< प्रेरितों के काम 12 >

1 उसी समय राजा हेरोदेस ने कलीसिया के कुछ लोगों को सताने के उद्देश्य से बंदी बना लिया
Now about that time, Herod the king laid hands on some from the church to mistreat them.
2 और तलवार से योहन के भाई याकोब की हत्या करवा दी.
James, the brother of John, he put to death by sword.
3 जब उसने यह देखा कि उसके ऐसा करने से यहूदी प्रसन्‍न होते हैं, उसने पेतरॉस को भी बंदी बनाने का निश्चय किया. यह अखमीरी रोटी के पर्व का अवसर था.
When he saw that it was pleasing to the Jews, he proceeded to arrest Peter as well (it was during the days of the unleavened loaves)
4 पेतरॉस को बंदी बनाकर उसने उन पर चार-चार सैनिकों के चार दलों का पहरा लगा दिया कि फ़सह पर्व समाप्‍त हो जाने पर वह उन पर मुकद्दमा चलाए.
—upon seizing him he put him in prison, turning him over to sixteen soldiers to guard him, intending to bring him out to the people after the Passover.
5 पेतरॉस को कारागार में रखा गया किंतु कलीसिया उनके लिए एक मन से प्रार्थना कर रही थी.
Well Peter was being held in the prison all right, but the congregation was making earnest prayer to God on his behalf.
6 उन पर मुकद्दमा चलाए जाने से एक रात पहले पेतरॉस दो सैनिकों के मध्य बेड़ियों से बंधे सोए हुए थे. और द्वार के सामने भी चौकीदार पहरा दे रहे थे.
So when Herod was about to bring him out, that night Peter was sleeping between two soldiers, bound with two chains, with guards protecting the prison in front of the doors.
7 प्रभु का एक दूत एकाएक वहां प्रकट हुआ और वह कमरा ज्योति से भर गया. स्वर्गदूत ने पेतरॉस को थपथपा कर जगाया और कहा, “जल्दी उठिए!” तत्काल ही पेतरॉस की हथकड़ियां गिर पड़ीं.
Suddenly, an angel of the Lord was there, and a light shone in the cell; striking Peter on the side he roused him saying, “Quick, get up!” and the chains fell away from his wrists.
8 स्वर्गदूत ने पेतरॉस से कहा, “वस्त्र और जूतियां पहन लीजिए” पेतरॉस ने ऐसा ही किया. तब स्वर्गदूत ने उन्हें आज्ञा दी, “अब ऊपरी कपड़ा ओढ़ कर मेरे पीछे-पीछे आ जाइए.”
Then the angel said to him, “Fasten your belt and put on your sandals.” So he did. Then he said to him, “Put on your cloak and follow me.”
9 पेतरॉस उसके पीछे कारागार से बाहर आ गए किंतु वह यह समझ नहीं पा रहे थे कि जो कुछ स्वर्गदूत द्वारा किया जा रहा था, वह सच्चाई थी या सिर्फ़ सपना.
So he went out and started following him, not realizing that what the angel was doing was real; he supposed he was seeing a vision.
10 जब वे पहले और दूसरे पहरे को पार करके उस लोहे के दरवाज़े पर पहुंचे, जो नगर में खुलता है, वह द्वार अपने आप खुल गया और वे बाहर निकल गए. जब वे गली पार कर चुके तो अचानक स्वर्गदूत उन्हें छोड़कर चला गया.
Passing through the first and second guard posts, they came to the iron gate that leads into the city, that opened for them by itself; upon exiting they advanced one block, and suddenly the angel left him.
11 तब पेतरॉस की सुध-बुध लौटी और वह कह उठे, “अब मुझे सच्चाई का अहसास हो रहा है कि प्रभु ने ही अपने स्वर्गदूत को भेजकर मुझे हेरोदेस से और यहूदी लोगों की सारी उम्मीदों से छुड़ा लिया है.”
When Peter had come to himself he said, “Now I know for certain that the Lord sent His angel and delivered me out of Herod's hand and from all the expectation of the Jewish people.”
12 यह जानकर वह योहन अर्थात् मार्कास की माता मरियम के घर पहुंचे, जहां अनेक शिष्य इकट्ठा होकर प्रार्थना कर रहे थे.
Upon reflection he went to the house of Mary, the mother of John (the one called Mark), where a considerable number had gathered and were praying.
13 उनके खटखटाने पर रोदा नामक दासी द्वार पर आई.
When Peter knocked at the door of the gate, a servant girl named Rhoda came to answer.
14 पेतरॉस का शब्द पहचानकर, आनंद में द्वार खोले बिना ही उसने अंदर जाकर बताया कि पेतरॉस बाहर द्वार पर खड़े हैं.
Upon recognizing Peter's voice, she was so glad she did not open the gate, but ran in and announced that Peter was standing before the gate!
15 वे उससे कहने लगे, “तेरी तो मति मारी गई है!” किंतु जब वह अपनी बात पर अटल रही तो वे कहने लगे, “वह पेतरॉस का स्वर्गदूत होगा.”
But they said to her, “You're crazy!” but she kept insisting that it was so. So they said, “It is his angel.”
16 उधर पेतरॉस द्वार खटखटाते रहे. आखिरकार जब उन्होंने द्वार खोला, वे पेतरॉस को देखकर हक्का-बक्का रह गए.
But Peter kept on knocking; so when they opened the door and saw him, they were astounded.
17 पेतरॉस ने हाथ से शांत रहने का संकेत देते हुए उन्हें बताया कि प्रभु ने किस प्रकार उन्हें कारागार से बाहर निकाला. पेतरॉस ने उनसे कहा कि वे याकोब और अन्य भाई बहिनों को इस विषय में बता दें. तब वह स्वयं दूसरी जगह चले गए.
Motioning to them with his hand to be silent, he related to them how the Lord had brought him out of the prison. Then he said, “Tell these things to James and the brothers.” And going out he went off to a different place.
18 अगले दिन सुबह सैनिकों में बड़ी खलबली मच गई कि पेतरॉस का क्या हुआ?
Now as soon as it was day, there was no small commotion among the soldiers about what had become of Peter!
19 हेरोदेस ने उनकी बहुत खोज करवाई और उन्हें कहीं भी न पाकर उसने पहरेदारों की जांच की और उन सबके लिए मृत्यु दंड का आदेश दे दिया. फिर हेरोदेस कुछ समय के लिए यहूदिया प्रदेश से कयसरिया नगर चला गया और वहां रहा.
Well after searching for him and not finding him, Herod examined the guards and ordered that they be executed. Going down from Judea to Caesarea, he stayed there.
20 हेरोदेस सोर और सीदोनवासियों से बहुत नाराज़ था. ये लोग राजा के घर की देखभाल करनेवाले ब्लास्तॉस की सहानुभूति प्राप्‍त कर एक मत होकर मेल-मिलाप का प्रस्ताव लेकर राजा के पास आए थे क्योंकि अनाज की पूर्ति के लिए वे राजा के क्षेत्र पर ही निर्भर थे.
Now Herod was very angry with the people of Tyre and Sidon; so they came with one accord to him, and having won over Blastus, the king's chamberlain, they asked for peace, because their country was supplied with food from the king's.
21 हेरोदेस ने नियत दिन अपने राजसी वस्त्र धारण कर सिंहासन पर विराजमान हो प्रजा को संबोधित करना प्रारंभ किया.
So on an appointed day Herod, arrayed in royal apparel, sat on the throne and started to deliver an address to them.
22 भीड़ चिल्लाती रही, “यह मानव का नहीं, देवता का शब्द है.”
But the crowd started calling out, “The voice of a god and not of a man!”
23 उसी क्षण प्रभु के एक दूत ने हेरोदेस पर वार किया क्योंकि उसने परमेश्वर को महिमा नहीं दी थी. उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और उसकी मृत्यु हो गई.
Immediately an angel of the Lord struck him down, because he did not give glory to God, and being eaten by worms, he died.
24 प्रभु का वचन बढ़ता और फैलता चला गया.
And the Word of God kept growing and multiplying.
25 बारनबास और शाऊल येरूशलेम में अपनी सेवा समाप्‍त कर वहां से लौट गए. उन्होंने योहन को, जो मार्कास नाम से भी प्रसिद्ध हैं, अपने साथ ले लिया था.
Now Barnabas and Saul returned to Antioch, having fulfilled their mission, also taking with them John, the one called Mark.

< प्रेरितों के काम 12 >