< 2 राजा 17 >
1 यहूदिया के राजा आहाज़ के शासन के बारहवें साल में एलाह का पुत्र होशिया शमरिया में राजा बना. उसका शासन नौ साल का था.
যিহূদার রাজা আহসের রাজত্বকালের দ্বাদশতম বছরে এলার ছেলে হোশেয় শমরিয়ায় ইস্রায়েলের রাজা হলেন, এবং তিনি নয় বছর রাজত্ব করলেন।
2 उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, मगर उस सीमा तक नहीं, जैसा इस्राएल में उसके पहले के राजाओं ने किया था.
সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে যা যা মন্দ, তিনি তাই করলেন, তবে ইস্রায়েলে তাঁর পূর্বসূরি রাজাদের মতো তা করেননি।
3 अश्शूर के राजा शालमानेसर ने उस पर हमला कर दिया. होशिया को उसके अधीन, जागीरदार होकर उसे कर देना पड़ता था.
আসিরিয়ার রাজা শল্মনেষর সেই হোশেয়কে আক্রমণ করতে এলেন, যিনি আগে শল্মনেষরের কেনা গোলাম ছিলেন এবং তাঁকে রাজকরও দিতেন।
4 मगर अश्शूर के राजा को होशिया के एक षड़्यंत्र के विषय में मालूम हो गया. होशिया ने मिस्र देश के राजा सोअ से संपर्क के लिए अपने दूत भेजे थे, और उसने अपने ठहराए गए कर का भुगतान भी नहीं किया था, जैसा वह हर साल किया करता था. तब अश्शूर के राजा ने उसे बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया.
কিন্তু আসিরিয়ার রাজা আবিষ্কার করলেন যে হোশেয় একজন বিশ্বাসঘাতক, কারণ তিনি মিশরের রাজা সো-র কাছে দূত পাঠালেন, এবং আগে যেমন বছরের পর বছর তিনি আসিরিয়ার রাজাকে রাজকর দিয়ে যেতেন, এখন তিনি আর তা দিচ্ছিলেন না। তাই শল্মনেষর তাঁকে অবরুদ্ধ করে জেলখানায় পুরে দিলেন।
5 इसके बाद उसने सारी इस्राएल देश पर कब्जा किया, और तीन साल तक शमरिया नगर को अपनी अधीनता में रखा.
আসিরিয়ার রাজা গোটা দেশে সশস্ত্র আক্রমণ চালিয়েছিলেন, শমরিয়ার দিকে কুচকাওয়াজ করে এগিয়ে গেলেন এবং তিন বছর নগরটি অবরুদ্ধ করে রেখেছিলেন।
6 होशिया के शासन के नवें साल में अश्शूर के राजा ने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. उसने इस्राएल जनता को बंदी बनाकर अश्शूर ले जाकर वहां हालाह और हाबोर क्षेत्र में बसा दिया. ये दोनों क्षेत्र मेदिया प्रदेश के गोज़ान नदी के तट पर स्थित हैं.
হোশেয়ের রাজত্বকালের নবম বছরে আসিরিয়ার রাজা শমরিয়া দখল করে নিয়েছিলেন এবং ইস্রায়েলীদের বন্দি করে আসিরিয়ায় পাঠিয়ে দিলেন। হলহে, হাবোর নদীতীরের গোষণে এবং মাদীয়দের বিভিন্ন নগরে তিনি তাদের উপনিবেশ গড়ে দিলেন।
7 यह सब इसलिये हुआ कि इस्राएल वंशजों ने याहवेह, अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; उस परमेश्वर के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें मिस्र के राजा फ़रोह की बंधुआई से मुक्त कराया था. उनमें पराए देवताओं के लिए भय आ गया था.
যিনি ইস্রায়েলীদের মিশর থেকে, ও মিশরের রাজা ফরৌণের অধীনতা থেকে মুক্ত করে এনেছিলেন, তাদের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে যেহেতু তারা পাপ করল, তাই এসব ঘটনা ঘটেছিল। তারা অন্যান্য দেবতাদের পুজো করল
8 वे उन राष्ट्रों की प्रथाओं का पालन करने लगे थे, जिन जनताओं को याहवेह ने इस्राएल वंश के सामने से अलग कर दिया था. इसके अलावा वे इस्राएल के राजाओं द्वारा प्रचलित प्रथाओं का पालन करने लगे थे.
এবং তাদের সামনে থেকে সদাপ্রভু যেসব জাতিকে দূর করে দিলেন, তারা তাদের লোকাচার তথা ইস্রায়েলের রাজাদের শুরু করা লোকাচার অনুসারে চলেছিল।
9 इस्राएल के लोग याहवेह, उनके परमेश्वर के विरुद्ध गुप्त रूप से वह सब करते रहे, जो गलत था. उन्होंने अपने सारे नगरों में पहरेदारों के खंभों से लेकर गढ़नगर तक पूजा की जगहों को बनवाया.
ইস্রায়েলীরা গোপনে তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে এমন সব কাজ করল, যা আদৌ ঠিক নয়। নজরমিনার থেকে শুরু করে সুরক্ষিত দুর্গ পর্যন্ত সর্বত্র তারা তাদের সব নগরে প্রতিমাপুজোর উঁচু উঁচু স্থানগুলি তৈরি করল।
10 उन्होंने हर एक ऊंची पहाड़ी पर और हर एक हरे पेड़ के नीचे अशेराह के खंभे खड़े किए.
প্রত্যেকটি উঁচু উঁচু পাহাড়ের উপর ও ডালপালা ছড়ানো গাছের তলায় তারা পবিত্র পাথর ও আশেরার খুঁটি খাড়া করল।
11 वे सारे पूजा स्थलों पर धूप जलाते थे, उन्हीं जनताओं के समान, जिन्हें याहवेह ने उनके सामने से हटाकर अलग किया था. इस्राएली प्रजा दुष्टता से भरे कामों में लगी रही, जिससे याहवेह का गुस्सा भड़क उठता था.
প্রতিমাপুজোর উঁচু উঁচু স্থানগুলিতে তারা সেইসব পরজাতি লোকজনের মতো ধূপ জ্বালাতো, যাদের সদাপ্রভু তাদের সামনে থেকে দূর করে দিলেন। তারা এমন সব মন্দ কাজ করল, যা সদাপ্রভুর ক্রোধ জাগিয়ে তুলেছিল।
12 वे मूर्तियों की सेवा-उपासना करते रहे, जिनके विषय में याहवेह ने उन्हें चेताया था, “तुम यह न करना.”
তারা প্রতিমাপুজো করল, যদিও সদাপ্রভু বললেন, “তোমরা এরকম করবে না।”
13 फिर भी याहवेह इस्राएल और यहूदिया को हर एक भविष्यद्वक्ता और दर्शी के द्वारा इस प्रकार चेतावनी देते रहेः “व्यवस्था के अनुसार अपनी बुराइयों से फिरकर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो, जिनका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, और जिन्हें मैंने भविष्यवक्ताओं, मेरे सेवकों के माध्यम से तुम तक पहुंचाया.”
সদাপ্রভু তাঁর সব ভাববাদী ও ভবিষ্যৎদ্রষ্টার মাধ্যমে ইস্রায়েল ও যিহূদাকে এই বলে সতর্ক করে দিলেন: “তোমরা তোমাদের কুপথ থেকে ফিরে এসো। আমি তোমাদের পূর্বপুরুষদের পালনীয় সম্পূর্ণ যে বিধান দিয়েছিলাম ও আমার দাস সেই ভাববাদীদের মাধ্যমে তোমাদের কাছে যা সঁপে দিয়েছিলাম, সেগুলির সাথে সামঞ্জস্য রেখে আমার সব আদেশ ও বিধিবিধান পালন করো।”
14 मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की, और अपने हृदय कठोर कर लिए; जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, जिनकी याहवेह, उनके परमेश्वर में कोई श्रद्धा न थी.
কিন্তু তারা তা শোনেওনি এবং তাদের সেই পূর্বপুরুষদের মতো তারাও একগুঁয়েমি করল, যারা তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুতে বিশ্বাস করতে ব্যর্থ হল।
15 उन्होंने याहवेह के नियमों का तिरस्कार किया और उस वाचा को तुच्छ माना, जो याहवेह ने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी. उन्होंने उन चेतावनियों पर ध्यान न दिया, जिनके द्वारा याहवेह ने उन्हें सचेत करना चाहा था. वे बेकार के कामों का अनुसरण करते-करते खुद भी बेकार बन गए, और अपने पड़ोसी राष्ट्रों के समान हो गए. इन्हीं राष्ट्रों के बारे में याहवेह ने उन्हें साफ़ आदेश दिया था: “उनका अनुसरण नहीं करना.”
তাঁর সেই বিধিবিধান ও পবিত্র নিয়ম তারা প্রত্যাখ্যান করল, যা তিনি তাদের পূর্বপুরুষদের দিলেন এবং সেই ঐশ্বরিক বিধানও তারা অগ্রাহ্য করল, যা পালন করার জন্য তিনি তাদের সতর্ক করে দিলেন। তারা অযোগ্য সব প্রতিমার অনুগামী হল এবং নিজেরাও অযোগ্য হয়ে পড়েছিল। তারা তাদের চারপাশে থাকা জাতিদের অনুকরণ করল, যদিও সদাপ্রভু তাদের আদেশ দিলেন, “তোমরা তাদের মতো কাজকর্ম কোরো না।”
16 उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को त्याग दिया, और उन्होंने अपने लिए बछड़ों की धातु की मूर्तियां, हां, दो बछड़ों की मूर्तियां ढाल लीं. उन्होंने अशेराह को बनाया और आकाश की सारी शक्तियों और बाल देवता की उपासना की.
তারা তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সব আদেশ ত্যাগ করল এবং নিজেদের জন্য বাছুরের আকৃতিবিশিষ্ট দুটি প্রতিমার মূর্তি ও আশেরার একটি খুঁটি তৈরি করে নিয়েছিল। তারা আকাশের সব তারকাদলের কাছে মাথা নত করত, ও বায়ালদেবেরও পুজো করত।
17 इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को आग के बीच से होकर निकलने की प्रथा पूरी करने के लिए मजबूर किया. वे भावी कहते थे और जादू-टोना भी करते थे. उन्होंने स्वयं को वह सब करने के लिए समर्पित कर दिया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. इससे उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.
তারা তাদের ছেলেমেয়েদের আগুনে উৎসর্গ করত। তারা দৈববিচার প্রয়োগ করত এবং মঙ্গল বা অমঙ্গলসূচক লক্ষণ খুঁজে বেড়াত ও সদাপ্রভুর ক্রোধ জাগিয়ে তুলে তাঁর দৃষ্টিতে কুকাজ করার জন্য নিজেদের বিকিয়ে দিয়েছিল।
18 फलस्वरूप याहवेह इस्राएल पर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने इस्राएल को अपनी नज़रों से दूर कर दिया; सिवाय यहूदाह गोत्र के.
তাই সদাপ্রভু ইস্রায়েলের প্রতি অত্যন্ত ক্রুদ্ধ হলেন এবং তাঁর উপস্থিতি থেকে তাদের দূর করে দিলেন। একমাত্র যিহূদা বংশ অবশিষ্ট ছিল,
19 यहूदिया ने भी याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया. उसने उन्हीं प्रथाओं का अनुसरण किया, जिनको इस्राएल द्वारा शुरू किया गया था.
এবং এমনকি যিহূদাও তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর আদেশ পালন করেননি। ইস্রায়েলের শুরু করা প্রথা তারাও অনুসরণ করল।
20 याहवेह ने इस्राएल के सारे वंशजों को त्याग दिया, उन्हें सताया, उन्हें लुटेरों को सौंप दिया, और अपनी दृष्टि से दूर कर दिया.
তাই সদাপ্রভু ইস্রায়েলের সব লোকজনকে প্রত্যাখ্যান করলেন; তিনি তাদের কষ্ট দিলেন এবং তাঁর উপস্থিতি থেকে তাদের ধাক্কা মেরে দূর করে না দেওয়া পর্যন্ত তিনি তাদের লুঠেরাদের হাতে সঁপে দিলেন।
21 जब याहवेह इस्राएल को दावीद के वंश से अलग कर चुके, इस्राएलियों ने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम को राजा बनाकर प्रतिष्ठित किया. यरोबोअम ने इस्राएल से याहवेह का अनुसरण खत्म करवा दिया, और इस्राएल को अधम पाप के लिए उकसाया.
যখন তিনি ইস্রায়েলকে দাউদের কুল থেকে ছিঁড়ে আলাদা করলেন, তখন তারা নবাটের ছেলে যারবিয়ামকে তাদের রাজা করল। যারবিয়াম সদাপ্রভুর পথ থেকে সরে যেতে ইস্রায়েলকে প্রলুব্ধ করল এবং তাদের দিয়ে মহাপাপ করিয়েছিল।
22 इस्राएली प्रजा ने वे सारे पाप किए, जो यरोबोअम ने स्वयं किए थे. इन पापों से वे कभी दूर न हुए.
ইস্রায়েলীরা নাছোড়বান্দা মনোভাব নিয়ে যারবিয়ামের করা সব পাপে লিপ্ত হল এবং সেগুলি থেকে ততদিন ফিরে আসেনি
23 तब याहवेह ने उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दिया, जैसा उन्होंने भविष्यवक्ताओं, अपने सेवकों, के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया था. तब इस्राएल वंशज अपने देश से अश्शूर को बंधुआई में भेज दिए गए, वे अब तक बंधुआई में ही हैं.
যতদিন না সদাপ্রভু তাঁর উপস্থিতি থেকে তাদের দূর করে দিলেন, যে বিষয়ে তিনি তাঁর সব দাস ভাববাদীদের মাধ্যমে তাদের আগেই সতর্ক করে দিলেন। অতএব ইস্রায়েলী প্রজারা তাদের স্বদেশ থেকে আসিরিয়ায় নির্বাসিত হল, এবং আজও পর্যন্ত তারা সেখানেই আছে।
24 अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूथाह, अव्वा, हामाथ और सेफरवाइम से लोगों को लाकर शमरिया के नगरों में बसा दिया, जहां इसके पहले इस्राएल का रहना था. उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया, और उसके नगरों में रहने लगे.
আসিরিয়ার রাজা ব্যাবিলন, কূথা, অব্বা, হমাৎ ও সফর্বয়িম থেকে লোকজন এনে ইস্রায়েলীদের পরিবর্তে শমরিয়ার বিভিন্ন নগরে তাদের বসিয়ে দিলেন। তারা শমরিয়া দখল করে সেখানকার নগরগুলিতে বসবাস করতে শুরু করল।
25 उनके वहां रहने के शुरुआती सालों में उनके मन में याहवेह के प्रति भय था ही नहीं. तब याहवेह ने उनके बीच शेर भेज दिए, जिन्होंने उनमें से कुछ को अपना कौर बना लिया.
প্রথম প্রথম সেখানে থাকার সময় তারা সদাপ্রভুর আরাধনা করেননি; তাই তিনি তাদের মধ্যে কয়েকটি সিংহ পাঠিয়ে দিলেন এবং সিংহগুলি লোকদের মধ্যে কয়েকজনকে মেরে ফেলেছিল।
26 इसके बारे में अश्शूर के राजा को सूचित किया गया: “जिन राष्ट्रों को आपने ले जाकर शमरिया के नगरों में बसाया है, उन्हें इस देश के देवता की विधि पता नहीं है, इसलिये उसने उनके बीच शेर भेज दिए हैं. अब देखिए वे प्रजा को मार रहे हैं, क्योंकि प्रजा को इस देश के देवता का पता नहीं है.”
আসিরিয়ার রাজাকে সেই খবর দেওয়া হল: “যে লোকজনকে আপনি শমরিয়ায় পাঠিয়ে সেখানে তাদের পুনর্বাসন দিয়েছেন, তারা জানে না, সেই দেশের দেবতা ঠিক কী চান। তিনি তাদের মধ্যে কয়েকটি সিংহ পাঠিয়েছেন, যারা লোকজনকে মেরে ফেলছে, কারণ লোকেরা তো জানেই না, তিনি ঠিক কী চান।”
27 यह सुन अश्शूर के राजा ने यह आदेश दिया, “जिन पुरोहितों को बंधुआई में लाया गया है, उनमें से एक पुरोहित को वहां भेज दिया जाए, कि वह वहां जाकर वहीं रहा करे, और वहां बसे इन लोगों को उस देश के देवता की व्यवस्था की शिक्षा दे.”
তখন আসিরিয়ার রাজা এই আদেশ দিলেন: “তোমরা শমরিয়া থেকে যেসব যাজককে বন্দি করে নিয়ে এসেছ, তাদের মধ্যে একজনকে সেখানে ফিরে যেতে দাও। সে সেখানে থেকে লোকজনকে শিক্ষা দেবে, সেই দেশের দেবতা ঠিক কী চান।”
28 तब शमरिया से निकले पुरोहितों में से एक पुरोहित बेथेल नगर में आकर निवास करने लगा, जो उन्हें याहवेह के प्रति भय रखने के विषय में शिक्षा देता था.
অতএব শমরিয়া থেকে বন্দি করে নিয়ে যাওয়া যাজকদের মধ্যে একজন বেথেলে বসবাস করার জন্য ফিরে এলেন এবং তিনি তাদের শিক্ষা দিলেন, কীভাবে সদাপ্রভুর আরাধনা করতে হয়।
29 मगर हर एक राष्ट्र अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां बनाता रहा, और उन्हें अपने-अपने नगरों के पूजा स्थलों में प्रतिष्ठित करता रहा; उन पूजा स्थलों पर, जो शमरिया के मूलवासियों द्वारा बनाए गए थे. यह वे उन सभी नगरों में करते गए, जहां वे बसते जा रहे थे.
তা সত্ত্বেও, বিভিন্ন নগরে উপনিবেশ গড়ে বসবাস করতে থাকা প্রত্যেকটি জাতিভিত্তিক দল সেই নগরগুলিতে নিজের নিজের দেবতা গড়ে নিয়েছিল, এবং শমরিয়ার লোকেরা আগে উঁচু উঁচু স্থানে যেসব প্রতিমাপুজোর পীঠস্থান তৈরি করল, সেখানেই তাদের দেবতাদের প্রতিষ্ঠিত করল।
30 जो लोग बाबेल से आए थे उन्होंने सुक्कोथ-बेनोथ की मूर्ति, कूथ से आए लोगों ने नेरगल की, हामाथ से बसे हुए विदेशियों ने आषिमा की,
ব্যাবিলন থেকে আসা লোকেরা সুক্কোৎ-বনোৎ তৈরি করল, কূথা থেকে আসা লোকেরা নের্গল, এবং হমাৎ থেকে আসা লোকেরা অশীমা;
31 अब्बी प्रवासियों ने निभाज़ और तारतक की; इसके अलावा सेफारवी प्रवासियों ने अपने बालकों को अद्राम्मेलेख और अन्नाम्मेलेख के लिए आग में बलि करने सेफरवाइम देवता की प्रथा चालू रखी.
অব্বীয়রা নিভস ও তর্ত্তক তৈরি করল, এবং সফর্বীয়রা তাদের ছেলেমেয়েদের বলিরূপে সফর্বয়িমের দেবতা অদ্রম্মেলক ও অনম্মেলকের কাছে আগুনে পোড়াতো।
32 हां, उन्होंने भय के कारण याहवेह के लिए सभी प्रकार के लोगों में से पुरोहित भी चुन लिए. ये पुरोहित उनके लिए पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाया करते थे.
তারা সদাপ্রভুর আরাধনা করত, কিন্তু এছাড়াও তারা নিজেদের সব ধরনের লোকজনকে উঁচু উঁচু স্থানগুলিতে দেবতার পীঠস্থানে পূজারির কাজে নিযুক্ত করল।
33 संक्षेप में, वे याहवेह के प्रति भय रखते हुए भी अपने-अपने राष्ट्र के उन देवताओं की उपासना करते रहे, जिन राष्ट्रों से लाकर वे यहां बसाए गए थे.
তারা সদাপ্রভুর আরাধনা করত, কিন্তু একইসাথে যেসব দেশ থেকে তাদের আনা হল, সেইসব দেশের লোকাচার অনুসারে তারা নিজেদের দেবতাদেরও সেবা করত।
34 आज तक वे अपनी-अपनी पहले की प्रथाओं में लगे हैं. वे न तो याहवेह के प्रति भय दिखाते हैं, न ही वे याहवेह द्वारा दी गई विधियों या आदेशों या नियमों या व्यवस्था का पालन करते हैं, जिनके पालन करने का आदेश याहवेह द्वारा याकोब के वंशों को दिया गया था, जिन्हें वह इस्राएल नाम से बुलाते थे,
আজও পর্যন্ত তারা তাদের আগেকার প্রথাই পালন করে আসছে। তারা না তো ঠিকঠাক সদাপ্রভুর আরাধনা করে, না তারা সদাপ্রভুর সেইসব বিধি ও নিয়মকানুন, বিধান ও আদেশের প্রতি অনুরক্ত থাকে, যেগুলি তিনি সেই যাকোবের বংশধরদের দিয়েছিলেন, যাঁর নাম তিনি ইস্রায়েল রেখেছিলেন।
35 जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
ইস্রায়েলীদের সাথে সদাপ্রভু পবিত্র এক নিয়ম স্থাপন করার সময় তাদের আদেশ দিলেন: “অন্য কোনও দেবতার আরাধনা করবে না অথবা তাদের কাছে মাথা নত করবে না, তাদের সেবা করবে না বা তাদের কাছে বলি উৎসর্গ করবে না।
36 हां, भय उस याहवेह के लिए रखो, जिन्होंने मिस्र देश से तुम्हें अद्धुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से तुमको निकालकर यहां ले आए हैं. भय उन्हीं के प्रति बनाए रखो, वंदना के लिए उन्हीं के सामने झुको, और बलि उन्हें ही चढ़ाओ.
কিন্তু সেই সদাপ্রভুরই আরাধনা তোমাদের করতে হবে, যিনি মহাশক্তি দেখিয়ে ও প্রসারিত হাত বাড়িয়ে দিয়ে তোমাদের মিশর থেকে বের করে এনেছিলেন। তাঁরই কাছে তোমরা মাথা নত করবে ও তাঁরই কাছে বলি উৎসর্গ করবে।
37 इसके अलावा जो विधियां, नियम, व्यवस्था और आदेश उन्होंने तुम्हारे लिए लिखवा दिए हैं, उन्हें तुम हमेशा पालन करते रहो. साथ ही, यह ज़रूरी नहीं कि तुम पराए देवताओं से डरो.
তিনি তোমাদের জন্য যেসব বিধি ও নিয়ম, তথা বিধান ও আদেশ লিখে রেখে গিয়েছেন, সেগুলি পালন করার জন্য তোমাদের সবসময় সতর্ক হয়ে থাকতেই হবে। অন্যান্য দেবদেবীর আরাধনা কোরো না।
38 तुम उस वाचा को न भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बांधी है और न पराए देवताओं का भय मानना.
আমি তোমাদের সাথে যে পবিত্র নিয়ম স্থাপন করেছি, তা তোমরা ভুলো না, এবং অন্যান্য দেবদেবীর আরাধনা কোরো না।
39 तुम सिर्फ याहवेह अपने परमेश्वर का भय मानना. याहवेह ही तुम्हें तुम्हारे सारी शत्रुओं से छुटकारा दिलाएंगे.”
বরং, তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর আরাধনা কোরো; তিনিই তোমাদের সব শত্রুর হাত থেকে তোমাদের মুক্ত করবেন।”
40 इतना सब होने पर भी उन्होंने याहवेह की बातों पर ध्यान न दिया, वे अपने पहले के आचरण पर ही चलते रहे.
তারা অবশ্য তাঁর কথা শোনেনি, কিন্তু তাদের পুরোনো প্রথাই পালন করে গেল।
41 इन जातियों ने याहवेह का भय तो माना, मगर साथ ही वे अपनी गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना भी करते रहे. उनकी संतान भी यही करती रही. और उनके बाद उनकी संतान भी, जैसा जैसा उन्होंने अपने पिता को करते देखा, उन्होंने आज तक उसी के जैसा किया.
এমনকি এইসব লোকজন সদাপ্রভুর আরাধনা করছিল, আবার তাদের প্রতিমাগুলিরও পুজো করছিল। আজও পর্যন্ত তাদের ছেলেমেয়ে ও নাতিপুতিরা তাদের পূর্বপুরুষদের মতোই এরকম করে চলেছে।