< 1 शमूएल 17 >

1 इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे.
καὶ συνάγουσιν ἀλλόφυλοι τὰς παρεμβολὰς αὐτῶν εἰς πόλεμον καὶ συνάγονται εἰς Σοκχωθ τῆς Ιουδαίας καὶ παρεμβάλλουσιν ἀνὰ μέσον Σοκχωθ καὶ ἀνὰ μέσον Αζηκα ἐν Εφερμεμ
2 शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी.
καὶ Σαουλ καὶ οἱ ἄνδρες Ισραηλ συνάγονται καὶ παρεμβάλλουσιν ἐν τῇ κοιλάδι αὐτοὶ παρατάσσονται εἰς πόλεμον ἐξ ἐναντίας ἀλλοφύλων
3 फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी.
καὶ ἀλλόφυλοι ἵστανται ἐπὶ τοῦ ὄρους ἐνταῦθα καὶ Ισραηλ ἵσταται ἐπὶ τοῦ ὄρους ἐνταῦθα καὶ ὁ αὐλὼν ἀνὰ μέσον αὐτῶν
4 इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था.
καὶ ἐξῆλθεν ἀνὴρ δυνατὸς ἐκ τῆς παρατάξεως τῶν ἀλλοφύλων Γολιαθ ὄνομα αὐτῷ ἐκ Γεθ ὕψος αὐτοῦ τεσσάρων πήχεων καὶ σπιθαμῆς
5 उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था.
καὶ περικεφαλαία ἐπὶ τῆς κεφαλῆς αὐτοῦ καὶ θώρακα ἁλυσιδωτὸν αὐτὸς ἐνδεδυκώς καὶ ὁ σταθμὸς τοῦ θώρακος αὐτοῦ πέντε χιλιάδες σίκλων χαλκοῦ καὶ σιδήρου
6 उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी
καὶ κνημῖδες χαλκαῖ ἐπάνω τῶν σκελῶν αὐτοῦ καὶ ἀσπὶς χαλκῆ ἀνὰ μέσον τῶν ὤμων αὐτοῦ
7 उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था.
καὶ ὁ κοντὸς τοῦ δόρατος αὐτοῦ ὡσεὶ μέσακλον ὑφαινόντων καὶ ἡ λόγχη αὐτοῦ ἑξακοσίων σίκλων σιδήρου καὶ ὁ αἴρων τὰ ὅπλα αὐτοῦ προεπορεύετο αὐτοῦ
8 इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए.
καὶ ἔστη καὶ ἀνεβόησεν εἰς τὴν παράταξιν Ισραηλ καὶ εἶπεν αὐτοῖς τί ἐκπορεύεσθε παρατάξασθαι πολέμῳ ἐξ ἐναντίας ἡμῶν οὐκ ἐγώ εἰμι ἀλλόφυλος καὶ ὑμεῖς Εβραῖοι τοῦ Σαουλ ἐκλέξασθε ἑαυτοῖς ἄνδρα καὶ καταβήτω πρός με
9 यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.”
καὶ ἐὰν δυνηθῇ πρὸς ἐμὲ πολεμῆσαι καὶ ἐὰν πατάξῃ με καὶ ἐσόμεθα ὑμῖν εἰς δούλους ἐὰν δὲ ἐγὼ δυνηθῶ καὶ πατάξω αὐτόν ἔσεσθε ἡμῖν εἰς δούλους καὶ δουλεύσετε ἡμῖν
10 वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.”
καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος ἰδοὺ ἐγὼ ὠνείδισα τὴν παράταξιν Ισραηλ σήμερον ἐν τῇ ἡμέρᾳ ταύτῃ δότε μοι ἄνδρα καὶ μονομαχήσομεν ἀμφότεροι
11 जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया.
καὶ ἤκουσεν Σαουλ καὶ πᾶς Ισραηλ τὰ ῥήματα τοῦ ἀλλοφύλου ταῦτα καὶ ἐξέστησαν καὶ ἐφοβήθησαν σφόδρα
12 दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे.
13 उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह.
14 दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे.
15 दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे.
16 वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था.
17 यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह भर भुने अन्‍न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ.
18 इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना.
19 शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.”
20 दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे.
21 इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई.
22 दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की.
23 जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने.
24 उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी.
25 कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्‍न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.”
26 दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?”
27 उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.”
28 दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”
29 दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?”
30 यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्‍त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था.
31 किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया.
32 दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.”
καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ μὴ δὴ συμπεσέτω ἡ καρδία τοῦ κυρίου μου ἐπ’ αὐτόν ὁ δοῦλός σου πορεύσεται καὶ πολεμήσει μετὰ τοῦ ἀλλοφύλου τούτου
33 शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.”
καὶ εἶπεν Σαουλ πρὸς Δαυιδ οὐ μὴ δυνήσῃ πορευθῆναι πρὸς τὸν ἀλλόφυλον τοῦ πολεμεῖν μετ’ αὐτοῦ ὅτι παιδάριον εἶ σύ καὶ αὐτὸς ἀνὴρ πολεμιστὴς ἐκ νεότητος αὐτοῦ
34 दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है,
καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ ποιμαίνων ἦν ὁ δοῦλός σου τῷ πατρὶ αὐτοῦ ἐν τῷ ποιμνίῳ καὶ ὅταν ἤρχετο ὁ λέων καὶ ἡ ἄρκος καὶ ἐλάμβανεν πρόβατον ἐκ τῆς ἀγέλης
35 मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं.
καὶ ἐξεπορευόμην ὀπίσω αὐτοῦ καὶ ἐπάταξα αὐτὸν καὶ ἐξέσπασα ἐκ τοῦ στόματος αὐτοῦ καὶ εἰ ἐπανίστατο ἐπ’ ἐμέ καὶ ἐκράτησα τοῦ φάρυγγος αὐτοῦ καὶ ἐπάταξα καὶ ἐθανάτωσα αὐτόν
36 आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है.
καὶ τὴν ἄρκον ἔτυπτεν ὁ δοῦλός σου καὶ τὸν λέοντα καὶ ἔσται ὁ ἀλλόφυλος ὁ ἀπερίτμητος ὡς ἓν τούτων οὐχὶ πορεύσομαι καὶ πατάξω αὐτὸν καὶ ἀφελῶ σήμερον ὄνειδος ἐξ Ισραηλ διότι τίς ὁ ἀπερίτμητος οὗτος ὃς ὠνείδισεν παράταξιν θεοῦ ζῶντος
37 याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.” इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.”
κύριος ὃς ἐξείλατό με ἐκ χειρὸς τοῦ λέοντος καὶ ἐκ χειρὸς τῆς ἄρκου αὐτὸς ἐξελεῖταί με ἐκ χειρὸς τοῦ ἀλλοφύλου τοῦ ἀπεριτμήτου τούτου καὶ εἶπεν Σαουλ πρὸς Δαυιδ πορεύου καὶ ἔσται κύριος μετὰ σοῦ
38 यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया.
καὶ ἐνέδυσεν Σαουλ τὸν Δαυιδ μανδύαν καὶ περικεφαλαίαν χαλκῆν περὶ τὴν κεφαλὴν αὐτοῦ
39 दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था. उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए.
καὶ ἔζωσεν τὸν Δαυιδ τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ ἐπάνω τοῦ μανδύου αὐτοῦ καὶ ἐκοπίασεν περιπατήσας ἅπαξ καὶ δίς καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ οὐ μὴ δύνωμαι πορευθῆναι ἐν τούτοις ὅτι οὐ πεπείραμαι καὶ ἀφαιροῦσιν αὐτὰ ἀπ’ αὐτοῦ
40 फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला.
καὶ ἔλαβεν τὴν βακτηρίαν αὐτοῦ ἐν τῇ χειρὶ αὐτοῦ καὶ ἐξελέξατο ἑαυτῷ πέντε λίθους λείους ἐκ τοῦ χειμάρρου καὶ ἔθετο αὐτοὺς ἐν τῷ καδίῳ τῷ ποιμενικῷ τῷ ὄντι αὐτῷ εἰς συλλογὴν καὶ σφενδόνην αὐτοῦ ἐν τῇ χειρὶ αὐτοῦ καὶ προσῆλθεν πρὸς τὸν ἄνδρα τὸν ἀλλόφυλον
41 वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था.
42 जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्‍न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर.
καὶ εἶδεν Γολιαδ τὸν Δαυιδ καὶ ἠτίμασεν αὐτόν ὅτι αὐτὸς ἦν παιδάριον καὶ αὐτὸς πυρράκης μετὰ κάλλους ὀφθαλμῶν
43 उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा.
καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος πρὸς Δαυιδ ὡσεὶ κύων ἐγώ εἰμι ὅτι σὺ ἔρχῃ ἐπ’ ἐμὲ ἐν ῥάβδῳ καὶ λίθοις καὶ εἶπεν Δαυιδ οὐχί ἀλλ’ ἢ χείρω κυνός καὶ κατηράσατο ὁ ἀλλόφυλος τὸν Δαυιδ ἐν τοῖς θεοῖς αὐτοῦ
44 दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.”
καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος πρὸς Δαυιδ δεῦρο πρός με καὶ δώσω τὰς σάρκας σου τοῖς πετεινοῖς τοῦ οὐρανοῦ καὶ τοῖς κτήνεσιν τῆς γῆς
45 तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्‍ट किया है.
καὶ εἰπεν Δαυιδ πρὸς τὸν ἀλλόφυλον σὺ ἔρχῃ πρός με ἐν ῥομφαίᾳ καὶ ἐν δόρατι καὶ ἐν ἀσπίδι κἀγὼ πορεύομαι πρὸς σὲ ἐν ὀνόματι κυρίου σαβαωθ θεοῦ παρατάξεως Ισραηλ ἣν ὠνείδισας σήμερον
46 आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं,
καὶ ἀποκλείσει σε κύριος σήμερον εἰς τὴν χεῖρά μου καὶ ἀποκτενῶ σε καὶ ἀφελῶ τὴν κεφαλήν σου ἀπὸ σοῦ καὶ δώσω τὰ κῶλά σου καὶ τὰ κῶλα παρεμβολῆς ἀλλοφύλων ἐν ταύτῃ τῇ ἡμέρᾳ τοῖς πετεινοῖς τοῦ οὐρανοῦ καὶ τοῖς θηρίοις τῆς γῆς καὶ γνώσεται πᾶσα ἡ γῆ ὅτι ἔστιν θεὸς ἐν Ισραηλ
47 तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.”
καὶ γνώσεται πᾶσα ἡ ἐκκλησία αὕτη ὅτι οὐκ ἐν ῥομφαίᾳ καὶ δόρατι σῴζει κύριος ὅτι τοῦ κυρίου ὁ πόλεμος καὶ παραδώσει κύριος ὑμᾶς εἰς χεῖρας ἡμῶν
48 यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े.
καὶ ἀνέστη ὁ ἀλλόφυλος καὶ ἐπορεύθη εἰς συνάντησιν Δαυιδ
49 दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा.
καὶ ἐξέτεινεν Δαυιδ τὴν χεῖρα αὐτοῦ εἰς τὸ κάδιον καὶ ἔλαβεν ἐκεῖθεν λίθον ἕνα καὶ ἐσφενδόνησεν καὶ ἐπάταξεν τὸν ἀλλόφυλον ἐπὶ τὸ μέτωπον αὐτοῦ καὶ διέδυ ὁ λίθος διὰ τῆς περικεφαλαίας εἰς τὸ μέτωπον αὐτοῦ καὶ ἔπεσεν ἐπὶ πρόσωπον αὐτοῦ ἐπὶ τὴν γῆν
50 इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.
51 तब वह दौड़कर उस फिलिस्तीनी की देह पर चढ़ गए, उसकी म्यान में से तलवार खींची, उसकी हत्या करने के लिए उसका सिर उस तलवार द्वारा अलग कर दिया. जब फिलिस्ती सेना ने यह देखा कि उनका शूर योद्धा मारा जा चुका है, वे भागने लगे.
καὶ ἔδραμεν Δαυιδ καὶ ἐπέστη ἐπ’ αὐτὸν καὶ ἔλαβεν τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ καὶ ἐθανάτωσεν αὐτὸν καὶ ἀφεῖλεν τὴν κεφαλὴν αὐτοῦ καὶ εἶδον οἱ ἀλλόφυλοι ὅτι τέθνηκεν ὁ δυνατὸς αὐτῶν καὶ ἔφυγον
52 यह देख इस्राएल तथा यहूदिया के सैनिकों ने युद्धनाद करते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वे उन्हें खदेड़ते हुए गाथ तथा एक्रोन के प्रवेश द्वार तक जा पहुंचे. घायल फिलिस्तीनी सैनिक शअरयिम से गाथ और एक्रोन के मार्ग पर पड़े रहे.
καὶ ἀνίστανται ἄνδρες Ισραηλ καὶ Ιουδα καὶ ἠλάλαξαν καὶ κατεδίωξαν ὀπίσω αὐτῶν ἕως εἰσόδου Γεθ καὶ ἕως τῆς πύλης Ἀσκαλῶνος καὶ ἔπεσαν τραυματίαι τῶν ἀλλοφύλων ἐν τῇ ὁδῷ τῶν πυλῶν καὶ ἕως Γεθ καὶ ἕως Ακκαρων
53 इस्राएली सैनिक उनका पीछा करना छोड़कर लौटे और फिलिस्तीनी शिविर को लूट लिया.
καὶ ἀνέστρεψαν ἄνδρες Ισραηλ ἐκκλίνοντες ὀπίσω τῶν ἀλλοφύλων καὶ κατεπάτουν τὰς παρεμβολὰς αὐτῶν
54 दावीद उस फिलिस्तीनी का सिर उठाकर येरूशलेम ले गए और उसके सारे हथियार अपने तंबू में रख लिए.
καὶ ἔλαβεν Δαυιδ τὴν κεφαλὴν τοῦ ἀλλοφύλου καὶ ἤνεγκεν αὐτὴν εἰς Ιερουσαλημ καὶ τὰ σκεύη αὐτοῦ ἔθηκεν ἐν τῷ σκηνώματι αὐτοῦ
55 जब दावीद फिलिस्तीनी से युद्ध करने जा रहे थे, शाऊल उनकी हर एक गतिविधि को ध्यानपूर्वक देख रहे थे. उन्होंने अपनी सेना के सेनापति अबनेर से पूछा, “अबनेर, यह युवक किसका पुत्र है?” अबनेर ने उत्तर दिया, “महाराज, आप जीवित रहें, यह मैं नहीं जानता.”
56 राजा ने आदेश दिया, “यह पता लगाया जाए यह किशोर किसका पुत्र है.”
57 उस फिलिस्तीनी का संहार कर लौटते ही सेनापति अबनेर दावीद को राजा शाऊल की उपस्थिति में ले गए. इस समय दावीद के हाथ में उस फिलिस्तीनी का सिर था.
58 शाऊल ने दावीद से पूछा. “युवक, कौन हैं तुम्हारे पिता?” दावीद ने उन्हें उत्तर दिया, “आपके सेवक बेथलेहेम के यिशै.”

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