< 1 इतिहास 28 >

1 दावीद ने इस्राएल के सभी अधिकारियों, गोत्रों के प्रशासकों और राजकीय सेवा में लगी सेना की टुकड़ियों के हाकिमों और हज़ार सैनिकों के सेनापतियों, सौ सैनिकों के सेनापतियों, खजाने और राजा और उनके पुत्रों के पशुओं के अगुओं को, राजमहल के अधिकारियों, वीर योद्धाओं और बहुत अनुभवी योद्धाओं के साथ येरूशलेम में आमंत्रित किया.
وَاسْتَدْعَى دَاوُدُ إِلَى أُورُشَلِيمَ كُلَّ زُعَمَاءِ إِسْرَائِيلَ وَرُؤَسَاءِ الأَسْبَاطِ، وَرُؤَسَاءِ الْفِرَقِ الْعَامِلَةِ فِي خِدْمَةِ الْمَلِكِ، وَقَادَةِ الأُلُوفِ وَالْمِئَاتِ، وَمُدِيرِي مُمْتَلَكَاتِ وَأَمْوَالِ الْمَلِكِ وَمُمْتَلَكَاتِ أَبْنَائِهِ، فَضْلاً عَنِ الْخِصْيَانِ وَالأَبْطَالِ وَأَصْحَابِ الْجَاهِ وَالنُّفُوذِ.١
2 राजा दावीद ने इन सबके सामने खड़े होकर उन्हें संबोधित कर कहा: “मेरे भाइयो और मेरी प्रजा, मेरी बातें ध्यान से सुनो; यह मेरी इच्छा थी कि मैं याहवेह की वाचा का संदूक और हमारे परमेश्वर के पैरों की चौकी के लिए एक स्थिर घर को बनाऊं. इसी उद्देश्य से मैंने भवन बनाने की तैयारी कर ली.
فَقَالَ دَاوُدُ لَهُمْ: «أَصْغُوا إِلَيَّ يَا إِخْوَتِي وَشَعْبِي: لَقَدْ كَانَ فِيِ نِيَّتِي أَنْ أَبْنِيَ بَيْتاً يَسْتَقِرُّ فِيهِ تَابُوتُ عَهْدِ الرَّبِّ، وَيَكُونُ مَوْطِئاً لِقَدَمَيْ إِلَهِنَا، وَقَدْ جَهَّزْتُ مَا يَحْتَاجُهُ هَذَا الْبِنَاءُ مِنْ مَوَادَّ.٢
3 मगर परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘मेरे आदर में भवन को तुम नहीं बनवाओगे क्योंकि तुम एक योद्धा हो, तुमने बहुत लहू बहाया है.’
وَلَكِنَّ اللهَ قَالَ لِي: لَا تَبْنِ أَنْتَ بَيْتاً لاِسْمِي، لأَنَّكَ رَجُلُ حَرْبٍ وَقَدْ سَفَكْتَ دَماً.٣
4 “फिर भी याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने मेरे पिता के पूरे परिवार में से मुझे इस्राएल के सदाकाल के राजा के पद पर बैठाना सही समझा. यह इसलिये कि उन्होंने ही यहूदाह गोत्र को अगुआ बनाने के लिए चुना और यहूदाह गोत्र में से मेरे पिता के परिवार को और मेरे पिता के पुत्रों में से पूरे इस्राएल का राजा मुझे बनाने में उनकी खुशी थी.
إِنَّ الرَّبَّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ قَدِ اصْطَفَانِي مِنْ كُلِّ بَيْتِ أَبِي لِيَجْعَلَنِي مَلِكاً عَلَى إِسْرَائِيلَ إِلَى الأَبَدِ، وَذَلِكَ لأَنَّهُ اخْتَارَ سِبْطَ يَهُوذَا لِلرِّئَاسَةِ، ثُمَّ اخْتَارَ بَيْتَ أَبِي مِنْ بَيْنِ بُيُوتِ يَهُوذَا، وَقَدْ سُرَّ أَنْ يَفْرِزَنِي مِنْ بَيْنِ أَبْنَاءِ أَبِي لِيُوَلِّيَنِي عَلَى مُلْكِ إِسْرَائِيلَ.٤
5 याहवेह ने मुझे बहुत पुत्र दिए हैं. उन्होंने मेरे पुत्र शलोमोन को इस्राएल के ऊपर याहवेह के साम्राज्य के सिंहासन पर बैठने के लिए चुना है.
ثُمَّ اصْطَفَى ابْنِي سُلَيْمَانَ مِنْ بَيْنِ أَبْنَائِي الْكَثِيرِينَ الَّذِينَ رَزَقَنِي بِهِمِ الرَّبُّ، لِيَخْلُفَنِي عَلَى عَرْشِ مَمْلَكَةِ الرَّبِّ، عَلَى إِسْرَائِيلَ.٥
6 याहवेह ने मुझसे कहा, ‘तुम्हारा पुत्र शलोमोन ही वह है जो मेरे भवन और मेरे आंगनों को बनाएगा; क्योंकि मैंने यही सही समझा है कि वह मेरे लिए पुत्र हो और मैं उसका पिता हो जाऊंगा.
وَقَالَ لِي: إِنَّ سُلَيْمَانَ ابْنَكَ هُوَ الَّذِي يَبْنِي بَيْتِي وَدِيَارِي، لأَنَّنِي اصْطَفَيْتُهُ لِيَ ابْناً وَأَنَا أَكُونُ لَهُ أَباً.٦
7 अगर वह हमेशा मेरे आदेशों और नियमों का पालन करता रहे, जैसा कि वह इस समय कर ही रहा है, मैं उसके राज्य को हमेशा के लिए स्थिर कर दूंगा.’
فَإِنْ أَطَاعَ شَرَائِعِي وَأَحْكَامِي وَعَمِلَ بِها كَمَا هِيَ عَلَيْهِ الْيَوْمَ فَإِنَّنِي أُثَبِّتُ مَمْلَكَتَهُ إِلَى الأَبَدِ.٧
8 “इसलिये अब, सारे इस्राएल के सामने, जो याहवेह की सभा है और हमारे परमेश्वर के सामने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के सभी आदेशों का यत्न से पालन करो कि इस समृद्ध भूमि पर तुम अधिकारी बने रहो और तुम अपने बाद हमेशा के लिए अपने बच्चों को सौंपते जाओ.
فَأُوْصِيكُمُ الآنَ، عَلَى مَشْهَدٍ مِنْ كُلِّ إِسْرَائِيلَ، وَفِي مَحْضَرِ مَحْفَلِ الرَّبِّ، وَفِي مَسْمَعِ اللهِ، أَنْ تُطِيعُوا جَمِيعَ أَوَامِرِ الرَّبِّ إِلَهِكُمْ، وَتَسْعَوْا إِلَى مُمَارَسَتِهَا لِكَيْ تَظَلُّوا وَارِثِينَ لِلأَرْضِ الطَّيِّبَةِ، ثُمَّ تُوَرِّثُوهَا لأَوْلادِكُمْ مِنْ بَعْدِكُمْ إِلَى الأَبَدِ.٨
9 “और तुम, मेरे शलोमोन, अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान प्राप्‍त करो, सच्चे हृदय और तैयार मन से उनकी सेवा करो क्योंकि याहवेह हर एक हृदय को जांचते रहते हैं और मन के हर एक विचारों को समझते हैं. यदि तुम उन्हें खोजोगे तो उन्हें पाओगे, अगर तुम उनको छोड़ दोगे, वह हमेशा के लिए तुम्हें अकेला छोड़ देंगे.
أَمَّا أَنْتَ يَا ابْنِي سُلَيْمَانُ، فَاعْرِفْ إِلَهَ أَبِيكَ وَاعْبُدْهُ بِكَمَالِ قَلْبٍ، وَبِنَفْسٍ رَاغِبَةٍ، لأَنَّ الرَّبَّ يَتَفَحَّصُ جَمِيعَ الْقُلُوبِ، وَيَفْهَمُ كُلَّ تَصَوُّرٍ وَفِكْرٍ. فَإِنْ طَلَبْتَهُ تَجِدْهُ، وَإِنْ تَرَكْتَهُ يَنْبِذْكَ إِلَى الأَبَدِ.٩
10 अब सावधान हो जाओ, क्योंकि याहवेह ने तुम्हें मंदिर के भवन को बनाने के लिए चुना है. दृढ़ निश्चय के साथ इस काम को पूरा करो.”
فَفَكِّرْ مَلِيًّا، لأَنَّ الرَّبَّ قَدِ اصْطَفَاكَ لِتَبْنِيَ بَيْتاً لِقُدْسِ الأَقْدَاسِ، فَتَقَوَّ وَاعْمَلْ».١٠
11 इसके बाद दावीद ने शलोमोन को मंदिर के भीतरी हिस्सों, इसके भवनों, इसके भंडार घरों, इसके ऊपरी कमरों, इसके भीतरी कमरों, और करुणासन के कमरे का नमूना सौंप दिया.
وَقَدَّمَ دَاوُدُ لِسُلَيْمَانَ تَصْمِيمَاتِ بِنَاءِ الرَّوَاقِ وَبُيُوتِهِ وَمَخَازِنِهِ وَأَجْزَائِهِ الْعُلْيَا وَغُرَفِهِ الدَّاخِلِيَّةِ وَقُدْسِ الأَقْدَاسِ حَيْثُ يُكَفَّرُ عَنِ الْخَطَايَا.١١
12 इसके अलावा वह सारा नमूना भी जो उनके मन में याहवेह के भवन के आंगन, आस-पास के कमरों, परमेश्वर के भवन के भंडार घरों और भेंट की हुई वस्तुओं के भंडार घरों के संबंध में था.
وَأَعْطَاهُ أَيْضاً التَّصْمِيمَاتِ الَّتِي أَلْهَمَهُ الرُّوحُ بِها، الْخَاصَّةَ بِفِنَاءِ هَيْكَلِ الرَّبِّ وَسَائِرِ الْحُجْرَاتِ الْمُحِيطَةِ بِهِ، وَمَخَازِنِ هَيْكَلِ اللهِ وَمَخَازِنِ التَّقْدِمَاتِ الْمُكَرَّسَةِ لِلرَّبِّ،١٢
13 साथ ही वह नमूना भी, जो पुरोहितों और लेवियों के समूहों और याहवेह के भवन के सभी सेवा के कामों से संबंधित थी और याहवेह के भवन में इस्तेमाल होनेवाली सेवा से संबंधित पात्रों के बारे में.
كَمَا قَدَّمَ إِلَيْهِ التَّعْلِيمَاتِ الْخَاصَّةَ بِخَدَمَاتِ فِرَقِ الْكَهَنَةِ وَاللّاوِيِّينَ وَسَائِرِ الْخدَمَاتِ الَّتِي تُمَارَسُ فِي بَيْتِ الرَّبِّ، وَكُلِّ مَالَهُ عَلاقَةٌ بِآنِيَةِ خِدْمَةِ الْهَيْكَلِ١٣
14 दावीद ने हर एक प्रकार की आराधना में इस्तेमाल होनेवाले सारे सोने के बर्तनों के लिए सोने की मात्रा तय की. इसी प्रकार हर एक तरह की आराधना में इस्तेमाल होनेवाले सभी चांदी के बर्तनों की भी मात्रा तय की:
وَعَيَّنَ أَوْزَانَ الذَّهَبِ وَالفِضَّةِ الْمُسْتَخْدَمَةِ فِي صِيَاغَةِ آنِيَةِ الذَّهَبِ وَالفِضَّةِ الْمُسْتَعْمَلَةِ فِي مُخْتَلَفِ أَنْوَاعِ الْخَدَمَاتِ،١٤
15 इसके बाद दावीद ने यह भी तय किया कि दीप घरों और उनके दीवटों में कितने सोने की ज़रूरत होगी, इसी प्रकार चांदी के दीप घरों और उनके दीपकों में कितनी चांदी की ज़रूरत होगी. इनकी यह मात्रा आराधना में हर एक दीपक के इस्तेमाल के आधार पर तय की गई थी;
وَكَذَلِكَ أَوْزَانَ ذَهَبِ وَفِضَّةِ الْمَنَائِرِ وَسُرُجِهَا، بِمَا يَتَنَاسَبُ مَعَ اسْتِخْدَامِ كُلِّ مَنَارَةٍ،١٥
16 दावीद ने निम्न लिखित वस्तुओं में इस्तेमाल किए जानेवाले सोने और चांदी की मात्रा तय की: भेंट की रोटी के मेजों के लिए सोना और चांदी की मेजों के लिए ज़रूरी चांदी;
وَأَيْضاً أَوْزَانَ ذَهَبِ وَفِضَّةِ كُلِّ مَائِدَةٍ مِنْ مَوَائِدِ خُبْزِ الْوُجُوهِ،١٦
17 कांटों, कटोरों और प्यालों के लिए चोखा सोना, सोने की कटोरियों के लिए ज़रूरी सोना; चांदी की कटोरियों के लिए ज़रूरी चांदी;
كَمَا عَيَّنَ أَوْزَانَ الذَّهَبِ النَّقِيِّ الْمُسْتَخْدَمِ فِي صُنْعِ الْمَنَاشِلِ وَالْمَنَاضِحِ وَالْكُؤُوسِ، وَأَوْزَانَ ذَهَبِ وَفِضَّةِ كُلِّ قَدَحٍ مِنَ الأَقْدَاحِ،١٧
18 तब चोखे सोने से बनाने के लिए ठहराई गई धूप की वेदी के लिए चोखा सोना और रथ के नमूने के लिए सोना और उन करूबों के लिए सोना जो याहवेह की वाचा के संदूक को अपने फैले हुए पंखों से ढांपे हुए हैं, सोने की मात्रा तय कर दी.
وَأَوْزَانَ الذَّهَبِ النَّقِيِّ الْمُسْتَخْدَمِ فِي صُنْعِ مَذْبَحِ الْبَخُورِ، وَفِي صُنْعِ نَمُوذَجِ مَرْكَبَةِ الْكَرُوبِيمِ الْبَاسِطَةِ أَجْنِحَتَهَا، وَالَّتِي تُظَلِّلُ تَابُوتَ عَهْدِ الرَّبِّ.١٨
19 दावीद ने शलोमोन से कहा, “यह सब याहवेह के निर्देश के अनुसार इस नमूने का हर एक बारीक़ विवरण के रूप में लिखा है. मुझ पर याहवेह का हाथ बना रहा है.”
وَقَالَ دَاوُدُ لِاِبْنِهِ: «لَقَدْ دَوَّنْتُ جَمِيعَ هَذِهِ التَّعْلِيمَاتِ كِتَابَةً لأَنَّ يَدَ الرَّبِّ كَانَتْ علَيَّ، وَقَدْ لَقَّنَنِي مُوَاصَفَاتِ هَذِهِ التَّصْمِيمَاتِ.١٩
20 दावीद ने शलोमोन से आगे कहा, “दृढ़ हो जाओ, हिम्मत बनाए रखो और काम में लग जाओ. न तो तुम डरना और न निराश होना, क्योंकि याहवेह परमेश्वर, जो मेरे परमेश्वर हैं, तुम्हारे साथ हैं. वह न तो तुम्हें निराश करेंगे, न तुम्हें त्यागेंगे; जब तक याहवेह के भवन के बनने का काम पूरा न हो जाए.
فَتَقَوَّ وَتَشَجَّعْ وَاعْمَلْ. لَا تَجْزَعْ وَلا تَرْتَعِبْ لأَنَّ الرَّبَّ الإِلَهَ إِلَهِي مَعَكَ، وَلَنْ يَخْذُلَكَ وَلا يَتْرُكَكَ حَتَّى تَسْتَوْفِيَ كُلَّ عَمَلِ خِدْمَةِ هَيْكَلِ الرَّبِّ.٢٠
21 यह ध्यान रहे कि परमेश्वर के भवन में सभी आराधनाओं को चलाने के लिए पुरोहितों और लेवियों के समूह हैं. तुम्हें किसी भी काम के लिए अपनी इच्छा अनुसार अपना कौशल इस्तेमाल करने के लिए कारीगर उपलब्ध हैं. अधिकारी भी सभी लोगों के साथ तुम्हारे आदेश को पूरा करने के लिए तैयार हैं.”
وَسَتَقُومُ فِرَقُ الْكَهَنَةِ وَاللّاوِيِّينَ بِكُلِّ خِدْمَةِ هَيْكَلِ اللهِ، فَضْلاً عَنْ كُلِّ صَانِعٍ مَاهِرٍ فِي كُلِّ حِرْفَةٍ، وَسَيَكُونُ الرُّؤَسَاءُ وَالْجَيْشُ مُتَأَهِّبِينَ لِتَلْبِيَةِ أَوَامِرِكَ».٢١

< 1 इतिहास 28 >