< מארק 6 >

ויצא משם ויבא אל ארצו וילכו אחריו תלמידיו׃ 1
वहाँ से निकलकर वह अपने देश में आया, और उसके चेले उसके पीछे हो लिए।
וביום השבת החל ללמד בבית הכנסת וישמעו רבים וישתוממו לאמר מאין לזה כאלה ומה היא החכמה הנתונה לו עד אשר נעשו גבורות כאלה על ידיו׃ 2
सब्त के दिन वह आराधनालय में उपदेश करने लगा; और बहुत लोग सुनकर चकित हुए और कहने लगे, “इसको ये बातें कहाँ से आ गई? और यह कौन सा ज्ञान है जो उसको दिया गया है? और कैसे सामर्थ्य के काम इसके हाथों से प्रगट होते हैं?
הלא זה הוא החרש בן מרים ואחי יעקב ויוסי ויהודה ושמעון והלא אחיותיו אתנו פה ויהי להם למכשול׃ 3
क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब और योसेस और यहूदा और शमौन का भाई है? और क्या उसकी बहनें यहाँ हमारे बीच में नहीं रहतीं?” इसलिए उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई।
ויאמר אליהם ישוע אין הנביא נקלה כי אם בארצו ובין קרוביו ובביתו׃ 4
यीशु ने उनसे कहा, “भविष्यद्वक्ता का अपने देश और अपने कुटुम्ब और अपने घर को छोड़ और कहीं भी निरादर नहीं होता।”
ולא יכל לעשות שם פלא רק על חלשים מעטים שם את ידיו וירפאם׃ 5
और वह वहाँ कोई सामर्थ्य का काम न कर सका, केवल थोड़े बीमारों पर हाथ रखकर उन्हें चंगा किया।
ויתמה על חסרון אמונתם ויסב בכפרים סבוב ולמד׃ 6
और उसने उनके अविश्वास पर आश्चर्य किया और चारों ओर से गाँवों में उपदेश करता फिरा।
ויקרא אל שנים העשר ויחל לשלח אותם שנים שנים ויתן להם שלטן על רוחות הטמאה׃ 7
और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो-दो करके भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया।
ויצו אותם אשר לא ישאו מאומה לדרך זולתי מקל לבדו לא תרמיל ולא לחם ולא נחשת בחגורה׃ 8
और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि “मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे।
רק להיות נעולי סנדל ושתי כתנות לא ילבשו׃ 9
परन्तु जूतियाँ पहनो और दो-दो कुर्ते न पहनो।”
ויאמר אליהם במקום אשר תבאו בית איש שבו בו עד כי תצאו משם׃ 10
१०और उसने उनसे कहा, “जहाँ कहीं तुम किसी घर में उतरो, तो जब तक वहाँ से विदा न हो, तब तक उसी घर में ठहरे रहो।
וכל אשר לא יקבלו אתכם ולא ישמעו אליכם צאו משם ונערו את עפר כפות רגליכם לעדות להם אמן אני אמר לכם לסדם ולעמרה יקל ביום הדין מן העיר ההיא׃ 11
११जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।”
ויצאו ויקראו לשוב בתשובה׃ 12
१२और उन्होंने जाकर प्रचार किया, कि मन फिराओ,
ויגרשו שדים רבים ויסוכו בשמן חלשים רבים וירפאום׃ 13
१३और बहुत सी दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
וישמע עליו המלך הורדוס כי נודע שמו ויאמר יוחנן הטובל קם מן המתים ועל כן פעלות בו הגבורות׃ 14
१४और हेरोदेस राजा ने उसकी चर्चा सुनी, क्योंकि उसका नाम फैल गया था, और उसने कहा, कि “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मरे हुओं में से जी उठा है, इसलिए उससे ये सामर्थ्य के काम प्रगट होते हैं।”
ואחרים אמרו כי הוא אליהו ואחרים אמרו כי נביא הוא או כאחד הנביאים׃ 15
१५और औरों ने कहा, “यह एलिय्याह है”, परन्तु औरों ने कहा, “भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।”
וישמע הורדוס ויאמר יוחנן אשר אנכי נשאתי את ראשו מעליו הוא קם מן המתים׃ 16
१६हेरोदेस ने यह सुनकर कहा, “जिस यूहन्ना का सिर मैंने कटवाया था, वही जी उठा है।”
כי הוא הורודס שלח לתפש את יוחנן ויאסרהו בבית הסהר בגלל הורודיה אשת פילפוס אחיו כי אתה לקח לו לאשה׃ 17
१७क्योंकि हेरोदेस ने आप अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास के कारण, जिससे उसने विवाह किया था, लोगों को भेजकर यूहन्ना को पकड़वाकर बन्दीगृह में डाल दिया था।
יען אשר אמר יוחנן אל הורדוס אשת אחיך איננה מתרת לך׃ 18
१८क्योंकि यूहन्ना ने हेरोदेस से कहा था, “अपने भाई की पत्नी को रखना तुझे उचित नहीं।”
ותשטם אותו הורודיה ותבקש המיתו ולא יכלה׃ 19
१९इसलिए हेरोदियास उससे बैर रखती थी और यह चाहती थी, कि उसे मरवा डाले, परन्तु ऐसा न हो सका,
כי הורדוס ירא את יוחנן בדעתו כי הוא איש צדיק וקדוש ויגן בעדו והרבה עשה בשמעו אליו ויאהב לשמע אתו׃ 20
२०क्योंकि हेरोदेस यूहन्ना को धर्मी और पवित्र पुरुष जानकर उससे डरता था, और उसे बचाए रखता था, और उसकी सुनकर बहुत घबराता था, पर आनन्द से सुनता था।
ויבא היום המכשר כי הורדוס ביום הלדת אתו עשה משתה לגדוליו ולשרי האלפים ולראשי הגליל׃ 21
२१और ठीक अवसर पर जब हेरोदेस ने अपने जन्मदिन में अपने प्रधानों और सेनापतियों, और गलील के बड़े लोगों के लिये भोज किया।
ותבא בת הורודיה ותרקד ותיטב בעיני הורדוס ובעיני המסבים עמו ויאמר המלך אל הנערה שאלי ממני את אשר תחפצי ואתן לך׃ 22
२२और उसी हेरोदियास की बेटी भीतर आई, और नाचकर हेरोदेस को और उसके साथ बैठनेवालों को प्रसन्न किया; तब राजा ने लड़की से कहा, “तू जो चाहे मुझसे माँग मैं तुझे दूँगा।”
וישבע לה לאמר כל אשר תשאלי ממני אתן לך עד חצי מלכותי׃ 23
२३और उसने शपथ खाई, “मैं अपने आधे राज्य तक जो कुछ तू मुझसे माँगेगी मैं तुझे दूँगा।”
ותצא ותאמר לאמה מה אשאל ותאמר את ראש יוחנן המטביל׃ 24
२४उसने बाहर जाकर अपनी माता से पूछा, “मैं क्या माँगू?” वह बोली, “यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर।”
ותמהר מאד לבוא אל המלך ותשאל לאמר רצוני אשר תתן לי עתה בקערה את ראש יוחנן המטביל׃ 25
२५वह तुरन्त राजा के पास भीतर आई, और उससे विनती की, “मैं चाहती हूँ, कि तू अभी यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर एक थाल में मुझे मँगवा दे।”
ויתעצב המלך מאד אך בעבור השבועה והמסבים עמו לא רצה להשיב פניה׃ 26
२६तब राजा बहुत उदास हुआ, परन्तु अपनी शपथ के कारण और साथ बैठनेवालों के कारण उसे टालना न चाहा।
ומיד שלח המלך אחד הטבחים ויצוהו להביא את ראשו׃ 27
२७और राजा ने तुरन्त एक सिपाही को आज्ञा देकर भेजा, कि उसका सिर काट लाए।
וילך ויכרת את ראשו בבית הסהר ויביאהו בקערה ויתנהו לנערה והנערה נתנה אתו אל אמה׃ 28
२८उसने जेलखाने में जाकर उसका सिर काटा, और एक थाल में रखकर लाया और लड़की को दिया, और लड़की ने अपनी माँ को दिया।
וישמעו תלמידיו ויבאו וישאו את גויתו וישימוה בקבר׃ 29
२९यह सुनकर उसके चेले आए, और उसके शव को उठाकर कब्र में रखा।
ויקהלו השליחים אל ישוע ויגידו לו את כל אשר עשו ואת אשר למדו׃ 30
३०प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया।
ויאמר אליהם באו אתם לבדד אל מקום חרבה ונוחו מעט כי רבים היו הבאים והיצאים עד לאין עת להם לאכול׃ 31
३१उसने उनसे कहा, “तुम आप अलग किसी एकान्त स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो।” क्योंकि बहुत लोग आते-जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।
וילכו משם באניה אל מקום חרבה לבדד׃ 32
३२इसलिए वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।
וההמון ראה אותם יצאים ויכירהו רבים וירוצו שמה ברגליהם מכל הערים ויעברו אותם ויאספו אליו׃ 33
३३और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहाँ पैदल दौड़े और उनसे पहले जा पहुँचे।
ויצא וירא המון עם רב ויהמו מעיו עליהם כי היו כצאן אשר אין להם רעה ויחל ללמד אותם דברים הרבה׃ 34
३४उसने उतरकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिनका कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।
ויהי כאשר רפה היום לערוב ויגשו אליו תלמידיו לאמר הנה המקום חרב והיום רד מאד׃ 35
३५जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है।
שלח אותם וילכו אל החצרים והכפרים מסביב לקנות להם לחם כי אין להם מה לאכל׃ 36
३६उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।”
ויען ויאמר אליהם תנו אתם להם לאכלה ויאמרו אליו הנלך לקנות לחם במאתים דינר ונתן להם לאכלה׃ 37
३७उसने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “क्या हम दो सौ दीनार की रोटियाँ मोल लें, और उन्हें खिलाएँ?”
ויאמר אליהם כמה ככרות לחם יש לכם לכו וראו וידעו ויאמרו חמש ושני דגים׃ 38
३८उसने उनसे कहा, “जाकर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने मालूम करके कहा, “पाँच रोटी और दो मछली भी।”
ויצו אותם לשבת כלם חברה חברה לבדה על ירק הדשא׃ 39
३९तब उसने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर समूह में बैठा दो।
וישבו להם שורות שורות למאות ולחמשים׃ 40
४०वे सौ-सौ और पचास-पचास करके समूह में बैठ गए।
ויקח את חמשת ככרות הלחם ואת שני הדגים וישא עיניו השמימה ויברך ויפרס את הלחם ויתן לתלמידיו לשום לפניהם ואת שני הדגים חלק לכלם׃ 41
४१और उसने उन पाँच रोटियों को और दो मछलियों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियाँ तोड़-तोड़कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछलियाँ भी उन सब में बाँट दीं।
ויאכלו כלם וישבעו׃ 42
४२और सब खाकर तृप्त हो गए,
וישאו מן הפתותים מלוא סלים שנים עשר וגם מן הדגים׃ 43
४३और उन्होंने टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भरकर उठाई, और कुछ मछलियों से भी।
והאכלים מן הלחם היו כחמשת אלפי איש׃ 44
४४जिन्होंने रोटियाँ खाई, वे पाँच हजार पुरुष थे।
ואחרי כן האיץ בתלמידיו לרדת באניה ולעבור לפניו אל עבר הים אל בית צידה עד שלחו את העם׃ 45
४५तब उसने तुरन्त अपने चेलों को विवश किया कि वे नाव पर चढ़कर उससे पहले उस पार बैतसैदा को चले जाएँ, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
ויהי אחר שלחו אתם ויעל ההרה להתפלל׃ 46
४६और उन्हें विदा करके पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया।
ויהי ערב והאניה באה בתוך הים והוא לבדו ביבשה׃ 47
४७और जब साँझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।
וירא אותם מתעמלים בשוטם כי הרוח לנגדם ויהי כעת האשמרת הרביעית ויבא אליהם מתהלך על פני הים ויואל לעבור לפניהם׃ 48
४८और जब उसने देखा, कि वे खेते-खेते घबरा गए हैं, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी, तो रात के चौथे पहर के निकट वह झील पर चलते हुए उनके पास आया; और उनसे आगे निकल जाना चाहता था।
והם בראתם אתו מתהלך על פני הים חשבו כי מראה רוח הוא ויצעקו׃ 49
४९परन्तु उन्होंने उसे झील पर चलते देखकर समझा, कि भूत है, और चिल्ला उठे,
כי כלם ראוהו ויבהלו אז דבר אתם ויאמר אליהם חזקו כי אני הוא אל תיראו׃ 50
५०क्योंकि सब उसे देखकर घबरा गए थे। पर उसने तुरन्त उनसे बातें की और कहा, “धैर्य रखो: मैं हूँ; डरो मत।”
וירד אליהם אל האניה והרוח שככה וישתוממו עוד יותר בלבבם ויתמהו׃ 51
५१तब वह उनके पास नाव पर आया, और हवा थम गई: वे बहुत ही आश्चर्य करने लगे।
כי לא השכילו בדבר ככרות הלחם מפני טמטום לבבם׃ 52
५२क्योंकि वे उन रोटियों के विषय में न समझे थे परन्तु उनके मन कठोर हो गए थे।
ויעברו את הים ויבאו ארצה גניסר ויקרבו אל היבשה׃ 53
५३और वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुँचे, और नाव घाट पर लगाई।
ויהי כצאתם מן האניה אז הכירהו׃ 54
५४और जब वे नाव पर से उतरे, तो लोग तुरन्त उसको पहचानकर,
וירוצו בכל סביבותיהם ויחלו לשאת את החולים במשכבות אל כל מקום אשר שמעו כי שם הוא׃ 55
५५आस-पास के सारे देश में दौड़े, और बीमारों को खाटों पर डालकर, जहाँ-जहाँ समाचार पाया कि वह है, वहाँ-वहाँ लिए फिरे।
ובכל מקום אשר יבא אל הכפרים או הערים ואל השדות שם שמו את החולים בחוצות ויתחננו לו כי יגעו רק בציצת בגדו והיה כל אשר נגעו ונושעו׃ 56
५६और जहाँ कहीं वह गाँवों, नगरों, या बस्तियों में जाता था, तो लोग बीमारों को बाजारों में रखकर उससे विनती करते थे, कि वह उन्हें अपने वस्त्र के आँचल ही को छू लेने दे: और जितने उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे।

< מארק 6 >