< 1 राजा 22 >

1 तीन साल तक इस्राएल और अराम के बीच युद्ध न हुआ.
তিন বছর অরাম ও ইস্রায়েলের মধ্যে কোনও যুদ্ধ হয়নি।
2 तीसरे साल यहूदिया का राजा यहोशाफ़ात इस्राएल के राजा अहाब से भेंटकरने आया.
কিন্তু তৃতীয় বছরে যিহূদার রাজা যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজার সাথে দেখা করতে গেলেন।
3 इस्राएल के राजा ने अपने सेवकों से कहा, “क्या तुम्हें मालूम है कि रामोथ-गिलआद हमारे अधिकार क्षेत्र में है और हम इसे अराम के राजा से दोबारा पाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं?”
ইস্রায়েলের রাজা তাঁর কর্মকর্তাদের বললেন, “তোমরা কি জানো না যে রামোৎ-গিলিয়দ আমাদেরই, আর তাও আমরা অরামের রাজার হাত থেকে সেটি পুনরাধিকার করার জন্য কিছুই করছি না?”
4 तब उसने यहोशाफ़ात से प्रश्न किया, “क्या आप रामोथ-गिलआद में युद्ध करने मेरे साथ चलेंगे?” यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, “मैं आपके ही जैसा हूं, मेरी प्रजा आपकी प्रजा के समान और घोड़े आपके घोड़ों के समान.”
তাই তিনি যিহোশাফটকে জিজ্ঞাসা করলেন, “আপনি কি আমার সাথে রামোৎ-গিলিয়দ আক্রমণ করতে যাবেন?” যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে উত্তর দিলেন, “আমি, আপনারই মতো, আমার প্রজারাও আপনার প্রজাদেরই মতো, তথা আমার ঘোড়াগুলি আপনার ঘোড়াগুলির মতোই।”
5 यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा से कहा, “सबसे पहले याहवेह की इच्छा मालूम कर लें.”
কিন্তু যিহোশাফট ইস্রায়েলের রাজাকে এও বললেন, “প্রথমে সদাপ্রভুর কাছে পরামর্শ চেয়ে নিন।”
6 तब इस्राएल के राजा ने भविष्यवक्ताओं को इकट्ठा किया. ये लगभग चार सौ व्यक्ति थे. उसने भविष्यवक्ताओं से प्रश्न किया, “मैं रामोथ-गिलआद से युद्ध करने जाऊं, या यह विचार छोड़ दूं?” उन्होंने उत्तर दिया, “आप जाइए, क्योंकि याहवेह उसे राजा के अधीन कर देंगे.”
অতএব ইস্রায়েলের রাজা ভাববাদীদের—প্রায় চারশো জনকে—একত্রিত করলেন, এবং তাদের জিজ্ঞাসা করলেন, “আমি কি রামোৎ-গিলিয়দের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করতে যাব, নাকি বিরত থাকব?” “যান,” তারা উত্তর দিয়েছিল, “কারণ সদাপ্রভু সেটি মহারাজের হাতে তুলে দেবেন।”
7 मगर यहोशाफ़ात ने प्रश्न किया, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं, जिससे हम यह मालूम कर सकें?”
কিন্তু যিহোশাফট জিজ্ঞাসা করলেন, “এখানে কি সদাপ্রভুর এমন কোনও ভাববাদী আর নেই, যাঁর কাছে আমরা খোঁজখবর নিতে পারব?”
8 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात को उत्तर दिया, “हां, यहां एक और व्यक्ति है, जिससे हम याहवेह की इच्छा जान सकते है; इमलाह का पुत्र मीकायाह; मगर मुझे उससे घृणा है; क्योंकि उसकी भविष्यवाणी में मेरे लिए कुछ भी भला नहीं, बल्कि बुरा ही हुआ करता है.” इस पर यहोशाफ़ात ने कहा, “राजा का ऐसा कहना अच्छा नहीं है.”
ইস্রায়েলের রাজা, যিহোশাফটকে উত্তর দিলেন, “আরও একজন ভাববাদী আছেন, যার মাধ্যমে আমরা সদাপ্রভুর কাছে খোঁজখবর নিতে পারি, কিন্তু আমি তাকে ঘৃণা করি, যেহেতু সে কখনোই আমার বিষয়ে ভালো কিছু ভাববাণী করে না, কিন্তু সবসময় খারাপ ভাববাণীই করে। সে হল যিম্লের ছেলে মীখায়।” “মহারাজ এরকম কথা বলবেন না,” যিহোশাফট উত্তর দিলেন। “মহারাজ এরকম কথা বলবেন না,” যিহোশাফট উত্তর দিলেন।
9 तब इस्राएल के राजा ने अपने एक अधिकारी को बुलाकर आदेश दिया, “जल्दी ही इमलाह के पुत्र मीकायाह को ले आओ.”
তখন ইস্রায়েলের রাজা কর্মকর্তাদের মধ্যে একজনকে ডেকে বললেন, “এক্ষুনি গিয়ে যিম্লের ছেলে মীখায়কে ডেকে আনো।”
10 इस्राएल का राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात शमरिया के फाटक के सामने खुले खलिहान में राजसी वस्त्रों में अपने-अपने सिंहासनों पर बैठे थे. उनके सामने सारे भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी कर रहे थे.
রাজপোশাক পরে ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদার রাজা যিহোশাফট, দুজনেই শমরিয়ার সিংহদুয়ারের কাছে খামারবাড়িতে তাদের সিংহাসনে বসেছিলেন, এবং ভাববাদীরা সবাই তাদের সামনে ভাববাণী করে যাচ্ছিল।
11 तभी केनानाह का पुत्र सीदकियाहू, जिसने अपने लिए लोहे के सींग बनाए थे, कहने लगा, “यह संदेश याहवेह की ओर से है, ‘इन सींगों के द्वारा आप अरामियों पर इस रीति से वार करेंगे, कि वे खत्म हो जाएंगे.’”
ইত্যবসরে কেনান্নার ছেলে সিদিকিয় লোহার দুটি শিং তৈরি করল এবং সে ঘোষণা করল, “সদাপ্রভু একথাই বলেন: ‘অরামীয়রা ধ্বংস না হওয়া পর্যন্ত এগুলি দিয়েই আপনি তাদের গুঁতাবেন।’”
12 सारे भविष्यद्वक्ता यही भविष्यवाणी कर रहे थे, “रामोथ-गिलआद पर हमला कीजिए और विजयी हो जाइए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
অন্যান্য সব ভাববাদীও একই ভাববাণী করল। “রামোৎ-গিলিয়দ আক্রমণ করুন এবং বিজয়ী হোন,” তারা বলল, “কারণ সদাপ্রভু সেটি রাজার হাতে তুলে দেবেন।”
13 उस दूत ने, जो मीकायाह को लाने के लिए भेजा गया था, मीकायाह से कहा, “देख लो, सारे भविष्यद्वक्ता राजा के लिए अनुसार और भलाई में ही भविष्यवाणी कर रहे हैं. तुम्हारी भविष्यवाणी भी इन्हीं में से एक के समान हो. तुम भी भली भविष्यवाणी ही करना.”
যে দূত মীখায়কে ডাকতে গেল, সে তাঁকে বলল, “দেখুন, অন্যান্য ভাববাদীরা সবাই কোনও আপত্তি না জানিয়ে রাজার পক্ষে সফলতার ভাববাণী করছে। আপনার কথাও যেন তাদেরই মতো হয়, এবং আপনিও সুবিধাজনক কথাই বলুন।”
14 मगर मीकायाह ने कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं सिर्फ वही कहूंगा, जिसके लिए याहवेह मुझे भेजेंगे.”
কিন্তু মীখায় বললেন, “জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি, সদাপ্রভু আমাকে যা বলেছেন, আমি তাঁকে শুধু সেকথাই বলতে পারব।”
15 जब मीकायाह राजा के सामने पहुंचा, राजा ने उससे प्रश्न किया, “मीकायाह, क्या हम रामोथ-गिलआद से युद्ध करें या इसका विचार ही छोड़ दें?” मीकायाह ने राजा को उत्तर दिया, “आप जाइए और सफलता प्राप्‍त कीजिए. याहवेह इसे राजा के अधीन कर देंगे.”
তিনি সেখানে পৌঁছানোর পর রাজামশাই তাঁকে জিজ্ঞাসা করলেন, “মীখায়, আমরা রামোৎ-গিলিয়দের বিরুদ্ধে যুদ্ধযাত্রা করব, কি না?” “আক্রমণ করে জয়ী হোন,” তিনি উত্তর দিলেন, “কারণ সদাপ্রভু মহারাজের হাতে সেটি তুলে দেবেন।”
16 राजा ने मीकायाह से कहा, “मीकायाह, मुझे तुम्हें कितनी बार इसकी शपथ दिलानी होगी कि तुम्हें मुझसे याहवेह के नाम में सच के सिवाय और कुछ भी नहीं कहना है?”
রাজা তাঁকে বললেন, “কতবার আমি তোমাকে দিয়ে শপথ করাব যে তুমি সদাপ্রভুর নামে আমাকে সত্যিকথা ছাড়া আর কিছুই বলবে না?”
17 तब मीकायाह ने उत्तर दिया, “मैंने सारे इस्राएल को बिन चरवाहे की भेड़ों के समान पहाड़ों पर तितर-बितर देखा. तभी याहवेह ने कहा, ‘इनका तो कोई स्वामी ही नहीं है. हर एक को शांतिपूर्वक अपने-अपने घर लौट जाने दो.’”
তখন মীখায় উত্তর দিলেন, “আমি দেখতে পাচ্ছি, ইস্রায়েলীরা সবাই পাহাড়ের উপর পালকবিহীন মেষের পালের মতো হয়ে আছে, এবং সদাপ্রভু বলেছেন, ‘এই লোকজনের কোনও মনিব নেই। শান্তিতে যে যার ঘরে ফিরে যাক।’”
18 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैंने कहा था न, कि यह मेरे बारे में बुरी भविष्यवाणी ही करेगा, भली नहीं?”
ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে বললেন, “আমি কি আপনাকে বলিনি যে সে আমার বিষয়ে কখনও ভালো কিছু ভাববাণী করে না, কিন্তু শুধু খারাপ ভাববাণীই করে?”
19 इस पर मीकायाह ने उत्तर दिया, “बहुत बढ़िया! तो फिर याहवेह का संदेश भी सुन लीजिए: मैंने याहवेह को उनके सिंहासन पर बैठे देखा. उनके दाईं और बाईं ओर में सारी स्वर्गिक सेना खड़ी हुई थी.
মীখায় আরও বললেন, “এজন্য সদাপ্রভুর এই বাক্য শুনুন: আমি দেখলাম, সদাপ্রভু তাঁর সিংহাসনে বসে আছেন এবং স্বর্গের জনতা তাঁর চারদিকে, তাঁর ডানদিকে ও বাঁদিকে দাঁড়িয়ে আছে।
20 याहवेह ने वहां प्रश्न किया, ‘यहां कौन है, जो अहाब को ऐसे लुभाएगा कि वह रामोथ-गिलआद जाए और वहां जाकर मारा जाए?’ “किसी ने वहां कुछ उत्तर दिया और किसी ने कुछ और.
সদাপ্রভু বললেন, ‘রামোৎ-গিলিয়দ আক্রমণ করে সেখানে মরতে যাওয়ার জন্য কে আহাবকে প্ররোচিত করবে?’ “তখন কেউ একথা, কেউ সেকথা বলল।
21 तब वहां एक आत्मा आकर याहवेह के सामने खड़े होकर यह कहने लगा, ‘मैं उसे लुभाऊंगा.’
শেষে, একটি আত্মা এগিয়ে এসে সদাপ্রভুর সামনে দাঁড়িয়ে বলল, ‘আমি তাকে লোভ দেখাব।’
22 “‘कैसे?’ याहवेह ने उससे प्रश्न किया. “उसने उत्तर दिया, ‘मैं जाकर राजा के सभी भविष्यवक्ताओं के मुख में झूठी आत्मा बन जाऊंगी.’” इस पर याहवेह ने कहा, “‘तुम्हें इसमें सफल भी होना होगा. जाओ और यही करो.’
“কিন্তু কীভাবে? সদাপ্রভু জিজ্ঞাসা করলেন। “‘আমি গিয়ে তার সব ভাববাদীর মুখে বিভ্রান্তিকর এক আত্মা হব,’ সে বলল। “‘তাকে লোভ দেখাতে তুমি সফল হবে,’ সদাপ্রভু বললেন। ‘যাও, ওরকমই করো।’
23 “इसलिये देख लीजिए, याहवेह ने इन सारे भविष्यवक्ताओं के मुंह में छल का एक आत्मा डाल रखा है. आपके लिए याहवेह ने सर्वनाश की घोषणा कर दी है.”
“তাই এখন সদাপ্রভু আপনার এইসব ভাববাদীর মুখে বিভ্রান্তিকর এক আত্মা দিয়েছেন। সদাপ্রভু আপনার জন্য বিপর্যয়ের বিধান দিয়েছেন।”
24 यह सुन केनानाह का पुत्र सीदकियाहू सामने आया और मीकायाह के गाल पर मारते हुए कहने लगा, “याहवेह का आत्मा मुझमें से निकलकर तुमसे बातचीत करने किस प्रकार जा पहुंचा?”
তখন কেনান্নার ছেলে সিদিকিয় গিয়ে মীখায়ের গালে চড় মেরেছিল। “সদাপ্রভুর কাছ থেকে আসা আত্মা তোর সাথে কথা বলার জন্য কোন পথে আমার কাছ থেকে গেলেন?” সে জিজ্ঞাসা করল।
25 मीकायाह ने उसे उत्तर दिया, “तुम यह देख लेना, जब उस दिन तुम छिपने के लिए भीतर के कमरे में शरण लोगे.”
মীখায় উত্তর দিলেন, “সেদিনই তুমি তা জানতে পারবে, যেদিন তুমি ভিতরের ঘরে গিয়ে লুকাবে।”
26 इस्राएल के राजा ने कहा, “पकड़ लो, मीकायाह को! उसे हाकिम अमोन और राजकुमार योआश के पास ले जाओ.
ইস্রায়েলের রাজা তখন আদেশ দিলেন, “মীখায়কে নগরের শাসনকর্তা আমোন ও রাজপুত্র যোয়াশের কাছে ফেরত পাঠিয়ে দাও
27 उनसे कहना, ‘यह राजा का आदेश है: इस व्यक्ति को जेल में डाल दो और उसे उस समय तक ज़रा सा ही भोजन और पानी देना, जब तक मैं सुरक्षित न लौट आऊं.’”
এবং তাদের বোলো, ‘রাজা একথাই বলেছেন: একে জেলখানায় রেখে দাও এবং যতদিন না আমি নিরাপদে ফিরে আসছি, ততদিন একে রুটি ও জল ছাড়া আর কিছুই দিয়ো না।’”
28 इस पर मीकायाह ने कहा, “यदि आप सच में सकुशल लौट आएं, तो यह समझ लीजिए कि याहवेह ने मेरे द्वारा यह सब प्रकट किया ही नहीं है.” और फिर भीड़ से उसने कहा, “आप सब भी यह सुन लीजिए.”
মীখায় ঘোষণা করলেন, “আপনি যদি নিরাপদে কখনও ফিরে আসেন, তবে জানবেন, সদাপ্রভু আমার মাধ্যমে কথা বলেননি।” পরে তিনি আরও বললেন, “ওহে লোকজন, তোমরা সবাই আমার কথাগুলি মনে গেঁথে রাখো!”
29 फिर भी इस्राएल के राजा और यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने रामोथ-गिलआद पर हमला कर दिया.
অতএব ইস্রায়েলের রাজা ও যিহূদার রাজা যিহোশাফট রামোৎ-গিলিয়দে চলে গেলেন।
30 इस्राएल के राजा ने यहोशाफ़ात से कहा, “मैं भेष बदलकर युद्ध-भूमि में जाऊंगा, मगर आप अपनी राजसी वेशभूषा ही पहने रहिए.” इस्राएल का राजा भेष बदलकर युद्ध-भूमि में गया.
ইস্রায়েলের রাজা যিহোশাফটকে বললেন, “আমি ছদ্মবেশ ধারণ করে যুদ্ধক্ষেত্রে প্রবেশ করব, কিন্তু আপনি আপনার রাজপোশাক পরে থাকুন।” এইভাবে ইস্রায়েলের রাজা ছদ্মবেশ ধারণ করে যুদ্ধে গেলেন।
31 अराम के राजा ने अपनी रथ सेना के बत्तीस प्रधानों को आदेश दे रखा था, “युद्ध न तो साधारण सैनिकों से करना और न मुख्य अधिकारियों से, सिर्फ इस्राएल के राजा को निशाना बनाना.”
ইত্যবসরে অরামের রাজা তাঁর রথের বত্রিশজন সেনাপতিকে আদেশ দিয়ে রেখেছিলেন, “একমাত্র ইস্রায়েলের রাজা ছাড়া, ছোটো বা বড়ো, কোনো লোকের সাথে যুদ্ধ করবে না।”
32 जैसे ही इन अधिकारियों ने यहोशाफ़ात को देखा, उन्होंने समझा, “ज़रूर यही इस्राएल का राजा है.” तब वे यहोशाफ़ात की ओर लपके. इस पर यहोशाफ़ात चिल्ला उठा.
রথের দায়িত্বপ্রাপ্ত সেনাপতিরা যিহোশাফটকে দেখে ভেবেছিল, “ইনিই নিশ্চয় ইস্রায়েলের রাজা।” তাই তাঁকে আক্রমণ করার জন্য তারা ঘুরে দাঁড়িয়েছিল, কিন্তু যিহোশাফট যখন চিৎকার করে উঠেছিলেন,
33 जब प्रधानों ने देखा कि वह इस्राएल का राजा नहीं था, उन्होंने उसका पीछा करना छोड़ दिया.
রথের সেনাপতিরা যখন দেখেছিল যে তিনি ইস্রায়েলের রাজা নন, তারা তাঁর পিছু ধাওয়া করা বন্ধ করে দিয়েছিল।
34 इसी समय किसी एक सैनिक ने बिना कोई निशाना साधे ही अपना बाण छोड़ दिया. वह बाण जाकर इस्राएल के राजा के कवच के जोड़ पर जा लगा. तब राजा ने सारथी को आदेश दिया, “रथ मोड़ो और मुझे युद्ध-भूमि से बाहर ले चलो, मैं बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया हूं.”
কিন্তু কেউ একজন আন্দাজে ধনুক চালিয়ে ইস্রায়েলের রাজার দেহে যেখানে বর্মের ঘেরাটোপ ছিল না, সেখানেই আঘাত করে বসেছিল। রাজামশাই তাঁর রথের সারথিকে বললেন, “রথের মুখ ঘুরিয়ে আমাকে যুদ্ধক্ষেত্রের বাইরে নিয়ে যাও। আমি আহত হয়েছি।”
35 युद्ध तेज होता चला गया. अरामियों के सामने राजा को रथ में खड़ा हुआ पेश किया गया. शाम को राजा के प्राणपखेरु उड़ गए. उसका खून बहता हुआ रथ के पेंदे में जमा होता रहा.
সারাদিন ধরে তুমুল যুদ্ধ চলেছিল, এবং অরামীয়দের দিকে মুখ করে রাজামশাইকে তাঁর রথে ঠেস দিয়ে খাড়া করে রাখা হল। তাঁর ক্ষতস্থান থেকে ঝরে পড়া রক্তে রথের মেঝে ভেসে গেল, এবং সেই সন্ধ্যায় তিনি মারা গেলেন।
36 शाम को सारी सेना में यह घोषणा की गई: “हर एक व्यक्ति अपने-अपने नगर को और हर एक सैनिक अपने-अपने देश को लौट जाए.”
সূর্য যখন অস্ত যাচ্ছিল, তখন সৈন্যদলে এই হাহাকার ছড়িয়ে পড়েছিল, “প্রত্যেকে নিজের নিজের নগরে ফিরে যাও। প্রত্যেকে নিজের নিজের দেশে ফিরে যাও!”
37 राजा के शव को शमरिया लाया गया और उसे शमरिया में गाड़ दिया गया.
অতএব রাজামশাই মারা গেলেন ও তাঁর দেহ শমরিয়ায় আনা হল, এবং লোকেরা তাঁকে সেখানেই কবর দিয়েছিল।
38 रथ को शमरिया के तालाब के तट पर धोया गया, और उस खून को कुत्ते चाटते रहे. इस समय वह जगह वेश्याओं के नहाने के लिए ठहराया हुआ घाट था. यह ठीक वैसा ही हुआ जैसी याहवेह की भविष्यवाणी थी.
তারা শমরিয়ার একটি পুকুরে রথটি ধুয়েছিল (যেখানে বারবণিতারা স্নান করত), আর সদাপ্রভুর ঘোষিত কথানুসারে কুকুরেরা তাঁর রক্ত চেটে খেয়েছিল।
39 अहाब द्वारा किए गए बाकी काम और वह सब, जो उसके द्वारा किया गया, उसके द्वारा बनाया गया हाथी-दांत का भवन और उसके द्वारा बनाए नगरों का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है.
আহাবের রাজত্বকালের অন্যান্য সব ঘটনা, এছাড়াও তিনি যা যা করলেন, যে প্রাসাদ তিনি তৈরি করলেন ও হাতির দাঁত দিয়ে সাজিয়ে তুলেছিলেন, এবং যেসব নগর তিনি সুরক্ষিত করলেন—তার বিবরণ কি ইস্রায়েলের রাজাদের ইতিহাস-গ্রন্থে লেখা নেই?
40 अहाब अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए जा मिला, और उसकी जगह पर उसका पुत्र अहज़्याह राजा बना.
আহাব তাঁর পূর্বপুরুষদের সঙ্গে চিরবিশ্রামে শায়িত হলেন। তাঁর ছেলে অহসিয় রাজারূপে তাঁর স্থলাভিষিক্ত হলেন।
41 इस्राएल के राजा अहाब के शासनकाल के चौथे साल में आसा के पुत्र यहोशाफ़ात ने यहूदिया पर शासन करना शुरू किया.
ইস্রায়েলের রাজা আহাবের রাজত্বের চতুর্থ বছরে আসার ছেলে যিহোশাফট যিহূদায় রাজা হলেন।
42 जब उसने शासन की बागडोर संभाली, उसकी उम्र पैंतीस साल की थी. उन्होंने येरूशलेम में पच्चीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम अत्सूबा था, वह शिल्ही की पुत्री थी.
যিহোশাফট পঁয়ত্রিশ বছর বয়সে রাজা হলেন, এবং জেরুশালেমে তিনি পঁচিশ বছর রাজত্ব করলেন। তাঁর মায়ের নাম অসূবা। তিনি শিলহির মেয়ে ছিলেন।
43 यहोशाफ़ात का व्यवहार सभी बातों में उनके पिता आसा के समान था. वह कभी उस तरह के जीवन से अलग न हुआ. उसके काम वे ही थे, जो याहवेह की दृष्टि में सही थे. फिर भी, पूजा स्थलों की वेदियां तोड़ी नहीं गई थी. लोग पूजा स्थलों की वेदियों पर धूप जलाते और बलि चढ़ाते रहे.
সবকিছুতেই তিনি তাঁর বাবা আসার পথে চলেছিলেন এবং সেগুলি থেকে সরে যাননি; সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে যা ন্যায্য, তিনি তাই করলেন। অবশ্য প্রতিমাপূজার উঁচু উঁচু স্থানগুলি সরানো হয়নি, এবং লোকজন তখনও সেগুলিতে পশুবলি উৎসর্গ করে যাচ্ছিল ও ধূপও জ্বালিয়ে যাচ্ছিল।
44 इनके अलावा यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा के साथ शांति की वाचा बांधी.
ইস্রায়েলের রাজার সঙ্গেও যিহোশাফটের শান্তি বজায় ছিল।
45 यहोशाफ़ात की बाकी उपलब्धियां, उसके द्वारा किए गए वीरता के काम, और उसके युद्ध कौशल का ब्यौरा यहूदिया के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में किया गया है.
যিহোশাফটের রাজত্বকালের অন্যান্য সব ঘটনা, তিনি যা যা অর্জন করলেন ও তাঁর সামরিক উজ্জ্বল সব কীর্তি—তার বিবরণ কি যিহূদার রাজাদের ইতিহাস-গ্রন্থে লেখা নেই?
46 उसने अपने पिता आसा के शासनकाल से बाकी रह गए अन्य देवताओं के मंदिर में काम कर रहे पुरुष वेश्याओं को निकाल दिया.
তাঁর বাবা আসার রাজত্বকালে দেবদাসদের দেশ থেকে বের করে দেওয়ার পরেও দেশে যেসব দেবদাস থেকে গেল, যিহোশাফট তাদেরও দূর করে দিলেন।
47 एदोम देश में कोई राजा न था; वहां सिर्फ राजा द्वारा एक दूत चुना गया था.
ইদোমে তখন কোনও রাজা ছিল না; একজন প্রাদেশিক শাসনকর্তা সেখানে শাসন চালাচ্ছিলেন।
48 यहोशाफ़ात ने दोबारा ओफीर से सोना आयात करने के लिए तरशीश के समान जहाज़ बनाए; मगर वे यात्रा पर जा ही न सके, क्योंकि वे एज़िओन-गेबेर नामक स्थान पर ही टूट गए.
ইত্যবসরে ওফীর থেকে সোনা আনার জন্য যিহোশাফট বাণিজ্যতরির এক নৌবহর তৈরি করলেন, কিন্তু সেগুলির আর যাওয়া হয়ে ওঠেনি—কারণ ইৎসিয়োন-গেবরে সেগুলি সমুদ্রে ডুবে গেল।
49 अहाब के पुत्र अहज़्याह ने यहोशाफ़ात के सामने प्रस्ताव रखा, “जहाजों में अपने सेवकों के साथ मेरे सेवकों को भी ले लीजिए,” मगर यहोशाफ़ात इसके लिए राज़ी न हुआ.
সেই সময় আহাবের ছেলে অহসিয় যিহোশাফটকে বললেন, “আমার লোকজন আপনার লোকজনের সাথে সমুদ্রে পাড়ি দিক,” কিন্তু যিহোশাফট এতে রাজি হননি।
50 यहोशाफ़ात हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में मिल गया. उसे उसके पूर्वज दावीद के नगर में उसके पूर्वजों के साथ गाड़ा दिया. उसके स्थान पर उसका पुत्र यहोराम राजा हुआ.
পরে যিহোশাফট তাঁর পূর্বপুরুষদের সাথে চিরবিশ্রামে শায়িত হলেন এবং তাঁকে তাদেরই সাথে তাঁর পূর্বপুরুষ দাউদের নগরে কবর দেওয়া হল। তাঁর ছেলে যিহোরাম রাজারূপে তাঁর স্থলাভিষিক্ত হলেন।
51 यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के शासनकाल के सत्रहवें साल में अहाब के पुत्र अहज़्याह ने शासन करना शुरू किया.
যিহূদার রাজা যিহোশাফটের রাজত্বের সতেরতম বছরে আহাবের ছেলে অহসিয় শমরিয়ায় ইস্রায়েলের রাজা হলেন, এবং তিনি দুই বছর ইস্রায়েলে রাজত্ব করলেন।
52 उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. उसका स्वभाव अपने पिता और माता और नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के समान था, जिन्होंने इस्राएल को पाप के लिए उकसाया था.
সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে যা মন্দ, তিনি তাই করলেন, কারণ তিনি তাঁর বাবা, মা, ও নবাটের ছেলে সেই যারবিয়ামের পথেই চলেছিলেন, যারা ইস্রায়েলকে দিয়ে পাপ করিয়েছিলেন।
53 वह बाल की सेवा-उपासना करता था, जिसके द्वारा उसने याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के क्रोध को भड़काया, ठीक वही सब, जैसा उसके पिता ने किया था.
তিনি তাঁর বাবার মতোই বায়ালের সেবা ও পুজো করলেন, এবং ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর ক্রোধ জাগিয়ে তুলেছিলেন।

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