< 2 इतिहास 20 >

1 इसके बाद मोआबी, अम्मोनी और मिऊनी यहोशाफ़ात से युद्ध के लिए तैयार हुए.
וַיְהִ֣י אֽ͏ַחֲרֵיכֵ֡ן בָּ֣אוּ בְנֵי־מֹואָב֩ וּבְנֵ֨י עַמֹּ֜ון וְעִמָּהֶ֧ם ׀ מֵֽהָעַמֹּונִ֛ים עַל־יְהֹושָׁפָ֖ט לַמִּלְחָמָֽה׃
2 यहोशाफ़ात को बताया गया सागर पार एदोम से बड़ी भारी भीड़ आप पर हमला करने आ रही है. इस समय वे हज़ज़ोन-तामार जो एन-गेदी में है,
וַיָּבֹ֗אוּ וַיַּגִּ֤ידוּ לִֽיהֹושָׁפָט֙ לֵאמֹ֔ר בָּ֣א עָלֶ֜יךָ הָמֹ֥ון רָ֛ב מֵעֵ֥בֶר לַיָּ֖ם מֵאֲרָ֑ם וְהִנָּם֙ בְּחַֽצְצֹ֣ון תָּמָ֔ר הִ֖יא עֵ֥ין גֶּֽדִי׃
3 यहोशाफ़ात डर गया. उसने अपना ध्यान याहवेह की इच्छा जानने की ओर लगा दिया. उसने सारे यहूदिया में उपवास की घोषणा करवा दी.
וַיִּרָ֕א וַיִתֵּ֧ן יְהֹושָׁפָ֛ט אֶת־פָּנָ֖יו לִדְרֹ֣ושׁ לַיהוָ֑ה וַיִּקְרָא־צֹ֖ום עַל־כָּל־יְהוּדָֽה׃
4 सारे यहूदिया ने इकट्ठा होकर याहवेह से सहायता की विनती की; यहूदिया के हर एक नगर से लोग याहवेह से सहायता की कामना करने आ गए.
וַיִּקָּבְצ֣וּ יְהוּדָ֔ה לְבַקֵּ֖שׁ מֵֽיְהוָ֑ה גַּ֚ם מִכָּל־עָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה בָּ֖אוּ לְבַקֵּ֥שׁ אֶת־יְהוָֽה׃
5 यहोशाफ़ात प्रार्थना करने याहवेह के भवन के नए आंगन में यहूदिया और येरूशलेम की सभा के सामने खड़े हुए
וַיַּעֲמֹ֣ד יְהֹושָׁפָ֗ט בִּקְהַ֧ל יְהוּדָ֛ה וִירוּשָׁלַ֖͏ִם בְּבֵ֣ית יְהוָ֑ה לִפְנֵ֖י הֶחָצֵ֥ר הַחֲדָשָֽׁה׃
6 यहोशाफ़ात ने विनती की, “हे याहवेह, हमारे पूर्वजों के परमेश्वर, आप वह परमेश्वर हैं, जो स्वर्ग में रहते हैं. आपका ही शासन सारे राष्ट्रों के राज्यों पर भी है. अधिकार और सामर्थ्य आपके ही हाथों में है. इसके कारण कोई भी आपके सामने ठहर नहीं सकता.
וַיֹּאמַ֗ר יְהוָ֞ה אֱלֹהֵ֤י אֲבֹתֵ֙ינוּ֙ הֲלֹ֨א אַתָּֽה־ה֤וּא אֱלֹהִים֙ בַּשָּׁמַ֔יִם וְאַתָּ֣ה מֹושֵׁ֔ל בְּכֹ֖ל מַמְלְכֹ֣ות הַגֹּויִ֑ם וּבְיָדְךָ֙ כֹּ֣חַ וּגְבוּרָ֔ה וְאֵ֥ין עִמְּךָ֖ לְהִתְיַצֵּֽב׃
7 आपने ही इस भूमि के मूल निवासियों को अपनी प्रजा इस्राएल के सामने से दूर कर दिया और यह भूमि अपने मित्र अब्राहाम के वंशजों को दे दी.
הֲלֹ֣א ׀ אַתָּ֣ה אֱלֹהֵ֗ינוּ הֹורַ֙שְׁתָּ֙ אֶת־יֹשְׁבֵי֙ הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את מִלִּפְנֵ֖י עַמְּךָ֣ יִשְׂרָאֵ֑ל וַֽתִּתְּנָ֗הּ לְזֶ֛רַע אַבְרָהָ֥ם אֹֽהַבְךָ֖ לְעֹולָֽם׃
8 वे इसमें रह रहे हैं. आपकी महिमा में यह कहते हुए एक पवित्र स्थान को बनाया,
וַיֵּשְׁב֖וּ־בָ֑הּ וַיִּבְנ֨וּ לְךָ֧ ׀ בָּ֛הּ מִקְדָּ֖שׁ לְשִׁמְךָ֥ לֵאמֹֽר׃
9 ‘यदि हम पर बुराई, तलवार या न्याय-दंड का वार हो या महामारी या अकाल आ पड़े, हम इस भवन के सामने, सच में आपके सामने आ खड़े होंगे; क्योंकि इस भवन में आपकी महिमा का वास है और अपनी विपत्ति में आपके सामने रोएंगे, आप हमारी सुनकर हमें छुटकारा प्रदान करेंगे.’
אִם־תָּבֹ֨וא עָלֵ֜ינוּ רָעָ֗ה חֶרֶב֮ שְׁפֹוט֮ וְדֶ֣בֶר וְרָעָב֒ נַֽעַמְדָ֞ה לִפְנֵי֙ הַבַּ֤יִת הַזֶּה֙ וּלְפָנֶ֔יךָ כִּ֥י שִׁמְךָ֖ בַּבַּ֣יִת הַזֶּ֑ה וְנִזְעַ֥ק אֵלֶ֛יךָ מִצָּרָתֵ֖נוּ וְתִשְׁמַ֥ע וְתֹושִֽׁיעַ׃
10 “अब देख लीजिए, अम्मोन, मोआब के वंशज और सेईर पहाड़ के रहनेवाले, जिन पर मिस्र देश से आ रहे इस्राएलियों को आपने हमला करने से रोक दिया था, वे जिनके पास से होकर निकल गए मगर उन्हें नाश नहीं किया गया था.
וְעַתָּ֡ה הִנֵּה֩ בְנֵֽי־עַמֹּ֨ון וּמֹואָ֜ב וְהַר־שֵׂעִ֗יר אֲ֠שֶׁר לֹֽא־נָתַ֤תָּה לְיִשְׂרָאֵל֙ לָבֹ֣וא בָהֶ֔ם בְּבֹאָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם כִּ֛י סָ֥רוּ מֵעֲלֵיהֶ֖ם וְלֹ֥א הִשְׁמִידֽוּם׃
11 देख लीजिए, वे हमें इसका प्रतिफल यह दे रहे हैं, कि वे हमें आपकी संपत्ति से निकाल रहे हैं, जो आपने हमें मीरास के रूप में दिया है.
וְהִ֨נֵּה־הֵ֔ם גֹּמְלִ֖ים עָלֵ֑ינוּ לָבֹוא֙ לְגָ֣רְשֵׁ֔נוּ מִיְּרֻשָּׁתְךָ֖ אֲשֶׁ֥ר הֹֽורַשְׁתָּֽנוּ׃
12 हमारे परमेश्वर, क्या आप इसका फैसला न करेंगे? क्योंकि इस बड़ी भीड़ के सामने, जो हम पर हमला करने आ रही है, हम तो पूरी तरह शक्तिहीन हैं. हम नहीं जानते इस स्थिति में हमारा क्या करना सही होगा. हां, हमारी दृष्टि बस आप पर ही टिकी हुई है.”
אֱלֹהֵ֙ינוּ֙ הֲלֹ֣א תִשְׁפָּט־בָּ֔ם כִּ֣י אֵ֥ין בָּ֙נוּ֙ כֹּ֔חַ לִ֠פְנֵי הֶהָמֹ֥ון הָרָ֛ב הַזֶּ֖ה הַבָּ֣א עָלֵ֑ינוּ וַאֲנַ֗חְנוּ לֹ֤א נֵדַע֙ מַֽה־נַּעֲשֶׂ֔ה כִּ֥י עָלֶ֖יךָ עֵינֵֽינוּ׃
13 इस समय सारे यहूदिया राज्य, उनकी पत्नियां, शिशु और बालक भी याहवेह के सामने ठहरे हुए थे.
וְכֹ֨ל־יְהוּדָ֔ה עֹמְדִ֖ים לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה גַּם־טַפָּ֖ם נְשֵׁיהֶ֥ם וּבְנֵיהֶֽם׃ פ
14 तब इसी सभा में याहवेह के पवित्र आत्मा याहाज़िएल पर उतरे. याहाज़िएल ज़करयाह का, ज़करयाह बेनाइयाह का, बेनाइयाह येइएल का और येइएल आसफ के पुत्र लेवी मत्तनियाह का पुत्र था.
וְיַחֲזִיאֵ֡ל בֶּן־זְכַרְיָ֡הוּ בֶּן־בְּ֠נָיָה בֶּן־יְעִיאֵ֧ל בֶּן־מַתַּנְיָ֛ה הַלֵּוִ֖י מִן־בְּנֵ֣י אָסָ֑ף הָיְתָ֤ה עָלָיו֙ ר֣וּחַ יְהוָ֔ה בְּתֹ֖וךְ הַקָּהָֽל׃
15 याहाज़िएल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा: “यहूदिया, येरूशलेम के सभी निवासियों और महाराज यहोशाफ़ात, कृपया सुनिए: ‘आपके लिए याहवेह का संदेश यह है इस बड़ी भीड़ को देखकर तुम न तो डरना और न घबराना, क्योंकि यह युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है!
וַיֹּ֗אמֶר הַקְשִׁ֤יבוּ כָל־יְהוּדָה֙ וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֔͏ִם וְהַמֶּ֖לֶךְ יְהֹושָׁפָ֑ט כֹּֽה־אָמַ֨ר יְהוָ֜ה לָכֶ֗ם אַ֠תֶּם אַל־תִּֽירְא֤וּ וְאַל־תֵּחַ֙תּוּ֙ מִפְּנֵ֨י הֶהָמֹ֤ון הָרָב֙ הַזֶּ֔ה כִּ֣י לֹ֥א לָכֶ֛ם הַמִּלְחָמָ֖ה כִּ֥י לֵאלֹהִֽים׃
16 कल हम उन पर हमला करेंगे. यह देखना कि वे लोग ज़िज़ के चढ़ाव से हमारी ओर बढ़ेंगे. उनसे तुम्हारा सामना येरुएल के बंजर भूमि के सामने की ओर की घाटी के अंत में होगा.
מָחָר֙ רְד֣וּ עֲלֵיהֶ֔ם הִנָּ֥ם עֹלִ֖ים בְּמַעֲלֵ֣ה הַצִּ֑יץ וּמְצָאתֶ֤ם אֹתָם֙ בְּסֹ֣וף הַנַּ֔חַל פְּנֵ֖י מִדְבַּ֥ר יְרוּאֵֽל׃
17 यह ज़रूरी ही नहीं कि तुम इस युद्ध में जाओ. तुम वहां सिर्फ स्थिर खड़े हो जाना. तब यहूदिया और येरूशलेम, तुम्हें वहां खड़े हुए अपने लिए याहवेह द्वारा की गई छुड़ौती के गवाह होना. आप न तो भयभीत हों न घबराएं. कल आप उनका सामना करने आगे बढ़िए, क्योंकि याहवेह आपके साथ हैं.’”
לֹ֥א לָכֶ֖ם לְהִלָּחֵ֣ם בָּזֹ֑את הִתְיַצְּב֣וּ עִמְד֡וּ וּרְא֣וּ אֶת־יְשׁוּעַת֩ יְהוָ֨ה עִמָּכֶ֜ם יְהוּדָ֣ה וִֽירוּשָׁלַ֗͏ִם אַל־תִּֽירְאוּ֙ וְאַל־תֵּחַ֔תּוּ מָחָר֙ צְא֣וּ לִפְנֵיהֶ֔ם וַיהוָ֖ה עִמָּכֶֽם׃
18 यहोशाफ़ात ने यह सुनकर अपना सिर भूमि की ओर झुका लिया और सारा यहूदिया और येरूशलेमवासी याहवेह के सामने याहवेह की स्तुति में दंडवत हो गए.
וַיִּקֹּ֧ד יְהֹושָׁפָ֛ט אַפַּ֖יִם אָ֑רְצָה וְכָל־יְהוּדָ֞ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֗͏ִם נָֽפְלוּ֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה לְהִֽשְׁתַּחֲוֹ֖ת לַיהוָֽה׃
19 कोहाथ और कोराह के वंशज लेवियों ने खड़े होकर बड़ी ही ऊंची आवाज में याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति की.
וַיָּקֻ֧מוּ הַלְוִיִּ֛ם מִן־בְּנֵ֥י הַקְּהָתִ֖ים וּמִן־בְּנֵ֣י הַקָּרְחִ֑ים לְהַלֵּ֗ל לַיהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּקֹ֥ול גָּדֹ֖ול לְמָֽעְלָה׃
20 बड़े तड़के उठकर वे तकोआ के बंजर भूमि को चले गए. वहां पहुंचकर यहोशाफ़ात ने खड़े हो उनसे कहा, यहूदिया और येरूशलेम के वासियों, सुनो! याहवेह, अपने परमेश्वर में विश्वास रखो तो, तुम बने रहोगे. याहवेह के भविष्यवक्ताओं का भरोसा करो तो तुम सफल हो जाओगे.
וַיַּשְׁכִּ֣ימוּ בַבֹּ֔קֶר וַיֵּצְא֖וּ לְמִדְבַּ֣ר תְּקֹ֑ועַ וּבְצֵאתָ֞ם עָמַ֣ד יְהֹושָׁפָ֗ט וַיֹּ֙אמֶר֙ שְׁמָע֗וּנִי יְהוּדָה֙ וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֔͏ִם הַאֲמִ֜ינוּ בַּיהוָ֤ה אֱלֹהֵיכֶם֙ וְתֵ֣אָמֵ֔נוּ הַאֲמִ֥ינוּ בִנְבִיאָ֖יו וְהַצְלִֽיחוּ׃
21 जब राजा लोगों से सलाह-मशवरा कर चुका, उसने याहवेह के स्तुति के लिए गायक चुने. इनका काम था पवित्र वस्त्र पहनकर सेना के आगे-आगे चलते हुए इन शब्दों में याहवेह की स्तुति करना, “याहवेह का धन्यवाद करो-वे भले हैं; उनकी करुणा सदा की है.”
וַיִּוָּעַץ֙ אֶל־הָעָ֔ם וַיַּעֲמֵ֤ד מְשֹֽׁרֲרִים֙ לַיהוָ֔ה וּֽמְהַֽלְלִ֖ים לְהַדְרַת־קֹ֑דֶשׁ בְּצֵאת֙ לִפְנֵ֣י הֶֽחָל֔וּץ וְאֹֽמְרִים֙ הֹוד֣וּ לַיהוָ֔ה כִּ֥י לְעֹולָ֖ם חַסְדֹּֽו׃
22 जब उन्होंने याहवेह की स्तुति में गाना शुरू किया, याहवेह ने यहूदिया के विरुद्ध उठे अम्मोनिया, मोआबियों और सेईर पर्वत के वासियों पर वार करने के लिए सैनिक घात लगाकर बैठा दिए. इस प्रकार शत्रुओं के पैर उखड़ गए.
וּבְעֵת֩ הֵחֵ֨לּוּ בְרִנָּ֜ה וּתְהִלָּ֗ה נָתַ֣ן יְהוָ֣ה ׀ מְ֠אָֽרְבִים עַל־בְּנֵ֨י עַמֹּ֜ון מֹואָ֧ב וְהַר־שֵׂעִ֛יר הַבָּאִ֥ים לִֽיהוּדָ֖ה וַיִּנָּגֵֽפוּ׃
23 तब अम्मोन और मोआब के वंशज सेईर पर्वत वासियों के विरुद्ध उठ खड़े हुए. और उनको पूरी तरह से मार दिया. जब वे सेईरवासियों को मार चुके, वे एक दूसरे ही को मारने लगे.
וַ֠יַּֽעַמְדוּ בְּנֵ֨י עַמֹּ֧ון וּמֹואָ֛ב עַל־יֹשְׁבֵ֥י הַר־שֵׂעִ֖יר לְהַחֲרִ֣ים וּלְהַשְׁמִ֑יד וּכְכַלֹּותָם֙ בְּיֹושְׁבֵ֣י שֵׂעִ֔יר עָזְר֥וּ אִישׁ־בְּרֵעֵ֖הוּ לְמַשְׁחִֽית׃
24 जब यहूदियावासी बंजर भूमि की चौकी पर पहुंचे, जब उन्होंने भीड़ की दिशा में नज़रें की, वहां हर जगह शव ही शव पड़े हुए थे-कोई भी जीवित न बचा था.
וִֽיהוּדָ֛ה בָּ֥א עַל־הַמִּצְפֶּ֖ה לַמִּדְבָּ֑ר וַיִּפְנוּ֙ אֶל־הֶ֣הָמֹ֔ון וְהִנָּ֧ם פְּגָרִ֛ים נֹפְלִ֥ים אַ֖רְצָה וְאֵ֥ין פְּלֵיטָֽה׃
25 जब यहोशाफ़ात और उसकी सेना लूट का सामान इकट्ठा करने आई, उन्हें वहां भारी मात्रा में वस्तुएं, वस्त्र और कीमती वस्तुएं मिलीं. ये सभी उन्होंने अपने लिए रख लिया. यह सब मात्रा में इतना ज्यादा था, कि यह सब ले जाना उनके लिए संभव न हुआ. लूट की सामग्री इकट्ठा करते-करते उन्हें तीन दिन लग गए—इतनी ज्यादा थी लूट की सामग्री.
וַיָּבֹ֨א יְהֹושָׁפָ֣ט וְעַמֹּו֮ לָבֹ֣ז אֶת־שְׁלָלָם֒ וַיִּמְצְאוּ֩ בָהֶ֨ם לָרֹ֜ב וּרְכ֤וּשׁ וּפְגָרִים֙ וּכְלֵ֣י חֲמֻדֹ֔ות וַיְנַצְּל֥וּ לָהֶ֖ם לְאֵ֣ין מַשָּׂ֑א וַיִּֽהְי֞וּ יָמִ֧ים שְׁלֹושָׁ֛ה בֹּזְזִ֥ים אֶת־הַשָּׁלָ֖ל כִּ֥י רַב־הֽוּא׃
26 चौथे दिन वे बेराकाह की घाटी में इकट्ठा हुए. वहां उन्होंने याहवेह की वंदना की इसलिये उन्होंने उस घाटी का नाम ही बेराकाह की घाटी रख दिया, जो आज तक प्रचलित है.
וּבַיֹּ֣ום הָרְבִעִ֗י נִקְהֲלוּ֙ לְעֵ֣מֶק בְּרָכָ֔ה כִּי־שָׁ֖ם בֵּרֲכ֣וּ אֶת־יְהוָ֑ה עַל־כֵּ֡ן קָֽרְא֞וּ אֶת־שֵׁ֨ם הַמָּקֹ֥ום הַה֛וּא עֵ֥מֶק בְּרָכָ֖ה עַד־הַיֹּֽום׃
27 यहूदिया और येरूशलेम का हर एक व्यक्ति यहोशाफ़ात के साथ, जो उनके आगे-आगे चल रहा था, बड़ी ही खुशी के साथ येरूशलेम लौटा, क्योंकि याहवेह ने उन्हें शत्रुओं पर विजय दी थी.
וַ֠יָּשֻׁבוּ כָּל־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֤ה וִֽירוּשָׁלַ֙͏ִם֙ וִֽיהֹושָׁפָ֣ט בְּרֹאשָׁ֔ם לָשׁ֥וּב אֶל־יְרוּשָׁלַ֖͏ִם בְּשִׂמְחָ֑ה כִּֽי־שִׂמְּחָ֥ם יְהוָ֖ה מֵֽאֹויְבֵיהֶֽם׃
28 किन्‍नोर, नेबेल और नरसिंगों के साथ येरूशलेम में प्रवेश कर याहवेह के भवन को गए.
וַיָּבֹ֙אוּ֙ יְר֣וּשָׁלַ֔͏ִם בִּנְבָלִ֥ים וּבְכִנֹּרֹ֖ות וּבַחֲצֹצְרֹ֑ות אֶל־בֵּ֖ית יְהוָֽה׃
29 जब सभी राष्ट्रों ने यह सुना कि इस्राएल के शत्रुओं से युद्ध याहवेह ने किया था, उनमें परमेश्वर का भय छा गया.
וַיְהִי֙ פַּ֣חַד אֱלֹהִ֔ים עַ֖ל כָּל־מַמְלְכֹ֣ות הָאֲרָצֹ֑ות בְּשָׁמְעָ֕ם כִּ֚י נִלְחַ֣ם יְהוָ֔ה עִ֖ם אֹויְבֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
30 यहोशाफ़ात के शासन में हर जगह शांति थी, क्योंकि उसके परमेश्वर ने उसे हर तरफ से शांति दी थी.
וַתִּשְׁקֹ֖ט מַלְכ֣וּת יְהֹושָׁפָ֑ט וַיָּ֧נַֽח לֹ֦ו אֱלֹהָ֖יו מִסָּבִֽיב׃ פ
31 यहोशाफ़ात यहूदिया राज्य पर शासन करता रहा. जब उसने शासन शुरू किया, उसकी उम्र पैंतीस साल की थी. येरूशलेम पर वह पच्चीस साल राज्य करता रहा. उसकी माता का नाम अत्सूबा था, जो शिल्ही की पुत्री थी.
וַיִּמְלֹ֥ךְ יְהֹושָׁפָ֖ט עַל־יְהוּדָ֑ה בֶּן־שְׁלֹשִׁים֩ וְחָמֵ֨שׁ שָׁנָ֜ה בְּמָלְכֹ֗ו וְעֶשְׂרִ֨ים וְחָמֵ֤שׁ שָׁנָה֙ מָלַ֣ךְ בִּֽירוּשָׁלַ֔͏ִם וְשֵׁ֣ם אִמֹּ֔ו עֲזוּבָ֖ה בַּת־שִׁלְחִֽי׃
32 वह अपने पिता आसा की नीतियों का पालन करता रहा, इनसे वह कभी दूर न हुआ. वह वही करता रहा, जो याहवेह की दृष्टि में सही था.
וַיֵּ֗לֶךְ בְּדֶ֛רֶךְ אָבִ֥יו אָסָ֖א וְלֹא־סָ֣ר מִמֶּ֑נָּה לַעֲשֹׂ֥ות הַיָּשָׁ֖ר בְּעֵינֵ֥י יְהוָֽה׃
33 यह सब होने पर भी ऊंचे स्थानों की वेदियां ढाई नहीं गईं; लोगों के मन उनके पूर्वजों के परमेश्वर पर स्थिर नहीं हुए थे.
אַ֥ךְ הַבָּמֹ֖ות לֹא־סָ֑רוּ וְעֹ֤וד הָעָם֙ לֹא־הֵכִ֣ינוּ לְבָבָ֔ם לֵאלֹהֵ֖י אֲבֹתֵיהֶֽם׃
34 यहोशाफ़ात के अन्य कामों का ब्यौरा, पहले से लेकर अंतिम तक का, हनानी के पुत्र येहू की पुस्तक इस्राएल के राजा में दिया गया है.
וְיֶ֙תֶר֙ דִּבְרֵ֣י יְהֹושָׁפָ֔ט הָרִאשֹׁנִ֖ים וְהָאַחֲרֹנִ֑ים הִנָּ֣ם כְּתוּבִ֗ים בְּדִבְרֵי֙ יֵה֣וּא בֶן־חֲנָ֔נִי אֲשֶׁ֣ר הֹֽעֲלָ֔ה עַל־סֵ֖פֶר מַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
35 इसके कुछ समय बाद यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा अहज़्याह से मित्रता कर ली. अहज़्याह दुष्ट व्यक्ति था.
וְאַחֲרֵיכֵ֗ן אֶתְחַבַּר֙ יְהֹושָׁפָ֣ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֔ה עִ֖ם אֲחַזְיָ֣ה מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֑ל ה֖וּא הִרְשִׁ֥יעַ לַעֲשֹֽׂות׃
36 इस मैत्री के कारण दोनों में तरशीश से व्यापार के लिए जहाज़ बनाने की सहमति हो गई. जहाज़ एज़िओन-गेबेर में बनता था.
וַיְחַבְּרֵ֣הוּ עִמֹּ֔ו לַעֲשֹׂ֥ות אֳנִיֹּ֖ות לָלֶ֣כֶת תַּרְשִׁ֑ישׁ וַיַּעֲשׂ֥וּ אֳנִיֹּ֖ות בְּעֶצְיֹ֥ון גָּֽבֶר׃
37 इस पर मारेशाहवासी दोदावाहू के पुत्र एलिएज़र ने यहोशाफ़ात के विरोध में यह भविष्यवाणी की, “अहज़्याह से तुम्हारी मित्रता के कारण याहवेह ने तुम्हारे कामों को नाश कर दिया है.” फलस्वरूप जहाज़ टूट गए और तरशीश यात्रा रुक गई.
וַיִּתְנַבֵּ֞א אֱלִיעֶ֤זֶר בֶּן־דֹּדָוָ֙הוּ֙ מִמָּ֣רֵשָׁ֔ה עַל־יְהֹושָׁפָ֖ט לֵאמֹ֑ר כְּהִֽתְחַבֶּרְךָ֣ עִם־אֲחַזְיָ֗הוּ פָּרַ֤ץ יְהוָה֙ אֶֽת־מַעֲשֶׂ֔יךָ וַיִּשָּׁבְר֣וּ אֳנִיֹּ֔ות וְלֹ֥א עָצְר֖וּ לָלֶ֥כֶת אֶל־תַּרְשִֽׁישׁ׃

< 2 इतिहास 20 >