< 1 शमूएल 18 >

1 जैसे ही दावीद और शाऊल के बीच बातें खत्म हुईं, योनातन और दावीद के बीच गहरा संबंध बनना शुरू हुआ. योनातन के लिए दावीद प्राणों से प्रिय हो गए.
Когда кончил Давид разговор с Саулом, душа Ионафана прилепилась к душе его, и полюбил его Ионафан, как свою душу.
2 शाऊल ने उसी दिन से दावीद को अपने पास रख लिया और उन्हें अपने पिता के घर लौटने की आज्ञा ही न दी.
И взял его Саул в тот день и не позволил ему возвратиться в дом отца его.
3 योनातन ने दावीद से वाचा बांधी, क्योंकि दावीद उन्हें अपने प्राणों से प्रिय हो गए थे.
Ионафан же заключил с Давидом союз, ибо полюбил его, как свою душу.
4 योनातन ने अपने औपचारिक वस्त्र उतारकर दावीद को दे दिए, जिनमें उनकी तलवार, उनका धनुष-यहां तक उनका कटिबंध भी शामिल था.
И снял Ионафан верхнюю одежду свою, которая была на нем, и отдал ее Давиду, также и прочие одежды свои, и меч свой, и лук свой, и пояс свой.
5 शाऊल जिस किसी काम के लिए दावीद को भेजा करते थे, दावीद उसमें सफलता ही प्राप्‍त करते थे. शाऊल ने उन्हें सैन्य अधिकारी चुन लिया. इससे न केवल सेना में हर्ष की लहर दौड़ गई बल्कि शाऊल के सेवक भी इससे प्रसन्‍न हो गए.
И Давид действовал благоразумно везде, куда ни посылал его Саул, и сделал его Саул начальником над военными людьми; и это понравилось всему народу и слугам Сауловым.
6 जब फिलिस्तीनियों का संहार कर विजयी सेना लौट रही थी, इस्राएल के सारा नगरों से आयीं स्त्रियों ने नृत्य करते और गाते हुए शाऊल राजा से भेंट की. वे खंजड़ी तथा तन्तु वाद्य वादन करती हुई बहुत ही आनंदित थी.
Когда они шли, при возвращении Давида с победы над Филистимлянином, то женщины из всех городов Израильских выходили навстречу Саулу царю с пением и плясками, с торжественными тимпанами и с кимвалами.
7 वाद्यों की सही पर गाती हुई स्त्रियों के गीत के शब्द थे: “शाऊल ने अपने हज़ारों शत्रुओं को मारा मगर, दावीद ने अपने दस हज़ार शत्रुओं को.”
И восклицали игравшие женщины, говоря: Саул победил тысячи, а Давид - десятки тысяч!
8 इससे शाऊल बहुत ही क्रोधित हुआ. यह राग शाऊल के अप्रसन्‍नता का कारण बन गया. वह विचार करते रहे, “उन्होंने दावीद को दस हज़ार का श्रेय दिया है, मगर मुझे सिर्फ एक हज़ार का. तो फिर अब उसके पास राज्य के अलावा और किस वस्तु की कमी रह गई है?”
И Саул сильно огорчился, и неприятно было ему это слово, и он сказал: Давиду дали десятки тысяч, а мне тысячи; ему недостает только царства.
9 उस दिन से दावीद से शाऊल को जलन होने लगी.
И с того дня и потом подозрительно смотрел Саул на Давида.
10 अगले दिन परमेश्वर द्वारा भेजी गई एक दुष्ट आत्मा झपटती हुई शाऊल पर उतरी और जिस समय दावीद वाद्य वादन कर रहे थे, शाऊल आवेश में आ गए और अपने ही घर में तहस नहस करने लगे. उस समय शाऊल के हाथ में भाला था.
И было на другой день: напал злой дух от Бога на Саула, и он бесновался в доме своем, а Давид играл рукою своею на струнах, как и в другие дни; в руке у Саула было копье.
11 शाऊल ने दावीद पर भाला फेंका. वह विचार कर रहे थे, “मैं दावीद को दीवार से छेद दूंगा,” मगर दो बार दावीद अपनी चतुराई से बच निकले.
И бросил Саул копье, подумав: пригвожду Давида к стене; но Давид два раза уклонился от него.
12 शाऊल दावीद से डरने लगे, क्योंकि याहवेह दावीद के साथ थे, मगर उनसे दूर.
И стал бояться Саул Давида, потому что Господь был с ним, а от Саула отступил.
13 शाऊल ने दावीद को वहां से हटाकर हज़ार सैनिकों के सेनापति का पद दे दिया. तब दावीद इन सैनिकों को लेकर युद्ध पर जाते, और उन्हें वापस ले आते थे.
И удалил его Саул от себя и поставил его у себя тысяченачальником, и он выходил и входил пред народом.
14 दावीद जिस किसी काम में हाथ डालते, वह सफल ही होता था, क्योंकि उन्हें याहवेह का साथ मिला हुआ था.
И Давид во всех делах своих поступал благоразумно, и Господь был с ним.
15 जब शाऊल ने देखा कि दावीद कितनी सफलताएं प्राप्‍त करते जा रहे हैं, वह दावीद से और भी अधिक डरने लगे.
И Саул видел, что он очень благоразумен, и боялся его.
16 दावीद सारे इस्राएल तथा यहूदिया के प्रिय पात्र बन चुके थे, क्योंकि उनकी युद्ध नीति सराहनीय थी.
А весь Израиль и Иуда любили Давида, ибо он выходил и входил пред ними.
17 एक दिन शाऊल ने दावीद से कहा, “सुनो, मेरी इच्छा है कि मैं अपनी बड़ी बेटी का विवाह तुमसे कर दूं. तुम्हें बस इतना ही करना होगा कि तुम मेरे लिए साहसी योद्धा होकर याहवेह के युद्ध लड़ो.” वास्तव में शाऊल का सोचना यह था, “यह करने पर दावीद की हत्या का दोष मुझ पर नहीं बल्कि वह फिलिस्तीनियों पर आएगा. ज़रूरी ही नहीं है कि मैं उसकी हत्या की कोशिश करूं, फिलिस्तीनी ही यह काम पूरा कर देंगे!”
И сказал Саул Давиду: вот старшая дочь моя, Мерова; я дам ее тебе в жену, только будь у меня храбрым и веди войны Господни. Ибо Саул думал: пусть не моя рука будет на нем, но рука Филистимлян будет на нем.
18 दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “कौन होता हूं मैं? इस्राएल में क्या महत्व है मेरे संबंधियों या मेरे पिता के कुल का, कि मुझे राजा का दामाद होने का सम्मान मिले?”
Но Давид сказал Саулу: кто я, и что жизнь моя и род отца моего в Израиле, чтобы мне быть зятем царя?
19 फिर भी, जब दावीद और शाऊल की बेटी मेराब के विवाह का ठहराया हुआ दिन आया, शाऊल ने उसका विवाह मेहोलावासी आद्रिएल से कर दिया.
А когда наступило время отдать Мерову, дочь Саула, Давиду, то она выдана была в замужество за Адриэла из Мехолы.
20 वास्तव में शाऊल की बेटी मीखल को दावीद से प्रेम था. जब शाऊल को इसकी सूचना दी गई, वह इससे प्रसन्‍न हो गए.
Но Давида полюбила другая дочь Саула, Мелхола; и когда возвестили об этом Саулу, то это было приятно ему.
21 शाऊल ने विचार किया, “मैं यह विवाह कर देता हूं, मीखल ही दावीद के लिए एक फंदा बन जाए, और तब फिलिस्तीनी ही दावीद की हत्या कर दें.” यह दूसरा मौका था, जब शाऊल ने दावीद के सामने दामाद होने का प्रस्ताव रखा था; “अब तुम मेरे दामाद बन सकते हो.”
Саул думал: отдам ее за него, и она будет ему сетью, и рука Филистимлян будет на нем. И сказал Саул Давиду: чрез другую ты породнишься ныне со мною.
22 दूसरी ओर शाऊल ने अपने सेवकों को आदेश दे रखा था, “दावीद से अकेले में यह कहना, ‘सुनो, महाराज तुमसे बहुत खुश हैं. इसके अलावा तुम सभी सेवकों के प्रिय हो; राजा के दामाद होने योग्य तो सिर्फ तुम्हीं हो.’”
И приказал Саул слугам своим: скажите Давиду тайно: вот, царь благоволит к тебе, и все слуги его любят тебя; итак будь зятем царя.
23 शाऊल के सेवकों ने यह वक्तव्य दावीद के लिए दोहरा दिया. यह सुन दावीद ने उन्हें समझाया, “क्या समझते हो तुम लोग? क्या, राजा का दामाद होना कोई साधारण बात है? मैं एक निर्धन व्यक्ति हूं—एकदम तुच्छ.”
И передали слуги Сауловы в уши Давиду все слова эти. И сказал Давид: разве легко кажется вам быть зятем царя? я - человек бедный и незначительный.
24 जब दावीद के ये विचार शाऊल तक पहुंचाए गए,
И донесли Саулу слуги его и сказали: вот что говорит Давид.
25 शाऊल ने इसका उत्तर इस प्रकार दिया, “दावीद से यह कहना, ‘राजा तुमसे कोई बेटी के मोल की उम्मीद नहीं कर रहे. वह तुम्हारे द्वारा फिलिस्तीनियों से सिर्फ बदला ही लेना चाहते हैं. तब इसके लिए तुम्हें उन्हें सिर्फ एक सौ फिलिस्तीनी पुरुषों के लिंग की खाल लाकर देना होगा.’” इसके द्वारा शाऊल सिर्फ यह चाह रहे थे कि दावीद फिलिस्तीनियों के हाथ में पड़ जाएं और मारे जाएं.
И сказал Саул: так скажите Давиду: царь не хочет вена, кроме ста краеобрезаний Филистимских, в отмщение врагам царя. Ибо Саул имел в мыслях погубить Давида руками Филистимлян.
26 जब शाऊल के अधिकारियों ने जाकर दावीद को यह सूचना दी, राजा के दामाद हो जाने के लिए दावीद खुशी से तैयार हो गए. तय किए गए समय के पहले ही,
И пересказали слуги его Давиду эти слова, и понравилось Давиду сделаться зятем царя.
27 दावीद अपने साथियों के साथ निकल पड़े, दो सौ फिलिस्तीनियों को मार गिराया और दावीद ने उनके लिंग की खाल ले जाकर राजा को भेंटकर दी कि वह राजा के दामाद बन सकें. शाऊल ने अपनी बेटी मीखल का विवाह दावीद से कर दिया.
Еще не прошли назначенные дни, как Давид встал и пошел сам и люди его с ним, и убил двести человек Филистимлян, и принес Давид краеобрезания их, и представил их в полном количестве царю, чтобы сделаться зятем царя. И выдал Саул за него Мелхолу, дочь свою, в замужество.
28 इस बात के प्रकाश में, कि याहवेह दावीद के साथ हैं, तथा यह भी कि उनकी बेटी मीखल दावीद से प्रेम करती है,
И увидел Саул и узнал, что Господь с Давидом и весь Израиль любит его, и что Мелхола, дочь Саула, любила Давида.
29 शाऊल दावीद से और भी अधिक डर गए. उससे शाऊल दावीद के स्थायी शत्रु बन गए.
И стал Саул еще больше бояться Давида и сделался врагом его на всю жизнь.
30 तब फिलिस्तीनी सैन्य अधिकारियों ने युद्ध के लिए इकट्ठा होना शुरू कर दिया. जब कभी वे हमला की कोशिश करते थे, दावीद शाऊल के सभी अधिकारियों की अपेक्षा कहीं अधिक जयवंत होकर लौटते थे. इससे दावीद बहुत ही प्रसिद्ध होते चले गए.
И когда вожди Филистимские вышли на войну, Давид, с самого выхода их, действовал благоразумнее всех слуг Сауловых, и весьма прославилось имя его.

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