< 1 राजा 6 >

1 यह उस समय की बात है, जब इस्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए चार सौ अस्सी साल हो चुके थे, और इस्राएल पर शलोमोन के शासन के चार साल. शलोमोन ने साल के ज़ीव नामक दूसरे महीने में याहवेह के लिए भवन बनाना शुरू किया.
ମିସର ଦେଶରୁ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣ ବାହାରି ଆସିଲା ଉତ୍ତାରେ ଚାରି ଶହ ଅଶୀ ବର୍ଷରେ ଓ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ଶଲୋମନଙ୍କର ରାଜତ୍ଵର ଚତୁର୍ଥ ବର୍ଷର ସିବ୍‍ ନାମକ ଦ୍ୱିତୀୟ ମାସରେ ସେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କରିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କଲେ।
2 राजा शलोमोन ने यह जो भवन याहवेह के लिए बनाया, उसकी लंबाई सत्ताईस मीटर और चौड़ाई नौ मीटर ऊंचाई चौदह मीटर थी.
ପୁଣି, ଶଲୋମନ ରାଜା ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଯେଉଁ ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କଲେ, ତହିଁର ଦୈର୍ଘ୍ୟ ଷାଠିଏ ହାତ ଓ ପ୍ରସ୍ଥ କୋଡ଼ିଏ ହାତ ଓ ଉଚ୍ଚତା ତିରିଶ ହାତ।
3 भवन के बीच के द्वार-मंडप की लंबाई भी नौ मीटर थी, जितनी भवन की चौड़ाई थी. भवन के सामने इसकी गहराई साढ़े चार मीटर थी.
ଆଉ ଗୃହର ପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ସମ୍ମୁଖସ୍ଥ ବାରଣ୍ଡା, ଗୃହର ପ୍ରସ୍ଥାନୁସାରେ କୋଡ଼ିଏ ହାତ ଦୀର୍ଘ ଓ ଗୃହର ସମ୍ମୁଖରେ ତହିଁର ପ୍ରସ୍ଥ ଦଶ ହାତ ଥିଲା।
4 शलोमोन ने भवन की खिड़कियां आकर्षक जालीदार बनाईं थी.
ପୁଣି, ଗୃହ ନିମନ୍ତେ ସେ ବନ୍ଦ ଜାଲିଝରକା ନିର୍ମାଣ କଲେ।
5 भवन की बाहरी दीवारों के चारों ओर शलोमोन ने अनेक कमरों का परिसर बनाया, दोनों ओर पीछे भी.
ପୁଣି, ସେ ଗୃହର କାନ୍ଥ ଚାରିଆଡ଼େ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ମନ୍ଦିର ଓ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନର କାନ୍ଥକୁ ଲଗାଇ ଚାରିଆଡ଼େ ମହଲା ବନାଇଲେ ଓ ଚାରିଆଡ଼େ କୋଠରି ନିର୍ମାଣ କଲେ।
6 सबसे नीचे का तल सवा दो मीटर चौड़ा था. बीच वाला तल दो मीटर सत्तर सेंटीमीटर, और तीसरा तीन मीटर पन्द्रह सेंटीमीटर चौड़ा. उन्होंने भवन की बाहरी दीवार कुर्सीदार बना दिए थे, कि बोझ उठाती बल्लियों को मूल भवन के भीतर तक न पहुंचना पड़े.
ତହିଁରେ ତଳ ମହଲା ପାଞ୍ଚ ହାତ ପ୍ରସ୍ଥ, ମଧ୍ୟ ମହଲା ଛଅ ହାତ ପ୍ରସ୍ଥ ଓ ତୃତୀୟ ମହଲା ସାତ ହାତ ପ୍ରସ୍ଥ ଥିଲା। କାରଣ, କଡ଼ିକାଠ ଯେପରି ଗୃହର କାନ୍ଥରେ ବନ୍ଦ ନ ହୁଏ, ଏଥିପାଇଁ ସେ ଚାରିଆଡ଼େ ଗୃହର କାନ୍ଥର ବାହାର ଭାଗରେ ଆଧାର କଲେ।
7 भवन के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थरों को वहीं तैयार कर लिया गया था, जहां से उन्हें निकाला जा रहा था. फलस्वरूप जब नया भवन बनाया जा रहा था, वहां न तो घन की, न हथौड़े की और न किसी भी लोहे के औज़ार की आवाज सुनाई दी.
ସେହି ଗୃହ ନିର୍ମିତ ହେବା ସମୟରେ ତାହା ପଥରଖଣିରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ ପଥରରେ ଗଢ଼ାଯାଇଥିଲା; ଏଣୁ ସେ ଗୃହ ନିର୍ମିତ ହେବା ସମୟଯାକ ତହିଁ ମଧ୍ୟରେ ହାତୁଡ଼ି କି କଟାଳି, କୌଣସି ଲୌହାସ୍ତ୍ରର ଶବ୍ଦ ଶୁଣା ନ ଗଲା।
8 बीचवाले तल का प्रवेश भवन के दक्षिण ओर था: जब किसी को तीसरे तल को जाना होता था, वह सीढ़ियों से चढ़कर बीचवाले तल पर पहुंचता था, फिर वहां से तीसरे तल को;
ମଧ୍ୟମ କୋଠରିମାନର ଦ୍ୱାର ଗୃହର ଦକ୍ଷିଣ ଭାଗରେ ଥିଲା; ପୁଣି, ଲୋକମାନେ ଘୂର୍ଣ୍ଣିତ ସୋପାନ ଦେଇ ମଧ୍ୟମ କୋଠରିକୁ ଓ ମଧ୍ୟମ କୋଠରିରୁ ତୃତୀୟ କୋଠରିକୁ ଚଢ଼ିଗଲେ।
9 इस प्रकार शलोमोन ने भवन बनाना समाप्‍त किया. भवन की छत उन्होंने देवदार की बल्लियों और पटरियों से बनाई.
ଏହିରୂପେ ସେ ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କାର୍ଯ୍ୟ ସମାପ୍ତ କଲେ, ଏରସ କାଷ୍ଠର କଡ଼ି ଓ ପଟାରେ ଗୃହ ଆଚ୍ଛାଦନ କଲେ।
10 उन्होंने पूरे भवन के आस-पास छज्जे बनाए, जिसकी ऊंचाई सवा दो मीटर थी. इन सभी को मूल भवन के देवदार से जकड़ दिया गया था.
ଆଉ, ସେ ସମୁଦାୟ ଗୃହକୁ ଲଗାଇ ପାଞ୍ଚ ପାଞ୍ଚ ହାତ ଉଚ୍ଚର ମହଲା ବନାଇଲେ ଓ ଏରସ କାଷ୍ଠ ଦ୍ୱାରା ଗୃହ ଉପରେ ସେହିସବୁର ଭାର ରହିଲା।
11 यह सब हो जाने पर शलोमोन को याहवेह का यह संदेश भेजा गया.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶଲୋମନଙ୍କ ନିକଟରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା, ଯଥା,
12 “तुम जिस भवन को बना रहे हो, उसके संबंध में, यदि तुम मेरी विधियों का पालन करते रहोगे, और मेरी आज्ञाओं को पूरा मानोगे और मेरे आदेशों का पालन करोगे, तब मैं तुम्हारे साथ अपनी वह प्रतिज्ञा पूरी करूंगा, जो मैंने तुम्हारे पिता दावीद से की थी.
“ତୁମ୍ଭେ ତ ଏହି ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କରୁଅଛ, ଯଦି ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭର ସମସ୍ତ ବିଧି ଅନୁସାରେ ଚାଲିବ ଓ ଆମ୍ଭର ସକଳ ଶାସନ ରକ୍ଷା କରିବ ଓ ଆମ୍ଭର ଆଜ୍ଞାସବୁ ପାଳନ କରି ତଦନୁସାରେ ଚାଲିବ; ତେବେ ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭ ପିତା ଦାଉଦଙ୍କୁ ଯାହା କହିଅଛୁ, ଆମ୍ଭେ ଆପଣାର ସେହି ବାକ୍ୟ ତୁମ୍ଭ ପ୍ରତି ସଫଳ କରିବା।
13 मैं इस्राएल वंशजों के बीच रहूंगा और उन्हें छोड़ न दूंगा.”
ପୁଣି, ଆମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ବାସ କରିବା ଓ ଆପଣା ଲୋକ ଇସ୍ରାଏଲକୁ ପରିତ୍ୟାଗ କରିବା ନାହିଁ।”
14 शलोमोन ने भवन बनाना समाप्‍त किया.
ଏହିରୂପେ ଶଲୋମନ ଗୃହ ନିର୍ମାଣ କରି ତାହା ସମାପ୍ତ କଲେ।
15 फिर उसने भवन की दीवारों के अंदर से देवदार की पटियां लगवा दीं. उन्होंने भवन की ज़मीन से लेकर भवन की छत तक दीवारों का अंदरूनी भाग देवदार लकड़ी से ढकवा दिया. इसके बाद उन्होंने भवन का तल सनोवर की लकड़ी से ढकवा दिया.
ସେ ଗୃହର ଭିତର କାନ୍ଥସବୁରେ ଏରସ କାଷ୍ଠର ପଟା ଦେଲେ; ଗୃହର ଚଟାଣରୁ କାନ୍ଥର ଛାତ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଭିତରଯାକ ସେ ସେହି କାଷ୍ଠରେ ଆଚ୍ଛାଦନ କଲେ; ପୁଣି, ଦେବଦାରୁ ପଟାରେ ଗୃହର ଚଟାଣ ଆଚ୍ଛାଦନ କଲେ।
16 शलोमोन ने भवन की पीछे की दीवार से नौ मीटर भीतर की ओर एक दीवार बनवाई. यह ज़मीन से छत तक देवदार की बनी हुई थी. इससे एक अंदर का कमरा बन गया. यही परम पवित्र स्थान था.
ପୁଣି, ସେ ଗୃହର ପଶ୍ଚାତ୍‍ଭାଗ କୋଡ଼ିଏ ହାତ କରି ଚଟାଣରୁ କାନ୍ଥ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଏରସ କାଷ୍ଠର ପଟା ଦେଲେ; ସେ ଭିତରେ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ନିମନ୍ତେ ତାହା ପ୍ରସ୍ତୁତ କଲେ।
17 इसके सामने बीच वाला स्थान अठारह मीटर लंबा था.
ତହିଁରେ ଗୃହ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନର ସମ୍ମୁଖସ୍ଥ ମନ୍ଦିର ଚାଳିଶ ହାତ ଦୀର୍ଘ ହେଲା।
18 भवन की दीवारों का अंदरूनी भाग देवदार की लकड़ी से ढका था, जिस पर कलियां और खिले हुए फूल खुद हुए थे. सभी कुछ देवदार से ढका था-पत्थर कहीं से भी दिखाई नहीं पड़ता था.
ପୁଣି, ଗୃହ ଭିତରେ ଏରସ କାଷ୍ଠରେ କଳିକା ଓ ପ୍ରସ୍ପୁଟିତ ପୁଷ୍ପ ଖୋଦିତ କଲେ; ସବୁ ଏରସ କାଷ୍ଠର ଥିଲା; କିଛିମାତ୍ର ପ୍ରସ୍ତର ଦୃଶ୍ୟ ନୋହିଲା।
19 तब उन्होंने अंदरूनी पवित्र स्थान बनवाया. यह भवन के भीतर था, कि इसमें याहवेह की वाचा का संदूक प्रतिष्ठित किया जा सके.
ପୁଣି, ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିୟମ-ସିନ୍ଦୁକ ସ୍ଥାପନାର୍ଥେ ଅନ୍ତଃସ୍ଥ ଗୃହ ମଧ୍ୟରେ ସେ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ପ୍ରସ୍ତୁତ କଲେ।
20 अंदरूनी कमरे की लंबाई छः मीटर, चौड़ाई छः मीटर और ऊंचाई भी छः मीटर ही थी. इसे शुद्ध कुन्दन से मढ़ दिया गया था. उन्होंने देवदार से बनी हुई वेदी को भी मढ़ दिया.
ଆଉ ସେହି ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ଭିତର କୋଡ଼ିଏ ହାତ ଦୀର୍ଘ, କୋଡ଼ିଏ ହାତ ପ୍ରସ୍ଥ ଓ କୋଡ଼ିଏ ହାତ ଉଚ୍ଚ ଥିଲା, ଆଉ ସେ ତହିଁରେ ନିର୍ମଳ ସୁବର୍ଣ୍ଣ ମଡ଼ାଇଲେ ଓ ଧୂପବେଦି ଏରସ କାଷ୍ଠରେ ଆଚ୍ଛାଦନ କଲେ।
21 शलोमोन ने भवन के भीतरी भाग को शुद्ध कुन्दन से मढ़वा दिया. तब उन्होंने अंदरूनी पवित्र स्थान के सामने सोने की सांकलें खींचवा दीं. इसे भी उन्होंने सोने से मढ़वा दिया.
ଏହିରୂପେ ଶଲୋମନ ଗୃହ ଭିତର ନିର୍ମଳ ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ ଓ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ସମ୍ମୁଖରେ ସୁବର୍ଣ୍ଣ ଜଞ୍ଜିରମାନ ଟଙ୍ଗାଇଲେ ଓ ସେ ତାହା ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ।
22 पूरे भवन को उन्होंने सोने से मढ़वा दिया. इस प्रकार पूरे भवन का काम पूरा हुआ. इसके अलावा उन्होंने अंदरूनी पवित्र स्थान की पूरी वेदी को सोने से मढ़वा दिया.
ପୁଣି, ସମୁଦାୟ ଗୃହ ସମାପ୍ତ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମସ୍ତ ଗୃହ ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ; ମଧ୍ୟ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନର ଧୂପବେଦି ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ।
23 उन्होंने जैतून की लकड़ी से दो करूब बनवाए. हर एक की ऊंचाई साढ़े चार-साढ़े चार मीटर थी.
ପୁଣି, ସେ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ ମଧ୍ୟରେ ଦଶ ହାତ ଉଚ୍ଚ ଜୀତ କାଷ୍ଠର ଦୁଇ କିରୂବ ନିର୍ମାଣ କଲେ।
24 करूब का एक पंख सवा दो मीटर था और दूसरा पंख भी सवा दो मीटर का. पहले पंख के छोर से दूसरे पंख के छोर तक लंबाई साढ़े चार मीटर थी.
ଏକ କିରୂବର ଏକ ପକ୍ଷ ପାଞ୍ଚ ହାତ ଓ ଅନ୍ୟ ପକ୍ଷ ହିଁ ପାଞ୍ଚ ହାତ ଥିଲା; ଏକ ପକ୍ଷର ଅଗ୍ରଭାଗରୁ ଅନ୍ୟ ପକ୍ଷର ଅଗ୍ରଭାଗ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଦଶ ହାତ ଥିଲା।
25 दूसरा करूब भी साढ़े चार मीटर ऊंचा था. दोनों ही करूबों की नाप बराबर थी.
ସେରୂପେ ଅନ୍ୟ କିରୂବ ହିଁ ଦଶ ହାତ ଥିଲା; ଦୁଇ କିରୂବଯାକ ଏକ ମାପ ଓ ଏକ ଆକାରର ଥିଲେ।
26 दोनों करूब की ऊंचाई साढ़े चार मीटर थी.
ଏକ କିରୂବର ଉଚ୍ଚତା ଦଶ ହାତ, ଅନ୍ୟ କିରୂବର ମଧ୍ୟ ସେହିପରି ଥିଲା।
27 शलोमोन ने करूबों को अंदरूनी कमरे के बीच में स्थापित कर दिया. करूबों के पंख फैले हुए थे, जिससे पहले करूब का एक पंख एक दीवार को छू रहा था, तो दूसरे का एक पंख दूसरी दीवार को. इससे भवन के बीच में उनके पंख एक दूसरे को छू रहे थे.
ପୁଣି, ସେ ସେହି କିରୂବଦ୍ୱୟକୁ ଅନ୍ତରାଗାର ମଧ୍ୟରେ ରଖିଲେ; ଆଉ ସେହି କିରୂବମାନଙ୍କର ପକ୍ଷ ଏପରି ବିସ୍ତୀର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥିଲା ଯେ, ଏକର ପକ୍ଷ ଏକ କାନ୍ଥକୁ ଓ ଅନ୍ୟର ପକ୍ଷ ଅନ୍ୟ କାନ୍ଥକୁ ସ୍ପର୍ଶ କଲା; ପୁଣି, ଗୃହ ମଧ୍ୟରେ ସେମାନଙ୍କ ପକ୍ଷ ପରସ୍ପର ସ୍ପର୍ଶ କଲା।
28 शलोमोन ने करूबों को भी सोने से मढ़वा दिया था.
ତହୁଁ ସେ କିରୂବମାନଙ୍କୁ ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ।
29 इसके बाद शलोमोन ने भवन की दीवारों के भीतर और बाहर और बाहरी पवित्र स्थानों पर करूब, खजूर के पेड़ और खिले हुए फूलों की आकृतियां खुदवा दीं.
ପୁଣି, ସେ ଗୃହର ସକଳ କାନ୍ଥର ଭିତରେ ବାହାରେ ଚାରିଆଡ଼େ ଖୋଦିତ କିରୂବ ଓ ଖର୍ଜ୍ଜୁର ବୃକ୍ଷ ଓ ପ୍ରସ୍ପୁଟିତ ପୁଷ୍ପମାନଙ୍କର ଆକୃତି ଖୋଳିଲେ।
30 भवन का फर्श उन्होंने भीतरी और बाहरी पवित्र स्थानों में सोने से मढ़वा दिया.
ଆହୁରି ଗୃହ-ଚଟାଣର ଭିତର ବାହାର ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ।
31 अंदरूनी पवित्र स्थान में प्रवेश के लिए शलोमोन ने जैतून के पेड़ की लकड़ी के दरवाजे बनवाए. इनकी चौखट पांच कोण के थे.
ଆଉ, ସେ ମହାପବିତ୍ର ସ୍ଥାନର ପ୍ରବେଶ-ଦ୍ୱାର ଜୀତ କାଷ୍ଠରେ ନିର୍ମାଣ କଲେ, ତହିଁର କପାଳୀ ଓ ବାଜୁବନ୍ଧ କାନ୍ଥର ପଞ୍ଚମାଂଶ ଥିଲା।
32 उन्होंने जैतून वृक्ष की लकड़ी के दो दरवाजे बनवाए. इन पर उन्होंने करूबों, खजूर के पेड़ों और खिले हुए फूलों की आकृति खुदवाई और फिर इन्हें सोने से मढ़वा दिया. उन्होंने करूबों और खजूर के पेड़ों पर सोने का पत्रक मढ़वा दिया.
ଏହିରୂପେ ସେ ଜୀତ କାଷ୍ଠରେ ଦୁଇ କବାଟ କଲେ; ତହିଁ ଉପରେ କିରୂବ ଓ ଖର୍ଜ୍ଜୁର ବୃକ୍ଷ ଓ ପ୍ରସ୍ପୁଟିତ ପୁଷ୍ପମାନର ଆକୃତି ଖୋଦାଇଲେ ଓ ତାହା ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ; ଆଉ କିରୂବ ଓ ଖର୍ଜ୍ଜୁରବୃକ୍ଷମାନ ଉପରେ ସୁବର୍ଣ୍ଣ ମଡ଼ାଇଲେ।
33 उन्होंने बीचवाले स्थान में प्रवेश के लिए जैतून की लकड़ी के चौकोर चौखट और
ତଦ୍ରୂପ ମନ୍ଦିରର ପ୍ରବେଶ-ଦ୍ୱାର ନିମନ୍ତେ କାନ୍ଥର ଚତୁର୍ଥାଂଶରେ ଜୀତ କାଷ୍ଠର ଚୌକାଠ କଲେ;
34 दरवाजे उन्होंने सनोवर की लकड़ी के बनवाए. हर एक दरवाजे के दो-दो पल्ले थे, जो मोड़ने पर दोहरे हो जाते थे.
ଆଉ, ଦେବଦାରୁ କାଷ୍ଠରେ ଦୁଇ କବାଟ କଲେ; ଏକ କବାଟର ଦୁଇ ପଟ ଦୋହରା ଥିଲା, ଅନ୍ୟ କବାଟର ଦୁଇ ପଟ ଦୋହରା ଥିଲା।
35 इन पर शलोमोन ने करूब, खजूर के पेड़ और खिले हुए पेड़ों की आकृतियां खुदवाईं. इन सभी पर उन्होंने एक बराबर सोने का पत्रक मढ़वा दिया.
ପୁଣି, ସେ ତହିଁ ଉପରେ କିରୂବ ଓ ଖର୍ଜ୍ଜୁର ବୃକ୍ଷ ଓ ପ୍ରସ୍ପୁଟିତ ପୁଷ୍ପମାନ ଖୋଳି ସେହି ଖୋଦିତ କର୍ମର ଆକୃତି ଅନୁସାରେ ସୁବର୍ଣ୍ଣ ମଡ଼ାଇଲେ।
36 भीतरी कमरा उन्होंने काटे संवारे गए पत्थरों की तीन पंक्तियों और देवदार की बल्लियों की एक सतह से बनवाया.
ପୁଣି, ସେ ତିନି ଧାଡ଼ି ଖୋଦିତ ପ୍ରସ୍ତରରେ ଓ ଏକ ଧାଡ଼ି ଏରସ କାଷ୍ଠର କଡ଼ିରେ ଭିତର ପ୍ରାଙ୍ଗଣ ନିର୍ମାଣ କଲେ।
37 चौथे साल में याहवेह के भवन की नींव रखी गई थी, यह ज़ीव नाम का महीना था.
ଚତୁର୍ଥ ବର୍ଷର ସିବ୍‍ ମାସରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଗୃହର ଭିତ୍ତିମୂଳ ସ୍ଥାପିତ ହେଲା।
38 ग्यारहवें साल में बूल महीने में जो वास्तव में आठवां महीना है, हर तरह से भवन बनने का काम पूरा हो गया था. यह सब हर रीति से योजना के अनुसार ही हुआ था, यानी भवन बनाने के काम में सात साल लग गए थे.
ପୁଣି, ଏକାଦଶ ବର୍ଷର ବୂଲ ନାମକ ଅଷ୍ଟମ ମାସରେ ନିରୂପିତ ଆକୃତି ଅନୁସାରେ ସମୁଦାୟ ଅଂଶରେ ଗୃହର ନିର୍ମାଣ କାର୍ଯ୍ୟ ସମାପ୍ତ ହେଲା। ଏରୂପେ ତାହା ନିର୍ମାଣ କରିବାରେ ତାଙ୍କୁ ସାତ ବର୍ଷ ଲାଗିଲା।

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