< 1 शमूएल 20 >
1 दावीद रामाह के नाइयोथ से भी भागे. उन्होंने योनातन के पास आकर उनसे पूछा, “क्या किया है मैंने, बताओ? कहां हुई है मुझसे भूल? क्या अपराध किया है मैंने तुम्हारे पिता का, जो वह आज मेरे प्राणों के प्यासे हो गए हैं?”
Und David entwich aus Nevajoth in Ramah und kam und sprach vor Jonathan: Was habe ich getan? Was ist meine Missetat und was habe ich gesündigt vor deinem Vater, daß er mir nach der Seele trachtet?
2 “असंभव!” योनातन ने उनसे कहा. “यह हो ही नहीं सकता कि तुम्हारी हत्या हो! मेरे पिता साधारण असाधारण कोई भी काम बिना मुझे बताए करते ही नहीं. भला इस विषय को वे मुझसे क्यों छिपाएंगे? नहीं. यह असंभव है!”
Und er sprach zu ihm: Das sei ferne! Du sollst nicht sterben. Siehe, mein Vater tut weder Großes noch Kleines, ohne daß er es vor meinem Ohre offenbart und warum sollte mein Vater diese Sache vor mir verheimlichen? Es ist nicht also.
3 दावीद ने शपथ लेकर कहा, “तुम्हारे पिता को तुम्हारे और मेरे गहरे संबंधों का पूर्ण पता है, ‘तब उन्होंने यह सही समझा है कि इस विषय में तुम्हें कुछ भी जानकारी न हो, अन्यथा तुम दुःखी विचलित हो जाओगे.’ जीवन्त याहवेह तथा तुम्हारी शपथ, मेरी मृत्यु मुझसे सिर्फ एक पग ही दूर है.”
David aber schwur abermals und sprach: Gar wohl weiß dein Vater, daß ich Gnade in deinen Augen gefunden, und er sprach: Jonathan soll es nicht wissen, auf daß es ihn nicht schmerze. Dennoch, beim Leben Jehovahs und beim Leben deiner Seele, nur ein Schritt ist zwischen mir und dem Tode.
4 योनातन ने इस पर दावीद से पूछा, “तो बताओ, अब मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?”
Und Jonathan sprach zu David: Was deine Seele sagt, das will ich für dich tun.
5 तब दावीद ने योनातन को यह सुझाव दिया: “कल नवचंद्र उत्सव है. रीति के अनुसार मेरा राजा के भोज में उपस्थित रहना अपेक्षित है. तुम्हें मुझे अवकाश देना होगा कि मैं आज से तीसरे दिन की शाम तक मैदान में जाकर छिप जाऊं.
Und David sagte zu Jonathan: Siehe, morgen ist Neumond, und ich sollte mit dem König beim Essen sitzen, aber entlaß mich, daß ich mich auf dem Felde verberge bis zum dritten Abende.
6 यदि तुम्हारे पिता को मेरी अनुपस्थिति का पता हो जाए, तो तुम उनसे कहो, ‘दावीद ने एक बहुत ही ज़रूरी काम के लिए अपने गृहनगर बेथलेहेम जाने की छुट्टी ली है. वहां उसके पूरे परिवार का बलि चढ़ाने का उत्सव है.’
Wenn mich dein Vater vermißt, so sprich: David hat von mir erbeten, er möchte nach Bethlechem, seiner Stadt, laufen; denn seine ganze Familie hat dort ein jährliches Opfer.
7 यदि तुम्हारे पिता कहें, ‘ठीक है,’ कोई बात नहीं, तब इसका मतलब होगा कि तुम्हारा सेवक सुरक्षित है. मगर यदि यह सुनते ही वह क्रुद्ध हो जाएं, तो यह समझ लेना कि उन्होंने मेरा बुरा करने का निश्चय कर लिया है.
Wenn er so spricht: Es ist gut, so ist es Frieden für deinen Knecht; wenn er aber entbrennt, so wisse, daß Böses bei ihm beschlossen ist.
8 तब तुम अपने सेवक के प्रति कृपालु रहना, क्योंकि तुमने ही याहवेह के सामने अपने सेवक के साथ वाचा बांधी है. मगर यदि तुम्हारी दृष्टि में मैंने कोई अपराध किया है, तुम स्वयं मेरे प्राण ले लो, क्या आवश्यकता है, इसमें तुम्हारे पिता को शामिल करने की?”
So tue denn Barmherzigkeit für deinen Knecht, du hast ja deinen Knecht in einen Bund Jehovahs mit dir eingehen lassen. Und wenn an mir eine Missetat ist, so töte du mich; denn wozu willst du mich zu deinem Vater bringen?
9 “कभी नहीं!” योनातन ने कहा. “यदि मुझे लेश मात्र भी यह पता होता कि मेरे पिता तुम्हारा बुरा करने के लिए ठान चुके हैं, क्या मैं तुम्हें न बताता?”
Und Jonathan sprach: Das sei ferne von dir, daß wenn ich weiß, daß von meinem Vater beschlossen ist, daß Böses über dich komme, ich dir es nicht ansage.
10 तब दावीद ने योनातन से कहा, “अब बताओ, तुम्हारे पिता द्वारा दिए गए प्रतिकूल उत्तर के विषय में कौन मुझे सूचित करेगा?”
Und David sagte zu Jonathan: Wer wird mir das ansagen, oder was dein Vater Hartes über mich geantwortet hat?
11 योनातन ने उनसे कहा, “आओ, बाहर मैदान में चलें.” जब वे दोनों मैदान में पहुंच गए.
Und Jonathan sprach zu David: Komm und laß uns auf das Feld gehen. Und beide gingen hinaus auf das Feld.
12 योनातन ने दावीद से कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर मेरे गवाह हैं. कल या परसों लगभग इसी समय, जब मैं अपने पिता के सामने यह विषय छोड़ूंगा, यदि दावीद के विषय में उनकी मंशा अच्छी दिखाई दे, तो क्या में तुम्हें इसकी सूचना न दूंगा?
Und Jonathan sprach zu David: Jehovah, Gott Israels, wenn ich meinen Vater morgen oder übermorgen um diese Zeit erforsche, und siehe, es ist gut mit David, und ich sende nicht zu dir und offenbare es deinem Ohr:
13 मगर यदि मेरे पिता का संतोष तुम्हारी बुराई में ही है, तब याहवेह यह सब, तथा इससे भी अधिक योनातन के साथ करें, यदि मैं तुम्हें इसके विषय में सूचित न करूं, और तुम्हें इसका समाचार न दूं, कि तुम यहां से सुरक्षा में विदा हो सको. याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ इसी प्रकार बनी रहे, जिस प्रकार मेरे पिता के साथ बनी रही थी.
So tue Jehovah an Jonathan und so fahre er fort. Wenn das Böse wider dich meinem Vater gut dünkt, so will ich es deinem Ohr offenbaren und dich entlassen, daß du im Frieden hingehst. Und Jehovah sei mit dir wie Er mit meinem Vater war.
14 जब तक मैं जीवित रहूं, मुझ पर याहवेह का अपार प्रेम प्रकट करते रहना,
Aber nicht, während ich noch am Leben bin, wenn du nicht die Barmherzigkeit Jehovahs an mir tust, daß ich nicht sterbe.
15 मगर यदि मेरी मृत्यु हो जाए, तो मेरे परिवार के प्रति अपने अपार प्रेम को कभी न भुलाना—हां, उस स्थिति में भी, जब याहवेह दावीद के सारा शत्रुओं का अस्तित्व धरती पर से मिटा देंगे.”
Und daß du nicht ausrottest deine Barmherzigkeit, von meinem Hause ewiglich; auch nicht, wenn Jehovah die Feinde Davids, jeden Mann vom Angesicht des Bodens ausgerottet hat.
16 तब योनातन ने यह कहते हुए दावीद के परिवार से वाचा स्थापित की, “याहवेह दावीद के शत्रुओं से प्रतिशोध लें.”
Und Jonathan schloß mit dem Hause Davids einen Bund; und Jehovah fordere es aus der Hand der Feinde Davids.
17 एक बार फिर योनातन ने दावीद के साथ शपथ ली, क्योंकि दावीद उन्हें बहुत ही प्रिय थे. वस्तुतः योनातन को दावीद अपने ही प्राणों के समान प्रिय थे.
Und Jonathan fuhr fort, David zu schwören bei seiner Liebe zu ihm; denn mit der Liebe seiner Seele liebte er ihn.
18 योनातन ने उनसे कहा, “कल नवचंद्र उत्सव है और तुम्हारा आसन रिक्त रहेगा तब सभी के सामने तुम्हारी अनुपस्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
Und Jonathan sprach zu ihm: Morgen ist Neumond, und du wirst vermißt werden, denn dein Sitz wird vermißt werden.
19 परसों शीघ्र ही उस स्थान पर, पत्थरों के ढेर के पीछे छिप जाना, जहां तुम पहले भी छिपे थे. तुम वहीं ठहरे रहना.
Und am dritten Tage komm bald herab und komm an den Ort, da du dich verbargst am Werktage, und setze dich neben den Stein Ezel.
20 मैं इस ढेर के निकट तीन बाण छोड़ूंगा, मानो में किसी लक्ष्य पर तीर छोड़ रहा हूं.
Und ich will drei Pfeile an seine Seite hinschießen, als entsendete ich sie nach einem Ziel.
21 जब मैं लड़के को उन बाणों के पीछे भेजूंगा, मैं कहूंगा, ‘जाकर बाण खोज लाओ.’ और तब यदि मैं लड़के से कहूं, ‘वह देखो, बाण तुम्हारे इसी ओर हैं,’ ले आओ उन्हें, तब तुम यहां लौट आना, क्योंकि जीवन्त याहवेह की शपथ, तुम्हारे लिए कोई जोखिम न होगा और तुम पूर्णतः सुरक्षित हो.
Und siehe, ich werde den Jungen senden: Gehe, finde die Pfeile. Wenn ich nun zum Jungen sage: Siehe, die Pfeile liegen herwärts von dir, hole sie und komm! So ist es Friede für dich und es ist nichts, beim Leben Jehovahs.
22 मगर यदि मैं लड़के से यह कहूं, ‘सुनो! बाण तुम्हारी दूसरी ओर हैं,’ तब तुम्हें भागना होगा, क्योंकि याहवेह ने तुम्हें दूर भेजना चाहा है.
Wenn ich aber so zu dem Jüngling sage: Siehe, die Pfeile sind hinwärts von dir, dann gehe hin, denn Jehovah entsendet dich.
23 जिस विषय पर हम दोनों के बीच चर्चा हुई है, उसका सदा-सर्वदा के लिए याहवेह हमारे गवाह हैं.”
Das Wort aber, das wir geredet, ich und du, siehe, Jehovah ist zwischen mir und dir in Ewigkeit.
24 तब दावीद जाकर मैदान में छिप गए. नवचंद्र उत्सव के मौके पर राजा भोज के लिए तैयार हुए.
Und David verbarg sich auf dem Felde. Und es ward Neumond, und der König setzte sich, das Brot zu essen.
25 राजा अपने निर्धारित स्थान पर बैठे थे, जो दीवार के निकट था. योनातन का स्थान उनके ठीक सामने था. सेनापति अबनेर शाऊल के निकट बैठे थे. दावीद का आसन खाली था.
Und der König setzte sich auf seinen Sitz, wie einmal und das andere Mal auf den Sitz an der Wand, und Jonathan stand auf und Abner setzte sich Saul zur Seite, und Davids Platz ward vermißt.
26 शाऊल ने इस विषय में कोई प्रश्न नहीं किया; इस विचार में “उसके साथ अवश्य कुछ हो गया है; वह सांस्कारिक रूप से आज अशुद्ध होगा. हां, वह अशुद्ध ही होगा.”
Und am selbigen Tage redete Saul nichts, denn er sagte: Er ist durch Zufall nicht rein, ja nicht rein wird er sein.
27 मगर जब दूसरे दिन भी, नवचंद्र दिवस के दूसरे दिन भी, दावीद का आसन रिक्त ही था, शाऊल ने योनातन से पूछा, “क्या कारण है यिशै का पुत्र न तो कल भोजन पर आया, न ही आज भी?”
Und es geschah am morgenden Tag, am zweiten des Neumondes, war Davids Platz leer. Und Saul sprach zu seinem Sohne Jonathan: Warum ist der Sohn Ischais gestern sowohl als auch heute nicht zum Brot gekommen?
28 योनातन ने शाऊल को उत्तर दिया, “दावीद ने एक बहुत ही आवश्यक काम के लिए मुझसे बेथलेहेम जाने की अनुमति ली है.
Und Jonathan antwortete Saul: David hat sich von mir erbeten, nach Bethlechem zu gehen,
29 उसने विनती की, ‘मुझे जाने की अनुमति दो, क्योंकि हम अपने गृहनगर में बलि अर्पण कर रहे हैं. और मेरे भाई ने आग्रह किया है कि मैं वहां आ जाऊं, तब यदि मुझ पर तुम्हारी कृपादृष्टि है, मुझे मेरे भाइयों से भेंटकरने की अनुमति दीजिए.’ इसलिये आज वह इस भोज में शामिल नहीं हो सका है.”
Und sprach: Entlaß mich doch, denn unsere Familie hat ein Opfer in der Stadt und mein Bruder hat es mir geboten, und nun, wenn ich in deinen Augen Gnade gefunden, laß mich doch hingehen, daß ich meine Brüder sehe. Darum ist er nicht zum Tische des Königs gekommen.
30 यह सुनते ही योनातन पर शाऊल का क्रोध भड़क उठा, वह कहने लगे, “भ्रष्ट और विद्रोही स्त्री की संतान! क्या मैं समझ नहीं रहा, कि तूने अपनी लज्जा तथा अपनी मां की लज्जा के लिए यिशै के पुत्र का पक्ष ले रहा है?
Und es entbrannte der Zorn des Saul gegen Jonathan, und er sprach zu ihm: Du Sohn einer Verkehrten und Empörerin, weiß ich nicht, daß du Ischais Sohn erwählt hast, dir zur Scham und zur Scham der Blöße deiner Mutter!
31 यह समझ ले, कि जब तक इस पृथ्वी पर यिशै का पुत्र जीवित है, तब तक न तो तू, और न तेरा राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा. अब जा और उसे यहां लेकर आ, क्योंकि उसकी मृत्यु निश्चित है!”
Denn alle die Tage, die der Sohn Ischais auf dem Boden lebt, wirst du und dein Königreich nicht befestigt werden, und nun sende und hole ihn mir her; denn er ist ein Sohn des Todes.
32 योनातन ने अपने पिता शाऊल से प्रश्न किया, “क्यों है उसकी मृत्यु निश्चित? क्या किया है उसने ऐसा?”
Jonathan aber antwortete seinem Vater Saul und sprach zu ihm: Warum soll er getötet werden? Was hat er getan?
33 यह सुनते ही शाऊल ने भाला फेंककर योनातन को घात करना चाहा. अब योनातन को यह निश्चय हो गया, कि उसके पिता दावीद की हत्या के लिए दृढ़ संकल्प किया हैं.
Da schleuderte Saul den Spieß gegen ihn, daß er ihn durchstieße. Und Jonathan wußte, daß es bei seinem Vater beschlossen war, David zu töten.
34 क्रोध से अभिभूत योनातन भोजन छोड़ उठ गए; नवचंद्र के दूसरे दिन भी उन्होंने भोजन न किया, क्योंकि वह अपने पिता के व्यवहार से लज्जित तथा दावीद के लिए शोकाकुल थे.
Und Jonathan stand vom Tische auf in Zornesglut und aß kein Brot am zweiten Tage des Neumondes, denn es schmerzte ihn um David, daß ihn sein Vater beschimpft hatte.
35 प्रातःकाल योनातन एक लड़के को लेकर दावीद से भेंटकरने मैदान में नियमित स्थान पर पहुंचे.
Und es geschah am Morgen, daß Jonathan auf das Feld hinausging zu der mit David bestimmten Zeit, und ein kleiner Junge war bei ihm.
36 उन्होंने उस लड़के को आदेश दिया, “दौड़कर उन बाणों को खोज लाओ जो मैं छोड़ने पर हूं.” जैसे ही लड़के ने दौड़ना शुरू किया, योनातन ने एक बाण उसके आगे लक्ष्य करते हुए छोड़ दिया.
Und er sprach zu seinem Jungen: Laufe hin und finde mir doch die Pfeile, die ich schieße. Und der Junge lief hin, und er schoß den Pfeil über ihn hinaus.
37 जब वह लड़का उस स्थल के निकट पहुंचा, योनातन ने पुकारते हुए उससे कहा, “क्या वह बाण तुमसे आगे नहीं गिरा है?”
Und der Junge kam zu dem Orte, dahin Jonathan den Pfeil geschossen hatte, und Jonathan rief dem Jungen nach und sprach: Ist der Pfeil nicht hinwärts von dir?
38 योनातन ने फिर पुकारा, “जल्दी करो! दौड़ो विलंब न करो!” लड़का बाण उठाकर अपने स्वामी के पास लौट आया.
Und Jonathan rief dem Jungen nach: Eile, spute dich, bleibe nicht stehen! Und der Junge Jonathans las den Pfeil auf, und kam zu seinem Herrn.
39 (यह सब क्या हो रहा था, इसका उस लड़के को लेश मात्र भी पता नहीं था. रहस्य सिर्फ दावीद और योनातन के मध्य सीमित था.)
Der Junge aber wußte nichts. Nur Jonathan und David wußten um die Sache.
40 इसके बाद योनातन ने अपने शस्त्र उस लड़के को इस आदेश के साथ सौंप दिए, “इन्हें लेकर नगर लौट जाओ.”
Und Jonathan gab seine Waffen dem Jungen, der bei ihm war und sprach zu ihm: Gehe und bringe sie in die Stadt.
41 जब वह लड़का वहां से चला गया, दावीद ने पत्थरों के उस ढेर के पीछे से उठकर योनातन को नमन किया. तब दोनों एक दूसरे का चुंबन करते हुए रोते रहे—दावीद अधिक रो रहे थे.
Der Junge ging, und David stand auf von der Mittagseite und fiel auf sein Antlitz zur Erde und beugte sich dreimal und sie küß-ten sich und weinten miteinander, David am lautesten.
42 योनातन ने दावीद से कहा, “तुम यहां से शांतिपूर्वक विदा हो जाओ, क्योंकि हमने याहवेह के नाम में यह वाचा बांधी है, ‘मेरे और तुम्हारे बीच तथा मेरे तथा तुम्हारे वंशजों के मध्य याहवेह, हमेशा के गवाह हैं.’” तब दावीद वहां से चले गए और योनातन अपने घर लौट गए.
Und Jonathan sprach zu David: Gehe hin in Frieden! Wie wir beide geschworen im Namen Jehovahs und gesagt: Jehovah sei zwischen mir und dir, und zwischen meinem Samen und deinem Samen in Ewigkeit!