< 1 कुरिन्थियों 7 >
1 अब वे विषय जिनके संबंध में तुमने मुझसे लिखकर पूछा है: पुरुष के लिए उचित तो यही है कि वह स्त्री का स्पर्श ही न करे
ଅପରଞ୍ଚ ଯୁଷ୍ମାଭି ର୍ମାଂ ପ୍ରତି ଯତ୍ ପତ୍ରମଲେଖି ତସ୍ୟୋତ୍ତରମେତତ୍, ଯୋଷିତୋଽସ୍ପର୍ଶନଂ ମନୁଜସ୍ୟ ୱରଂ;
2 किंतु व्यभिचार से बचने के लिए हर एक पुरुष की अपनी पत्नी तथा हर एक स्त्री का अपना पति हो.
କିନ୍ତୁ ୱ୍ୟଭିଚାରଭଯାଦ୍ ଏକୈକସ୍ୟ ପୁଂସଃ ସ୍ୱକୀଯଭାର୍ୟ୍ୟା ଭୱତୁ ତଦ୍ୱଦ୍ ଏକୈକସ୍ୟା ଯୋଷିତୋ ଽପି ସ୍ୱକୀଯଭର୍ତ୍ତା ଭୱତୁ|
3 यह आवश्यक है कि पति अपनी पत्नी के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करे तथा इसी प्रकार पत्नी भी अपने पति के प्रति.
ଭାର୍ୟ୍ୟାଯୈ ଭର୍ତ୍ରା ଯଦ୍ୟଦ୍ ୱିତରଣୀଯଂ ତଦ୍ ୱିତୀର୍ୟ୍ୟତାଂ ତଦ୍ୱଦ୍ ଭର୍ତ୍ରେଽପି ଭାର୍ୟ୍ୟଯା ୱିତରଣୀଯଂ ୱିତୀର୍ୟ୍ୟତାଂ|
4 पत्नी ने अपने पति को अपने शरीर पर अधिकार दिया है, वैसे ही पति ने अपनी पत्नी को अपने शरीर पर अधिकार दिया है.
ଭାର୍ୟ୍ୟାଯାଃ ସ୍ୱଦେହେ ସ୍ୱତ୍ୱଂ ନାସ୍ତି ଭର୍ତ୍ତୁରେୱ, ତଦ୍ୱଦ୍ ଭର୍ତ୍ତୁରପି ସ୍ୱଦେହେ ସ୍ୱତ୍ୱଂ ନାସ୍ତି ଭାର୍ୟ୍ୟାଯା ଏୱ|
5 पति-पत्नी एक दूसरे को शारीरिक संबंधों से दूर न रखें—सिवाय आपसी सहमति से प्रार्थना के उद्देश्य से सीमित अवधि के लिए. इसके तुरंत बाद वे दोबारा साथ हो जाएं कि कहीं संयम टूटने के कारण शैतान उन्हें परीक्षा में न फंसा ले.
ଉପୋଷଣପ୍ରାର୍ଥନଯୋଃ ସେୱନାର୍ଥମ୍ ଏକମନ୍ତ୍ରଣାନାଂ ଯୁଷ୍ମାକଂ କିଯତ୍କାଲଂ ଯାୱଦ୍ ଯା ପୃଥକ୍ସ୍ଥିତି ର୍ଭୱତି ତଦନ୍ୟୋ ୱିଚ୍ଛେଦୋ ଯୁଷ୍ମନ୍ମଧ୍ୟେ ନ ଭୱତୁ, ତତଃ ପରମ୍ ଇନ୍ଦ୍ରିଯାଣାମ୍ ଅଧୈର୍ୟ୍ୟାତ୍ ଶଯତାନ୍ ଯଦ୍ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ପରୀକ୍ଷାଂ ନ ନଯେତ୍ ତଦର୍ଥଂ ପୁନରେକତ୍ର ମିଲତ|
6 यह मैं सुविधा अनुमति के रूप में कह रहा हूं—आज्ञा के रूप में नहीं.
ଏତଦ୍ ଆଦେଶତୋ ନହି କିନ୍ତ୍ୱନୁଜ୍ଞାତ ଏୱ ମଯା କଥ୍ୟତେ,
7 वैसे तो मेरी इच्छा तो यही है कि सभी पुरुष ऐसे होते जैसा स्वयं मैं हूं किंतु परमेश्वर ने तुममें से हर एक को भिन्न-भिन्न क्षमताएं प्रदान की हैं.
ଯତୋ ମମାୱସ୍ଥେୱ ସର୍ୱ୍ୱମାନୱାନାମୱସ୍ଥା ଭୱତ୍ୱିତି ମମ ୱାଞ୍ଛା କିନ୍ତ୍ୱୀଶ୍ୱରାଦ୍ ଏକେନୈକୋ ୱରୋଽନ୍ୟେନ ଚାନ୍ୟୋ ୱର ଇତ୍ଥମେକୈକେନ ସ୍ୱକୀଯୱରୋ ଲବ୍ଧଃ|
8 अविवाहितों तथा विधवाओं से मेरा कहना है कि वे अकेले ही रहें—जैसा मैं हूं
ଅପରମ୍ ଅକୃତୱିୱାହାନ୍ ୱିଧୱାଶ୍ଚ ପ୍ରତି ମମୈତନ୍ନିୱେଦନଂ ମମେୱ ତେଷାମୱସ୍ଥିତି ର୍ଭଦ୍ରା;
9 किंतु यदि उनके लिए संयम रखना संभव नहीं तो वे विवाह कर लें—कामातुर होकर जलते रहने की बजाय विवाह कर लेना ही उत्तम है.
କିଞ୍ଚ ଯଦି ତୈରିନ୍ଦ୍ରିଯାଣି ନିଯନ୍ତୁଂ ନ ଶକ୍ୟନ୍ତେ ତର୍ହି ୱିୱାହଃ କ୍ରିଯତାଂ ଯତଃ କାମଦହନାଦ୍ ୱ୍ୟୂଢତ୍ୱଂ ଭଦ୍ରଂ|
10 विवाहितों के लिए मेरा निर्देश है—मेरा नहीं परंतु प्रभु का: पत्नी अपने पति से संबंध न तोड़े.
ଯେ ଚ କୃତୱିୱାହାସ୍ତେ ମଯା ନହି ପ୍ରଭୁନୈୱୈତଦ୍ ଆଜ୍ଞାପ୍ୟନ୍ତେ|
11 यदि पत्नी का संबंध टूट ही जाता है तो वह दोबारा विवाह न करे या पति से मेल-मिलाप कर ले. पति अपनी पत्नी का त्याग न करे.
ଭାର୍ୟ୍ୟା ଭର୍ତ୍ତୃତଃ ପୃଥକ୍ ନ ଭୱତୁ| ଯଦି ୱା ପୃଥଗ୍ଭୂତା ସ୍ୟାତ୍ ତର୍ହି ନିର୍ୱିୱାହା ତିଷ୍ଠତୁ ସ୍ୱୀଯପତିନା ୱା ସନ୍ଦଧାତୁ ଭର୍ତ୍ତାପି ଭାର୍ୟ୍ୟାଂ ନ ତ୍ୟଜତୁ|
12 मगर बाकियों से मेरा कहना है कि यदि किसी साथी विश्वासी की पत्नी विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए सहमत हो तो पति उसका त्याग न करे.
ଇତରାନ୍ ଜନାନ୍ ପ୍ରତି ପ୍ରଭୁ ର୍ନ ବ୍ରୱୀତି କିନ୍ତ୍ୱହଂ ବ୍ରୱୀମି; କସ୍ୟଚିଦ୍ ଭ୍ରାତୁର୍ୟୋଷିଦ୍ ଅୱିଶ୍ୱାସିନୀ ସତ୍ୟପି ଯଦି ତେନ ସହୱାସେ ତୁଷ୍ୟତି ତର୍ହି ସା ତେନ ନ ତ୍ୟଜ୍ୟତାଂ|
13 यदि किसी स्त्री का पति विश्वासी न हो और वह उसके साथ रहने के लिए राज़ी हो तो पत्नी उसका त्याग न करे;
ତଦ୍ୱତ୍ କସ୍ୟାଶ୍ଚିଦ୍ ଯୋଷିତଃ ପତିରୱିଶ୍ୱାସୀ ସନ୍ନପି ଯଦି ତଯା ସହୱାସେ ତୁଷ୍ୟତି ତର୍ହି ସ ତଯା ନ ତ୍ୟଜ୍ୟତାଂ|
14 क्योंकि अविश्वासी पति अपनी विश्वासी पत्नी के कारण पवित्र ठहराया जाता है. इसी प्रकार अविश्वासी पत्नी अपने विश्वासी पति के कारण पवित्र ठहराई जाती है. यदि ऐसा न होता तो तुम्हारी संतान अशुद्ध रह जाती; किंतु इस स्थिति में वह परमेश्वर के लिए अलग की गई है.
ଯତୋଽୱିଶ୍ୱାସୀ ଭର୍ତ୍ତା ଭାର୍ୟ୍ୟଯା ପୱିତ୍ରୀଭୂତଃ, ତଦ୍ୱଦୱିଶ୍ୱାସିନୀ ଭାର୍ୟ୍ୟା ଭର୍ତ୍ରା ପୱିତ୍ରୀଭୂତା; ନୋଚେଦ୍ ଯୁଷ୍ମାକମପତ୍ୟାନ୍ୟଶୁଚୀନ୍ୟଭୱିଷ୍ୟନ୍ କିନ୍ତ୍ୱଧୁନା ତାନି ପୱିତ୍ରାଣି ସନ୍ତି|
15 फिर भी यदि अविश्वासी दंपति अलग होना चाहे तो उसे हो जाने दिया जाए. कोई भी विश्वासी भाई या विश्वासी बहन इस बंधन में बंधे रहने के लिए बाध्य नहीं. परमेश्वर ने हमें शांति से भरे जीवन के लिए बुलाया है.
ଅୱିଶ୍ୱାସୀ ଜନୋ ଯଦି ୱା ପୃଥଗ୍ ଭୱତି ତର୍ହି ପୃଥଗ୍ ଭୱତୁ; ଏତେନ ଭ୍ରାତା ଭଗିନୀ ୱା ନ ନିବଧ୍ୟତେ ତଥାପି ୱଯମୀଶ୍ୱରେଣ ଶାନ୍ତଯେ ସମାହୂତାଃ|
16 पत्नी यह संभावना कभी भुला न दे: पत्नी अपने पति के उद्धार का साधन हो सकती है, वैसे ही पति अपनी पत्नी के उद्धार का.
ହେ ନାରି ତୱ ଭର୍ତ୍ତୁଃ ପରିତ୍ରାଣଂ ତ୍ୱତ୍ତୋ ଭୱିଷ୍ୟତି ନ ୱେତି ତ୍ୱଯା କିଂ ଜ୍ଞାଯତେ? ହେ ନର ତୱ ଜାଯାଯାଃ ପରିତ୍ରାଣଂ ତ୍ୱତ୍ତେ ଭୱିଷ୍ୟତି ନ ୱେତି ତ୍ୱଯା କିଂ ଜ୍ଞାଯତେ?
17 परमेश्वर ने जिसे जैसी स्थिति में रखा है तथा जिस रूप में उसे बुलाया है, वह उसी में बना रहे. सभी कलीसियाओं के लिए मेरा यही निर्देश है.
ଏକୈକୋ ଜନଃ ପରମେଶ୍ୱରାଲ୍ଲବ୍ଧଂ ଯଦ୍ ଭଜତେ ଯସ୍ୟାଞ୍ଚାୱସ୍ଥାଯାମ୍ ଈଶ୍ୱରେଣାହ୍ୱାଯି ତଦନୁସାରେଣୈୱାଚରତୁ ତଦହଂ ସର୍ୱ୍ୱସମାଜସ୍ଥାନ୍ ଆଦିଶାମି|
18 क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जिसका पहले से ही ख़तना हुआ था? वह अब खतना-रहित न बने. क्या किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाया गया है, जो ख़तना रहित है? वह अपना ख़तना न कराए.
ଛିନ୍ନତ୍ୱଗ୍ ଭୃତ୍ୱା ଯ ଆହୂତଃ ସ ପ୍ରକୃଷ୍ଟତ୍ୱକ୍ ନ ଭୱତୁ, ତଦ୍ୱଦ୍ ଅଛିନ୍ନତ୍ୱଗ୍ ଭୂତ୍ୱା ଯ ଆହୂତଃ ସ ଛିନ୍ନତ୍ୱକ୍ ନ ଭୱତୁ|
19 न तो ख़तना कराने का कोई महत्व है और न ख़तना रहित होने का. महत्व है तो मात्र परमेश्वर की आज्ञापालन का.
ତ୍ୱକ୍ଛେଦଃ ସାରୋ ନହି ତଦ୍ୱଦତ୍ୱକ୍ଛେଦୋଽପି ସାରୋ ନହି କିନ୍ତ୍ୱୀଶ୍ୱରସ୍ୟାଜ୍ଞାନାଂ ପାଲନମେୱ|
20 हर एक उसी अवस्था में बना रहे, जिसमें उसको बुलाया गया था.
ଯୋ ଜନୋ ଯସ୍ୟାମୱସ୍ଥାଯାମାହ୍ୱାଯି ସ ତସ୍ୟାମେୱାୱତିଷ୍ଠତାଂ|
21 क्या तुम्हें उस समय बुलाया गया था, जब तुम दास थे? यह तुम्हारे लिए चिंता का विषय न हो किंतु यदि दासत्व से स्वतंत्र होने का सुअवसर आए तो इस सुअवसर का लाभ अवश्य उठाओ.
ଦାସଃ ସନ୍ ତ୍ୱଂ କିମାହୂତୋଽସି? ତନ୍ମା ଚିନ୍ତଯ, ତଥାଚ ଯଦି ସ୍ୱତନ୍ତ୍ରୋ ଭୱିତୁଂ ଶକ୍ନୁଯାସ୍ତର୍ହି ତଦେୱ ୱୃଣୁ|
22 वह, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह दास था, अब प्रभु में स्वतंत्र किया हुआ व्यक्ति है; इसी प्रकार, जिसको उस समय बुलाया गया, जब वह स्वतंत्र था, अब वह मसीह का दास है.
ଯତଃ ପ୍ରଭୁନାହୂତୋ ଯୋ ଦାସଃ ସ ପ୍ରଭୋ ର୍ମୋଚିତଜନଃ| ତଦ୍ୱଦ୍ ତେନାହୂତଃ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ରୋ ଜନୋଽପି ଖ୍ରୀଷ୍ଟସ୍ୟ ଦାସ ଏୱ|
23 तुम दाम देकर मोल लिए गए हो इसलिये मनुष्य के दास न बन जाओ.
ଯୂଯଂ ମୂଲ୍ୟେନ କ୍ରୀତା ଅତୋ ହେତୋ ର୍ମାନୱାନାଂ ଦାସା ମା ଭୱତ|
24 प्रिय भाई बहनो, तुममें से हर एक उसी अवस्था में, जिसमें उसे बुलाया गया था, परमेश्वर के साथ जुड़ा रहे.
ହେ ଭ୍ରାତରୋ ଯସ୍ୟାମୱସ୍ଥାଯାଂ ଯସ୍ୟାହ୍ୱାନମଭୱତ୍ ତଯା ସ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ସାକ୍ଷାତ୍ ତିଷ୍ଠତୁ|
25 कुंवारियों के संबंध में मेरे पास प्रभु की ओर से कोई आज्ञा नहीं है किंतु मैं, जो प्रभु की कृपा के कारण विश्वसनीय हूं, अपनी ओर से यह कहना चाहता हूं:
ଅପରମ୍ ଅକୃତୱିୱାହାନ୍ ଜନାନ୍ ପ୍ରତି ପ୍ରଭୋଃ କୋଽପ୍ୟାଦେଶୋ ମଯା ନ ଲବ୍ଧଃ କିନ୍ତୁ ପ୍ରଭୋରନୁକମ୍ପଯା ୱିଶ୍ୱାସ୍ୟୋ ଭୂତୋଽହଂ ଯଦ୍ ଭଦ୍ରଂ ମନ୍ୟେ ତଦ୍ ୱଦାମି|
26 वर्तमान संकट के कारण मेरे विचार से पुरुष के लिए उत्तम यही होगा कि वह जिस स्थिति में है, उसी में बना रहे.
ୱର୍ତ୍ତମାନାତ୍ କ୍ଲେଶସମଯାତ୍ ମନୁଷ୍ୟସ୍ୟାନୂଢତ୍ୱଂ ଭଦ୍ରମିତି ମଯା ବୁଧ୍ୟତେ|
27 यदि तुम विवाहित हो तो पत्नी का त्याग न करो. यदि अविवाहित हो तो पत्नी खोजने का प्रयास न करो.
ତ୍ୱଂ କିଂ ଯୋଷିତି ନିବଦ୍ଧୋଽସି ତର୍ହି ମୋଚନଂ ପ୍ରାପ୍ତୁଂ ମା ଯତସ୍ୱ| କିଂ ୱା ଯୋଷିତୋ ମୁକ୍ତୋଽସି? ତର୍ହି ଜାଯାଂ ମା ଗୱେଷଯ|
28 यदि तुम विवाह करते ही हो तो भी पाप नहीं करते. यदि कोई कुंवारी कन्या विवाह करती है तो यह पाप नहीं है. फिर भी इनके साथ सामान्य वैवाहिक जीवन संबंधी झंझट लगे रहेंगे और मैं वास्तव में तुम्हें इन्हीं से बचाने का प्रयास कर रहा हूं.
ୱିୱାହଂ କୁର୍ୱ୍ୱତା ତ୍ୱଯା କିମପି ନାପାରାଧ୍ୟତେ ତଦ୍ୱଦ୍ ୱ୍ୟୂହ୍ୟମାନଯା ଯୁୱତ୍ୟାପି କିମପି ନାପରାଧ୍ୟତେ ତଥାଚ ତାଦୃଶୌ ଦ୍ୱୌ ଜନୌ ଶାରୀରିକଂ କ୍ଲେଶଂ ଲପ୍ସ୍ୟେତେ କିନ୍ତୁ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ପ୍ରତି ମମ କରୁଣା ୱିଦ୍ୟତେ|
29 प्रिय भाई बहनो, मेरा मतलब यह है कि थोड़ा ही समय शेष रह गया है इसलिये अब से वे, जो विवाहित हैं ऐसे रहें, मानो अविवाहित हों.
ହେ ଭ୍ରାତରୋଽହମିଦଂ ବ୍ରୱୀମି, ଇତଃ ପରଂ ସମଯୋଽତୀୱ ସଂକ୍ଷିପ୍ତଃ,
30 जो शोकित हैं उनका शोक प्रकट न हो; जो आनंदित हैं उनका आनंद छुपा रहे और जो मोल ले रहे हैं, वे ऐसे हो जाएं मानो उनके पास कुछ भी नहीं है.
ଅତଃ କୃତଦାରୈରକୃତଦାରୈରିୱ ରୁଦଦ୍ଭିଶ୍ଚାରୁଦଦ୍ଭିରିୱ ସାନନ୍ଦୈଶ୍ଚ ନିରାନନ୍ଦୈରିୱ କ୍ରେତୃଭିଶ୍ଚାଭାଗିଭିରିୱାଚରିତୱ୍ୟଂ
31 जिनका लेनदेन सांसारिक वस्तुओं से है, वे उनमें लीन न हो जाएं क्योंकि संसार के इस वर्तमान स्वरूप का नाश होता चला जा रहा है.
ଯେ ଚ ସଂସାରେ ଚରନ୍ତି ତୈ ର୍ନାତିଚରିତୱ୍ୟଂ ଯତ ଇହଲେକସ୍ୟ କୌତୁକୋ ୱିଚଲତି|
32 मेरी इच्छा है कि तुम सांसारिक जीवन की अभिलाषाओं से मुक्त रहो. उसके लिए, जो अविवाहित है, प्रभु संबंधी विषयों का ध्यान रखना संभव है कि वह प्रभु को संतुष्ट कैसे कर सकता है;
କିନ୍ତୁ ଯୂଯଂ ଯନ୍ନିଶ୍ଚିନ୍ତା ଭୱେତେତି ମମ ୱାଞ୍ଛା| ଅକୃତୱିୱାହୋ ଜନୋ ଯଥା ପ୍ରଭୁଂ ପରିତୋଷଯେତ୍ ତଥା ପ୍ରଭୁଂ ଚିନ୍ତଯତି,
33 किंतु वह, जो विवाहित है, उसका ध्यान संसार संबंधित विषयों में ही लगा रहता है कि वह अपनी पत्नी को प्रसन्न कैसे करे,
କିନ୍ତୁ କୃତୱିୱାହୋ ଜନୋ ଯଥା ଭାର୍ୟ୍ୟାଂ ପରିତୋଷଯେତ୍ ତଥା ସଂସାରଂ ଚିନ୍ତଯତି|
34 उसकी रुचियां बंटी रहती हैं. उसी प्रकार पतिहीन तथा कुंवारी स्त्री की रुचियां प्रभु से संबंधित विषयों में सीमित रह सकती हैं—और इसके लिए वह शरीर और आत्मा में पवित्र रहने में प्रयास करती रहती है, किंतु वह स्त्री, जो विवाहित है, संसार संबंधी विषयों का ध्यान रखती है कि वह अपने पति को प्रसन्न कैसे करे.
ତଦ୍ୱଦ୍ ଊଢଯୋଷିତୋ ଽନୂଢା ୱିଶିଷ୍ୟତେ| ଯାନୂଢା ସା ଯଥା କାଯମନସୋଃ ପୱିତ୍ରା ଭୱେତ୍ ତଥା ପ୍ରଭୁଂ ଚିନ୍ତଯତି ଯା ଚୋଢା ସା ଯଥା ଭର୍ତ୍ତାରଂ ପରିତୋଷଯେତ୍ ତଥା ସଂସାରଂ ଚିନ୍ତଯତି|
35 मैं यह सब तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहा हूं—किसी प्रकार से फंसाने के लिए नहीं परंतु इसलिये कि तुम्हारी जीवनशैली आदर्श हो तथा प्रभु के प्रति तुम्हारा समर्पण एकचित्त होकर रहे.
ଅହଂ ଯଦ୍ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ମୃଗବନ୍ଧିନ୍ୟା ପରିକ୍ଷିପେଯଂ ତଦର୍ଥଂ ନହି କିନ୍ତୁ ଯୂଯଂ ଯଦନିନ୍ଦିତା ଭୂତ୍ୱା ପ୍ରଭୋଃ ସେୱନେଽବାଧମ୍ ଆସକ୍ତା ଭୱେତ ତଦର୍ଥମେତାନି ସର୍ୱ୍ୱାଣି ଯୁଷ୍ମାକଂ ହିତାଯ ମଯା କଥ୍ୟନ୍ତେ|
36 यदि किसी को यह लगे कि वह अपनी पुत्री के विवाह में देरी करने के द्वारा उसके साथ अन्याय कर रहा है, क्योंकि उसकी आयु ढल रही है, वह वही करे, जो वह सही समझता है, वह उसे विवाह करने दे. यह कोई पाप नहीं है.
କସ୍ୟଚିତ୍ କନ୍ୟାଯାଂ ଯୌୱନପ୍ରାପ୍ତାଯାଂ ଯଦି ସ ତସ୍ୟା ଅନୂଢତ୍ୱଂ ନିନ୍ଦନୀଯଂ ୱିୱାହଶ୍ଚ ସାଧଯିତୱ୍ୟ ଇତି ମନ୍ୟତେ ତର୍ହି ଯଥାଭିଲାଷଂ କରୋତୁ, ଏତେନ କିମପି ନାପରାତ୍ସ୍ୟତି ୱିୱାହଃ କ୍ରିଯତାଂ|
37 किंतु वह, जो बिना किसी बाधा के दृढ़ संकल्प है, अपनी इच्छा अनुसार निर्णय लेने की स्थिति में है तथा जिसने अपनी पुत्री का विवाह न करने का निश्चय कर लिया है, उसका निर्णय सही है.
କିନ୍ତୁ ଦୁଃଖେନାକ୍ଲିଷ୍ଟଃ କଶ୍ଚିତ୍ ପିତା ଯଦି ସ୍ଥିରମନୋଗତଃ ସ୍ୱମନୋଽଭିଲାଷସାଧନେ ସମର୍ଥଶ୍ଚ ସ୍ୟାତ୍ ମମ କନ୍ୟା ମଯା ରକ୍ଷିତୱ୍ୟେତି ମନସି ନିଶ୍ଚିନୋତି ଚ ତର୍ହି ସ ଭଦ୍ରଂ କର୍ମ୍ମ କରୋତି|
38 इसलिये जो अपनी पुत्री का विवाह करता है, उसका निर्णय भी सही है तथा जो उसका विवाह न कराने का निश्चय करता है, वह और भी सही है.
ଅତୋ ଯୋ ୱିୱାହଂ କରୋତି ସ ଭଦ୍ରଂ କର୍ମ୍ମ କରୋତି ଯଶ୍ଚ ୱିୱାହଂ ନ କରୋତି ସ ଭଦ୍ରତରଂ କର୍ମ୍ମ କରୋତି|
39 पत्नी तब तक पति से जुड़ी रहती है, जब तक पति जीवित है. यदि पति की मृत्यु हो जाए तो वह अपनी इच्छा के अनुसार विवाह करने के लिए स्वतंत्र है—किंतु ज़रूरी यह है कि वह पुरुष भी प्रभु में विश्वासी ही हो.
ଯାୱତ୍କାଲଂ ପତି ର୍ଜୀୱତି ତାୱଦ୍ ଭାର୍ୟ୍ୟା ୱ୍ୟୱସ୍ଥଯା ନିବଦ୍ଧା ତିଷ୍ଠତି କିନ୍ତୁ ପତ୍ୟୌ ମହାନିଦ୍ରାଂ ଗତେ ସା ମୁକ୍ତୀଭୂଯ ଯମଭିଲଷତି ତେନ ସହ ତସ୍ୟା ୱିୱାହୋ ଭୱିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି, କିନ୍ତ୍ୱେତତ୍ କେୱଲଂ ପ୍ରଭୁଭକ୍ତାନାଂ ମଧ୍ୟେ|
40 मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि वह स्त्री उसी स्थिति में बनी रहे, जिसमें वह इस समय है. वह इसी स्थिति में सुखी रहेगी. मुझे विश्वास है कि मुझमें भी परमेश्वर का आत्मा वास करता है.
ତଥାଚ ସା ଯଦି ନିଷ୍ପତିକା ତିଷ୍ଠତି ତର୍ହି ତସ୍ୟାଃ କ୍ଷେମଂ ଭୱିଷ୍ୟତୀତି ମମ ଭାୱଃ| ଅପରମ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟାତ୍ମା ମମାପ୍ୟନ୍ତ ର୍ୱିଦ୍ୟତ ଇତି ମଯା ବୁଧ୍ୟତେ|