< प्रेरितों के काम 18 >
1 इसके बाद पौलॉस अथेनॉन नगर से कोरिन्थॉस नगर चले गए.
Post hæc egressus ab Athenis, venit Corinthum:
2 वहां उनकी भेंट अकुलॉस नामक एक यहूदी से हुई. वह जन्मतः पोन्तॉस नगर का निवासी था. कुछ ही समय पूर्व वह अपनी पत्नी प्रिस्का के साथ इतालिया से पलायन कर आया था क्योंकि सम्राट क्लॉदियॉस ने रोम से सारे यहूदियों के निकल जाने की आज्ञा दी थी. पौलॉस उनसे भेंट करने गए.
et inveniens quemdam Judæum nomine Aquilam, Ponticum genere, qui nuper venerat ab Italia, et Priscillam uxorem ejus (eo quod præcepisset Claudius discedere omnes Judæos a Roma), accessit ad eos.
3 पौलॉस और अकुलॉस का व्यवसाय एक ही था इसलिये पौलॉस उन्हीं के साथ रहकर काम करने लगे—वे दोनों ही तंबू बनानेवाले थे.
Et quia ejusdem erat artis, manebat apud eos, et operabatur. (Erant autem scenofactoriæ artis.)
4 हर एक शब्बाथ पर पौलॉस यहूदी आराधनालय में प्रवचन देते और यहूदियों तथा यूनानियों की शंका दूर करते थे.
Et disputabat in synagoga per omne sabbatum, interponens nomen Domini Jesu: suadebatque Judæis et Græcis.
5 जब मकेदोनिया से सीलास और तिमोथियॉस वहां आए तो पौलॉस मात्र वचन की शिक्षा देने के प्रति समर्पित हो गए और यहूदियों के सामने यह साबित करने लगे कि येशु ही वह मसीह हैं.
Cum venissent autem de Macedonia Silas et Timotheus, instabat verbo Paulus, testificans Judæis esse Christum Jesum.
6 उनकी ओर से प्रतिरोध और निंदा की स्थिति में पौलॉस अपने वस्त्र झटक कर कह दिया करते थे, “अपने विनाश के लिए तुम स्वयं दोषी हो—मैं निर्दोष हूं. अब मैं गैर-यहूदियों के मध्य जा रहा हूं.”
Contradicentibus autem eis, et blasphemantibus, excutiens vestimenta sua, dixit ad eos: Sanguis vester super caput vestrum: mundus ego: ex hoc ad gentes vadam.
7 पौलॉस यहूदी आराधनालय से निकलकर तीतॉस युस्तस नामक व्यक्ति के घर चले गए. वह परमेश्वर भक्त व्यक्ति था. उसका घर यहूदी आराधनालय के पास ही था.
Et migrans inde, intravit in domum cujusdam, nomine Titi Justi, colentis Deum, cujus domus erat conjuncta synagogæ.
8 यहूदी आराधनालय के प्रभारी क्रिस्पॉस ने सपरिवार प्रभु में विश्वास किया. अनेक कोरिन्थवासी वचन सुन विश्वास कर बपतिस्मा लेते जा रहे थे.
Crispus autem archisynagogus credidit Domino cum omni domo sua: et multi Corinthiorum audientes credebant, et baptizabantur.
9 प्रभु ने पौलॉस से रात में दर्शन में कहा, “अब भयभीत न होना. वचन का प्रचार करते जाओ. मौन न रहो.
Dixit autem Dominus nocte per visionem Paulo: Noli timere, sed loquere, et ne taceas:
10 मैं तुम्हारे साथ हूं. कोई तुम पर आक्रमण करके तुम्हें हानि नहीं पहुंचा सकता क्योंकि इस नगर में मेरे अनेक भक्त हैं.”
propter quod ego sum tecum, et nemo apponetur tibi ut noceat te: quoniam populus est mihi multus in hac civitate.
11 इसलिये पौलॉस वहां एक वर्ष छः माह तक रहे और परमेश्वर के वचन की शिक्षा देते रहे.
Sedit autem ibi annum et sex menses, docens apud eos verbum Dei.
12 जब गैलियो आखाया प्रदेश का राज्यपाल था, यहूदी एक मत होकर पौलॉस के विरुद्ध खड़े हो गए और उन्हें न्यायालय ले गए.
Gallione autem proconsule Achaiæ, insurrexerunt uno animo Judæi in Paulum, et adduxerunt eum ad tribunal,
13 उन्होंने उन पर आरोप लगाया, “यह व्यक्ति लोगों को परमेश्वर की आराधना इस प्रकार से करने के लिए फुसला रहा है, जो व्यवस्था के आदेशों के विपरीत है.”
dicentes: Quia contra legem hic persuadet hominibus colere Deum.
14 जब पौलॉस अपनी-अपनी रक्षा में कुछ बोलने पर ही थे, गैलियो ने यहूदियों से कहा, “ओ यहूदियों! यदि तुम मेरे सामने किसी प्रकार के अपराध या किसी घोर दुष्टता का आरोप लेकर आते तो मैं उसके लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करता
Incipiente autem Paulo aperire os, dixit Gallio ad Judæos: Si quidem esset iniquum aliquid aut facinus pessimum, o viri Judæi, recte vos sustinerem.
15 किंतु यदि यह विवादित शब्दों, नामों या तुम्हारे ही अपने विधान से संबंधित है तो इसका निर्णय तुम स्वयं करो. मैं इसका निर्णय नहीं करना चाहता.”
Si vero quæstiones sunt de verbo, et nominibus, et lege vestra, vos ipsi videritis: judex ego horum nolo esse.
16 फिर उसने उन्हें न्यायालय के बाहर खदेड़ दिया.
Et minavit eos a tribunali.
17 यहूदियों ने यहूदी आराधनालय के प्रधान सोस्थेनेस को पकड़कर न्यायालय के सामने ही पीटना प्रारंभ कर दिया. गैलियो पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
Apprehendentes autem omnes Sosthenem principem synagogæ, percutiebant eum ante tribunal: et nihil eorum Gallioni curæ erat.
18 वहां अनेक दिन रहने के बाद पौलॉस भाई बहिनों से विदा लेकर जलमार्ग से सीरिया प्रदेश चले गए. उनके साथ प्रिस्का और अकुलॉस भी थे. केनख्रेया नगर में पौलॉस ने अपना मुंडन करवा लिया क्योंकि उन्होंने एक संकल्प लिया था.
Paulus vero cum adhuc sustinuisset dies multos fratribus valefaciens, navigavit in Syriam (et cum eo Priscilla et Aquila), qui sibi totonderat in Cenchris caput: habebat enim votum.
19 वे इफ़ेसॉस नगर में आए. पौलॉस उन्हें वहीं छोड़कर यहूदी सभागृह में जाकर यहूदियों से वाद-विवाद करने लगे.
Devenitque Ephesum, et illos ibi reliquit. Ipse vero ingressus synagogam, disputabat cum Judæis.
20 वे पौलॉस से कुछ दिन और ठहरने की विनती करते रहे किंतु पौलॉस राज़ी नहीं हुए.
Rogantibus autem eis ut ampliori tempore maneret, non consensit,
21 पौलॉस ने उनसे यह कहते हुए आज्ञा चाही “यदि परमेश्वर चाहेंगे तो मैं दोबारा लौटकर तुम्हारे पास आऊंगा” और वह इफ़ेसॉस नगर छोड़कर जलमार्ग से आगे चले गए.
sed valefaciens, et dicens: Iterum revertar ad vos, Deo volente: profectus est ab Epheso.
22 कयसरिया नगर पहुंचकर येरूशलेम जाकर उन्होंने कलीसिया से भेंट की और फिर अंतियोख़ नगर चले गए.
Et descendens Cæsaream, ascendit, et salutavit ecclesiam, et descendit Antiochiam.
23 अंतियोख़ नगर में कुछ दिन बिता कर वह वहां से विदा हुए और नगर-नगर यात्रा करते हुए सभी गलातिया प्रदेश और फ़्रिजिया क्षेत्र में से होते हुए शिष्यों को प्रोत्साहित करते हुए आगे बढ़ गए.
Et facto ibi aliquanto tempore profectus est, perambulans ex ordine Galaticam regionem, et Phrygiam, confirmans omnes discipulos.
24 अपोल्लॉस नामक एक यहूदी व्यक्ति थे, जिनका जन्म अलेक्सान्द्रिया नगर में हुआ था. वह इफ़ेसॉस नगर आए. वह प्रभावशाली वक्ता और पवित्र शास्त्र के बड़े ज्ञानी थे
Judæus autem quidam, Apollo nomine, Alexandrinus genere, vir eloquens, devenit Ephesum, potens in scripturis.
25 किंतु उन्हें प्रभु के मार्ग की मात्र ज़ुबानी शिक्षा दी गई थी. वह अत्यंत उत्साही स्वभाव के थे तथा मसीह येशु के विषय में उनकी शिक्षा सटीक थी किंतु उनका ज्ञान मात्र योहन के बपतिस्मा तक ही सीमित था.
Hic erat edoctus viam Domini: et fervens spiritu loquebatur, et docebat diligenter ea quæ sunt Jesu, sciens tantum baptisma Joannis.
26 अपोल्लॉस निडरता से यहूदी आराधनालय में प्रवचन देने लगे किंतु जब प्रिस्का और अकुलॉस ने उनका प्रवचन सुना तो वे उन्हें अलग ले गए और वहां उन्होंने अपोल्लॉस को परमेश्वर के शिक्षा-सिद्धान्त की सच्चाई को और अधिक साफ़ रीति से समझाया.
Hic ergo cœpit fiducialiter agere in synagoga. Quem cum audissent Priscilla et Aquila, assumpserunt eum, et diligentius exposuerunt ei viam Domini.
27 जब अपोल्लॉस ने आखाया प्रदेश के आगे जाने की इच्छा व्यक्त की तो भाई बहिनों ने उन्हें प्रोत्साहित किया तथा आखाया प्रदेश के शिष्यों को पत्र लिखकर विनती की कि वे उन्हें स्वीकार करें. इसलिये जब अपोल्लॉस वहां पहुंचे, उन्होंने उन शिष्यों का बहुत प्रोत्साहन किया, जिन्होंने अनुग्रह द्वारा विश्वास किया था
Cum autem vellet ire Achaiam, exhortati fratres, scripserunt discipulis ut susciperent eum. Qui cum venisset, contulit multum his qui crediderant.
28 क्योंकि वह सार्वजनिक रूप से यहूदियों का खंडन करते और पवित्र शास्त्र के आधार पर प्रमाणित करते थे कि येशु ही वह मसीह हैं.
Vehementer enim Judæos revincebat publice, ostendens per Scripturas esse Christum Jesum.