< 2 राजा 11 >

1 जब अहज़्याह की माता को मालूम हुआ कि उसके पुत्र की मृत्यु हो चुकी है, उसने जाकर सारे राजपरिवार को नाश कर दिया.
וַֽעֲתַלְיָה֙ אֵ֣ם אֲחַזְיָ֔הוּ וראתה כִּ֣י מֵ֣ת בְּנָ֑הּ וַתָּ֙קָם֙ וַתְּאַבֵּ֔ד אֵ֖ת כָּל־זֶ֥רַע הַמַּמְלָכָֽה׃
2 मगर राजा यहोराम की पुत्री अहज़्याह की बहन येहोशिबा वध किए जा रहे राजपुत्रों के बीच से अहज़्याह के पुत्र योआश को छिपाकर वहां से दूर ले गई, और उसे और उसकी धाय को एक शयन कमरे में छिपा दिया. इस प्रकार उन्होंने योआश को अथालियाह से बचा लिया और उसका वध नहीं किया जा सका.
וַתִּקַּ֣ח יְהוֹשֶׁ֣בַע בַּת־הַמֶּֽלֶךְ־י֠וֹרָם אֲח֨וֹת אֲחַזְיָ֜הוּ אֶת־יוֹאָ֣שׁ בֶּן־אֲחַזְיָ֗ה וַתִּגְנֹ֤ב אֹתוֹ֙ מִתּ֤וֹךְ בְּנֵֽי־הַמֶּ֙לֶךְ֙ הממותתים אֹת֥וֹ וְאֶת־מֵינִקְתּ֖וֹ בַּחֲדַ֣ר הַמִּטּ֑וֹת וַיַּסְתִּ֧רוּ אֹת֛וֹ מִפְּנֵ֥י עֲתַלְיָ֖הוּ וְלֹ֥א הוּמָֽת׃
3 योआश येहोशिबा की देखरेख में छः साल रहा. उसे याहवेह के भवन में छिपाकर रखा गया था, और अथालियाह देश पर शासन करती रही.
וַיְהִ֤י אִתָּהּ֙ בֵּ֣ית יְהוָ֔ה מִתְחַבֵּ֖א שֵׁ֣שׁ שָׁנִ֑ים וַעֲתַלְיָ֖ה מֹלֶ֥כֶת עַל־הָאָֽרֶץ׃ פ
4 सातवें साल में पुरोहित यहोयादा ने कारी जाति के हजार सेनापतियों और अंगरक्षकों के प्रधानों को बुलवाया और इन्हें अपने साथ याहवेह के भवन में इकट्ठा किया. वहां उसने उनके साथ वाचा बांधी और उन्हें शपथ दिलाई, और उन्हें राजपुत्र के दर्शन कराएं.
וּבַשָּׁנָ֣ה הַ֠שְּׁבִיעִית שָׁלַ֨ח יְהוֹיָדָ֜ע וַיִּקַּ֣ח ׀ אֶת־שָׂרֵ֣י המאיות לַכָּרִי֙ וְלָ֣רָצִ֔ים וַיָּבֵ֥א אֹתָ֛ם אֵלָ֖יו בֵּ֣ית יְהוָ֑ה וַיִּכְרֹת֩ לָהֶ֨ם בְּרִ֜ית וַיַּשְׁבַּ֤ע אֹתָם֙ בְּבֵ֣ית יְהוָ֔ה וַיַּ֥רְא אֹתָ֖ם אֶת־בֶּן־הַמֶּֽלֶךְ׃
5 तब उसने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें यह करना होगा: तुममें से एक तिहाई सैनिक, जो शब्बाथ पर काम के लिए ठहराए गए हैं, राजमहल पर पहरा देंगे.
וַיְצַוֵּ֣ם לֵאמֹ֔ר זֶ֥ה הַדָּבָ֖ר אֲשֶׁ֣ר תַּעֲשׂ֑וּן הַשְּׁלִשִׁ֤ית מִכֶּם֙ בָּאֵ֣י הַשַּׁבָּ֔ת וְשֹׁ֣מְרֵ֔י מִשְׁמֶ֖רֶת בֵּ֥ית הַמֶּֽלֶךְ׃
6 दूसरी तिहाई टुकड़ी सूर नामक द्वार पर और तीसरी तिहाई टुकड़ी पहरेदारों के पीछे के द्वार पर बारी-बारी से ठहराई गई थी.
וְהַשְּׁלִשִׁית֙ בְּשַׁ֣עַר ס֔וּר וְהַשְּׁלִשִׁ֥ית בַּשַּׁ֖עַר אַחַ֣ר הָרָצִ֑ים וּשְׁמַרְתֶּ֛ם אֶת־מִשְׁמֶ֥רֶת הַבַּ֖יִת מַסָּֽח׃
7 तुम्हारी दो टुकड़िया जो शब्बाथ पर काम के लिए ठहराई गई हैं, और जो राजा के लिए याहवेह के भवन की सुरक्षा के लिये चुनी गई हैं,
וּשְׁתֵּ֤י הַיָּדוֹת֙ בָּכֶ֔ם כֹּ֖ל יֹצְאֵ֣י הַשַּׁבָּ֑ת וְשָֽׁמְר֛וּ אֶת־מִשְׁמֶ֥רֶת בֵּית־יְהוָ֖ה אֶל־הַמֶּֽלֶךְ׃
8 राजा को घेरकर खड़ी हो जाएंगी, हर एक अपने शस्त्रों को लेकर. जो कोई सेना की पंक्ति के पास आएगा निश्चयतः मार डाला जाएगा. तुम्हें हर पल राजा के साथ साथ रहना है; उसके बाहर जाते और भीतर आते समय.”
וְהִקַּפְתֶּ֨ם עַל־הַמֶּ֜לֶךְ סָבִ֗יב אִ֚ישׁ וְכֵלָ֣יו בְּיָד֔וֹ וְהַבָּ֥א אֶל־הַשְּׂדֵר֖וֹת יוּמָ֑ת וִהְי֥וּ אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ בְּצֵאת֥וֹ וּבְבֹאֽוֹ׃
9 शतपति सेना नायकों ने पुरोहित यहोयादा की हर एक बात पूरी की. पुरोहित यहोयादा ने छुट्टी पर जा रहे किसी भी दल को शब्बाथ सेवा से अवकाश लेने न दिया. और जो सेवा के लिए आ रहे थे, वे सभी पुरोहित यहोयादा के सामने इकट्ठा हो गए.
וַֽיַּעֲשׂ֞וּ שָׂרֵ֣י המאיות כְּכֹ֣ל אֲשֶׁר־צִוָּה֮ יְהוֹיָדָ֣ע הַכֹּהֵן֒ וַיִּקְחוּ֙ אִ֣ישׁ אֶת־אֲנָשָׁ֔יו בָּאֵ֣י הַשַּׁבָּ֔ת עִ֖ם יֹצְאֵ֣י הַשַּׁבָּ֑ת וַיָּבֹ֖אוּ אֶל־יְהוֹיָדָ֥ע הַכֹּהֵֽן׃
10 पुरोहित ने प्रधानों को वे बर्छियां और ढालें दे दीं, जो राजा दावीद के शासनकाल से याहवेह के भवन में सुरक्षित रखी गई थी.
וַיִּתֵּ֨ן הַכֹּהֵ֜ן לְשָׂרֵ֣י המאיות אֶֽת־הַחֲנִית֙ וְאֶת־הַשְּׁלָטִ֔ים אֲשֶׁ֖ר לַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֑ד אֲשֶׁ֖ר בְּבֵ֥ית יְהוָֽה׃
11 हर एक अंगरक्षक अपने-अपने हाथ में अपने हथियार लिए हुए भवन की दक्षिण दिशा से लेकर उत्तरी दिशा तक, वेदी के चारों ओर भवन को घेरकर खड़े हो गए.
וַיַּעַמְד֨וּ הָרָצִ֜ים אִ֣ישׁ ׀ וְכֵלָ֣יו בְּיָד֗וֹ מִכֶּ֨תֶף הַבַּ֤יִת הַיְמָנִית֙ עַד־כֶּ֤תֶף הַבַּ֙יִת֙ הַשְּׂמָאלִ֔ית לַמִּזְבֵּ֖חַ וְלַבָּ֑יִת עַל־הַמֶּ֖לֶךְ סָבִֽיב׃
12 फिर पुरोहित यहोयादा राजकुमार को लेकर बाहर आए, उसके सिर पर मुकुट रखा और उसे साक्षी पत्र दे दिया. तब उन्होंने उसे राजा घोषित कर उसका राजाभिषेक किया, और ताली बजाकर सबने जयघोष करते हुए कहा, “महाराज जीवित रहें!”
וַיּוֹצִ֣א אֶת־בֶּן־ הַמֶּ֗לֶךְ וַיִּתֵּ֤ן עָלָיו֙ אֶת־הַנֵּ֙זֶר֙ וְאֶת־הָ֣עֵד֔וּת וַיַּמְלִ֥כוּ אֹת֖וֹ וַיִּמְשָׁחֻ֑הוּ וַיַּכּוּ־כָ֔ף וַיֹּאמְר֖וּ יְחִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ ס
13 जब अथालियाह ने लोगों और अंगरक्षकों द्वारा किए जा रहे घोषनाद की ध्वनि सुनी, वह याहवेह के भवन में जनसमूह के बीच में आ गई.
וַתִּשְׁמַ֣ע עֲתַלְיָ֔ה אֶת־ק֥וֹל הָֽרָצִ֖ין הָעָ֑ם וַתָּבֹ֥א אֶל־הָעָ֖ם בֵּ֥ית יְהוָֽה׃
14 उसने देखा कि राजा खंभे के पास खड़ा हुआ था. रीति के अनुसार सेनापति और तुरही वादक राजा के पास खड़े हुए थे. राज्य के लोग हर्षोल्लास में थे, और तुरही फूंक रहे थे. अथालियाह ने अपने वस्त्र फाड़े और चिल्ला उठी, “देशद्रोह! देशद्रोह!”
וַתֵּ֡רֶא וְהִנֵּ֣ה הַמֶּלֶךְ֩ עֹמֵ֨ד עַֽל־הָעַמּ֜וּד כַּמִּשְׁפָּ֗ט וְהַשָּׂרִ֤ים וְהַחֲצֹֽצְרוֹת֙ אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וְכָל־עַ֤ם הָאָ֙רֶץ֙ שָׂמֵ֔חַ וְתֹקֵ֖עַ בַּחֲצֹֽצְר֑וֹת וַתִּקְרַ֤ע עֲתַלְיָה֙ אֶת־בְּגָדֶ֔יהָ וַתִּקְרָ֖א קֶ֥שֶׁר קָֽשֶׁר׃ ס
15 तब पुरोहित यहोयादा ने सेना के शतपति सेना नायकों को आदेश दिया, “उसे सेना की पंक्तियों के बीच से निकालकर बाहर लाओ और जो जो उसके पीछे आए उसे तलवार से मार दो.” पुरोहित ने आदेश दे रखा था, “उसकी हत्या याहवेह के भवन में न की जाए.”
וַיְצַו֩ יְהוֹיָדָ֨ע הַכֹּהֵ֜ן אֶת־שָׂרֵ֥י המיאות ׀ פְּקֻדֵ֣י הַחַ֗יִל וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵיהֶם֙ הוֹצִ֤יאוּ אֹתָהּ֙ אֶל־מִבֵּ֣ית לַשְּׂדֵרֹ֔ת וְהַבָּ֥א אַחֲרֶ֖יהָ הָמֵ֣ת בֶּחָ֑רֶב כִּ֚י אָמַ֣ר הַכֹּהֵ֔ן אַל־תּוּמַ֖ת בֵּ֥ית יְהוָֽה׃
16 इसलिये उन्होंने उसे पकड़ लिया और जब वह घोड़ों के लिए निर्धारित द्वार से होकर राजघराने तक पहुंची, वहां उसका वध कर दिया गया.
וַיָּשִׂ֤מוּ לָהּ֙ יָדַ֔יִם וַתָּב֛וֹא דֶּֽרֶךְ־מְב֥וֹא הַסּוּסִ֖ים בֵּ֣ית הַמֶּ֑לֶךְ וַתּוּמַ֖ת שָֽׁם׃ ס
17 यहोयादा ने उस अवसर पर याहवेह तथा सारी प्रजा और राजा के बीच यह वाचा स्थापित की, कि वे सिर्फ याहवेह ही को समर्पित रहेंगे. एक वाचा राजा और प्रजा के बीच भी स्थापित की गई.
וַיִּכְרֹ֨ת יְהוֹיָדָ֜ע אֶֽת־הַבְּרִ֗ית בֵּ֤ין יְהוָה֙ וּבֵ֤ין הַמֶּ֙לֶךְ֙ וּבֵ֣ין הָעָ֔ם לִהְי֥וֹת לְעָ֖ם לַֽיהוָ֑ה וּבֵ֥ין הַמֶּ֖לֶךְ וּבֵ֥ין הָעָֽם׃
18 देश की सारी प्रजा बाल के भवन में गई और उसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. उसकी वेदी और उसकी मूर्तियों को उन्होंने चूर-चूर कर दिया. तब उन्होंने वेदियों के सामने ही बाल के पुरोहित मत्तान का वध कर दिया. इसके बाद पुरोहित यहोयादा ने याहवेह के भवन के लिए पहरेदार बनाए गए.
וַיָּבֹ֣אוּ כָל־עַם֩ הָאָ֨רֶץ בֵּית־הַבַּ֜עַל וַֽיִּתְּצֻ֗הוּ אֶת־מזבחתו וְאֶת־צְלָמָיו֙ שִׁבְּר֣וּ הֵיטֵ֔ב וְאֵ֗ת מַתָּן֙ כֹּהֵ֣ן הַבַּ֔עַל הָרְג֖וּ לִפְנֵ֣י הַֽמִּזְבְּח֑וֹת וַיָּ֧שֶׂם הַכֹּהֵ֛ן פְּקֻדּ֖וֹת עַל־בֵּ֥ית יְהוָֽה׃
19 यह सब करने के बाद यहोयादा शतपति सेना नायकों, कारी सैनिकों, अंगरक्षकों और प्रजा को अपने साथ लेकर राजा को याहवेह के भवन से बाहर ले आए और वे सब पहरेदारों के द्वार से निकलते हुए राजघराने जा पहुंचे. वहां पहुंचकर राजा योआश राज सिंहासन पर बैठे.
וַיִּקַּ֣ח אֶת־שָׂרֵ֣י הַ֠מֵּאוֹת וְאֶת־הַכָּרִ֨י וְאֶת־הָרָצִ֜ים וְאֵ֣ת ׀ כָּל־עַ֣ם הָאָ֗רֶץ וַיֹּרִ֤ידוּ אֶת־הַמֶּ֙לֶךְ֙ מִבֵּ֣ית יְהוָ֔ה וַיָּב֛וֹאוּ דֶּֽרֶך־שַׁ֥עַר הָרָצִ֖ים בֵּ֣ית הַמֶּ֑לֶךְ וַיֵּ֖שֶׁב עַל־כִּסֵּ֥א הַמְּלָכִֽים׃
20 इस पर सारी प्रजा में खुशी छा गई, और नगर में शांति भर गई. राजमहल में तलवार से अथालियाह की हत्या हुई थी, यह इसका मुख्य कारण था.
וַיִּשְׂמַ֥ח כָּל־עַם־ הָאָ֖רֶץ וְהָעִ֣יר שָׁקָ֑טָה וְאֶת־עֲתַלְיָ֛הוּ הֵמִ֥יתוּ בַחֶ֖רֶב בֵּ֥ית מלך׃ ס
21 योआश सात साल की थी, जब उन्होंने शासन करना शुरू किया.
בֶּן־שֶׁ֥בַע שָׁנִ֖ים יְהוֹאָ֥שׁ בְּמָלְכֽוֹ׃ פ

< 2 राजा 11 >