< 2 राजा 17 >

1 यहूदिया के राजा आहाज़ के शासन के बारहवें साल में एलाह का पुत्र होशिया शमरिया में राजा बना. उसका शासन नौ साल का था.
בִּשְׁנַת֙ שְׁתֵּ֣ים עֶשְׂרֵ֔ה לְאָחָ֖ז מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה מָ֠לַךְ הוֹשֵׁ֨עַ בֶּן־אֵלָ֧ה בְשֹׁמְר֛וֹן עַל־יִשְׂרָאֵ֖ל תֵּ֥שַׁע שָׁנִֽים׃
2 उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, मगर उस सीमा तक नहीं, जैसा इस्राएल में उसके पहले के राजाओं ने किया था.
וַיַּ֥עַשׂ הָרַ֖ע בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה רַ֗ק לֹ֚א כְּמַלְכֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֥ר הָי֖וּ לְפָנָֽיו׃
3 अश्शूर के राजा शालमानेसर ने उस पर हमला कर दिया. होशिया को उसके अधीन, जागीरदार होकर उसे कर देना पड़ता था.
עָלָ֣יו עָלָ֔ה שַׁלְמַנְאֶ֖סֶר מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֑וּר וַֽיְהִי־ל֤וֹ הוֹשֵׁ֙עַ֙ עֶ֔בֶד וַיָּ֥שֶׁב ל֖וֹ מִנְחָֽה׃
4 मगर अश्शूर के राजा को होशिया के एक षड़्‍यंत्र के विषय में मालूम हो गया. होशिया ने मिस्र देश के राजा सोअ से संपर्क के लिए अपने दूत भेजे थे, और उसने अपने ठहराए गए कर का भुगतान भी नहीं किया था, जैसा वह हर साल किया करता था. तब अश्शूर के राजा ने उसे बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया.
וַיִּמְצָא֩ מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֨וּר בְּהוֹשֵׁ֜עַ קֶ֗שֶׁר אֲשֶׁ֨ר שָׁלַ֤ח מַלְאָכִים֙ אֶל־ס֣וֹא מֶֽלֶךְ־מִצְרַ֔יִם וְלֹא־הֶעֱלָ֥ה מִנְחָ֛ה לְמֶ֥לֶךְ אַשּׁ֖וּר כְּשָׁנָ֣ה בְשָׁנָ֑ה וַֽיַּעַצְרֵ֙הוּ֙ מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר וַיַּאַסְרֵ֖הוּ בֵּ֥ית כֶּֽלֶא׃
5 इसके बाद उसने सारी इस्राएल देश पर कब्जा किया, और तीन साल तक शमरिया नगर को अपनी अधीनता में रखा.
וַיַּ֥עַל מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֖וּר בְּכָל־הָאָ֑רֶץ וַיַּ֙עַל֙ שֹׁמְר֔וֹן וַיָּ֥צַר עָלֶ֖יהָ שָׁלֹ֥שׁ שָׁנִֽים׃
6 होशिया के शासन के नवें साल में अश्शूर के राजा ने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. उसने इस्राएल जनता को बंदी बनाकर अश्शूर ले जाकर वहां हालाह और हाबोर क्षेत्र में बसा दिया. ये दोनों क्षेत्र मेदिया प्रदेश के गोज़ान नदी के तट पर स्थित हैं.
בִּשְׁנַ֨ת הַתְּשִׁיעִ֜ית לְהוֹשֵׁ֗עַ לָכַ֤ד מֶֽלֶךְ־אַשּׁוּר֙ אֶת־שֹׁ֣מְר֔וֹן וַיֶּ֥גֶל אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל אַשּׁ֑וּרָה וַיֹּ֨שֶׁב אֹתָ֜ם בַּחְלַ֧ח וּבְחָב֛וֹר נְהַ֥ר גּוֹזָ֖ן וְעָרֵ֥י מָדָֽי׃ פ
7 यह सब इसलिये हुआ कि इस्राएल वंशजों ने याहवेह, अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; उस परमेश्वर के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें मिस्र के राजा फ़रोह की बंधुआई से मुक्त कराया था. उनमें पराए देवताओं के लिए भय आ गया था.
וַיְהִ֗י כִּֽי־חָטְא֤וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ לַיהוָ֣ה אֱלֹהֵיהֶ֔ם הַמַּעֲלֶ֤ה אֹתָם֙ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם מִתַּ֕חַת יַ֖ד פַּרְעֹ֣ה מֶֽלֶךְ־מִצְרָ֑יִם וַיִּֽירְא֖וּ אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
8 वे उन राष्ट्रों की प्रथाओं का पालन करने लगे थे, जिन जनताओं को याहवेह ने इस्राएल वंश के सामने से अलग कर दिया था. इसके अलावा वे इस्राएल के राजाओं द्वारा प्रचलित प्रथाओं का पालन करने लगे थे.
וַיֵּֽלְכוּ֙ בְּחֻקּ֣וֹת הַגּוֹיִ֔ם אֲשֶׁר֙ הוֹרִ֣ישׁ יְהוָ֔ה מִפְּנֵ֖י בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וּמַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל אֲשֶׁ֥ר עָשֽׂוּ׃
9 इस्राएल के लोग याहवेह, उनके परमेश्वर के विरुद्ध गुप्‍त रूप से वह सब करते रहे, जो गलत था. उन्होंने अपने सारे नगरों में पहरेदारों के खंभों से लेकर गढ़नगर तक पूजा की जगहों को बनवाया.
וַיְחַפְּא֣וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֗ל דְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֣ר לֹא־כֵ֔ן עַל־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵיהֶ֑ם וַיִּבְנ֨וּ לָהֶ֤ם בָּמוֹת֙ בְּכָל־עָ֣רֵיהֶ֔ם מִמִּגְדַּ֥ל נוֹצְרִ֖ים עַד־עִ֥יר מִבְצָֽר׃
10 उन्होंने हर एक ऊंची पहाड़ी पर और हर एक हरे पेड़ के नीचे अशेराह के खंभे खड़े किए.
וַיַּצִּ֧בוּ לָהֶ֛ם מַצֵּב֖וֹת וַאֲשֵׁרִ֑ים עַ֚ל כָּל־גִּבְעָ֣ה גְבֹהָ֔ה וְתַ֖חַת כָּל־עֵ֥ץ רַעֲנָֽן׃
11 वे सारे पूजा स्थलों पर धूप जलाते थे, उन्हीं जनताओं के समान, जिन्हें याहवेह ने उनके सामने से हटाकर अलग किया था. इस्राएली प्रजा दुष्टता से भरे कामों में लगी रही, जिससे याहवेह का गुस्सा भड़क उठता था.
וַיְקַטְּרוּ־שָׁם֙ בְּכָל־בָּמ֔וֹת כַּגּוֹיִ֕ם אֲשֶׁר־הֶגְלָ֥ה יְהוָ֖ה מִפְּנֵיהֶ֑ם וַֽיַּעֲשׂוּ֙ דְּבָרִ֣ים רָעִ֔ים לְהַכְעִ֖יס אֶת־יְהוָֽה׃
12 वे मूर्तियों की सेवा-उपासना करते रहे, जिनके विषय में याहवेह ने उन्हें चेताया था, “तुम यह न करना.”
וַיַּֽעַבְד֖וּ הַגִּלֻּלִ֑ים אֲשֶׁ֨ר אָמַ֤ר יְהוָה֙ לָהֶ֔ם לֹ֥א תַעֲשׂ֖וּ אֶת־הַדָּבָ֥ר הַזֶּֽה׃
13 फिर भी याहवेह इस्राएल और यहूदिया को हर एक भविष्यद्वक्ता और दर्शी के द्वारा इस प्रकार चेतावनी देते रहेः “व्यवस्था के अनुसार अपनी बुराइयों से फिरकर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो, जिनका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, और जिन्हें मैंने भविष्यवक्ताओं, मेरे सेवकों के माध्यम से तुम तक पहुंचाया.”
וַיָּ֣עַד יְהוָ֡ה בְּיִשְׂרָאֵ֣ל וּבִיהוּדָ֡ה בְּיַד֩ כָּל־נְבִיאֵ֨י כָל־חֹזֶ֜ה לֵאמֹ֗ר שֻׁ֝֠בוּ מִדַּרְכֵיכֶ֤ם הָֽרָעִים֙ וְשִׁמְרוּ֙ מִצְוֹתַ֣י חֻקּוֹתַ֔י כְּכָ֨ל־הַתּוֹרָ֔ה אֲשֶׁ֥ר צִוִּ֖יתִי אֶת־אֲבֹֽתֵיכֶ֑ם וַֽאֲשֶׁר֙ שָׁלַ֣חְתִּי אֲלֵיכֶ֔ם בְּיַ֖ד עֲבָדַ֥י הַנְּבִיאִֽים׃
14 मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की, और अपने हृदय कठोर कर लिए; जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, जिनकी याहवेह, उनके परमेश्वर में कोई श्रद्धा न थी.
וְלֹ֖א שָׁמֵ֑עוּ וַיַּקְשׁ֤וּ אֶת־עָרְפָּם֙ כְּעֹ֣רֶף אֲבוֹתָ֔ם אֲשֶׁר֙ לֹ֣א הֶאֱמִ֔ינוּ בַּֽיהוָ֖ה אֱלֹהֵיהֶֽם׃
15 उन्होंने याहवेह के नियमों का तिरस्कार किया और उस वाचा को तुच्छ माना, जो याहवेह ने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी. उन्होंने उन चेतावनियों पर ध्यान न दिया, जिनके द्वारा याहवेह ने उन्हें सचेत करना चाहा था. वे बेकार के कामों का अनुसरण करते-करते खुद भी बेकार बन गए, और अपने पड़ोसी राष्ट्रों के समान हो गए. इन्हीं राष्ट्रों के बारे में याहवेह ने उन्हें साफ़ आदेश दिया था: “उनका अनुसरण नहीं करना.”
וַיִּמְאֲס֣וּ אֶת־חֻקָּ֗יו וְאֶת־בְּרִיתוֹ֙ אֲשֶׁ֣ר כָּרַ֣ת אֶת־אֲבוֹתָ֔ם וְאֵת֙ עֵֽדְוֹתָ֔יו אֲשֶׁ֥ר הֵעִ֖יד בָּ֑ם וַיֵּ֨לְכ֜וּ אַחֲרֵ֤י הַהֶ֙בֶל֙ וַיֶּהְבָּ֔לוּ וְאַחֲרֵ֤י הַגּוֹיִם֙ אֲשֶׁ֣ר סְבִֽיבֹתָ֔ם אֲשֶׁ֨ר צִוָּ֤ה יְהוָה֙ אֹתָ֔ם לְבִלְתִּ֖י עֲשׂ֥וֹת כָּהֶֽם׃
16 उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को त्याग दिया, और उन्होंने अपने लिए बछड़ों की धातु की मूर्तियां, हां, दो बछड़ों की मूर्तियां ढाल लीं. उन्होंने अशेराह को बनाया और आकाश की सारी शक्तियों और बाल देवता की उपासना की.
וַיַּעַזְב֗וּ אֶת־כָּל־מִצְוֹת֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיהֶ֔ם וַיַּעֲשׂ֥וּ לָהֶ֛ם מַסֵּכָ֖ה שְׁנֵ֣י עֲגָלִ֑ים וַיַּעֲשׂ֣וּ אֲשֵׁירָ֗ה וַיִּֽשְׁתַּחֲווּ֙ לְכָל־צְבָ֣א הַשָּׁמַ֔יִם וַיַּעַבְד֖וּ אֶת־הַבָּֽעַל׃
17 इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को आग के बीच से होकर निकलने की प्रथा पूरी करने के लिए मजबूर किया. वे भावी कहते थे और जादू-टोना भी करते थे. उन्होंने स्वयं को वह सब करने के लिए समर्पित कर दिया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. इससे उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.
וַֽ֠יַּעֲבִירוּ אֶת־בְּנֵיהֶ֤ם וְאֶת־בְּנֽוֹתֵיהֶם֙ בָּאֵ֔שׁ וַיִּקְסְמ֥וּ קְסָמִ֖ים וַיְנַחֵ֑שׁוּ וַיִּֽתְמַכְּר֗וּ לַעֲשׂ֥וֹת הָרַ֛ע בְּעֵינֵ֥י יְהוָ֖ה לְהַכְעִיסֽוֹ׃
18 फलस्वरूप याहवेह इस्राएल पर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने इस्राएल को अपनी नज़रों से दूर कर दिया; सिवाय यहूदाह गोत्र के.
וַיִּתְאַנַּ֨ף יְהוָ֤ה מְאֹד֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל וַיְסִרֵ֖ם מֵעַ֣ל פָּנָ֑יו לֹ֣א נִשְׁאַ֔ר רַ֛ק שֵׁ֥בֶט יְהוּדָ֖ה לְבַדּֽוֹ׃
19 यहूदिया ने भी याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया. उसने उन्हीं प्रथाओं का अनुसरण किया, जिनको इस्राएल द्वारा शुरू किया गया था.
גַּם־יְהוּדָ֕ה לֹ֣א שָׁמַ֔ר אֶת־מִצְוֹ֖ת יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיהֶ֑ם וַיֵּ֣לְכ֔וּ בְּחֻקּ֥וֹת יִשְׂרָאֵ֖ל אֲשֶׁ֥ר עָשֽׂוּ׃
20 याहवेह ने इस्राएल के सारे वंशजों को त्याग दिया, उन्हें सताया, उन्हें लुटेरों को सौंप दिया, और अपनी दृष्टि से दूर कर दिया.
וַיִּמְאַ֨ס יְהוָ֜ה בְּכָל־זֶ֤רַע יִשְׂרָאֵל֙ וַיְעַנֵּ֔ם וַֽיִּתְּנֵ֖ם בְּיַד־שֹׁסִ֑ים עַ֛ד אֲשֶׁ֥ר הִשְׁלִיכָ֖ם מִפָּנָֽיו׃
21 जब याहवेह इस्राएल को दावीद के वंश से अलग कर चुके, इस्राएलियों ने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम को राजा बनाकर प्रतिष्ठित किया. यरोबोअम ने इस्राएल से याहवेह का अनुसरण खत्म करवा दिया, और इस्राएल को अधम पाप के लिए उकसाया.
כִּֽי־קָרַ֣ע יִשְׂרָאֵ֗ל מֵעַל֙ בֵּ֣ית דָּוִ֔ד וַיַּמְלִ֖יכוּ אֶת־יָרָבְעָ֣ם בֶּן־נְבָ֑ט וַיַּדַּ֨ח יָרָבְעָ֤ם אֶת־יִשְׂרָאֵל֙ מֵאַחֲרֵ֣י יְהוָ֔ה וְהֶחֱטֵיאָ֖ם חֲטָאָ֥ה גְדוֹלָֽה׃
22 इस्राएली प्रजा ने वे सारे पाप किए, जो यरोबोअम ने स्वयं किए थे. इन पापों से वे कभी दूर न हुए.
וַיֵּֽלְכוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּכָל־חַטֹּ֥אות יָרָבְעָ֖ם אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֑ה לֹא־סָ֖רוּ מִמֶּֽנָּה׃
23 तब याहवेह ने उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दिया, जैसा उन्होंने भविष्यवक्ताओं, अपने सेवकों, के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया था. तब इस्राएल वंशज अपने देश से अश्शूर को बंधुआई में भेज दिए गए, वे अब तक बंधुआई में ही हैं.
עַ֠ד אֲשֶׁר־הֵסִ֨יר יְהוָ֤ה אֶת־יִשְׂרָאֵל֙ מֵעַ֣ל פָּנָ֔יו כַּאֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֔ר בְּיַ֖ד כָּל־עֲבָדָ֣יו הַנְּבִיאִ֑ים וַיִּ֨גֶל יִשְׂרָאֵ֜ל מֵעַ֤ל אַדְמָתוֹ֙ אַשּׁ֔וּרָה עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ פ
24 अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूथाह, अव्वा, हामाथ और सेफरवाइम से लोगों को लाकर शमरिया के नगरों में बसा दिया, जहां इसके पहले इस्राएल का रहना था. उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया, और उसके नगरों में रहने लगे.
וַיָּבֵ֣א מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֡וּר מִבָּבֶ֡ל וּ֠מִכּוּ֠תָה וּמֵעַוָּ֤א וּמֵֽחֲמָת֙ וּסְפַרְוַ֔יִם וַיֹּ֙שֶׁב֙ בְּעָרֵ֣י שֹֽׁמְר֔וֹן תַּ֖חַת בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּֽרְשׁוּ֙ אֶת־שֹׁ֣מְר֔וֹן וַיֵּֽשְׁב֖וּ בְּעָרֶֽיהָ׃
25 उनके वहां रहने के शुरुआती सालों में उनके मन में याहवेह के प्रति भय था ही नहीं. तब याहवेह ने उनके बीच शेर भेज दिए, जिन्होंने उनमें से कुछ को अपना कौर बना लिया.
וַיְהִ֗י בִּתְחִלַּת֙ שִׁבְתָּ֣ם שָׁ֔ם לֹ֥א יָרְא֖וּ אֶת־יְהוָ֑ה וַיְשַׁלַּ֨ח יְהוָ֤ה בָּהֶם֙ אֶת־הָ֣אֲרָי֔וֹת וַיִּֽהְי֥וּ הֹרְגִ֖ים בָּהֶֽם׃
26 इसके बारे में अश्शूर के राजा को सूचित किया गया: “जिन राष्ट्रों को आपने ले जाकर शमरिया के नगरों में बसाया है, उन्हें इस देश के देवता की विधि पता नहीं है, इसलिये उसने उनके बीच शेर भेज दिए हैं. अब देखिए वे प्रजा को मार रहे हैं, क्योंकि प्रजा को इस देश के देवता का पता नहीं है.”
וַיֹּאמְר֗וּ לְמֶ֣לֶךְ אַשּׁוּר֮ לֵאמֹר֒ הַגּוֹיִ֗ם אֲשֶׁ֤ר הִגְלִ֙יתָ֙ וַתּ֙וֹשֶׁב֙ בְּעָרֵ֣י שֹׁמְר֔וֹן לֹ֣א יָֽדְע֔וּ אֶת־מִשְׁפַּ֖ט אֱלֹהֵ֣י הָאָ֑רֶץ וַיְשַׁלַּח־בָּ֣ם אֶת־הָאֲרָי֗וֹת וְהִנָּם֙ מְמִיתִ֣ים אוֹתָ֔ם כַּאֲשֶׁר֙ אֵינָ֣ם יֹדְעִ֔ים אֶת־מִשְׁפַּ֖ט אֱלֹהֵ֥י הָאָֽרֶץ׃
27 यह सुन अश्शूर के राजा ने यह आदेश दिया, “जिन पुरोहितों को बंधुआई में लाया गया है, उनमें से एक पुरोहित को वहां भेज दिया जाए, कि वह वहां जाकर वहीं रहा करे, और वहां बसे इन लोगों को उस देश के देवता की व्यवस्था की शिक्षा दे.”
וַיְצַ֨ו מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֜וּר לֵאמֹ֗ר הֹלִ֤יכוּ שָׁ֙מָּה֙ אֶחָ֤ד מֵהַכֹּֽהֲנִים֙ אֲשֶׁ֣ר הִגְלִיתֶ֣ם מִשָּׁ֔ם וְיֵלְכ֖וּ וְיֵ֣שְׁבוּ שָׁ֑ם וְיֹרֵ֕ם אֶת־מִשְׁפַּ֖ט אֱלֹהֵ֥י הָאָֽרֶץ׃
28 तब शमरिया से निकले पुरोहितों में से एक पुरोहित बेथेल नगर में आकर निवास करने लगा, जो उन्हें याहवेह के प्रति भय रखने के विषय में शिक्षा देता था.
וַיָּבֹ֞א אֶחָ֣ד מֵהַכֹּהֲנִ֗ים אֲשֶׁ֤ר הִגְלוּ֙ מִשֹּׁ֣מְר֔וֹן וַיֵּ֖שֶׁב בְּבֵֽית־אֵ֑ל וַֽיְהִי֙ מוֹרֶ֣ה אֹתָ֔ם אֵ֖יךְ יִֽירְא֥וּ אֶת־יְהוָֽה׃
29 मगर हर एक राष्ट्र अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां बनाता रहा, और उन्हें अपने-अपने नगरों के पूजा स्थलों में प्रतिष्ठित करता रहा; उन पूजा स्थलों पर, जो शमरिया के मूलवासियों द्वारा बनाए गए थे. यह वे उन सभी नगरों में करते गए, जहां वे बसते जा रहे थे.
וַיִּהְי֣וּ עֹשִׂ֔ים גּ֥וֹי גּ֖וֹי אֱלֹהָ֑יו וַיַּנִּ֣יחוּ ׀ בְּבֵ֣ית הַבָּמ֗וֹת אֲשֶׁ֤ר עָשׂוּ֙ הַשֹּׁ֣מְרֹנִ֔ים גּ֥וֹי גּוֹי֙ בְּעָ֣רֵיהֶ֔ם אֲשֶׁ֛ר הֵ֥ם יֹשְׁבִ֖ים שָֽׁם׃
30 जो लोग बाबेल से आए थे उन्होंने सुक्कोथ-बेनोथ की मूर्ति, कूथ से आए लोगों ने नेरगल की, हामाथ से बसे हुए विदेशियों ने आषिमा की,
וְאַנְשֵׁ֣י בָבֶ֗ל עָשׂוּ֙ אֶת־סֻכּ֣וֹת בְּנ֔וֹת וְאַנְשֵׁי־כ֔וּת עָשׂ֖וּ אֶת־נֵֽרְגַ֑ל וְאַנְשֵׁ֥י חֲמָ֖ת עָשׂ֥וּ אֶת־אֲשִׁימָֽא׃
31 अब्बी प्रवासियों ने निभाज़ और तारतक की; इसके अलावा सेफारवी प्रवासियों ने अपने बालकों को अद्राम्मेलेख और अन्‍नाम्मेलेख के लिए आग में बलि करने सेफरवाइम देवता की प्रथा चालू रखी.
וְהָעַוִּ֛ים עָשׂ֥וּ נִבְחַ֖ז וְאֶת־תַּרְתָּ֑ק וְהַסְפַרְוִ֗ים שֹׂרְפִ֤ים אֶת־בְּנֵיהֶם֙ בָּאֵ֔שׁ לְאַדְרַמֶּ֥לֶךְ וַֽעֲנַמֶּ֖לֶךְ אֱלֹהֵ֥י סְפַרְוָֽיִם׃
32 हां, उन्होंने भय के कारण याहवेह के लिए सभी प्रकार के लोगों में से पुरोहित भी चुन लिए. ये पुरोहित उनके लिए पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाया करते थे.
וַיִּהְי֥וּ יְרֵאִ֖ים אֶת־יְהוָ֑ה וַיַּעֲשׂ֨וּ לָהֶ֤ם מִקְצוֹתָם֙ כֹּהֲנֵ֣י בָמ֔וֹת וַיִּהְי֛וּ עֹשִׂ֥ים לָהֶ֖ם בְּבֵ֥ית הַבָּמֽוֹת׃
33 संक्षेप में, वे याहवेह के प्रति भय रखते हुए भी अपने-अपने राष्ट्र के उन देवताओं की उपासना करते रहे, जिन राष्ट्रों से लाकर वे यहां बसाए गए थे.
אֶת־יְהוָ֖ה הָי֣וּ יְרֵאִ֑ים וְאֶת־אֱלֹֽהֵיהֶם֙ הָי֣וּ עֹֽבְדִ֔ים כְּמִשְׁפַּט֙ הַגּוֹיִ֔ם אֲשֶׁר־הִגְל֥וּ אֹתָ֖ם מִשָּֽׁם׃
34 आज तक वे अपनी-अपनी पहले की प्रथाओं में लगे हैं. वे न तो याहवेह के प्रति भय दिखाते हैं, न ही वे याहवेह द्वारा दी गई विधियों या आदेशों या नियमों या व्यवस्था का पालन करते हैं, जिनके पालन करने का आदेश याहवेह द्वारा याकोब के वंशों को दिया गया था, जिन्हें वह इस्राएल नाम से बुलाते थे,
עַ֣ד הַיּ֤וֹם הַזֶּה֙ הֵ֣ם עֹשִׂ֔ים כַּמִּשְׁפָּטִ֖ים הָרִֽאשֹׁנִ֑ים אֵינָ֤ם יְרֵאִים֙ אֶת־יְהוָ֔ה וְאֵינָ֣ם עֹשִׂ֗ים כְּחֻקֹּתָם֙ וּכְמִשְׁפָּטָ֔ם וְכַתּוֹרָ֣ה וְכַמִּצְוָ֗ה אֲשֶׁ֨ר צִוָּ֤ה יְהוָה֙ אֶת־בְּנֵ֣י יַעֲקֹ֔ב אֲשֶׁר־שָׂ֥ם שְׁמ֖וֹ יִשְׂרָאֵֽל׃
35 जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
וַיִּכְרֹ֨ת יְהוָ֤ה אִתָּם֙ בְּרִ֔ית וַיְצַוֵּ֣ם לֵאמֹ֔ר לֹ֥א תִֽירְא֖וּ אֱלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֑ים וְלֹא־תִשְׁתַּחֲו֣וּ לָהֶ֔ם וְלֹ֣א תַעַבְד֔וּם וְלֹ֥א תִזְבְּח֖וּ לָהֶֽם׃
36 हां, भय उस याहवेह के लिए रखो, जिन्होंने मिस्र देश से तुम्हें अद्धुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से तुमको निकालकर यहां ले आए हैं. भय उन्हीं के प्रति बनाए रखो, वंदना के लिए उन्हीं के सामने झुको, और बलि उन्हें ही चढ़ाओ.
כִּ֣י אִֽם־אֶת־יְהוָ֗ה אֲשֶׁר֩ הֶעֱלָ֨ה אֶתְכֶ֜ם מֵאֶ֧רֶץ מִצְרַ֛יִם בְּכֹ֧חַ גָּד֛וֹל וּבִזְר֥וֹעַ נְטוּיָ֖ה אֹת֣וֹ תִירָ֑אוּ וְל֥וֹ תִֽשְׁתַּחֲו֖וּ וְל֥וֹ תִזְבָּֽחוּ׃
37 इसके अलावा जो विधियां, नियम, व्यवस्था और आदेश उन्होंने तुम्हारे लिए लिखवा दिए हैं, उन्हें तुम हमेशा पालन करते रहो. साथ ही, यह ज़रूरी नहीं कि तुम पराए देवताओं से डरो.
וְאֶת־הַחֻקִּ֨ים וְאֶת־הַמִּשְׁפָּטִ֜ים וְהַתּוֹרָ֤ה וְהַמִּצְוָה֙ אֲשֶׁ֣ר כָּתַ֣ב לָכֶ֔ם תִּשְׁמְר֥וּן לַעֲשׂ֖וֹת כָּל־הַיָּמִ֑ים וְלֹ֥א תִֽירְא֖וּ אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
38 तुम उस वाचा को न भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बांधी है और न पराए देवताओं का भय मानना.
וְהַבְּרִ֛ית אֲשֶׁר־כָּרַ֥תִּי אִתְּכֶ֖ם לֹ֣א תִשְׁכָּ֑חוּ וְלֹ֥א תִֽירְא֖וּ אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
39 तुम सिर्फ याहवेह अपने परमेश्वर का भय मानना. याहवेह ही तुम्हें तुम्हारे सारी शत्रुओं से छुटकारा दिलाएंगे.”
כִּ֛י אִֽם־אֶת־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶ֖ם תִּירָ֑אוּ וְהוּא֙ יַצִּ֣יל אֶתְכֶ֔ם מִיַּ֖ד כָּל־אֹיְבֵיכֶֽם׃
40 इतना सब होने पर भी उन्होंने याहवेह की बातों पर ध्यान न दिया, वे अपने पहले के आचरण पर ही चलते रहे.
וְלֹ֖א שָׁמֵ֑עוּ כִּ֛י אִֽם־כְּמִשְׁפָּטָ֥ם הָֽרִאשׁ֖וֹן הֵ֥ם עֹשִֽׂים׃
41 इन जातियों ने याहवेह का भय तो माना, मगर साथ ही वे अपनी गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना भी करते रहे. उनकी संतान भी यही करती रही. और उनके बाद उनकी संतान भी, जैसा जैसा उन्होंने अपने पिता को करते देखा, उन्होंने आज तक उसी के जैसा किया.
וַיִּהְי֣וּ ׀ הַגּוֹיִ֣ם הָאֵ֗לֶּה יְרֵאִים֙ אֶת־יְהוָ֔ה וְאֶת־פְּסִֽילֵיהֶ֖ם הָי֣וּ עֹֽבְדִ֑ים גַּם־בְּנֵיהֶ֣ם ׀ וּבְנֵ֣י בְנֵיהֶ֗ם כַּאֲשֶׁ֨ר עָשׂ֤וּ אֲבֹתָם֙ הֵ֣ם עֹשִׂ֔ים עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ פ

< 2 राजा 17 >