< 1 शमूएल 22 >

1 तब दावीद ने गाथ से कूच कर अदुल्लाम की एक गुफा में आसरा लिया. जब उनके भाइयों तथा उनके पिता के परिवार को यह मालूम हुआ, वे सभी उनसे भेंटकरने वहां गए.
وَهَرَبَ دَاوُدُ مِنْ جَتَّ وَلَجَأَ إِلَى مَغَارَةِ عَدُلَّامَ، فَلَمَّا سَمِعَ إِخْوَتُهُ وَسَائِرُ بَيْتِ أَبِيهِ بِوُجُودِهِ هُنَاكَ جَاءُوا إِلَيْهِ.١
2 वे सभी, जो किसी भी प्रकार की उलझन में थे, जो ऋण के बोझ में दबे जा रहे थे, तथा वे, जिनमें किसी कारण असंतोष समाया हुआ था, दावीद के पास इकट्ठा होने लगे, और दावीद ऐसों के लिए नायक सिद्ध हुए. ऐसे होते-होते उनके पास लगभग चार सौ व्यक्ति इकट्ठा हो गए.
وَانْضَمَّ إِلَيْهِ نَحْوَ أَرْبَعِ مِئَةِ رَجُلٍ مِنَ الْمُتَضَايِقِينَ وَالْمَدْيُونِينَ وَالثَّائِرِينَ، فَتَرَأَّسَ عَلَيْهِمْ.٢
3 फिर दावीद वहां से मोआब के मिज़पाह नामक स्थान को चले गए. वहां उन्होंने मोआब के राजा से विनती की, “जब तक परमेश्वर मुझ पर अपनी इच्छा प्रकट न करें, कृपया मेरे माता-पिता को यहां रहने की अनुमति दे दीजिए!”
ثُمَّ انْتَقَلَ دَاوُدُ مِنْ هُنَاكَ إِلَى مِصْفَاةِ مُوآبَ، وَقَالَ لِمَلِكِ مُوآبَ: «دَعْ أَبِي وَأُمِّي فِي عُهْدَتِكُمْ رَيْثَمَا أَعْلَمُ مَا يَصْنَعُ بِيَ اللهُ».٣
4 तब दावीद ने उन्हें मोआब के राजा के यहां ठहरा दिया, और जब तक दावीद गढ़ में निवास करते रहे वे वहां उनके साथ रहे.
فَأَوْدَعَهُمَا عِنْدَ مَلِكِ مُوآبَ، فَأَقَامَا عِنْدَهُ طَوَالَ مُدَّةِ إِقَامَةِ دَاوُدَ فِي الْحِصْنِ.٤
5 तब भविष्यद्वक्ता गाद ने दावीद से कहा, “अब गढ़ में निवास न करो. बल्कि अब तुम यहूदिया प्रदेश में चले जाओ.” तब दावीद हेरेथ के वन में जाकर रहने लगे.
فَقَالَ جَادٌ النَّبِيُّ لِدَاوُدَ «لا تُقِمْ فِي الْحِصْنِ، بَلِ امْضِ وَادْخُلْ أَرْضَ يَهُوذَا». فَانْتَقَلَ دَاوُدُ إِلَى غَابَةِ حَارِثٍ.٥
6 मगर शाऊल को इस बात का पता चल ही गया कि दावीद और उनके साथी कहां हैं. उस दिन शाऊल गिबियाह नामक स्थान पर एक टीले पर झाड़ वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे. उनके हाथ में बर्छी थी और उनके आस-पास उनके अधिकारी भी थे.
وَبَلَغَ شَاوُلَ مَا أَصَابَ دَاوُدَ وَرِجَالَهُ مِنْ شُهْرَةٍ. وَكَانَ شَاوُلُ آنَئِذٍ مُقِيماً فِي جِبْعَةَ، يَجْلِسُ تَحْتَ الأَثْلَةِ فِي الرَّامَةِ مُحَاطاً بِأَفْرَادِ حَاشِيَتِهِ، وَرُمْحُهُ بِيَدِهِ.٦
7 शाऊल ने अपने आस-पास के अधिकारियों से कहा, “बिन्यामिन के लोगों! ध्यान से सुनो, क्या यिशै का पुत्र तुम्हें खेत और अंगूर के बगीचे देगा? क्या वह तुम्हें हज़ार सैनिकों पर और सौ-सौ सैनिकों पर अधिकारी चुनेगा?
فَقَالَ شَاوُلُ لِرِجَالِهِ: «اسْتَمِعُوا يَا بِنْيَامِينِيُّونَ: أَلَعَلَّ ابْنَ يَسَّى يُعْطِيكُمْ جَمِيعاً حُقُولاً وَكُرُوماً أَوْ يَجْعَلُكُمْ جَمِيعاً رُؤَسَاءَ عَلَى أُلُوفِ الْجُنُودِ أَوْ عَلَى مِئَاتٍ مِنْهُمْ،٧
8 तुम सबने मेरे विरुद्ध एका क्यों किया है? कोई भी मुझे सूचना नहीं देता, जब मेरा अपना पुत्र इस यिशै के पुत्र के साथ वाचा बांध लेता है. तुममें से किसी को भी मुझ पर तरस नहीं आता. किसी ने मुझे सूचना नहीं दी कि मेरे अपने पुत्र ने मेरे ही सेवक को मेरे ही विरुद्ध घात लगाकर बैठने का आदेश दे रखा है, जैसा कि आज यहां हो रहा है.”
حَتَّى تَحَالَفْتُمْ كُلُّكُمْ عَلَيَّ، فَلَمْ يُخْبِرْنِي أَحَدٌ مِنْكُمْ بِالْعَهْدِ الَّذِي أَبْرَمَهُ ابْنِي مَعَ ابْنِ يَسَّى، وَلَيْسَ بَيْنَكُمْ مَنْ يَأْسَى لِي أَوْ يُنْبِئُنِي بِأَنَّ ابْنِي قَدْ أَثَارَ خَادِمِي لِيَكْمُنَ لِي كَمَا يَفْعَلُ الْيَوْمَ؟»٨
9 मगर एदोमवासी दोएग ने, जो इस समय शाऊल के अधिकारियों के साथ ही था, उन्हें उत्तर दिया, “मैंने यिशै के इस पुत्र को नोब नगर में अहीतूब के पुत्र अहीमेलेख से भेंटकरते देखा है.
فَأَجَابَ دُوَاغُ الأَدُومِيُّ الَّذِي كَانَ وَاقِفاً بَيْنَ حَاشِيَةِ شَاوُلَ: «لَقَدْ شَاهَدْتُ ابْنَ يَسَّى قَادِماً إِلَى نُوبٍ إِلَى أَخِيمَالِكَ بْنِ أَخِيطُوبَ٩
10 अहीमेलेख ने दावीद के लिए याहवेह से पूछताछ की, उसे भोजन दिया, साथ ही उस फिलिस्तीनी गोलियथ की तलवार भी.”
فَاسْتَشَارَ لَهُ الرَّبَّ وَزَوَّدَهُ بِطَعَامٍ وَأَعْطَاهُ سَيْفَ جُلْيَاتَ».١٠
11 तब राजा ने अहीतूब के पुत्र, पुरोहित अहीमेलेख को बुलाने का आदेश दिया; न केवल उन्हें ही, बल्कि नोब नगर में उनके पिता के परिवार के सारे पुरोहितों को भी. वे सभी राजा की उपस्थिति में आ गए.
فَاسْتَدْعَى الْمَلِكُ أَخِيمَالِكَ وَبَقِيَّةَ بَيْتِ أَبِيهِ مِنْ كَهَنَةِ نُوبٍ، فَأَقْبَلُوا جَمِيعاً إِلَى الْمَلِكِ.١١
12 तब उन्हें शाऊल ने कहा, “अहीतूब के पुत्र, ध्यान से सुनो.” अहीमेलेख ने उत्तर दिया, “आज्ञा दीजिए, मेरे स्वामी!”
فَقَالَ شَاوُلُ: «اسْمَعْ يَا ابْنَ أَخِيطُوبَ». فَأَجَابَ: «نَعَمْ يَا سَيِّدِي».١٢
13 शाऊल ने उनसे कहा, “क्या कारण है कि तुमने और यिशै के पुत्र ने मिलकर मेरे विरुद्ध षड़्‍यंत्र रचा है? तुमने उसे भोजन दिया, उसे तलवार दी, और उसके भले के लिए परमेश्वर से प्रार्थना भी की. अब वह मेरा विरोधी हो गया है, और आज स्थिति यह है कि वह मेरे लिए घात लगाए बैठा है?”
فَقَالَ لَهُ شَاوُلُ: «لِمَاذَا اتَّفَقْتُمْ عَلَيَّ أَنْتَ وَابْنُ يَسَّى بِتَزْوِيدِكَ إِيَّاهُ بِالْخُبْزِ وَبِإِعْطَائِهِ سَيْفاً، وَاسْتَشَرْتَ لَهُ اللهَ لِيَثُورَ عَلَيَّ وَيَكْمُنَ لِي كَمَا يَفْعَلُ هَذَا الْيَوْمَ؟»١٣
14 अहीमेलेख ने राजा को उत्तर में कहा, “महाराज, आप ही बताइए आपके सारे सेवकों में दावीद के तुल्य विश्वासयोग्य और कौन है? वह राजा के दामाद हैं, वह आपके अंगरक्षकों के प्रधान हैं, तथा इन सबके अलावा वह आपके परिवार में बहुत ही सम्माननीय हैं!
فَأَجَابَ أَخِيمَالِكُ: «أَيُّ وَاحِدٍ مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ رِجَالِكَ مِثْلُ دَاوُدَ أَمِينٌ وَصِهْرُ الْمَلِكِ وَقَائِدُ حَرَسِهِ وَذُو مَكَانَةٍ رَفِيعَةٍ فِي بَيْتِكَ؟١٤
15 क्या आज पहला मौका है, जो मैंने उनके लिए परमेश्वर से प्रार्थना की है? जी नहीं! महाराज, न तो मुझ पर और न मेरे पिता के परिवार पर कोई ऐसे आरोप लगाएं. क्योंकि आपके सेवक को इन विषयों का कोई पता नहीं है, न पूरी तरह और न ही थोड़ा भी.”
فَهَلْ هَذِهِ هِيَ أَوَّلُ مَرَّةٍ أَسْتَشِيرُ لَهُ فِيهَا اللهَ؟ مَعَاذَ اللهِ أَنْ يَتَّهِمَنِي الْمَلِكُ أَوْ يَتَّهِمَ جَمِيعَ بَيْتِ أَبِي بِارْتِكَابِ شَيْءٍ».١٥
16 मगर राजा ने उन्हें उत्तर दिया, “अहीमेलेख, आपके लिए तथा आपके पूरे परिवार के लिए मृत्यु दंड तय है.”
فَقَالَ الْمَلِكُ: «إِنَّكَ لَا مَحَالَةَ مَائِتٌ يَا أَخِيمَالِكُ، أَنْتَ وَجَمِيعُ بَيْتِ أَبِيكَ».١٦
17 तब राजा ने अपने पास खड़े रक्षकों को आदेश दिया: “आगे बढ़कर याहवेह के इन पुरोहितों को खत्म करो, क्योंकि ये सभी दावीद ही के सहयोगी हैं. इन्हें यह मालूम था कि वह मुझसे बचकर भाग रहा है, फिर भी इन्होंने मुझे इसकी सूचना नहीं दी.” मगर राजा के अंगरक्षक याहवेह के पुरोहितों पर प्रहार करने में हिचकते रहे.
وَأَمَرَ الْمَلِكُ حُرَّاسَهُ الْمَاثِلِينَ لَدَيْهِ: «هَيَّا أَحِيطُوا بِكَهَنَةِ الرَّبِّ وَاقْتُلُوهُمْ، لأَنَّهُمْ أَيْضاً قَدْ تَحَالَفُوا مَعَ دَاوُدَ، وَلأَنَّهُمْ عَرَفُوا أَنَّهُ كَانَ هَارِباً فَلَمْ يُخْبِرُونِي». فَلَمْ يَرْضَ حُرَّاسُ الْمَلِكِ أَنْ يَقْتُلُوا كَهَنَةَ الرَّبِّ.١٧
18 यह देख राजा ने दोएग को आदेश दिया, “चलो, आगे आओ और तुम करो इन सबका वध.” तब एदोमी दोएग आगे बढ़ा और उस दिन उसने पुरोहितों के पवित्र वस्त्र धारण किए हुए पचासी व्यक्तियों का वध कर दिया.
فَأَمَرَ الْمَلِكُ دُوَاغَ قَائِلاً: «دُرْ أَنْتَ وَاقْتُلِ الْكَهَنَةَ». فَهَجَمَ دُوَاغُ الأَدُومِيُّ عَلَى الْكَهَنَةِ وَقَتَلَ مِنْهُمْ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ خَمْسَةً وَثَمَانِينَ رَجُلاً لابِسِي أَفُودِ كَتَّانٍ.١٨
19 तब उसने पुरोहितों के नगर नोब जाकर वहां; स्त्रियों, पुरुषों, बालकों, शिशुओं, बैलों, गधों तथा भेड़ों को, सभी को, तलवार से घात कर दिया.
ثُمَّ اقْتَحَمَ نُوبَ مَدِينَةَ الْكَهَنَةِ وَقَتَلَ بِحَدِّ السَّيْفِ الرِّجَالَ وَالنِّسَاءَ وَالأَطْفَالَ وَالرُّضَّعَ وَالثِّيرَانَ وَالْحَمِيرَ وَالْغَنَمَ.١٩
20 मगर अहीतूब के पुत्र अहीमेलेख के पुत्रों में से एक बच निकला और दावीद के पास जा पहुंचा. उसका नाम अबीयाथर था.
وَلَمْ يَنْجُ سِوَى ابْنٍ وَاحِدٍ لأَخِيمَالِكَ بْنِ أَخِيطُوبَ يُدْعَى أَبِيَاثَارَ الَّذِي لَجَأَ إِلَى دَاوُدَ،٢٠
21 अबीयाथर ने दावीद को सूचना दी कि शाऊल ने याहवेह के पुरोहितों का वध करवा दिया है.
وَأَخْبَرَهُ أَنَّ شَاوُلَ قَدْ قَتَلَ كَهَنَةَ الرَّبِّ.٢١
22 तब दावीद ने अबीयाथर से कहा, “उस दिन, जब मैंने एदोमी दोएग को वहां देखा, मुझे यह लग रहा था कि वह अवश्य ही जाकर शाऊल को उसकी सूचना दे देगा. तुम्हारे पिता के परिवार की मृत्यु का दोषी में ही हूं.
فَقَالَ دَاوُدُ لأَبِيَاثَارَ: «عِنْدَمَا رَأَيْتُ دُوَاغَ هُنَاكَ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَدْرَكْتُ أَنَّهُ لابُدَّ أَنْ يُخْبِرَ شَاوُلَ. أَنَا هُوَ السَّبَبُ فِي مَوْتِ أَفْرَادِ بَيْتِ أَبِيكَ.٢٢
23 अब तुम मेरे ही साथ रहो. अब तुम्हें डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. जो कोई मेरे प्राणों का प्यासा है, वही तुम्हारे प्राणों का भी प्यासा है. मेरे साथ तुम सुरक्षित हो.”
امْكُثْ مَعِي، لَا تَخَفْ، فَالرَّجُلُ الَّذِي يَسْعَى لِقَتْلِكَ يَسْعَى لِقَتْلِي أَيْضاً، فَأَقِمْ عِنْدِي بِأَمَانٍ».٢٣

< 1 शमूएल 22 >