< 1 शमूएल 17 >

1 इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे.
וַיַּאַסְפ֨וּ פְלִשְׁתִּ֤ים אֶת־מַֽחֲנֵיהֶם֙ לַמִּלְחָמָ֔ה וַיֵּאָ֣סְפ֔וּ שֹׂכֹ֖ה אֲשֶׁ֣ר לִיהוּדָ֑ה וַֽיַּחֲנ֛וּ בֵּין־שֹׂוכֹ֥ה וּבֵין־עֲזֵקָ֖ה בְּאֶ֥פֶס דַּמִּֽים׃
2 शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी.
וְשָׁא֤וּל וְאִֽישׁ־יִשְׂרָאֵל֙ נֶאֶסְפ֔וּ וַֽיַּחֲנ֖וּ בְּעֵ֣מֶק הָאֵלָ֑ה וַיַּעַרְכ֥וּ מִלְחָמָ֖ה לִקְרַ֥את פְּלִשְׁתִּֽים׃
3 फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी.
וּפְלִשְׁתִּ֞ים עֹמְדִ֤ים אֶל־הָהָר֙ מִזֶּ֔ה וְיִשְׂרָאֵ֛ל עֹמְדִ֥ים אֶל־הָהָ֖ר מִזֶּ֑ה וְהַגַּ֖יְא בֵּינֵיהֶֽם׃
4 इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था.
וַיֵּצֵ֤א אִֽישׁ־הַבֵּנַ֙יִם֙ מִמַּחֲנֹ֣ות פְּלִשְׁתִּ֔ים גָּלְיָ֥ת שְׁמֹ֖ו מִגַּ֑ת גָּבְהֹ֕ו שֵׁ֥שׁ אַמֹּ֖ות וָזָֽרֶת׃
5 उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था.
וְכֹ֤ובַע נְחֹ֙שֶׁת֙ עַל־רֹאשֹׁ֔ו וְשִׁרְיֹ֥ון קַשְׂקַשִּׂ֖ים ה֣וּא לָב֑וּשׁ וּמִשְׁקַל֙ הַשִּׁרְיֹ֔ון חֲמֵשֶׁת־אֲלָפִ֥ים שְׁקָלִ֖ים נְחֹֽשֶֽׁת׃
6 उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी
וּמִצְחַ֥ת נְחֹ֖שֶׁת עַל־רַגְלָ֑יו וְכִידֹ֥ון נְחֹ֖שֶׁת בֵּ֥ין כְּתֵפָֽיו׃
7 उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था.
וְחָץ (וְעֵ֣ץ) חֲנִיתֹ֗ו כִּמְנֹור֙ אֹֽרְגִ֔ים וְלַהֶ֣בֶת חֲנִיתֹ֔ו שֵׁשׁ־מֵאֹ֥ות שְׁקָלִ֖ים בַּרְזֶ֑ל וְנֹשֵׂ֥א הַצִּנָּ֖ה הֹלֵ֥ךְ לְפָנָֽיו׃
8 इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए.
וַֽיַּעֲמֹ֗ד וַיִּקְרָא֙ אֶל־מַעַרְכֹ֣ת יִשְׂרָאֵ֔ל וַיֹּ֣אמֶר לָהֶ֔ם לָ֥מָּה תֵצְא֖וּ לַעֲרֹ֣ךְ מִלְחָמָ֑ה הֲלֹ֧וא אָנֹכִ֣י הַפְּלִשְׁתִּ֗י וְאַתֶּם֙ עֲבָדִ֣ים לְשָׁא֔וּל בְּרוּ־לָכֶ֥ם אִ֖ישׁ וְיֵרֵ֥ד אֵלָֽי׃
9 यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.”
אִם־יוּכַ֞ל לְהִלָּחֵ֤ם אִתִּי֙ וְהִכָּ֔נִי וְהָיִ֥ינוּ לָכֶ֖ם לַעֲבָדִ֑ים וְאִם־אֲנִ֤י אֽוּכַל־לֹו֙ וְהִכִּיתִ֔יו וִהְיִ֤יתֶם לָ֙נוּ֙ לַעֲבָדִ֔ים וַעֲבַדְתֶּ֖ם אֹתָֽנוּ׃
10 वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.”
וַיֹּ֙אמֶר֙ הַפְּלִשְׁתִּ֔י אֲנִ֗י חֵרַ֛פְתִּי אֶת־מַעַרְכֹ֥ות יִשְׂרָאֵ֖ל הַיֹּ֣ום הַזֶּ֑ה תְּנוּ־לִ֣י אִ֔ישׁ וְנִֽלָּחֲמָ֖ה יָֽחַד׃
11 जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया.
וַיִּשְׁמַ֤ע שָׁאוּל֙ וְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל אֶת־דִּבְרֵ֥י הַפְּלִשְׁתִּ֖י הָאֵ֑לֶּה וַיֵּחַ֥תּוּ וַיִּֽרְא֖וּ מְאֹֽד׃ פ
12 दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे.
וְדָוִד֩ בֶּן־אִ֨ישׁ אֶפְרָתִ֜י הַזֶּ֗ה מִבֵּ֥ית לֶ֙חֶם֙ יְהוּדָ֔ה וּשְׁמֹ֣ו יִשַׁ֔י וְלֹ֖ו שְׁמֹנָ֣ה בָנִ֑ים וְהָאִישׁ֙ בִּימֵ֣י שָׁא֔וּל זָקֵ֖ן בָּ֥א בַאֲנָשִֽׁים׃
13 उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह.
וַיֵּ֨לְכ֜וּ שְׁלֹ֤שֶׁת בְּנֵֽי־יִשַׁי֙ הַגְּדֹלִ֔ים הָלְכ֥וּ אַחֲרֵי־שָׁא֖וּל לַמִּלְחָמָ֑ה וְשֵׁ֣ם ׀ שְׁלֹ֣שֶׁת בָּנָ֗יו אֲשֶׁ֤ר הָלְכוּ֙ בַּמִּלְחָמָ֔ה אֱלִיאָ֣ב הַבְּכֹ֗ור וּמִשְׁנֵ֙הוּ֙ אֲבִ֣ינָדָ֔ב וְהַשְּׁלִשִׁ֖י שַׁמָּֽה׃
14 दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे.
וְדָוִ֖ד ה֣וּא הַקָּטָ֑ן וּשְׁלֹשָׁה֙ הַגְּדֹלִ֔ים הָלְכ֖וּ אַחֲרֵ֥י שָׁאֽוּל׃ ס
15 दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे.
וְדָוִ֛ד הֹלֵ֥ךְ וָשָׁ֖ב מֵעַ֣ל שָׁא֑וּל לִרְעֹ֛ות אֶת־צֹ֥אן אָבִ֖יו בֵּֽית־לָֽחֶם׃
16 वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था.
וַיִּגַּ֥שׁ הַפְּלִשְׁתִּ֖י הַשְׁכֵּ֣ם וְהַעֲרֵ֑ב וַיִּתְיַצֵּ֖ב אַרְבָּעִ֥ים יֹֽום׃ פ
17 यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह भर भुने अन्‍न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ.
וַיֹּ֨אמֶר יִשַׁ֜י לְדָוִ֣ד בְּנֹ֗ו קַח־נָ֤א לְאַחֶ֙יךָ֙ אֵיפַ֤ת הַקָּלִיא֙ הַזֶּ֔ה וַעֲשָׂרָ֥ה לֶ֖חֶם הַזֶּ֑ה וְהָרֵ֥ץ הַֽמַּחֲנֶ֖ה לְאַחֶֽיךָ׃
18 इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना.
וְ֠אֵת עֲשֶׂ֜רֶת חֲרִצֵ֤י הֶֽחָלָב֙ הָאֵ֔לֶּה תָּבִ֖יא לְשַׂר־הָאָ֑לֶף וְאֶת־אַחֶ֙יךָ֙ תִּפְקֹ֣ד לְשָׁלֹ֔ום וְאֶת־עֲרֻבָּתָ֖ם תִּקָּֽח׃
19 शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.”
וְשָׁא֤וּל וְהֵ֙מָּה֙ וְכָל־אִ֣ישׁ יִשְׂרָאֵ֔ל בְּעֵ֖מֶק הָֽאֵלָ֑ה נִלְחָמִ֖ים עִם־פְּלִשְׁתִּֽים׃
20 दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे.
וַיַּשְׁכֵּ֨ם דָּוִ֜ד בַּבֹּ֗קֶר וַיִּטֹּ֤שׁ אֶת־הַצֹּאן֙ עַל־שֹׁמֵ֔ר וַיִּשָּׂ֣א וַיֵּ֔לֶךְ כַּאֲשֶׁ֥ר צִוָּ֖הוּ יִשָׁ֑י וַיָּבֹא֙ הַמַּעְגָּ֔לָה וְהַחַ֗יִל הַיֹּצֵא֙ אֶל־הַמַּ֣עֲרָכָ֔ה וְהֵרֵ֖עוּ בַּמִּלְחָמָֽה׃
21 इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई.
וַתַּעֲרֹ֤ךְ יִשְׂרָאֵל֙ וּפְלִשְׁתִּ֔ים מַעֲרָכָ֖ה לִקְרַ֥את מַעֲרָכָֽה׃
22 दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की.
וַיִּטֹּשׁ֩ דָּוִ֨ד אֶת־הַכֵּלִ֜ים מֵעָלָ֗יו עַל־יַד֙ שֹׁומֵ֣ר הַכֵּלִ֔ים וַיָּ֖רָץ הַמַּעֲרָכָ֑ה וַיָּבֹ֕א וַיִּשְׁאַ֥ל לְאֶחָ֖יו לְשָׁלֹֽום׃
23 जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने.
וְה֣וּא ׀ מְדַבֵּ֣ר עִמָּ֗ם וְהִנֵּ֣ה אִ֣ישׁ הַבֵּנַ֡יִם עֹולֶ֞ה גָּלְיָת֩ הַפְּלִשְׁתִּ֨י שְׁמֹ֤ו מִגַּת֙ מִמַּעֲרֹות (מִמַּעַרְכֹ֣ות) פְּלִשְׁתִּ֔ים וַיְדַבֵּ֖ר כַּדְּבָרִ֣ים הָאֵ֑לֶּה וַיִּשְׁמַ֖ע דָּוִֽד׃
24 उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी.
וְכֹל֙ אִ֣ישׁ יִשְׂרָאֵ֔ל בִּרְאֹותָ֖ם אֶת־הָאִ֑ישׁ וַיָּנֻ֙סוּ֙ מִפָּנָ֔יו וַיִּֽירְא֖וּ מְאֹֽד׃
25 कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्‍न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.”
וַיֹּ֣אמֶר ׀ אִ֣ישׁ יִשְׂרָאֵ֗ל הַרְּאִיתֶם֙ הָאִ֤ישׁ הָֽעֹלֶה֙ הַזֶּ֔ה כִּ֛י לְחָרֵ֥ף אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל עֹלֶ֑ה וְֽ֠הָיָה הָאִ֨ישׁ אֲשֶׁר־יַכֶּ֜נּוּ יַעְשְׁרֶ֥נּוּ הַמֶּ֣לֶךְ ׀ עֹ֣שֶׁר גָּדֹ֗ול וְאֶת־בִּתֹּו֙ יִתֶּן־לֹ֔ו וְאֵת֙ בֵּ֣ית אָבִ֔יו יַעֲשֶׂ֥ה חָפְשִׁ֖י בְּיִשְׂרָאֵֽל׃
26 दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?”
וַיֹּ֣אמֶר דָּוִ֗ד אֶֽל־הָאֲנָשִׁ֞ים הָעֹמְדִ֣ים עִמֹּו֮ לֵאמֹר֒ מַה־יֵּעָשֶׂ֗ה לָאִישׁ֙ אֲשֶׁ֤ר יַכֶּה֙ אֶת־הַפְּלִשְׁתִּ֣י הַלָּ֔ז וְהֵסִ֥יר חֶרְפָּ֖ה מֵעַ֣ל יִשְׂרָאֵ֑ל כִּ֣י מִ֗י הַפְּלִשְׁתִּ֤י הֶֽעָרֵל֙ הַזֶּ֔ה כִּ֣י חֵרֵ֔ף מַעַרְכֹ֖ות אֱלֹהִ֥ים חַיִּֽים׃
27 उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.”
וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ הָעָ֔ם כַּדָּבָ֥ר הַזֶּ֖ה לֵאמֹ֑ר כֹּ֣ה יֵעָשֶׂ֔ה לָאִ֖ישׁ אֲשֶׁ֥ר יַכֶּֽנּוּ׃
28 दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”
וַיִּשְׁמַ֤ע אֱלִיאָב֙ אָחִ֣יו הַגָּדֹ֔ול בְּדַבְּרֹ֖ו אֶל־הָאֲנָשִׁ֑ים וַיִּֽחַר־אַף֩ אֱלִיאָ֨ב בְּדָוִ֜ד וַיֹּ֣אמֶר ׀ לָמָּה־זֶּ֣ה יָרַ֗דְתָּ וְעַל־מִ֨י נָטַ֜שְׁתָּ מְעַ֨ט הַצֹּ֤אן הָהֵ֙נָּה֙ בַּמִּדְבָּ֔ר אֲנִ֧י יָדַ֣עְתִּי אֶת־זְדֹנְךָ֗ וְאֵת֙ רֹ֣עַ לְבָבֶ֔ךָ כִּ֗י לְמַ֛עַן רְאֹ֥ות הַמִּלְחָמָ֖ה יָרָֽדְתָּ׃
29 दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?”
וַיֹּ֣אמֶר דָּוִ֔ד מֶ֥ה עָשִׂ֖יתִי עָ֑תָּה הֲלֹ֖וא דָּבָ֥ר הֽוּא׃
30 यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्‍त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था.
וַיִּסֹּ֤ב מֵֽאֶצְלֹו֙ אֶל־מ֣וּל אַחֵ֔ר וַיֹּ֖אמֶר כַּדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַיְשִׁבֻ֤הוּ הָעָם֙ דָּבָ֔ר כַּדָּבָ֖ר הָרִאשֹֽׁון׃
31 किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया.
וַיְּשָּֽׁמְעוּ֙ הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֖ר דִּבֶּ֣ר דָּוִ֑ד וַיַּגִּ֥דוּ לִפְנֵֽי־שָׁא֖וּל וַיִּקָּחֵֽהוּ׃
32 दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.”
וַיֹּ֤אמֶר דָּוִד֙ אֶל־שָׁא֔וּל אַל־יִפֹּ֥ל לֵב־אָדָ֖ם עָלָ֑יו עַבְדְּךָ֣ יֵלֵ֔ךְ וְנִלְחַ֖ם עִם־הַפְּלִשְׁתִּ֥י הַזֶּֽה׃
33 शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.”
וַיֹּ֨אמֶר שָׁא֜וּל אֶל־דָּוִ֗ד לֹ֤א תוּכַל֙ לָלֶ֙כֶת֙ אֶל־הַפְּלִשְׁתִּ֣י הַזֶּ֔ה לְהִלָּחֵ֖ם עִמֹּ֑ו כִּֽי־נַ֣עַר אַ֔תָּה וְה֛וּא אִ֥ישׁ מִלְחָמָ֖ה מִנְּעֻרָֽיו׃ ס
34 दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है,
וַיֹּ֤אמֶר דָּוִד֙ אֶל־שָׁא֔וּל רֹעֶ֨ה הָיָ֧ה עַבְדְּךָ֛ לְאָבִ֖יו בַּצֹּ֑אן וּבָ֤א הָֽאֲרִי֙ וְאֶת־הַדֹּ֔וב וְנָשָׂ֥א שֶׂ֖ה מֵהָעֵֽדֶר׃
35 मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं.
וְיָצָ֧אתִי אַחֲרָ֛יו וְהִכִּתִ֖יו וְהִצַּ֣לְתִּי מִפִּ֑יו וַיָּ֣קָם עָלַ֔י וְהֶחֱזַ֙קְתִּי֙ בִּזְקָנֹ֔ו וְהִכִּתִ֖יו וַהֲמִיתִּֽיו׃
36 आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है.
גַּ֧ם אֶֽת־הָאֲרִ֛י גַּם־הַדֹּ֖וב הִכָּ֣ה עַבְדֶּ֑ךָ וְֽ֠הָיָה הַפְּלִשְׁתִּ֨י הֶעָרֵ֤ל הַזֶּה֙ כְּאַחַ֣ד מֵהֶ֔ם כִּ֣י חֵרֵ֔ף מַעַרְכֹ֖ת אֱלֹהִ֥ים חַיִּֽים׃ ס
37 याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.” इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.”
וַיֹּאמֶר֮ דָּוִד֒ יְהוָ֗ה אֲשֶׁ֨ר הִצִּלַ֜נִי מִיַּ֤ד הָֽאֲרִי֙ וּמִיַּ֣ד הַדֹּ֔ב ה֣וּא יַצִּילֵ֔נִי מִיַּ֥ד הַפְּלִשְׁתִּ֖י הַזֶּ֑ה ס וַיֹּ֨אמֶר שָׁא֤וּל אֶל־דָּוִד֙ לֵ֔ךְ וַֽיהוָ֖ה יִהְיֶ֥ה עִמָּֽךְ׃
38 यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया.
וַיַּלְבֵּ֨שׁ שָׁא֤וּל אֶת־דָּוִד֙ מַדָּ֔יו וְנָתַ֛ן קֹ֥ובַע נְחֹ֖שֶׁת עַל־רֹאשֹׁ֑ו וַיַּלְבֵּ֥שׁ אֹתֹ֖ו שִׁרְיֹֽון׃
39 दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था. उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए.
וַיַּחְגֹּ֣ר דָּוִ֣ד אֶת־חַ֠רְבֹּו מֵעַ֨ל לְמַדָּ֜יו וַיֹּ֣אֶל לָלֶכֶת֮ כִּ֣י לֹֽא־נִסָּה֒ וַיֹּ֨אמֶר דָּוִ֜ד אֶל־שָׁא֗וּל לֹ֥א אוּכַ֛ל לָלֶ֥כֶת בָּאֵ֖לֶּה כִּ֣י לֹ֣א נִסִּ֑יתִי וַיְסִרֵ֥ם דָּוִ֖ד מֵעָלָֽיו׃
40 फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला.
וַיִּקַּ֨ח מַקְלֹ֜ו בְּיָדֹ֗ו וַיִּבְחַר־לֹ֣ו חֲמִשָּׁ֣ה חַלֻּקֵֽי־אֲבָנִ֣ים ׀ מִן־הַנַּ֡חַל וַיָּ֣שֶׂם אֹ֠תָם בִּכְלִ֨י הָרֹעִ֧ים אֲשֶׁר־לֹ֛ו וּבַיַּלְק֖וּט וְקַלְּעֹ֣ו בְיָדֹ֑ו וַיִּגַּ֖שׁ אֶל־הַפְּלִשְׁתִּֽי׃
41 वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था.
וַיֵּ֙לֶךְ֙ הַפְּלִשְׁתִּ֔י הֹלֵ֥ךְ וְקָרֵ֖ב אֶל־דָּוִ֑ד וְהָאִ֛ישׁ נֹשֵׂ֥א הַצִּנָּ֖ה לְפָנָֽיו׃
42 जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्‍न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर.
וַיַּבֵּ֧ט הַפְּלִשְׁתִּ֛י וַיִּרְאֶ֥ה אֶת־דָּוִ֖ד וַיִּבְזֵ֑הוּ כִּֽי־הָיָ֣ה נַ֔עַר וְאַדְמֹנִ֖י עִם־יְפֵ֥ה מַרְאֶֽה׃
43 उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा.
וַיֹּ֤אמֶר הַפְּלִשְׁתִּי֙ אֶל־דָּוִ֔ד הֲכֶ֣לֶב אָנֹ֔כִי כִּֽי־אַתָּ֥ה בָֽא־אֵלַ֖י בַּמַּקְלֹ֑ות וַיְקַלֵּ֧ל הַפְּלִשְׁתִּ֛י אֶת־דָּוִ֖ד בֵּאלֹהָֽיו׃
44 दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.”
וַיֹּ֥אמֶר הַפְּלִשְׁתִּ֖י אֶל־דָּוִ֑ד לְכָ֣ה אֵלַ֔י וְאֶתְּנָה֙ אֶת־בְּשָׂ֣רְךָ֔ לְעֹ֥וף הַשָּׁמַ֖יִם וּלְבֶהֱמַ֥ת הַשָּׂדֶֽה׃ ס
45 तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्‍ट किया है.
וַיֹּ֤אמֶר דָּוִד֙ אֶל־הַפְּלִשְׁתִּ֔י אַתָּה֙ בָּ֣א אֵלַ֔י בְּחֶ֖רֶב וּבַחֲנִ֣ית וּבְכִידֹ֑ון וְאָנֹכִ֣י בָֽא־אֵלֶ֗יךָ בְּשֵׁם֙ יְהוָ֣ה צְבָאֹ֔ות אֱלֹהֵ֛י מַעַרְכֹ֥ות יִשְׂרָאֵ֖ל אֲשֶׁ֥ר חֵרַֽפְתָּ׃
46 आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं,
הַיֹּ֣ום הַזֶּ֡ה יְסַגֶּרְךָ֩ יְהוָ֨ה בְּיָדִ֜י וְהִכִּיתִ֗ךָ וַהֲסִרֹתִ֤י אֶת־רֹֽאשְׁךָ֙ מֵעָלֶ֔יךָ וְנָ֨תַתִּ֜י פֶּ֣גֶר מַחֲנֵ֤ה פְלִשְׁתִּים֙ הַיֹּ֣ום הַזֶּ֔ה לְעֹ֥וף הַשָּׁמַ֖יִם וּלְחַיַּ֣ת הָאָ֑רֶץ וְיֵֽדְעוּ֙ כָּל־הָאָ֔רֶץ כִּ֛י יֵ֥שׁ אֱלֹהִ֖ים לְיִשְׂרָאֵֽל׃
47 तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.”
וְיֵֽדְעוּ֙ כָּל־הַקָּהָ֣ל הַזֶּ֔ה כִּֽי־לֹ֛א בְּחֶ֥רֶב וּבַחֲנִ֖ית יְהֹושִׁ֣יעַ יְהוָ֑ה כִּ֤י לַֽיהוָה֙ הַמִּלְחָמָ֔ה וְנָתַ֥ן אֶתְכֶ֖ם בְּיָדֵֽנוּ׃
48 यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े.
וְהָיָה֙ כִּֽי־קָ֣ם הַפְּלִשְׁתִּ֔י וַיֵּ֥לֶךְ וַיִּקְרַ֖ב לִקְרַ֣את דָּוִ֑ד וַיְמַהֵ֣ר דָּוִ֔ד וַיָּ֥רָץ הַמַּעֲרָכָ֖ה לִקְרַ֥את הַפְּלִשְׁתִּֽי׃
49 दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा.
וַיִּשְׁלַח֩ דָּוִ֨ד אֶת־יָדֹ֜ו אֶל־הַכֶּ֗לִי וַיִּקַּ֨ח מִשָּׁ֥ם אֶ֙בֶן֙ וַיְקַלַּ֔ע וַיַּ֥ךְ אֶת־הַפְּלִשְׁתִּ֖י אֶל־מִצְחֹ֑ו וַתִּטְבַּ֤ע הָאֶ֙בֶן֙ בְּמִצְחֹ֔ו וַיִּפֹּ֥ל עַל־פָּנָ֖יו אָֽרְצָה׃
50 इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.
וַיֶּחֱזַ֨ק דָּוִ֤ד מִן־הַפְּלִשְׁתִּי֙ בַּקֶּ֣לַע וּבָאֶ֔בֶן וַיַּ֥ךְ אֶת־הַפְּלִשְׁתִּ֖י וַיְמִיתֵ֑הוּ וְחֶ֖רֶב אֵ֥ין בְּיַד־דָּוִֽד׃
51 तब वह दौड़कर उस फिलिस्तीनी की देह पर चढ़ गए, उसकी म्यान में से तलवार खींची, उसकी हत्या करने के लिए उसका सिर उस तलवार द्वारा अलग कर दिया. जब फिलिस्ती सेना ने यह देखा कि उनका शूर योद्धा मारा जा चुका है, वे भागने लगे.
וַיָּ֣רָץ דָּ֠וִד וַיַּעֲמֹ֨ד אֶל־הַפְּלִשְׁתִּ֜י וַיִּקַּ֣ח אֶת־חַ֠רְבֹּו וַֽיִּשְׁלְפָ֤הּ מִתַּעְרָהּ֙ וַיְמֹ֣תְתֵ֔הוּ וַיִּכְרָת־בָּ֖הּ אֶת־רֹאשֹׁ֑ו וַיִּרְא֧וּ הַפְּלִשְׁתִּ֛ים כִּֽי־מֵ֥ת גִּבֹּורָ֖ם וַיָּנֻֽסוּ׃
52 यह देख इस्राएल तथा यहूदिया के सैनिकों ने युद्धनाद करते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वे उन्हें खदेड़ते हुए गाथ तथा एक्रोन के प्रवेश द्वार तक जा पहुंचे. घायल फिलिस्तीनी सैनिक शअरयिम से गाथ और एक्रोन के मार्ग पर पड़े रहे.
וַיָּקֻ֣מוּ אַנְשֵׁי֩ יִשְׂרָאֵ֨ל וִיהוּדָ֜ה וַיָּרִ֗עוּ וַֽיִּרְדְּפוּ֙ אֶת־הַפְּלִשְׁתִּ֔ים עַד־בֹּואֲךָ֣ גַ֔יְא וְעַ֖ד שַׁעֲרֵ֣י עֶקְרֹ֑ון וַֽיִּפְּל֞וּ חַֽלְלֵ֤י פְלִשְׁתִּים֙ בְּדֶ֣רֶךְ שַׁעֲרַ֔יִם וְעַד־גַּ֖ת וְעַד־עֶקְרֹֽון׃
53 इस्राएली सैनिक उनका पीछा करना छोड़कर लौटे और फिलिस्तीनी शिविर को लूट लिया.
וַיָּשֻׁ֙בוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל מִדְּלֹ֖ק אַחֲרֵ֣י פְלִשְׁתִּ֑ים וַיָּשֹׁ֖סּוּ אֶת־מַחֲנֵיהֶֽם׃
54 दावीद उस फिलिस्तीनी का सिर उठाकर येरूशलेम ले गए और उसके सारे हथियार अपने तंबू में रख लिए.
וַיִּקַּ֤ח דָּוִד֙ אֶת־רֹ֣אשׁ הַפְּלִשְׁתִּ֔י וַיְבִאֵ֖הוּ יְרוּשָׁלָ֑͏ִם וְאֶת־כֵּלָ֖יו שָׂ֥ם בְּאָהֳלֹֽו׃ ס
55 जब दावीद फिलिस्तीनी से युद्ध करने जा रहे थे, शाऊल उनकी हर एक गतिविधि को ध्यानपूर्वक देख रहे थे. उन्होंने अपनी सेना के सेनापति अबनेर से पूछा, “अबनेर, यह युवक किसका पुत्र है?” अबनेर ने उत्तर दिया, “महाराज, आप जीवित रहें, यह मैं नहीं जानता.”
וְכִרְאֹ֨ות שָׁא֜וּל אֶת־דָּוִ֗ד יֹצֵא֙ לִקְרַ֣את הַפְּלִשְׁתִּ֔י אָמַ֗ר אֶל־אַבְנֵר֙ שַׂ֣ר הַצָּבָ֔א בֶּן־מִי־זֶ֥ה הַנַּ֖עַר אַבְנֵ֑ר וַיֹּ֣אמֶר אַבְנֵ֔ר חֵֽי־נַפְשְׁךָ֥ הַמֶּ֖לֶךְ אִם־יָדָֽעְתִּי׃
56 राजा ने आदेश दिया, “यह पता लगाया जाए यह किशोर किसका पुत्र है.”
וַיֹּ֖אמֶר הַמֶּ֑לֶךְ שְׁאַ֣ל אַתָּ֔ה בֶּן־מִי־זֶ֖ה הָעָֽלֶם׃ ס
57 उस फिलिस्तीनी का संहार कर लौटते ही सेनापति अबनेर दावीद को राजा शाऊल की उपस्थिति में ले गए. इस समय दावीद के हाथ में उस फिलिस्तीनी का सिर था.
וּכְשׁ֣וּב דָּוִ֗ד מֵֽהַכֹּות֙ אֶת־הַפְּלִשְׁתִּ֔י וַיִּקַּ֤ח אֹתֹו֙ אַבְנֵ֔ר וַיְבִאֵ֖הוּ לִפְנֵ֣י שָׁא֑וּל וְרֹ֥אשׁ הַפְּלִשְׁתִּ֖י בְּיָדֹֽו׃
58 शाऊल ने दावीद से पूछा. “युवक, कौन हैं तुम्हारे पिता?” दावीद ने उन्हें उत्तर दिया, “आपके सेवक बेथलेहेम के यिशै.”
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ שָׁא֔וּל בֶּן־מִ֥י אַתָּ֖ה הַנָּ֑עַר וַיֹּ֣אמֶר דָּוִ֔ד בֶּֽן־עַבְדְּךָ֥ יִשַׁ֖י בֵּ֥ית הַלַּחְמִֽי׃

< 1 शमूएल 17 >