< 2 इतिहास 26 >

1 यहूदिया की सारी प्रजा ने सोलह साल के उज्जियाह को उसके पिता अमाज़्याह के स्थान पर राजा होने के लिए चुन लिया.
Und [2. Kön. 14,21. 22;15,1 usw.] das ganze Volk von Juda nahm Ussija, [In 2. Kön. 14 und im Anfang von Kap. 15 "Asarja" genannt] der sechzehn Jahre alt war, und sie machten ihn zum König an seines Vaters Amazja Statt.
2 उसने अपने पिता की मृत्यु के बाद एलाथ को बनवाकर उसे दोबारा यहूदिया में शामिल कर लिया.
Er baute Eloth und brachte es an Juda zurück, nachdem der König sich zu seinen Vätern gelegt hatte.
3 उस समय उज्जियाह की उम्र सोलह साल थी. येरूशलेम में उसने बावन साल शासन किया. उसकी माता का नाम यकोलियाह था; वह येरूशलेमवासी थी.
Sechzehn Jahre war Ussija alt, als er König wurde, und er regierte 52 Jahre zu Jerusalem; und der Name seiner Mutter war Jekolja, von Jerusalem.
4 उज्जियाह ने अपने पिता अमाज़्याह समान वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही है.
Und er tat, was recht war in den Augen Jehovas, nach allem, was sein Vater Amazja getan hatte.
5 ज़करयाह के जीवनकाल में परमेश्वर की खोज करता रहा. याहवेह के दर्शन के कारण ज़करयाह में समझ थी. जब तक वह याहवेह की खोज करता रहा, याहवेह उसे और बढ़ाते रहे.
Und er suchte Gott in den Tagen Sekarjas, der kundig war [O. lehrte] in den Gesichten Gottes; und in den Tagen, da er Jehova suchte, gab Gott ihm Gelingen.
6 उज्जियाह ने फिलिस्तीनियों पर हमला किया और गाथ, याबनेह और अशदोद की शहरपनाह गिरा दीं. अशदोद में और फिलिस्तीनियों के बीच उसने इस क्षेत्र में नगरों को बनाया.
Und er zog aus und stritt wider sie Philister, und riß nieder die Mauer von Gath und die Mauer von Jabne und die Mauer von Asdod; und er baute Städte um Asdod her [Eig. in Asdod] und unter den Philistern.
7 फिलिस्तीनियों और अरबियों के विरुद्ध जो गुर-बाल और मिऊनी में रहते थे, परमेश्वर ने उसकी सहायता की.
Und Gott half ihm wider die Philister und wider die Araber, die zu Gur-Baal wohnten, und wider die Meuniter. [dasselbe wie Maoniter]
8 अम्मोनवासी भी उज्जियाह को कर देते थे. उसका यश मिस्र की सीमा तक पहुंच गया था, क्योंकि वह बलवान हो चुका था.
Und die Ammoniter gaben Ussija Geschenke, [d. h. wurden ihm tributpflichtig] und sein Name drang bis nach Ägypten hin; denn er war überaus stark geworden.
9 इनके अलावा उज्जियाह ने येरूशलेम में कोने के फाटक और घाटी के फाटक पर पहरेदारों के लिए खंभों को बनवाया और किले की दीवारों को मजबूत बनाने के लिए उनमें गुम्मट बनवाए.
Und Ussija baute Türme in Jerusalem auf dem Ecktor und auf dem Taltor und auf dem Winkel, und befestigte sie.
10 बंजर भूमि में उसने पहरेदारों के खंभे खड़े किए और अनेक तालाबों को भी बनवाया, क्योंकि मैदानों में बड़ी संख्या में उसके पशु थे. पहाड़ी इलाके में उसके किसान और अंगूर के बगीचों के रखवाले थे. उसके अनेक उपजाऊ खेत भी थे, क्योंकि खेती उसे प्यारी थी.
Und er baute Türme in der Wüste und grub viele Cisternen; denn er hatte viel Vieh, sowohl in der Niederung [S. die Anm. zu 5. Mose 1,7] als auch in der Ebene, und Ackerleute und Weingärtner im Gebirge und im Fruchtgefilde; [O. am Karmel] denn er liebte den Ackerbau.
11 इसके अलावा उसकी वीर सेना युद्ध के लिए तैयार रहती थी. इसको दलों के रूप में बांटा गया था. इनकी भर्ती और संगठन राजा के अधिकारी हननियाह की आज्ञा में सचिव येइएल और अधिकारी मआसेइयाह द्वारा की गई थी.
Und Ussija hatte ein kriegführendes Heer, das in Scharen in den Kampf zog, nach der Zahl ihrer Musterung durch Jeghiel, den Schreiber, und Maaseja, den Vorsteher, unter der Leitung Hananjas, eines der Obersten des Königs.
12 हर एक गोत्र से चुने हुए बलवान वीर योद्धा थे, जिनकी कुल संख्या दो हज़ार छः सौ थी.
Die ganze Zahl der Häupter der Väter [d. h. der Stamm- oder Familienhäupter] der tapferen Helden war 2600.
13 इनके अधिकार में थी एक बड़ी सेना, जिसकी गिनती थी तीन लाख साढ़े सात हज़ार. ये राजा के विरुद्ध उठे किसी भी शत्रु पर बहुत बल से वार कर सकते थे.
Und unter ihrer Leitung stand eine Heeresmacht von 307500 Mann, welche den Krieg führte mit gewaltiger Kraft, um dem König wider den Feind beizustehen.
14 इसके अलावा उज्जियाह ने पूरी सेना के लिए ढालें, बर्छियों, टोप झिलम, धनुष और गोफन तैयार कर रखी थी.
Und Ussija bereitete ihnen, dem ganzen Heere, Schilde und Lanzen und Helme und Panzer und Bogen und Schleudersteine.
15 कुशल शिल्पियों द्वारा आविष्कार किए गए यंत्र और उपकरण उसने येरूशलेम में रखवा रखे थे. ये यंत्र पहरेदारों के मीनारों और शहरपनाह के कोनों पर बाण छोड़ने और बड़े-बड़े पत्थर फेंकने के लिए बनाए गए थे. इनके कारण उसकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंच चुकी थी. जब तक उसमें शक्ति रही उसे अद्धुत रूप से सहायता मिलती रही.
Und er machte zu Jerusalem Maschinen, ein Kunstwerk des Künstlers, daß sie auf den Türmen und auf den Zinnen sein sollten, um mit Pfeilen und mit großen Steinen zu schießen. Und sein Name ging aus bis in die Ferne; denn wunderbar ward ihm geholfen, bis er stark wurde.
16 जब वह इस प्रकार मजबूत होता गया, घमण्ड़ ने उसे आ घेरा. वह याहवेह उसके परमेश्वर के लिए सच्चा भी न रह गया. वह याहवेह के मंदिर में चला गया कि वह धूप वेदी पर धूप जलाए.
Und als er stark geworden war, erhob sich sein Herz, bis er verderbt handelte; und er handelte treulos gegen Jehova, seinen Gott, und trat in den Tempel Jehovas, um auf dem Räucheraltar zu räuchern.
17 इस पर पुरोहित अज़रियाह उसके पीछे-पीछे गया और उसके साथ याहवेह के अस्सी बलवान पुरोहित भी थे.
Da kam Asarja, der Priester, hinter ihm her, und mit ihm achtzig Priester Jehovas, wackere Männer;
18 उन्होंने राजा उज्जियाह को मना करते हुए कहा, “उज्जियाह, याहवेह के लिए धूप जलाना आपका काम नहीं है, यह केवल पुरोहितों के लिए ही ठहराया गया है, जो अहरोन के वंशज और धूप जलाने के लिए अलग किए हुए हैं. आप पवित्र स्थान से बाहर चले जाइए, क्योंकि आप याहवेह परमेश्वर के प्रति सच्चे नहीं रहे हैं, इसलिये आपको उनकी ओर से कोई आदर न मिलेगा.”
und sie widerstanden dem König Ussija und sprachen zu ihm: Nicht dir, Ussija, geziemt es, Jehova zu räuchern, sondern den Priestern, den Söhnen Aarons, die geheiligt sind zum Räuchern. Geh aus dem Heiligtum hinaus; denn du hast treulos gehandelt, und es wird dir nicht zur Ehre gereichen von Jehova Gott.
19 उज्जियाह यह सुनकर बहुत गुस्सा हो गया. धूप जलाने के लिए उसके हाथ में धूपदान था. जब वह पुरोहितों पर गुस्सा हो ही रहा था, याहवेह के भवन में धूप वेदी के निकट पुरोहितों के देखते-देखते उसके माथे पर कुष्ठ रोग हो गया.
Aber Ussija wurde zornig; und er hatte in seiner Hand ein Räucherfaß zum Räuchern; und als er über die Priester erzürnte, da brach der Aussatz aus an seiner Stirn, angesichts der Priester im Hause Jehovas neben dem Räucheraltar.
20 प्रमुख पुरोहित अज़रियाह और दूसरे सभी पुरोहित उसकी ओर देख रहे थे. वह माथे पर कोढ़ी हो चुका था. उन्होंने उसे बिना देर किए बाहर निकाला-वास्तव में वह खुद वहां से निकलने के लिए आतुर था, क्योंकि वह जान गया था कि उस पर याहवेह का प्रहार था.
Und Asarja, der Hauptpriester, und alle die Priester wandten sich zu ihm, und siehe, er war aussätzig an seiner Stirn, und sie trieben ihn eilends von dannen fort; und auch er selbst beeilte sich hinauszukommen, weil Jehova ihn geschlagen hatte.
21 मृत्यु तक राजा उज्जियाह कुष्ठरोगी रहा. वह एक अलग घर में रहने लगा, क्योंकि वह कुष्ठरोगी था. याहवेह के भवन में उसका जाना मना हो गया. उसका पुत्र योथाम अब राजमहल पर अधिकारी हो प्रजा का न्याय करने लगा.
Und der König Ussija war aussätzig bis zum Tage seines Todes, und er wohnte in einem Krankenhause [O. in einem abgesonderten Hause] als Aussätziger; denn er war von dem Hause Jehovas ausgeschlossen. Und Jotham, sein Sohn, war über das Haus des Königs und richtete das Volk des Landes.
22 शुरू से अंत तक, उज्जियाह द्वारा किए गए बाकी कामों का ब्यौरा आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा किया गया है.
Und das Übrige der Geschichte Ussijas, die erste und die letzte, hat Jesaja geschrieben, der Sohn Amoz, der Prophet.
23 तब उज्जियाह हमेशा के लिए अपने पूर्वजों से जा मिला. उन्होंने उसे राजाओं के लिए ठहराई गई की कब्र में गाड़ दिया, क्योंकि उन्होंने कहा वह तो कुष्ठरोगी है. उसका पुत्र योथाम उसके स्थान पर राजा हो गया.
Und Ussija legte sich zu seinen Vätern, und man begrub ihn bei seinen Vätern auf dem Begräbnisacker der Könige; denn man sprach: Er ist aussätzig. Und Jotham, sein Sohn, ward König an seiner Statt.

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