< 1 शमूएल 15 >

1 एक दिन शमुएल शाऊल के पास आए और उनसे कहने लगे, “इस्राएली प्रजा के लिए राजा के पद पर तुम्हारा अभिषेक करने के लिए याहवेह ने मुझे ही चुना था; तब अब ध्यानपूर्वक याहवेह द्वारा भेजा संदेश सुनो.
Samuel dit à Saül: « Yahvé m'a envoyé pour t'oindre comme roi sur son peuple, sur Israël. Écoute donc maintenant la voix des paroles de Yahvé.
2 सेनाओं के याहवेह का यह वचन है. ‘अमालेकियों ने मिस्र देश से निकलकर आ रहे इस्राएल का विरोध करते हुए क्या-क्या किया था, मैंने अच्छी रीति से ध्यान में रखा है, उनके इस व्यवहार के लिए मैं सजा ज़रूर दूंगा.
L'Éternel des armées dit: Je me souviens de ce qu'Amalek a fait à Israël, comment il s'est dressé contre lui sur le chemin de sa montée d'Égypte.
3 तो अब जाओ और अमालेकियों पर वार करो, और उनकी सारी वस्तुओं को पूरी तरह नष्ट कर डालो. किसी को भी न छोड़ना; पुरुष, स्त्री, बालक शिशु, बैल, भेड़, ऊंट तथा गधे, सभी मार डाले जाएं.’”
Maintenant, va frapper Amalek, et détruis tout ce qui lui appartient, sans l'épargner; tue l'homme et la femme, l'enfant et le nourrisson, le bœuf et le mouton, le chameau et l'âne ».
4 तब शाऊल ने सेना को बुलाया कि वे तेलाइम में इकट्‍ठे हों. ये सब दो लाख सैनिक थे, तथा दस हज़ार पुरुष यहूदिया से आए हुए थे.
Saül convoqua le peuple et le compta à Télaïm, deux cent mille hommes de pied et dix mille hommes de Juda.
5 शाऊल इन्हें लेकर अमालेक नगर पहुंचे और वहां घाटी में घात लगाकर बैठ गए.
Saül arriva à la ville d'Amalek, et tendit une embuscade dans la vallée.
6 वहां शाऊल ने केनी जाति के लोगों से कहा, “तुम लोग यहां से निकल भागो. अमालेकियों के बीच से तुम्हारा चले जाना ही सही होगा. कहीं उनके साथ तुम्हारा भी नाश न हो जाए. तुम लोगों ने मिस्र देश से निकलकर आए इस्राएलियों के साथ कृपापूर्ण व्यवहार किया था.” तब केनी अमालेकियों को छोड़कर चले गए.
Saül dit aux Kéniens: « Allez, partez, descendez du milieu des Amalécites, de peur que je ne vous détruise avec eux, car vous avez fait preuve de bonté envers tous les enfants d'Israël lorsqu'ils sont montés d'Égypte. » Les Kéniens s'en allèrent donc du milieu des Amalécites.
7 तब शाऊल ने अमालेकियों पर हमला कर हाविलाह से लेकर शूर तक, जो मिस्र देश के पास है, अमालेकियों को मारा.
Saül frappa les Amalécites, depuis Havila en allant vers Shur, qui est en face de l'Égypte.
8 उन्होंने अमालेकियों के राजा अगाग को जीवित पकड़ लिया और तलवार से देश के सभी लोगों की हत्या कर दी.
Il prit vivant Agag, roi des Amalécites, et il dévora tout le peuple au fil de l'épée.
9 मगर शाऊल तथा सेना ने राजा अगाग तथा सबसे अच्छी भेड़ों, बैलों तथा पुष्ट बछड़ों और मेमनों की हत्या नहीं की. साथ ही उन वस्तुओं को भी नष्ट नहीं किया, जो अच्छी तथा मूल्यवान थी. इन्हें नष्ट करना उन्हें सही न लगा. हां, उन्होंने वह सब नष्ट कर दिया, जो उन्हें घृणित लगा, जो उनकी दृष्टि में बेकार था.
Mais Saül et le peuple épargnèrent Agag et les meilleurs des brebis, des bœufs, des veaux gras, des agneaux, et tout ce qui était bon, et ne voulurent pas les dévouer par interdit; mais ils dévouèrent par interdit tout ce qui était vil et immonde.
10 शमुएल को याहवेह का यह संदेश दिया गया:
Et la parole de Yahvé fut adressée à Samuel, en ces termes:
11 “मुझे खेद है कि मैंने शाऊल को राजा चुना है, क्योंकि वह मुझसे दूर हो चुका है. उसने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया.” इस पर शमुएल बहुत ही क्रोधित हो गए, और वह याहवेह के सामने पूरी रात रोते रहे.
« Je regrette d'avoir établi Saül comme roi, car il s'est détourné de moi et n'a pas exécuté mes commandements. » Samuel se mit en colère, et il cria à Yahvé toute la nuit.
12 प्रातःकाल वह शीघ्र उठ गए कि जाकर शाऊल से मिलें; मगर उन्हें यह सूचना दी गई, “शाऊल कर्मेल को चले गए थे, कि वह वहां अपनी स्मृति के लिए एक स्मारक का निर्माण करें. इसके बाद वह आगे बढ़कर गिलगाल को चले गए हैं.”
Samuel se leva de bonne heure pour aller à la rencontre de Saül le matin, et on lui dit: « Saül est arrivé au Carmel, et voici qu'il s'est érigé un monument, il s'est détourné, a passé et est descendu à Gilgal. »
13 जब शमुएल शाऊल के निकट पहुंचे, शाऊल ने उनका अभिवंदन करते हुए कहा, “याहवेह की कृपादृष्टि आप पर बनी रहे! मैंने याहवेह के आदेश का पालन किया है.”
Samuel vint auprès de Saül, et Saül lui dit: « Tu es béni par Yahvé! J'ai exécuté le commandement de l'Éternel. »
14 “अच्छा!” शमुएल ने शाऊल से प्रश्न किया, “तब मैं जो भेड़ों का मिमियाना तथा गायों का रम्भाना सुन रहा हूं; वह कहां से आता है?”
Samuel dit: « Alors, que signifient ce bêlement des brebis à mes oreilles et le mugissement des bêtes que j'entends? »
15 शाऊल ने स्पष्ट किया, “उन्हें सेना अमालेकियों के यहां से ले आये है. सेना ने सर्वोत्तम पशु याहवेह, हमारे परमेश्वर को चढ़ाने के उद्देश्य से बचा लिए हैं, शेष सभी का वध कर दिया गया है.”
Saül dit: « Ils les ont amenés de chez les Amalécites, car le peuple a épargné les meilleures brebis et les meilleurs bœufs pour les sacrifier à Yahvé, ton Dieu. Nous avons dévasté le reste. »
16 “बस! बस करो!” शमुएल ने शाऊल से कहा, “अब वह सुनो, जो याहवेह ने कल रात मुझ पर प्रकट किया है.” शाऊल ने उत्तर दिया, “जी, बताइए.”
Samuel dit alors à Saül: « Reste, et je te dirai ce que Yahvé m'a dit cette nuit. » Il lui dit: « Dis-le. »
17 शमुएल ने उनसे कहा, “क्या यह सच नहीं कि जब तुम स्वयं अपने ही दृष्टि में महत्वहीन थे, तुम्हें इस्राएल के सारा गोत्रों का अगुआ बना दिया गया? याहवेह ने तुम्हें इस्राएल का राजा नियुक्त किया.
Samuel dit: « Bien que tu sois petit à tes propres yeux, n'as-tu pas été établi chef des tribus d'Israël? L'Éternel t'a oint comme roi d'Israël,
18 याहवेह ने तुम्हें यह कहकर विशेष काम का दायित्व सौंपते हुए भेजा था ‘जाओ! उन पापी अमालेकियों का नाश करो! उनका पूरा नाश होने तक युद्ध करते रहो.’
et l'Éternel t'a envoyé en voyage, en disant: Va, détruis les pécheurs, les Amalécites, et combats-les jusqu'à ce qu'ils soient anéantis.
19 तुमने याहवेह के आदेश का पालन क्यों नहीं किया? बल्कि तुमने लूट की वस्तुओं का लोभ किया है, जो याहवेह की दृष्टि में अनुचित है.”
Pourquoi n'as-tu pas écouté la voix de l'Éternel, mais tu as pris le butin et tu as fait ce qui est mal aux yeux de l'Éternel? ».
20 शाऊल ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा, “मगर मैंने तो याहवेह की आज्ञा का पालन किया है! जिस विशेष काम के लिए याहवेह ने मुझे भेजा था, वह मैंने पूर्ण किया है. अमालेकियों का संहार करने के बाद मैं राजा अगाग को यहां ले आया हूं.
Saül dit à Samuel: « J'ai obéi à la voix de l'Éternel, j'ai suivi le chemin que l'Éternel m'a envoyé, j'ai amené Agag, roi d'Amalek, et j'ai dévasté les Amalécites.
21 हां, सेना ने कुछ भेड़ें तथा गाय-बैल बचा लिए हैं—संहार के लिए निर्धारित पशुओं में से सर्वोत्तम, ताकि इन्हें गिलगाल में याहवेह, आपके परमेश्वर को चढ़ाए जा सके.”
Mais le peuple a pris sur le butin, des moutons et du bétail, les meilleures choses consacrées, pour les sacrifier à Yahvé ton Dieu à Guilgal. »
22 शमुएल ने उनसे पूछा: “क्या याहवेह की खुशी आज्ञाकारिता से बढ़कर होमबलि तथा बलि चढ़ाने में है? निःसंदेह आज्ञाकारिता, बलि चढ़ाने से कहीं अधिक बढ़कर है, तथा याहवेह के वचन को ध्यान से सुनना मेढ़ों की बलि से बढ़कर है.
Samuel dit: « Yahvé prend-il autant de plaisir à offrir des holocaustes et des sacrifices qu'à obéir à la voix de Yahvé? Voici, obéir vaut mieux que le sacrifice, et écouter que la graisse de bélier.
23 विद्रोह वैसा ही पाप है, जैसा जादू-टोना, और अहंकार वैसा ही घोर अपराध है जैसा मूर्ति पूजा. इसलिये कि तुमने याहवेह के आदेश को अस्वीकार कर दिया है, याहवेह ने भी तुम्हारे राजत्व को अस्वीकार कर दिया है.”
Car la rébellion est comme le péché de sorcellerie, et l'entêtement comme l'idolâtrie et les théraphim. Parce que tu as rejeté la parole de Yahvé, il t'a aussi refusé le titre de roi. »
24 यह सुन शाऊल ने शमुएल से कहा, “मैंने पाप किया है. मैंने याहवेह के आदेश का उल्लंघन तथा आपके निर्देशों को ठुकराया है. इसका कारण यह था कि मुझे अपनी सेना से भय लग रहा था, और मैं उनकी इच्छा का विरोध न कर सका.
Saül dit à Samuel: « J'ai péché, car j'ai transgressé le commandement de Yahvé et tes paroles, parce que j'ai craint le peuple et obéi à sa voix.
25 तब अब कृपा कर मेरा पाप क्षमा कर दें. लौटकर मेरे साथ चलिए कि मैं याहवेह की वंदना कर सकूं.”
Maintenant, pardonne-moi mon péché et reviens avec moi, afin que je me prosterne devant Yahvé. »
26 शमुएल ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे साथ लौटकर नहीं जाऊंगा, क्योंकि तुमने याहवेह के आदेश को ठुकराया है, याहवेह भी तुम्हें इस्राएल के राजा के रूप में अस्वीकार कर चुके हैं.”
Samuel dit à Saül: « Je ne retournerai pas avec toi, car tu as rejeté la parole de l'Éternel et l'Éternel t'a refusé le titre de roi d'Israël. »
27 जैसे ही शमुएल मुड़कर जाने के लिए तैयार हुए, शाऊल ने उनके बाहरी वस्त्र के छोर को पकड़ लिया और इस काम में वह वस्त्र फट गया.
Comme Samuel se retournait pour s'en aller, Saül saisit le pan de sa robe, qui se déchira.
28 इस पर शमुएल ने शाऊल से कहा, “आज याहवेह ने इस्राएल राज्य को तुमसे छीनकर तुम्हारे पड़ोसी को दे दिया है, जो तुमसे श्रेष्ठ है.
Samuel lui dit: « Aujourd'hui, Yahvé t'a arraché le royaume d'Israël et l'a donné à un de tes voisins qui est meilleur que toi.
29 इस्राएल के परम प्रधान अपनी बातें नहीं बदलते, और न ही वह अपने विचार बदलते हैं, क्योंकि वह मनुष्य नहीं कि अपने विचार बदलते रहें.”
De plus, la force d'Israël ne mentira pas et ne se repentira pas, car il n'est pas homme à se repentir. »
30 शाऊल ने दोबारा स्वीकार किया, “मैंने पाप किया है, मगर कृपया मेरी प्रजा के पुरनियों के सामने तथा सारे इस्राएल राष्ट्र के सामने मेरे सम्मान का ध्यान रखकर मेरे साथ वहां लौट चलिए, कि मैं याहवेह, आपके परमेश्वर की वंदना कर सकूं.”
Il dit alors: « J'ai péché, mais honore-moi maintenant devant les anciens de mon peuple et devant Israël, et reviens avec moi, afin que je me prosterne devant Yahvé ton Dieu. »
31 तो शमुएल उनके साथ लौटने के लिए अंत में सहमत हो गए, और शाऊल ने वहां याहवेह की वंदना की.
Samuel retourna donc avec Saül, et Saül se prosterna devant Yahvé.
32 इसके बाद शमुएल ने आदेश दिया, “अमालेकियों के राजा अगाग को यहां लाया जाए.” अगाग उनके सामने प्रसन्‍नता से, यह विचार करता हुआ आया. “मृत्यु का कड़वा क्षण अब बीत चुका है.”
Et Samuel dit: « Amène-moi Agag, roi des Amalécites! » Agag est venu le voir avec joie. Agag dit: « L'amertume de la mort est passée. »
33 मगर शमुएल ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “ठीक जिस प्रकार तुम्हारी तलवार ने न जाने कितनी स्त्रियों की गोद सुनी कर दी है, उसी प्रकार आज तुम्हारी माता भी संतानहीन स्त्रियों में से एक हो जाएगी.” यह कहते हुए शमुएल ने गिलगाल में याहवेह के सामने अगाग को टुकड़े-टुकड़े कर दिए.
Samuel dit: « Comme ton épée a rendu les femmes sans enfants, ta mère sera sans enfants parmi les femmes! » Et Samuel coupa Agag en morceaux devant Yahvé, à Gilgal.
34 इसके बाद शमुएल रामाह नगर को चले गए, तथा शाऊल अपने घर शाऊल के गिबियाह को.
Samuel s'en alla à Rama; et Saül monta dans sa maison, à Guibea de Saül.
35 इसके बाद शमुएल ने आजीवन शाऊल से भेंट न की; मगर वह शाऊल के लिए विलाप करते रहे. याहवेह को इस विषय का खेद रहा कि उन्होंने शाऊल को इस्राएल का राजा बनाया था.
Samuel ne vint plus voir Saül jusqu'au jour de sa mort, mais il prit le deuil de Saül. Yahvé était affligé d'avoir fait de Saül le roi d'Israël.

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