< 1 शमूएल 25 >

1 शमुएल की मृत्यु हो गई. सारा इस्राएलियों ने एकत्र होकर उनके लिए विलाप किया; उन्हें उनके गृहनगर रामाह में गाड़ दिया. इसके बाद दावीद पारान के निर्जन प्रदेश में जाकर रहने लगे.
এদিকে হয়েছে কী, শমূয়েল মারা গেলেন ও সমস্ত ইস্রায়েল একত্রিত হয়ে তাঁর জন্য শোকপ্রকাশ করল; এবং তারা তাঁকে রামায় তাঁর ঘরেই কবর দিয়েছিল। পরে দাউদ পারণ মরুভূমির দিকে চলে গেলেন।
2 कालेब के कुल का एक व्यक्ति था, वह माओन नगर का निवासी था. कर्मेल नगर के निकट वह एक भूखण्ड का स्वामी था. वह बहुत ही धनी व्यक्ति था. उसके तीन हज़ार भेड़ें, तथा एक हज़ार बकरियां थी.
মায়োনে কোনো একজন লোক ছিল, কর্মিলে তার কিছু বিষয়সম্পত্তি ছিল ও সে খুব ধনীও ছিল। তার কাছে 1,000 ছাগল ও 3,000 মেষ ছিল, সে তখন কর্মিলে সেগুলির লোম ছাঁটছিল।
3 उसका नाम नाबाल था और उसकी अबीगइल नामक पत्नी थी, जो बहुत ही रूपवती एवं विदुषी थी. मगर वह स्वयं बहुत ही नीच, क्रूर तथा क्रुद्ध प्रकृति का था.
তার নাম নাবল ও তার স্ত্রীর নাম অবীগল। অবীগল খুব বুদ্ধিমতী ও সুন্দরী ছিলেন, কিন্তু তাঁর স্বামী ছিল অভদ্র ও বেয়াদব—সে ছিল কালেব বংশীয় একজন লোক।
4 इस समय दावीद निर्जन प्रदेश में थे, और उन्हें मालूम हुआ कि नाबाल भेड़ों का ऊन क़तर रहा है.
দাউদ মরুপ্রান্তরে থাকার সময় শুনতে পেয়েছিলেন যে নাবল মেষের লোম ছাঁটছে।
5 तब दावीद ने वहां दस नवयुवक भेज दिए और उन्हें यह आदेश दिया, “नाबाल से भेंटकरने कर्मेल नगर चले जाओ और उसे मेरी ओर से शुभकामनाएं तथा अभिवंदन प्रस्तुत करना.
তাই তিনি তার কাছে দশজন যুবককে পাঠিয়ে তাদের বলে দিলেন, “তোমরা কর্মিলে নাবলের কাছে গিয়ে তাকে আমার নামে শুভেচ্ছা জানাবে।
6 तब तुम उससे कहना: ‘आप पर तथा आपके परिवार पर शांति स्थिर रहें! आप चिरायु हों! आपकी सारी संपत्ति पर समृद्धि बनी रहे!
তাকে গিয়ে বোলো: ‘আপনি দীর্ঘজীবী হোন! আপনি কুশলে থাকুন ও আপনার পরিবারও কুশলে থাকুক! এবং আপনার সর্বস্বের কুশল হোক!
7 “‘मुझे यह समाचार प्राप्‍त हुआ है कि आपकी भेड़ों का ऊन क़तरा जा रहा है. जब आपके चरवाहे हमारे साथ थे, सारे समय जब वे कर्मेल में थे, हमने न तो उन्हें अपमानित किया, न उन्हें कोई हानि पहुंचाई है.
“‘আমি শুনতে পেয়েছি এখন নাকি মেষের লোম ছাঁটার সময়। আপনার রাখালরা যখন আমাদের সঙ্গে ছিল, আমরা তাদের সঙ্গে খারাপ ব্যবহার করিনি, আর যতদিন তারা কর্মিলে ছিল তাদের কোনো কিছুই হারায়নি।
8 आप स्वयं अपने सेवकों से इस विषय में पूछ सकते हैं. आपकी कृपा हम पर बनी रहे. हम आपकी सेवा में उत्सव के मौके पर आए हैं. कृपया अपने सेवकों को, तथा अपने पुत्र समान सेवक दावीद को, जो कुछ आपको सही लगे, दे दीजिए.’”
আপনার দাসদের জিজ্ঞাসা করুন, তারাই আপনাকে বলে দেবে। অতএব আমার লোকজনের প্রতি একটু অনুগ্রহ দেখান, যেহেতু আমরা উৎসবের দিনে এলাম। আপনি যা পারেন, দয়া করে আপনার এই দাসদের ও আপনার ছেলে দাউদের হাতে তা তুলে দিন।’”
9 दावीद के नवयुवक साथी वहां गए, और दावीद की ओर से नाबाल को यह संदेश दे दिया, और वे नाबाल के प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगे.
দাউদের লোকজন নাবলের কাছে পৌঁছে দাউদের নাম করে তাকে এসব কথা বলল। পরে তারা অপেক্ষা করল।
10 “कौन है यह दावीद?” नाबाल ने दावीद के साथियों को उत्तर दिया, “और कौन है यह यिशै का पुत्र? कैसा समय आ गया है, जो सारे दास अपने स्वामियों को छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं.
নাবল দাউদের দাসদের উত্তর দিয়েছিল, “কে এই দাউদ? কে এই যিশয়ের ছেলে? আজকাল বিস্তর দাস তাদের প্রভুদের ছেড়ে চলে যাচ্ছে।
11 अब क्या मेरे लिए यही शेष रह गया है कि मैं अपने सेवकों के हिस्से का भोजन लेकर इन लोगों को दे दूं? मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि ये लोग कौन हैं, और कहां से आए हैं?”
আমি কেন আমার মেষের পশমকর্তকদের জন্য রাখা রুটি ও জল ও মাংস নিয়ে সেইসব লোকের হাতে তুলে দেব, যাদের বিষয়ে আমি জানিই না তারা কোথা থেকে এসেছে?”
12 तब दावीद के साथी लौट गए. लौटकर उन्होंने दावीद को यह सब सुना दिया.
দাউদের লোকজন মুখ ফিরিয়ে চলে গেল। তাঁর কাছে ফিরে গিয়ে তারা প্রতিটি কথা বলে শুনিয়েছিল।
13 दावीद ने अपने साथियों को आदेश दिया, “हर एक व्यक्ति अपनी तलवार उठा ले!” तब सबने अपनी तलवार धारण कर ली. दावीद ने भी अपनी तलवार धारण कर ली. ये सब लगभग चार सौ व्यक्ति थे, जो इस अभियान में दावीद के साथ थे, शेष लगभग दो सौ उनके विभिन्‍न उपकरणों तथा आवश्यक सामग्री की रक्षा के लिए ठहर गए.
দাউদ তাঁর লোকজনকে বললেন, “তোমরা প্রত্যেকে কোমরে তরোয়াল বেঁধে নাও!” তারা তেমনটিই করল, ও দাউদও নিজের তরোয়ালটি বেঁধে নিয়েছিলেন। প্রায় 400 জন দাউদের সঙ্গে গেল, আর 200 জন মালপত্র দেখাশোনা করার জন্য থেকে গেল।
14 इसी बीच नाबाल के एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगइल को संपूर्ण घटना का वृत्तांत सुना दिया, “दावीद ने हमारे स्वामी के पास मरुभूमि से अपने प्रतिनिधि भेजे थे, कि वे उन्हें अपनी शुभकामनाएं प्रस्तुत करें, मगर स्वामी ने उन्हें घोर अपमान करके लौटा दिया है.
দাসদের মধ্যে একজন নাবলের স্ত্রী অবীগলকে বলল, “দাউদ আমাদের প্রভুকে শুভেচ্ছা জানানোর জন্য মরুপ্রান্তর থেকে দূত পাঠিয়েছিলেন, কিন্তু তিনি তাদের চূড়ান্ত অপমান করেছেন।
15 ये सभी व्यक्ति हमारे साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण रीति से व्यवहार करते रहे थे. उन्होंने न कभी हमारा अपमान किया, न कभी हमारी कोई हानि ही की. जब हम मैदानों में भेड़ें चराया करते थे हमारी कोई भी भेड़ नहीं खोई. हम सदैव साथ साथ रहे.
অথচ ওই লোকগুলি আমাদের পক্ষে বড়োই ভালো ছিল। তারা আমাদের সঙ্গে খারাপ ব্যবহার করেননি, আর যতদিন আমরা মাঠে তাদের কাছে ছিলাম, আমাদের কোনো কিছুই হারায়নি।
16 दिन और रात संपूर्ण समय वे मानो हमारे लिए सुरक्षा की दीवार बने रहते थे, जब हम उनके साथ मिलकर भेड़ें चराया करते थे.
যতদিন আমরা তাদের কাছে থেকে আমাদের মেষগুলি চরাতাম, রাতদিন তারা আমাদের চারপাশে তখন এক দেওয়াল হয়েই ছিল।
17 अब आप स्थिति की गंभीरता को पहचान लीजिए और विचार कीजिए, कि अब आपका क्या करना सही होगा, क्योंकि अब हमारे स्वामी और उनके संपूर्ण परिवार के लिए बुरा योजित हो चुका है. वह ऐसा दुष्ट व्यक्ति हैं, कि कोई उन्हें सुझाव भी नहीं दे सकता.”
এখন ভেবে দেখুন আপনি কী করতে পারবেন, কারণ আমাদের প্রভুর ও তার সমগ্র পরিবারের উপর সর্বনাশ ঘনিয়ে এসেছে। তিনি এমনই বজ্জাত যে কেউই তাকে কিছু বলতে পারে না।”
18 यह सुनते ही अबीगइल ने तत्काल दो सौ रोटियां, दो छागलें द्राक्षारस, पांच भेड़ें, जो पकाई जा चुकी थी, पांच माप भुना हुआ अन्‍न, किशमिश के सौ पिंड तथा दो सौ पिंड अंजीरों को लेकर गधों पर लाद दिया.
অবীগল দ্রুত ব্যবস্থা নিয়েছিলেন। তিনি 200 টুকরো রুটি, চামড়ার দুই থলি দ্রাক্ষারস, রান্নার জন্য কেটেকুটে প্রস্তুত করা পাঁচটি মেষ, পাঁচ কাঠা সেঁকা শস্যদানা, 100 তাল কিশমিশ ও 200 তাল নিংড়ানো ডুমুর নিয়ে সেগুলি গাধার পিঠে চাপিয়ে দিয়েছিলেন।
19 “उसने अपने सेवकों को आदेश दिया, मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे आऊंगी.” मगर स्वयं उसने इसकी सूचना अपने पति नाबाल को नहीं दी.
পরে তিনি তাঁর দাসদের বললেন, “তোমরা এগিয়ে যাও; আমি তোমাদের পিছু পিছু আসছি।” কিন্তু তিনি তাঁর স্বামীকে কিছু বলেননি।
20 जब वह अपने गधे पर बैठी हुई पर्वत के उस गुप्‍त मार्ग पर थी, उसने देखा कि दावीद तथा उनके साथी उसी की ओर बढ़े चले आ रहे थे, और वे आमने-सामने आ गए.
তিনি যখন গাধার পিঠে চেপে পাহাড়ের সরু গিরিখাত ধরে আসছিলেন, তখন দাউদও তাঁর লোকজন নিয়ে অবীগলের দিকে নেমে আসছিলেন, ও তাদের সঙ্গে তাঁর দেখা হল।
21 इस समय दावीद विचार कर ही रहे थे, “निर्जन प्रदेश में हमने व्यर्थ ही इस व्यक्ति की संपत्ति की ऐसी रक्षा की, कि उसकी कुछ भी हानि नहीं हुई, मगर उसने इस उपकार का प्रतिफल हमें इस बुराई से दिया है.
দাউদ অল্প কিছুক্ষণ আগেই বলেছিলেন, “কোনও লাভ হয়নি—আমি অনর্থক এই লোকটির সম্পত্তি মরুপ্রান্তরে পাহারা দিয়েছি আর তার কোনো কিছুই হারায়নি। সে ভালোর বদলে আমাকে মন্দ উপহার দিয়েছে।
22 यदि प्रातःकाल तक उसके संबंधियों में से एक भी नर जीवित छोड़ दूं, तो परमेश्वर दावीद के शत्रुओं से ऐसा ही, एवं इससे भी बढ़कर करें!”
যদি কাল সকাল পর্যন্ত আমি তার পরিবারের একটিও পুরুষ সদস্যকে জীবিত রাখি, তবে যেন ঈশ্বর দাউদকে আরও কঠোর শাস্তি দেন!”
23 दावीद को पहचानते ही अबीगइल तत्काल अपने गधे से उतर पड़ीं, उनके सामने मुख के बल गिर दंडवत हुई.
অবীগল দাউদকে দেখে চট করে গাধার পিঠ থেকে নেমে মাটিতে উবুড় হয়ে তাঁকে প্রণাম করলেন।
24 तब उन्होंने दावीद के चरणों पर गिरकर उनसे कहा, “दोष सिर्फ मेरा ही है, मेरे स्वामी, अपनी सेविका को बोलने की अनुमति दें, तथा आप मेरा पक्ष सुन लें.
তিনি দাউদের পায়ে পড়ে বললেন: “হে আমার প্রভু, আপনার দাসীকে ক্ষমা করুন, আমাকে বলতে দিন; আপনার দাসী যা বলতে চায় তা একটু শুনুন।
25 मेरे स्वामी, कृपया आप इस निकम्मे व्यक्ति नाबाल के कड़वे वचनों पर ध्यान न दें. उसकी प्रकृति ठीक उसके नाम के ही अनुरूप है. उसका नाम है नाबाल और मूर्खता उसमें सचमुच व्याप्‍त है. खेद है कि उस समय मैं वहां न थी, जब आपके साथी वहां आए हुए थे.
হে আমার প্রভু, দয়া করে সেই বজ্জাত লোকটির কথায় মনোযোগ দেবেন না। তার যেমন নাম সেও ঠিক সেরকমই—তার নামের অর্থ মূর্খ, আর মূর্খতা তার সহবর্তী। আর আমার কথা যদি বলেন, আপনার এই দাসী, আমি আমার প্রভুর পাঠানো লোকদের দেখতে পাইনি।
26 और अब मेरे स्वामी, याहवेह की शपथ, आप चिरायु हों, क्योंकि याहवेह ने ही आपको रक्तपात के दोष से बचा लिया है, और आपको यह काम अपने हाथों से करने से रोक दिया है. अब मेरी कामना है कि आपके शत्रुओं की, जो आपकी हानि करने पर उतारू हैं, उनकी स्थिति वैसी ही हो, जैसी नाबाल की.
আর এখন, হে আমার প্রভু, আপনার ঈশ্বর জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি ও আপনার প্রাণের দিব্যি, যেহেতু সদাপ্রভু আপনাকে রক্তপাত করা থেকে ও নিজের হাতে প্রতিশোধ নেওয়া থেকে বিরত রেখেছেন, তাই আপনার শত্রুদের ও যারা আমার প্রভুর ক্ষতি করতে চায়, তাদের দশা যেন নাবলের মতো হয়।
27 अब आपकी सेविका द्वारा लाई गई इस भेंट को हे स्वामी, आप स्वीकार करें कि इन्हें अपने साथियों में बाट दें.
আপনার দাসী আমার প্রভুর কাছে এই যেসব উপহার নিয়ে এসেছে, সেগুলি যেন আপনার অনুগামী লোকদের দেওয়া হয়।
28 “कृपया अपनी सेविका की इस भूल को क्षमा कर दें. याहवेह आपके परिवार को प्रतिष्ठित करेंगे, क्योंकि मेरे स्वामी याहवेह के प्रतिनिधि होकर युद्ध कर रहे हैं. अपने संपूर्ण जीवन में अपने किसी का बुरा नहीं चाहा है.
“দয়া করে আপনার দাসীর বেয়াদবি ক্ষমা করবেন। আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভু নিঃসন্দেহে আমার প্রভুর জন্য এক স্থায়ী সাম্রাজ্য প্রতিষ্ঠিত করবেন, কারণ আপনি সদাপ্রভুর হয়ে যুদ্ধ করছেন, এবং আপনি যতদিন বেঁচে থাকবেন ততদিন আপনার মধ্যে কোনও অন্যায় খুঁজে পাওয়া যাবে না।
29 यदि कोई आपके प्राण लेने के उद्देश्य से आपका पीछा करना शुरू कर दे, तब मेरे स्वामी का जीवन याहवेह, आपके परमेश्वर की सुरक्षा में जीवितों की झोली में संचित कर लिया जाएगा, मगर आपके शत्रुओं के जीवन को इस प्रकार दूर प्रक्षेपित कर देंगे, जैसे गोफन के द्वारा पत्थर फेंक दिया जाता है.
যদি কেউ আপনার প্রাণহানি করার জন্য আপনার পশ্চাদ্ধাবনও করে, তবুও আমার প্রভুর প্রাণ আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দ্বারা জীবিতদের দলে সুরক্ষিত থাকবে, কিন্তু আপনার শত্রুদের প্রাণ গুলতির থলিতে রাখা পাথরের মতো তিনি ছুঁড়ে ফেলে দেবেন।
30 याहवेह मेरे स्वामी के लिए वह सब करेंगे, जिसकी उन्होंने आपसे प्रतिज्ञा की है. वह आपको इस्राएल के शासक बनाएंगे,
সদাপ্রভু যখন আমার প্রভুর জন্য তাঁর করা প্রতিটি মঙ্গল-প্রতিজ্ঞা পূর্ণ করবেন ও ইস্রায়েলের উপর তাঁকে শাসনকর্তারূপে নিযুক্ত করবেন,
31 अब आपकी अंतरात्मा निर्दोष के लहू बहाने के दोष से न भरेगी, और न आपको इस विषय में कोई खेद होगा कि आपने स्वयं बदला ले लिया. मेरे स्वामी, जब याहवेह आपको उन्‍नत करें, कृपया अपनी सेविका को अवश्य याद रखियेगा.”
তখন আমার প্রভুকে আর তাঁর বিবেকে অনর্থক রক্তপাতের বা নিজেরই নেওয়া প্রতিশোধের হতভম্বকারী বোঝা বয়ে বেড়াতে হবে না। আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভু যখন আমার প্রভুকে সাফল্য দেবেন, আপনার এই দাসীকে তখন একটু স্মরণ করবেন।”
32 अबीगइल से ये उद्गार सुनकर दावीद ने उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति हो, जिन्होंने आपको मुझसे भेंटकरने भेज दिया है.
দাউদ অবীগলকে বললেন, “ইস্রায়েলের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুর গৌরব হোক, যিনি তোমাকে আজ আমার সঙ্গে দেখা করতে পাঠিয়েছেন।
33 सराहनीय है आपका उत्तम अनुमान! आज मुझे रक्तपात से रोक देने के कारण आप स्वयं सराहना की पात्र हैं. आपने मुझे आज स्वयं बदला लेने की भूल से भी बचा लिया है.
তোমার সুবিবেচনার জন্য এবং আমাকে আজ তুমি রক্তপাত করা থেকে ও নিজের হাতে প্রতিশোধ নেওয়া থেকে বিরত রেখেছ বলে তুমি ধন্যা।
34 याहवेह, इस्राएल के जीवन्त परमेश्वर की शपथ, जिन्होंने मुझे आपका बुरा करने से रोक दिया है, यदि आप आज इतने शीघ्र मुझसे भेंटकरने न आयी होती, सबेरे, दिन का प्रकाश होते-होते, नाबाल परिवार का एक भी नर जीवित न रहता.”
তা না হলে, যিনি আমাকে আজ তোমার ক্ষতি করা থেকে বিরত রেখেছেন সেই জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি, তুমি যদি তাড়াতাড়ি আমার সঙ্গে দেখা করতে না আসতে, তবে নাবলের পরিবারের একজন পুরুষ সদস্যও সকাল পর্যন্ত বেঁচে থাকত না।”
35 तब दावीद ने उसके हाथ से उसके द्वारा लाई गई भेंटें स्वीकार की और उसे इस आश्वासन के साथ विदा किया, “शांति से अपने घर लौट जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुम्हारी विनती स्वीकार कर लिया.”
পরে দাউদ অবীগলের আনা সবকিছু তাঁর হাত থেকে গ্রহণ করলেন ও তাঁকে বললেন, “শান্তিতে ঘরে ফিরে যাও। আমি তোমার কথা শুনেছি ও তোমার অনুরোধ রেখেছি।”
36 जब अबीगइल घर पहुंची, नाबाल ने अपने आवास पर एक भव्य भोज आयोजित किया हुआ था. ऐसा भोज, मानो वह राजा हो. उस समय वह बहुत ही उत्तेजित था तथा बहुत ही नशे में था. तब अबीगइल ने सुबह तक कोई बात न की.
অবীগল যখন নাবলের কাছে ফিরে গেলেন, সে তখন বাড়িতে ছিল ও সেখানে রাজকীয় এক ভোজসভা চলছিল। সে খোশমেজাজে ছিল ও পুরোপুরি মাতাল হয়ে পড়েছিল। তাই সকাল না হওয়া পর্যন্ত অবীগল তাকে কিছু বলেননি।
37 सुबह, जब नाबाल से शराब का नशा उतर चुका था, उसकी पत्नी ने उसे इस विषय से संबंधित सारा विवरण सुना दिया. यह सुनते ही नाबाल को पक्षाघात हो गया, और वह सुन्‍न रह गया.
পরে সকালে নাবল যখন ভদ্রস্থ হল, তার স্ত্রী তাকে সব কথা বলে শুনিয়েছিলেন, ও সে মনমরা হয়ে পাথরের মতো স্তব্ধ হয়ে গেল।
38 लगभग दस दिन बाद याहवेह ने नाबाल पर ऐसा प्रहार किया कि उसकी मृत्यु हो गई.
প্রায় দশদিন পর, সদাপ্রভু নাবলকে আঘাত করলেন ও সে মারা গেল।
39 जब दावीद ने नाबाल की मृत्यु का समाचार सुना, वह कह उठे, “धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने नाबाल द्वारा किए गए मेरे अपमान का बदला ले लिया है. याहवेह अपने सेवक को बुरा करने से रोके रहे तथा नाबाल को उसके दुराचार का प्रतिफल दे दिया.” दावीद ने संदेशवाहकों द्वारा अबीगइल के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा.
নাবলের মৃত্যুর খবর পেয়ে দাউদ বললেন, “সদাপ্রভুর গৌরব হোক, আমার প্রতি নাবল অবজ্ঞামূলক আচরণ করেছিল বলেই তিনি আমার পক্ষে দাঁড়িয়েছেন। তিনি তাঁর দাসকে অন্যায় করা থেকে বিরত রেখেছেন ও নাবলের অন্যায় তারই মাথায় বর্ষণ করেছেন।” পরে দাউদ অবীগলকে খবর পাঠালেন, তাঁকে তাঁর স্ত্রী হওয়ার প্রস্তাব দিলেন
40 दावीद के संदेशवाहकों ने कर्मेल नगर जाकर अबीगइल को कहा: “हमें दावीद ने आपके पास भेजा है कि हम आपको अपने साथ उनके पास ले जाएं, कि वे आपसे विवाह कर सकें.”
তাঁর দাসেরা কর্মিলে গিয়ে অবীগলকে বলল, “দাউদ তাঁর স্ত্রী করে নিয়ে যাওয়ার জন্য আপনার কাছে আমাদের পাঠিয়ে দিয়েছেন।”
41 वह तत्काल उठी, भूमि पर दंडवत होकर उनसे कहा, “आपकी सेविका मेरे स्वामी के सेवकों के चरण धोने के लिए तत्पर दासी हूं.”
তিনি মাটিতে উবুড় হয়ে পড়ে বললেন, “আমি আপনার দাসী এবং আমি আপনার সেবা করার ও আমার প্রভুর দাসদের পা ধুয়ে দেওয়ার জন্য প্রস্তুত।”
42 अबीगइल विलंब न करते उठकर तैयार हो गई. वह अपने गधे पर बैठी और दावीद के संदेशवाहकों के साथ चली गई. उसके साथ उसकी पांच सेविकाएं थी. वहां वह दावीद की पत्नी हो गई.
অবীগল তাড়াতাড়ি একটি গাধার পিঠে চেপে, পাঁচজন দাসী সঙ্গে নিয়ে দাউদের পাঠানো দূতদের সঙ্গে চলে গেলেন ও তাঁর স্ত্রী হলেন।
43 दावीद ने येज़्रील नगरवासी अहीनोअम से भी विवाह किया. ये दोनों ही उनकी पत्नी बन गईं.
দাউদ যিষ্রিয়েলীয় অহীনোয়মকেও বিয়ে করলেন, ও তারা দুজনেই তাঁর স্ত্রী হলেন।
44 इस समय तक शाऊल ने अपनी बेटी मीखल, जो वस्तुतः दावीद की पत्नी थी, लायीश के पुत्र पालतिएल को, जो गल्लीम नगर का वासी था, सौंप दी थी.
কিন্তু শৌল তাঁর মেয়ে, দাউদের স্ত্রী মীখলকে গল্লীম নিবাসী লয়িশের ছেলে পল্‌টিয়েলের হাতে তুলে দিলেন।

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