< 1 कुरिन्थियों 9 >
1 क्या मैं स्वतंत्र नहीं? क्या मैं प्रेरित नहीं? क्या मैंने हमारे प्रभु येशु मसीह को साक्षात नहीं देखा? क्या तुम प्रभु में मेरे परिश्रम का फल नहीं?
ⲁ̅ⲙⲏ ⲁⲛⲅ ⲟⲩⲣⲙϩⲉ ⲁⲛ ⲙⲏ ⲁⲛⲅ ⲟⲩⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲁⲛ ⲙⲏ ⲙⲡⲓⲛⲁⲩ ⲉⲓⲏⲥ ⲡⲉⲛϫⲟⲉⲓⲥ ⲙⲏ ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲡⲁϩⲱⲃ ϩⲙ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ
2 भले ही मैं अन्यों के लिए प्रेरित नहीं किंतु तुम्हारे लिए तो हूं क्योंकि तुम प्रभु में मेरी प्रेरिताई की मोहर हो.
ⲃ̅ⲉϣϫⲉ ⲁⲛⲅ ⲟⲩⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲁⲛ ⲛϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲁⲗⲗⲁ ⲁⲛⲅ ⲟⲩⲁ ⲛⲏⲧⲛ ⲧⲉⲥⲫⲣⲁⲅⲓⲥ ⲅⲁⲣ ⲛⲧⲁⲙⲛⲧⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲛⲧⲱⲧⲛ ⲡⲉ ϩⲙ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ
3 जो मुझ पर दोष लगाते हैं, उनसे अपने पक्ष में मेरा यह कहना है:
ⲅ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲧⲁⲁⲡⲟⲗⲟⲅⲓⲁ ⲛⲛⲉⲧⲁⲛⲁⲕⲣⲓⲛⲉ ⲙⲙⲟⲓ
4 क्या हमें तुम्हारे भोजन में भाग लेने का अधिकार नहीं?
ⲇ̅ⲙⲏ ⲙⲛⲧⲁⲛ ⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲛⲟⲩⲱⲙ ϩⲓ ⲥⲱ
5 क्या अन्य प्रेरितों, प्रभु के भाइयों तथा कैफ़स के समान ही हमें भी अपने साथ अपनी विश्वासी पत्नी को ले जाने का अधिकार नहीं?
ⲉ̅ⲙⲏ ⲙⲛⲧⲁⲛ ⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲉⲧⲣⲉⲩⲥⲱⲛⲉ ⲛⲥϩⲓ ⲙⲉ ⲟⲩⲁϩⲥ ⲛⲥⲱⲛ ⲛⲑⲉ ⲛⲛⲕⲉⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲙⲛ ⲛⲉⲥⲛⲏⲩ ⲙⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲁⲩⲱ ⲕⲏⲫⲁⲥ
6 क्या बारनबास और मैं ही ऐसे हैं, जो खुद अपनी कमाई करने के लिए मजबूर हैं?
ⲋ̅ϫⲛ ⲙⲙⲟⲛ ⲁⲛⲟⲕ ⲙⲁⲩⲁⲁⲧ ⲙⲛ ⲃⲁⲣⲛⲁⲃⲁⲥ ⲙⲛⲧⲁⲛ ⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲙⲙⲁⲩ ⲉⲧⲙⲣϩⲱⲃ
7 कौन सैनिक ऐसा है, जो सेना में सेवा करते हुए अपना खर्च स्वयं उठाता है? कौन है, जो दाख की बारी को लगाता तो है और स्वयं उसका फल नहीं खाता? या कौन ऐसा पशु पालक है, जो अपने पशुओं के दूध का उपयोग न करता हो?
ⲍ̅ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲉϣⲁϥⲣⲙⲁⲧⲟⲓ ϩⲛ ⲛⲉϥⲟⲯⲱⲛⲓⲟⲛ ⲙⲙⲓⲛ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲛⲉϩ ⲛⲓⲙ ⲡⲉϣⲁϥⲧⲱϭⲉ ⲛⲟⲩⲙⲁ ⲛⲉⲗⲟⲟⲗⲉ ⲛϥⲧⲙⲟⲩⲱⲙ ⲙⲡⲉϥⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲛⲓⲙ ⲡⲉϣⲁϥⲙⲟⲟⲛⲉ ⲛⲟⲩⲟϩⲉ ⲛϥⲧⲙⲟⲩⲱⲙ ⲙⲡⲉϥⲉⲣⲱⲧⲉ
8 क्या मैं यह सिर्फ मनुष्य की रीति से कह रहा हूं? क्या व्यवस्था भी यही नहीं कहती?
ⲏ̅ⲙⲏ ⲕⲁⲧⲁ ⲣⲱⲙⲉ ⲉⲓϫⲱ ⲛⲛⲁⲓ ⲏ ⲙⲉⲣⲉⲡⲕⲉⲛⲟⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲁⲓ
9 जैसा कि मोशेह की व्यवस्था में लिखा है: दांवनी करते बैल के मुख को मुखबन्धनी न बांधना. क्या परमेश्वर को मात्र बैलों का ही ध्यान है?
ⲑ̅ϥⲥⲏϩ ⲅⲁⲣ ϩⲙ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ϫⲉ ⲛⲛⲉⲕϣⲃⲧ ⲟⲩⲙⲁⲥⲉ ⲉϥϩⲓ ⲙⲏ ⲡⲣⲟⲟⲩϣ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲉ ϩⲁⲛⲉϩⲟⲟⲩ
10 क्या वह यह हमारे लिए भी नहीं कह रहे थे? निःसंदेह यह हमारे हित में ही लिखा गया है: उचित है कि किसान आशा में खेत जोते तथा जो भूसे से अनाज अलग करनेवाला उपज का भाग पाने की आशा करे.
ⲓ̅ϫⲛ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲛ ⲛⲧⲁⲩⲥⲁϩϥ ⲅⲁⲣ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲛ ϫⲉ ϣϣⲉ ⲉⲡⲉⲧⲥⲕⲁⲓ ⲉⲥⲕⲁⲓ ⲉϫⲛ ⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϩⲓ ⲉϫⲛ ⲟⲩϩⲉⲗⲡⲓⲥ ⲉⲧⲣⲉϥⲙⲉⲧⲉⲭⲉ
11 यदि हमने तुममें आत्मिक बीज बोए हैं तो क्या तुमसे भौतिक उपज की आशा करना ज्यादा उम्मीद करना है?
ⲓ̅ⲁ̅ⲉϣϫⲉ ⲁⲛⲟⲛ ⲁⲛϫⲟ ⲛⲏⲧⲛ ⲛⲛⲉⲡⲛⲁⲧⲓⲕⲟⲛ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲡⲉ ⲉϣϫⲉ ⲁⲛⲟⲛ ⲡⲉⲧⲛⲁⲱϩⲥ ⲛⲛⲉⲧⲛⲥⲁⲣⲕⲓⲕⲟⲛ
12 यदि तुम पर दूसरों का अधिकार है तो क्या तुम पर हमारा अधिकार उन सबसे बढ़कर नहीं? फिर भी हमने इस अधिकार का उपयोग नहीं किया. इसके विपरीत हम सब कुछ धीरज के साथ सहते रहे कि मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में कोई बाधा न आए.
ⲓ̅ⲃ̅ⲉϣϫⲉ ⲟⲩⲛ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲙⲉⲧⲉⲭⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲛϩⲟⲩⲟ ϭⲉ ⲁⲛ ⲁⲛⲟⲛ ⲁⲗⲗⲁ ⲙⲡⲛⲭⲣⲱ ⲛⲧⲉⲉⲓⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲛϥⲓ ϩⲁ ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲛⲛⲉⲛϯ ⲛⲟⲩϫⲣⲟⲡ ⲙⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ ⲙⲡⲉⲭⲥ
13 क्या तुम्हें मालूम नहीं कि मंदिर में काम करनेवालों का भरण-पोषण मंदिर से ही होता है और जो बलि वेदी पर चढ़ाई जाती है, वे उसी बलि में से अपना भाग प्राप्त करते हैं?
ⲓ̅ⲅ̅ⲛⲧⲉⲧⲛⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ϫⲉ ⲛⲉⲧⲣϩⲱⲃ ⲉⲛⲉⲣⲡⲏⲩⲉ ⲉⲩⲟⲩⲱⲙ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲛⲁ ⲡⲣⲡⲉ ⲛⲉⲧⲥⲣⲟϥⲧ ⲉⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲉϣⲁⲩⲡⲱϣ ⲉϫⲱⲟⲩ ⲙⲛ ⲡⲉⲑⲩⲥⲓⲁⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ
14 इसी प्रकार प्रभु की आज्ञा है कि वे, जो ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करते हैं, उसी के द्वारा अपनी रोज़ी रोटी कमाएं.
ⲓ̅ⲇ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲧⲟϣⲥ ⲛⲛⲉⲧⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ⲙⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ ⲉⲱⲛϩ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ
15 किंतु मैंने इनमें से किसी भी अधिकार का उपयोग नहीं किया और न ही मैं इस उद्देश्य से लिख रहा हूं कि मेरे लिए कुछ किया जाए. इसके बजाय कि कोई मुझे मेरे इस गौरव से वंचित करे, मैं मर जाना उचित समझता हूं,
ⲓ̅ⲉ̅ⲁⲛⲟⲕ ⲇⲉ ⲙⲡⲓⲭⲣⲱ ⲛⲗⲁⲁⲩ ⲛⲛⲁⲓ ⲛⲧⲁⲓ ⲥⲉϩⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲁⲛ ϫⲉ ⲉⲩⲉϣⲱⲡⲉ ⲛⲧⲉⲉⲓϩⲉ ⲛϩⲏⲧ ⲛⲁⲛⲟⲩⲥ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲓ ⲉⲧⲣⲁⲙⲟⲩ ⲉϩⲟⲩⲉ ⲡⲁϣⲟⲩϣⲟⲩ ⲉⲧⲉ ⲙⲛ ⲗⲁⲁⲩ ⲛⲁϣⲧⲣⲉϥϣⲱⲡⲉ ⲉϥϣⲟⲩⲉⲓⲧ
16 तो यदि मैं ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करता हूं तो इसमें घमंड कैसा! यह तो मुझे सौंपी गई ज़िम्मेदारी है! धिक्कार है मुझ पर यदि मैं ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार न करूं.
ⲓ̅ⲋ̅ⲉⲓϣⲁⲛⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ ⲅⲁⲣ ⲛⲟⲩϣⲟⲩϣⲟⲩ ⲛⲁⲓ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲟⲩϩⲧⲟⲣ ⲅⲁⲣ ⲉⲣⲟⲓ ⲡⲉ ⲟⲩⲟⲓ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲓ ⲡⲉ ⲉⲓϣⲁⲛⲧⲙⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ
17 यदि मैं अपनी इच्छा से प्रचार करता हूं तो मुझे उसका प्रतिफल प्राप्त होगा किंतु यदि मैं प्रचार बिना इच्छा के करता हूं तो यह मात्र ज़िम्मेदारी पूरी करना ही हुआ.
ⲓ̅ⲍ̅ⲉϣϫⲉ ⲉϩⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲉⲓⲉⲓⲣⲉ ⲙⲡⲁⲓ ⲟⲩⲛⲧⲁⲓ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲟⲩⲃⲉⲕⲉ ⲉϣϫⲉ ⲛϩⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲁⲛ ⲉⲓⲉ ⲛⲧⲁⲩⲧⲁⲛϩⲟⲩⲧ ⲉⲩⲟⲓⲕⲟⲛⲟⲙⲓⲁ
18 तब क्या है मेरा प्रतिफल? यही कि मैं ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार मुफ्त में करता रहूं और इससे संबंधित अपने अधिकारों का उपयोग न करूं.
ⲓ̅ⲏ̅ⲁϣ ϭⲉ ⲡⲉ ⲡⲁⲃⲉⲕⲉ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲡⲉ ⲉⲓⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ ⲧⲁⲕⲁ ⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ ⲛⲟⲩⲉϣ ⲛϫⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲧⲙⲧⲣⲁⲉⲓⲣⲉ ⲙⲡⲁϩⲧⲟⲣ ϩⲙ ⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ
19 यद्यपि मैं किसी के भी अधीन नहीं हूं फिर भी मैंने स्वयं को सबका दास बना लिया है कि मैं ज्यादा से ज्यादा को जीत सकूं.
ⲓ̅ⲑ̅ⲉⲓⲟ ⲅⲁⲣ ⲛⲣⲙϩⲉ ϩⲛ ϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲁⲓⲁⲁⲧ ⲛϩⲙϩⲁⲗ ⲛⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ϫⲉ ⲉⲓⲉϯϩⲏⲩ ⲙⲡⲉϩⲟⲩⲟ
20 मैं यहूदियों के लिए यहूदियों जैसा बन गया कि मैं उन्हें जीत सकूं. व्यवस्था के अधीनों के लिए मैं व्यवस्था के अधीन बन गया—यद्यपि मैं स्वयं व्यवस्था के अधीन नहीं—कि मैं उन्हें जीत सकूं, जो व्यवस्था के अधीन हैं.
ⲕ̅ⲁⲓϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ϩⲱⲥ ⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ϫⲉ ⲉⲓⲉϯϩⲏⲩ ⲛⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲁⲓϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲉⲧϩⲁ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ϩⲱⲥ ⲉⲓϩⲁ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲉⲛϯϣⲟⲟⲡ ⲁⲛ ⲁⲛⲟⲕ ϩⲁ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓⲉϯϩⲏⲩ ⲛⲛⲉⲧϩⲁ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ
21 जो व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, मैं उन्हीं के समान बन गया—यद्यपि मैं स्वयं परमेश्वर की व्यवस्था से स्वतंत्र नहीं, मसीह की व्यवस्था के अधीनस्थ हूं कि मैं उन्हें जीत सकूं, जो व्यवस्था के अधीन नहीं हैं.
ⲕ̅ⲁ̅ⲁⲓϣⲱⲡⲉ ⲛⲛⲁⲛⲟⲙⲟⲥ ϩⲱⲥ ⲁⲛⲟⲙⲟⲥ ⲉⲁⲛⲅ ⲟⲩⲁⲛⲟⲙⲟⲥ ⲁⲛ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲁⲛⲅ ⲟⲩⲉⲛⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲡⲉⲭⲥ ϫⲉ ⲉⲓⲉϯϩⲏⲩ ⲛⲛⲁⲛⲟⲙⲟⲥ
22 दुर्बलों के लिए मैं स्वयं दुर्बल बन गया कि मैं उन्हें जीत सकूं—मैं हर एक प्रकार के व्यक्ति के लिए उन्हीं के अनुरूप बन गया कि किसी न किसी रीति से मेरे हर एक प्रयास द्वारा कुछ का उद्धार हो जाए.
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲓϣⲱⲡⲉ ⲛⲛϭⲱⲃ ϩⲱⲥ ϭⲱⲃ ϫⲉ ⲉⲓⲉϯϩⲏⲩ ⲛⲛϭⲱⲃ ⲁⲓⲣⲥⲙⲟⲧ ⲛⲓⲙ ⲙⲛ ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲡⲁⲛⲧⲱⲥ ⲉⲓⲉⲧⲟⲩϫⲉϩⲟⲓⲛⲉ
23 मैं यह सब ईश्वरीय सुसमाचार के लिए करता हूं कि मैं इसमें अन्यों का सहभागी बन जाऊं.
ⲕ̅ⲅ̅ⲉⲉⲓⲉⲓⲣⲉ ⲇⲉ ⲛⲛⲁⲓ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲟⲛ ϫⲉ ⲉⲓⲉϣⲱⲡⲉ ⲛⲁϥ ⲛⲕⲟⲓⲛⲱⲛⲟⲥ
24 क्या तुम नहीं जानते कि प्रतियोगिता में दौड़ते तो सभी हैं किंतु पुरस्कार मात्र एक को ही मिलता है. तुम ऐसे दौड़ो कि पुरस्कार तुम्हें प्राप्त हो.
ⲕ̅ⲇ̅ⲛⲧⲉⲧⲛⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ϫⲉ ⲛⲉⲧⲡⲏⲧ ϩⲙ ⲡⲉⲥⲧⲁⲇⲓⲟⲛ ⲥⲉⲡⲏⲧ ⲙⲉⲛ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲡⲉϣⲁϥϫⲓ ⲡⲉⲕⲗⲟⲙ ⲡⲱⲧ ⲛⲧⲉⲓϩⲉ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲉⲧⲁϩⲟ
25 हर एक प्रतियोगी, जो प्रतियोगिता में भाग लेता है, कठोर संयम का पालन करता है. वे तो नाशमान मुकुट प्राप्त करने के उद्देश्य से यह सब करते हैं किंतु हम यह सब अविनाशी मुकुट प्राप्त करने के लिए करते हैं.
ⲕ̅ⲉ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲇⲉ ⲛⲓⲙ ⲉⲧⲁⲅⲱⲛⲓⲍⲉ ϣⲁϥⲉⲅⲕⲣⲁⲧⲉⲩⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲉϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲛⲏ ⲙⲉⲛ ϫⲉ ⲉⲩⲉϫⲓ ⲛⲟⲩⲕⲗⲟⲙ ⲉϣⲁϥⲧⲁⲕⲟ ⲁⲛⲟⲛ ⲇⲉ ⲛⲟⲩⲁⲧⲧⲁⲕⲟ
26 मैं लक्ष्यहीन व्यक्ति के समान नहीं दौड़ता. मैं हवा में घूंसे नहीं मारता.
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲛⲟⲕ ϭⲉ ⲉⲓⲡⲏⲧ ⲛⲧⲉⲓϩⲉ ϩⲱⲥ ϩⲛ ⲟⲩϩⲱⲡ ⲁⲛ ⲉⲓⲡⲩⲕⲧⲉⲩⲉ ⲛⲧⲉⲓϩⲉ ϩⲱⲥ ⲉⲛⲉⲉⲓϩⲓⲟⲩⲉ ⲁⲛ ⲉⲡⲁⲏⲣ
27 मैं अपने शरीर को कष्ट देते हुए अपने वश में रखता हूं—ऐसा न हो कि मैं दूसरों को तो उपदेश दूं और स्वयं अयोग्य करार हो जाऊं.
ⲕ̅ⲍ̅ⲁⲗⲗⲁ ϯⲱϥⲉ ⲙⲡⲁⲥⲱⲙⲁ ϯⲉⲓⲣⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲛϩⲙϩⲁⲗ ⲙⲏⲡⲱⲥ ⲉⲓⲧⲁϣⲉⲟⲉⲓϣ ⲛϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲧⲁϣⲱⲡⲉ ⲁⲛⲟⲕ ⲛϫⲟⲟⲩⲧ