< 1 राजा 22 >

1 तीन साल तक इस्राएल और अराम के बीच युद्ध न हुआ.
וַיֵּשְׁב֖וּ שָׁלֹ֣שׁ שָׁנִ֑ים אֵ֚ין מִלְחָמָ֔ה בֵּ֥ין אֲרָ֖ם וּבֵ֥ין יִשְׂרָאֵֽל׃ פ
2 तीसरे साल यहूदिया का राजा यहोशाफ़ात इस्राएल के राजा अहाब से भेंटकरने आया.
וַיְהִ֖י בַּשָּׁנָ֣ה הַשְּׁלִישִׁ֑ית וַיֵּ֛רֶד יְהוֹשָׁפָ֥ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה אֶל־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵֽל׃
3 इस्राएल के राजा ने अपने सेवकों से कहा, “क्या तुम्हें मालूम है कि रामोथ-गिलआद हमारे अधिकार क्षेत्र में है और हम इसे अराम के राजा से दोबारा पाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं?”
וַיֹּ֤אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵל֙ אֶל־עֲבָדָ֔יו הַיְדַעְתֶּ֕ם כִּֽי־לָ֖נוּ רָמֹ֣ת גִּלְעָ֑ד וַאֲנַ֣חְנוּ מַחְשִׁ֔ים מִקַּ֣חַת אֹתָ֔הּ מִיַּ֖ד מֶ֥לֶךְ אֲרָֽם׃
4 तब उसने यहोशाफ़ात से प्रश्न किया, “क्या आप रामोथ-गिलआद में युद्ध करने मेरे साथ चलेंगे?” यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, “मैं आपके ही जैसा हूं, मेरी प्रजा आपकी प्रजा के समान और घोड़े आपके घोड़ों के समान.”
וַיֹּ֙אמֶר֙ אֶל־יְה֣וֹשָׁפָ֔ט הֲתֵלֵ֥ךְ אִתִּ֛י לַמִּלְחָמָ֖ה רָמֹ֣ת גִּלְעָ֑ד וַיֹּ֤אמֶר יְהֽוֹשָׁפָט֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל כָּמ֧וֹנִי כָמ֛וֹךָ כְּעַמִּ֥י כְעַמֶּ֖ךָ כְּסוּסַ֥י כְּסוּסֶֽיךָ׃
5 यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा से कहा, “सबसे पहले याहवेह की इच्छा मालूम कर लें.”
וַיֹּ֥אמֶר יְהוֹשָׁפָ֖ט אֶל־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֑ל דְּרָשׁ־נָ֥א כַיּ֖וֹם אֶת־דְּבַ֥ר יְהוָֽה׃
6 तब इस्राएल के राजा ने भविष्यवक्ताओं को इकट्ठा किया. ये लगभग चार सौ व्यक्ति थे. उसने भविष्यवक्ताओं से प्रश्न किया, “मैं रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाऊं, या यह विचार छोड़ दूं?” उन्होंने उत्तर दिया, “आप जाइए, क्योंकि याहवेह उसे राजा के अधीन कर देंगे.”
וַיִּקְבֹּ֨ץ מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֥ל אֶֽת־הַנְּבִיאִים֮ כְּאַרְבַּ֣ע מֵא֣וֹת אִישׁ֒ וַיֹּ֣אמֶר אֲלֵהֶ֗ם הַאֵלֵ֞ךְ עַל־רָמֹ֥ת גִּלְעָ֛ד לַמִּלְחָמָ֖ה אִם־אֶחְדָּ֑ל וַיֹּאמְר֣וּ עֲלֵ֔ה וְיִתֵּ֥ן אֲדֹנָ֖י בְּיַ֥ד הַמֶּֽלֶךְ׃
7 मगर यहोशाफ़ात ने प्रश्न किया, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं, जिससे हम यह मालूम कर सकें?”
וַיֹּ֙אמֶר֙ יְה֣וֹשָׁפָ֔ט הַאֵ֨ין פֹּ֥ה נָבִ֛יא לַיהוָ֖ה ע֑וֹד וְנִדְרְשָׁ֖ה מֵאוֹתֽוֹ׃
8 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात को उत्तर दिया, “हां, यहां एक और व्यक्ति है, जिससे हम याहवेह की इच्छा जान सकते है; इमलाह का पुत्र मीकायाह; मगर मुझे उससे घृणा है; क्योंकि उसकी भविष्यवाणी में मेरे लिए कुछ भी भला नहीं, बल्कि बुरा ही हुआ करता है.” इस पर यहोशाफ़ात ने कहा, “राजा का ऐसा कहना अच्छा नहीं है.”
וַיֹּ֣אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֣ל ׀ אֶֽל־יְהוֹשָׁפָ֡ט ע֣וֹד אִישׁ־אֶחָ֡ד לִדְרֹשׁ֩ אֶת־יְהוָ֨ה מֵאֹת֜וֹ וַאֲנִ֣י שְׂנֵאתִ֗יו כִּ֠י לֹֽא־יִתְנַבֵּ֨א עָלַ֥י טוֹב֙ כִּ֣י אִם־רָ֔ע מִיכָ֖יְהוּ בֶּן־יִמְלָ֑ה וַיֹּ֙אמֶר֙ יְה֣וֹשָׁפָ֔ט אַל־יֹאמַ֥ר הַמֶּ֖לֶךְ כֵּֽן׃
9 तब इस्राएल के राजा ने अपने एक अधिकारी को बुलाकर आदेश दिया, “जल्दी ही इमलाह के पुत्र मीकायाह को ले आओ.”
וַיִּקְרָא֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל אֶל־סָרִ֖יס אֶחָ֑ד וַיֹּ֕אמֶר מַהֲרָ֖ה מִיכָ֥יְהוּ בֶן־יִמְלָֽה׃
10 इस्राएल का राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात शमरिया के फाटक के सामने खुले खलिहान में राजसी वस्त्रों में अपने-अपने सिंहासनों पर बैठे थे. उनके सामने सारे भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी कर रहे थे.
וּמֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֡ל וִֽיהוֹשָׁפָ֣ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֡ה יֹשְׁבִים֩ אִ֨ישׁ עַל־כִּסְא֜וֹ מְלֻבָּשִׁ֤ים בְּגָדִים֙ בְּגֹ֔רֶן פֶּ֖תַח שַׁ֣עַר שֹׁמְר֑וֹן וְכָ֨ל־הַנְּבִיאִ֔ים מִֽתְנַבְּאִ֖ים לִפְנֵיהֶֽם׃
11 तभी केनानाह का पुत्र सीदकियाहू, जिसने अपने लिए लोहे के सींग बनाए थे, कहने लगा, “यह संदेश याहवेह की ओर से है, ‘इन सींगों के द्वारा आप अरामियों पर इस रीति से वार करेंगे, कि वे खत्म हो जाएंगे.’”
וַיַּ֥עַשׂ ל֛וֹ צִדְקִיָּ֥ה בֶֽן־כְּנַעֲנָ֖ה קַרְנֵ֣י בַרְזֶ֑ל וַיֹּ֙אמֶר֙ כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָ֔ה בְּאֵ֛לֶּה תְּנַגַּ֥ח אֶת־אֲרָ֖ם עַד־כַּלֹּתָֽם׃
12 सारे भविष्यद्वक्ता यही भविष्यवाणी कर रहे थे, “रामोथ-गिलआद पर हमला कीजिए और विजयी हो जाइए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
וְכָל־הַנְּבִאִ֔ים נִבְּאִ֥ים כֵּ֖ן לֵאמֹ֑ר עֲלֵ֞ה רָמֹ֤ת גִּלְעָד֙ וְהַצְלַ֔ח וְנָתַ֥ן יְהוָ֖ה בְּיַ֥ד הַמֶּֽלֶךְ׃
13 उस दूत ने, जो मीकायाह को लाने के लिए भेजा गया था, मीकायाह से कहा, “देख लो, सारे भविष्यद्वक्ता राजा के लिए अनुसार और भलाई में ही भविष्यवाणी कर रहे हैं. तुम्हारी भविष्यवाणी भी इन्हीं में से एक के समान हो. तुम भी भली भविष्यवाणी ही करना.”
וְהַמַּלְאָ֞ךְ אֲשֶׁר־הָלַ֣ךְ ׀ לִקְרֹ֣א מִיכָ֗יְהוּ דִּבֶּ֤ר אֵלָיו֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּה־נָ֞א דִּבְרֵ֧י הַנְּבִיאִ֛ים פֶּֽה־אֶחָ֥ד ט֖וֹב אֶל־הַמֶּ֑לֶךְ יְהִֽי־נָ֣א דבריך כִּדְבַ֛ר אַחַ֥ד מֵהֶ֖ם וְדִבַּ֥רְתָּ טּֽוֹב׃
14 मगर मीकायाह ने कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं सिर्फ वही कहूंगा, जिसके लिए याहवेह मुझे भेजेंगे.”
וַיֹּ֖אמֶר מִיכָ֑יְהוּ חַי־יְהוָ֕ה כִּ֠י אֶת־אֲשֶׁ֨ר יֹאמַ֧ר יְהוָ֛ה אֵלַ֖י אֹת֥וֹ אֲדַבֵּֽר׃
15 जब मीकायाह राजा के सामने पहुंचा, राजा ने उससे प्रश्न किया, “मीकायाह, क्या हम रामोथ-गिलआद से युद्ध करें या इसका विचार ही छोड़ दें?” मीकायाह ने राजा को उत्तर दिया, “आप जाइए और सफलता प्राप्‍त कीजिए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
וַיָּבוֹא֮ אֶל־הַמֶּלֶךְ֒ וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ אֵלָ֗יו מִיכָ֙יְהוּ֙ הֲנֵלֵ֞ךְ אֶל־רָמֹ֥ת גִּלְעָ֛ד לַמִּלְחָמָ֖ה אִם־נֶחְדָּ֑ל וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ עֲלֵ֣ה וְהַצְלַ֔ח וְנָתַ֥ן יְהוָ֖ה בְּיַ֥ד הַמֶּֽלֶךְ׃
16 राजा ने मीकायाह से कहा, “मीकायाह, मुझे तुम्हें कितनी बार इसकी शपथ दिलानी होगी कि तुम्हें मुझसे याहवेह के नाम में सच के सिवाय और कुछ भी नहीं कहना है?”
וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ הַמֶּ֔לֶךְ עַד־כַּמֶּ֥ה פְעָמִ֖ים אֲנִ֣י מַשְׁבִּעֶ֑ךָ אֲ֠שֶׁר לֹֽא־תְדַבֵּ֥ר אֵלַ֛י רַק־אֱמֶ֖ת בְּשֵׁ֥ם יְהוָֽה׃
17 तब मीकायाह ने उत्तर दिया, “मैंने सारे इस्राएल को बिन चरवाहे की भेड़ों के समान पहाड़ों पर तितर-बितर देखा. तभी याहवेह ने कहा, ‘इनका तो कोई स्वामी ही नहीं है. हर एक को शांतिपूर्वक अपने-अपने घर लौट जाने दो.’”
וַיֹּ֗אמֶר רָאִ֤יתִי אֶת־כָּל־יִשְׂרָאֵל֙ נְפֹצִ֣ים אֶל־הֶהָרִ֔ים כַּצֹּ֕אן אֲשֶׁ֥ר אֵין־לָהֶ֖ם רֹעֶ֑ה וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ לֹֽא־אֲדֹנִ֣ים לָאֵ֔לֶּה יָשׁ֥וּבוּ אִישׁ־לְבֵית֖וֹ בְּשָׁלֽוֹם׃
18 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैंने कहा था न, कि यह मेरे बारे में बुरी भविष्यवाणी ही करेगा, भली नहीं?”
וַיֹּ֥אמֶר מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֖ל אֶל־יְהוֹשָׁפָ֑ט הֲלוֹא֙ אָמַ֣רְתִּי אֵלֶ֔יךָ לֽוֹא־יִתְנַבֵּ֥א עָלַ֛י ט֖וֹב כִּ֥י אִם־רָֽע׃
19 इस पर मीकायाह ने उत्तर दिया, “बहुत बढ़िया! तो फिर याहवेह का संदेश भी सुन लीजिए: मैंने याहवेह को उनके सिंहासन पर बैठे देखा. उनके दाईं और बाईं ओर में सारी स्वर्गिक सेना खड़ी हुई थी.
וַיֹּ֕אמֶר לָכֵ֖ן שְׁמַ֣ע דְּבַר־יְהוָ֑ה רָאִ֤יתִי אֶת־יְהוָה֙ יֹשֵׁ֣ב עַל־כִּסְא֔וֹ וְכָל־צְבָ֤א הַשָּׁמַ֙יִם֙ עֹמֵ֣ד עָלָ֔יו מִימִינ֖וֹ וּמִשְּׂמֹאלֽוֹ׃
20 याहवेह ने वहां प्रश्न किया, ‘यहां कौन है, जो अहाब को ऐसे लुभाएगा कि वह रामोथ-गिलआद जाए और वहां जाकर मारा जाए?’ “किसी ने वहां कुछ उत्तर दिया और किसी ने कुछ और.
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָ֗ה מִ֤י יְפַתֶּה֙ אֶת־אַחְאָ֔ב וְיַ֕עַל וְיִפֹּ֖ל בְּרָמֹ֣ת גִּלְעָ֑ד וַיֹּ֤אמֶר זֶה֙ בְּכֹ֔ה וְזֶ֥ה אֹמֵ֖ר בְּכֹֽה׃
21 तब वहां एक आत्मा आकर याहवेह के सामने खड़े होकर यह कहने लगा, ‘मैं उसे लुभाऊंगा.’
וַיֵּצֵ֣א הָר֗וּחַ וַֽיַּעֲמֹד֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה וַיֹּ֖אמֶר אֲנִ֣י אֲפַתֶּ֑נּוּ וַיֹּ֧אמֶר יְהוָ֛ה אֵלָ֖יו בַּמָּֽה׃
22 “‘कैसे?’ याहवेह ने उससे प्रश्न किया. “उसने उत्तर दिया, ‘मैं जाकर राजा के सभी भविष्यवक्ताओं के मुख में झूठी आत्मा बन जाऊंगी.’” इस पर याहवेह ने कहा, “‘तुम्हें इसमें सफल भी होना होगा. जाओ और यही करो.’
וַיֹּ֗אמֶר אֵצֵא֙ וְהָיִ֙יתִי֙ ר֣וּחַ שֶׁ֔קֶר בְּפִ֖י כָּל־נְבִיאָ֑יו וַיֹּ֗אמֶר תְּפַתֶּה֙ וְגַם־תּוּכָ֔ל צֵ֖א וַעֲשֵׂה־כֵֽן׃
23 “इसलिये देख लीजिए, याहवेह ने इन सारे भविष्यवक्ताओं के मुंह में छल का एक आत्मा डाल रखा है. आपके लिए याहवेह ने सर्वनाश की घोषणा कर दी है.”
וְעַתָּ֗ה הִנֵּ֨ה נָתַ֤ן יְהוָה֙ ר֣וּחַ שֶׁ֔קֶר בְּפִ֖י כָּל־נְבִיאֶ֣יךָ אֵ֑לֶּה וַֽיהוָ֔ה דִּבֶּ֥ר עָלֶ֖יךָ רָעָֽה׃
24 यह सुन केनानाह का पुत्र सीदकियाहू सामने आया और मीकायाह के गाल पर मारते हुए कहने लगा, “याहवेह का आत्मा मुझमें से निकलकर तुमसे बातचीत करने किस प्रकार जा पहुंचा?”
וַיִּגַּשׁ֙ צִדְקִיָּ֣הוּ בֶֽן־כְּנַעֲנָ֔ה וַיַּכֶּ֥ה אֶת־מִיכָ֖יְהוּ עַל־הַלֶּ֑חִי וַיֹּ֕אמֶר אֵי־זֶ֨ה עָבַ֧ר רֽוּחַ־יְהוָ֛ה מֵאִתִּ֖י לְדַבֵּ֥ר אוֹתָֽךְ׃
25 मीकायाह ने उसे उत्तर दिया, “तुम यह देख लेना, जब उस दिन तुम छिपने के लिए भीतर के कमरे में शरण लोगे.”
וַיֹּ֣אמֶר מִיכָ֔יְהוּ הִנְּךָ֥ רֹאֶ֖ה בַּיּ֣וֹם הַה֑וּא אֲשֶׁ֥ר תָּבֹ֛א חֶ֥דֶר בְּחֶ֖דֶר לְהֵחָבֵֽה׃
26 इस्राएल के राजा ने कहा, “पकड़ लो, मीकायाह को! उसे हाकिम अमोन और राजकुमार योआश के पास ले जाओ.
וַיֹּ֙אמֶר֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל קַ֚ח אֶת־מִיכָ֔יְהוּ וַהֲשִׁיבֵ֖הוּ אֶל־אָמֹ֣ן שַׂר־הָעִ֑יר וְאֶל־יוֹאָ֖שׁ בֶּן־הַמֶּֽלֶךְ׃
27 उनसे कहना, ‘यह राजा का आदेश है: इस व्यक्ति को जेल में डाल दो और उसे उस समय तक ज़रा सा ही भोजन और पानी देना, जब तक मैं सुरक्षित न लौट आऊं.’”
וְאָמַרְתָּ֗ כֹּ֚ה אָמַ֣ר הַמֶּ֔לֶךְ שִׂ֥ימוּ אֶת־זֶ֖ה בֵּ֣ית הַכֶּ֑לֶא וְהַאֲכִילֻ֨הוּ לֶ֤חֶם לַ֙חַץ֙ וּמַ֣יִם לַ֔חַץ עַ֖ד בֹּאִ֥י בְשָׁלֽוֹם׃
28 इस पर मीकायाह ने कहा, “यदि आप सच में सकुशल लौट आएं, तो यह समझ लीजिए कि याहवेह ने मेरे द्वारा यह सब प्रकट किया ही नहीं है.” और फिर भीड़ से उसने कहा, “आप सब भी यह सुन लीजिए.”
וַיֹּ֣אמֶר מִיכָ֔יְהוּ אִם־שׁ֤וֹב תָּשׁוּב֙ בְּשָׁל֔וֹם לֹֽא־דִבֶּ֥ר יְהוָ֖ה בִּ֑י וַיֹּ֕אמֶר שִׁמְע֖וּ עַמִּ֥ים כֻּלָּֽם׃
29 फिर भी इस्राएल के राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने रामोथ-गिलआद पर हमला कर दिया.
וַיַּ֧עַל מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֛ל וְיהוֹשָׁפָ֥ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה רָמֹ֥ת גִּלְעָֽד׃
30 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैं भेष बदलकर युद्ध-भूमि में जाऊंगा, मगर आप अपनी राजसी वेशभूषा ही पहने रहिए.” इस्राएल का राजा भेष बदलकर युद्ध-भूमि में गया.
וַיֹּאמֶר֩ מֶ֨לֶךְ יִשְׂרָאֵ֜ל אֶל־יְהוֹשָׁפָ֗ט הִתְחַפֵּשׂ֙ וָבֹ֣א בַמִּלְחָמָ֔ה וְאַתָּ֖ה לְבַ֣שׁ בְּגָדֶ֑יךָ וַיִּתְחַפֵּשׂ֙ מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל וַיָּב֖וֹא בַּמִּלְחָמָֽה׃
31 अराम के राजा ने अपनी रथ सेना के बत्तीस प्रधानों को आदेश दे रखा था, “युद्ध न तो साधारण सैनिकों से करना और न मुख्य अधिकारियों से, सिर्फ इस्राएल के राजा को निशाना बनाना.”
וּמֶ֣לֶךְ אֲרָ֡ם צִוָּ֣ה אֶת־שָׂרֵי֩ הָרֶ֨כֶב אֲשֶׁר־ל֜וֹ שְׁלֹשִׁ֤ים וּשְׁנַ֙יִם֙ לֵאמֹ֔ר לֹ֚א תִּלָּ֣חֲמ֔וּ אֶת־קָטֹ֖ן וְאֶת־גָּד֑וֹל כִּ֛י אִֽם־אֶת־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵ֖ל לְבַדּֽוֹ׃
32 जैसे ही इन अधिकारियों ने यहोशाफ़ात को देखा, उन्होंने समझा, “ज़रूर यही इस्राएल का राजा है.” तब वे यहोशाफ़ात की ओर लपके. इस पर यहोशाफ़ात चिल्ला उठा.
וַיְהִ֡י כִּרְאוֹת֩ שָׂרֵ֨י הָרֶ֜כֶב אֶת־יְהוֹשָׁפָ֗ט וְהֵ֤מָּה אָֽמְרוּ֙ אַ֣ךְ מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֣ל ה֔וּא וַיָּסֻ֥רוּ עָלָ֖יו לְהִלָּחֵ֑ם וַיִּזְעַ֖ק יְהוֹשָׁפָֽט׃
33 जब प्रधानों ने देखा कि वह इस्राएल का राजा नहीं था, उन्होंने उसका पीछा करना छोड़ दिया.
וַיְהִ֗י כִּרְאוֹת֙ שָׂרֵ֣י הָרֶ֔כֶב כִּֽי־לֹא־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵ֖ל ה֑וּא וַיָּשׁ֖וּבוּ מֵאַחֲרָֽיו׃
34 इसी समय किसी एक सैनिक ने बिना कोई निशाना साधे ही अपना बाण छोड़ दिया. वह बाण जाकर इस्राएल के राजा के कवच के जोड़ पर जा लगा. तब राजा ने सारथी को आदेश दिया, “रथ मोड़ो और मुझे युद्ध-भूमि से बाहर ले चलो, मैं बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया हूं.”
וְאִ֗ישׁ מָשַׁ֤ךְ בַּקֶּ֙שֶׁת֙ לְתֻמּ֔וֹ וַיַּכֶּה֙ אֶת־מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֔ל בֵּ֥ין הַדְּבָקִ֖ים וּבֵ֣ין הַשִּׁרְיָ֑ן וַיֹּ֣אמֶר לְרַכָּב֗וֹ הֲפֹ֥ךְ יָדְךָ֛ וְהוֹצִיאֵ֥נִי מִן־הַֽמַּחֲנֶ֖ה כִּ֥י הָחֳלֵֽיתִי׃
35 युद्ध तेज होता चला गया. अरामियों के सामने राजा को रथ में खड़ा हुआ पेश किया गया. शाम को राजा के प्राणपखेरु उड़ गए. उसका खून बहता हुआ रथ के पेंदे में जमा होता रहा.
וַתַּעֲלֶ֤ה הַמִּלְחָמָה֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא וְהַמֶּ֗לֶךְ הָיָ֧ה מָעֳמָ֛ד בַּמֶּרְכָּבָ֖ה נֹ֣כַח אֲרָ֑ם וַיָּ֣מָת בָּעֶ֔רֶב וַיִּ֥צֶק דַּֽם־הַמַּכָּ֖ה אֶל־חֵ֥יק הָרָֽכֶב׃
36 शाम को सारी सेना में यह घोषणा की गई: “हर एक व्यक्ति अपने-अपने नगर को और हर एक सैनिक अपने-अपने देश को लौट जाए.”
וַיַּעֲבֹ֤ר הָרִנָּה֙ בַּֽמַּחֲנֶ֔ה כְּבֹ֥א הַשֶּׁ֖מֶשׁ לֵאמֹ֑ר אִ֥ישׁ אֶל־עִיר֖וֹ וְאִ֥ישׁ אֶל־אַרְצֽוֹ׃
37 राजा के शव को शमरिया लाया गया और उसे शमरिया में गाड़ दिया गया.
וַיָּ֣מָת הַמֶּ֔לֶךְ וַיָּב֖וֹא שֹׁמְר֑וֹן וַיִּקְבְּר֥וּ אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ בְּשֹׁמְרֽוֹן׃
38 रथ को शमरिया के तालाब के तट पर धोया गया, और उस खून को कुत्ते चाटते रहे. इस समय वह जगह वेश्याओं के नहाने के लिए ठहराया हुआ घाट था. यह ठीक वैसा ही हुआ जैसी याहवेह की भविष्यवाणी थी.
וַיִּשְׁטֹ֨ף אֶת־הָרֶ֜כֶב עַ֣ל ׀ בְּרֵכַ֣ת שֹׁמְר֗וֹן וַיָּלֹ֤קּוּ הַכְּלָבִים֙ אֶת־דָּמ֔וֹ וְהַזֹּנ֖וֹת רָחָ֑צוּ כִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֵּֽר׃
39 अहाब द्वारा किए गए बाकी काम और वह सब, जो उसके द्वारा किया गया, उसके द्वारा बनाया गया हाथी-दांत का भवन और उसके द्वारा बनाए नगरों का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है.
וְיֶתֶר֩ דִּבְרֵ֨י אַחְאָ֜ב וְכָל־אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֗ה וּבֵ֤ית הַשֵּׁן֙ אֲשֶׁ֣ר בָּנָ֔ה וְכָל־הֶעָרִ֖ים אֲשֶׁ֣ר בָּנָ֑ה הֲלֽוֹא־הֵ֣ם כְּתוּבִ֗ים עַל־סֵ֛פֶר דִּבְרֵ֥י הַיָּמִ֖ים לְמַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
40 अहाब अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए जा मिला, और उसकी जगह पर उसका पुत्र अहज़्याह राजा बना.
וַיִּשְׁכַּ֥ב אַחְאָ֖ב עִם־אֲבֹתָ֑יו וַיִּמְלֹ֛ךְ אֲחַזְיָ֥הוּ בְנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ פ
41 इस्राएल के राजा अहाब के शासनकाल के चौथे साल में आसा के पुत्र यहोशाफ़ात ने यहूदिया पर शासन करना शुरू किया.
וִיהֽוֹשָׁפָט֙ בֶּן־אָסָ֔א מָלַ֖ךְ עַל־יְהוּדָ֑ה בִּשְׁנַ֣ת אַרְבַּ֔ע לְאַחְאָ֖ב מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵֽל׃
42 जब उसने शासन की बागडोर संभाली, उसकी उम्र पैंतीस साल की थी. उन्होंने येरूशलेम में पच्चीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम अत्सूबा था, वह शिल्ही की पुत्री थी.
יְהוֹשָׁפָ֗ט בֶּן־שְׁלֹשִׁ֨ים וְחָמֵ֤שׁ שָׁנָה֙ בְּמָלְכ֔וֹ וְעֶשְׂרִ֤ים וְחָמֵשׁ֙ שָׁנָ֔ה מָלַ֖ךְ בִּירוּשָׁלִָ֑ם וְשֵׁ֣ם אִמּ֔וֹ עֲזוּבָ֖ה בַּת־שִׁלְחִֽי׃
43 यहोशाफ़ात का व्यवहार सभी बातों में उनके पिता आसा के समान था. वह कभी उस तरह के जीवन से अलग न हुआ. उसके काम वे ही थे, जो याहवेह की दृष्टि में सही थे. फिर भी, पूजा स्थलों की वेदियां तोड़ी नहीं गई थी. लोग पूजा स्थलों की वेदियों पर धूप जलाते और बलि चढ़ाते रहे.
וַיֵּ֗לֶךְ בְּכָל־דֶּ֛רֶךְ אָסָ֥א אָבִ֖יו לֹא־סָ֣ר מִמֶּ֑נּוּ לַעֲשׂ֥וֹת הַיָּשָׁ֖ר בְּעֵינֵ֥י יְהוָֽה׃ אַ֥ךְ הַבָּמ֖וֹת לֹֽא־סָ֑רוּ ע֥וֹד הָעָ֛ם מְזַבְּחִ֥ים וּֽמְקַטְּרִ֖ים בַּבָּמֽוֹת׃
44 इनके अलावा यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा के साथ शांति की वाचा बांधी.
וַיַּשְׁלֵ֥ם יְהוֹשָׁפָ֖ט עִם־מֶ֥לֶךְ יִשְׂרָאֵֽל׃
45 यहोशाफ़ात की बाकी उपलब्धियां, उसके द्वारा किए गए वीरता के काम, और उसके युद्ध कौशल का ब्यौरा यहूदिया के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में किया गया है.
וְיֶ֨תֶר דִּבְרֵ֧י יְהוֹשָׁפָ֛ט וּגְבוּרָת֥וֹ אֲשֶׁר־עָשָׂ֖ה וַאֲשֶׁ֣ר נִלְחָ֑ם הֲלֹֽא־הֵ֣ם כְּתוּבִ֗ים עַל־סֵ֛פֶר דִּבְרֵ֥י הַיָּמִ֖ים לְמַלְכֵ֥י יְהוּדָֽה׃
46 उसने अपने पिता आसा के शासनकाल से बाकी रह गए अन्य देवताओं के मंदिर में काम कर रहे पुरुष वेश्याओं को निकाल दिया.
וְיֶ֙תֶר֙ הַקָּדֵ֔שׁ אֲשֶׁ֣ר נִשְׁאַ֔ר בִּימֵ֖י אָסָ֣א אָבִ֑יו בִּעֵ֖ר מִן־הָאָֽרֶץ׃
47 एदोम देश में कोई राजा न था; वहां सिर्फ राजा द्वारा एक दूत चुना गया था.
וּמֶ֥לֶךְ אֵ֛ין בֶּאֱד֖וֹם נִצָּ֥ב מֶֽלֶךְ׃
48 यहोशाफ़ात ने दोबारा ओफीर से सोना आयात करने के लिए तरशीश के समान जहाज़ बनाए; मगर वे यात्रा पर जा ही न सके, क्योंकि वे एज़िओन-गेबेर नामक स्थान पर ही टूट गए.
יְהוֹשָׁפָ֡ט עשר אֳנִיּ֨וֹת תַּרְשִׁ֜ישׁ לָלֶ֧כֶת אוֹפִ֛ירָה לַזָּהָ֖ב וְלֹ֣א הָלָ֑ךְ כִּֽי־נשברה אֳנִיּ֖וֹת בְּעֶצְי֥וֹן גָּֽבֶר׃
49 अहाब के पुत्र अहज़्याह ने यहोशाफ़ात के सामने प्रस्ताव रखा, “जहाजों में अपने सेवकों के साथ मेरे सेवकों को भी ले लीजिए,” मगर यहोशाफ़ात इसके लिए राज़ी न हुआ.
אָ֠ז אָמַ֞ר אֲחַזְיָ֤הוּ בֶן־אַחְאָב֙ אֶל־יְה֣וֹשָׁפָ֔ט יֵלְכ֧וּ עֲבָדַ֛י עִם־עֲבָדֶ֖יךָ בָּאֳנִיּ֑וֹת וְלֹ֥א אָבָ֖ה יְהוֹשָׁפָֽט׃
50 यहोशाफ़ात हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में मिल गया. उसे उसके पूर्वज दावीद के नगर में उसके पूर्वजों के साथ गाड़ा दिया. उसके स्थान पर उसका पुत्र यहोराम राजा हुआ.
וַיִּשְׁכַּ֤ב יְהֽוֹשָׁפָט֙ עִם־אֲבֹתָ֔יו וַיִּקָּבֵר֙ עִם־אֲבֹתָ֔יו בְּעִ֖יר דָּוִ֣ד אָבִ֑יו וַיִּמְלֹ֛ךְ יְהוֹרָ֥ם בְּנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ ס
51 यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के शासनकाल के सत्रहवें साल में अहाब के पुत्र अहज़्याह ने शासन करना शुरू किया.
אֲחַזְיָ֣הוּ בֶן־אַחְאָ֗ב מָלַ֤ךְ עַל־יִשְׂרָאֵל֙ בְּשֹׁ֣מְר֔וֹן בִּשְׁנַת֙ שְׁבַ֣ע עֶשְׂרֵ֔ה לִיהוֹשָׁפָ֖ט מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה וַיִּמְלֹ֥ךְ עַל־יִשְׂרָאֵ֖ל שְׁנָתָֽיִם׃
52 उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. उसका स्वभाव अपने पिता और माता और नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के समान था, जिन्होंने इस्राएल को पाप के लिए उकसाया था.
וַיַּ֥עַשׂ הָרַ֖ע בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה וַיֵּ֗לֶךְ בְּדֶ֤רֶךְ אָבִיו֙ וּבְדֶ֣רֶךְ אִמּ֔וֹ וּבְדֶ֙רֶךְ֙ יָרָבְעָ֣ם בֶּן־נְבָ֔ט אֲשֶׁ֥ר הֶחֱטִ֖יא אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃
53 वह बाल की सेवा-उपासना करता था, जिसके द्वारा उसने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के क्रोध को भड़काया, ठीक वही सब, जैसा उसके पिता ने किया था.
וַֽיַּעֲבֹד֙ אֶת־הַבַּ֔עַל וַיִּֽשְׁתַּחֲוֶ֖ה ל֑וֹ וַיַּכְעֵ֗ס אֶת־יְהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־עָשָׂ֖ה אָבִֽיו׃

< 1 राजा 22 >