< זכריה 7 >
ויהי בשנת ארבע לדריוש המלך היה דבר יהוה אל זכריה בארבעה לחדש התשעי בכסלו׃ | 1 |
दारा बादशाह की सल्तनत के चौथे बरस के नवें महीने, या'नी किसलेव महीने की चौथी तारीख़ को ख़ुदावन्द का कलाम ज़करियाह पर नाज़िल हुआ।
וישלח בית אל שר אצר ורגם מלך ואנשיו לחלות את פני יהוה׃ | 2 |
और बैतएल के बाशिन्दों ने शराज़र और रजममलिक और उसके लोगों को भेजा कि ख़ुदावन्द से दरख़्वास्त करें,
לאמר אל הכהנים אשר לבית יהוה צבאות ואל הנביאים לאמר האבכה בחדש החמשי הנזר כאשר עשיתי זה כמה שנים׃ | 3 |
और रब्ब — उल — अफ़वाज के घर के काहिनों और नबियों से पूछे, कि “क्या मैं पाँचवें महीने में गोशानशीन होकर मातम करूँ, जैसा कि मैंने सालहाँ साल से किया है?”
ויהי דבר יהוה צבאות אלי לאמר׃ | 4 |
तब रब्ब — उल — अफ़वाज का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
אמר אל כל עם הארץ ואל הכהנים לאמר כי צמתם וספוד בחמישי ובשביעי וזה שבעים שנה הצום צמתני אני׃ | 5 |
कि मम्लुकत के सब लोगों और काहिनों से कह कि जब तुम ने पाँचवें और सातवें महीने में, इन सत्तर बरस तक रोज़ा रख्खा और मातम किया, तो क्या था कभी मेरे लिए ख़ास मेरे ही लिए रोज़ा रख्खा था?
וכי תאכלו וכי תשתו הלוא אתם האכלים ואתם השתים׃ | 6 |
और जब तुम खाते — पीते थे तो अपने ही लिए न खाते — पीते थे?
הלוא את הדברים אשר קרא יהוה ביד הנביאים הראשנים בהיות ירושלם ישבת ושלוה ועריה סביבתיה והנגב והשפלה ישב׃ | 7 |
“क्या यह वही कलाम नहीं जो ख़ुदावन्द ने गुज़िश्ता नबियों की मा'रिफ़त फ़रमाया, जब येरूशलेम आबाद और आसूदा हाल था, और उसके 'इलाक़े के शहर और दक्खिन की सर ज़मीन और सैदान आबाद थे?”
ויהי דבר יהוה אל זכריה לאמר׃ | 8 |
फिर ख़ुदावन्द का कलाम ज़करियाह पर नाज़िल हुआ:
כה אמר יהוה צבאות לאמר משפט אמת שפטו וחסד ורחמים עשו איש את אחיו׃ | 9 |
कि “रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाया था, कि रास्ती से 'अदालत करो, और हर शख़्स अपने भाई पर करम और रहम किया करे,
ואלמנה ויתום גר ועני אל תעשקו ורעת איש אחיו אל תחשבו בלבבכם׃ | 10 |
और बेवा और यतीम और मुसाफ़िर और मिस्कीन पर ज़ुल्म न करो, और तुम में से कोई अपने भाई के ख़िलाफ़ दिल में बुरा मन्सूबा न बाँधे।”
וימאנו להקשיב ויתנו כתף סררת ואזניהם הכבידו משמוע׃ | 11 |
लेकिन वह सुनने वाले न हुए, बल्कि उन्होंने गर्दनकशी की तरफ़ अपने कानों को बंद किया ताकि न सुनें।
ולבם שמו שמיר משמוע את התורה ואת הדברים אשר שלח יהוה צבאות ברוחו ביד הנביאים הראשנים ויהי קצף גדול מאת יהוה צבאות׃ | 12 |
और उन्होंने अपने दिलों को अल्मास की तरह सख़्त किया, ताकि शरी'अत और उस कलाम को न सुनें जो रब्बुल — अफ़वाज ने गुज़िश्ता नबियों पर अपने रूह की मा'रिफ़त नाज़िल फ़रमाया था। इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज की तरफ़ से क़हर — ए — शदीद नाज़िल हुआ।
ויהי כאשר קרא ולא שמעו כן יקראו ולא אשמע אמר יהוה צבאות׃ | 13 |
और रब्ब — उल — अफ़वाज ने फ़रमाया था: “जिस तरह मैंने पुकार कर कहा और वह सुनने वाले न हुए, उसी तरह वह पुकारेंगे और मैं नहीं सुनूँगा।
ואסערם על כל הגוים אשר לא ידעום והארץ נשמה אחריהם מעבר ומשב וישימו ארץ חמדה לשמה׃ | 14 |
बल्कि उनको सब क़ौमों में जिनसे वह नावाक़िफ़ हैं तितर — बितर करूँगा। यूँ उनके बाद मुल्क वीरान हुआ, यहाँ तक कि किसी ने उसमें आमद — ओ — रफ़्त न की, क्यूँकि उन्होंने उस दिलकुशा मुल्क को वीरान कर दिया।”