< 2 राजा 10 >

1 शमरिया नगर में अहाब के सत्तर पुत्र थे. तब येहू ने शमरिया के शासकों, पुरनियों और अहाब के पुत्रों के पालने वालों को, जो शमरिया में थे, यह पत्र भेजे, जिनमें यह लिखा था:
וּלְאַחְאָ֛ב שִׁבְעִ֥ים בָּנִ֖ים בְּשֹׁמְר֑וֹן וַיִּכְתֹּב֩ יֵה֨וּא סְפָרִ֜ים וַיִּשְׁלַ֣ח שֹׁמְר֗וֹן אֶל־שָׂרֵ֤י יִזְרְעֶאל֙ הַזְּקֵנִ֔ים וְאֶל־הָאֹמְנִ֥ים אַחְאָ֖ב לֵאמֹֽר׃
2 “इसलिये कि आपके स्वामी के पुत्र आपकी देखरेख में हैं और आपके उपयोग के लिए घोड़े और रथ उपलब्ध करा दिए गए हैं, आप गढ़ में सुरक्षित रह रहे हैं और आपके पास हथियार भी हैं, तो यह पत्र पाते ही
וְעַתָּ֗ה כְּבֹ֨א הַסֵּ֤פֶר הַזֶּה֙ אֲלֵיכֶ֔ם וְאִתְּכֶ֖ם בְּנֵ֣י אֲדֹנֵיכֶ֑ם וְאִתְּכֶם֙ הָרֶ֣כֶב וְהַסּוּסִ֔ים וְעִ֥יר מִבְצָ֖ר וְהַנָּֽשֶׁק׃
3 अपने स्वामी के पुत्रों में से सबसे अच्छे और सबसे सही को चुन लीजिए और उसे अपने स्वामी के सिंहासन पर बैठा दीजिए, फिर अपने स्वामी के वंश के लिए युद्ध करने को तैयार हो जाइए.”
וּרְאִיתֶ֞ם הַטּ֤וֹב וְהַיָּשָׁר֙ מִבְּנֵ֣י אֲדֹנֵיכֶ֔ם וְשַׂמְתֶּ֖ם עַל־כִּסֵּ֣א אָבִ֑יו וְהִֽלָּחֲמ֖וּ עַל־בֵּ֥ית אֲדֹנֵיכֶֽם׃
4 मगर वे सभी बहुत ही डर गए थे. उनका विचार था, “जब उसके सामने दो राजा भी ठहर न सके, तो हम कैसे टिक सकेंगे?”
וַיִּֽרְאוּ֙ מְאֹ֣ד מְאֹ֔ד וַיֹּ֣אמְר֔וּ הִנֵּה֙ שְׁנֵ֣י הַמְּלָכִ֔ים לֹ֥א עָמְד֖וּ לְפָנָ֑יו וְאֵ֖יךְ נַעֲמֹ֥ד אֲנָֽחְנוּ׃
5 तब राजघराने के अधिकारी, नगर अध्यक्ष और पुरनियों और बालकों के पालने वालों ने येहू को यह संदेश भेजा, “हम तो आपके सेवक हैं. आप जो भी आदेश देंगे हम वही पूरा करेंगे. हम किसी का राजाभिषेक नहीं करेंगे. आप वही करें, जो आपकी दृष्टि में सही है.”
וַיִּשְׁלַ֣ח אֲשֶׁר־עַל־ הַבַּ֣יִת וַאֲשֶׁ֪ר עַל־הָעִ֟יר וְהַזְּקֵנִים֩ וְהָאֹמְנִ֨ים אֶל־יֵה֤וּא ׀ לֵאמֹר֙ עֲבָדֶ֣יךָ אֲנַ֔חְנוּ וְכֹ֛ל אֲשֶׁר־תֹּאמַ֥ר אֵלֵ֖ינוּ נַעֲשֶׂ֑ה לֹֽא־נַמְלִ֣יךְ אִ֔ישׁ הַטּ֥וֹב בְּעֵינֶ֖יךָ עֲשֵֽׂה׃
6 तब येहू ने उन्हें दूसरा पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा, “बहुत बढ़िया! यदि वास्तव में आप मेरी ओर हैं, यदि आप मुझसे सहमत हैं, तो अपने स्वामी के पुत्रों के सिर लेकर मेरे पास कल इसी समय येज़्रील आ जाइए.” राजा के सत्तर पुत्र नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की देखरेख में थे, जो इनका पालन पोषण कर रहे थे.
וַיִּכְתֹּ֣ב אֲלֵיהֶם֩ סֵ֨פֶר ׀ שֵׁנִ֜ית לֵאמֹ֗ר אִם־לִ֨י אַתֶּ֜ם וּלְקֹלִ֣י ׀ אַתֶּ֣ם שֹׁמְעִ֗ים קְחוּ֙ אֶת־רָאשֵׁי֙ אַנְשֵׁ֣י בְנֵֽי־אֲדֹנֵיכֶ֔ם וּבֹ֧אוּ אֵלַ֛י כָּעֵ֥ת מָחָ֖ר יִזְרְעֶ֑אלָה וּבְנֵ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ שִׁבְעִ֣ים אִ֔ישׁ אֶת־גְּדֹלֵ֥י הָעִ֖יר מְגַדְּלִ֥ים אוֹתָֽם׃
7 जैसे ही उन्हें येहू का पत्र मिला, उन्होंने राजकुमारों को ले जाकर उनकी हत्या कर दी, उन सत्तर पुत्रों की; और उनके सिर टोकरों में रख दिए.
וַיְהִ֗י כְּבֹ֤א הַסֵּ֙פֶר֙ אֲלֵיהֶ֔ם וַיִּקְחוּ֙ אֶת־בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַֽיִּשְׁחֲט֖וּ שִׁבְעִ֣ים אִ֑ישׁ וַיָּשִׂ֤ימוּ אֶת־רָֽאשֵׁיהֶם֙ בַּדּוּדִ֔ים וַיִּשְׁלְח֥וּ אֵלָ֖יו יִזְרְעֶֽאלָה׃
8 जब दूतों ने जाकर येहू को यह सूचना दी, “वे राजकुमारों के सिर ले आए हैं.” उसने उन्हें आदेश दिया, “इन सिरों के दो ढेर बनाकर सुबह तक के लिए नगर फाटक पर रख दो.”
וַיָּבֹ֤א הַמַּלְאָךְ֙ וַיַּגֶּד־ל֣וֹ לֵאמֹ֔ר הֵבִ֖יאוּ רָאשֵׁ֣י בְנֵֽי־הַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֗אמֶר שִׂ֣ימוּ אֹתָ֞ם שְׁנֵ֧י צִבֻּרִ֛ים פֶּ֥תַח הַשַּׁ֖עַר עַד־הַבֹּֽקֶר׃
9 सुबह जब येहू बाहर आया, उसने खड़े होकर सारी भीड़ से कहा, “आप सभी निर्दोष हैं. अपने स्वामी के विरुद्ध षड़्‍यंत्र मैंने रचा, और उनकी हत्या कर दी, मगर इन सत्तर की हत्या किसने की है?
וַיְהִ֤י בַבֹּ֙קֶר֙ וַיֵּצֵ֣א וַֽיַּעֲמֹ֔ד וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־כָּל־הָעָ֔ם צַדִּקִ֖ים אַתֶּ֑ם הִנֵּ֨ה אֲנִ֜י קָשַׁ֤רְתִּי עַל־אֲדֹנִי֙ וָאֶהְרְגֵ֔הוּ וּמִ֥י הִכָּ֖ה אֶת־כָּל־אֵֽלֶּה׃
10 तब यह समझ लीजिए: अहाब के वंश के बारे में याहवेह द्वारा कही गई कोई भी बात व्यर्थ नहीं होगी; क्योंकि याहवेह ने वह पूरा कर दिखाया है, जो उन्होंने अपने सेवक एलियाह द्वारा प्रकट किया था.”
דְּע֣וּ אֵפ֗וֹא כִּי֩ לֹ֨א יִפֹּ֜ל מִדְּבַ֤ר יְהוָה֙ אַ֔רְצָה אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה עַל־בֵּ֣ית אַחְאָ֑ב וַיהוָ֣ה עָשָׂ֔ה אֵ֚ת אֲשֶׁ֣ר דִּבֶּ֔ר בְּיַ֖ד עַבְדּ֥וֹ אֵלִיָּֽהוּ׃
11 यह कहते हुए येहू ने येज़्रील में अहाब के परिवार से संबंधित सभी बचे हुए व्यक्तियों को भी मार डाला. उसने अहाब के परिवार के बाकी व्यक्तियों, परिवार के करीबी मित्रों और पुरोहितों को भी मार दिया; कोई भी बचा न रह गया.
וַיַּ֣ךְ יֵה֗וּא אֵ֣ת כָּל־הַנִּשְׁאָרִ֤ים לְבֵית־אַחְאָב֙ בְּיִזְרְעֶ֔אל וְכָל־גְּדֹלָ֖יו וּמְיֻדָּעָ֣יו וְכֹהֲנָ֑יו עַד־בִּלְתִּ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ שָׂרִֽיד׃
12 तब येहू येज़्रील से शमरिया के लिए निकला. मार्ग में जब वह चरवाहों के बेथ-एकेद नामक स्थान में था,
וַיָּ֙קָם֙ וַיָּבֹ֔א וַיֵּ֖לֶךְ שֹׁמְר֑וֹן ה֛וּא בֵּֽית־עֵ֥קֶד הָרֹעִ֖ים בַּדָּֽרֶךְ׃
13 उसकी भेंट यहूदिया के राजा अहज़्याह के संबंधियों से हो गई. येहू ने उनसे पूछा, “आप कौन हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “हम अहज़्याह के संबंधी हैं, हम यहां आए हैं कि हम राजा और राजमाता के पुत्रों का कुशल मंगल जान सकें.”
וְיֵה֗וּא מָצָא֙ אֶת־אֲחֵי֙ אֲחַזְיָ֣הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֔ה וַיֹּ֖אמֶר מִ֣י אַתֶּ֑ם וַיֹּאמְר֗וּ אֲחֵ֤י אֲחַזְיָ֙הוּ֙ אֲנַ֔חְנוּ וַנֵּ֛רֶד לִשְׁל֥וֹם בְּנֵֽי־הַמֶּ֖לֶךְ וּבְנֵ֥י הַגְּבִירָֽה׃
14 येहू ने आदेश दिया, “जीवित पकड़ लो इन्हें.” उन्होंने उन्हें जीवित पकड़ लिया और उन्हें बेथ-एकेद के गड्ढे पर ले जाकर उनका वध कर दिया. ये बयालीस लोग थे. येहू ने उनमें से एक को भी जीवित न छोड़ा.
וַיֹּ֙אמֶר֙ תִּפְשׂ֣וּם חַיִּ֔ים וַֽיִּתְפְּשׂ֖וּם חַיִּ֑ים וַֽיִּשְׁחָט֞וּם אֶל־בּ֣וֹר בֵּֽית־עֵ֗קֶד אַרְבָּעִ֤ים וּשְׁנַ֙יִם֙ אִ֔ישׁ וְלֹֽא־הִשְׁאִ֥יר אִ֖ישׁ מֵהֶֽם׃ ס
15 जब वह वहां से निकले, उसकी भेंट रेखाब के पुत्र योनादाब से हुई, जो उसी से भेंटकरने आ रहा था. नमस्कार के बाद उसने योनादाब से पूछा, “क्या तुम्हारा मन मेरे प्रति वैसा ही सच्चा है, जैसा मेरा तुम्हारे प्रति?” योनादाब ने उत्तर दिया, “हां, है.” तब येहू ने कहा, “अगर यह सत्य है, तो अपना हाथ मुझे दो.” जब उसने येहू की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो येहू ने उसे अपने रथ में खींच लिया.
וַיֵּ֣לֶךְ מִשָּׁ֡ם וַיִּמְצָ֣א אֶת־יְהוֹנָדָב֩ בֶּן־רֵכָ֨ב לִקְרָאת֜וֹ וַֽיְבָרְכֵ֗הוּ וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו הֲיֵ֧שׁ אֶת־לְבָבְךָ֣ יָשָׁ֗ר כַּאֲשֶׁ֤ר לְבָבִי֙ עִם־לְבָבֶ֔ךָ וַיֹּ֨אמֶר יְהוֹנָדָ֥ב יֵ֛שׁ וָיֵ֖שׁ תְּנָ֣ה אֶת־יָדֶ֑ךָ וַיִּתֵּ֣ן יָד֔וֹ וַיַּעֲלֵ֥הוּ אֵלָ֖יו אֶל־הַמֶּרְכָּבָֽה׃
16 येहू ने उससे कहा, “अब मेरे साथ चलकर याहवेह के प्रति मेरा उत्साह देखना.” इस प्रकार उसने योनादाब को अपने साथ रथ में ले लिया.
וַיֹּ֙אמֶר֙ לְכָ֣ה אִתִּ֔י וּרְאֵ֖ה בְּקִנְאָתִ֣י לַיהוָ֑ה וַיַּרְכִּ֥בוּ אֹת֖וֹ בְּרִכְבּֽוֹ׃
17 जब वह शमरिया पहुंचा, उसने शमरिया में अहाब के सभी बचे हुए संबंधियों का वध कर दिया—वह तब तक मारता चला गया, जब तक उनमें से कोई भी बाकी न रहा; एलियाह द्वारा भेजे याहवेह के आदेश के अनुसार ही.
וַיָּבֹא֙ שֹֽׁמְר֔וֹן וַ֠יַּךְ אֶת־כָּל־הַנִּשְׁאָרִ֧ים לְאַחְאָ֛ב בְּשֹׁמְר֖וֹן עַד־הִשְׁמִיד֑וֹ כִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֖ר אֶל־אֵלִיָּֽהוּ׃ פ
18 तब येहू ने सारी प्रजा को इकट्ठा कर उन्हें कहा: “अहाब ने बाल की उपासना-सेवा कम ही की थी, येहू उसकी उपासना-सेवा कहीं अधिक करेगा.
וַיִּקְבֹּ֤ץ יֵהוּא֙ אֶת־כָּל־הָעָ֔ם וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵהֶ֔ם אַחְאָ֕ב עָבַ֥ד אֶת־הַבַּ֖עַל מְעָ֑ט יֵה֖וּא יַעַבְדֶ֥נּוּ הַרְבֵּֽה׃
19 तब बाल के सारे भविष्यद्वक्ता यहां बुलाए जाएं और बाल के सारे उपासक और सारे पुरोहित भी. अनुपस्थित कोई भी न रहे. जो अनुपस्थित होगा उसे मृत्यु दंड दिया जाएगा.” वस्तुतः यह बाल के सभी उपासकों को खत्म करने के लिए येहू की चाल थी, कि कोई भी बाल की उपासना करनेवाला बाकी न रह जाए.
וְעַתָּ֣ה כָל־נְבִיאֵ֣י הַבַּ֡עַל כָּל־עֹבְדָ֣יו וְכָל־כֹּהֲנָיו֩ קִרְא֨וּ אֵלַ֜י אִ֣ישׁ אַל־יִפָּקֵ֗ד כִּי֩ זֶ֨בַח גָּד֥וֹל לִי֙ לַבַּ֔עַל כֹּ֥ל אֲשֶׁר־יִפָּקֵ֖ד לֹ֣א יִֽחְיֶ֑ה וְיֵהוּא֙ עָשָׂ֣ה בְעָקְבָּ֔ה לְמַ֥עַן הַאֲבִ֖יד אֶת־עֹבְדֵ֥י הַבָּֽעַל׃
20 तब येहू ने आदेश भेजा, “बाल के लिए एक पावन समारोह आयोजित करो!” सभी जगह उसकी घोषणा कर दी गई.
וַיֹּ֣אמֶר יֵה֗וּא קַדְּשׁ֧וּ עֲצָרָ֛ה לַבַּ֖עַל וַיִּקְרָֽאוּ׃
21 येहू ने सारे इस्राएल देश से बाल के उपासक बुला लिए. कोई भी अनुपस्थित न था. इन सबने बाल के मंदिर में प्रवेश किया और पुजारियों से मंदिर पूरी तरह भर गया; एक कोने से दूसरे कोने तक.
וַיִּשְׁלַ֤ח יֵהוּא֙ בְּכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל וַיָּבֹ֙אוּ֙ כָּל־עֹבְדֵ֣י הַבַּ֔עַל וְלֹֽא־נִשְׁאַ֥ר אִ֖ישׁ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־בָ֑א וַיָּבֹ֙אוּ֙ בֵּ֣ית הַבַּ֔עַל וַיִּמָּלֵ֥א בֵית־הַבַּ֖עַל פֶּ֥ה לָפֶֽה׃
22 येहू ने तब वस्त्रागार अधिकारी को आदेश दिया, “बाल के उपासकों के लिए तय किए गए वस्त्र लाए जाएं.” तब उनके लिए वस्त्र लाए गए.
וַיֹּ֗אמֶר לַֽאֲשֶׁר֙ עַל־הַמֶּלְתָּחָ֔ה הוֹצֵ֣א לְב֔וּשׁ לְכֹ֖ל עֹבְדֵ֣י הַבָּ֑עַל וַיֹּצֵ֥א לָהֶ֖ם הַמַּלְבּֽוּשׁ׃
23 इसके बाद येहू ने बाल के मंदिर में प्रवेश किया. उसके साथ रेखाब का पुत्र योनादाब भी था. येहू ने बाल के उपासकों को कहा, “खोजबीन कर यह तय कर लो, कि यहां याहवेह का कोई भी सेवक नहीं, बल्कि सिर्फ बाल के उपासक ही हैं.”
וַיָּבֹ֥א יֵה֛וּא וִיהוֹנָדָ֥ב בֶּן־רֵכָ֖ב בֵּ֣ית הַבָּ֑עַל וַיֹּ֜אמֶר לְעֹבְדֵ֣י הַבַּ֗עַל חַפְּשׂ֤וּ וּרְאוּ֙ פֶּן־יֶשׁ־פֹּ֤ה עִמָּכֶם֙ מֵעַבְדֵ֣י יְהוָ֔ה כִּ֛י אִם־עֹבְדֵ֥י הַבַּ֖עַל לְבַדָּֽם׃
24 तब उन्होंने बलियां और होमबलियां चढ़ाने का काम शुरू किया. येहू ने इसी समय के लिए भवन के बाहर अस्सी व्यक्ति चुने हुए थे, जिन्हें यह निर्देश दिया गया था: “तुममें से जो कोई इन व्यक्तियों में से, जिन्हें मैं तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं, किसी को भी बचकर निकलने देगा, अपने ही प्राणों से इसका दाम देगा.”
וַיָּבֹ֕אוּ לַעֲשׂ֖וֹת זְבָחִ֣ים וְעֹל֑וֹת וְיֵה֞וּא שָׂם־ל֤וֹ בַחוּץ֙ שְׁמֹנִ֣ים אִ֔ישׁ וַיֹּ֗אמֶר הָאִ֤ישׁ אֲשֶׁר־יִמָּלֵט֙ מִן־הָאֲנָשִׁ֗ים אֲשֶׁ֤ר אֲנִי֙ מֵבִ֣יא עַל־יְדֵיכֶ֔ם נַפְשׁ֖וֹ תַּ֥חַת נַפְשֽׁוֹ׃
25 तब, जैसे ही येहू ने होमबलि का काम पूरा किया, उसने पहरेदारों और राजकीय अधिकारियों को आदेश दिया, “अंदर जाकर हर एक को खत्म कर दो; एक भी बचने न पाए.” तब उन्होंने हर एक का वध कर डाला. पहरेदारों और अधिकारियों ने उन सबके शव बाहर फेंक दिए. तब वे बाल देवता के मंदिर के भीतरी कमरे में गए.
וַיְהִ֞י כְּכַלֹּת֣וֹ ׀ לַעֲשׂ֣וֹת הָעֹלָ֗ה וַיֹּ֣אמֶר יֵ֠הוּא לָרָצִ֨ים וְלַשָּׁלִשִׁ֜ים בֹּ֤אוּ הַכּוּם֙ אִ֣ישׁ אַל־יֵצֵ֔א וַיַּכּ֖וּם לְפִי־חָ֑רֶב וַיַּשְׁלִ֗כוּ הָֽרָצִים֙ וְהַשָּׁ֣לִשִׁ֔ים וַיֵּלְכ֖וּ עַד־עִ֥יר בֵּית־הַבָּֽעַל׃
26 वहां से उन्होंने बाल का प्रतिष्ठित खंभा उखाड़ा, उसे बाहर लाकर भस्म कर डाला.
וַיֹּצִ֛אוּ אֶת־מַצְּב֥וֹת בֵּית־הַבַּ֖עַל וַֽיִּשְׂרְפֽוּהָ׃
27 उन्होंने बाल के खंभे को पूरी तरह नष्ट कर दिया, साथ ही बाल के मंदिर को भी, जिसे आज तक शौचालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
וַֽיִּתְּצ֔וּ אֵ֖ת מַצְּבַ֣ת הַבָּ֑עַל וַֽיִּתְּצוּ֙ אֶת־בֵּ֣ית הַבַּ֔עַל וַיְשִׂמֻ֥הוּ למחראות עַד־הַיּֽוֹם׃
28 इस प्रकार येहू ने इस्राएल से बाल की उपासना को दूर कर दिया.
וַיַּשְׁמֵ֥ד יֵה֛וּא אֶת־הַבַּ֖עַל מִיִּשְׂרָאֵֽל׃
29 मगर येहू नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के पापों से दूर न हुआ; वे पाप, जो उसने इस्राएल राष्ट्र को करने के लिए उकसाया था; अर्थात् बेथेल और दान में अब भी सोने के बछड़े थे.
רַ֠ק חֲטָאֵ֞י יָרָבְעָ֤ם בֶּן־נְבָט֙ אֲשֶׁ֣ר הֶחֱטִ֣יא אֶת־יִשְׂרָאֵ֔ל לֹֽא־סָ֥ר יֵה֖וּא מֵאַֽחֲרֵיהֶ֑ם עֶגְלֵי֙ הַזָּהָ֔ב אֲשֶׁ֥ר בֵּֽית־אֵ֖ל וַאֲשֶׁ֥ר בְּדָֽן׃ ס
30 याहवेह ने येहू से कहा, “इसलिये, कि तुमने वह करके, जो मेरी दृष्टि में अच्छा है, एक बढ़िया काम किया है. अहाब के वंश के साथ तुमने जो कुछ किया है, वही था, जो मेरे मन में था, चौथी पीढ़ी तक तुम्हारे पुत्र इस्राएल के राज सिंहासन पर बैठते रहेंगे.”
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־יֵה֗וּא יַ֤עַן אֲשֶׁר־הֱטִיבֹ֙תָ֙ לַעֲשׂ֤וֹת הַיָּשָׁר֙ בְּעֵינַ֔י כְּכֹל֙ אֲשֶׁ֣ר בִּלְבָבִ֔י עָשִׂ֖יתָ לְבֵ֣ית אַחְאָ֑ב בְּנֵ֣י רְבִעִ֔ים יֵשְׁב֥וּ לְךָ֖ עַל־כִּסֵּ֥א יִשְׂרָאֵֽל׃
31 मगर येहू पूरे मन से याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की व्यवस्था और विधियों का पालन करने के विषय में सावधान न था. वह यरोबोअम के पापों से दूर न हुआ, जो उसने इस्राएल को करने के लिए मजबूर किया था.
וְיֵה֗וּא לֹ֥א שָׁמַ֛ר לָלֶ֛כֶת בְּתֽוֹרַת־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל בְּכָל־לְבָב֑וֹ לֹ֣א סָ֗ר מֵעַל֙ חַטֹּ֣אות יָֽרָבְעָ֔ם אֲשֶׁ֥ר הֶחֱטִ֖יא אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃
32 इन्हीं दिनों में याहवेह ने इस्राएल राष्ट्र की सीमा को घटाना आरंभ किया. हाज़ाएल पूरे इस्राएल राष्ट्र की सीमा में उन्हें हराता रहा.
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם הֵחֵ֣ל יְהוָ֔ה לְקַצּ֖וֹת בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וַיַּכֵּ֥ם חֲזָאֵ֖ל בְּכָל־גְּב֥וּל יִשְׂרָאֵֽל׃
33 यरदन के पूर्ववर्ती क्षेत्र से लेकर पूरा गिलआद, गाद और रियूबेन के वंशज, मनश्शेह के वंशज, आरनोन घाटी के निकटवर्ती अरोअर अर्थात् गिलआद और बाशान तक.
מִן־הַיַּרְדֵּן֙ מִזְרַ֣ח הַשֶּׁ֔מֶשׁ אֵ֚ת כָּל־אֶ֣רֶץ הַגִּלְעָ֔ד הַגָּדִ֥י וְהָרֻאובֵנִ֖י וְהַֽמְנַשִּׁ֑י מֵעֲרֹעֵר֙ אֲשֶׁ֣ר עַל־נַ֣חַל אַרְנֹ֔ן וְהַגִּלְעָ֖ד וְהַבָּשָֽׁן׃
34 येहू द्वारा किए गए बाकी कामों, उसकी उपलब्धियों और उसके शौर्य का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में दिया गया है.
וְיֶ֨תֶר דִּבְרֵ֥י יֵה֛וּא וְכָל־אֲשֶׁ֥ר עָשָׂ֖ה וְכָל־גְּבוּרָת֑וֹ הֲלֽוֹא־הֵ֣ם כְּתוּבִ֗ים עַל־סֵ֛פֶר דִּבְרֵ֥י הַיָּמִ֖ים לְמַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
35 येहू अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए जा मिला. उन्होंने उसे शमरिया में गाड़ा. उसकी जगह पर उसका पुत्र यहोआहाज़ शासन करने लगा.
וַיִּשְׁכַּ֤ב יֵהוּא֙ עִם־אֲבֹתָ֔יו וַיִּקְבְּר֥וּ אֹת֖וֹ בְּשֹׁמְר֑וֹן וַיִּמְלֹ֛ךְ יְהוֹאָחָ֥ז בְּנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃
36 इस्राएल पर येहू के शासन की पूरी अवधि अट्ठाईस साल थी.
וְהַיָּמִ֗ים אֲשֶׁ֨ר מָלַ֤ךְ יֵהוּא֙ עַל־יִשְׂרָאֵ֔ל עֶשְׂרִ֥ים וּשְׁמֹנֶֽה־שָׁנָ֖ה בְּשֹׁמְרֽוֹן׃ פ

< 2 राजा 10 >