< 1 शमूएल 25 >
1 शमुएल की मृत्यु हो गई. सारा इस्राएलियों ने एकत्र होकर उनके लिए विलाप किया; उन्हें उनके गृहनगर रामाह में गाड़ दिया. इसके बाद दावीद पारान के निर्जन प्रदेश में जाकर रहने लगे.
καὶ ἀπέθανεν Σαμουηλ καὶ συναθροίζονται πᾶς Ισραηλ καὶ κόπτονται αὐτὸν καὶ θάπτουσιν αὐτὸν ἐν οἴκῳ αὐτοῦ ἐν Αρμαθαιμ καὶ ἀνέστη Δαυιδ καὶ κατέβη εἰς τὴν ἔρημον Μααν
2 कालेब के कुल का एक व्यक्ति था, वह माओन नगर का निवासी था. कर्मेल नगर के निकट वह एक भूखण्ड का स्वामी था. वह बहुत ही धनी व्यक्ति था. उसके तीन हज़ार भेड़ें, तथा एक हज़ार बकरियां थी.
καὶ ἦν ἄνθρωπος ἐν τῇ Μααν καὶ τὰ ποίμνια αὐτοῦ ἐν τῷ Καρμήλῳ καὶ ὁ ἄνθρωπος μέγας σφόδρα καὶ τούτῳ ποίμνια τρισχίλια καὶ αἶγες χίλιαι καὶ ἐγενήθη ἐν τῷ κείρειν τὸ ποίμνιον αὐτοῦ ἐν τῷ Καρμήλῳ
3 उसका नाम नाबाल था और उसकी अबीगइल नामक पत्नी थी, जो बहुत ही रूपवती एवं विदुषी थी. मगर वह स्वयं बहुत ही नीच, क्रूर तथा क्रुद्ध प्रकृति का था.
καὶ ὄνομα τῷ ἀνθρώπῳ Ναβαλ καὶ ὄνομα τῇ γυναικὶ αὐτοῦ Αβιγαια καὶ ἡ γυνὴ αὐτοῦ ἀγαθὴ συνέσει καὶ καλὴ τῷ εἴδει σφόδρα καὶ ὁ ἄνθρωπος σκληρὸς καὶ πονηρὸς ἐν ἐπιτηδεύμασιν καὶ ὁ ἄνθρωπος κυνικός
4 इस समय दावीद निर्जन प्रदेश में थे, और उन्हें मालूम हुआ कि नाबाल भेड़ों का ऊन क़तर रहा है.
καὶ ἤκουσεν Δαυιδ ἐν τῇ ἐρήμῳ ὅτι κείρει Ναβαλ ὁ Καρμήλιος τὸ ποίμνιον αὐτοῦ
5 तब दावीद ने वहां दस नवयुवक भेज दिए और उन्हें यह आदेश दिया, “नाबाल से भेंटकरने कर्मेल नगर चले जाओ और उसे मेरी ओर से शुभकामनाएं तथा अभिवंदन प्रस्तुत करना.
καὶ Δαυιδ ἀπέστειλεν δέκα παιδάρια καὶ εἶπεν τοῖς παιδαρίοις ἀνάβητε εἰς Κάρμηλον καὶ ἀπέλθατε πρὸς Ναβαλ καὶ ἐρωτήσατε αὐτὸν ἐπὶ τῷ ὀνόματί μου εἰς εἰρήνην
6 तब तुम उससे कहना: ‘आप पर तथा आपके परिवार पर शांति स्थिर रहें! आप चिरायु हों! आपकी सारी संपत्ति पर समृद्धि बनी रहे!
καὶ ἐρεῖτε τάδε εἰς ὥρας καὶ σὺ ὑγιαίνων καὶ ὁ οἶκός σου καὶ πάντα τὰ σὰ ὑγιαίνοντα
7 “‘मुझे यह समाचार प्राप्त हुआ है कि आपकी भेड़ों का ऊन क़तरा जा रहा है. जब आपके चरवाहे हमारे साथ थे, सारे समय जब वे कर्मेल में थे, हमने न तो उन्हें अपमानित किया, न उन्हें कोई हानि पहुंचाई है.
καὶ νῦν ἰδοὺ ἀκήκοα ὅτι κείρουσίν σοι νῦν οἱ ποιμένες σου οἳ ἦσαν μεθ’ ἡμῶν ἐν τῇ ἐρήμῳ καὶ οὐκ ἀπεκωλύσαμεν αὐτοὺς καὶ οὐκ ἐνετειλάμεθα αὐτοῖς οὐθὲν πάσας τὰς ἡμέρας ὄντων αὐτῶν ἐν Καρμήλῳ
8 आप स्वयं अपने सेवकों से इस विषय में पूछ सकते हैं. आपकी कृपा हम पर बनी रहे. हम आपकी सेवा में उत्सव के मौके पर आए हैं. कृपया अपने सेवकों को, तथा अपने पुत्र समान सेवक दावीद को, जो कुछ आपको सही लगे, दे दीजिए.’”
ἐρώτησον τὰ παιδάριά σου καὶ ἀπαγγελοῦσίν σοι καὶ εὑρέτωσαν τὰ παιδάρια χάριν ἐν ὀφθαλμοῖς σου ὅτι ἐφ’ ἡμέραν ἀγαθὴν ἥκομεν δὸς δὴ ὃ ἐὰν εὕρῃ ἡ χείρ σου τῷ υἱῷ σου τῷ Δαυιδ
9 दावीद के नवयुवक साथी वहां गए, और दावीद की ओर से नाबाल को यह संदेश दे दिया, और वे नाबाल के प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगे.
καὶ ἔρχονται τὰ παιδάρια καὶ λαλοῦσιν τοὺς λόγους τούτους πρὸς Ναβαλ κατὰ πάντα τὰ ῥήματα ταῦτα ἐν τῷ ὀνόματι Δαυιδ καὶ ἀνεπήδησεν
10 “कौन है यह दावीद?” नाबाल ने दावीद के साथियों को उत्तर दिया, “और कौन है यह यिशै का पुत्र? कैसा समय आ गया है, जो सारे दास अपने स्वामियों को छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं.
καὶ ἀπεκρίθη Ναβαλ τοῖς παισὶν Δαυιδ καὶ εἶπεν τίς ὁ Δαυιδ καὶ τίς ὁ υἱὸς Ιεσσαι σήμερον πεπληθυμμένοι εἰσὶν οἱ δοῦλοι ἀναχωροῦντες ἕκαστος ἐκ προσώπου τοῦ κυρίου αὐτοῦ
11 अब क्या मेरे लिए यही शेष रह गया है कि मैं अपने सेवकों के हिस्से का भोजन लेकर इन लोगों को दे दूं? मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि ये लोग कौन हैं, और कहां से आए हैं?”
καὶ λήμψομαι τοὺς ἄρτους μου καὶ τὸν οἶνόν μου καὶ τὰ θύματά μου ἃ τέθυκα τοῖς κείρουσίν μου τὰ πρόβατα καὶ δώσω αὐτὰ ἀνδράσιν οἷς οὐκ οἶδα πόθεν εἰσίν
12 तब दावीद के साथी लौट गए. लौटकर उन्होंने दावीद को यह सब सुना दिया.
καὶ ἀπεστράφησαν τὰ παιδάρια Δαυιδ εἰς ὁδὸν αὐτῶν καὶ ἀνέστρεψαν καὶ ἦλθον καὶ ἀνήγγειλαν τῷ Δαυιδ κατὰ τὰ ῥήματα ταῦτα
13 दावीद ने अपने साथियों को आदेश दिया, “हर एक व्यक्ति अपनी तलवार उठा ले!” तब सबने अपनी तलवार धारण कर ली. दावीद ने भी अपनी तलवार धारण कर ली. ये सब लगभग चार सौ व्यक्ति थे, जो इस अभियान में दावीद के साथ थे, शेष लगभग दो सौ उनके विभिन्न उपकरणों तथा आवश्यक सामग्री की रक्षा के लिए ठहर गए.
καὶ εἶπεν Δαυιδ τοῖς ἀνδράσιν αὐτοῦ ζώσασθε ἕκαστος τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ καὶ ἀνέβησαν ὀπίσω Δαυιδ ὡς τετρακόσιοι ἄνδρες καὶ οἱ διακόσιοι ἐκάθισαν μετὰ τῶν σκευῶν
14 इसी बीच नाबाल के एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगइल को संपूर्ण घटना का वृत्तांत सुना दिया, “दावीद ने हमारे स्वामी के पास मरुभूमि से अपने प्रतिनिधि भेजे थे, कि वे उन्हें अपनी शुभकामनाएं प्रस्तुत करें, मगर स्वामी ने उन्हें घोर अपमान करके लौटा दिया है.
καὶ τῇ Αβιγαια γυναικὶ Ναβαλ ἀπήγγειλεν ἓν τῶν παιδαρίων λέγων ἰδοὺ Δαυιδ ἀπέστειλεν ἀγγέλους ἐκ τῆς ἐρήμου εὐλογῆσαι τὸν κύριον ἡμῶν καὶ ἐξέκλινεν ἀπ’ αὐτῶν
15 ये सभी व्यक्ति हमारे साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण रीति से व्यवहार करते रहे थे. उन्होंने न कभी हमारा अपमान किया, न कभी हमारी कोई हानि ही की. जब हम मैदानों में भेड़ें चराया करते थे हमारी कोई भी भेड़ नहीं खोई. हम सदैव साथ साथ रहे.
καὶ οἱ ἄνδρες ἀγαθοὶ ἡμῖν σφόδρα οὐκ ἀπεκώλυσαν ἡμᾶς οὐδὲ ἐνετείλαντο ἡμῖν πάσας τὰς ἡμέρας ἃς ἦμεν παρ’ αὐτοῖς καὶ ἐν τῷ εἶναι ἡμᾶς ἐν ἀγρῷ
16 दिन और रात संपूर्ण समय वे मानो हमारे लिए सुरक्षा की दीवार बने रहते थे, जब हम उनके साथ मिलकर भेड़ें चराया करते थे.
ὡς τεῖχος ἦσαν περὶ ἡμᾶς καὶ τὴν νύκτα καὶ τὴν ἡμέραν πάσας τὰς ἡμέρας ἃς ἤμεθα παρ’ αὐτοῖς ποιμαίνοντες τὸ ποίμνιον
17 अब आप स्थिति की गंभीरता को पहचान लीजिए और विचार कीजिए, कि अब आपका क्या करना सही होगा, क्योंकि अब हमारे स्वामी और उनके संपूर्ण परिवार के लिए बुरा योजित हो चुका है. वह ऐसा दुष्ट व्यक्ति हैं, कि कोई उन्हें सुझाव भी नहीं दे सकता.”
καὶ νῦν γνῶθι καὶ ἰδὲ τί σὺ ποιήσεις ὅτι συντετέλεσται ἡ κακία εἰς τὸν κύριον ἡμῶν καὶ εἰς τὸν οἶκον αὐτοῦ καὶ οὗτος υἱὸς λοιμός καὶ οὐκ ἔστιν λαλῆσαι πρὸς αὐτόν
18 यह सुनते ही अबीगइल ने तत्काल दो सौ रोटियां, दो छागलें द्राक्षारस, पांच भेड़ें, जो पकाई जा चुकी थी, पांच माप भुना हुआ अन्न, किशमिश के सौ पिंड तथा दो सौ पिंड अंजीरों को लेकर गधों पर लाद दिया.
καὶ ἔσπευσεν Αβιγαια καὶ ἔλαβεν διακοσίους ἄρτους καὶ δύο ἀγγεῖα οἴνου καὶ πέντε πρόβατα πεποιημένα καὶ πέντε οιφι ἀλφίτου καὶ γομορ ἓν σταφίδος καὶ διακοσίας παλάθας καὶ ἔθετο ἐπὶ τοὺς ὄνους
19 “उसने अपने सेवकों को आदेश दिया, मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे आऊंगी.” मगर स्वयं उसने इसकी सूचना अपने पति नाबाल को नहीं दी.
καὶ εἶπεν τοῖς παιδαρίοις αὐτῆς προπορεύεσθε ἔμπροσθέν μου καὶ ἰδοὺ ἐγὼ ὀπίσω ὑμῶν παραγίνομαι καὶ τῷ ἀνδρὶ αὐτῆς οὐκ ἀπήγγειλεν
20 जब वह अपने गधे पर बैठी हुई पर्वत के उस गुप्त मार्ग पर थी, उसने देखा कि दावीद तथा उनके साथी उसी की ओर बढ़े चले आ रहे थे, और वे आमने-सामने आ गए.
καὶ ἐγενήθη αὐτῆς ἐπιβεβηκυίης ἐπὶ τὴν ὄνον καὶ καταβαινούσης ἐν σκέπῃ τοῦ ὄρους καὶ ἰδοὺ Δαυιδ καὶ οἱ ἄνδρες αὐτοῦ κατέβαινον εἰς συνάντησιν αὐτῆς καὶ ἀπήντησεν αὐτοῖς
21 इस समय दावीद विचार कर ही रहे थे, “निर्जन प्रदेश में हमने व्यर्थ ही इस व्यक्ति की संपत्ति की ऐसी रक्षा की, कि उसकी कुछ भी हानि नहीं हुई, मगर उसने इस उपकार का प्रतिफल हमें इस बुराई से दिया है.
καὶ Δαυιδ εἶπεν ἴσως εἰς ἄδικον πεφύλακα πάντα τὰ αὐτοῦ ἐν τῇ ἐρήμῳ καὶ οὐκ ἐνετειλάμεθα λαβεῖν ἐκ πάντων τῶν αὐτοῦ οὐθέν καὶ ἀνταπέδωκέν μοι πονηρὰ ἀντὶ ἀγαθῶν
22 यदि प्रातःकाल तक उसके संबंधियों में से एक भी नर जीवित छोड़ दूं, तो परमेश्वर दावीद के शत्रुओं से ऐसा ही, एवं इससे भी बढ़कर करें!”
τάδε ποιήσαι ὁ θεὸς τῷ Δαυιδ καὶ τάδε προσθείη εἰ ὑπολείψομαι ἐκ πάντων τῶν τοῦ Ναβαλ ἕως πρωὶ οὐροῦντα πρὸς τοῖχον
23 दावीद को पहचानते ही अबीगइल तत्काल अपने गधे से उतर पड़ीं, उनके सामने मुख के बल गिर दंडवत हुई.
καὶ εἶδεν Αβιγαια τὸν Δαυιδ καὶ ἔσπευσεν καὶ κατεπήδησεν ἀπὸ τῆς ὄνου καὶ ἔπεσεν ἐνώπιον Δαυιδ ἐπὶ πρόσωπον αὐτῆς καὶ προσεκύνησεν αὐτῷ ἐπὶ τὴν γῆν
24 तब उन्होंने दावीद के चरणों पर गिरकर उनसे कहा, “दोष सिर्फ मेरा ही है, मेरे स्वामी, अपनी सेविका को बोलने की अनुमति दें, तथा आप मेरा पक्ष सुन लें.
ἐπὶ τοὺς πόδας αὐτοῦ καὶ εἶπεν ἐν ἐμοί κύριέ μου ἡ ἀδικία λαλησάτω δὴ ἡ δούλη σου εἰς τὰ ὦτά σου καὶ ἄκουσον τῆς δούλης σου λόγον
25 मेरे स्वामी, कृपया आप इस निकम्मे व्यक्ति नाबाल के कड़वे वचनों पर ध्यान न दें. उसकी प्रकृति ठीक उसके नाम के ही अनुरूप है. उसका नाम है नाबाल और मूर्खता उसमें सचमुच व्याप्त है. खेद है कि उस समय मैं वहां न थी, जब आपके साथी वहां आए हुए थे.
μὴ δὴ θέσθω ὁ κύριός μου καρδίαν αὐτοῦ ἐπὶ τὸν ἄνθρωπον τὸν λοιμὸν τοῦτον ὅτι κατὰ τὸ ὄνομα αὐτοῦ οὕτως ἐστίν Ναβαλ ὄνομα αὐτῷ καὶ ἀφροσύνη μετ’ αὐτοῦ καὶ ἐγὼ ἡ δούλη σου οὐκ εἶδον τὰ παιδάριά σου ἃ ἀπέστειλας
26 और अब मेरे स्वामी, याहवेह की शपथ, आप चिरायु हों, क्योंकि याहवेह ने ही आपको रक्तपात के दोष से बचा लिया है, और आपको यह काम अपने हाथों से करने से रोक दिया है. अब मेरी कामना है कि आपके शत्रुओं की, जो आपकी हानि करने पर उतारू हैं, उनकी स्थिति वैसी ही हो, जैसी नाबाल की.
καὶ νῦν κύριε ζῇ κύριος καὶ ζῇ ἡ ψυχή σου καθὼς ἐκώλυσέν σε κύριος τοῦ μὴ ἐλθεῖν εἰς αἷμα ἀθῷον καὶ σῴζειν τὴν χεῖρά σού σοι καὶ νῦν γένοιντο ὡς Ναβαλ οἱ ἐχθροί σου καὶ οἱ ζητοῦντες τῷ κυρίῳ μου κακά
27 अब आपकी सेविका द्वारा लाई गई इस भेंट को हे स्वामी, आप स्वीकार करें कि इन्हें अपने साथियों में बाट दें.
καὶ νῦν λαβὲ τὴν εὐλογίαν ταύτην ἣν ἐνήνοχεν ἡ δούλη σου τῷ κυρίῳ μου καὶ δώσεις τοῖς παιδαρίοις τοῖς παρεστηκόσιν τῷ κυρίῳ μου
28 “कृपया अपनी सेविका की इस भूल को क्षमा कर दें. याहवेह आपके परिवार को प्रतिष्ठित करेंगे, क्योंकि मेरे स्वामी याहवेह के प्रतिनिधि होकर युद्ध कर रहे हैं. अपने संपूर्ण जीवन में अपने किसी का बुरा नहीं चाहा है.
ἆρον δὴ τὸ ἀνόμημα τῆς δούλης σου ὅτι ποιῶν ποιήσει κύριος τῷ κυρίῳ μου οἶκον πιστόν ὅτι πόλεμον κυρίου ὁ κύριός μου πολεμεῖ καὶ κακία οὐχ εὑρεθήσεται ἐν σοὶ πώποτε
29 यदि कोई आपके प्राण लेने के उद्देश्य से आपका पीछा करना शुरू कर दे, तब मेरे स्वामी का जीवन याहवेह, आपके परमेश्वर की सुरक्षा में जीवितों की झोली में संचित कर लिया जाएगा, मगर आपके शत्रुओं के जीवन को इस प्रकार दूर प्रक्षेपित कर देंगे, जैसे गोफन के द्वारा पत्थर फेंक दिया जाता है.
καὶ ἀναστήσεται ἄνθρωπος καταδιώκων σε καὶ ζητῶν τὴν ψυχήν σου καὶ ἔσται ἡ ψυχὴ κυρίου μου ἐνδεδεμένη ἐν δεσμῷ τῆς ζωῆς παρὰ κυρίῳ τῷ θεῷ καὶ ψυχὴν ἐχθρῶν σου σφενδονήσεις ἐν μέσῳ τῆς σφενδόνης
30 याहवेह मेरे स्वामी के लिए वह सब करेंगे, जिसकी उन्होंने आपसे प्रतिज्ञा की है. वह आपको इस्राएल के शासक बनाएंगे,
καὶ ἔσται ὅτι ποιήσει κύριος τῷ κυρίῳ μου πάντα ὅσα ἐλάλησεν ἀγαθὰ ἐπὶ σέ καὶ ἐντελεῖταί σοι κύριος εἰς ἡγούμενον ἐπὶ Ισραηλ
31 अब आपकी अंतरात्मा निर्दोष के लहू बहाने के दोष से न भरेगी, और न आपको इस विषय में कोई खेद होगा कि आपने स्वयं बदला ले लिया. मेरे स्वामी, जब याहवेह आपको उन्नत करें, कृपया अपनी सेविका को अवश्य याद रखियेगा.”
καὶ οὐκ ἔσται σοι τοῦτο βδελυγμὸς καὶ σκάνδαλον τῷ κυρίῳ μου ἐκχέαι αἷμα ἀθῷον δωρεὰν καὶ σῶσαι χεῖρα κυρίου μου αὐτῷ καὶ ἀγαθώσει κύριος τῷ κυρίῳ μου καὶ μνησθήσῃ τῆς δούλης σου ἀγαθῶσαι αὐτῇ
32 अबीगइल से ये उद्गार सुनकर दावीद ने उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति हो, जिन्होंने आपको मुझसे भेंटकरने भेज दिया है.
καὶ εἶπεν Δαυιδ τῇ Αβιγαια εὐλογητὸς κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ ὃς ἀπέστειλέν σε σήμερον ἐν ταύτῃ εἰς ἀπάντησίν μου
33 सराहनीय है आपका उत्तम अनुमान! आज मुझे रक्तपात से रोक देने के कारण आप स्वयं सराहना की पात्र हैं. आपने मुझे आज स्वयं बदला लेने की भूल से भी बचा लिया है.
καὶ εὐλογητὸς ὁ τρόπος σου καὶ εὐλογημένη σὺ ἡ ἀποκωλύσασά με σήμερον ἐν ταύτῃ μὴ ἐλθεῖν εἰς αἵματα καὶ σῶσαι χεῖρά μου ἐμοί
34 याहवेह, इस्राएल के जीवन्त परमेश्वर की शपथ, जिन्होंने मुझे आपका बुरा करने से रोक दिया है, यदि आप आज इतने शीघ्र मुझसे भेंटकरने न आयी होती, सबेरे, दिन का प्रकाश होते-होते, नाबाल परिवार का एक भी नर जीवित न रहता.”
πλὴν ὅτι ζῇ κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ ὃς ἀπεκώλυσέν με σήμερον τοῦ κακοποιῆσαί σε ὅτι εἰ μὴ ἔσπευσας καὶ παρεγένου εἰς ἀπάντησίν μοι τότε εἶπα εἰ ὑπολειφθήσεται τῷ Ναβαλ ἕως φωτὸς τοῦ πρωὶ οὐρῶν πρὸς τοῖχον
35 तब दावीद ने उसके हाथ से उसके द्वारा लाई गई भेंटें स्वीकार की और उसे इस आश्वासन के साथ विदा किया, “शांति से अपने घर लौट जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुम्हारी विनती स्वीकार कर लिया.”
καὶ ἔλαβεν Δαυιδ ἐκ χειρὸς αὐτῆς πάντα ἃ ἔφερεν αὐτῷ καὶ εἶπεν αὐτῇ ἀνάβηθι εἰς εἰρήνην εἰς οἶκόν σου βλέπε ἤκουσα τῆς φωνῆς σου καὶ ᾑρέτισα τὸ πρόσωπόν σου
36 जब अबीगइल घर पहुंची, नाबाल ने अपने आवास पर एक भव्य भोज आयोजित किया हुआ था. ऐसा भोज, मानो वह राजा हो. उस समय वह बहुत ही उत्तेजित था तथा बहुत ही नशे में था. तब अबीगइल ने सुबह तक कोई बात न की.
καὶ παρεγενήθη Αβιγαια πρὸς Ναβαλ καὶ ἰδοὺ αὐτῷ πότος ἐν οἴκῳ αὐτοῦ ὡς πότος βασιλέως καὶ ἡ καρδία Ναβαλ ἀγαθὴ ἐπ’ αὐτόν καὶ αὐτὸς μεθύων ἕως σφόδρα καὶ οὐκ ἀπήγγειλεν αὐτῷ ῥῆμα μικρὸν ἢ μέγα ἕως φωτὸς τοῦ πρωί
37 सुबह, जब नाबाल से शराब का नशा उतर चुका था, उसकी पत्नी ने उसे इस विषय से संबंधित सारा विवरण सुना दिया. यह सुनते ही नाबाल को पक्षाघात हो गया, और वह सुन्न रह गया.
καὶ ἐγένετο πρωί ὡς ἐξένηψεν ἀπὸ τοῦ οἴνου Ναβαλ ἀπήγγειλεν αὐτῷ ἡ γυνὴ αὐτοῦ τὰ ῥήματα ταῦτα καὶ ἐναπέθανεν ἡ καρδία αὐτοῦ ἐν αὐτῷ καὶ αὐτὸς γίνεται ὡς λίθος
38 लगभग दस दिन बाद याहवेह ने नाबाल पर ऐसा प्रहार किया कि उसकी मृत्यु हो गई.
καὶ ἐγένετο ὡσεὶ δέκα ἡμέραι καὶ ἐπάταξεν κύριος τὸν Ναβαλ καὶ ἀπέθανεν
39 जब दावीद ने नाबाल की मृत्यु का समाचार सुना, वह कह उठे, “धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने नाबाल द्वारा किए गए मेरे अपमान का बदला ले लिया है. याहवेह अपने सेवक को बुरा करने से रोके रहे तथा नाबाल को उसके दुराचार का प्रतिफल दे दिया.” दावीद ने संदेशवाहकों द्वारा अबीगइल के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा.
καὶ ἤκουσεν Δαυιδ καὶ εἶπεν εὐλογητὸς κύριος ὃς ἔκρινεν τὴν κρίσιν τοῦ ὀνειδισμοῦ μου ἐκ χειρὸς Ναβαλ καὶ τὸν δοῦλον αὐτοῦ περιεποιήσατο ἐκ χειρὸς κακῶν καὶ τὴν κακίαν Ναβαλ ἀπέστρεψεν κύριος εἰς κεφαλὴν αὐτοῦ καὶ ἀπέστειλεν Δαυιδ καὶ ἐλάλησεν περὶ Αβιγαιας λαβεῖν αὐτὴν ἑαυτῷ εἰς γυναῖκα
40 दावीद के संदेशवाहकों ने कर्मेल नगर जाकर अबीगइल को कहा: “हमें दावीद ने आपके पास भेजा है कि हम आपको अपने साथ उनके पास ले जाएं, कि वे आपसे विवाह कर सकें.”
καὶ ἦλθον οἱ παῖδες Δαυιδ πρὸς Αβιγαιαν εἰς Κάρμηλον καὶ ἐλάλησαν αὐτῇ λέγοντες Δαυιδ ἀπέστειλεν ἡμᾶς πρὸς σὲ λαβεῖν σε αὐτῷ εἰς γυναῖκα
41 वह तत्काल उठी, भूमि पर दंडवत होकर उनसे कहा, “आपकी सेविका मेरे स्वामी के सेवकों के चरण धोने के लिए तत्पर दासी हूं.”
καὶ ἀνέστη καὶ προσεκύνησεν ἐπὶ τὴν γῆν ἐπὶ πρόσωπον καὶ εἶπεν ἰδοὺ ἡ δούλη σου εἰς παιδίσκην νίψαι πόδας τῶν παίδων σου
42 अबीगइल विलंब न करते उठकर तैयार हो गई. वह अपने गधे पर बैठी और दावीद के संदेशवाहकों के साथ चली गई. उसके साथ उसकी पांच सेविकाएं थी. वहां वह दावीद की पत्नी हो गई.
καὶ ἀνέστη Αβιγαια καὶ ἐπέβη ἐπὶ τὴν ὄνον καὶ πέντε κοράσια ἠκολούθουν αὐτῇ καὶ ἐπορεύθη ὀπίσω τῶν παίδων Δαυιδ καὶ γίνεται αὐτῷ εἰς γυναῖκα
43 दावीद ने येज़्रील नगरवासी अहीनोअम से भी विवाह किया. ये दोनों ही उनकी पत्नी बन गईं.
καὶ τὴν Αχινααμ ἔλαβεν Δαυιδ ἐξ Ιεζραελ καὶ ἀμφότεραι ἦσαν αὐτῷ γυναῖκες
44 इस समय तक शाऊल ने अपनी बेटी मीखल, जो वस्तुतः दावीद की पत्नी थी, लायीश के पुत्र पालतिएल को, जो गल्लीम नगर का वासी था, सौंप दी थी.
καὶ Σαουλ ἔδωκεν Μελχολ τὴν θυγατέρα αὐτοῦ τὴν γυναῖκα Δαυιδ τῷ Φαλτι υἱῷ Λαις τῷ ἐκ Ρομμα