< אֶל־הָרוֹמִיִּים 11 >
ובכן אמר אני הכי זנח האלהים את עמו חלילה כי גם אנכי בן ישראל מזרע אברהם למטה בנימן׃ | 1 |
१इसलिए मैं कहता हूँ, क्या परमेश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया? कदापि नहीं! मैं भी तो इस्राएली हूँ; अब्राहम के वंश और बिन्यामीन के गोत्र में से हूँ।
לא זנח האלהים את עמו אשר ידעו מקדם או הלא תדעו את אשר הכתוב אמר באליהו כאשר קרא אל האלהים על ישראל לאמר׃ | 2 |
२परमेश्वर ने अपनी उस प्रजा को नहीं त्यागा, जिसे उसने पहले ही से जाना: क्या तुम नहीं जानते, कि पवित्रशास्त्र एलिय्याह की कथा में क्या कहता है; कि वह इस्राएल के विरोध में परमेश्वर से विनती करता है।
יהוה את נביאיך הרגו ואת מזבחתיך הרסו ואותר אני לבדי ויבקשו את נפשי׃ | 3 |
३“हे प्रभु, उन्होंने तेरे भविष्यद्वक्ताओं को मार डाला, और तेरी वेदियों को ढा दिया है; और मैं ही अकेला बच रहा हूँ, और वे मेरे प्राण के भी खोजी हैं।”
אבל מה ענה אתו מענה אלהים השארתי לי שבעת אלפים איש אשר לא כרעו לבעל׃ | 4 |
४परन्तु परमेश्वर से उसे क्या उत्तर मिला “मैंने अपने लिये सात हजार पुरुषों को रख छोड़ा है जिन्होंने बाल के आगे घुटने नहीं टेके हैं।”
וכן גם בעת הזאת נותרה שארית על פי בחירת החסד׃ | 5 |
५इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कुछ लोग बाकी हैं।
ואם היתה זאת על ידי החסד לא היתה מתוך המעשים כי לולי כן החסד איננו עוד חסד ואם היתה מתוך המעשים איננו עוד חסד כי לולי כן המעשים יחדל להיות מעשה׃ | 6 |
६यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं, नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा।
ועתה מה הוא את אשר בקש ישראל לא השיג רק הנבחרים הם השיגו והנשארים השמינו לבבם׃ | 7 |
७फिर परिणाम क्या हुआ? यह कि इस्राएली जिसकी खोज में हैं, वह उनको नहीं मिला; परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं।
ככתוב נתן להם האלהים רוח תרדמה עינים לא לראות ואזנים לא לשמע עד היום הזה׃ | 8 |
८जैसा लिखा है, “परमेश्वर ने उन्हें आज के दिन तक मंदता की आत्मा दे रखी है और ऐसी आँखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें।”
ודוד הוא אמר יהי שלחנם לפח ולרשת ולמוקש ולשלומים להם׃ | 9 |
९और दाऊद कहता है, “उनका भोजन उनके लिये जाल, और फंदा, और ठोकर, और दण्ड का कारण हो जाए।
תחשכנה עיניהם מראות ומתניהם תמיד המעד׃ | 10 |
१०उनकी आँखों पर अंधेरा छा जाए ताकि न देखें, और तू सदा उनकी पीठ को झुकाए रख।”
ובכן אני אמר הנכשלו למען יפלו חלילה אך בפשעם יצאה הישועה לגוים למען הקניאם׃ | 11 |
११तो मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई, कि गिर पड़ें? कदापि नहीं परन्तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो।
ואם פשעם עשר העולם וחסרונם עשר הגוים מלאם על אחת כמה וכמה׃ | 12 |
१२अब यदि उनका गिरना जगत के लिये धन और उनकी घटी अन्यजातियों के लिये सम्पत्ति का कारण हुआ, तो उनकी भरपूरी से कितना न होगा।
כי אליכם הגוים אני מדבר וכפי אשר שליח הגוים אנכי את שרותי אפאר׃ | 13 |
१३मैं तुम अन्यजातियों से यह बातें कहता हूँ। जबकि मैं अन्यजातियों के लिये प्रेरित हूँ, तो मैं अपनी सेवा की बड़ाई करता हूँ,
לו אוכל להקניא את בשרי ולהושיע מקצתם׃ | 14 |
१४ताकि किसी रीति से मैं अपने कुटुम्बियों से जलन करवाकर उनमें से कई एक का उद्धार कराऊँ।
כי אם געילתם רצוי לעולם מה אפוא תהיה אספתם הלא חיים מן המתים׃ | 15 |
१५क्योंकि जबकि उनका त्याग दिया जाना जगत के मिलाप का कारण हुआ, तो क्या उनका ग्रहण किया जाना मरे हुओं में से जी उठने के बराबर न होगा?
ואם התרומה קדש כן גם העסה ואם השרש קדש כן גם הענפים׃ | 16 |
१६जब भेंट का पहला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गूँधा हुआ आटा भी पवित्र है: और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियाँ भी ऐसी ही हैं।
וכי נקפו מקצת הענפים ואתה זית היער הרכבת במקומם ונתחברת לשרש הזית ולדשנו׃ | 17 |
१७और यदि कई एक डाली तोड़ दी गईं, और तू जंगली जैतून होकर उनमें साटा गया, और जैतून की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ है।
אל תתפאר על הענפים ואם תתפאר דע שאינך נשא את השרש כי אם השרש הוא נשא אותך׃ | 18 |
१८तो डालियों पर घमण्ड न करना; और यदि तू घमण्ड करे, तो जान रख, कि तू जड़ को नहीं, परन्तु जड़ तुझे सम्भालती है।
וכי תאמר הלא נקפו הענפים למען ארכב אנכי׃ | 19 |
१९फिर तू कहेगा, “डालियाँ इसलिए तोड़ी गई, कि मैं साटा जाऊँ।”
כן הוא המה נקפו על אשר לא האמינו ואתה הנך קים על ידי האמונה אל תתגאה כי אם ירא׃ | 20 |
२०भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गईं, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिए अभिमानी न हो, परन्तु भय मान,
כי האלהים אם לא חס על הענפים הנולדים מן העץ אולי לא יחוס גם עליך׃ | 21 |
२१क्योंकि जब परमेश्वर ने स्वाभाविक डालियाँ न छोड़ी, तो तुझे भी न छोड़ेगा।
לכן ראה נא טובת אלהים וזעמו זעמו על הנפלים ועליך טובתו אם תעמד בטובתו ואם אין כי עתה גם אתה תגדע׃ | 22 |
२२इसलिए परमेश्वर की दयालुता और कड़ाई को देख! जो गिर गए, उन पर कड़ाई, परन्तु तुझ पर दयालुता, यदि तू उसमें बना रहे, नहीं तो, तू भी काट डाला जाएगा।
וגם המה אם לא יעמדו במרים ירכבו כי יכל האלהים לשוב להרכיבם׃ | 23 |
२३और वे भी यदि अविश्वास में न रहें, तो साटे जाएँगे क्योंकि परमेश्वर उन्हें फिर साट सकता है।
כי אם אתה נגזרת מעץ אשר הוא בטבעו זית יער והרכבת שלא כטבע בזית טוב אלה היצאים ממנו על אחת כמה וכמה שירכבו בזית שלהם׃ | 24 |
२४क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध अच्छी जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियाँ हैं, अपने ही जैतून में साटे क्यों न जाएँगे।
כי לא אכחד מכם אחי את הסוד הזה פן תהיו חכמים בעיניכם כי טמטום הלב למקצת נהיה לישראל עד כי יכנס מלא הגוים׃ | 25 |
२५हे भाइयों, कहीं ऐसा न हो, कि तुम अपने आपको बुद्धिमान समझ लो; इसलिए मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो, कि जब तक अन्यजातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें, तब तक इस्राएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा।
ובכן כל ישראל יושע ככתוב ובא לציון גואל וישיב פשע מיעקב׃ | 26 |
२६और इस रीति से सारा इस्राएल उद्धार पाएगा; जैसा लिखा है, “छुड़ानेवाला सिय्योन से आएगा, और अभक्ति को याकूब से दूर करेगा।
ואני זאת בריתי אותם בהסירי חטאתם׃ | 27 |
२७और उनके साथ मेरी यही वाचा होगी, जबकि मैं उनके पापों को दूर कर दूँगा।”
הן לפי הבשורה שנואים הם למענכם אך לפי הבחירה חביבים הם למען האבות׃ | 28 |
२८सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे लिए वे परमेश्वर के बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से पूर्वजों के कारण प्यारे हैं।
כי לא ינחם האלהים על מתנותיו ועל קריאתו׃ | 29 |
२९क्योंकि परमेश्वर अपने वरदानों से, और बुलाहट से कभी पीछे नहीं हटता।
כי כאשר גם אתם מלפנים ממרים הייתם את פי אלהים ועתה הוחנתם במרים של אלה׃ | 30 |
३०क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई।
כן גם אלה עתה ממרים היו למען על ידי חנינתכם גם הם יחנו׃ | 31 |
३१वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो।
כי האלהים הסגיר את כלם ביד המרי למען יחן את כלם׃ (eleēsē ) | 32 |
३२क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा है ताकि वह सब पर दया करे। (eleēsē )
מה עמק עשר חכמת אלהים ועשר דעתו משפטיו מי יחקר ודרכיו מי ימצא׃ | 33 |
३३अहा, परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गम्भीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!
כי מי תכן את רוח יהוה ואיש עצתו יודיענו׃ | 34 |
३४“प्रभु कि बुद्धि को किसने जाना? या उनका मंत्री कौन हुआ?
או מי הקדימו וישלם לו׃ | 35 |
३५या किसने पहले उसे कुछ दिया है जिसका बदला उसे दिया जाए?”
הלא הכל ממנו והכל בו והכל אליו אשר לו הכבוד לעולמים אמן׃ (aiōn ) | 36 |
३६क्योंकि उसकी ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। (aiōn )