< 2 इतिहास 32 >

1 पूरी विश्वासयोग्यता में हुए इन कामों के पूरा होने पर अश्शूर के राजा सेनहेरीब ने यहूदिया पर हमला कर दिया और उसने गढ़ नगरों को घेर लिया. उसकी योजना इन्हें अपने अधिकार ले लेने की थी.
אַחֲרֵ֨י הַדְּבָרִ֤ים וְהָאֱמֶת֙ הָאֵ֔לֶּה בָּ֖א סַנְחֵרִ֣יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֑וּר וַיָּבֹ֣א בִֽיהוּדָ֗ה וַיִּ֙חַן֙ עַל־הֶעָרִ֣ים הַבְּצֻר֔וֹת וַיֹּ֖אמֶר לְבִקְעָ֥ם אֵלָֽיו׃
2 जब हिज़किय्याह ने यह देखा कि सेनहेरीब निकट आ गया है और उसका लक्ष्य येरूशलेम पर हमला करने का है,
וַיַּרְא֙ יְחִזְקִיָּ֔הוּ כִּי־בָ֖א סַנְחֵרִ֑יב וּפָנָ֕יו לַמִּלְחָמָ֖ה עַל־יְרוּשָׁלִָֽם׃
3 अपने अधिकारियों और योद्धाओं के साथ उसने योजना की कि नगर के बाहर के झरनों से जल की आपूर्ति काट दी जाए. इसमें उन्होंने उसकी सहायता की.
וַיִּוָּעַ֗ץ עִם־שָׂרָיו֙ וְגִבֹּרָ֔יו לִסְתּוֹם֙ אֶת־מֵימֵ֣י הָעֲיָנ֔וֹת אֲשֶׁ֖ר מִח֣וּץ לָעִ֑יר וַֽיַּעְזְרֽוּהוּ׃
4 इसके लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने वे सारे झरने और जल के सोते बंद कर दिए, जो उस क्षेत्र से बह रहे थे. उनका विचार था, “भला क्यों अश्शूर के राजा यहां आकर भारी जल प्राप्‍त करें?”
וַיִּקָּבְצ֣וּ עַם־רָ֔ב וַֽיִּסְתְּמוּ֙ אֶת־כָּל־הַמַּעְיָנ֔וֹת וְאֶת־הַנַּ֛חַל הַשּׁוֹטֵ֥ף בְּתוֹךְ־הָאָ֖רֶץ לֵאמֹ֑ר לָ֤מָּה יָב֙וֹאוּ֙ מַלְכֵ֣י אַשּׁ֔וּר וּמָצְא֖וּ מַ֥יִם רַבִּֽים׃
5 तब हिज़किय्याह ने बड़े साहस के साथ सारी टूटी पड़ी शहरपनाह को दोबारा बनवाया, इन पर पहरेदारों की मचानों को बनवाया. इसके अलावा उसने एक और बाहरी शहरपनाह को बनवाया, दावीद के नगर में उसने छतों को मजबूत किया. तब उसने बड़ी मात्रा में हथियारों और ढालों को बनवाया.
וַיִּתְחַזַּ֡ק וַיִּבֶן֩ אֶת־כָּל־הַחוֹמָ֨ה הַפְּרוּצָ֜ה וַיַּ֣עַל עַל־הַמִּגְדָּל֗וֹת וְלַח֙וּצָה֙ הַחוֹמָ֣ה אַחֶ֔רֶת וַיְחַזֵּ֥ק אֶת־הַמִּלּ֖וֹא עִ֣יר דָּוִ֑יד וַיַּ֥עַשׂ שֶׁ֛לַח לָרֹ֖ב וּמָגִנִּֽים׃
6 उसने लोगों के ऊपर सैन्य अधिकारी रख दिए और उन्हें नगर द्वार के चौक पर इकट्ठा कर उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा:
וַיִּתֵּ֛ן שָׂרֵ֥י מִלְחָמ֖וֹת עַל־הָעָ֑ם וַיִּקְבְּצֵ֣ם אֵלָ֗יו אֶל־רְחוֹב֙ שַׁ֣עַר הָעִ֔יר וַיְדַבֵּ֥ר עַל־לְבָבָ֖ם לֵאמֹֽר׃
7 “मजबूत और साहसी बनो. अश्शूर के राजा के कारण न तो भयभीत हो, और न ही कमजोर बनो और न ही उनका विचार करो, जो बड़ी सेना उसके साथ आई हुई है; क्योंकि वह जो हमारे साथ है, उससे महान है, जो उसके साथ है.
חִזְק֣וּ וְאִמְצ֔וּ אַל־תִּֽירְא֣וּ וְאַל־תֵּחַ֗תּוּ מִפְּנֵי֙ מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר וּמִלִּפְנֵ֖י כָּל־הֶהָמ֣וֹן אֲשֶׁר־עִמּ֑וֹ כִּֽי־עִמָּ֥נוּ רַ֖ב מֵעִמּֽוֹ׃
8 उसके साथ तो सिर्फ मानवीय हाड़-मांस का हाथ है, किंतु हमारे साथ हैं हमारी सहायता के लिए याहवेह हमारे परमेश्वर कि वह हमारे युद्ध लड़े.” प्रजा ने यहूदिया के राजा हिज़किय्याह की बातों का विश्वास किया.
עִמּוֹ֙ זְר֣וֹעַ בָּשָׂ֔ר וְעִמָּ֜נוּ יְהוָ֤ה אֱלֹהֵ֙ינוּ֙ לְעָזְרֵ֔נוּ וּלְהִלָּחֵ֖ם מִלְחֲמֹתֵ֑נוּ וַיִּסָּמְכ֣וּ הָעָ֔ם עַל־דִּבְרֵ֖י יְחִזְקִיָּ֥הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָֽה׃ פ
9 कुछ समय बाद अश्शूर के राजा सेनहेरीब ने येरूशलेम को अपने दूत भेजे. इस समय वह अपनी सारी सेनाओं के साथ लाकीश नगर पर घेरा डाले हुए था. उसका संदेश यहूदिया के राजा हिज़किय्याह और येरूशलेम में पड़ाव डाली हुई यहूदिया की सेना के लिए यह था:
אַ֣חַר זֶ֗ה שָׁ֠לַח סַנְחֵרִ֨יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֤וּר עֲבָדָיו֙ יְר֣וּשָׁלַ֔יְמָה וְהוּא֙ עַל־לָכִ֔ישׁ וְכָל־מֶמְשַׁלְתּ֖וֹ עִמּ֑וֹ עַל־יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה וְעַל־כָּל־יְהוּדָ֛ה אֲשֶׁ֥ר בִּירוּשָׁלִַ֖ם לֵאמֹֽר׃
10 “अश्शूर के राजा सेनहेरीब का संदेश यह है: ऐसा क्या है जिस पर तुम भरोसा किए हुए येरूशलेम के घिरे हुए होने पर भी बैठे हो?
כֹּ֣ה אָמַ֔ר סַנְחֵרִ֖יב מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֑וּר עַל־מָה֙ אַתֶּ֣ם בֹּטְחִ֔ים וְיֹשְׁבִ֥ים בְּמָצ֖וֹר בִּירוּשָׁלִָֽם׃
11 क्या यह सच नहीं है कि, हिज़किय्याह तुम सभी को यह कहते छलावे में रखे हुए है, ‘याहवेह हमारे परमेश्वर ही हमें अश्शूर के राजा से छुटकारा दिलाएंगे,’ कि वह तुम्हें भूख और प्यास की मृत्यु को सौंप दे?
הֲלֹ֤א יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ מַסִּ֣ית אֶתְכֶ֔ם לָתֵ֣ת אֶתְכֶ֔ם לָמ֛וּת בְּרָעָ֥ב וּבְצָמָ֖א לֵאמֹ֑ר יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ יַצִּילֵ֕נוּ מִכַּ֖ף מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃
12 क्या यह वही हिज़किय्याह नहीं है, जिसने ऊंचे स्थानों की वेदियों को गिराते हुए यहूदिया और येरूशलेम को कहा था, ‘वेदी एक ही है, तुम्हें जिसके सामने आराधना करना और धूप जलाना है’?
הֲלֹא־הוּא֙ יְחִזְקִיָּ֔הוּ הֵסִ֥יר אֶת־בָּמֹתָ֖יו וְאֶת־מִזְבְּחֹתָ֑יו וַיֹּ֨אמֶר לִֽיהוּדָ֤ה וְלִֽירוּשָׁלִַ֙ם֙ לֵאמֹ֔ר לִפְנֵ֨י מִזְבֵּ֧חַ אֶחָ֛ד תִּֽשְׁתַּחֲו֖וּ וְעָלָ֥יו תַּקְטִֽירוּ׃
13 “क्या तुम जानते नहीं कि मैंने और मेरे पूर्वजों ने दूसरे देशों के लोगों के साथ क्या-क्या किया है? क्या किसी भी देश के देवताओं में यह क्षमता थी कि उन्हें मेरी शक्ति से सुरक्षित रख सके?
הֲלֹ֣א תֵדְע֗וּ מֶ֤ה עָשִׂ֙יתִי֙ אֲנִ֣י וַאֲבוֹתַ֔י לְכֹ֖ל עַמֵּ֣י הָאֲרָצ֑וֹת הֲיָכ֣וֹל יָֽכְל֗וּ אֱלֹהֵי֙ גּוֹיֵ֣ הָאֲרָצ֔וֹת לְהַצִּ֥יל אֶת־אַרְצָ֖ם מִיָּדִֽי׃
14 मेरे पूर्वजों द्वारा नाश किए गए राष्ट्रों के उन सभी देवताओं में ऐसा कौन था जो उन्हें मुझसे सुरक्षा प्रदान करेगा?
מִ֠י בְּֽכָל־אֱלֹהֵ֞י הַגּוֹיִ֤ם הָאֵ֙לֶּה֙ אֲשֶׁ֣ר הֶחֱרִ֣ימוּ אֲבוֹתַ֔י אֲשֶׁ֣ר יָכ֔וֹל לְהַצִּ֥יל אֶת־עַמּ֖וֹ מִיָּדִ֑י כִּ֤י יוּכַל֙ אֱלֹ֣הֵיכֶ֔ם לְהַצִּ֥יל אֶתְכֶ֖ם מִיָּדִֽי׃
15 अब हिज़किय्याह न तो तुमसे छल कर सके और न तुम्हें इस तरह भटकाए. तुम उसका विश्वास ही मत करो. क्योंकि किसी भी राष्ट्र का कोई भी देवता अपनी प्रजा को न तो मुझसे और न मेरे पूर्वजों से बचा सका है, तो फिर कैसे हो सकता है कि तुम्हारा परमेश्वर मेरे हाथों से तुम्हारी रक्षा कर सके!”
וְעַתָּ֡ה אַל־יַשִּׁיא֩ אֶתְכֶ֨ם חִזְקִיָּ֜הוּ וְאַל־יַסִּ֨ית אֶתְכֶ֣ם כָּזֹאת֮ וְאַל־תַּאֲמִ֣ינוּ לוֹ֒ כִּי־לֹ֣א יוּכַ֗ל כָּל־אֱל֙וֹהַ֙ כָּל־גּ֣וֹי וּמַמְלָכָ֔ה לְהַצִּ֥יל עַמּ֛וֹ מִיָּדִ֖י וּמִיַּ֣ד אֲבוֹתָ֑י אַ֚ף כִּ֣י אֱֽלֹהֵיכֶ֔ם לֹא־יַצִּ֥ילוּ אֶתְכֶ֖ם מִיָּדִֽי׃
16 उसके दूत याहवेह परमेश्वर और उनके सेवक हिज़किय्याह के विरुद्ध बातें करते रहें.
וְעוֹד֙ דִּבְּר֣וּ עֲבָדָ֔יו עַל־יְהוָ֖ה הָאֱלֹהִ֑ים וְעַ֖ל יְחִזְקִיָּ֥הוּ עַבְדּֽוֹ׃
17 सेनहेरीब ने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के प्रति अपमानजनक पत्र भी भेजे. इनमें उसने यह लिखा था, “जैसा विभिन्‍न देशों के देवता उन्हें मुझसे सुरक्षा प्रदान करने में असफल रहे हैं, वैसे ही हिज़किय्याह का परमेश्वर भी उसके लोगों को मुझसे सुरक्षा देने में असफल रहेगा.”
וּסְפָרִ֣ים כָּתַ֔ב לְחָרֵ֕ף לַיהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְלֵֽאמֹ֨ר עָלָ֜יו לֵאמֹ֗ר כֵּֽאלֹהֵ֞י גּוֹיֵ֤ הָאֲרָצוֹת֙ אֲשֶׁ֨ר לֹא־הִצִּ֤ילוּ עַמָּם֙ מִיָּדִ֔י כֵּ֣ן לֹֽא־יַצִּ֞יל אֱלֹהֵ֧י יְחִזְקִיָּ֛הוּ עַמּ֖וֹ מִיָּדִֽי׃
18 उन्होंने यह संदेश ऊंची आवाज में येरूशलेम के उन लोगों को, जो इस समय शहरपनाह पर यह सब सुन रहे थे, यहूदियावासियों ही की भाषा में पढ़ सुनाया, कि वे इसके द्वारा उन्हें भयभीत और निराश कर दें और वे नगर पर अधिकार कर लें.
וַיִּקְרְא֨וּ בְקוֹל־גָּד֜וֹל יְהוּדִ֗ית עַל־עַ֤ם יְרוּשָׁלִַ֙ם֙ אֲשֶׁ֣ר עַל־הַֽחוֹמָ֔ה לְיָֽרְאָ֖ם וּֽלְבַהֲלָ֑ם לְמַ֖עַן יִלְכְּד֥וּ אֶת־הָעִֽיר׃
19 उन्होंने यह कहते हुए येरूशलेम के परमेश्वर को पृथ्वी के दूसरे राष्ट्रों के देवताओं के बराबर रख दिया था, जो देवता स्वयं उन्हीं के हाथों की रचना थे.
וַֽיְדַבְּר֔וּ אֶל־אֱלֹהֵ֖י יְרוּשָׁלִָ֑ם כְּעַ֗ל אֱלֹהֵי֙ עַמֵּ֣י הָאָ֔רֶץ מַעֲשֵׂ֖ה יְדֵ֥י הָאָדָֽם׃ ס
20 राजा हिज़किय्याह और आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह ने इस विषय पर प्रार्थना की और स्वर्ग की दोहाई दी.
וַיִּתְפַּלֵּ֞ל יְחִזְקִיָּ֣הוּ הַמֶּ֗לֶךְ וִֽישַֽׁעְיָ֧הוּ בֶן־אָמ֛וֹץ הַנָּבִ֖יא עַל־זֹ֑את וַֽיִּזְעֲק֖וּ הַשָּׁמָֽיִם׃ פ
21 तब याहवेह ने एक ऐसा स्वर्गदूत भेजा, जिसने अश्शूर राजा की छावनी में जाकर हर एक वीर योद्धा, प्रधान और अधिकारी को मार दिया. तब सेनहेरीब घोर लज्जा में अपने देश को लौट गया. वहां पहुंचकर जब अपने देवता के मंदिर में गया, उसी के कुछ पुत्रों ने उसे तलवार से घात कर दिया.
וַיִּשְׁלַ֤ח יְהוָה֙ מַלְאָ֔ךְ וַיַּכְחֵ֞ד כָּל־גִּבּ֥וֹר חַ֙יִל֙ וְנָגִ֣יד וְשָׂ֔ר בְּמַחֲנֵ֖ה מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֑וּר וַיָּשָׁב֩ בְּבֹ֨שֶׁת פָּנִ֜ים לְאַרְצ֗וֹ וַיָּבֹא֙ בֵּ֣ית אֱלֹהָ֔יו וּמִֽיצִיאֵ֣י מֵעָ֔יו שָׁ֖ם הִפִּילֻ֥הוּ בֶחָֽרֶב׃
22 इस प्रकार याहवेह ने हिज़किय्याह और येरूशलेम निवासियों को अश्शूर के राजा सेनहेरीब और अन्यों के वार से सुरक्षा प्रदान की और उन्हें चारों ओर से सुरक्षा दी.
וַיּוֹשַׁע֩ יְהוָ֨ה אֶת־יְחִזְקִיָּ֜הוּ וְאֵ֣ת ׀ יֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֗ם מִיַּ֛ד סַנְחֵרִ֥יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֖וּר וּמִיַּד־כֹּ֑ל וַֽיְנַהֲלֵ֖ם מִסָּבִֽיב׃
23 अनेक-अनेक याहवेह के लिए भेंटें लेकर येरूशलेम आने लगे. वे यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के लिए उत्तम भेंटें ला रहे थे. इससे इसके बाद सभी राष्ट्रों की दृष्टि में हिज़किय्याह की प्रतिष्ठा बहुत ही बढ़ती चली गई.
וְ֠רַבִּים מְבִיאִ֨ים מִנְחָ֤ה לַיהוָה֙ לִיר֣וּשָׁלִַ֔ם וּמִ֨גְדָּנ֔וֹת לִֽיחִזְקִיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה וַיִּנַּשֵּׂ֛א לְעֵינֵ֥י כָל־הַגּוֹיִ֖ם מֵאַֽחֲרֵי־כֵֽן׃ ס
24 कुछ समय बाद हिज़किय्याह घातक रोग से बीमार हो गया. उसने याहवेह से विनती की और याहवेह ने उससे बातें करते हुए उसे चिन्ह दिया.
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֔ם חָלָ֥ה יְחִזְקִיָּ֖הוּ עַד־לָמ֑וּת וַיִּתְפַּלֵּל֙ אֶל־יְהוָ֔ה וַיֹּ֣אמֶר ל֔וֹ וּמוֹפֵ֖ת נָ֥תַן לֽוֹ׃
25 मगर घमण्ड़ में हिज़किय्याह ने इस उपकार का कोई बदला न दिया. उसका मन फूल चुका था. इसलिये उस पर और यहूदिया और येरूशलेम पर याहवेह का क्रोध टूट पड़ा.
וְלֹא־כִגְמֻ֤ל עָלָיו֙ הֵשִׁ֣יב יְחִזְקִיָּ֔הוּ כִּ֥י גָבַ֖הּ לִבּ֑וֹ וַיְהִ֤י עָלָיו֙ קֶ֔צֶף וְעַל־יְהוּדָ֖ה וִירוּשָׁלִָֽם׃
26 तब हिज़किय्याह ने अपने हृदय को नम्र किया, उसने और येरूशलेम वासियों ने; फलस्वरूप याहवेह का प्रकोप हिज़किय्याह के जीवनकाल में हावी न हुआ.
וַיִּכָּנַ֤ע יְחִזְקִיָּ֙הוּ֙ בְּגֹ֣בַהּ לִבּ֔וֹ ה֖וּא וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִָ֑ם וְלֹא־בָ֤א עֲלֵיהֶם֙ קֶ֣צֶף יְהוָ֔ה בִּימֵ֖י יְחִזְקִיָּֽהוּ׃
27 हिज़किय्याह अब बहुत धनी और प्रतिष्ठित हो चुका था. उसने अपने लिए चांदी, सोने, रत्नों, मसालों, ढालों और सभी प्रकार की कीमती सामग्री के रखने के लिए भंडार बनवाए.
וַיְהִ֧י לִֽיחִזְקִיָּ֛הוּ עֹ֥שֶׁר וְכָב֖וֹד הַרְבֵּ֣ה מְאֹ֑ד וְאֹֽצָר֣וֹת עָֽשָׂה־ל֠וֹ לְכֶ֨סֶף וּלְזָהָ֜ב וּלְאֶ֣בֶן יְקָרָ֗ה וְלִבְשָׂמִים֙ וּלְמָ֣גִנִּ֔ים וּלְכֹ֖ל כְּלֵ֥י חֶמְדָּֽה׃
28 उसने अनाज, अंगूर के रस और तेल रखने के लिए भंडार-घर बनाए और पशुओं और भेड़ों के लिए पशु-शालाएं और भेड़-शालाएं बनवाई.
וּמִ֨סְכְּנ֔וֹת לִתְבוּאַ֥ת דָּגָ֖ן וְתִיר֣וֹשׁ וְיִצְהָ֑ר וְאֻֽרָוֹת֙ לְכָל־בְּהֵמָ֣ה וּבְהֵמָ֔ה וַעֲדָרִ֖ים לָאֲוֵרֽוֹת׃
29 उसने अपने लिए नगर बनवाए और पशु और भेड़ें बड़ी संख्या में इकट्ठा कर ली, क्योंकि परमेश्वर ही ने उसे यह बड़ी सम्पन्‍नता दी थी.
וְעָרִים֙ עָ֣שָׂה ל֔וֹ וּמִקְנֵה־צֹ֥אן וּבָקָ֖ר לָרֹ֑ב כִּ֤י נָֽתַן־לוֹ֙ אֱלֹהִ֔ים רְכ֖וּשׁ רַ֥ב מְאֹֽד׃
30 यह हिज़किय्याह ही का काम था, जो उसने गीहोन नदी के ऊपर के सोते को बंद कर बहाव को दावीद के नगर के पश्चिमी ओर मोड़ दिया था. हिज़किय्याह जिस किसी काम को शुरू करता था, उसमें वह सफल होता था.
וְה֣וּא יְחִזְקִיָּ֗הוּ סָתַם֙ אֶת־מוֹצָ֞א מֵימֵ֤י גִיחוֹן֙ הָֽעֶלְי֔וֹן וַֽיַּישְּׁרֵ֥ם לְמַֽטָּה־מַּעְרָ֖בָה לְעִ֣יר דָּוִ֑יד וַיַּצְלַ֥ח יְחִזְקִיָּ֖הוּ בְּכָֽל־מַעֲשֵֽׂהוּ׃
31 बाबेल के शासकों के राजदूत उससे उसके अद्धुत कामों के बारे में जानने के लिए भेजे गए थे. परमेश्वर ने उसे अकेला इसलिये छोड़ दिया था कि वह उसको परखें, कि वह पहचान जाएं कि हिज़किय्याह के हृदय में हकीकत में है क्या.
וְכֵ֞ן בִּמְלִיצֵ֣י ׀ שָׂרֵ֣י בָּבֶ֗ל הַֽמְשַׁלְּחִ֤ים עָלָיו֙ לִדְרֹ֗שׁ הַמּוֹפֵת֙ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֣ה בָאָ֔רֶץ עֲזָב֖וֹ הָֽאֱלֹהִ֑ים לְנַ֨סּוֹת֔וֹ לָדַ֖עַת כָּל־בִּלְבָבֽוֹ׃
32 हिज़किय्याह द्वारा किए गए बाकी कामों का और उसके श्रद्धा के कामों का वर्णन आमोज़ के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्ता के दर्शन और राजा नामक पुस्तक में किया गया है.
וְיֶ֛תֶר דִּבְרֵ֥י יְחִזְקִיָּ֖הוּ וַחֲסָדָ֑יו הִנָּ֣ם כְּתוּבִ֗ים בַּחֲז֞וֹן יְשַֽׁעְיָ֤הוּ בֶן־אָמוֹץ֙ הַנָּבִ֔יא עַל־סֵ֥פֶר מַלְכֵי־יְהוּדָ֖ה וְיִשְׂרָאֵֽל׃
33 हिज़किय्याह हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसके शव को दावीद के पुत्रों की कब्रों के ऊंचे भाग में रख दिया. उसकी मृत्यु के अवसर पर सारे यहूदिया और येरूशलेम वासियों ने उसे सम्मानित किया. उसके स्थान पर उसका पुत्र मनश्शेह राजा हो गया.
וַיִּשְׁכַּ֨ב יְחִזְקִיָּ֜הוּ עִם־אֲבֹתָ֗יו וַֽיִּקְבְּרֻהוּ֮ בְּֽמַעֲלֵה֮ קִבְרֵ֣י בְנֵי־דָוִיד֒ וְכָבוֹד֙ עָֽשׂוּ־ל֣וֹ בְמוֹת֔וֹ כָּל־יְהוּדָ֖ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלִָ֑ם וַיִּמְלֹ֛ךְ מְנַשֶּׁ֥ה בְנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ פ

< 2 इतिहास 32 >