< प्रेरितों के काम 11 >

1 सारे यहूदिया प्रदेश में प्रेरितों और शिष्यों तक यह समाचार पहुंच गया कि गैर-यहूदियों ने भी परमेश्वर के वचन-संदेश को ग्रहण कर लिया है.
Now the apostles and the brothers who were in Judea heard that the Gentiles had also received the word of God.
2 परिणामस्वरूप येरूशलेम पहुंचने पर ख़तना किए हुए शिष्यों ने पेतरॉस को आड़े हाथों लिया,
So when Peter came up to Jerusalem, those of the circumcision faction began disputing with him,
3 “आप वहां खतना-रहितों के अतिथि होकर रहे तथा आपने उनके साथ भोजन भी किया!”
saying, “Yoʋ went into the house of uncircumcised men and ate with them!”
4 इसलिये पेतरॉस ने उन्हें क्रमानुसार समझाना शुरू किया,
But Peter began to explain the situation to them, step by step, saying,
5 “जब मैं योप्पा नगर में प्रार्थना कर रहा था, अवचेतन अवस्था में मैंने दर्शन में एक चादर जैसी वस्तु को चारों कोनों से लटके हुए स्वर्ग से नीचे उतरते देखा. वह वस्तु मेरे एकदम पास आ गई.
“I was praying in the city of Joppa, and in a trance I saw a vision of an object like a large sheet coming down, being lowered from heaven by its four corners, and it came to me.
6 उसे ध्यान से देखने पर मैंने पाया कि उसमें पृथ्वी पर के सभी चौपाये, जंगली पशु, रेंगते जंतु तथा आकाश के पक्षी थे.
As I stared at it, I looked closely and saw four-footed animals of the earth, as well as wild beasts, reptiles, and birds of the sky.
7 उसी समय मुझे यह शब्द सुनाई दिया, ‘उठो, पेतरॉस, मारो और खाओ.’
Then I heard a voice saying to me, ‘Rise, Peter, kill and eat.’
8 “मैंने उत्तर दिया, ‘बिलकुल नहीं प्रभु! क्योंकि मैंने कभी भी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु मुंह में नहीं डाली.’
But I said, ‘Surely not, Lord! For nothing defiled or unclean has ever entered my mouth.’
9 “स्वर्ग से दोबारा यह शब्द सुनाई दिया, ‘जिसे परमेश्वर ने शुद्ध घोषित कर दिया है तुम उसे अशुद्ध मत समझो.’
The voice from heaven responded to me a second time: ‘Do not regard as defiled what God has made clean.’
10 तीन बार दोहराने के बाद वह सब स्वर्ग में उठा लिया गया.
This happened three times, and then everything was drawn up again into heaven.
11 “ठीक उसी समय तीन व्यक्ति उस घर के सामने आ खड़े हुए, जहां मैं ठहरा हुआ था. वे कयसरिया नगर से मेरे लिए भेजे गए थे.
And behold, at that very moment three men arrived at the house where I was; they had been sent to me from Caesarea.
12 पवित्र आत्मा ने मुझे आज्ञा दी कि मैं बिना किसी आपत्ति के उनके साथ चला जाऊं. मेरे साथ ये छः शिष्य भी वहां गए थे, और हम उस व्यक्ति के घर में गए.
The Spirit told me to go with them without any misgivings. These six brothers also went with me, and we went into the man's house.
13 उसने हमें बताया कि किस प्रकार उसने अपने घर में उस स्वर्गदूत को देखा, जिसने उसे आज्ञा दी थी कि योप्पा नगर से शिमओन अर्थात् पेतरॉस को आमंत्रित किया जाए,
He told us how he had seen an angel standing in his house and saying to him, ‘Send men to Joppa and have them bring back Simon, who is called Peter;
14 जो उन्हें वह संदेश देंगे जिसके द्वारा उसका तथा उसके सारे परिवार को उद्धार प्राप्‍त होगा.
he will speak a message to yoʋ by which yoʋ will be saved, yoʋ and yoʋr entire household.’
15 “जब मैंने प्रवचन शुरू किया उन पर भी पवित्र आत्मा उतरे—ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार वह शुरुआत में हम पर उतरे थे.
As I began to speak, the Holy Spirit fell upon them, just as he had fallen upon us at the beginning.
16 तब मुझे प्रभु के ये शब्द याद आए, ‘निःसंदेह योहन जल में बपतिस्मा देता रहा किंतु तुम्हें पवित्र आत्मा में बपतिस्मा दिया जाएगा.’
Then I remembered what the Lord had said: ‘John baptized with water, but you will be baptized with the Holy Spirit.’
17 इसलिये जब प्रभु येशु मसीह में विश्वास करने पर परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया है, जो हमें दिया था, तब मैं कौन था, जो परमेश्वर के काम में रुकावट उत्पन्‍न करता?”
If then God gave them the same gift that he gave us when we believed in the Lord Jesus Christ, how could I stand in God's way?”
18 यह सुनने के बाद इसके उत्तर में वे कुछ भी न कह पाए परंतु इन शब्दों में परमेश्वर का धन्यवाद करने लगे, “इसका मतलब तो यह हुआ कि जीवन पाने के लिए परमेश्वर ने गैर-यहूदियों को भी पश्चाताप की ओर उभारा है.”
When the apostles and brothers heard this, they ceased their objections and began glorifying God, saying, “Then to the Gentiles also God has granted the repentance that leads to life.”
19 वे शिष्य, जो स्तेफ़ानॉस के सताहट के फलस्वरूप शुरुआत में तितर-बितर हो गए थे, फ़ॉयनिके, सैप्रस तथा अंतियोख़ नगरों में जा पहुंचे थे. ये यहूदियों के अतिरिक्त अन्य किसी को भी संदेश नहीं सुनाते थे
Now those who had been scattered because of the persecution that arose over Stephen traveled as far as Phoenicia, Cyprus, and Antioch, speaking the word to no one except Jews.
20 किंतु कुछ सैप्रसवासी तथा कुरेनावासी अंतियोख़ नगरों में आकर यूनानियों को भी मसीह येशु के विषय में सुसमाचार देने लगे.
But there were some Cypriot and Cyrenian men among them who went to Antioch and began speaking to the Hellenists, preaching the good news about the Lord Jesus.
21 उन पर प्रभु की कृपादृष्टि थी. बड़ी संख्या में लोगों ने विश्वास कर प्रभु को ग्रहण किया.
The hand of the Lord was with them, and a large number of people believed and turned to the Lord.
22 यह समाचार येरूशलेम की कलीसिया में भी पहुंचा. इसलिये उन्होंने बारनबास को अंतियोख़ नगर भेजा.
News of this reached the ears of the church in Jerusalem, and they sent Barnabas out to go to Antioch.
23 वहां पहुंचकर जब बारनबास ने परमेश्वर के अनुग्रह के प्रमाण देखे तो वह बहुत आनंदित हुए और उन्होंने उन्हें पूरी लगन के साथ प्रभु में स्थिर बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया.
When he arrived and saw the grace of God, he rejoiced and began exhorting all the believers to remain true to the Lord with resolute hearts.
24 बारनबास एक भले, पवित्र आत्मा से भरे हुए और विश्वास में परिपूर्ण व्यक्ति थे, और बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभु के पास लाए गए.
For he was a good man, full of the Holy Spirit and faith, and a large number of people were added to the Lord.
25 इसलिये बारनबास को तारस्यॉस नगर जाकर शाऊल को खोजना सही लगा.
Then Barnabas went to Tarsus to look for Saul.
26 शाऊल के मिल जाने पर वह उन्हें लेकर अंतियोख़ नगर आ गए. वहां कलीसिया में एक वर्ष तक रहकर दोनों ने अनेक लोगों को शिक्षा दी. अंतियोख़ नगर में ही सबसे पहले मसीह येशु के शिष्य मसीही कहलाए.
When he found him, he brought him to Antioch. So for an entire year they met with the church and taught a large number of people, and it was in Antioch that the disciples were first called Christians.
27 इन्हीं दिनों में कुछ भविष्यवक्ता येरूशलेम से अंतियोख़ आए.
In those days some prophets came down to Antioch from Jerusalem.
28 उन्हीं में से हागाबुस नामक एक भविष्यवक्ता ने पवित्र आत्मा की प्रेरणा से यह संकेत दिया कि सारी पृथ्वी पर अकाल पड़ने पर है—यह कयसर क्लॉदियॉस के शासनकाल की घटना है.
One of them, named Agabus, stood up and indicated by the Spirit that a severe famine was about to come upon the entire world (which indeed took place in the time of Claudius Caesar).
29 इसलिये शिष्यों ने यहूदिया प्रदेश के मसीह के विश्वासी भाई बहिनों के लिए अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता देने का निश्चय किया.
So the disciples, each according to his own ability, determined to send relief to the brothers who dwelt in Judea.
30 अपने इस निश्चय के अनुसार उन्होंने दानराशि बारनबास और शाऊल के द्वारा पुरनियों को भेज दी.
This they did, sending it to the elders by the hands of Barnabas and Saul.

< प्रेरितों के काम 11 >