< प्रेरितों के काम 24 >

1 पांच दिन बाद महापुरोहित हननयाह पुरनियों तथा तरतुलुस नामक एक वकील के साथ कयसरिया नगर आ पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल के सामने पौलॉस के विरुद्ध अपने आरोप प्रस्तुत किए.
ⲁ̅ⲙⲛⲛⲥⲁ ϯⲟⲩ ⲇⲉ ⲛϩⲟⲟⲩ ⲁϥⲉⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲛϭⲓ ⲁⲛⲁⲛⲓⲁⲥ ⲡⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲛ ϩⲉⲛⲡⲣⲉⲥⲃⲩⲧⲉⲣⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲟⲩϩⲣⲏⲧⲱⲣ ϫⲉ ⲧⲉⲣⲧⲩⲗⲗⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲥⲙⲙⲉ ⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲙⲫⲏⲅⲉⲙⲱⲛ
2 जब पौलॉस को वहां लाया गया, राज्यपाल के सामने तरतुलुस ने पौलॉस पर आरोप लगाने प्रारंभ कर दिए: “आपकी दूरदृष्टि के कारण आपके शासन में लंबे समय से शांति बनी रही है तथा आपके शासित प्रदेश में इस राष्ट्र के लिए आपके द्वारा लगातार सुधार किए जा रहे हैं.
ⲃ̅ⲛⲧⲉⲣⲟⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁϥⲁⲣⲭⲉⲓ ⲛⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲛϭⲓ ⲧⲉⲣⲧⲩⲗⲗⲟⲥ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲉⲓⲣⲏⲛⲏ ϣⲟⲟⲡ ⲛⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲕ ⲁⲩⲱ ϩⲉⲛⲡⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲙⲡⲉⲓϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲉⲕⲡⲣⲟⲛⲟⲓⲁ
3 परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स, हम इनका हर जगह और हर प्रकार से धन्यवाद करते हुए हार्दिक स्वागत करते हैं.
ⲅ̅ⲫⲏⲗⲓⲝ ⲡⲉⲕⲣⲁⲧⲓⲥⲧⲟⲥ ⲥⲉⲧⲁⲓⲟ ⲙⲙⲟⲛ ⲛⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛⲓⲙ ϩⲙ ⲙⲁ ⲛⲓⲙ ϩⲛ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛϩⲙⲟⲧ
4 मैं आपका और अधिक समय खराब नहीं करूंगा. मैं आपसे यह छोटा सा उत्तर सुनने की विनती करना चाहता हूं.
ⲇ̅ϫⲉⲕⲁⲥ ⲇⲉ ⲛⲛⲉⲛϯϩⲓⲥⲉ ⲛⲁⲕ ⲉⲡⲉϩⲟⲩⲟ ϯⲥⲟⲡⲥ ⲙⲙⲟⲕ ⲉⲧⲣⲉⲕⲥⲱⲧⲙ ⲉⲣⲟⲛ ϩⲛ ⲟⲩϣⲱⲱⲧ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲉⲕⲙⲛⲧϩⲁⲕ
5 “यह व्यक्ति हमारे लिए वास्तव में कष्टदायक कीड़ा साबित हो रहा है. यह एक ऐसा व्यक्ति है, जो विश्व के सारे यहूदियों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है. यह एक कुख्यात नाज़री पंथ का मुखिया भी है.
ⲉ̅ⲁⲛϩⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲡⲉⲓⲣⲱⲙⲉ ⲛⲗⲟⲓⲙⲟⲥ ⲉϥⲧⲟⲩⲛⲉⲥ ⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲛⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲧϩⲛ ⲧⲟⲓⲕⲟⲩⲙⲉⲛⲏ ⲉⲡⲥⲁϩ ⲡⲉ ⲛⲑⲁⲓⲣⲉⲥⲓⲥ ⲛⲛⲁⲍⲱⲣⲁⲓⲟⲥ
6 इसने मंदिर की पवित्रता भंग करने की भी कोशिश की है इसलिये हमने इसे बंदी बना लिया. [हम तो अपनी ही व्यवस्था की विधियों के अनुसार इसका न्याय करना चाह रहे थे.
ⲋ̅ⲉⲁϥⲡⲓⲣⲁⲍⲉ ⲉϫⲱϩⲙ ⲙⲡⲉⲣⲡⲉ ⲡⲁⲓ ⲛⲧⲁⲛⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲙⲙⲟϥ
7 किंतु सेनापति लिसियस ने ज़बरदस्ती दखलंदाज़ी कर इसे हमसे छीन लिया
ⲍ̅
8 तथा हमें आपके सामने अपने आरोप प्रस्तुत होने की आज्ञा दी.] कि आप स्वयं स्थिति की जांच कर इन सभी आरोपों से संबंधित सच्चाईयों को जान सकें.”
ⲏ̅ⲟⲩⲛϭⲟⲙ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲙⲙⲟⲕ ⲉⲁⲛⲁⲕⲣⲓⲛⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲉⲓⲙⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲛⲁⲓ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲧⲛⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ
9 तब दूसरे यहूदियों ने भी आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया और इस बात की पुष्टि की कि ये सभी आरोप सही हैं.
ⲑ̅ⲁⲩⲟⲩⲱϣⲃ ⲇⲉ ⲛϭⲓ ⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲁⲓ ⲥⲙⲟⲛⲧ ⲛⲧⲉⲓϩⲉ
10 राज्यपाल फ़ेलिक्स की ओर से संकेत प्राप्‍त होने पर पौलॉस ने इसके उत्तर में कहना प्रारंभ किया. “इस बात के प्रकाश में कि आप इस राष्ट्र के न्यायाधीश रहे हैं, मैं खुशी से अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूं.
ⲓ̅ⲁⲫⲏⲅⲉⲙⲱⲛ ⲇⲉ ϫⲱⲣⲙ ⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲉϣⲁϫⲉ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ⲇⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓⲥⲟⲟⲩⲛ ⲙⲙⲟⲕⲉⲓⲥ ϩⲁϩ ⲛⲣⲟⲙⲡⲉ ⲉⲕⲟ ⲛⲣⲉϥϯϩⲁⲡ ⲉⲡⲉⲓϩⲉⲑⲛⲟⲥ ϩⲛ ⲟⲩⲙⲧⲟⲛ ϭⲉ ⲛϩⲏⲧ ϯⲛⲁϣⲁϫⲉ ϩⲁⲣⲟⲓ
11 आप इस सच्चाई की पुष्टि कर सकते हैं कि मैं लगभग बारह दिन पहले सिर्फ आराधना के उद्देश्य से येरूशलेम गया
ⲓ̅ⲁ̅ⲉⲩⲛϭⲟⲙ ⲙⲙⲟⲕ ⲉⲉⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲙⲡⲓⲣϩⲟⲩⲟ ⲉⲙⲛⲧⲥⲛⲟⲟⲩⲥ ⲛϩⲟⲟⲩ ϫⲓⲛⲧⲁⲓⲃⲱⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲑⲓⲗⲏⲙ ⲉⲟⲩⲱϣⲧ
12 और इन्होंने न तो मुझे मंदिर में, न यहूदी आराधनालय में और न नगर में किसी से वाद-विवाद करते या नगर की शांति भंग करते पाया है और
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲟⲩϩⲉ ⲉⲣⲟⲓ ⲉⲓϣⲁϫⲉ ⲙⲛⲟⲩⲁ ϩⲙ ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲏ ⲉⲓⲥⲱⲟⲩϩ ⲛⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲟⲩⲇⲉ ϩⲛ ⲛⲉⲩⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲟⲩⲇⲉ ϩⲛ ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ
13 न ही वे मुझ पर लगाए जा रहे इन आरोपों को साबित कर सकते हैं.
ⲓ̅ⲅ̅ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲛϣϭⲟⲙ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉⲧⲁϩⲟ ⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲛⲛⲉⲧⲟⲩⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙⲙⲟⲓ ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ
14 हां यह मैं आपके सामने अवश्य स्वीकार करता हूं कि इस मत के अनुसार, जिसे इन्होंने पंथ नाम दिया है, मैं वास्तव में हमारे पूर्वजों के ही परमेश्वर की सेवा-उपासना करता हूं. सब कुछ, जो व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों के अनुसार है, मैं उसमें पूरी तरह विश्वास करता हूं.
ⲓ̅ⲇ̅ϯϩⲟⲙⲟⲗⲟⲅⲓ ⲛⲁⲕ ⲙⲡⲁⲓ ϫⲉ ⲕⲁⲧⲁ ⲧⲉϩⲓⲏ ⲉⲧⲉⲣⲉⲛⲁⲓ ⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲥ ϫⲉ ϩⲁⲓⲣⲉⲥⲓⲥ ⲉⲓϣⲙϣⲉ ⲛⲧⲉⲓϩⲉ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲛⲁⲉⲓⲟⲧⲉ ⲉⲓⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲉⲛⲉⲧⲥⲏϩ ⲧⲏⲣⲟⲩ ϩⲙ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲛ ⲛⲉⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ
15 परमेश्वर में मेरी भी वह आशा है जैसी इनकी कि निश्चित ही एक ऐसा दिन तय किया गया है, जिसमें धर्मियों तथा अधर्मियों दोनों ही का पुनरुत्थान होगा.
ⲓ̅ⲉ̅ⲉⲟⲩⲛⲧⲁⲓ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲧⲉⲧⲉⲣⲉⲛⲁⲓ ϭⲱϣⲧ ϩⲏⲧⲥ ⲧⲁⲛⲁⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲙⲛ ⲁⲇⲓⲕⲟⲥ
16 इसलिए मैं भी परमेश्वर और मनुष्यों दोनों ही के सामने हमेशा एक निष्कलंक विवेक बनाए रखने की भरपूर कोशिश करता हूं.
ⲓ̅ⲋ̅ⲉⲁⲓⲁⲥⲕⲓ ϩⲱ ϩⲙ ⲡⲁⲓ ⲉⲧⲣⲁⲕⲱ ⲛⲁⲓ ⲛⲟⲩⲥⲩⲛⲉⲓⲇⲏⲥⲓⲥ ⲁϫⲛ ϫⲣⲟⲡ ⲛⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛⲓⲙ ⲛⲛⲁϩⲣⲙ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙⲛ ⲛⲣⲱⲙⲉ
17 “अनेक वर्षों के बीत जाने के बाद मैं अपने समाज के गरीबों के लिए सहायता राशि लेकर तथा बलि चढ़ाने के उद्देश्य से येरूशलेम आया था.
ⲓ̅ⲍ̅ⲙⲛⲛⲥⲁ ϩⲁϩ ⲇⲉ ⲛⲣⲟⲙⲡⲉ ⲁⲓⲉⲓ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲡⲁϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲉⲓⲉⲓⲣⲉ ⲛϩⲉⲛⲙⲛⲧⲛⲁ ⲙⲛ ϩⲉⲛⲑⲩⲥⲓⲁ
18 उसी समय इन्होंने मंदिर में मुझे शुद्ध होने की रीति पूरी करते हुए देखा. वहां न कोई भीड़ थी और न ही किसी प्रकार का शोर.
ⲓ̅ⲏ̅ϩⲛ ⲛⲁⲓ ⲁⲩϩⲉ ⲉⲣⲟⲓ ϩⲙ ⲡⲉⲣⲡⲉ ⲉⲓⲧⲃⲃⲟ ⲙⲙⲟⲓ ⲙⲛ ⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲁⲛ ⲟⲩⲇⲉ ϩⲛ ⲟⲩϣⲧⲟⲣⲧⲣ ⲁⲛⲛϭⲓ ϩⲉⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲁⲥⲓⲁ
19 हां, उस समय वहां आसिया प्रदेश के कुछ यहूदी अवश्य थे, जिनका यहां आपके सामने उपस्थित होना सही था. यदि उन्हें मेरे विरोध में कुछ कहना ही था तो सही यही था कि वे इसे आपकी उपस्थिति में कहते.
ⲓ̅ⲑ̅ⲛⲁⲓ ⲉϣϣⲉ ⲉⲩϩⲙ ⲡⲉⲓⲙⲁ ⲛⲥⲉⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲉϣϫⲉ ⲟⲩⲛⲧⲟⲩ ⲗⲁⲁⲩ ⲛⲙⲙⲁⲓ
20 अन्यथा ये व्यक्ति, जो यहां खड़े हैं, स्वयं बताएं कि महासभा के सामने उन्होंने मुझे किस विषय में दोषी पाया है,
ⲕ̅ⲏ ⲙⲙⲟⲛ ⲛⲁⲓ ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲙⲁⲣⲟⲩϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲧⲉⲣⲓⲁϩⲉⲣⲁⲧ ϩⲙ ⲡⲥⲩⲛϩⲉⲇⲣⲓⲟⲛ ⲛⲧⲁⲩϩⲉ ⲉⲁϣⲛϫⲓ ⲛϭⲟⲛⲥ ⲛϩⲏⲧ
21 केवल इस एक बात को छोड़ के, जो मैंने उनके सामने ऊंचे शब्द में व्यक्त किया: ‘मरे हुओं के पुनरुत्थान में मेरी मान्यता के कारण आज आपके सामने मुझ पर मुकद्दमा चलाया जा रहा है.’”
ⲕ̅ⲁ̅ⲉⲓⲙⲏⲧⲓ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲉⲓⲥⲙⲏ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲛⲧⲁⲓϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲙⲟⲥ ⲉⲓⲁϩⲉⲣⲁⲧ ϩⲛ ⲧⲉⲩⲙⲏⲧⲉ ϫⲉ ⲉⲩⲉⲕⲣⲓⲛⲉ ⲙⲙⲟⲓⲙⲡⲟⲟⲩ ϩⲓⲱⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲁⲛⲁⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲛⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧ
22 किंतु राज्यपाल फ़ेलिक्स ने, जो इस पंथ से भली-भांति परिचित था, सुनवाई को स्थगित करते हुए घोषणा की, “सेनापति लिसियस के आने पर ही मैं इस विषय में निर्णय दूंगा.”
ⲕ̅ⲃ̅ⲫⲏⲗⲓⲝ ⲇⲉ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ ⲉⲛⲁⲓ ⲁϥⲛⲉϫⲫⲱⲃ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ ⲉϥⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛⲧⲉϩⲓⲏ ϩⲛ ⲟⲩⲱⲣϫ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲣϣⲁⲛⲗⲩⲥⲓⲁⲥ ⲡⲭⲓⲗⲓⲁⲣⲭⲟⲥ ⲉⲓ ϯⲛⲁⲥⲱⲧⲙ ⲉⲣⲱⲧⲛ
23 उसने शताधिपति को आज्ञा दी कि पौलॉस को कारावास में तो रखा जाए किंतु उन्हें इतनी स्वतंत्रता अवश्य दी जाए कि उनके खास मित्र आकर उनकी सेवा कर सकें.
ⲕ̅ⲅ̅ⲁϥⲟⲩⲉϩ ⲥⲁϩⲛⲉ ⲇⲉ ⲙⲡϩⲉⲕⲁⲧⲟⲛⲧⲁⲣⲭⲟⲥ ⲉϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲙⲙⲟⲕϩϥ ⲟⲩⲇⲉ ⲉⲧⲙⲕⲱⲗⲩ ⲛⲗⲁⲁⲩ ⲛⲛⲉϥⲣⲱⲙⲉ ⲉⲧⲙϣⲙϣⲏⲧϥ ⲏ ⲉⲧⲣⲉⲩⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲁϥ
24 कुछ दिनों के बाद फ़ेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला के साथ वहां आया, जो यहूदी थी. उसने पौलॉस को बुलवाने की आज्ञा दी और उनसे उनके मसीह येशु में विश्वास विषय पर बातें सुनी.
ⲕ̅ⲇ̅ⲙⲛⲛⲥⲁ ϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁϥⲉⲓ ⲛϭⲓ ⲫⲏⲗⲓⲝ ⲙⲛ ⲧⲣⲟⲩⲥⲓⲗⲗⲁ ⲧⲉϥⲥϩⲓⲙⲉ ⲉⲩⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲧⲛⲛⲟⲟⲩ ⲛⲥⲁ ⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲁϥⲥⲱⲧⲙ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲉⲭⲥ ⲓⲥ
25 जब पौलॉस धार्मिकता, संयम तथा आनेवाले न्याय का वर्णन कर रहे थे, फ़ेलिक्स ने भयभीत हो पौलॉस से कहा, “इस समय तो तुम जाओ. जब मेरे पास समय होगा, मैं स्वयं तुम्हें बुलवा लूंगा.”
ⲕ̅ⲉ̅ⲉⲣⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲇⲉ ϣⲁϫⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲉⲕⲣⲁⲧⲓⲁ ⲙⲛ ⲧⲉⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲣ ϩⲟⲧⲉ ⲇⲉ ⲛϭⲓ ⲫⲏⲗⲓⲝ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲉⲓϣⲁⲛϩⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲡⲉⲩⲟⲉⲓϣ ϯⲛⲁⲧⲁⲩⲟⲟⲩ ⲛⲥⲱⲕ
26 फ़ेलिक्स पौलॉस से धनराशि प्राप्‍ति की आशा लगाए हुए था. इसी आशा में वह पौलॉस को बातचीत के लिए बार-बार अपने पास बुलवाता था.
ⲕ̅ⲋ̅ϩⲁⲙⲁ ⲧⲉ ⲉϥϩⲉⲗⲡⲓⲍⲉ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲛⲁϯϩⲉⲛⲭⲣⲏⲙⲁ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲉϥⲉⲃⲟⲗϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲁⲓ ⲛⲉϥⲧⲛⲛⲟⲟⲩ ⲛⲥⲱϥ ⲛϩⲁϩ ⲛⲥⲟⲡ ⲉϥϣⲁϫⲉ ⲛⲙⲙⲁϥ
27 यही क्रम दो वर्षों तक चलता रहा. तब फ़ेलिक्स के स्थान पर पोर्कियॉस फ़ेस्तुस इस पद पर चुना गया और यहूदियों को प्रसन्‍न करने के उद्देश्य से फ़ेलिक्स ने पौलॉस को बंदी ही बना रहने दिया.
ⲕ̅ⲍ̅ⲛⲧⲉⲣⲉⲧⲉⲣⲟⲙⲡⲉ ⲇⲉ ⲥⲛⲧⲉ ϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲧⲉⲫⲏⲗⲓⲝ ⲁϥⲉⲓ ⲉⲡⲉϥⲙⲁ ⲛϭⲓ ⲡⲟⲣⲕⲓⲟⲥ ⲫⲏⲥⲧⲟⲥ ⲉϥⲟⲩⲱϣ ⲇⲉ ⲛϭⲓ ⲫⲏⲗⲓⲝ ⲉϯ ⲛⲟⲩⲭⲁⲣⲓⲥ ⲛⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲁϥⲕⲁ ⲡⲁⲩⲗⲟⲥ ⲉϥⲙⲏⲣ

< प्रेरितों के काम 24 >