< תהילים 41 >
למנצח מזמור לדוד אשרי משכיל אל דל ביום רעה ימלטהו יהוה׃ | 1 |
मुबारक, है वह जो ग़रीब का ख़याल रखता है ख़ुदावन्द मुसीबत के दिन उसे छुड़ाएगा।
יהוה ישמרהו ויחיהו יאשר בארץ ואל תתנהו בנפש איביו׃ | 2 |
ख़ुदावन्द उसे महफू़ज़ और ज़िन्दा रख्खेगा, और वह ज़मीन पर मुबारक होगा। तू उसे उसके दुश्मनों की मर्ज़ी पर न छोड़।
יהוה יסעדנו על ערש דוי כל משכבו הפכת בחליו׃ | 3 |
ख़ुदावन्द उसे बीमारी के बिस्तर पर संभालेगा; तू उसकी बीमारी में उसके पूरे बिस्तर को ठीक करता है।
אני אמרתי יהוה חנני רפאה נפשי כי חטאתי לך׃ | 4 |
मैंने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर! मेरी जान को शिफ़ा दे, क्यूँकि मैं तेरा गुनहगार हूँ।”
אויבי יאמרו רע לי מתי ימות ואבד שמו׃ | 5 |
मेरे दुश्मन यह कहकर मेरी बुराई करते हैं, कि वह कब मरेगा और उसका नाम कब मिटेगा?
ואם בא לראות שוא ידבר לבו יקבץ און לו יצא לחוץ ידבר׃ | 6 |
जब वह मुझ से मिलने को आता है, तो झूटी बातें बकता है; उसका दिल अपने अन्दर बदी समेटता है; वह बाहर जाकर उसी का ज़िक्र करता है।
יחד עלי יתלחשו כל שנאי עלי יחשבו רעה לי׃ | 7 |
मुझ से 'अदावत रखने वाले सब मिलकर मेरी ग़ीबत करते हैं; वह मेरे ख़िलाफ़ मेरे नुक़सान के मन्सूबे बाँधते हैं।
דבר בליעל יצוק בו ואשר שכב לא יוסיף לקום׃ | 8 |
वह कहते हैं, “इसे तो बुरा रोग लग गया है; अब जो वह पड़ा है तो फिर उठने का नहीं।”
גם איש שלומי אשר בטחתי בו אוכל לחמי הגדיל עלי עקב׃ | 9 |
बल्कि मेरे दिली दोस्त ने जिस पर मुझे भरोसा था, और जो मेरी रोटी खाता था, मुझ पर लात उठाई है।
ואתה יהוה חנני והקימני ואשלמה להם׃ | 10 |
लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द! मुझ पर रहम करके मुझे उठा खड़ा कर, ताकि मैं उनको बदला दूँ।
בזאת ידעתי כי חפצת בי כי לא יריע איבי עלי׃ | 11 |
इससे मैं जान गया कि तू मुझ से ख़ुश है, कि मेरा दुश्मन मुझ पर फ़तह नहीं पाता।
ואני בתמי תמכת בי ותציבני לפניך לעולם׃ | 12 |
मुझे तो तू ही मेरी रास्ती में क़याम बख्शता है और मुझे हमेशा अपने सामने क़ाईम रखता है।
ברוך יהוה אלהי ישראל מהעולם ועד העולם אמן ואמן׃ | 13 |
ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा, इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक हो! आमीन, सुम्म आमीन।