कर अस्वीकृत कर दिया, जो कोने का प्रधान पत्थर बन गए.’
This is the stone which was set at nought of you builders, which is become the head of the corner.
12 उद्धार किसी अन्य में नहीं है क्योंकि आकाश के नीचे मनुष्यों के लिए दूसरा कोई नाम दिया ही नहीं गया जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो.”
Neither is there salvation in any other: for there is none other name under heaven given among men, whereby we must be saved.
13 पेतरॉस तथा योहन का यह साहस देख और यह जानकर कि वे दोनों अनपढ़ और साधारण व्यक्ति हैं, वे चकित रह गए. उन्हें धीरे धीरे यह याद आया कि ये वे हैं, जो मसीह येशु के साथी रहे हैं.
Now when they saw the boldness of Kepha and John, and perceived that they were unlearned and ignorant men, they marvelled; and they took knowledge of them, that they had been with Yahushua.
14 किंतु स्वस्थ हुए व्यक्ति की उपस्थिति के कारण वे कुछ न कह सके;
And beholding the man which was healed standing with them, they could say nothing against it.
15 उन्होंने उन्हें सभागार से बाहर जाने की आज्ञा दी. तब वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे,
But when they had commanded them to go aside out of the council, they conferred among themselves,
16 “हम इनके साथ क्या करें? यह तो स्पष्ट है कि इनके द्वारा एक असाधारण चमत्कार अवश्य हुआ है और यह येरूशलेम निवासियों को भी मालूम हो चुका है. इस सच को हम नकार नहीं सकते.
Saying, What shall we do to these men? for that indeed a notable miracle hath been done by them is manifest to all them that dwell in Jerusalem; and we cannot deny it.
17 किंतु लोगों में इस समाचार का और अधिक प्रसार न हो, हम इन्हें यह चेतावनी दें कि अब वे किसी से भी इस नाम का वर्णन करते हुए बातचीत न करें.”
But that it spread no further among the people, let us straitly threaten them, that they speak henceforth to no man in this name.
18 तब उन्होंने उन्हें भीतर बुलाकर आज्ञा दी कि वे न तो येशु नाम का वर्णन करें और न ही उसके विषय में कोई शिक्षा दें.
And they called them, and commanded them not to speak at all nor teach in the name of Yahushua.
19 किंतु पेतरॉस और योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “आप स्वयं निर्णय कीजिए कि परमेश्वर की दृष्टि में उचित क्या है: आपकी आज्ञा का पालन या परमेश्वर की आज्ञा का.
But Kepha and John answered and said unto them, Whether it be right in the sight of Elohim to hearken unto you more than unto YHWH, judge ye.
20 हमसे तो यह हो ही नहीं सकता कि जो कुछ हमने देखा और सुना है उसका वर्णन न करें.”
For we cannot but speak the things which we have seen and heard.
21 इस पर यहूदी प्रधानों ने उन्हें दोबारा धमकी देकर छोड़ दिया. उन्हें यह सूझ ही नहीं रहा था कि उन्हें किस आधार पर दंड दिया जाए क्योंकि सभी लोग इस घटना के लिए परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे.
So when they had further threatened them, they let them go, finding nothing how they might punish them, because of the people: for all men glorified YHWH for that which was done.
22 उस व्यक्ति की उम्र, जो अद्भुत रूप से स्वस्थ हुआ था, चालीस वर्ष से अधिक थी.
For the man was above forty years old, on whom this miracle of healing was shewed.
23 मुक्त होने पर प्रेरितों ने अपने साथियों को जा बताया कि प्रधान पुरोहितों और पुरनियों ने उनसे क्या-क्या कहा था.
And being let go, they went to their own company, and reported all that the chief priests and elders had said unto them.
24 यह विवरण सुनकर उन सबने एक मन हो ऊंचे शब्द में परमेश्वर से प्रार्थना की: “परम प्रधान प्रभु, आप ही हैं जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र और इनमें निवास कर रहे प्राणियों की सृष्टि की है.
And when they heard that, they lifted up their voice to YHWH with one accord, and said, YHWH, thou art Elohim, which hast made heaven, and earth, and the sea, and all that in them is:
25 आपने ही पवित्र आत्मा से अपने सेवक, हमारे पूर्वज दावीद के द्वारा कहा: “‘राष्ट्र क्रोधित क्यों होते हैं जातियां व्यर्थ योजनाएं क्यों करती हैं?
Who by the mouth of thy servant David hast said, Why did the heathen rage, and the people imagine vain things?
26 पृथ्वी के राजागण मोर्चा बांधते और शासकलोग प्रभु के विरुद्ध और उनके अभिषिक्त के विरुद्ध एकजुट हो उठ खड़े होते हैं.’
The kings of the earth stood up, and the rulers were gathered together against YHWH, and against his Messiah.
27 यह एक सच्चाई है कि इस नगर में हेरोदेस तथा पोन्तियॉस पिलातॉस दोनों ही इस्राएलियों तथा गैर-यहूदियों के साथ मिलकर आपके द्वारा अभिषिक्त, आपके पवित्र सेवक मसीह येशु के विरुद्ध एकजुट हो गए
For of a truth against thy holy child Yahushua, whom thou hast anointed, both Herod, and Pontius Pilate, with the Gentiles, and the people of Israel, were gathered together,
28 कि जो कुछ आपके सामर्थ्य और उद्देश्य के अनुसार पहले से निर्धारित था, वही हो.
For to do whatsoever thy hand and thy counsel determined before to be done.
29 प्रभु, उनकी धमकियों की ओर ध्यान दीजिए और अपने दासों को यह सामर्थ्य दीजिए कि वे आपके वचन का प्रचार बिना डर के कर सकें
And now, YHWH, behold their threatenings: and grant unto thy servants, that with all boldness they may speak thy word,
30 जब आप अपने सामर्थ्यी स्पर्श के द्वारा चंगा करते तथा अपने पवित्र सेवक मसीह येशु के द्वारा अद्भुत चिह्नों का प्रदर्शन करते जाते हैं.”
By stretching forth thine hand to heal; and that signs and wonders may be done by the name of thy holy child Yahushua.
31 उनकी यह प्रार्थना समाप्‍त होते ही वह भवन, जिसमें वे इकट्ठा थे, थरथरा गया और वे सभी पवित्र आत्मा से भर गए और बिना डर के परमेश्वर के संदेश का प्रचार करने लगे.
And when they had prayed, the place was shaken where they were assembled together; and they were all filled with the Holy Spirit, and they spake the word of YHWH with boldness.
32 शिष्यों के इस समुदाय में सभी एक मन और एक प्राण थे. कोई भी अपने धन पर अपना अधिकार नहीं जताता था. उन सभी का धन एक में मिला हुआ था.
And the multitude of them that believed were of one heart and of one soul: neither said any of them that ought of the things which he possessed was his own; but they had all things common.
33 प्रेरितगण असाधारण सामर्थ्य के साथ प्रभु येशु मसीह के दोबारा जी उठने की गवाही दिया करते थे और परमेश्वर का असीम अनुग्रह उन पर बना था.
And with great power gave the apostles witness of the resurrection of the Master Yahushua: and great favour was upon them all.
34 उनमें कोई भी निर्धन नहीं था क्योंकि उनमें जो खेतों व मकानों के स्वामी थे, अपनी संपत्ति बेचकर उससे प्राप्‍त धनराशि लाते
Neither was there any among them that lacked: for as many as were possessors of lands or houses sold them, and brought the prices of the things that were sold,
35 और प्रेरितों के चरणों में रख देते थे, जिसे ज़रूरत के अनुसार निर्धनों में बांट दिया जाता था.
And laid them down at the apostles' feet: and distribution was made unto every man according as he had need.
36 योसेफ़ नामक एक सैप्रसवासी लेवी थे, जिन्हें प्रेरितों द्वारा बारनबास नाम दिया गया था, जिसका अर्थ है प्रोत्साहन का पुत्र,
And Joses, who by the apostles was surnamed Barnabas, (which is, being interpreted, The son of consolation, ) a Levite, and of the country of Cyprus,
37 उन्होंने अपनी भूमि को बेच दिया और उससे प्राप्‍त धन लाकर प्रेरितों के चरणों में रख दिया.
Having land, sold it, and brought the money, and laid it at the apostles' feet.

< प्रेरितों के काम 4 >