< 1 राजा 2 >

1 जब दावीद की मृत्यु का समय निकट आया, उन्होंने अपने पुत्र शलोमोन को ये आदेश दिए:
وَلَمَّا قَرُبَتْ أَيَّامُ وَفَاةِ دَاوُدَ أَوْصَى سُلَيْمَانَ ٱبْنَهُ قَائِلًا:١
2 “संसार की रीति के अनुसार मैं जा रहा हूं, तुम्हें मजबूत होना होगा और तुम्हें पुरुषार्थ दिखाना होगा.
«أَنَا ذَاهِبٌ فِي طَرِيقِ ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا، فَتَشَدَّدْ وَكُنْ رَجُلًا.٢
3 परमेश्वर के नियमों के पालन की जो जवाबदारी याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें सौंपी है—उनके नियमों का पालन करने का, उनकी विधियों का पालन करने का, उनकी आज्ञा, चितौनियों और गवाहियों का पालन करने का, जैसा कि मोशेह की व्यवस्था में लिखा है; कि तुम्हारा हर एक काम जिसमें तुम लगे होते हो, चाहे वह कैसा भी काम हो; करते हो, समृद्ध हो जाओ;
اِحْفَظْ شَعَائِرَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ، إِذْ تَسِيرُ فِي طُرُقِهِ، وَتَحْفَظُ فَرَائِضَهُ، وَصَايَاهُ وَأَحْكَامَهُ وَشَهَادَاتِهِ، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ فِي شَرِيعَةِ مُوسَى، لِكَيْ تُفْلِحَ فِي كُلِّ مَا تَفْعَلُ وَحَيْثُمَا تَوَجَّهْتَ.٣
4 जिससे याहवेह मेरे बारे में ली गई अपनी इस शपथ को पूरा कर सकें: ‘यदि तुम्हारे पुत्रों का व्यवहार मेरे सामने उनके पूरे हृदय और प्राण से सच्चा रहेगा, इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिए तुम्हें कभी कमी न होगी.’
لِكَيْ يُقِيمَ ٱلرَّبُّ كَلَامَهُ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ عَنِّي قَائِلًا: إِذَا حَفِظَ بَنُوكَ طَرِيقَهُمْ وَسَلَكُوا أَمَامِي بِٱلْأَمَانَةِ مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ وَكُلِّ أَنْفُسِهِمْ، قَالَ لَا يُعْدَمُ لَكَ رَجُلٌ عَنْ كُرْسِيِّ إِسْرَائِيلَ.٤
5 “इसके अलावा तुम्हें यह भी मालूम है कि ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब ने मेरे साथ कैसा गलत व्यवहार किया था—उसने इस्राएल की सेना के दो सेनापतियों—नेर के पुत्र अबनेर और येथेर के पुत्र अमासा की किस प्रकार हत्या की थी. उसने मेल के समय में भी युद्ध के समान लहू बहाया था. ऐसा करके उसने अपने कमरबंध को और अपने जूतों को लहू से भिगो दिया.
وَأَنْتَ أَيْضًا تَعْلَمُ مَا فَعَلَ بِي يُوآبُ ٱبْنُ صَرُويَةَ، مَا فَعَلَ لِرَئِيسَيْ جُيُوشِ إِسْرَائِيلَ: ٱبْنَيْرَ بْنِ نَيْرَ وَعَمَاسَا بْنِ يَثْرٍ، إِذْ قَتَلَهُمَا وَسَفَكَ دَمَ ٱلْحَرْبِ فِي ٱلصُّلْحِ، وَجَعَلَ دَمَ ٱلْحَرْبِ فِي مِنْطَقَتِهِ ٱلَّتِي عَلَى حَقَوَيْهِ وَفِي نَعْلَيْهِ ٱللَّتَيْنِ بِرِجْلَيْهِ.٥
6 अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करो और ध्यान रहे कि उसके लिए वह इस बुढ़ापे में पहुंचकर शांति से अधोलोक में प्रवेश न कर सके. (Sheol h7585)
فَٱفْعَلْ حَسَبَ حِكْمَتِكَ وَلَا تَدَعْ شَيْبَتَهُ تَنْحَدِرُ بِسَلَامٍ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ. (Sheol h7585)٦
7 “मगर गिलआदवासी बारज़िल्लई की संतान पर विशेष दया दिखाते रहना. ऐसा करना कि वे भोजन के लिए तुम्हारे साथ बैठा करें; क्योंकि जब मैं तुम्हारे भाई अबशालोम से छिपता हुआ भाग रहा था, उन्होंने मेरी बड़ी सहायता की थी.
وَٱفْعَلْ مَعْرُوفًا لِبَنِي بَرْزِلَّايِ ٱلْجِلْعَادِيِّ فَيَكُونُوا بَيْنَ ٱلْآكِلِينَ عَلَى مَائِدَتِكَ، لِأَنَّهُمْ هَكَذَا تَقَدَّمُوا إِلَيَّ عِنْدَ هَرَبِي مِنْ وَجْهِ أَبْشَالُومَ أَخِيكَ.٧
8 “यह न भूलना कि इस समय तुम्हें बहुरीम के रहनेवाले बिन्यामिन वंशज गेरा के पुत्र शिमेई के बारे में भी निर्णय लेना है. जब मैं माहानाईम की ओर बढ़ रहा था, उसने मुझे कड़े शाप दिए थे. मगर जब मैं लौट रहा था, वह मुझसे मिलने यरदन नदी के किनारे तक आया था. मैंने जीवित याहवेह की शपथ लेकर उसे आश्वासन दिया, ‘मेरी तलवार उस पर कभी न उठेगी.’
وَهُوَذَا مَعَكَ شِمْعِي بْنُ جِيرَا ٱلْبَنْيَامِينِيُّ مِنْ بَحُورِيمَ، وَهُوَ لَعَنَنِي لَعْنَةً شَدِيدَةً يَوْمَ ٱنْطَلَقْتُ إِلَى مَحَنَايِمَ، وَقَدْ نَزَلَ لِلِقَائِي إِلَى ٱلْأُرْدُنِّ، فَحَلَفْتُ لَهُ بِٱلرَّبِّ قَائِلًا: إِنِّي لَا أُمِيتُكَ بِٱلسَّيْفِ.٨
9 अब उसे दंड देने में ढिलाई न करना. तुम बुद्धिमान व्यक्ति हो, तुम्हें पता है कि सही क्या होगा. उसके बूढ़े शरीर को बिना लहू बहाए अधोलोक में उतरने न देना.” (Sheol h7585)
وَٱلْآنَ فَلَا تُبَرِّرْهُ لِأَنَّكَ أَنْتَ رَجُلٌ حَكِيمٌ، فَٱعْلَمْ مَا تَفْعَلُ بِهِ وَأَحْدِرْ شَيْبَتَهُ بِٱلدَّمِ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ».». (Sheol h7585)٩
10 इसके बाद दावीद अपने पूर्वजों में जा मिले. उन्हें उन्हीं के नगर की कब्र में रख दिया गया.
وَٱضْطَجَعَ دَاوُدُ مَعَ آبَائِهِ، وَدُفِنَ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ.١٠
11 इस्राएल पर दावीद के शासन की अवधि चालीस साल थी. उन्होंने हेब्रोन में सात साल और येरूशलेम में तैंतीस साल शासन किया.
وَكَانَ ٱلزَّمَانُ ٱلَّذِي مَلَكَ فِيهِ دَاوُدُ عَلَى إِسْرَائِيلَ أَرْبَعِينَ سَنَةً. فِي حَبْرُونَ مَلَكَ سَبْعَ سِنِينٍ، وَفِي أُورُشَلِيمَ مَلَكَ ثَلَاثًا وَثَلَاثِينَ سَنَةً.١١
12 शलोमोन अपने पिता दावीद के राज सिंहासन पर बैठे. उनका शासन इस समय बहुत बढ़िया तरीके से दृढ़ हो चुका था.
وَجَلَسَ سُلَيْمَانُ عَلَى كُرْسِيِّ دَاوُدَ أَبِيهِ، وَتَثَبَّتَ مُلْكُهُ جِدًّا.١٢
13 एक दिन हेग्गीथ का पुत्र अदोनियाह शलोमोन की माता बैथशेबा से मिलने आया. बथशेबा ने उससे पूछा, “सब कुशल तो है न?” “जी हां, जी हां, सब कुशल है.” उसने उत्तर दिया.
ثُمَّ جَاءَ أَدُونِيَّا ٱبْنُ حَجِّيثَ إِلَى بَثْشَبَعَ أُمِّ سُلَيْمَانَ. فَقَالَتْ: «أَلِلسَّلَامِ جِئْتَ؟» فَقَالَ: «لِلسَّلَامِ».١٣
14 उसने आगे कहना शुरू किया, “मुझे आपसे एक विनती करनी है.” बैथशेबा ने उत्तर दिया, “हां, कहो.”
ثُمَّ قَالَ: «لِي مَعَكِ كَلِمَةٌ». فَقَالَتْ: «تَكَلَّمْ».١٤
15 तब उसने कहा, “आपको तो इस बात का पता है ही कि वास्तव में यह राज्य मेरा था—पूरे इस्राएल की उम्मीद मुझसे ही थी. फिर पासा पलट गया और राज्य मेरे भाई का हो गया; क्योंकि यह याहवेह द्वारा उसी के लिए पहले से तय किया गया था.
فَقَالَ: «أَنْتِ تَعْلَمِينَ أَنَّ ٱلْمُلْكَ كَانَ لِي، وَقَدْ جَعَلَ جَمِيعُ إِسْرَائِيلَ وُجُوهَهُمْ نَحْوِي لِأَمْلِكَ، فَدَارَ ٱلْمُلْكُ وَصَارَ لِأَخِي لِأَنَّهُ مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ صَارَ لَهُ.١٥
16 अब मैं आपसे सिर्फ एक विनती कर रहा हूं: कृपया मना न कीजिएगा.” बैथशेबा ने उससे कहा, “हां, कहो.”
وَٱلْآنَ أَسْأَلُكِ سُؤَالًا وَاحِدًا فَلَا تَرُدِّينِي فِيهِ». فَقَالَتْ لَهُ: «تَكَلَّمْ».١٦
17 अदोनियाह ने कहना शुरू किया, “आप कृपया राजा शलोमोन से विनती करें कि वह मुझे शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दें; वह आपका कहना नहीं टालेंगे.”
فَقَالَ: «قُولِي لِسُلَيْمَانَ ٱلْمَلِكِ، لِأَنَّهُ لَا يَرُدُّكِ، أَنْ يُعْطِيَنِي أَبِيشَجَ ٱلشُّونَمِيَّةَ ٱمْرَأَةً».١٧
18 “ठीक है!” बैथशेबा ने उत्तर दिया, “तुम्हारी यह विनती मैं महाराज तक ज़रूर पहुंचा दूंगी.”
فَقَالَتْ بَثْشَبَعُ: «حَسَنًا. أَنَا أَتَكَلَّمُ عَنْكَ إِلَى ٱلْمَلِكِ».١٨
19 तब बैथशेबा अदोनियाह के इस विषय को लेकर राजा शलोमोन के सामने गई. उन्हें देखकर राजा उठ खड़े हुए, और उनसे मिलने के पहले झुककर उन्हें नमस्कार किया. फिर वह अपने सिंहासन पर बैठ गए, उन्होंने आदेश दिया कि एक आसन उनकी माता के लिए लाया जाए. बैथशेबा उनके दाईं ओर उस आसन पर बैठ गईं.
فَدَخَلَتْ بَثْشَبَعُ إِلَى ٱلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ لِتُكَلِّمَهُ عَنْ أَدُونِيَّا. فَقَامَ ٱلْمَلِكُ لِلِقَائِهَا وَسَجَدَ لَهَا وَجَلَسَ عَلَى كُرْسِيِّهِ، وَوَضَعَ كُرْسِيًّا لِأُمِّ ٱلْمَلِكِ فَجَلَسَتْ عَنْ يَمِينِهِ.١٩
20 बैथशेबा ने अपनी बात कहनी शुरू की, “मैं तुमसे एक छोटी सी विनती कर रही हूं; कृपया मना न करना.” “मेरी माता, आप कहिए तो! मैं मना नहीं करूंगा.” राजा ने उन्हें आश्वासन दिया.
وَقَالَتْ: «إِنَّمَا أَسْأَلُكَ سُؤَالًا وَاحِدًا صَغِيرًا. لَا تَرُدَّنِي». فَقَالَ لَهَا ٱلْمَلِكُ: «ٱسْأَلِي يَا أُمِّي، لِأَنِّي لَا أَرُدُّكِ».٢٠
21 तब बैथशेबा ने आगे कहा, “अपने भाई अदोनियाह को शूनामी अबीशाग से विवाह करने की अनुमति दे दो.”
فَقَالَتْ: «لِتُعْطَ أَبِيشَجُ ٱلشُّونَمِيَّةُ لِأَدُونِيَّا أَخِيكَ ٱمْرَأَةً».٢١
22 राजा शलोमोन ने अपनी माता को उत्तर दिया, “मां, आप अदोनियाह के लिए सिर्फ शूनामी अबीशाग की ही विनती क्यों कर रही हैं? आप तो उसके लिए पूरा राज्य ही मांग सकती थी; वह तो मेरा बड़ा भाई है. ऐसी ही विनती आप पुरोहित अबीयाथर और ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब के लिए भी कर सकती हैं!”
فَأَجَابَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ وَقَالَ لِأُمِّهِ: «وَلِمَاذَا أَنْتِ تَسْأَلِينَ أَبِيشَجَ ٱلشُّونَمِيَّةَ لِأَدُونِيَّا؟ فَٱسْأَلِي لَهُ ٱلْمُلْكَ لِأَنَّهُ أَخِي ٱلْأَكْبَرُ مِنِّي! لَهُ وَلِأَبِيَاثَارَ ٱلْكَاهِنِ وَلِيُوآبَ ٱبْنِ صَرُويَةَ».٢٢
23 तब राजा शलोमोन ने याहवेह की शपथ लेते हुए कहा, “परमेश्वर मेरे साथ ऐसा ही, बल्कि इससे भी कहीं अधिक करें, यदि अदोनियाह अपनी इस बात का मूल्य अपने प्राणों से न चुकाए.
وَحَلَفَ سُلَيْمَانُ ٱلْمَلِكُ بِٱلرَّبِّ قَائِلًا: «هَكَذَا يَفْعَلُ لِيَ ٱللهُ وَهَكَذَا يَزِيدُ، إِنَّهُ قَدْ تَكَلَّمَ أَدُونِيَّا بِهَذَا ٱلْكَلَامِ ضِدَّ نَفْسِهِ.٢٣
24 क्योंकि जीवित याहवेह ने ही मुझे मेरे पिता दावीद के सिंहासन पर बैठाया है, उन्हीं ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मुझे राजवंश दिया है. यह तय है कि आज ही अदोनियाह को प्राण-दंड दिया जाएगा.”
وَٱلْآنَ حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي ثَبَّتَنِي وَأَجْلَسَنِي عَلَى كُرْسِيِّ دَاوُدَ أَبِي، وَٱلَّذِي صَنَعَ لِي بَيْتًا كَمَا تَكَلَّمَ، إِنَّهُ ٱلْيَوْمَ يُقْتَلُ أَدُونِيَّا».٢٤
25 राजा शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को यह जवाबदारी सौंपी, और उसके वार से अदोनियाह की मृत्यु हो गई.
فَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ بِيَدِ بَنَايَاهُو بْنِ يَهُويَادَاعَ، فَبَطَشَ بِهِ فَمَاتَ.٢٥
26 इसके बाद राजा ने पुरोहित अबीयाथर से कहा, “आप अनाथोथ चले जाइए, जहां आपकी पैतृक संपत्ति है. सही तो यह था कि आपको मृत्यु दंड दिया जाता, मगर इस समय मैं आपकी हत्या नहीं करूंगा, क्योंकि आपने मेरे पिता दावीद के सामने प्रभु याहवेह की वाचा के संदूक को उठाया था, साथ ही आप मेरे पिता के बुरे समय में उनके साथ बने रहे.”
وَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِأَبِيَاثَارَ ٱلْكَاهِنِ: «ٱذْهَبْ إِلَى عَنَاثُوثَ إِلَى حُقُولِكَ، لِأَنَّكَ مُسْتَوْجِبُ ٱلْمَوْتِ، وَلَسْتُ أَقْتُلُكَ فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّكَ حَمَلْتَ تَابُوتَ سَيِّدِي ٱلرَّبِّ أَمَامَ دَاوُدَ أَبِي، وَلِأَنَّكَ تَذَلَّلْتَ بِكُلِّ مَا تَذَلَّلَ بِهِ أَبِي».٢٦
27 यह कहते हुए शलोमोन ने अबीयाथर को याहवेह के पुरोहित के पद से हटा दिया, कि याहवेह का वह कहा हुआ वचन पूरा हो जाए, जो उन्होंने शीलो में एली के वंश के संबंध में कहा था.
وَطَرَدَ سُلَيْمَانُ أَبِيَاثَارَ عَنْ أَنْ يَكُونَ كَاهِنًا لِلرَّبِّ، لِإِتْمَامِ كَلَامِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ عَلَى بَيْتِ عَالِي فِي شِيلُوهَ.٢٧
28 जब योआब को इसकी ख़बर मिली, वह दौड़कर याहवेह के मिलनवाले तंबू में जा पहुंचा, और उसने जाकर वेदी के सींग पकड़ लिए. ज़ाहिर है कि योआब अदोनियाह के पक्ष में था; हालांकि अबशालोम के पक्ष में नहीं.
فَأَتَى ٱلْخَبَرُ إِلَى يُوآبَ، لِأَنَّ يُوآبَ مَالَ وَرَاءَ أَدُونِيَّا وَلَمْ يَمِلْ وَرَاءَ أَبْشَالُومَ، فَهَرَبَ يُوآبُ إِلَى خَيْمَةِ ٱلرَّبِّ وَتَمَسَّكَ بِقُرُونِ ٱلْمَذْبَحِ.٢٨
29 जब राजा शलोमोन को यह बताया गया, योआब याहवेह के मिलनवाले तंबू को भाग गया है, और वह इस समय वेदी पर है, तो शलोमोन ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, “जाओ, उसे वहीं खत्म कर दो!”
فَأُخْبِرَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ بِأَنَّ يُوآبَ قَدْ هَرَبَ إِلَى خَيْمَةِ ٱلرَّبِّ وَهَا هُوَ بِجَانِبِ ٱلْمَذْبَحِ. فَأَرْسَلَ سُلَيْمَانُ بَنَايَاهُوَ بْنَ يَهُويَادَاعَ قَائِلًا: «ٱذْهَبِ ٱبْطِشْ بِهِ».٢٩
30 बेनाइयाह ने याहवेह के मिलनवाले तंबू के पास जाकर योआब से कहा, “यह महाराज का आदेश है, ‘आप मिलनवाले तंबू से बाहर आइए!’” किंतु योआब ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं यहीं अपने प्राण दे दूंगा.” बेनायाह ने इसकी सूचना राजा को दे दी, “योआब ऐसा कर रहे हैं, और उन्होंने मुझे यह उत्तर दिया है.”
فَدَخَلَ بَنَايَاهُو إِلَى خَيْمَةِ ٱلرَّبِّ وَقَالَ لَهُ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ: ٱخْرُجْ». فَقَالَ: «كَّلَا، وَلَكِنَّنِي هُنَا أَمُوتُ». فَرَدَّ بَنَايَاهُو ٱلْجَوَابَ عَلَى ٱلْمَلِكِ قَائِلًا: «هَكَذَا تَكَلَّمَ يُوآبُ وَهَكَذَا جَاوَبَنِي».٣٠
31 राजा ने बेनायाह को उत्तर दिया, “वही करो, जैसा वह चाह रहा है. उसे खत्म करो, और उसका अंतिम संस्कार भी कर देना. यह करने के द्वारा तुम मेरे पिता के वंश और मुझ पर उस सारे बहाए गए लहू का दोष दूर कर दोगे, जो योआब द्वारा बेकार ही बहाया गया था.
فَقَالَ لَهُ ٱلْمَلِكُ: «ٱفْعَلْ كَمَا تَكَلَّمَ، وَٱبْطِشْ بِهِ وَٱدْفِنْهُ، وَأَزِلْ عَنِّي وَعَنْ بَيْتِ أَبِي ٱلدَّمَ ٱلزَّكِيَّ ٱلَّذِي سَفَكَهُ يُوآبُ،٣١
32 याहवेह ही उन सभी कुकर्मों को उसके सिर पर ला छोड़ेंगे; क्योंकि उसने बिना मेरे पिता के जाने, अपने से कहीं अधिक भले और सुयोग्य व्यक्तियों की तलवार से हत्या की, नेर के पुत्र अबनेर की, जो इस्राएल की सेना के सेनापति थे, और येथेर के पुत्र अमासा की, जो यहूदिया की सेना के सेनापति थे.
فَيَرُدُّ ٱلرَّبُّ دَمَهُ عَلَى رَأْسِهِ، لِأَنَّهُ بَطَشَ بِرَجُلَيْنِ بَرِيئَيْنِ وَخَيْرٍ مِنْهُ وَقَتَلَهُمَا بِٱلسَّيْفِ، وَأَبِي دَاوُدُ لَا يَعْلَمُ، وَهُمَا أَبْنَيْرُ بْنُ نَيْرٍ رَئِيسُ جَيْشِ إِسْرَائِيلَ، وَعَمَاسَا بْنُ يَثَرٍ رَئِيسُ جَيْشِ يَهُوذَا.٣٢
33 तब उन दोनों की हत्या का दोष लौटकर योआब और उनके वंशजों पर हमेशा के लिए आता रहेगा; मगर दावीद, उनके वंशजों, उनके परिवार और सिंहासन पर याहवेह के द्वारा दी गई शांति हमेशा बनी रहे.”
فَيَرْتَدُّ دَمُهُمَا عَلَى رَأْسِ يُوآبَ وَرَأْسِ نَسْلِهِ إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَيَكُونُ لِدَاوُدَ وَنَسْلِهِ وَبَيْتِهِ وَكُرْسِيِّهِ سَلَامٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ مِنْ عِنْدِ ٱلرَّبِّ».٣٣
34 तब यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह भीतर गया, और योआब पर वार कर उसका वध कर दिया, और उसे बंजर भूमि के पास उसके घर पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया.
فَصَعِدَ بَنَايَاهُو بْنُ يَهُويَادَاعَ وَبَطَشَ بِهِ وَقَتَلَهُ، فَدُفِنَ فِي بَيْتِهِ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ.٣٤
35 राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को योआब की जगह पर सेनापति और अबीयाथर के स्थान पर सादोक को पुरोहित बना दिया.
وَجَعَلَ ٱلْمَلِكُ بَنَايَاهُوَ بْنَ يَهُويَادَاعَ مَكَانَهُ عَلَى ٱلْجَيْشِ، وَجَعَلَ ٱلْمَلِكُ صَادُوقَ ٱلْكَاهِنَ مَكَانَ أَبِيَاثَارَ.٣٥
36 इसके बाद राजा ने शिमेई को बुलवाया और उसे आदेश दिया, “येरूशलेम में अपने लिए घर बनाइए और उसी में रहिए. ध्यान रहे कि आप यहां से और कहीं न जाएं,
ثُمَّ أَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ وَدَعَا شِمْعِيَ وَقَالَ لَهُ: «اِبْنِ لِنَفْسِكَ بَيْتًا فِي أُورُشَلِيمَ، وَأَقِمْ هُنَاكَ وَلَا تَخْرُجْ مِنْ هُنَاكَ إِلَى هُنَا أَوْ هُنَالِكَ.٣٦
37 क्योंकि जिस दिन आप बाहर निकलेंगे, और किद्रोन घाटी पार करेंगे यह समझ लीजिए कि उस दिन आपकी मृत्यु तय होगी, और इसका दोष आपके ही सिर पर होगा.”
فَيَوْمَ تَخْرُجُ وَتَعْبُرُ وَادِيَ قَدْرُونَ، ٱعْلَمَنَّ بِأَنَّكَ مَوْتًا تَمُوتُ، وَيَكُونُ دَمُكَ عَلَى رَأْسِكَ».٣٧
38 शिमेई ने राजा को उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं. जो कुछ महाराज, मेरे स्वामी ने कहा है, आपका सेवक उसका पालन ज़रूर करेगा.” तब शिमेई येरूशलेम में लंबे समय तक रहता रहा.
فَقَالَ شِمْعِي لِلْمَلِكِ: «حَسَنٌ ٱلْأَمْرُ. كَمَا تَكَلَّمَ سَيِّدِي ٱلْمَلِكُ كَذَلِكَ يَصْنَعُ عَبْدُكَ». فَأَقَامَ شِمْعِي فِي أُورُشَلِيمَ أَيَّامًا كَثِيرَةً.٣٨
39 तीन साल खत्म होते-होते शिमेई के दो सेवक भागकर गाथ के राजा माकाह के पुत्र आकीश के पास चले गए. शिमेई को यह सूचना दी गई: “सुनिए, आपके सेवक इस समय गाथ में हैं.”
وَفِي نِهَايَةِ ثَلَاثِ سِنِينَ هَرَبَ عَبْدَانِ لِشِمْعِي إِلَى أَخِيشَ بْنِ مَعْكَةَ مَلِكِ جَتَّ، فَأَخْبَرُوا شِمْعِي قَائِلِينَ: «هُوَذَا عَبْدَاكَ فِي جَتَّ».٣٩
40 यह सुन शिमेई ने अपने गधे पर काठी कसी और गाथ के लिए निकल गया, कि आकीश के यहां जाकर अपने सेवकों को खोज सके. शिमेई वहां से अपने सेवकों को लेकर येरूशलेम लौट आया.
فَقَامَ شِمْعِي وَشَدَّ عَلَى حِمَارِهِ وَذَهَبَ إِلَى جَتَّ إِلَى أَخِيشَ لِيُفَتِّشَ عَلَى عَبْدَيْهِ، فَٱنْطَلَقَ شِمْعِي وَأَتَى بِعَبْدَيْهِ مِنْ جَتَّ.٤٠
41 शलोमोन को इस बात की सूचना दे दी गई कि शिमेई येरूशलेम से गाथ गया था और अब वह लौट चुका है.
فَأُخْبِرَ سُلَيْمَانُ بِأَنَّ شِمْعِي قَدِ ٱنْطَلَقَ مِنْ أُورُشَلِيمَ إِلَى جَتَّ وَرَجَعَ.٤١
42 यह सुनकर राजा शिमेई को बुलाने का आदेश दिया. राजा ने शिमेई से प्रश्न किया, “क्या मैंने बड़ी गंभीरता से आपसे याहवेह की शपथ लेकर यह चेतावनी न दी थी, ‘जिस दिन आप येरूशलेम से बाहर निकलें, यह समझ लीजिए कि आपकी मृत्यु तय होगी’? जिसके उत्तर में आपने ही कहा था, ‘महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं.’
فَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ وَدَعَا شِمْعِيَ وَقَالَ لَهُ: «أَمَا ٱسْتَحْلَفْتُكَ بِٱلرَّبِّ وَأَشْهَدْتُ عَلَيْكَ قَائِلًا: إِنَّكَ يَوْمَ تَخْرُجُ وَتَذْهَبُ إِلَى هُنَا وَهُنَالِكَ، ٱعْلَمَنَّ بِأَنَّكَ مَوْتًا تَمُوتُ؟ فَقُلْتَ لِي: حَسَنٌ ٱلْأَمْرُ. قَدْ سَمِعْتُ.٤٢
43 इतना होने पर भी आपने याहवेह के सामने ली गई शपथ का सम्मान और मेरे आदेश का पालन क्यों नहीं किया?”
فَلِمَاذَا لَمْ تَحْفَظْ يَمِينَ ٱلرَّبِّ وَٱلْوَصِيَّةَ ٱلَّتِي أَوْصَيْتُكَ بِهَا؟».٤٣
44 राजा ने शिमेई से यह भी कहा, “आपको उन सारे बुरे व्यवहारों और गलतियों का अहसास है, जो आपने मेरे पिता दावीद के साथ की थी; इसलिये याहवेह आपके द्वारा किए गए इन दुरव्यवहारों को आपके ही ऊपर लौटा ले आएंगे.
ثُمَّ قَالَ ٱلْمَلِكُ لِشِمْعِي: «أَنْتَ عَرَفْتَ كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي عَلِمَهُ قَلْبُكَ ٱلَّذِي فَعَلْتَهُ لِدَاوُدَ أَبِي، فَلِيَرُدَّ ٱلرَّبُّ شَرَّكَ عَلَى رَأْسِكَ.٤٤
45 मगर राजा शलोमोन धन्य रहेंगे और दावीद का सिंहासन याहवेह के सामने हमेशा के लिए बना रहेगा.”
وَٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ يُبَارَكُ، وَكُرْسِيُّ دَاوُدَ يَكُونُ ثَابِتًا أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَى ٱلْأَبَدِ».٤٥
46 राजा ने यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को आदेश दिया, और उसने बाहर जाकर शिमाई पर ऐसा वार किया कि उसके प्राणपखेरु उड़ गए. इस प्रकार शलोमोन के हाथों में आया राज्य दृढ़ हो गया.
وَأَمَرَ ٱلْمَلِكُ بَنَايَاهُوَ بْنَ يَهُويَادَاعَ، فَخَرَجَ وَبَطَشَ بِهِ فَمَاتَ. وَتَثَبَّتَ ٱلْمُلْكُ بِيَدِ سُلَيْمَانَ.٤٦

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