< תהילים 94 >
אל נקמות יהוה אל נקמות הופיע׃ | 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा! जलवागर हो!
הנשא שפט הארץ השב גמול על גאים׃ | 2 |
ऐ जहान का इन्साफ़ करने वाले! उठ; मग़रूरों को बदला दे!
עד מתי רשעים יהוה עד מתי רשעים יעלזו׃ | 3 |
ऐ ख़ुदावन्द, शरीर कब तक; शरीर कब तक ख़ुशी मनाया करेंगे?
יביעו ידברו עתק יתאמרו כל פעלי און׃ | 4 |
वह बकवास करते और बड़ा बोल बोलत हैं, सब बदकिरदार लाफ़ज़नी करते हैं।
עמך יהוה ידכאו ונחלתך יענו׃ | 5 |
ऐ ख़ुदावन्द! वह तेरे लोगों को पीसे डालते हैं, और तेरी मीरास को दुख देते हैं।
אלמנה וגר יהרגו ויתומים ירצחו׃ | 6 |
वह बेवा और परदेसी को क़त्ल करते, और यतीम को मार डालते हैं;
ויאמרו לא יראה יה ולא יבין אלהי יעקב׃ | 7 |
और कहते है “ख़ुदावन्द नहीं देखेगा और या'क़ूब का ख़ुदा ख़याल नहीं करेगा।”
בינו בערים בעם וכסילים מתי תשכילו׃ | 8 |
ऐ क़ौम के हैवानो! ज़रा ख़याल करो; ऐ बेवक़ूफ़ों! तुम्हें कब 'अक़्ल आएगी?
הנטע אזן הלא ישמע אם יצר עין הלא יביט׃ | 9 |
जिसने कान दिया, क्या वह ख़ुद नहीं सुनता? जिसने आँख बनाई, क्या वह देख नहीं सकता?
היסר גוים הלא יוכיח המלמד אדם דעת׃ | 10 |
क्या वह जो क़ौमों को तम्बीह करता है, और इंसान को समझ सिखाता है, सज़ा न देगा?
יהוה ידע מחשבות אדם כי המה הבל׃ | 11 |
ख़ुदावन्द इंसान के ख़यालों को जानता है, कि वह बेकार हैं।
אשרי הגבר אשר תיסרנו יה ומתורתך תלמדנו׃ | 12 |
ऐ ख़ुदावन्द, मुबारक है वह आदमी जिसे तू तम्बीह करता, और अपनी शरी'अत की ता'लीम देता है।
להשקיט לו מימי רע עד יכרה לרשע שחת׃ | 13 |
ताकि उसको मुसीबत के दिनों में आराम बख्शे, जब तक शरीर के लिए गढ़ा न खोदा जाए।
כי לא יטש יהוה עמו ונחלתו לא יעזב׃ | 14 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द अपने लोगों को नहीं छोड़ेगा, और वह अपनी मीरास को नहीं छोड़ेगा;
כי עד צדק ישוב משפט ואחריו כל ישרי לב׃ | 15 |
क्यूँकि 'अद्ल सदाक़त की तरफ़ रुजू' करेगा, और सब रास्त दिल उसकी पैरवी करेंगे।
מי יקום לי עם מרעים מי יתיצב לי עם פעלי און׃ | 16 |
शरीरों के मुक़ाबले में कौन मेरे लिए उठेगा? बदकिरदारों के ख़िलाफ़ कौन मेरे लिए खड़ा होगा?
לולי יהוה עזרתה לי כמעט שכנה דומה נפשי׃ | 17 |
अगर ख़ुदावन्द मेरा मददगार न होता, तो मेरी जान कब की 'आलम — ए — ख़ामोशी में जा बसी होती।
אם אמרתי מטה רגלי חסדך יהוה יסעדני׃ | 18 |
जब मैंने कहा, मेरा पाँव फिसल चला, तो ऐ ख़ुदावन्द! तेरी शफ़क़त ने मुझे संभाल लिया।
ברב שרעפי בקרבי תנחומיך ישעשעו נפשי׃ | 19 |
जब मेरे दिल में फ़िक्रों की कसरत होती है, तो तेरी तसल्ली मेरी जान को ख़ुश करती है।
היחברך כסא הוות יצר עמל עלי חק׃ | 20 |
क्या शरारत के तख़्त से तुझे कुछ वास्ता होगा, जो क़ानून की आड़ में बदी गढ़ता है?
יגודו על נפש צדיק ודם נקי ירשיעו׃ | 21 |
वह सादिक़ की जान लेने को इकट्ठे होते हैं, और बेगुनाह पर क़त्ल का फ़तवा देते हैं।
ויהי יהוה לי למשגב ואלהי לצור מחסי׃ | 22 |
लेकिन ख़ुदावन्द मेरा ऊँचा बुर्ज, और मेरा ख़ुदा मेरी पनाह की चट्टान रहा है।
וישב עליהם את אונם וברעתם יצמיתם יצמיתם יהוה אלהינו׃ | 23 |
वह उनकी बदकारी उन ही पर लाएगा, और उन ही की शरारत में उनको काट डालेगा। ख़ुदावन्द हमारा उनको काट डालेगा।