< במדבר 30 >
וידבר משה אל ראשי המטות לבני ישראל לאמר זה הדבר אשר צוה יהוה׃ | 1 |
और मूसा ने बनी — इस्राईल के क़बीलों के सरदारों से कहा, “जिस बात का ख़ुदावन्द ने हुक्म दिया है वह यह है, कि
איש כי ידר נדר ליהוה או השבע שבעה לאסר אסר על נפשו לא יחל דברו ככל היצא מפיו יעשה׃ | 2 |
जब कोई मर्द ख़ुदावन्द की मिन्नत माने या क़सम खाकर अपने ऊपर कोई ख़ास फ़र्ज़ ठहराए, तो वह अपने 'अहद को न तोड़े; बल्कि जो कुछ उसके मुँह से निकला है उसे पूरा करे।
ואשה כי תדר נדר ליהוה ואסרה אסר בבית אביה בנעריה׃ | 3 |
और अगर कोई 'औरत ख़ुदावन्द की मिन्नत माने और अपनी नौ जवानी के दिनों में अपने बाप के घर होते हुए अपने ऊपर कोई फ़र्ज़ ठहराए।
ושמע אביה את נדרה ואסרה אשר אסרה על נפשה והחריש לה אביה וקמו כל נדריה וכל אסר אשר אסרה על נפשה יקום׃ | 4 |
और उसका बाप उसकी मिन्नत और उसके फ़र्ज़ का हाल जो उसने अपने ऊपर ठहराया है सुनकर चुप हो रहे, तो वह सब मिन्नतें और सब फ़र्ज़ जो उस 'औरत ने अपने ऊपर ठहराए हैं क़ाईम रहेंगे।
ואם הניא אביה אתה ביום שמעו כל נדריה ואסריה אשר אסרה על נפשה לא יקום ויהוה יסלח לה כי הניא אביה אתה׃ | 5 |
लेकिन अगर उसका बाप जिस दिन यह सुने उसी दिन उसे मना' करे, तो उसकी कोई मिन्नत या कोई फ़र्ज़ जो उसने अपने ऊपर ठहराया है, क़ाईम नहीं रहेगा; और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'ज़ूर रख्खेगा क्यूँकि उसके बाप ने उसे इजाज़त नहीं दी।
ואם היו תהיה לאיש ונדריה עליה או מבטא שפתיה אשר אסרה על נפשה׃ | 6 |
और अगर किसी आदमी से उसकी निस्बत हो जाए, हालाँके उसकी मिन्नतें या मुँह की निकली हुई बात जो उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई है, अब तक पूरी न हुई हो;
ושמע אישה ביום שמעו והחריש לה וקמו נדריה ואסרה אשר אסרה על נפשה יקמו׃ | 7 |
और उसका आदमी यह हाल सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे तो उसकी मनतें क़ाईम रहेंगी, और जो बातें उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई हैं वह भी क़ाईम रहेंगी।
ואם ביום שמע אישה יניא אותה והפר את נדרה אשר עליה ואת מבטא שפתיה אשר אסרה על נפשה ויהוה יסלח לה׃ | 8 |
लेकिन अगर उसका आदमी जिस दिन यह सब सुने, उसी दिन उसे मना' करे तो उसने जैसे उस 'औरत की मिन्नत को और उसके मुँह की निकली हुई बात को जो उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई थी तोड़ दिया; और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'जूर रख्खेगा।
ונדר אלמנה וגרושה כל אשר אסרה על נפשה יקום עליה׃ | 9 |
लेकिन बेवा और तलाकशुदा कीं मिन्नतें और फ़र्ज़ ठहरायी हुई बातें क़ाईम रहेंगी।
ואם בית אישה נדרה או אסרה אסר על נפשה בשבעה׃ | 10 |
और अगर उसने अपने शौहर के घर होते हुए कुछ मिन्नत मानी या क़सम खाकर अपने ऊपर कोई फ़र्ज़ ठहराया हो,
ושמע אישה והחרש לה לא הניא אתה וקמו כל נדריה וכל אסר אשר אסרה על נפשה יקום׃ | 11 |
और उसका शौहर यह हाल सुन कर ख़ामोश रहा हो और उसे मना' न किया हो, तो उसकी मिन्नतें और सब फ़र्ज़ जो उसने अपने ऊपर ठहराए क़ाईम रहेंगे।
ואם הפר יפר אתם אישה ביום שמעו כל מוצא שפתיה לנדריה ולאסר נפשה לא יקום אישה הפרם ויהוה יסלח לה׃ | 12 |
लेकिन अगर उसके शौहर ने जिस दिन यह सब सुना उसी दिन उसे बातिल ठहराया हो, तो जो कुछ उस 'औरत के मुँह से उसकी मिन्नतों और ठहराए हुए फ़र्ज़ के बारे में निकला है, वह क़ाईम नहीं रहेगा; उसके शौहर ने उनको तोड़ डाला है, और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'ज़ूर रख्खेगा।
כל נדר וכל שבעת אסר לענת נפש אישה יקימנו ואישה יפרנו׃ | 13 |
उसकी हर मिन्नत को और अपनी जान को दुख देने की हर क़सम को उसका शौहर चाहे तो क़ाईम रख्खे, या अगर चाहे तो बातिल ठहराए।
ואם החרש יחריש לה אישה מיום אל יום והקים את כל נדריה או את כל אסריה אשר עליה הקים אתם כי החרש לה ביום שמעו׃ | 14 |
लेकिन अगर उसका शौहर दिन — ब — दिन ख़ामोश ही रहे, तो वह जैसे उसकी सब मिन्नतों और ठहराए हुए फ़र्ज़ों को क़ाईम कर देता है; उसने उनको क़ाईम यूँ किया कि जिस दिन से सब सुना वह ख़ामोश ही रहा।
ואם הפר יפר אתם אחרי שמעו ונשא את עונה׃ | 15 |
लेकिन अगर वह उनको सुन कर बाद में उनको बातिल ठहराए तो वह उस 'औरत का गुनाह उठाएगा।”
אלה החקים אשר צוה יהוה את משה בין איש לאשתו בין אב לבתו בנעריה בית אביה׃ | 16 |
शौहर और बीवी के बीच और बाप बेटी के बीच, जब बेटी नौ — जवानी के दिनों में बाप के घर हो, इन ही तौर तरीक़े का हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को दिया।