< 1 तीमुथियुस 4 >

1 पवित्र आत्मा का स्पष्ट कथन यह है कि अंत के समय में कुछ व्यक्ति विश्वास का त्याग कर देंगे और वे धूर्त आत्माओं तथा दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाएंगे.
إِلَّا أَنَّ الرُّوحَ يُعْلِنُ صَرَاحَةً أَنَّ قَوْماً فِي الأَزْمِنَةِ الأَخِيرَةِ سَوْفَ يَرْتَدُّونَ عَنِ الإِيمَانِ، مُنْسَاقِينَ وَرَاءَ أَرْوَاحٍ مُضَلِّلَةٍ وَتَعَالِيمَ شَيْطَانِيَّةٍ،١
2 यह उन झूठे मनुष्यों के दिखावे की शिक्षाओं के कारण होगा, जिनके विवेक में मानो जलते हुए लोहे से मुहर लगा दी गई हों.
فِي مَوْجَةِ رِيَاءٍ يَنْشُرُهَا مُعَلِّمُونَ دَجَّالُونَ لَهُمْ ضَمَائِرُ كُوِيَتْ بِالنَّارِ.٢
3 ये वे हैं, जो विवाह करने से रोकते हैं, भोजन पदार्थों को भी त्यागने की मांग करते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों और सच्चाई को जानने वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए इसलिये बनाया है कि धन्यवाद के साथ मिलजुल कर खाया जाएं.
يُحَرِّمُونَ الزَّوَاجَ، وَيَأْمُرُونَ بِالامْتِنَاعِ عَنْ أَطْعِمَةٍ خَلَقَهَا اللهُ لِيَتَنَاوَلَهَا الْمُؤْمِنُونَ وَعَارِفُو الْحَقِّ شَاكِرِينَ.٣
4 परमेश्वर की बनाई हुई हर एक वस्तु अच्छी है, कोई भी वस्तु अस्वीकार करने योग्य नहीं—यदि उसे धन्यवाद के साथ स्वीकार किया जाएं,
فَإِنَّ كُلَّ مَا خَلَقَهُ اللهُ جَيِّدٌ، وَلا شَيْءَ مِنْهُ يُرْفَضُ إِذَا تَنَاوَلَهُ الإِنْسَانُ شَاكِراً؛٤
5 क्योंकि वह परमेश्वर के वचन तथा प्रार्थना द्वारा शुद्ध की जाती है.
لأَنَّهُ يَصِيرُ مُقَدَّساً بِكَلِمَةِ اللهِ وَالصَّلاةِ.٥
6 विश्वासी भाई बहनों को इन बातों का अहसास कराने के द्वारा तुम स्वयं को मसीह येशु का आदर्श सेवक साबित करोगे, जिसका पोषण निरंतर विश्वास के वचन तथा अच्छे उपदेशों की बातों के द्वारा होता है, जिसका तुम पालन करते आए हो.
إِنْ بَسَطْتَ هَذِهِ الأُمُورَ أَمَامَ الإِخْوَةِ، كُنْتَ خَادِماً صَالِحاً لِلْمَسِيحِ يَسُوعَ، مُتَغَذِّياً بِكَلامِ الإِيمَانِ وَالتَّعْلِيمِ الصَّالِحِ الَّذِي اتَّبَعْتَهُ تَمَاماً.٦
7 सांसारिक तथा काल्पनिक कथाओं से दूर रहो, इसके विपरीत तुम अपने आपको परमेश्वर की भक्ति के लिए अनुशासित कर लो.
أَمَّا أَسَاطِيرُ الْعَجَائِزِ الْمُبْتَذَلَةُ، فَتَجَنَّبْهَا. إِنَّمَا مَرِّنْ نَفْسَكَ فِي طَرِيقِ التَّقْوَى.٧
8 शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.
فَالرِّيَاضَةُ الْبَدَنِيَّةُ نَافِعَةٌ بَعْضَ الشَّيْءِ. أَمَّا التَّقْوَى فَنَافِعَةٌ لِكُلِّ شَيْءٍ، لأَنَّ فِيهَا وَعْداً بِالْحَيَاةِ الْحَاضِرَةِ وَالآتِيَةِ.٨
9 यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है:
مَا أَصْدَقَ هَذَا الْقَوْلَ، وَمَا أَجْدَرَهُ بِالتَّصْدِيقِ!٩
10 हम उसी के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करते हैं क्योंकि हमने अपनी आशा जीवित परमेश्वर पर लगाई है, जो सब मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं, विशेषकर उनके, जो विश्वास करते हैं.
فَإِنَّنَا لأَجْلِ هَذَا نَعْمَلُ بِاجْتِهَادٍ وَنُقَاسِي التَّعْيِيرَ، لأَنَّنَا وَضَعْنَا رَجَاءَنَا فِي اللهِ الْحَيِّ، حَافِظِ جَمِيعِ النَّاسِ، وَبِالأَخَصِّ الْمُؤْمِنِينَ.١٠
11 तुम्हारे आदेशों और शिक्षाओं के विषय ये ही हों.
أَوْصِ بِهذِهِ الأُمُورِ وَعَلِّمْ!١١
12 तुलना में कम आयु के कारण कोई तुम्हें तुच्छ न समझे परंतु बातचीत, स्वभाव, प्रेम, विश्वास तथा पवित्रता में मसीह के विश्वासियों का आदर्श बनो.
لَا يَسْتَخِفْ أَحَدٌ بِحَدَاثَةِ سِنِّكَ. وَإِنَّمَا كُنْ قُدْوَةً لِلْمُؤْمِنِينَ، فِي الْكَلامِ وَالسُّلُوكِ وَالْمَحَبَّةِ وَالإِيمَانِ وَالطَّهَارَةِ.١٢
13 मेरे वहां पहुंचने तक पवित्र शास्त्र के सार्वजनिक रीति से पढ़ने, उपदेश तथा शिक्षा पाने में लीन रहो.
إِلَى حِينِ وُصُولِي، انْصَرِفْ إِلَى قِرَاءَةِ الْكِتَابِ، وَإِلَى الْوَعْظِ، وَإِلَى التَّعْلِيمِ.١٣
14 अंदर बसे हुए पवित्र आत्मा द्वारा दी गई क्षमता की उपेक्षा न करो, जो तुम्हें भविष्यवाणी के द्वारा उस समय प्रदान की गई, जब कलीसिया के पुरनियों ने तुम पर हाथ रखे.
لَا تُهْمِلِ الْمَوْهِبَةَ الْخَاصَّةَ الَّتِي فِيكَ، الَّتِي أُعْطِيَتْ لَكَ بِالتَّنَبُّوءِ وَوَضْعِ الشُّيُوخِ أَيْدِيَهُمْ عَلَيْكَ.١٤
15 इन निर्देशों पर विशेष ध्यान दो, इनमें लीन हो जाओ कि तुम्हारी उन्‍नति सब पर प्रकट हो जाए.
انْصَرِفْ إِلَى هذِهِ الأُمُورِ، وَانْشَغِلْ بِها كُلِّيًّا، لِيَكُونَ تَقَدُّمُكَ وَاضِحاً لِلْجَمِيعِ.١٥
16 अपने जीवन और शिक्षा का पूरी शक्ति से ध्यान रखो. इसमें लगातार चौकस रहो क्योंकि तुम ऐसा करने के द्वारा दोनों का उद्धार निश्चित करोगे—स्वयं अपना तथा अपने सुननेवालों का.
انْتَبِهْ جَيِّداً لِنَفْسِكَ وَلِلتَّعْلِيمِ. فَإِنَّكَ إِذْ تُوَاظِبُ عَلَى ذَلِكَ، تُنْقِذُ نَفْسَكَ وَسَامِعِيكَ أَيْضاً.١٦

< 1 तीमुथियुस 4 >