< 2 कुरिन्थियों 13 >
1 तुम्हारे पास मैं तीसरी बार आ रहा हूं. “हर एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.”
This [is] the third [time] I am coming to you: By the mouth of two or three witnesses shall every word be established.
2 वहां अपने दूसरी बार ठहरने के अवसर पर मैंने तुमसे कहा था और अब वहां अनुपस्थित होने पर भी वहां आने से पहले मैं उन सबसे यह कह रहा हूं: जिन्होंने अतीत में पाप किया है तथा बाकी लोगों से भी, यदि मैं फिर आऊंगा तो किसी पर दया न करूंगा
I told you before, and foretell you, as if I were present, the second time; and being absent now I write to them who heretofore have sinned, and to all others, that, if I come again, I will not spare;
3 क्योंकि तुम यह सबूत चाहते हो कि जो मेरे द्वारा बातें करते हैं, वह मसीह हैं और वह तुम्हारे प्रति निर्बल नहीं परंतु तुम्हारे मध्य सामर्थ्यी हैं.
Since ye seek a proof of Christ speaking in me, who toward you is not weak, but is mighty in you.
4 वास्तव में वह दुर्बलता की अवस्था में ही क्रूसित किए गए, फिर भी वह परमेश्वर के सामर्थ्य में जीवित हैं. निःसंदेह हम उनमें कमजोर हैं, फिर भी हम तुम्हारे लिए परमेश्वर के सक्रिय सामर्थ्य के कारण उनके साथ जीवित रहेंगे.
For though he was crucified through weakness, yet he liveth by the power of God. For we also are weak in him, but we shall live with him by the power of God towards you.
5 स्वयं को परखो कि तुम विश्वास में हो या नहीं. अपने आपको जांचो! क्या तुम्हें यह अहसास नहीं होता कि मसीह येशु तुममें हैं? यदि नहीं तो तुम कसौटी पर खरे नहीं उतरे.
Examine yourselves, whether ye are in the faith; prove your own selves. Know ye not your own selves, that Jesus Christ is in you, except ye are reprobates?
6 मुझे भरोसा है कि तुम यह जान जाओगे कि हम कसौटी पर खोटे नहीं उतरे.
But I trust that ye will know that we are not reprobates.
7 हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुमसे कोई गलती न हो. इसलिये नहीं कि हम भले दिखाई दें, परंतु इसलिये कि तुम वही करो, जो उचित है, फिर हम भले ही खोटे दिखाई दें.
Now I pray to God that ye do no evil; not that we should appear approved, but that ye should do that which is honest, though we should be as reprobates.
8 सच्चाई के विरोध में हम कुछ भी नहीं कर सकते. हम सच के पक्षधर ही रह सकते हैं.
For we can do nothing against the truth, but for the truth.
9 हम अपने कमजोर होने तथा तुम्हारे समर्थ होने पर आनंदित होते हैं और यह प्रार्थना भी करते हैं कि तुम सिद्ध बन जाओ.
For we are glad, when we are weak, and ye are strong: and this also we wish, [even] your perfection.
10 इस कारण दूर होते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूं कि वहां उपस्थिति होने पर मुझे प्रभु द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग कठोर भाव में न करना पढ़े. इस अधिकार का उद्देश्य है उन्नत करना, न कि नाश करना.
Therefore I write these things being absent, lest being present I should use sharpness, according to the power which the Lord hath given me to edification, and not to destruction.
11 अंत में, प्रिय भाई बहनो, आनंदित रहो, अपना स्वभाव साफ़ रखो, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, एक मत रहो, शांति बनाए रखो और प्रेम और शांति के परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे.
Finally, brethren, farewell. Be perfect, be of good comfort, be of one mind, live in peace; and the God of love and peace will be with you.
12 पवित्र चुंबन से एक दूसरे को नमस्कार करो.
Greet one another with a holy kiss.
13 सभी पवित्र लोग जो यहां हैं, उनकी ओर से नमस्कार.
All the saints salute you.
14 प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह, और परमेश्वर का प्रेम, और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सभी के साथ बनी रहे.
The grace of the Lord Jesus Christ, and the love of God, and the communion of the Holy Spirit, [be] with you all. Amen.