< 2 तीमुथियुस 2 >

1 इसलिये, हे पुत्र, मसीह येशु में प्राप्‍त हुए अनुग्रह में बलवान हो जाओ.
tu ergo fili mi confortare in gratia quae est in Christo Iesu
2 उन शिक्षाओं को, जो तुमने अनेकों गवाहों की उपस्थिति में मुझसे प्राप्‍त की हैं, ऐसे विश्वासयोग्य व्यक्तियों को सौंप दो, जिनमें बाकियों को भी शिक्षा देने की क्षमता है.
et quae audisti a me per multos testes haec commenda fidelibus hominibus qui idonei erunt et alios docere
3 मसीह येशु के अच्छे योद्धा की तरह मेरे साथ दुःखों का सामना करो.
labora sicut bonus miles Christi Iesu
4 कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके.
nemo militans inplicat se negotiis saecularibus ut ei placeat cui se probavit
5 इसी प्रकार यदि कोई अखाड़े की प्रतियोगिता में भाग लेता है किंतु नियम के अनुसार प्रदर्शन नहीं करता, विजय पदक प्राप्‍त नहीं करता.
nam et qui certat in agone non coronatur nisi legitime certaverit
6 यह सही ही है कि परिश्रमी किसान उपज से अपना हिस्सा सबसे पहले प्राप्‍त करे.
laborantem agricolam oportet primum de fructibus accipere
7 मेरी शिक्षाओं पर विचार करो. प्रभु तुम्हें सब विषयों में समझ प्रदान करेंगे.
intellege quae dico dabit enim tibi Dominus in omnibus intellectum
8 उस ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार, जिसका मैं प्रचारक हूं, मरे हुओं में से जीवित, दावीद के वंशज मसीह येशु को याद रखो.
memor esto Iesum Christum resurrexisse a mortuis ex semine David secundum evangelium meum
9 उसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं कष्ट सह रहा हूं, यहां तक कि मैं अपराधी जैसा बेड़ियों में जकड़ा गया हूं—परंतु परमेश्वर का वचन कैद नहीं किया जा सका.
in quo laboro usque ad vincula quasi male operans sed verbum Dei non est alligatum
10 यही कारण है कि मैं उनके लिए, जो चुने हुए हैं, सभी कष्ट सह रहा हूं कि उन्हें भी वह उद्धार प्राप्‍त हो, जो मसीह येशु में मिलता है तथा उसके साथ अनंत महिमा भी. (aiōnios g166)
ideo omnia sustineo propter electos ut et ipsi salutem consequantur quae est in Christo Iesu cum gloria caelesti (aiōnios g166)
11 यह बात सत्य है: यदि उनके साथ हमारी मृत्यु हुई है तो हम उनके साथ जीवित भी होंगे;
fidelis sermo nam si conmortui sumus et convivemus
12 यदि हम धीरज धारण किए रहें तो, हम उनके साथ शासन भी करेंगे, यदि हम उनका इनकार करेंगे तो, वह भी हमारा इनकार करेंगे.
si sustinemus et conregnabimus si negabimus et ille negabit nos
13 हम चाहे सच्चाई पर चलना त्याग दें, तो भी वह विश्वासयोग्य रहते हैं, क्योंकि वह अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते.
si non credimus ille fidelis manet negare se ipsum non potest
14 उन्हें इन विषयों की याद दिलाते रहो. परमेश्वर की उपस्थिति में उन्हें चेतावनी दो कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न किया करें. इससे किसी का कोई लाभ नहीं होता परंतु इससे सुननेवालों का विनाश ही होता है.
haec commone testificans coram Domino noli verbis contendere in nihil utile ad subversionem audientium
15 सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हुए परमेश्वर के ऐसे ग्रहण योग्य सेवक बनने का पूरा प्रयास करो, जिसे लज्जित न होना पड़े.
sollicite cura te ipsum probabilem exhibere Deo operarium inconfusibilem recte tractantem verbum veritatis
16 सांसारिक और व्यर्थ की बातचीत से दूर रहो, नहीं तो सांसारिकता बढ़ती ही जाएगी.
profana autem inaniloquia devita multum enim proficient ad impietatem
17 और इस प्रकार की शिक्षा सड़े घाव की तरह फैल जाएगी. ह्यूमैनेऑस तथा फ़िलेतॉस इसी के समर्थकों में से हैं,
et sermo eorum ut cancer serpit ex quibus est Hymeneus et Philetus
18 जो यह कहते हुए सच से भटक गए कि पुनरुत्थान तो पहले ही हो चुका. इस प्रकार उन्होंने कुछ को विश्वास से अलग कर दिया है.
qui a veritate exciderunt dicentes resurrectionem iam factam et subvertunt quorundam fidem
19 फिर भी परमेश्वर की पक्की नींव स्थिर है, जिस पर यह मोहर लगी है: “प्रभु उन्हें जानते हैं, जो उनके हैं.” तथा “हर एक, जिसने प्रभु को अपनाया है, अधर्म से दूर रहे.”
sed firmum fundamentum Dei stetit habens signaculum hoc cognovit Dominus qui sunt eius et discedat ab iniquitate omnis qui nominat nomen Domini
20 एक सम्पन्‍न घर में केवल सोने-चांदी के ही नहीं परंतु लकड़ी तथा मिट्टी के भी बर्तन होते हैं—कुछ अच्छे उपयोग के लिए तथा कुछ अनादर के लिए.
in magna autem domo non solum sunt vasa aurea et argentea sed et lignea et fictilia et quaedam quidem in honorem quaedam autem in contumeliam
21 इसलिये जो व्यक्ति स्वयं को इस प्रकार की गंदगी से साफ़ कर लेता है, उसे अच्छा, अलग किया हुआ, स्वामी के लिए उपयोगी तथा हर एक भले काम के लिए तैयार किया हुआ बर्तन माना जाएगा.
si quis ergo emundaverit se ab istis erit vas in honorem sanctificatum et utile Domino ad omne opus bonum paratum
22 जवानी की अभिलाषाओं से दूर भागो तथा उनकी संगति में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शांति का स्वभाव करो, जो निर्मल हृदय से प्रभु को पुकारते हैं
iuvenilia autem desideria fuge sectare vero iustitiam fidem caritatem pacem cum his qui invocant Dominum de corde puro
23 मूर्खता तथा अज्ञानतापूर्ण विवादों से दूर रहो; यह जानते हुए कि इनसे झगड़ा उत्पन्‍न होता है.
stultas autem et sine disciplina quaestiones devita sciens quia generant lites
24 प्रभु के दास का झगड़ालू होना सही नहीं है. वह सबके साथ कृपालु, निपुण शिक्षक, अन्याय की स्थिति में धीरजवंत हो,
servum autem Domini non oportet litigare sed mansuetum esse ad omnes docibilem patientem
25 जो विरोधियों को नम्रतापूर्वक इस संभावना की आशा में समझाए कि क्या जाने परमेश्वर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्‍ति के लिए पश्चाताप की ओर भेजें.
cum modestia corripientem eos qui resistunt nequando det illis Deus paenitentiam ad cognoscendam veritatem
26 वे सचेत हो जाएं तथा शैतान के उस फंदे से छूट जाएं जिसमें उसने उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जकड़ रखा है.
et resipiscant a diaboli laqueis a quo capti tenentur ad ipsius voluntatem

< 2 तीमुथियुस 2 >