< 1 कुरिन्थियों 1 >

1 परमेश्वर की इच्छा के अनुसार मसीह येशु के लिए बुलाए गए प्रेरित पौलॉस तथा हमारे भाई सोस्थेनेस की ओर से.
Paul, an Apostle of Jesus Christ by the purpose of God, and Sosthenes the brother,
2 कोरिन्थॉस नगर में स्थापित परमेश्वर की कलीसिया को वे, जो मसीह येशु में पवित्र किए गए हैं तथा जिनका उन सबके समान, जो हर जगह हमारे तथा उनके प्रभु येशु मसीह की स्तुति करते हैं, पवित्र लोगों के रूप में बुलाये गये हैं:
To the church of God which is in Corinth, to those who have been made holy in Christ Jesus, saints by the selection of God, with all those who in every place give honour to the name of our Lord Jesus Christ, their Lord and ours:
3 तुम सबको हमारे पिता परमेश्वर तथा प्रभु येशु मसीह की ओर से अनुग्रह तथा शांति.
Grace to you and peace from God our Father and the Lord Jesus Christ.
4 मसीह येशु में तुम्हें दिए गए परमेश्वर के अनुग्रह के लिए मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर के प्रति निरंतर धन्यवाद करता हूं.
I give praise to my God for you at all times, because of the grace of God which has been given to you in Christ Jesus;
5 क्योंकि तुम मसीह येशु में सब प्रकार से सम्पन्‍न किए गए हो, सारे ज्ञान और उसकी हर बात में;
So that in him you have wealth in all things, in word and in knowledge of every sort;
6 ठीक जिस प्रकार तुममें मसीह येशु के संदेश की पुष्टि भी हुई है.
Even as the witness of the Christ has been made certain among you:
7 परिणामस्वरूप इस समय, जब तुम हमारे प्रभु येशु मसीह के प्रकट होने की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हो, तुममें पवित्र आत्मा के द्वारा किसी भी आत्मिक क्षमता का अभाव नहीं है.
So that having every grace you are living in the hope of the revelation of our Lord Jesus Christ;
8 वही मसीह येशु तुम्हें अंत तक दृढ़ बनाए रखेंगे कि तुम हमारे प्रभु येशु मसीह के दिन निर्दोष पाए जाओ.
Who will give you strength to the end, to be free from all sin in the day of our Lord Jesus Christ.
9 परमेश्वर विश्वासयोग्य हैं, जिनके द्वारा तुम्हारा बुलावा उनके पुत्र, मसीह येशु हमारे प्रभु की संगति में किया गया है.
God is true, through whom you have been given a part with his Son, Jesus Christ our Lord.
10 प्रिय भाई बहिनो, अपने प्रभु येशु मसीह के नाम में मेरी तुमसे विनती है, कि तुममें आपसी मेल हो, फूट कहीं भी न हो, तुम मन तथा मत में एक हो.
Now I make request to you, my brothers, in the name of our Lord Jesus Christ, that you will all say the same thing, and that there may be no divisions among you, so that you may be in complete agreement, in the same mind and in the same opinion.
11 क्योंकि तुम्हारे विषय में, प्रिय भाई बहिनो, क्लोए परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा मुझे यह संकेत दिया गया है कि तुम्हारे मध्य झगड़ा चल रहा है.
Because it has come to my knowledge, through those of the house of Chloe, that there are divisions among you, my brothers.
12 मेरे कहने का मतलब यह है कि तुममें हर एक का मत अलग है: कोई कहता है, “मैं पौलॉस का शिष्य हूं,” कोई, “मैं अपोल्लॉस का,” तो कोई, “मैं कैफ़स का,” या “मैं मसीह का शिष्य हूं.”
That is, that some of you say, I am of Paul; some say, I am of Apollos; some say, I am of Cephas; and some say, I am Christ's.
13 क्या मसीह का बंटवारा कर दिया गया है? क्या तुम्हारे लिए पौलॉस को क्रूसित किया गया था? या तुम्हारा बपतिस्मा पौलॉस के नाम में किया गया था?
Is there a division in Christ? was Paul nailed to the cross for you? or were you given baptism in the name of Paul?
14 मैं परमेश्वर का आभारी हूं कि क्रिस्पॉस तथा गायॉस के अतिरिक्त तुममें से किसी को भी मैंने बपतिस्मा नहीं दिया,
I give praise to God that not one of you had baptism from me, but Crispus and Gaius;
15 कि कोई भी यह न कह पाए कि तुम्हें मेरे नाम में बपतिस्मा दिया गया.
So that no one may be able to say that you had baptism in my name.
16 (हां, मैंने स्तेफ़ानॉस के परिवार को भी बपतिस्मा दिया है किंतु इसके अलावा मैंने किसी अन्य को बपतिस्मा दिया हो, इसका मुझे ध्यान नहीं.)
And I gave baptism to the house of Stephanas; but I am not certain that any others had baptism from me.
17 मसीह येशु ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए नहीं परंतु ईश्वरीय सुसमाचार प्रचार के लिए चुना है—वह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस उसकी सामर्थ्य से व्यर्थ हो जाए.
For Christ sent me, not to give baptism, but to be a preacher of the good news: not with wise words, for fear that the cross of Christ might be made of no value.
18 क्रूस का संदेश उनके लिए, जो नाश होने पर हैं, मूर्खता है किंतु हमारे लिए, जो उद्धार के मार्ग पर हैं, परमेश्वर का सामर्थ्य है.
For the word of the cross seems foolish to those who are on the way to destruction; but to us who are on the way to salvation it is the power of God.
19 जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैं ज्ञानियों का ज्ञान नाश कर दूंगा; तथा समझदारों की समझ को शून्य.”
As it says in the holy Writings, I will put an end to the wisdom of the wise, and will put on one side the designs of those who have knowledge.
20 कहां है ज्ञानी? कहां है शास्त्री? और कहां है इस युग का विवादी? क्या परमेश्वर के सामने संसार का सारा ज्ञान मूर्खता नहीं है? (aiōn g165)
Where is the wise? where is he who has knowledge of the law? where is the man of this world who has a love of discussion? has not God made foolish the wisdom of this world? (aiōn g165)
21 अपने ज्ञान के अनुसार परमेश्वर ने यह असंभव बना दिया कि मानव अपने ज्ञान के द्वारा उन्हें जान सके, इसलिये परमेश्वर को यह अच्छा लगा कि मनुष्यों के अनुसार मूर्खता के इस संदेश के प्रचार का उपयोग उन सबके उद्धार के लिए करें, जो विश्वास करते हैं.
For because, by the purpose of God, the world, with all its wisdom, had not the knowledge of God, it was God's pleasure, by so foolish a thing as preaching, to give salvation to those who had faith in him.
22 यहूदी चमत्कार चिह्नों की मांग करते हैं और यूनानी ज्ञान के खोजी हैं,
Seeing that the Jews make request for signs, and the Greeks are looking for knowledge:
23 किंतु हम प्रचार करते हैं क्रूसित मसीह का, जो यहूदियों के लिए ठोकर का कारण हैं तथा गैर-यहूदियों के लिए मूर्खता,
But we give the good news of Christ on the cross, a hard thing to the Jews, and a foolish thing to the Gentiles;
24 किंतु बुलाए हुओं, यहूदी या यूनानी दोनों ही के लिए यही मसीह परमेश्वर का सामर्थ्य तथा परमेश्वर का ज्ञान हैं.
But to those of God's selection, Jews and Greeks, Christ is the power and the wisdom of God.
25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों की बुद्धि से कहीं अधिक बुद्धिमान, तथा परमेश्वर की दुर्बलता मनुष्यों के बल से कहीं अधिक बलवान है.
Because what seems foolish in God is wiser than men; and what seems feeble in God is stronger than men.
26 प्रिय भाई बहिनो, याद करो कि जब तुम्हें बुलाया गया, उस समय अनेकों में न तो शरीर के अनुसार ज्ञान था, न ही बल और न ही कुलीनता.
For you see God's design for you, my brothers, that he has not taken a great number of the wise after the flesh, not the strong, not the noble:
27 ज्ञानवानों को लज्जित करने के लिए परमेश्वर ने उनको चुना, जो संसार की दृष्टि में मूर्ख है तथा शक्तिशालियों को लज्जित करने के लिए उसको, जो संसार की दृष्टि में दुर्बल है.
But God made selection of the foolish things of this world so that he might put the wise to shame; and the feeble things that he might put to shame the strong;
28 परमेश्वर ने उनको चुना, जो संसार की दृष्टि में नीचा है, तुच्छ है और जो है ही नहीं कि उसे व्यर्थ कर दें, जो महत्वपूर्ण समझी जाती है,
And the low things of the world, and the things without honour, did God make selection of, yes, even the things which are not, so that he might make as nothing the things which are:
29 कि कोई भी मनुष्य परमेश्वर के सामने घमंड न करे.
So that no flesh might have glory before God.
30 परमेश्वर के द्वारा किए गए काम के फलस्वरूप तुम मसीह येशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता तथा छुड़ौती बन गए.
But God has given you a place in Christ Jesus, through whom God has given us wisdom and righteousness and salvation, and made us holy:
31 पवित्र शास्त्र का लेख है: “जो गर्व करता है, वह परमेश्वर में गर्व करे.”
So that, as it is said in the holy Writings, Whoever has a desire for glory, let his glory be in the Lord.

< 1 कुरिन्थियों 1 >