< 1 कुरिन्थियों 7 >
1 अब वे विषय जिनके संबंध में तुमने मुझसे लिखकर पूछा है: पुरुष के लिए उचित तो यही है कि वह स्त्री का स्पर्श ही न करे
ཨཔརཉྩ ཡུཥྨཱབྷི རྨཱཾ པྲཏི ཡཏ྄ པཏྲམལེཁི ཏསྱོཏྟརམེཏཏ྄, ཡོཥིཏོ྅སྤརྴནཾ མནུཛསྱ ཝརཾ;
2 किंतु व्यभिचार से बचने के लिए हर एक पुरुष की अपनी पत्नी तथा हर एक स्त्री का अपना पति हो.
ཀིནྟུ ཝྱབྷིཙཱརབྷཡཱད྄ ཨེཀཻཀསྱ པུཾསཿ སྭཀཱིཡབྷཱཪྻྱཱ བྷཝཏུ ཏདྭད྄ ཨེཀཻཀསྱཱ ཡོཥིཏོ ྅པི སྭཀཱིཡབྷརྟྟཱ བྷཝཏུ།
3 यह आवश्यक है कि पति अपनी पत्नी के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करे तथा इसी प्रकार पत्नी भी अपने पति के प्रति.
བྷཱཪྻྱཱཡཻ བྷརྟྲཱ ཡདྱད྄ ཝིཏརཎཱིཡཾ ཏད྄ ཝིཏཱིཪྻྱཏཱཾ ཏདྭད྄ བྷརྟྲེ྅པི བྷཱཪྻྱཡཱ ཝིཏརཎཱིཡཾ ཝིཏཱིཪྻྱཏཱཾ།
4 पत्नी ने अपने पति को अपने शरीर पर अधिकार दिया है, वैसे ही पति ने अपनी पत्नी को अपने शरीर पर अधिकार दिया है.
བྷཱཪྻྱཱཡཱཿ སྭདེཧེ སྭཏྭཾ ནཱསྟི བྷརྟྟུརེཝ, ཏདྭད྄ བྷརྟྟུརཔི སྭདེཧེ སྭཏྭཾ ནཱསྟི བྷཱཪྻྱཱཡཱ ཨེཝ།
5 पति-पत्नी एक दूसरे को शारीरिक संबंधों से दूर न रखें—सिवाय आपसी सहमति से प्रार्थना के उद्देश्य से सीमित अवधि के लिए. इसके तुरंत बाद वे दोबारा साथ हो जाएं कि कहीं संयम टूटने के कारण शैतान उन्हें परीक्षा में न फंसा ले.
ཨུཔོཥཎཔྲཱརྠནཡོཿ སེཝནཱརྠམ྄ ཨེཀམནྟྲཎཱནཱཾ ཡུཥྨཱཀཾ ཀིཡཏྐཱལཾ ཡཱཝད྄ ཡཱ པྲྀཐཀྶྠིཏི རྦྷཝཏི ཏདནྱོ ཝིཙྪེདོ ཡུཥྨནྨདྷྱེ ན བྷཝཏུ, ཏཏཿ པརམ྄ ཨིནྡྲིཡཱཎཱམ྄ ཨདྷཻཪྻྱཱཏ྄ ཤཡཏཱན྄ ཡད྄ ཡུཥྨཱན྄ པརཱིཀྵཱཾ ན ནཡེཏ྄ ཏདརྠཾ པུནརེཀཏྲ མིལཏ།
6 यह मैं सुविधा अनुमति के रूप में कह रहा हूं—आज्ञा के रूप में नहीं.
ཨེཏད྄ ཨཱདེཤཏོ ནཧི ཀིནྟྭནུཛྙཱཏ ཨེཝ མཡཱ ཀཐྱཏེ,
7 वैसे तो मेरी इच्छा तो यही है कि सभी पुरुष ऐसे होते जैसा स्वयं मैं हूं किंतु परमेश्वर ने तुममें से हर एक को भिन्न-भिन्न क्षमताएं प्रदान की हैं.
ཡཏོ མམཱཝསྠེཝ སཪྻྭམཱནཝཱནཱམཝསྠཱ བྷཝཏྭིཏི མམ ཝཱཉྪཱ ཀིནྟྭཱིཤྭརཱད྄ ཨེཀེནཻཀོ ཝརོ྅ནྱེན ཙཱནྱོ ཝར ཨིཏྠམེཀཻཀེན སྭཀཱིཡཝརོ ལབྡྷཿ།
8 अविवाहितों तथा विधवाओं से मेरा कहना है कि वे अकेले ही रहें—जैसा मैं हूं
ཨཔརམ྄ ཨཀྲྀཏཝིཝཱཧཱན྄ ཝིདྷཝཱཤྩ པྲཏི མམཻཏནྣིཝེདནཾ མམེཝ ཏེཥཱམཝསྠིཏི རྦྷདྲཱ;
9 किंतु यदि उनके लिए संयम रखना संभव नहीं तो वे विवाह कर लें—कामातुर होकर जलते रहने की बजाय विवाह कर लेना ही उत्तम है.
ཀིཉྩ ཡདི ཏཻརིནྡྲིཡཱཎི ནིཡནྟུཾ ན ཤཀྱནྟེ ཏརྷི ཝིཝཱཧཿ ཀྲིཡཏཱཾ ཡཏཿ ཀཱམདཧནཱད྄ ཝྱཱུཌྷཏྭཾ བྷདྲཾ།
10 विवाहितों के लिए मेरा निर्देश है—मेरा नहीं परंतु प्रभु का: पत्नी अपने पति से संबंध न तोड़े.
ཡེ ཙ ཀྲྀཏཝིཝཱཧཱསྟེ མཡཱ ནཧི པྲབྷུནཻཝཻཏད྄ ཨཱཛྙཱཔྱནྟེ།
11 यदि पत्नी का संबंध टूट ही जाता है तो वह दोबारा विवाह न करे या पति से मेल-मिलाप कर ले. पति अपनी पत्नी का त्याग न करे.
བྷཱཪྻྱཱ བྷརྟྟྲྀཏཿ པྲྀཐཀ྄ ན བྷཝཏུ། ཡདི ཝཱ པྲྀཐགྦྷཱུཏཱ སྱཱཏ྄ ཏརྷི ནིཪྻིཝཱཧཱ ཏིཥྛཏུ སྭཱིཡཔཏིནཱ ཝཱ སནྡདྷཱཏུ བྷརྟྟཱཔི བྷཱཪྻྱཱཾ ན ཏྱཛཏུ།
12 मगर बाकियों से मेरा कहना है कि यदि किसी साथी विश्वासी की पत्नी विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए सहमत हो तो पति उसका त्याग न करे.
ཨིཏརཱན྄ ཛནཱན྄ པྲཏི པྲབྷུ རྣ བྲཝཱིཏི ཀིནྟྭཧཾ བྲཝཱིམི; ཀསྱཙིད྄ བྷྲཱཏུཪྻོཥིད྄ ཨཝིཤྭཱསིནཱི སཏྱཔི ཡདི ཏེན སཧཝཱསེ ཏུཥྱཏི ཏརྷི སཱ ཏེན ན ཏྱཛྱཏཱཾ།
13 यदि किसी स्त्री का पति विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए राज़ी हो तो पत्नी उसका त्याग न करे;
ཏདྭཏ྄ ཀསྱཱཤྩིད྄ ཡོཥིཏཿ པཏིརཝིཤྭཱསཱི སནྣཔི ཡདི ཏཡཱ སཧཝཱསེ ཏུཥྱཏི ཏརྷི ས ཏཡཱ ན ཏྱཛྱཏཱཾ།
14 क्योंकि अविश्वासी पति अपनी विश्वासी पत्नी के कारण पवित्र ठहराया जाता है. इसी प्रकार अविश्वासी पत्नी अपने विश्वासी पति के कारण पवित्र ठहराई जाती है. यदि ऐसा न होता तो तुम्हारी संतान अशुद्ध रह जाती; किंतु इस स्थिति में वह परमेश्वर के लिए अलग की गई है.
ཡཏོ྅ཝིཤྭཱསཱི བྷརྟྟཱ བྷཱཪྻྱཡཱ པཝིཏྲཱིབྷཱུཏཿ, ཏདྭདཝིཤྭཱསིནཱི བྷཱཪྻྱཱ བྷརྟྲཱ པཝིཏྲཱིབྷཱུཏཱ; ནོཙེད྄ ཡུཥྨཱཀམཔཏྱཱནྱཤུཙཱིནྱབྷཝིཥྱན྄ ཀིནྟྭདྷུནཱ ཏཱནི པཝིཏྲཱཎི སནྟི།
15 फिर भी यदि अविश्वासी दंपति अलग होना चाहे तो उसे हो जाने दिया जाए. कोई भी विश्वासी भाई या विश्वासी बहन इस बंधन में बंधे रहने के लिए बाध्य नहीं. परमेश्वर ने हमें शांति से भरे जीवन के लिए बुलाया है.
ཨཝིཤྭཱསཱི ཛནོ ཡདི ཝཱ པྲྀཐག྄ བྷཝཏི ཏརྷི པྲྀཐག྄ བྷཝཏུ; ཨེཏེན བྷྲཱཏཱ བྷགིནཱི ཝཱ ན ནིབདྷྱཏེ ཏཐཱཔི ཝཡམཱིཤྭརེཎ ཤཱནྟཡེ སམཱཧཱུཏཱཿ།
16 पत्नी यह संभावना कभी भुला न दे: पत्नी अपने पति के उद्धार का साधन हो सकती है, वैसे ही पति अपनी पत्नी के उद्धार का.
ཧེ ནཱརི ཏཝ བྷརྟྟུཿ པརིཏྲཱཎཾ ཏྭཏྟོ བྷཝིཥྱཏི ན ཝེཏི ཏྭཡཱ ཀིཾ ཛྙཱཡཏེ? ཧེ ནར ཏཝ ཛཱཡཱཡཱཿ པརིཏྲཱཎཾ ཏྭཏྟེ བྷཝིཥྱཏི ན ཝེཏི ཏྭཡཱ ཀིཾ ཛྙཱཡཏེ?
17 परमेश्वर ने जिसे जैसी स्थिति में रखा है तथा जिस रूप में उसे बुलाया है, वह उसी में बना रहे. सभी कलीसियाओं के लिए मेरा यही निर्देश है.
ཨེཀཻཀོ ཛནཿ པརམེཤྭརཱལླབྡྷཾ ཡད྄ བྷཛཏེ ཡསྱཱཉྩཱཝསྠཱཡཱམ྄ ཨཱིཤྭརེཎཱཧྭཱཡི ཏདནུསཱརེཎཻཝཱཙརཏུ ཏདཧཾ སཪྻྭསམཱཛསྠཱན྄ ཨཱདིཤཱམི།
18 क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जिसका पहले से ही ख़तना हुआ था? वह अब खतना-रहित न बने. क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जो ख़तना रहित है? वह अपना ख़तना न कराए.
ཚིནྣཏྭག྄ བྷྲྀཏྭཱ ཡ ཨཱཧཱུཏཿ ས པྲཀྲྀཥྚཏྭཀ྄ ན བྷཝཏུ, ཏདྭད྄ ཨཚིནྣཏྭག྄ བྷཱུཏྭཱ ཡ ཨཱཧཱུཏཿ ས ཚིནྣཏྭཀ྄ ན བྷཝཏུ།
19 न तो ख़तना कराने का कोई महत्व है और न ख़तना रहित होने का. महत्व है तो मात्र परमेश्वर की आज्ञापालन का.
ཏྭཀྪེདཿ སཱརོ ནཧི ཏདྭདཏྭཀྪེདོ྅པི སཱརོ ནཧི ཀིནྟྭཱིཤྭརསྱཱཛྙཱནཱཾ པཱལནམེཝ།
20 हर एक उसी अवस्था में बना रहे, जिसमें उसको बुलाया गया था.
ཡོ ཛནོ ཡསྱཱམཝསྠཱཡཱམཱཧྭཱཡི ས ཏསྱཱམེཝཱཝཏིཥྛཏཱཾ།
21 क्या तुम्हें उस समय बुलाया गया था, जब तुम दास थे? यह तुम्हारे लिए चिंता का विषय न हो किंतु यदि दासत्व से स्वतंत्र होने का सुअवसर आए तो इस सुअवसर का लाभ अवश्य उठाओ.
དཱསཿ སན྄ ཏྭཾ ཀིམཱཧཱུཏོ྅སི? ཏནྨཱ ཙིནྟཡ, ཏཐཱཙ ཡདི སྭཏནྟྲོ བྷཝིཏུཾ ཤཀྣུཡཱསྟརྷི ཏདེཝ ཝྲྀཎུ།
22 वह, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह दास था, अब प्रभु में स्वतंत्र किया हुआ व्यक्ति है; इसी प्रकार, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह स्वतंत्र था, अब वह मसीह का दास है.
ཡཏཿ པྲབྷུནཱཧཱུཏོ ཡོ དཱསཿ ས པྲབྷོ རྨོཙིཏཛནཿ། ཏདྭད྄ ཏེནཱཧཱུཏཿ སྭཏནྟྲོ ཛནོ྅པི ཁྲཱིཥྚསྱ དཱས ཨེཝ།
23 तुम दाम देकर मोल लिए गए हो इसलिये मनुष्य के दास न बन जाओ.
ཡཱུཡཾ མཱུལྱེན ཀྲཱིཏཱ ཨཏོ ཧེཏོ རྨཱནཝཱནཱཾ དཱསཱ མཱ བྷཝཏ།
24 प्रिय भाई बहनो, तुममें से हर एक उसी अवस्था में, जिसमें उसे बुलाया गया था, परमेश्वर के साथ जुड़ा रहे.
ཧེ བྷྲཱཏརོ ཡསྱཱམཝསྠཱཡཱཾ ཡསྱཱཧྭཱནམབྷཝཏ྄ ཏཡཱ ས ཨཱིཤྭརསྱ སཱཀྵཱཏ྄ ཏིཥྛཏུ།
25 कुंवारियों के संबंध में मेरे पास प्रभु की ओर से कोई आज्ञा नहीं है किंतु मैं, जो प्रभु की कृपा के कारण विश्वसनीय हूं, अपनी ओर से यह कहना चाहता हूं:
ཨཔརམ྄ ཨཀྲྀཏཝིཝཱཧཱན྄ ཛནཱན྄ པྲཏི པྲབྷོཿ ཀོ྅པྱཱདེཤོ མཡཱ ན ལབྡྷཿ ཀིནྟུ པྲབྷོརནུཀམྤཡཱ ཝིཤྭཱསྱོ བྷཱུཏོ྅ཧཾ ཡད྄ བྷདྲཾ མནྱེ ཏད྄ ཝདཱམི།
26 वर्तमान संकट के कारण मेरे विचार से पुरुष के लिए उत्तम यही होगा कि वह जिस स्थिति में है, उसी में बना रहे.
ཝརྟྟམཱནཱཏ྄ ཀླེཤསམཡཱཏ྄ མནུཥྱསྱཱནཱུཌྷཏྭཾ བྷདྲམིཏི མཡཱ བུདྷྱཏེ།
27 यदि तुम विवाहित हो तो पत्नी का त्याग न करो. यदि अविवाहित हो तो पत्नी खोजने का प्रयास न करो.
ཏྭཾ ཀིཾ ཡོཥིཏི ནིབདྡྷོ྅སི ཏརྷི མོཙནཾ པྲཱཔྟུཾ མཱ ཡཏསྭ། ཀིཾ ཝཱ ཡོཥིཏོ མུཀྟོ྅སི? ཏརྷི ཛཱཡཱཾ མཱ གཝེཥཡ།
28 यदि तुम विवाह करते ही हो तो भी पाप नहीं करते. यदि कोई कुंवारी कन्या विवाह करती है तो यह पाप नहीं है. फिर भी इनके साथ सामान्य वैवाहिक जीवन संबंधी झंझट लगे रहेंगे और मैं वास्तव में तुम्हें इन्हीं से बचाने का प्रयास कर रहा हूं.
ཝིཝཱཧཾ ཀུཪྻྭཏཱ ཏྭཡཱ ཀིམཔི ནཱཔཱརཱདྷྱཏེ ཏདྭད྄ ཝྱཱུཧྱམཱནཡཱ ཡུཝཏྱཱཔི ཀིམཔི ནཱཔརཱདྷྱཏེ ཏཐཱཙ ཏཱདྲྀཤཽ དྭཽ ཛནཽ ཤཱརཱིརིཀཾ ཀླེཤཾ ལཔྶྱེཏེ ཀིནྟུ ཡུཥྨཱན྄ པྲཏི མམ ཀརུཎཱ ཝིདྱཏེ།
29 प्रिय भाई बहनो, मेरा मतलब यह है कि थोड़ा ही समय शेष रह गया है इसलिये अब से वे, जो विवाहित हैं ऐसे रहें, मानो अविवाहित हों.
ཧེ བྷྲཱཏརོ྅ཧམིདཾ བྲཝཱིམི, ཨིཏཿ པརཾ སམཡོ྅ཏཱིཝ སཾཀྵིཔྟཿ,
30 जो शोकित हैं उनका शोक प्रकट न हो; जो आनंदित हैं उनका आनंद छुपा रहे और जो मोल ले रहे हैं, वे ऐसे हो जाएं मानो उनके पास कुछ भी नहीं है.
ཨཏཿ ཀྲྀཏདཱརཻརཀྲྀཏདཱརཻརིཝ རུདདྦྷིཤྩཱརུདདྦྷིརིཝ སཱནནྡཻཤྩ ནིརཱནནྡཻརིཝ ཀྲེཏྲྀབྷིཤྩཱབྷཱགིབྷིརིཝཱཙརིཏཝྱཾ
31 जिनका लेनदेन सांसारिक वस्तुओं से है, वे उनमें लीन न हो जाएं क्योंकि संसार के इस वर्तमान स्वरूप का नाश होता चला जा रहा है.
ཡེ ཙ སཾསཱརེ ཙརནྟི ཏཻ རྣཱཏིཙརིཏཝྱཾ ཡཏ ཨིཧལེཀསྱ ཀཽཏུཀོ ཝིཙལཏི།
32 मेरी इच्छा है कि तुम सांसारिक जीवन की अभिलाषाओं से मुक्त रहो. उसके लिए, जो अविवाहित है, प्रभु संबंधी विषयों का ध्यान रखना संभव है कि वह प्रभु को संतुष्ट कैसे कर सकता है;
ཀིནྟུ ཡཱུཡཾ ཡནྣིཤྩིནྟཱ བྷཝེཏེཏི མམ ཝཱཉྪཱ། ཨཀྲྀཏཝིཝཱཧོ ཛནོ ཡཐཱ པྲབྷུཾ པརིཏོཥཡེཏ྄ ཏཐཱ པྲབྷུཾ ཙིནྟཡཏི,
33 किंतु वह, जो विवाहित है, उसका ध्यान संसार संबंधित विषयों में ही लगा रहता है कि वह अपनी पत्नी को प्रसन्न कैसे करे,
ཀིནྟུ ཀྲྀཏཝིཝཱཧོ ཛནོ ཡཐཱ བྷཱཪྻྱཱཾ པརིཏོཥཡེཏ྄ ཏཐཱ སཾསཱརཾ ཙིནྟཡཏི།
34 उसकी रुचियां बंटी रहती हैं. उसी प्रकार पतिहीन तथा कुंवारी स्त्री की रुचियां प्रभु से संबंधित विषयों में सीमित रह सकती हैं—और इसके लिए वह शरीर और आत्मा में पवित्र रहने में प्रयास करती रहती है, किंतु वह स्त्री, जो विवाहित है, संसार संबंधी विषयों का ध्यान रखती है कि वह अपने पति को प्रसन्न कैसे करे.
ཏདྭད྄ ཨཱུཌྷཡོཥིཏོ ྅ནཱུཌྷཱ ཝིཤིཥྱཏེ། ཡཱནཱུཌྷཱ སཱ ཡཐཱ ཀཱཡམནསོཿ པཝིཏྲཱ བྷཝེཏ྄ ཏཐཱ པྲབྷུཾ ཙིནྟཡཏི ཡཱ ཙོཌྷཱ སཱ ཡཐཱ བྷརྟྟཱརཾ པརིཏོཥཡེཏ྄ ཏཐཱ སཾསཱརཾ ཙིནྟཡཏི།
35 मैं यह सब तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहा हूं—किसी प्रकार से फंसाने के लिए नहीं परंतु इसलिये कि तुम्हारी जीवनशैली आदर्श हो तथा प्रभु के प्रति तुम्हारा समर्पण एकचित्त होकर रहे.
ཨཧཾ ཡད྄ ཡུཥྨཱན྄ མྲྀགབནྡྷིནྱཱ པརིཀྵིཔེཡཾ ཏདརྠཾ ནཧི ཀིནྟུ ཡཱུཡཾ ཡདནིནྡིཏཱ བྷཱུཏྭཱ པྲབྷོཿ སེཝནེ྅བཱདྷམ྄ ཨཱསཀྟཱ བྷཝེཏ ཏདརྠམེཏཱནི སཪྻྭཱཎི ཡུཥྨཱཀཾ ཧིཏཱཡ མཡཱ ཀཐྱནྟེ།
36 यदि किसी को यह लगे कि वह अपनी पुत्री के विवाह में देरी करने के द्वारा उसके साथ अन्याय कर रहा है, क्योंकि उसकी आयु ढल रही है, वह वही करे, जो वह सही समझता है, वह उसे विवाह करने दे. यह कोई पाप नहीं है.
ཀསྱཙིཏ྄ ཀནྱཱཡཱཾ ཡཽཝནཔྲཱཔྟཱཡཱཾ ཡདི ས ཏསྱཱ ཨནཱུཌྷཏྭཾ ནིནྡནཱིཡཾ ཝིཝཱཧཤྩ སཱདྷཡིཏཝྱ ཨིཏི མནྱཏེ ཏརྷི ཡཐཱབྷིལཱཥཾ ཀརོཏུ, ཨེཏེན ཀིམཔི ནཱཔརཱཏྶྱཏི ཝིཝཱཧཿ ཀྲིཡཏཱཾ།
37 किंतु वह, जो बिना किसी बाधा के दृढ़ संकल्प है, अपनी इच्छा अनुसार निर्णय लेने की स्थिति में है तथा जिसने अपनी पुत्री का विवाह न करने का निश्चय कर लिया है, उसका निर्णय सही है.
ཀིནྟུ དུཿཁེནཱཀླིཥྚཿ ཀཤྩིཏ྄ པིཏཱ ཡདི སྠིརམནོགཏཿ སྭམནོ྅བྷིལཱཥསཱདྷནེ སམརྠཤྩ སྱཱཏ྄ མམ ཀནྱཱ མཡཱ རཀྵིཏཝྱེཏི མནསི ནིཤྩིནོཏི ཙ ཏརྷི ས བྷདྲཾ ཀརྨྨ ཀརོཏི།
38 इसलिये जो अपनी पुत्री का विवाह करता है, उसका निर्णय भी सही है तथा जो उसका विवाह न कराने का निश्चय करता है, वह और भी सही है.
ཨཏོ ཡོ ཝིཝཱཧཾ ཀརོཏི ས བྷདྲཾ ཀརྨྨ ཀརོཏི ཡཤྩ ཝིཝཱཧཾ ན ཀརོཏི ས བྷདྲཏརཾ ཀརྨྨ ཀརོཏི།
39 पत्नी तब तक पति से जुड़ी रहती है, जब तक पति जीवित है. यदि पति की मृत्यु हो जाए तो वह अपनी इच्छा के अनुसार विवाह करने के लिए स्वतंत्र है—किंतु ज़रूरी यह है कि वह पुरुष भी प्रभु में विश्वासी ही हो.
ཡཱཝཏྐཱལཾ པཏི རྫཱིཝཏི ཏཱཝད྄ བྷཱཪྻྱཱ ཝྱཝསྠཡཱ ནིབདྡྷཱ ཏིཥྛཏི ཀིནྟུ པཏྱཽ མཧཱནིདྲཱཾ གཏེ སཱ མུཀྟཱིབྷཱུཡ ཡམབྷིལཥཏི ཏེན སཧ ཏསྱཱ ཝིཝཱཧོ བྷཝིཏུཾ ཤཀྣོཏི, ཀིནྟྭེཏཏ྄ ཀེཝལཾ པྲབྷུབྷཀྟཱནཱཾ མདྷྱེ།
40 मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि वह स्त्री उसी स्थिति में बनी रहे, जिसमें वह इस समय है. वह इसी स्थिति में सुखी रहेगी. मुझे विश्वास है कि मुझमें भी परमेश्वर का आत्मा वास करता है.
ཏཐཱཙ སཱ ཡདི ནིཥྤཏིཀཱ ཏིཥྛཏི ཏརྷི ཏསྱཱཿ ཀྵེམཾ བྷཝིཥྱཏཱིཏི མམ བྷཱཝཿ། ཨཔརམ྄ ཨཱིཤྭརསྱཱཏྨཱ མམཱཔྱནྟ ཪྻིདྱཏ ཨིཏི མཡཱ བུདྷྱཏེ།