< 2 इतिहास 18 >

1 यहोशाफ़ात अब समृद्ध और सम्मान्य हो चुका था. उसने विवाह के द्वारा अहाब से संबंध बना लिए.
וַיְהִ֧י לִֽיהוֹשָׁפָ֛ט עֹ֥שֶׁר וְכָב֖וֹד לָרֹ֑ב וַיִּתְחַתֵּ֖ן לְאַחְאָֽב׃
2 इसके कुछ साल बाद यहोशाफ़ात अहाब से भेंट करने शमरिया गया. यहोशाफ़ात और उसके संगियों के सम्मान में भोज के लिए अहाब ने अनेक भेड़ों और बछड़ों का वध किया. इसके द्वारा अहाब ने उन्हें रामोथ-गिलआद पर हमला करने के लिए उकसाया.
וַיֵּרֶד֩ לְקֵ֨ץ שָׁנִ֤ים אֶל־אַחְאָב֙ לְשֹׁ֣מְר֔וֹן וַיִּֽזְבַּֽח־ל֨וֹ אַחְאָ֜ב צֹ֤אן וּבָקָר֙ לָרֹ֔ב וְלָעָ֖ם אֲשֶׁ֣ר עִמּ֑וֹ וַיְסִיתֵ֕הוּ לַעֲל֖וֹת אֶל־רָמ֥וֹת גִּלְעָֽד׃
3 इस्राएल के राजा अहाब ने यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात से कहा, “क्या आप मेरे साथ रामोथ-गिलआद पर हमला करने चलेंगे?” यहोशाफ़ात ने उसे उत्तर दिया, “मैं आपके साथ हूं, मेरी प्रजा आपकी प्रजा है हम युद्ध में आपका साथ देंगे.”
וַיֹּ֜אמֶר אַחְאָ֣ב מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֗ל אֶל־יְהֽוֹשָׁפָט֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה הֲתֵלֵ֥ךְ עִמִּ֖י רָמֹ֣ת גִּלְעָ֑ד וַיֹּ֣אמֶר ל֗וֹ כָּמ֤וֹנִי כָמ֙וֹךָ֙ וּכְעַמְּךָ֣ עַמִּ֔י וְעִמְּךָ֖ בַּמִּלְחָמָֽה׃
4 यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा से कहा, “सबसे पहले याहवेह की इच्छा मालूम कर लें.”
וַיֹּ֥אמֶר יְהוֹשָׁפָ֖ט אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֑ל דְּרָשׁ־נָ֥א כַיּ֖וֹם אֶת־דְּבַ֥ר יְהוָֽה׃
5 तब इस्राएल के राजा ने भविष्यवक्ताओं को इकट्ठा किया. ये चार सौ व्यक्ति थे. उसने भविष्यवक्ताओं से प्रश्न किया, “मैं रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाऊं, या यह विचार छोड़ दूं?” उन्होंने उत्तर दिया, “आप जाइए, क्योंकि परमेश्वर उसे राजा के अधीन कर देंगे.”
וַיִּקְבֹּ֨ץ מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֥ל אֶֽת־הַנְּבִאִים֮ אַרְבַּ֣ע מֵא֣וֹת אִישׁ֒ וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵהֶ֗ם הֲנֵלֵ֞ךְ אֶל־רָמֹ֥ת גִּלְעָ֛ד לַמִּלְחָמָ֖ה אִם־אֶחְדָּ֑ל וַיֹּאמְר֣וּ עֲלֵ֔ה וְיִתֵּ֥ן הָאֱלֹהִ֖ים בְּיַ֥ד הַמֶּֽלֶךְ׃
6 मगर यहोशाफ़ात ने प्रश्न किया, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं, जिससे हम यह मालूम कर सकें?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ יְה֣וֹשָׁפָ֔ט הַאֵ֨ין פֹּ֥ה נָבִ֛יא לַיהוָ֖ה ע֑וֹד וְנִדְרְשָׁ֖ה מֵאֹתֽוֹ׃
7 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात को उत्तर दिया, “एक व्यक्ति है. ज़रूर, जिससे हम याहवेह की इच्छा मालूम कर सकते है, मगर मुझे उससे घृणा है, क्योंकि वह मेरे लिए भली तो नहीं बल्कि बुरी ही भविष्यवाणी करता है, मीकायाह, इमलाह का पुत्र.” यहोशाफ़ात ने इस पर कहा, “राजा का ऐसा कहना सही नहीं है.”
וַיֹּ֣אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֣ל ׀ אֶֽל־יְהוֹשָׁפָ֡ט ע֣וֹד אִישׁ־אֶחָ֡ד לִדְרוֹשׁ֩ אֶת־יְהוָ֨ה מֵֽאֹת֜וֹ וַאֲנִ֣י שְׂנֵאתִ֗יהוּ כִּֽי־אֵ֠ינֶנּוּ מִתְנַבֵּ֨א עָלַ֤י לְטוֹבָה֙ כִּ֣י כָל־יָמָ֣יו לְרָעָ֔ה ה֖וּא מִיכָ֣יְהוּ בֶן־יִמְלָ֑א וַיֹּ֙אמֶר֙ יְה֣וֹשָׁפָ֔ט אַל־יֹאמַ֥ר הַמֶּ֖לֶךְ כֵּֽן׃
8 तब इस्राएल के राजा ने अपने एक अधिकारी को बुलाकर आदेश दिया, “जल्दी ही इमलाह के पुत्र मीकायाह को ले आओ.”
וַיִּקְרָא֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל אֶל־סָרִ֖יס אֶחָ֑ד וַיֹּ֕אמֶר מַהֵ֖ר מִיכָ֥יְהוּ בֶן־יִמְלָֽא׃
9 इस्राएल का राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात शमरिया के फाटक के सामने खुले खलिहान में राजसी वस्त्रों में अपने-अपने सिंहासनों पर बैठे थे. उनके सामने सारे भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी कर रहे थे.
וּמֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֡ל וִֽיהוֹשָׁפָ֣ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֡ה יוֹשְׁבִים֩ אִ֨ישׁ עַל־כִּסְא֜וֹ מְלֻבָּשִׁ֤ים בְּגָדִים֙ וְיֹשְׁבִ֣ים בְּגֹ֔רֶן פֶּ֖תַח שַׁ֣עַר שֹׁמְר֑וֹן וְכָל־הַ֨נְּבִיאִ֔ים מִֽתְנַבְּאִ֖ים לִפְנֵיהֶֽם׃
10 तभी केनानाह का पुत्र सीदकियाहू, जिसने अपने लिए लोहे के सींग बनाए थे, कहने लगा, “यह संदेश याहवेह की ओर से है: ‘इन सींगों के द्वारा आप अरामियों पर इस रीति से वार करेंगे, कि वे खत्म हो जाएंगे.’”
וַיַּ֥עַשׂ ל֛וֹ צִדְקִיָּ֥הוּ בֶֽן־כְּנַעֲנָ֖ה קַרְנֵ֣י בַרְזֶ֑ל וַיֹּ֙אמֶר֙ כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָ֔ה בְּאֵ֛לֶּה תְּנַגַּ֥ח אֶת־אֲרָ֖ם עַד־כַּלּוֹתָֽם׃
11 सारे भविष्यद्वक्ता यही भविष्यवाणी कर रहे थे. “रामोथ-गिलआद पर हमला कीजिए और विजयी हो जाइए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
וְכָל־הַ֨נְּבִאִ֔ים נִבְּאִ֥ים כֵּ֖ן לֵאמֹ֑ר עֲלֵ֞ה רָמֹ֤ת גִּלְעָד֙ וְהַצְלַ֔ח וְנָתַ֥ן יְהוָ֖ה בְּיַ֥ד הַמֶּֽלֶךְ׃
12 जो दूत मीकायाह को लेने गया हुआ था, उसने मीकायाह को आदेश दिया, “सुनो एक साथ सभी भविष्यवक्ताओं का संदेश राजा के लिए अनुकूल है; ऐसा करो कि तुम्हारी भविष्यवाणी भी उनमें से एक के समान ही हो. जो कहो, वह ठीक ही हो.”
וְהַמַּלְאָ֞ךְ אֲשֶׁר־הָלַ֣ךְ ׀ לִקְרֹ֣א לְמִיכָ֗יְהוּ דִּבֶּ֤ר אֵלָיו֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֞ה דִּבְרֵ֧י הַנְּבִאִ֛ים פֶּֽה־אֶחָ֥ד ט֖וֹב אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ וִֽיהִי־נָ֧א דְבָרְךָ֛ כְּאַחַ֥ד מֵהֶ֖ם וְדִבַּ֥רְתָּ טּֽוֹב׃
13 मगर मीकायाह ने कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं सिर्फ वही कहूंगा, जो मेरे परमेश्वर मुझसे कहेंगे.”
וַיֹּ֖אמֶר מִיכָ֑יְהוּ חַי־יְהוָ֕ה כִּ֛י אֶת־אֲשֶׁר־יֹאמַ֥ר אֱלֹהַ֖י אֹת֥וֹ אֲדַבֵּֽר׃
14 जब वह राजा के सामने पहुंचा, राजा ने उससे कहा, “बताओ, मीकायाह, क्या हम रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाएं या नहीं?” मीकायाह ने उत्तर दिया, “जाकर जयवंत हो जाइए! वे आपके अधीन कर दिए जाएंगे.”
וַיָּבֹא֮ אֶל־הַמֶּלֶךְ֒ וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֵלָ֗יו מִיכָה֙ הֲנֵלֵ֞ךְ אֶל־רָמֹ֥ת גִּלְעָ֛ד לַמִּלְחָמָ֖ה אִם־אֶחְדָּ֑ל וַיֹּ֙אמֶר֙ עֲל֣וּ וְהַצְלִ֔יחוּ וְיִנָּתְנ֖וּ בְּיֶדְכֶֽם׃
15 राजा ने मीकायाह से कहा, “मीकायाह, मुझे तुम्हें कितनी बार इसकी शपथ दिलानी होगी कि तुम्हें मुझसे याहवेह के नाम में सच के सिवाय और कुछ भी नहीं कहना है?”
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ הַמֶּ֔לֶךְ עַד־כַּמֶּ֥ה פְעָמִ֖ים אֲנִ֣י מַשְׁבִּיעֶ֑ךָ אֲ֠שֶׁר לֹֽא־תְדַבֵּ֥ר אֵלַ֛י רַק־אֱמֶ֖ת בְּשֵׁ֥ם יְהוָֽה׃
16 तब मीकायाह ने उत्तर दिया, “मैंने सारे इस्राएल को बिन चरवाहे की भेड़ों के समान पहाड़ों पर तितर-बितर देखा. तभी याहवेह ने कहा, ‘इनका तो कोई स्वामी ही नहीं है. हर एक को शांतिपूर्वक अपने-अपने घर लौट जाने दो.’”
וַיֹּ֗אמֶר רָאִ֤יתִי אֶת־כָּל־יִשְׂרָאֵל֙ נְפוֹצִ֣ים עַל־הֶֽהָרִ֔ים כַּצֹּ֕אן אֲשֶׁ֥ר אֵין־לָהֶ֖ן רֹעֶ֑ה וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ לֹֽא־אֲדֹנִ֣ים לָאֵ֔לֶּה יָשׁ֥וּבוּ אִישׁ־לְבֵית֖וֹ בְּשָׁלֽוֹם׃
17 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “देखा? मैंने कहा था न कि यह मेरे लिए भली नहीं बल्कि बुरी भविष्यवाणी ही करेगा?”
וַיֹּ֥אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֖ל אֶל־יְהוֹשָׁפָ֑ט הֲלֹא֙ אָמַ֣רְתִּי אֵלֶ֔יךָ לֹא־יִתְנַבֵּ֥א עָלַ֛י ט֖וֹב כִּ֥י אִם־לְרָֽע׃ ס
18 यह सुन मीकायाह ने कहा, “बहुत बढ़िया! इसलिये अब याहवेह का संदेश सुन लीजिए: मैंने याहवेह को सिंहासन पर बैठे देखा. उनके दाएं और बाएं स्वर्गिक समुदाय खड़े हुए थे.
וַיֹּ֕אמֶר לָכֵ֖ן שִׁמְע֣וּ דְבַר־יְהוָ֑ה רָאִ֤יתִי אֶת־יְהוָה֙ יוֹשֵׁ֣ב עַל־כִּסְא֔וֹ וְכָל־צְבָ֤א הַשָּׁמַ֙יִם֙ עֹֽמְדִ֔ים עַל־יְמִינ֖וֹ וּשְׂמֹאלֽוֹ׃
19 याहवेह ने वहां प्रश्न किया, ‘यहां कौन है, जो इस्राएल के राजा अहाब को ऐसे लुभाएगा कि वह रामोथ-गिलआद जाए और वहां जाकर मारा जाए?’ “किसी ने वहां कुछ उत्तर दिया और किसी ने कुछ और.
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָ֗ה מִ֤י יְפַתֶּה֙ אֶת־אַחְאָ֣ב מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֔ל וְיַ֕עַל וְיִפֹּ֖ל בְּרָמ֣וֹת גִּלְעָ֑ד וַיֹּ֕אמֶר זֶ֚ה אֹמֵ֣ר כָּ֔כָה וְזֶ֖ה אֹמֵ֥ר כָּֽכָה׃
20 तब वहां एक आत्मा आकर याहवेह के सामने खड़ी होकर यह कहने लगी, ‘मैं उसे लुभाऊंगी.’ “याहवेह ने पूछा, ‘कैसे?’
וַיֵּצֵ֣א הָר֗וּחַ וַֽיַּעֲמֹד֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה וַיֹּ֖אמֶר אֲנִ֣י אֲפַתֶּ֑נּוּ וַיֹּ֧אמֶר יְהוָ֛ה אֵלָ֖יו בַּמָּֽה׃
21 “उसने उत्तर दिया, ‘मैं जाकर राजा के सभी भविष्यवक्ताओं के मुख में झूठी आत्मा बन जाऊंगी.’ “‘इस पर याहवेह ने कहा, तुम्हें इसमें सफल भी होना होगा. जाओ और यही करो.’
וַיֹּ֗אמֶר אֵצֵא֙ וְהָיִ֙יתִי֙ לְר֣וּחַ שֶׁ֔קֶר בְּפִ֖י כָּל־נְבִיאָ֑יו וַיֹּ֗אמֶר תְּפַתֶּה֙ וְגַם־תּוּכָ֔ל צֵ֖א וַעֲשֵׂה־כֵֽן׃
22 “इसलिये देख लीजिए, याहवेह ने इन सारे भविष्यवक्ताओं के मुंह में छल का एक आत्मा डाल रखा है. आपके लिए याहवेह ने सर्वनाश की घोषणा कर दी है.”
וְעַתָּ֗ה הִנֵּ֨ה נָתַ֤ן יְהוָה֙ ר֣וּחַ שֶׁ֔קֶר בְּפִ֖י נְבִיאֶ֣יךָ אֵ֑לֶּה וַֽיהוָ֔ה דִּבֶּ֥ר עָלֶ֖יךָ רָעָֽה׃ ס
23 यह सुन केनानाह का पुत्र सीदकियाहू सामने आया और मीकायाह के गाल पर मारते हुए कहने लगा, “याहवेह का आत्मा मुझमें से निकलकर तुमसे बातचीत करने किस प्रकार जा पहुंचा?”
וַיִּגַּשׁ֙ צִדְקִיָּ֣הוּ בֶֽן־כְּנַעֲנָ֔ה וַיַּ֥ךְ אֶת־מִיכָ֖יְהוּ עַל־הַלֶּ֑חִי וַיֹּ֗אמֶר אֵ֣י זֶ֤ה הַדֶּ֙רֶךְ֙ עָבַ֧ר רֽוּחַ־יְהוָ֛ה מֵאִתִּ֖י לְדַבֵּ֥ר אֹתָֽךְ׃
24 मीकायाह ने उसे उत्तर दिया, “तुम यह देख लेना, जब उस दिन तुम छिपने के लिए भीतर के कमरे में शरण लोगे.”
וַיֹּ֣אמֶר מִיכָ֔יְהוּ הִנְּךָ֥ רֹאֶ֖ה בַּיּ֣וֹם הַה֑וּא אֲשֶׁ֥ר תָּב֛וֹא חֶ֥דֶר בְּחֶ֖דֶר לְהֵחָבֵֽא׃
25 इस्राएल के राजा ने कहा, “पकड़ लो, मीकायाह को! उसे नगर के हाकिम अमोन और राजकुमार योआश के पास ले जाओ.
וַיֹּ֙אמֶר֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל קְחוּ֙ אֶת־מִיכָ֔יְהוּ וַהֲשִׁיבֻ֖הוּ אֶל־אָמ֣וֹן שַׂר־הָעִ֑יר וְאֶל־יוֹאָ֖שׁ בֶּן־הַמֶּֽלֶךְ׃
26 उनसे कहना, ‘यह राजा का आदेश है: “इस व्यक्ति को जेल में डाल दो और इसे उस समय तक ज़रा सा ही भोजन और पानी देना, जब तक मैं सुरक्षित न लौट आऊं.”’”
וַאֲמַרְתֶּ֗ם כֹּ֚ה אָמַ֣ר הַמֶּ֔לֶךְ שִׂ֥ימוּ זֶ֖ה בֵּ֣ית הַכֶּ֑לֶא וְהַאֲכִלֻ֜הוּ לֶ֤חֶם לַ֙חַץ֙ וּמַ֣יִם לַ֔חַץ עַ֖ד שׁוּבִ֥י בְשָׁלֽוֹם׃
27 इस पर मीकायाह ने कहा, “यदि आप सच में सकुशल लौट आएं, तो यह समझ लीजिए कि याहवेह ने मेरे द्वारा यह सब प्रकट किया ही नहीं है.” और फिर भीड़ से उसने कहा, “आप सब भी यह सुन लीजिए!”
וַיֹּ֣אמֶר מִיכָ֔יְהוּ אִם־שׁ֤וֹב תָּשׁוּב֙ בְּשָׁל֔וֹם לֹא־דִבֶּ֥ר יְהוָ֖ה בִּ֑י וַיֹּ֕אמֶר שִׁמְע֖וּ עַמִּ֥ים כֻּלָּֽם׃ פ
28 फिर भी इस्राएल के राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने रामोथ-गिलआद पर हमला कर दिया.
וַיַּ֧עַל מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֛ל וִֽיהוֹשָׁפָ֥ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה אֶל־רָמֹ֥ת גִּלְעָֽד׃
29 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैं भेष बदलकर युद्ध-भूमि में जाऊंगा, मगर आप अपनी राजसी वेशभूषा ही पहने रहिए.” इस्राएल का राजा भेष बदलकर युद्ध-भूमि में गया.
וַיֹּאמֶר֩ מֶ֨לֶךְ יִשְׂרָאֵ֜ל אֶל־יְהוֹשָׁפָ֗ט הִתְחַפֵּשׂ֙ וָב֣וֹא בַמִּלְחָמָ֔ה וְאַתָּ֖ה לְבַ֣שׁ בְּגָדֶ֑יךָ וַיִּתְחַפֵּשׂ֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל וַיָּבֹ֖אוּ בַּמִּלְחָמָֽה׃
30 अराम के राजा ने अपनी रथ सेना के प्रधानों को आदेश दे रखा था, “युद्ध न तो साधारण सैनिकों से करना और न मुख्य अधिकारियों से सिर्फ इस्राएल के राजा को निशाना बनाना.”
וּמֶ֣לֶךְ אֲרָ֡ם צִוָּה֩ אֶת־שָׂרֵ֨י הָרֶ֤כֶב אֲשֶׁר־לוֹ֙ לֵאמֹ֔ר לֹ֚א תִּלָּ֣חֲמ֔וּ אֶת־הַקָּטֹ֖ן אֶת־הַגָּד֑וֹל כִּ֛י אִֽם־אֶת־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵ֖ל לְבַדּֽוֹ׃
31 जब रथों के सेनापतियों की नज़र यहोशाफ़ात पर पड़ी, वे समझे वह इस्राएल का राजा है. वे उसी पर वार करने आगे बढ़े. यहोशाफ़ात चिल्ला उठा. याहवेह ने उसकी सहायता की और परमेश्वर उन्हें यहोशाफ़ात से दूर ले गए.
וַיְהִ֡י כִּרְאוֹת֩ שָׂרֵ֨י הָרֶ֜כֶב אֶת־יְהוֹשָׁפָ֗ט וְהֵ֤מָּה אָֽמְרוּ֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֣ל ה֔וּא וַיָּסֹ֥בּוּ עָלָ֖יו לְהִלָּחֵ֑ם וַיִּזְעַ֤ק יְהֽוֹשָׁפָט֙ וַֽיהוָ֣ה עֲזָר֔וֹ וַיְסִיתֵ֥ם אֱלֹהִ֖ים מִמֶּֽנּוּ׃
32 जब प्रधानों ने देखा कि वह इस्राएल का राजा नहीं था, उन्होंने उसका पीछा करना छोड़ दिया.
וַיְהִ֗י כִּרְאוֹת֙ שָׂרֵ֣י הָרֶ֔כֶב כִּ֥י לֹא־הָיָ֖ה מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֑ל וַיָּשֻׁ֖בוּ מֵאַחֲרָֽיו׃
33 किसी एक सैनिक ने बिना विचारे, बिना किसी लक्ष्य के एक बाण छोड़ दिया. यह बाण वहां जा लगा, जहां इस्राएल के राजा की कवच और कमरबंध का जोड़ था. तब राजा ने सारथी को आदेश दिया, “रथ को मोड़कर युद्ध-भूमि से बाहर चलो, क्योंकि मेरा घाव गहरा है.”
וְאִ֗ישׁ מָשַׁ֤ךְ בַּקֶּ֙שֶׁת֙ לְתֻמּ֔וֹ וַיַּךְ֙ אֶת־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל בֵּ֥ין הַדְּבָקִ֖ים וּבֵ֣ין הַשִּׁרְיָ֑ן וַיֹּ֣אמֶר לָֽרַכָּ֗ב הֲפֹ֧ךְ יָדְךָ֛ וְהוֹצֵאתַ֥נִי מִן־הַֽמַּחֲנֶ֖ה כִּ֥י הָחֳלֵֽיתִי׃
34 उस दिन युद्ध घमासान होता गया. इस्राएल का राजा अपने रथ में अरामियों को दिखाने के उद्देश्य से शाम तक बाण से टिका रहा. शाम को उसकी मृत्यु हो गई.
וַתַּ֤עַל הַמִּלְחָמָה֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא וּמֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֗ל הָיָ֨ה מַעֲמִ֧יד בַּמֶּרְכָּבָ֛ה נֹ֥כַח אֲרָ֖ם עַד־הָעָ֑רֶב וַיָּ֕מָת לְעֵ֖ת בּ֥וֹא הַשָּֽׁמֶשׁ׃

< 2 इतिहास 18 >