< 2 इतिहास 18 >
1 यहोशाफ़ात अब समृद्ध और सम्मान्य हो चुका था. उसने विवाह के द्वारा अहाब से संबंध बना लिए.
Now Jehoshaphat had riches and honor in abundance; and he allied himself with Ahab.
2 इसके कुछ साल बाद यहोशाफ़ात अहाब से भेंट करने शमरिया गया. यहोशाफ़ात और उसके संगियों के सम्मान में भोज के लिए अहाब ने अनेक भेड़ों और बछड़ों का वध किया. इसके द्वारा अहाब ने उन्हें रामोथ-गिलआद पर हमला करने के लिए उकसाया.
After some years, he went down to Ahab to Samaria. Ahab killed sheep and cattle for him in abundance, and for the people who were with him, and moved him to go up with him to Ramoth Gilead.
3 इस्राएल के राजा अहाब ने यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात से कहा, “क्या आप मेरे साथ रामोथ-गिलआद पर हमला करने चलेंगे?” यहोशाफ़ात ने उसे उत्तर दिया, “मैं आपके साथ हूं, मेरी प्रजा आपकी प्रजा है हम युद्ध में आपका साथ देंगे.”
Ahab king of Israel said to Jehoshaphat king of Judah, “Will you go with me to Ramoth Gilead?” He answered him, “I am as you are, and my people as your people. We will be with you in the war.”
4 यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा से कहा, “सबसे पहले याहवेह की इच्छा मालूम कर लें.”
Jehoshaphat said to the king of Israel, “Please inquire first for the LORD’s word.”
5 तब इस्राएल के राजा ने भविष्यवक्ताओं को इकट्ठा किया. ये चार सौ व्यक्ति थे. उसने भविष्यवक्ताओं से प्रश्न किया, “मैं रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाऊं, या यह विचार छोड़ दूं?” उन्होंने उत्तर दिया, “आप जाइए, क्योंकि परमेश्वर उसे राजा के अधीन कर देंगे.”
Then the king of Israel gathered the prophets together, four hundred men, and said to them, “Shall we go to Ramoth Gilead to battle, or shall I forbear?” They said, “Go up, for God will deliver it into the hand of the king.”
6 मगर यहोशाफ़ात ने प्रश्न किया, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं, जिससे हम यह मालूम कर सकें?”
But Jehoshaphat said, “Is not there here a prophet of the LORD besides, that we may inquire of him?”
7 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात को उत्तर दिया, “एक व्यक्ति है. ज़रूर, जिससे हम याहवेह की इच्छा मालूम कर सकते है, मगर मुझे उससे घृणा है, क्योंकि वह मेरे लिए भली तो नहीं बल्कि बुरी ही भविष्यवाणी करता है, मीकायाह, इमलाह का पुत्र.” यहोशाफ़ात ने इस पर कहा, “राजा का ऐसा कहना सही नहीं है.”
The king of Israel said to Jehoshaphat, “There is yet one man by whom we may inquire of the LORD; but I hate him, for he never prophesies good concerning me, but always evil. He is Micaiah the son of Imla.” Jehoshaphat said, “Do not let the king say so.”
8 तब इस्राएल के राजा ने अपने एक अधिकारी को बुलाकर आदेश दिया, “जल्दी ही इमलाह के पुत्र मीकायाह को ले आओ.”
Then the king of Israel called an officer, and said, “Get Micaiah the son of Imla quickly.”
9 इस्राएल का राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात शमरिया के फाटक के सामने खुले खलिहान में राजसी वस्त्रों में अपने-अपने सिंहासनों पर बैठे थे. उनके सामने सारे भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी कर रहे थे.
Now the king of Israel and Jehoshaphat the king of Judah each sat on his throne, arrayed in their robes, and they were sitting in an open place at the entrance of the gate of Samaria; and all the prophets were prophesying before them.
10 तभी केनानाह का पुत्र सीदकियाहू, जिसने अपने लिए लोहे के सींग बनाए थे, कहने लगा, “यह संदेश याहवेह की ओर से है: ‘इन सींगों के द्वारा आप अरामियों पर इस रीति से वार करेंगे, कि वे खत्म हो जाएंगे.’”
Zedekiah the son of Chenaanah made himself horns of iron and said, “The LORD says, ‘With these you shall push the Syrians, until they are consumed.’”
11 सारे भविष्यद्वक्ता यही भविष्यवाणी कर रहे थे. “रामोथ-गिलआद पर हमला कीजिए और विजयी हो जाइए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
All the prophets prophesied so, saying, “Go up to Ramoth Gilead, and prosper; for the LORD will deliver it into the hand of the king.”
12 जो दूत मीकायाह को लेने गया हुआ था, उसने मीकायाह को आदेश दिया, “सुनो एक साथ सभी भविष्यवक्ताओं का संदेश राजा के लिए अनुकूल है; ऐसा करो कि तुम्हारी भविष्यवाणी भी उनमें से एक के समान ही हो. जो कहो, वह ठीक ही हो.”
The messenger who went to call Micaiah spoke to him, saying, “Behold, the words of the prophets declare good to the king with one mouth. Let your word therefore, please be like one of theirs, and speak good.”
13 मगर मीकायाह ने कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं सिर्फ वही कहूंगा, जो मेरे परमेश्वर मुझसे कहेंगे.”
Micaiah said, “As the LORD lives, I will say what my God says.”
14 जब वह राजा के सामने पहुंचा, राजा ने उससे कहा, “बताओ, मीकायाह, क्या हम रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाएं या नहीं?” मीकायाह ने उत्तर दिया, “जाकर जयवंत हो जाइए! वे आपके अधीन कर दिए जाएंगे.”
When he had come to the king, the king said to him, “Micaiah, shall we go to Ramoth Gilead to battle, or shall I forbear?” He said, “Go up, and prosper. They shall be delivered into your hand.”
15 राजा ने मीकायाह से कहा, “मीकायाह, मुझे तुम्हें कितनी बार इसकी शपथ दिलानी होगी कि तुम्हें मुझसे याहवेह के नाम में सच के सिवाय और कुछ भी नहीं कहना है?”
The king said to him, “How many times shall I adjure you that you speak to me nothing but the truth in the LORD’s name?”
16 तब मीकायाह ने उत्तर दिया, “मैंने सारे इस्राएल को बिन चरवाहे की भेड़ों के समान पहाड़ों पर तितर-बितर देखा. तभी याहवेह ने कहा, ‘इनका तो कोई स्वामी ही नहीं है. हर एक को शांतिपूर्वक अपने-अपने घर लौट जाने दो.’”
He said, “I saw all Israel scattered on the mountains, as sheep that have no shepherd. The LORD said, ‘These have no master. Let them each return to his house in peace.’”
17 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “देखा? मैंने कहा था न कि यह मेरे लिए भली नहीं बल्कि बुरी भविष्यवाणी ही करेगा?”
The king of Israel said to Jehoshaphat, “Did not I tell you that he would not prophesy good concerning me, but evil?”
18 यह सुन मीकायाह ने कहा, “बहुत बढ़िया! इसलिये अब याहवेह का संदेश सुन लीजिए: मैंने याहवेह को सिंहासन पर बैठे देखा. उनके दाएं और बाएं स्वर्गिक समुदाय खड़े हुए थे.
Micaiah said, “Therefore hear the LORD’s word: I saw the LORD sitting on his throne, and all the army of heaven standing on his right hand and on his left.
19 याहवेह ने वहां प्रश्न किया, ‘यहां कौन है, जो इस्राएल के राजा अहाब को ऐसे लुभाएगा कि वह रामोथ-गिलआद जाए और वहां जाकर मारा जाए?’ “किसी ने वहां कुछ उत्तर दिया और किसी ने कुछ और.
The LORD said, ‘Who will entice Ahab king of Israel, that he may go up and fall at Ramoth Gilead?’ One spoke saying in this way, and another saying in that way.
20 तब वहां एक आत्मा आकर याहवेह के सामने खड़ी होकर यह कहने लगी, ‘मैं उसे लुभाऊंगी.’ “याहवेह ने पूछा, ‘कैसे?’
A spirit came out, stood before the LORD, and said, ‘I will entice him.’ “The LORD said to him, ‘How?’
21 “उसने उत्तर दिया, ‘मैं जाकर राजा के सभी भविष्यवक्ताओं के मुख में झूठी आत्मा बन जाऊंगी.’ “‘इस पर याहवेह ने कहा, तुम्हें इसमें सफल भी होना होगा. जाओ और यही करो.’
“He said, ‘I will go, and will be a lying spirit in the mouth of all his prophets.’ “He said, ‘You will entice him, and will prevail also. Go and do so.’
22 “इसलिये देख लीजिए, याहवेह ने इन सारे भविष्यवक्ताओं के मुंह में छल का एक आत्मा डाल रखा है. आपके लिए याहवेह ने सर्वनाश की घोषणा कर दी है.”
“Now therefore, behold, the LORD has put a lying spirit in the mouth of these your prophets; and the LORD has spoken evil concerning you.”
23 यह सुन केनानाह का पुत्र सीदकियाहू सामने आया और मीकायाह के गाल पर मारते हुए कहने लगा, “याहवेह का आत्मा मुझमें से निकलकर तुमसे बातचीत करने किस प्रकार जा पहुंचा?”
Then Zedekiah the son of Chenaanah came near, and struck Micaiah on the cheek, and said, “Which way did the LORD’s Spirit go from me to speak to you?”
24 मीकायाह ने उसे उत्तर दिया, “तुम यह देख लेना, जब उस दिन तुम छिपने के लिए भीतर के कमरे में शरण लोगे.”
Micaiah said, “Behold, you shall see on that day, when you go into an inner room to hide yourself.”
25 इस्राएल के राजा ने कहा, “पकड़ लो, मीकायाह को! उसे नगर के हाकिम अमोन और राजकुमार योआश के पास ले जाओ.
The king of Israel said, “Take Micaiah, and carry him back to Amon the governor of the city, and to Joash the king’s son;
26 उनसे कहना, ‘यह राजा का आदेश है: “इस व्यक्ति को जेल में डाल दो और इसे उस समय तक ज़रा सा ही भोजन और पानी देना, जब तक मैं सुरक्षित न लौट आऊं.”’”
and say, ‘The king says, “Put this fellow in the prison, and feed him with bread of affliction and with water of affliction, until I return in peace.”’”
27 इस पर मीकायाह ने कहा, “यदि आप सच में सकुशल लौट आएं, तो यह समझ लीजिए कि याहवेह ने मेरे द्वारा यह सब प्रकट किया ही नहीं है.” और फिर भीड़ से उसने कहा, “आप सब भी यह सुन लीजिए!”
Micaiah said, “If you return at all in peace, the LORD has not spoken by me.” He said, “Listen, you people, all of you!”
28 फिर भी इस्राएल के राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने रामोथ-गिलआद पर हमला कर दिया.
So the king of Israel and Jehoshaphat the king of Judah went up to Ramoth Gilead.
29 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैं भेष बदलकर युद्ध-भूमि में जाऊंगा, मगर आप अपनी राजसी वेशभूषा ही पहने रहिए.” इस्राएल का राजा भेष बदलकर युद्ध-भूमि में गया.
The king of Israel said to Jehoshaphat, “I will disguise myself, and go into the battle; but you put on your robes.” So the king of Israel disguised himself; and they went into the battle.
30 अराम के राजा ने अपनी रथ सेना के प्रधानों को आदेश दे रखा था, “युद्ध न तो साधारण सैनिकों से करना और न मुख्य अधिकारियों से सिर्फ इस्राएल के राजा को निशाना बनाना.”
Now the king of Syria had commanded the captains of his chariots, saying, “Do not fight with small nor great, except only with the king of Israel.”
31 जब रथों के सेनापतियों की नज़र यहोशाफ़ात पर पड़ी, वे समझे वह इस्राएल का राजा है. वे उसी पर वार करने आगे बढ़े. यहोशाफ़ात चिल्ला उठा. याहवेह ने उसकी सहायता की और परमेश्वर उन्हें यहोशाफ़ात से दूर ले गए.
When the captains of the chariots saw Jehoshaphat, they said, “It is the king of Israel!” Therefore they turned around to fight against him. But Jehoshaphat cried out, and the LORD helped him; and God moved them to depart from him.
32 जब प्रधानों ने देखा कि वह इस्राएल का राजा नहीं था, उन्होंने उसका पीछा करना छोड़ दिया.
When the captains of the chariots saw that it was not the king of Israel, they turned back from pursuing him.
33 किसी एक सैनिक ने बिना विचारे, बिना किसी लक्ष्य के एक बाण छोड़ दिया. यह बाण वहां जा लगा, जहां इस्राएल के राजा की कवच और कमरबंध का जोड़ था. तब राजा ने सारथी को आदेश दिया, “रथ को मोड़कर युद्ध-भूमि से बाहर चलो, क्योंकि मेरा घाव गहरा है.”
A certain man drew his bow at random, and struck the king of Israel between the joints of the armor. Therefore he said to the driver of the chariot, “Turn around and carry me out of the battle, for I am severely wounded.”
34 उस दिन युद्ध घमासान होता गया. इस्राएल का राजा अपने रथ में अरामियों को दिखाने के उद्देश्य से शाम तक बाण से टिका रहा. शाम को उसकी मृत्यु हो गई.
The battle increased that day. However, the king of Israel propped himself up in his chariot against the Syrians until the evening; and at about sunset, he died.