< חזוֹן יוֹחָנָן 12 >

ואות גדולה נראתה בשמים אשה אשר השמש לבושה והירח תחת רגליה ועל ראשה עטרת שנים עשר כוכבים׃ 1
ततः परं स्वर्गे महाचित्रं दृष्टं योषिदेकासीत् सा परिहितसूर्य्या चन्द्रश्च तस्याश्चरणयोरधो द्वादशताराणां किरीटञ्च शिरस्यासीत्।
והיא הרה ותזעק בחבליה ותקש בלדתה׃ 2
सा गर्भवती सती प्रसववेदनया व्यथितार्त्तरावम् अकरोत्।
ותרא אות אחרת בשמים והנה תנין גדול אדם כאש ולו שבעה ראשים ועשר קרנים ועל ראשיו שבעה כתרים׃ 3
ततः स्वर्गे ऽपरम् एकं चित्रं दृष्टं महानाग एक उपातिष्ठत् स लोहितवर्णस्तस्य सप्त शिरांसि सप्त शृङ्गाणि शिरःसु च सप्त किरीटान्यासन्।
וזנבו סחב מן השמים שלישית הכוכבים וישליכם ארצה ויתיצב התנין לפני האשה החלה ללדת למען בלע את בנה בלדתה׃ 4
स स्वलाङ्गूलेन गगनस्थनक्षत्राणां तृतीयांशम् अवमृज्य पृथिव्यां न्यपातयत्। स एव नागो नवजातं सन्तानं ग्रसितुम् उद्यतस्तस्याः प्रसविष्यमाणाया योषितो ऽन्तिके ऽतिष्ठत्।
ותלד בן זכר העתיד לרעות כל הגוים בשבט ברזל וילקח בנה אל האלהים ואל כסאו׃ 5
सा तु पुंसन्तानं प्रसूता स एव लौहमयराजदण्डेन सर्व्वजातीश्चारयिष्यति, किञ्च तस्याः सन्तान ईश्वरस्य समीपं तदीयसिंहासनस्य च सन्निधिम् उद्धृतः।
והאשה ברחה המדברה אשר שם הוכן לה מקום מאת אלהים למען יכלכלוה שם ימים אלף ומאתים וששים׃ 6
सा च योषित् प्रान्तरं पलायिता यतस्तत्रेश्वरेण निर्म्मित आश्रमे षष्ठ्यधिकशतद्वयाधिकसहस्रदिनानि तस्याः पालनेन भवितव्यं।
ותהי מלחמה בשמים מיכאל ומלאכיו נלחמים בתנין והתנין נלחם ומלאכיו׃ 7
ततः परं स्वर्गे संग्राम उपापिष्ठत् मीखायेलस्तस्य दूताश्च तेन नागेन सहायुध्यन् तथा स नागस्तस्य दूताश्च संग्रामम् अकुर्व्वन्, किन्तु प्रभवितुं नाशक्नुवन्
ולא התחזקו וגם מקומם לא נמצא עוד בשמים׃ 8
यतः स्वर्गे तेषां स्थानं पुन र्नाविद्यत।
ויוטל התנין הגדול הנחש הקדמוני אשר נקרא שמו מלשין ושטן המדיח תבל כלה הוא הוטל ארצה ומלאכיו עמו הוטלו׃ 9
अपरं स महानागो ऽर्थतो दियावलः (अपवादकः) शयतानश्च (विपक्षः) इति नाम्ना विख्यातो यः पुरातनः सर्पः कृत्स्नं नरलोकं भ्रामयति स पृथिव्यां निपातितस्तेन सार्द्धं तस्य दूता अपि तत्र निपातिताः।
ואשמע קול גדול בשמים ויאמר עתה באה ישועת אלהינו ועזו ומלכותו וממשלת משיחו כי הורד שוטן אחינו העמד לשטנם לפני אלהינו יומם ולילה׃ 10
ततः परं स्वर्गे उच्चै र्भाषमाणो रवो ऽयं मयाश्रावि, त्राणं शक्तिश्च राजत्वमधुनैवेश्वरस्य नः। तथा तेनाभिषिक्तस्य त्रातुः पराक्रमो ऽभवत्ं॥ यतो निपातितो ऽस्माकं भ्रातृणां सो ऽभियोजकः। येनेश्वरस्य नः साक्षात् ते ऽदूष्यन्त दिवानिशं॥
והם נצחהו למען דם השה ולמען דבר עדותם ולא אהבו את נפשם עד למות׃ 11
मेषवत्सस्य रक्तेन स्वसाक्ष्यवचनेन च। ते तु निर्जितवन्तस्तं न च स्नेहम् अकुर्व्वत। प्राणोष्वपि स्वकीयेषु मरणस्यैव सङ्कटे।
רנו על זאת שמים ושכניהם אוי לישבי ארץ וים כי ירד אליכם המלשין בחמה גדולה מדעתו כי קצרה עתו׃ 12
तस्माद् आनन्दतु स्वर्गो हृष्यन्तां तन्निवामिनः। हा भूमिसागरौ तापो युवामेवाक्रमिष्यति। युवयोरवतीर्णो यत् शैतानो ऽतीव कापनः। अल्पो मे समयो ऽस्त्येतच्चापि तेनावगम्यते॥
ויהי כאשר ראה התנין כי הוטל ארצה וירדף את האשה אשר ילדה את הזכר׃ 13
अनन्तरं स नागः पृथिव्यां स्वं निक्षिप्तं विलोक्य तां पुत्रप्रसूतां योषितम् उपाद्रवत्।
ויתנו לאשה שתי כנפי הנשר הגדול לעוף המדברה אל מקומה אשר תכלכל שם מועד מועדים וחצי מפני הנחש׃ 14
ततः सा योषित् यत् स्वकीयं प्रान्तरस्थाश्रमं प्रत्युत्पतितुं शक्नुयात् तदर्थं महाकुररस्य पक्षद्वयं तस्वै दत्तं, सा तु तत्र नागतो दूरे कालैकं कालद्वयं कालार्द्धञ्च यावत् पाल्यते।
וישלח הנחש נהר מים מפיו אחרי האשה לשטפה בנהר׃ 15
किञ्च स नागस्तां योषितं स्रोतसा प्लावयितुं स्वमुखात् नदीवत् तोयानि तस्याः पश्चात् प्राक्षिपत्।
ותעזר הארץ את האשה ותפתח הארץ את פיה ותבלע את הנהר אשר שלח התנין מפיהו׃ 16
किन्तु मेदिनी योषितम् उपकुर्व्वती निजवदनं व्यादाय नागमुखाद् उद्गीर्णां नदीम् अपिवत्।
ויקצף התנין על האשה וילך לעשות מלחמה עם יתר זרעה השמרים פקודי אלהים ואשר להם עדות ישוע׃ 17
ततो नागो योषिते क्रुद्ध्वा तद्वंशस्यावशिष्टलोकैरर्थतो य ईश्वरस्याज्ञाः पालयन्ति यीशोः साक्ष्यं धारयन्ति च तैः सह योद्धुं निर्गतवान्।

< חזוֹן יוֹחָנָן 12 >